Sunday 22 April 2018

हम किस प्रकार की सरकार बना बैठे हैं ?..


// एक व्यक्ति को संस्थान और संस्थान को ही एक व्यक्ति मानने की मूर्खता.. //


जब टुच्चे नेताओं के जब तब आपत्तिजनक बयानों को "व्यक्तिगत" मान कर उनसे पल्ला झाड़ लिया जाता है तो फिर ??.. मसलन अब मोदी के मंत्री संतोष गंगवार का बयान कि "१-२ रेप की घटनाओं का बतंगड़ नहीं बनाया जाना चाहिए" उनका व्यक्तिगत बयान मान कर पल्ला झाड़ा ही जाएगा.. .. ..     

तो फिर इन टुच्चे नेताओं और इनके भक्तों द्वारा मेरी और आपकी निंदा / आलोचना श्री दीपक मिश्रा जैसे न्यायाधीश के लिए व्यक्तिगत तक सीमित क्यों नहीं मान ली जाती..
पूरे माननीय उच्चतम न्यायालय को फ़ोकट क्यों लपेटे में लिया जाता है ??..

हा !! हा !! हा !!..
इसलिए ही ना क्योंकि हम इनको समझ गए थे.. और अब जाकर ये हमको समझ रहे हैं.. और अब तो मामला पारदर्शी हो चला है..

अब तो ना हमें इनका कोई लिहाज़ रहा है.. और ना हमें भी बोलने में संकोच..
और इसलिए अब ये जब तब हमारे बोलने पर छटपटा जाते हैं.. और ये स्वयं ही एक व्यक्ति को ही सहूलियत अनुसार अक्सर संस्थान जैसा मान छाती कूटने लगते हैं - और कई बार संस्थान को ही एक व्यक्ति मानने की मूर्खता कर बैठते हैं.. मसलन 'सरकार' यानि 'मोदी' मानने की मूर्खता !!..

जबकि सत्य तो यही है ना कि व्यक्तिगत रूप से श्री दीपक मिश्रा के अलावा भी उच्चतम न्यायलय में अन्य न्यायाधीश हैं जिनकी हमने कभी व्यक्तिगत रूप से निंदा नहीं करी.. और उच्चतम न्यायालय जैसे माननीय संस्थान का हमेशा मान सम्मान ही किया.. है ना ??..

इसलिए मुझे लगता है वर्तमान में श्री दीपक मिश्रा पर व्यक्तिगत महाभियोग से उठे बवाल का कारण यही है कि अब तो 'ये' भी हमें पहले से बेहतर समझने और टीपने लगे हैं.. 'ये' मतलब व्यक्तिगत रूप से नासमझ कहीं के - जिन्हें हम भक्त भी कहते आए हैं !!.. .. यानि भक्त भी हमारी सोहबत में सुधर रहे हैं !! .. हा !! हा !! हा !! .. .. 

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Saturday 21 April 2018

// न्यायाधीश भी इंसान ही होते हैं.. तो फिर उनकी आलोचना पर चिल्लाचोट क्यों ??.. //


राम मंदिर का मसला भी तो उच्चतम न्यायालय में लंबित है.. पर जब संघी भाजपाई आदि खुल्लमखुल्ला ये बोलते हैं कि निर्णय जो भी हो मंदिर तो वहीं बनेगा तब उच्चतम न्यायालय की अवमानना नहीं मानी जाती - तब न्यायालय को प्रभावित करना नहीं माना जाता - तब न्यायालय को धमकाया जाना भी नहीं माना जाता..

पर स्थापित संवैधानिक कानूनी प्रावधानों के तहत जब कुछ सांसद उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग लाने की विधि-विधान सम्मत प्रक्रिया शुरू करते हैं तो बवाल मच जाता है.. तब ये न्यायालय को धमकाना और प्रभावित करना बताया जाता है.. और ये सब कुछ न्यायाधीशों को और कुछ राजनीतिज्ञों को और भक्तों को चुभ जाता है..

और मैं यही नहीं समझ सका हूँ कि क्या एक न्यायाधीश भगवान से भी बड़ा हो गया जो उसकी निंदा / आलोचना नहीं हो सकती ??.. क्योंकि सदैव पूजे जाने वाले भगवान तक की भी निंदा / आलोचना तो होती ही रही है..

और निंदा से तो कोई अवतार तक नहीं बचा - फिर इंसानों की क्या औकात.. और दाग तो लगते ही रहते हैं और धुलते भी रहते हैं और धूर्तता से धो भी दिए जाते रहे हैं.. मसलन निंदा तो मौनमोहनसिंह की भी हुई और मौनमोदी की भी हो रही है.. और थू-थू तो कांग्रेस की भी हुई और भाजपा की भी हो रही है.. और दागी तो सर्वत्र इफरात में पाए जाते हैं.. जैसे भगवान सर्वत्र कण-कण में पाए जाते हैं - वैसे ही दागी भी सर्वत्र कोने-कोने में पाए जाते हैं..

और फिर इतिहास में झांके तो न्यायालय से निर्णय भी ऐसे-ऐसे अजब-गजब हुए हैं जिससे ये सिद्ध हो जाता है कि न्यायाधीश भी इंसान ही होते हैं - निरे इंसान - खालिस इंसान.. और उनसे भी गलती होना स्वाभाविक है.. और वे गलतियां करते भी रहते हैं - और वे भ्रष्ट भी होते हैं - और हाँ !! दागी भी होते हैं..

हां ये बात अलग है कि मजबूरन ऐसी उचित व्यवस्था बनी हुई है कि न्यायाधीश भ्रष्ट व्यक्ति को सजा दे सकते हैं - पर भ्रष्ट या ईमानदार व्यक्ति भ्रष्ट न्यायाधीश को सजा नहीं दे सकते.. पर हां महाभियोग के मार्फ़त उन्हें अपदस्थ तो किया ही जा सकता है.. और न्याय ना मिलने पर पीड़ितों की चिल्लाचोट तो बनती ही है.. नहीं क्या ??..

इसलिए महाभियोग पर बवाल बेमानी है.. और न्यायाधीशों की निंदा / आलोचना होने पर चिल्लाचोट तो बिलकुल ही बेमानी है..

क्योंकि न्यायाधीश महोदय !!..
पीड़ितों निर्दोषों को न्याय देने में आप लोग पूर्णतः सफल नहीं हो सके हैं .. यकीनन !!..
इसलिए बेहतर होगा कि न्याय व्यवस्था में वांछित सुधार हों और आप न्यायाधीश इस हेतु कार्य करें और इस लक्ष्य को पाने में अपना सहयोग दें.. अन्यथा झूठी शान और इज़्ज़त वालों का और अपराधियों का हश्र तो सदैव बुरा ही हुआ है.. और ये बात आप से बेहतर कोई नहीं जानता - है ना 'मी लार्ड' !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Friday 20 April 2018

मेरे इरादे भी कदापि गलत नहीं..


// न्यायालय के निर्णयों में विरोधाभास.. और उच्चतम न्यायालय की छटपटाहट !!.. //


निचली अदालत ने तो माया कोडनानी को २८ साल की सजा सुनाई थी.. पर आज उच्च अदालत ने बरी कर दिया !!..

और उच्चतम न्यायालय छटपटा रहा है - और तो और धमका भी रहा है - कि न्यायालय के निर्णयों पर टीका टिप्पणी भी ना हो ??..

कारण ??.. दाढ़ी में संटियाँ हैं.. दाल काली है.. सब कुछ स्पष्ट है.. राज़ बेपर्दा हैं..

और डरा धमका वो रहे हैं जो डर रहे हैं - डर गए हैं - क्योंकि वो मुजरिम हैं.. पर मुजरिम करार नहीं हैं - क्योंकि कानून अँधा है - बावजूद इसके कि कानून बहरा नहीं है - बहुत बोलता भी है - पर या तो बिका हुआ है - या अपह्रत है - या धर-दबोच लिया गया है.. .. ..

व्यथा बहुत स्पष्ट और गहरी हो चली है.. हमारी भी - देश की भी.. और कानून की भी..

प्रश्नों का अंबार लग चुका है.. और जवाब या समाधान एक ही है.. बदलना होगा - बहुत कुछ बदलना होगा..

और टुच्चों से बदला भी लेना होगा - इसी न्याय की कसौटी पर कसकर - और जमकर !!..
!! जय हिन्द !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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हमारा देश 'कठुआ' हो गया है..


Tuesday 17 April 2018

// साज़िश !! और कैश गायब ??.. क्यों ना सबका 'योगी-एनकाउंटर' हो जाए ??.. //


मान ना मान मैं तेरा मेहमान.. ये जुमला तो हुआ पुराना.. नया वाला जुमला कुछ यूं है..
मान ना मान मैं तेरा मामा.. जी हाँ ये शिवराज हैं - एमपी के मुख्यमंत्री भी हैं - और भाजपाई भी.. और इसलिए जुमलाई भी..

और इसलिए अब जबकि देश में कैश की किल्लत हो चली है स्वयंभू मामू ने जुमला छोड़ दिया है कि - "बाजार से २००० के नोट गायब होना एक साज़िश"..

और हमेशा की तरह इस जुमलाई भाजपाई ने ये नहीं बताया कि ये संगीन साज़िश किसने रची ??.. और क्या आरबीआई के गवर्नर पीएमओ में झाड़ू-पोंछा लगा रहे थे ??..

और ये गजब साज़िश का पता मामू को कब और कैसे लगा ??.. और इसी साज़िश का पता राष्ट्र के बाप मोदी को क्यूँ नहीं लगा ??.. और क्या वित्तमंत्री कहलाने वाले बीमार जेटली को भी नहीं लगा ??.. और तो और वो धोतीपकड़ कड़ी निंदा करने वाले राजनाथ को भी क्यों नहीं लगा ??..

और यदि लगा तो किसने क्या किया ??.. क्या साज़िश का भंडाफोड़ नहीं करना चाहिए था ??.. और क्या साज़िशकर्ताओं को पकड़कर योगी-एनकाउंटर नहीं कर देना चाहिए था ??..

चाइए था !! चाइए था !! चाइए था !!.. पर मामू मोदी जेटली राजनाथ ने कुछ नहीं किया.. पता है क्यूँ ??.. क्योंकि ये सभी भाजपाई हैं और स्वयं साज़िशकर्ता हैं..

और ये केवल साज़िशकर्ता ही नहीं हैं ये बेवकूफ भी हैं और पागल भी हैं अन्यथा ये नोटबंदी ही क्यों किए होते और अब तक १००० रूपए के नोट भी ना निकाल दिए होते ??..

और हाँ एक बात और इस देश में बैंकों और एटीएम से कैश इसलिए गायब हुआ है क्योंकि सरकार का इकबाल भी 'कठुआ' हो चुका है.. और सरकार के विकास का बलात्कार हो चुका है.. और सरकार और भाजपा के पास धन की कोई कमी नहीं है.. मामा मस्त है - मामी धनाढ्य - माँ पस्त है - भांजा परेशान - भांजी हैरान.. और मामा के बाबा मंत्री धूनी रमा इनकी धो रहे हैं और दोहन तो कर ही रहे हैं..

और भक्त अब तक भी नेहरू को गालियां दे रहे हैं.. काश नेहरू की जगह पटेल हुए होते तो आज एटीएम में १ नोट मांगने पर २ नोट मिल रहे होते.. और यदि रामजी आंबेडकर के सुपुत्र भीमराव जी की टांग ना खींची गई होती तो २ नोट मांगने पर ४ नोट मिल रहे होते - और यदि इस देश में मुसलमान नहीं होते तो ८ नोट मिल रहे होते..

निर्लज्ज नकारा बेवकूफ पुल्लू के अट्ठों पट्ठों की जमात.. इन सबका तो बस अब 'योगी-एनकाउंटर' बनता है !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 16 April 2018

// भगवा के नाम पर टुच्चई गुंडागर्दी को भगवा आतंकवाद कहने में हर्ज़ भी नहीं.. //


मक्का मस्जिद ब्लास्ट प्रकरण में न्यायालय के निर्णय आने के बाद फुदकन के साथ उचक-उचक दावा किया जा रहा है कि भगवा आतंकवाद कुछ था ही नहीं.. क्योंकि सभी हिंदूवादी सभी आरोपों से बरी करार दे दिए गए हैं..

इनके दावे में बेदम दम है..

क्योंकि न्यायालय के निर्णय के बाद निर्णय जो भी हो मंदिर तो ये वहीं बनाएंगे जहां इनके बनाने की इच्छा हो.. और इसलिए इनके अनुसार भगवा आतंक की शुरुआत तो शायद तब ही होगी..

ये बम ब्लास्ट वगैरह या माराकूटी लूटपाट बलात्कार दहशतगर्दी वगैरह तो गुंडागर्दी की श्रेणी में आता होगा.. निहायत टुच्चई चीज़.. इसलिए शायद इन्हें इसे आतंकवाद कहना कुछ जंचता नहीं होगा..

पर मेरी मानें तो ये टुच्चई गुंडागर्दी भी आतंकवाद से कम नहीं.. और यदि भगवा के नाम पर हो तो इसे भगवा आतंकवाद कहने में हर्ज़ भी नहीं.. फिर न्यायालय क्या निर्णय दे फर्क पड़ता ही नहीं !!.. यदि इन्हें नहीं तो हमें भी नहीं !!..

समझे भक्तों !!.. न्यायालय के निर्णय का मतलब समझे कि नहीं ??.. या समझोगे कि नहीं ??.. या समझ सकोगे कि नहीं ??.. हा !! हा !! हा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// संस्कृति की जड़ें कट जाएंगी ??.. संस्कृति ना हुई भूतनी की चुटिया हो गई ??.. //


"यदि अयोध्या में राम मंदिर फिर से नहीं बनाया गया तो हमारी संस्कृति की जड़ें कट जाएंगी" : मोहन भागवत..

संस्कृति ??.. हद्द हो गई !!..
अरे मोहन भागवत जी ये जो संस्कृति होती है ना ये तो बहुत वृहद चीज़ होती है और इसके लिए सबसे पहले तो व्यक्तिगत संस्कार होना आवश्यक हैं.. और ये संस्कार तो बड़े यत्नों से डाले जाते हैं - रोपे जाते हैं .. और संस्कार तो व्यक्तियों में पड़ते हैं - जिससे एक वृहद संस्कृति का निर्माण होता है..

पर ये संस्कार या फिर संस्कृति कोई कटने-काटने की वस्तुएं थोड़े ही हैं कि मानों आप अपने संगठन के कुछ मवालियों दंगाइयों में प्रवाहित हो रहे साम्प्रदायिक होने के घृणित संस्कार काट दो - या फिर मंदिर नहीं बना तो आपकी संस्कृति ही कट जाएगी - मानो ये कोई संस्कृति ना हुई भूतनी की चुटिया हो गई ??..

और ये जो संस्कार होते हैं ना ये कत्तई कटते नहीं हैं - कटते तो पाप हैं जो आपके कटते नहीं दिख रहे - क्योंकि आप में संस्कारों की भी तो कमी दिखती है.. है ना !!

क्योंकि असली संस्कार तो वो होते हैं जो इंसानियत के होते हैं.. और इंसानियत के जाते और हैवानियत के आते ही संस्कार बचते ही कहाँ हैं - वो तो स्वतः ही ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे भक्तों के भेजे से अक्ल.. समझे !!

और अंततः भागवत जी विदित हो कि - ये जो शाश्वत गौरवशाली हिन्दू या मुस्लिम संस्कृति है ना - ये तनिक भी इतनी नाज़ुक कोमल या छुईमुई नहीं कि एक मंदिर के ना बनने से इसकी जड़ें ही कट जाएं - या आपके एक मस्जिद के ढहा देने से ही छिन्न भिन्न हो जाए..

इसलिए अब संस्कति के नाम पर लोगों को हिन्दू-मुसलमान या साम्प्रदायिकता के भरोसे बांटने या आपस में लड़ाने की घिनौनी कोशिशें बंद हों तो बेहतर.. क्योंकि वैसे भी आम हिन्दू और मुसलमान बहुत संस्कारी हैं - ओछे साम्प्रदायिक नहीं - समझे !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// 'कठुआ-उन्नाव-सूरत-रोहतक' से हटकर 'अयोध्या-इंग्लैंड' ??.. धिक्कार है !!.. //


कुछ तो हुआ ही था और हो रहा है.. जिस पर मोदी की जवाबदारी बनती थी..

और जो हुआ वो शर्मनाक भयावह ही था.. इसलिए समग्र रूप से तत्काल कार्यवाही के साथ-साथ अपनी जवाबदेही पर उठ रहे अनेक सवालों का जवाब मोदी को देना भी आवश्यक ही था - हर हालत में बनता ही था - अटालनीय ही था !!..

और जो शर्मनाक भयावह हुआ वो हुआ कठुआ - उन्नाव - सूरत - रोहतक में.. यानि भारत में..

पर मोदी देश को उद्वेलित छोड़ और बेवकूफ भक्तों को संतुष्ट कर - मात्र ये एकतरफा अविश्वसनीय आश्वासन देकर कि 'कड़ी कार्यवाही होगी' - इंग्लैंड बढ़ लिए - या खिसक लिए - या भग लिए - या मुंह उठा के चलते बने !!..

और उनके आका या चंगू-मंगू  संघचालक ऐसे ग़मगीन और उद्वेलित माहौल में भी पूरी बेशर्मी के साथ साज़िशन ससमय उगल दिए कि 'राम मंदिर तो वहीं बनेगा जहां वह था'.. क्योंकि उनके लिए शर्तिया कठुआ उन्नाव सूरत रोहतक से अधिक महत्वपूर्ण और दुधारू उपयोगी आज भी अयोध्या ही है.. वही अयोध्या जिसका संबंध रामराज्य से होना बताया जाता है.. और ये वही रामराज्य है जिसका होना या हो जाने का विश्वास धोखेबाज मोदी द्वारा जम्मू-कश्मीर यूपी गुजरात हरयाणा समेत पूरे भारत के लिए दिया जाता रहा है - वो भी बिना किसी हिचकिचाहट या शर्म लिहाज़ के !!..

और इन सबके बीच इस देश के कानून को क्रियान्वित करने के जिम्मेदार पुलिस और प्रशासन के उच्चाधिकारी लुंज-पुंज पंगु बने बैठे हैं - या बस वही किए जा रहे हैं जो उनसे करवाया जा रहा है..

और ये बड़े वाले बड़े बाबू उसी जमात के बाबू हैं जो दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के थप्पड़ काण्ड पर एकजुट हो हड़ताल पर चले गए थे.. पर अब टुच्चे नेताओं को पूर्ण रूप से यानि तन-मन-धन से समर्पित हो चुके हैं.. और जिनकी रीढ़ की हड्डी और रीढ़ के नीचे की हड्डियां भी चूर-चूर हो चुकी हैं.. कहना गलत नहीं होगा कि इनका भी बलात्कार हो रहा है और ये उफ्फ़ तक कहने की हैसियत में नहीं हैं - बेचारे !!.. पूर्ण बालिग ठूंठ पीड़ित !!..

और इसलिए मेरे पास इंग्लैंड प्रस्थित हुए मोदी द्वारा पीछे छोड़े अविश्वसनीय आश्वासन पर विश्वास करने का मोई कारण शेष नहीं बचा है..

इसलिए आज फिर खुल्लमखुल्ला धिक्कार उस हर भारतीय को जो मोदी की बात पर तनिक भी विश्वास करता हो.. और जिस भारतीय की आज भी प्राथमिकता वही बरकरार हो कि राम मंदिर वहीं बने जहां संघी भाजपाई हिन्दू कहें और सुप्रीम कोर्ट भी जाए तेल लेने..

यानि उस हर भारतीय को धिक्कार जो राम-राम मोदी-मोदी करते हुए आज भी कठुआ उन्नाव सूरत रोहतक से विचलित और उद्वेलित ना हुआ हो..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 12 April 2018

// तो क्या पाकिस्तान ने मोदी और हमारी इज़्ज़त-आबरू की भी वाट लगा मारी ??..//


मोदी और उनके भक्त तो कहते थे कि पाकिस्तान को मुहंतोड़ जवाब देंगे..

पर इनके मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष नंदकुमार चौहान तो कह रहे हैं कि कठुआ गैंगरेप के पीछे पाकिस्तान का हाथ है..

तो क्या तय नहीं हुआ कि ये चले थे पाक का मुंह तोड़ने जबकि पाकिस्तान ने मोदी और हमारी इज़्ज़त-आबरू की भी वाट लगा मारी ??..

या फिर ये नकारा बेशर्म भाजपाई और तथाकथित हिन्दू ही देश की बहन बेटियों की इज़्ज़त-आबरू को तार-तार कर रहे हैं ??..

विचारणीय !!.. है ना ??..

और विचारोपरांत मेरा मोदी को एक बार फिर धिक्कार !!.. क्योंकि मुझे यकीन है कि कठुआ रेप हत्या काण्ड को जो टुच्चे अब हिन्दू-मुसलमान का विषय बना रहे हैं वो ऐसा मोदी के इशारे और संज्ञान पर ही कर रहे होंगे !!..

और मेरा उन सभी हिन्दुओं को भी धिक्कार जो अब तक ये मालुम पड़ने के बावजूद कि "घृणित रेप हिन्दुओं द्वारा एक मंदिर के गर्भगृह में हुआ" वो अभी तक चुप बैठे हैं.. या अभी भी हिन्दू-मुसलमान के नाम पर देश को बांटने पर तुले हैं.. और हिन्दू धर्म तक को बदनाम करने पर तुले हैं..

धिक्कार इसलिए भी कि जो मंदिर में शरारतन माँस के एक टुकड़े फिका जाने पर या अन्य अफवाहों पर भड़क जाया करते थे वो आज मंदिर में हुए रेप से विचलित नहीं दिखे !!..  

अब तो लगता है कि ना केवल पाकिस्तान हमारी सीमाएं लाँघ रहा है.. बल्कि अब तो हमारे बेशर्म नेता भी नैतिकता की समस्त सीमा लाँघ चुके हैं.. सावधान !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// "कानून अपना काम करेगा" .. या .. "अपना कानून काम करेगा" ??.. ..//


सावधान !!.. देख लेना ऐसे ही चलता रहा तो ..

पुलिसिया थाने विशुद्ध रूप से केवल और केवल सरकारी अपराध केंद्र बन कर रह जाएंगे.. वो भी पूरे वैध संवैधानिक संरक्षण प्राप्त..

"कानून अपना काम करेगा" एक लोकप्रिय जुमला सिद्ध हो जाएगा और वस्तुतः "अपना कानून काम करेगा" लागू हो जाएगा.. 'अपना कानून' मतलब दबंगो सशक्तों विधायकों सांसदों मंत्रियों का अपना-अपना कानून..

हमारे 'माननीय' विधायक जी और सांसद जी बलात्कार से लेकर हत्या करने करवाने के लिए विशेषाधिकार प्राप्त कर लेंगे.. और उसके बाद बिना रोकटोक उन्मुक्त रूप से जनता के खर्चे पानी पर अनशन धरना प्रदर्शन करेंगे.. शायद इस मांग के साथ कि उनका किसी भी स्तर पर विरोध संभव ही ना हो..

और शरीफ लोग उग्र प्रायोजित भीड़ द्वारा "वन्दे मातरम" "जय श्रीराम" जैसे लगाए गए नारों को सुनकर ही सिहर उठेंगे..

और जब कानून व्यवस्था न्याय इंसानियत आदि जाएगी तेल लेने.. तब कमल और घांस के पकौड़े कीचड में तलते रह जाना.. समझे !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 10 April 2018

// इन दो पाये के जंगली वहशी जानवरों पर कभी भरोसा मत करना.. ..//


कल परसों ही तो उन्नाव में हुए वहशियाना बलात्कार-दबंगई-हत्या प्रकरण में नामित और आरोपी विधायक की गिरफ्तारी नहीं होने पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी ने कहा था (और सुविधानुसार इतना ही कहा था) कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा..

और आज ही समाचार आ गया कि योगी ने योगी ही जैसे साधू के वेश में भगवाधारी नेता पूर्व केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री और मुमुक्षु आश्रम के प्रमुख 'स्‍वामी' चिन्‍मयानंद पर २०११ में दर्ज बलात्‍कार और अपहरण का मुकदमा वापस लेने का फैसला किया है..

यानि कल कहा किसी को बख्शा नहीं जाएगा.. और आज ही एक को बख्श दिया.. है ना !!  

इसलिए कहता हूँ कि.. इन भाजपाइयों का बेशर्मी प्रदर्शन में कोई सानी नहीं.. वैसे ये अव्वल दर्जे के टुच्चे तो हैं ही.. और ये जो कहते हैं वो ये करते नहीं.. और जो करते हैं कहते नहीं.. और क्योंकि ये मजबूरी वश अनचाहे कहते तो सही ही हैं इसलिए सही कभी करते नहीं.. और क्योंकि ये गन्दी-गन्दी हरकतें करने के आदी हो चुके हैं इसलिए ये वैसी गन्दी बातें बताते नहीं..

जैसे कि ये कभी नहीं बताएंगे कि - ये धर्म के नाम पर और धर्म की आड़ में कितने अधर्मी काम करते हैं - इन्होने मोदी-चौकसी-मोदी को क्यों भगाया - और राफेल में कितने कमाए - और अय्याशी और चुनाव और खरीद-फरोख्त में कितने लग गए - और ये बाबाओं से इतने निकट क्यों और इतने भयभीत क्यों - और इनकी डिग्री फ़र्ज़ी क्यों और ये बीबी छोड़ भागे क्यों ??.. और इन्हें भगवा छोड़ बाकी से द्वेष क्यों ??..  

बस इसलिए कहता हूँ कि सांप छछूंदर नेवले कुत्ते बिल्ली पर भरोसा कर लेना पर इन दो पाये के जंगली वहशी जानवरों पर कभी भरोसा मत करना.. इनमें किसी भी जानवर का एक भी गुण नहीं है - और इंसानियत किस चिड़िया का नाम है इन्हे तनिक एहसास भी नहीं है..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// बहुत छटपटाहट हो रही है !!.. अब छुटपुट नहीं बल्कि उठापटक की जरूरत है.. //


अपनी ही बेटी के १ वर्ष पूर्व हुए बलात्कार और उसके बाद भी लगातार हो रहे अन्याय का विरोध करने पर एक पिता को खुल्लमखुल्ला पूरी दबंगई के साथ पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया गया !!..

और ये हतप्रभ करने वाला रोंगटे खड़े कर देने वाला वीभत्स दर्दनाक शर्मनाक हादसा हुआ भारत के उत्तरप्रदेश के उन्नाव में..

और सिद्ध हुआ कि मोदी और योगी जिनकी कोई बेटी नहीं और जो बाप ही नहीं.. वो किसी करम के नहीं.. और ये देश अब शांतिप्रिय न्यायप्रिय नागरिकों के लिए चैन से रहने लायक नहीं..

अब तो इस देश में रहने के लिए पहले इसे चुस्त दुरुस्त करना ही होगा.. और हमें समझना होगा और कल्पना करनी होगी कि उस दलित लड़की उसके दिवंगत बाप और उसके परिवार पर क्या भयावह गुजरी..

और ये भी कल्पना करनी होगी कि इस देश के कर्ताधर्ता कितने वहशी नालायक बेदर्द खौफनाक बेशर्म दरिंदे बेहया टुच्चे लफंगे अमानवीय चोर उचक्के बेरहम खुदगर्ज़ अपराधी कायर निकम्मे नकारा गुंडे सिद्ध हो रहे हैं.. और हम सब भी कितने खुदगर्ज़ और असंवेदनशील और असहाय या पंगु !!..

और ये भी कल्पना करनी होगी कि यदि मोदी योगी आज भी विपक्ष में होते तो वो क्या कहते और क्या करते - और सत्ता में रहकर भी वो क्या कर रहे हैं और क्या नहीं कर रहे हैं ??..

बहुत छटपटाहट हो रही है !!.. और अब छुटपुट नहीं बल्कि बहुत कुछ उठापटक करने की जरूरत महसूस हो रही है.. और ऐसा लग रहा है कि इस "राष्ट्र के बाप" और इसके सभी चेले चपाटी भक्तों को भी उचित सजा मिलनी ही चाहिए और पीड़ित लड़की के दिवंगत पिता और उसके परिवार को न्याय भी मिलना ही चाहिए !!..

बोलो मोदी जी मिलना चाइए कि नहीं मिलना चाइए ??.. बोलो कि लिलिपुट को उठा के पटक देना चाइए की नहीं चाइए ??.. बोलो तो आपको भी सजा मिलनी चाइए कि नहीं मिलनी चाइए ??.. बोलो मौनी मौन मोदी जी बोलो !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// भक्त भी मोदी के विरोध में सड़कों पर उतरे.. तौबा !! तौबा !! तौबा !!.. ..//


आज फिर भारत बंद..

और आज का बंद २ अप्रैल के दलितों के बंद के जवाब में.. और दलित आरक्षण के विरोध में..

पर सरकारी घोषणावीरों द्वारा घोषित किया जा चुका है कि ना तो आरक्षण समाप्त किया जाएगा ना किसी और को समाप्त करने दिया जाएगा..

यानि आज का बंद सरकार के खिलाफ !!..

पर बंद के समर्थन में तो मेरा भक्तु और अनेक भक्त शामिल.. यानि भक्त सरकार के विरोध में..
यानि भक्त भी मोदी के विरोध में सड़कों पर उतरे.. तौबा !! तौबा !! तौबा !!

और इसके मायने ये हुए कि या तो मोदी के दिन लद गए..
या फिर मोदी की चाल सफल हुई.. यानि सबको लड़ा भिड़ा के रखो और अपना भक्त सीधा करते रहो..
या फिर उससे भी शर्मनाक बात ये कि चोर उचक्कों टुच्चों के मार्फ़त सब गुनाह होते रहने दो और जनता के सामने खुद बगुला भगत बने रहो.. बस 'मित्रों-मित्रों' - 'चाइए-चाइए' करते रहो.. 

और ये बात तो मुझे समझ आ गई है पर भक्तों का क्या करें जिन्हें भीड़ के रूप में इस्तेमाल कर अब दंगाई भी बनाया जा रहा है.. ऐसे भक्त जो परोक्ष अपरोक्ष रूप से २ अप्रैल के बंद में भी शामिल थे और आज १० अप्रैल के बंद में भी शामिल होंगे.. वो भी एक दंगाई के रूप में..
शुद्ध नापाक भगवा दंगाई !!.. हे राम !!.. हे रवीश !! - अब तो तुम ही कुछ करो !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 9 April 2018

// मुसलमानों के बाद अब निशाने पर दलित क्यों ?? ..//


हिन्दू-मुसलमान श्रीदेवी सलमान और आईपीएल जैसे बकवास हॉट वायरल विषयों के बीच भी "दलित मुद्दा" चल निकला और छाया रहा.. यहाँ तक कि ये मुद्दा अविश्वास प्रस्ताव की लटकी तलवार के नीचे ठप्प नकारा संसद जैसे अभूतपूर्व शर्मनाक मुद्दे को भी पीछे छोड़ ज्वलंत हो गया..

और ये दलित मुद्दा ऐसा ज्वलंत हुआ कि हिंदुत्व के नाम पर साम्प्रदायिकता की राजनीति करने वाली सत्तासीन भाजपा और संघ को बहुत भारी पड़ गया.. इतना भारी कि साज़िशें तक भी रचनी पड़ीं - बचाव की मुद्रा में भी आना पड़ा - और तो और पार्टी में ही मौके की घात लगाए घातकों की ओर से घोर अंतर्विरोध तक का सामना करना पड़ गया..

और ये सब इसलिए कि भाजपा स्पष्ट रूप से दलित राजनीति की आग से खेलती दिखी.. जिसकी चिंगारी लगी आरक्षण संबंधी दिए गए सोचे समझे बयानों से और दलितों पर नियोजित हमलों से - और फिर आग लगी "रामजी" प्रकरण से.. और हवा लगी सुप्रीम कोर्ट से निकलवाए दलित एक्ट में एक संशोधन के निर्णय से..

पर उपरोक्त कारणों के अतरिक्त भी मैं जो सबसे प्रबल कारण मानता हूँ वो ये है कि..

शायद पहली बार अप्रत्याशित रूप से सांप्रदायिक तत्वों को हिन्दू मुसलमान विषय से सफलता नहीं मिली .. और उसका कारण रहा मुसलमानों द्वारा लाख उकसावे के बावजूद गज़ब की सूझबूझ सभ्यता सहजता संवेदनशीलता साहस सहनशीलता और सब्र का परिचय देना और आम हिंदुओं के साथ विश्वास को कायम रखना.. और साथ ही आम हिन्दुओं द्वारा भी अपने आपको भाजपाई बजरंगी विहिप वाले भगवा पट्टेधारी हिन्दुओं से अलग रख मुसलमानों के साथ भाईचारे को और पुख्ता करने के प्रयासों में आगे आकर साम्प्रदायिक शक्तियों का खुलकर विरोध करना..

और इस प्रकार आम हिन्दुओं और मुसलमानों की समझदारी के कारण - भगवा पट्टेधारी हिन्दुओं तथा मुसलमानों को भड़का कर अपनी राजनीति करने वाले अनेक मुस्लिम नेताओं के सारे अरमान पुनः परवान ना चढ़ सके..

और नतीजा ये है कि अब उन्हीं सांप्रदायिक स्वार्थी तत्वों के बीच कुछ दरारें पड़ गई हैं - और भाजपाई बजरंगी विहिप वाले भगवा पट्टेधारी हिन्दुओं ने अब अपना निशाना मुसलामानों से हटाकर दलितों पर साध लिया है..

पर बदलते हुए परिवेश में मुझे लगता है कि ये उनकी एक और बड़ी भूल है क्योंकि अब देश के आम हिन्दू-मुसलमान ही नहीं - पर आम दलित भी और सभी अन्य आम नागरिक भी परिपक़्व हो रहे हैं..

क्योंकि देश का आम नागरिक अब मोदी का रास्ता छोड़ रवीश कुमार के रास्ते चल पड़ा है.. उसे मोदी के मन की बकवास के बजाय रवीश के दिल दिमाग की बेहतरीन बातें समझ पड़ने लगी हैं..

बल्कि सही कहूँ तो रवीश की सारगर्भित बातें अब आम नागरिकों के दिमाग में पैवस्त होने लगी हैं - और भक्तों के दिमाग वाले सर के खाली खांचे में चुभने लगी हैं.. है ना !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Saturday 7 April 2018

// सांप नेवला कुत्ती कुत्ता बिल्ली आदि की एंट्री के बाद तो स्तर अब "नीच" हो चुका है.. //


संसदीय लोकतंत्र निचले स्तर पर : मोदी

सही कहा.. पर इसके आगे की भी सुन लो मोदी जी..

सांप नेवला कुत्ती कुत्ता बिल्ली आदि की संसदीय लोकतंत्र में एंट्री के बाद तो हमारे कुछ तथाकथित लोकतांत्रिक सांसद अब "नीच" स्तर पर पहुँच चुके हैं..

इसलिए मोदी जी आपको एक बार पुनः धिक्कार के साथ कहना चाहूंगा कि क्या गलत हो रहा है और क्या सही होना 'चाइए' अब मत बोलते रहा करो.. क्योंकि ये काम तो हमारा है.. हम आपको बता देते हैं कि संसदीय लोकतंत्र का स्तर निचले ही नहीं "नीच" स्तर तक पहुंचा दिया गया है.. और इसमें हमारा तो कोई सीधे-सीधे योगदान नहीं है सिवाय इसके कि ३१% जनता ने आपको शीर्ष कर्ता के पद पर नियुक्त कर दिया था जबकि आप कर्ता तो हैं ही नहीं - आप तो बस जुबानी जमाखर्च करने वाले बड़बोले नाकाबिल ही निकले.. और इसलिए आप ही गिरे और गिरते हुए स्तरों के लिए गुनहगार साबित हो चुके हो..

और इसलिए कृपया विदित हो कि आज तो आप की बची खुची साख भी अपने निचले स्तर पर पहुँच चुकी है.. और इसके पहले कि जनता धिक्कार के धक्के मार के आपको अपदस्थ करे उससे पहले ही जनता से माफ़ी मांगकर इस्तीफ़ा दे दो.. थोड़ी आपकी साख भी लौट आएगी और प्रधानमंत्री पद की गिरती हुई गरिमा भी संभल जाएगी.. 

पर आप ऐसा करोगे लगता नहीं क्योंकि ये "माफ़ी" भी बड़ी ही अद्वितीय चीज़ है - और तो और 'माफ़ी मांगने' और 'थूक के चाटने' में भी उतना ही फर्क होता है जितना केजरी और विश्वास में.. और ये उच्च स्तर की बातें भी निम्न स्तर के समझ में पड़ी जाए - संभव ही नहीं.. 

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Friday 6 April 2018

// हानिकारक उपयोगी प्लास्टिक .. बनाम .. हानिकारक नकारा मोदी .. ..//


प्लास्टिक का भी अपना ज़माना रहा और खूब चलन चला.. पर देर से ही सही लोगों को समझ पड़ ही गई कि प्लास्टिक भले ही उपयोगी हो पर अंततः हमारे लिए हानिकारक है.. और इसलिए इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना उपयुक्त एवं आवश्यक हो तय हो चुका है.. पर जो लोग प्लास्टिक के आदी हो गए थे वो अभी भी रोना रो रहे हैं कि पलास्टिक का विकल्प क्या ??.. मसलन अब दूध तेल पानी आदि किसमें पैक करें.. पापड़ दही घी अचार आदि कैसे पैक करें कि ये सब ख़राब ना हों.. और प्लास्टिक इंडस्ट्री के लाखों करोड़ों के रोजगार और निवेश आदि का क्या होगा ??..

इसी प्रकार..

मोदी का भी अपना ज़माना रहा और खूब चलन चला.. पर देर से ही सही लोगों को समझ पड़ ही गई कि मोदी तो नकारा है और हमारे लिए अंततः हानिकारक है.. और इसलिए मोदी का अपदस्थ होना उपयुक्त एवं आवश्यक हो तय हो चुका है.. पर जो भक्त मोदी के मुरीद हो गए थे वो अभी भी रोना रो रहे हैं कि मोदी का विकल्प क्या ??.. मसलन अब प्रधानमंत्री बनने लायक और कौन.. एक सुलझा समझदार ईमानदार नेता कैसे चुनें जिससे देश के हालात और ख़राब ना हों.. और फिर भाजपा संघ और हिंदुत्व और राम मंदिर आदि का क्या होगा ??.. 

मेरी उपयुक्त उपयोगी आवश्यक प्रतिक्रिया..

जो चीज़ हानिकारक हो उसका तत्काल त्याग आवश्यक है - लाभ तो स्वतः ही प्राप्त होने लगता है.. मसलन कोई भी व्यसन भले ही कितना भी मज़ा क्यों ना देता हो पर उसके उपयोग से नहीं उसके त्याग से ही असल लाभ प्राप्त हो सकेगा..  

इसलिए प्लास्टिक और मोदी दोनों ही हानिकारकों को प्रतिबंधित करना उपयुक्त और आवश्यक ही है..

इसलिए आइए अपने पर्यावरण की रक्षा और देश के हितों के संरक्षण हेतु आज ही तय करें कि भविष्य में कभी भी प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे और नकारा मोदी को सत्ता का दुरपयोग नहीं करने देंगे..

धन्यवाद !!.. जय हिन्द !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 3 April 2018

// गरीब संतप्त असंतुष्टों की भीड़ सड़कों पर है तो क्या सड़कों की 'रौनक' बढ़ी है ??..//


कह सकते हैं कि गरीब के अलावा भी काफी संतप्त और असंतुष्ट लोग आज सड़कों पर उतरे हैं..

पर भक्त अब भी मान कर चल रहे हैं कि मोदी राज में सड़कों पर रौनक बढ़ी है..

और कुछ टुच्चे लोग भक्तों की सोच को सकारात्मक ठहराने के भरपूर प्रयास कर रहे हैं..

और मैं सोच रहा हूँ कि काश सड़कों पर उतरी भीड़ ये समझ सके कि जब बेकाबू हो वो गुस्से में अपने निशाने गलत साधकर अपना या अपनेवालों का ही नुक्सान कर बैठती है तो वो उन टुच्चों की ही मदद कर देती है जिनकी वजह से ही भीड़ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुई है..

इसलिए मेरा सड़कों पर मजबूरन उतरे लोगों से निवेदन है कि क्यों वो ही हमेशा रोते रहें गुस्से में रहें ??.. और क्यों ना वो भी थोड़ा रौनकी हो टुच्चों के ठिकानों की भी तो रौनक बढ़ाएं.. सब कुछ सड़क पर ही क्यों.. सब कुछ खुल्लमखुल्ला क्यों.. सब कुछ आत्मघाती ही क्यों ??..

वो क्या है ना कि ये ज़माना बदल रहा है.. यहां मातम पर भी रौनक लगाने वालों का बोलबाला हो चला है.. इसलिए अब कम से कम रोना तो बंद करना ही होगा.. अब तो काम रुलाने से ही होगा.. समझे !! इन टुच्चों के सड़कछाप रौनकियों (यानि मेरे ही प्रिय मित्रों) ??..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 2 April 2018

// भक्तों !!.. केजरीवाल के बारे में टेंशन मत लो.. नहीं तो नसें भी लीक हो जाएंगी !!.. //


मंदबुद्धी भक्तों को २-३ बातें बिलकुल समझ नहीं पड़ रही हैं..

पहली : दलित भी तो हिन्दू होते हैं या नहीं ??..
दूसरी : हिन्दू धर्म शास्त्रों पर टिका है या शस्त्रों पर ??..
तीसरी : केजरीवाल ने गलत माफ़ी मांग कर सही काम क्यों किया ??..

भक्तों को मेरी राय..
अपनी औकात में रहो.. भले ही शास्त्रों का अध्ययन करो या फिर शस्त्र उठा लो - या फिर पकौड़े तलना शुरू करो - या फिर हिन्दू को हिन्दू से लड़ा मारो..

पर केजरीवाल के बारे में टेंशन मत लो.. नहीं तो नसें भी लीक हो जाएंगी !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// हालात बेकाबू !!.. भुगतना तो भक्तों को भी पड़ेगा.. बच्चू बच के कहाँ जाएंगे ??.. ..//


धार्मिक कारणों से रामनवमी के बाद से ही दंगे फसाद जारी थे..
आज जाति कारणों से भी हिंसा की नई शुरुआत हो गई है..
और तो और वर्गीय कारणों से दलितों और करणी सेना में हिंसक टकराव भी भयावह है..
और आर्थिक कारणों से पूरा देश स्तब्ध है - पेट्रोल डीज़ल के भाव रिकॉर्ड उच्चस्तर पर बहुत कुशलता के साथ पहुंचा दिए गए हैं..
सुरक्षा कारणों से भी देश उद्वेलित है - सीमा पर जवान भी मारे जा रहे हैं..
और शिक्षा या स्वास्थ या रोज़गार के क्षेत्र में देश में मज़ाक चल रहा है..
और राजनीति के क्षेत्र में भी मदमस्त उथल पुथल जारी है..

और इस सबके बीच आज भारत बंद है.. और चालू संसद भी बंद है - ठप्प है.. और भ्रष्टाचार अपने चरम पर !!..

पर भारत के स्वयंभू ५६ इंची छाती वाले नकारा चौकीदार-प्रधानसेवक और चुने हुए प्रधानमंत्री का मुँह बंद है - क्योंकि उसकी नीयत ही बद है..

और इस सब के बीच रवीश कुमार पूरे देश को समझदारी से भरे संदेश दे देकर हम सबको आगाह कर रहे हैं.. मानों कह रहे हों कि बेवकूफों संभल जाओ सुधर जाओ चेत जाओ जाग जाओ.. और ये भी बता रहे हैं कि अब तक भी भक्त बने हुए बेवकूफ आज की भयावह स्थितियों के लिए परोक्ष अपरोक्ष रूप से मुख्य जिम्मेदार हैं..

और मैं सोच रहा हूँ कि क्या भक्तों का भी कोई धर्म है - या फिर कोई जाति या फिर कोई विशेष वर्ग ??.. क्या भक्तों को शिक्षा स्वास्थ रोजगार की दरकार नहीं है ??.. क्या जो भारत आज बंद है वो भक्तों का नहीं है ??.. क्या भक्तों की गाड़ियां पानी से चलती हैं ??.. क्या ये सांसद विधायक मंत्री जो हराम की तनख्वाह ले रहे हैं वे भक्तों के नहीं हैं ??.. क्या भक्त भी टैक्स नहीं देते हैं ??.. या फिर भक्त हद दर्जे  के बेवकूफ तो नहीं ??.. या भक्त कहीं बिके हुए तो नहीं ??..

खैर भक्त जो भी हों - जैसे भी हों जहां भी हों और जितने भी बचे हों - एक बात तय है कि यदि उन्हें इसी देश में रहना है तो भुगतना तो उन्हें भी पड़ेगा .. बच्चू अब बच के कहाँ जाएंगे ??..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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