Friday 31 August 2018

"राहुल चीन क्यों गए ??".. "साहेब तेल लेने कब जाएंगे ??"..


// आखिर साहेब जैसा नाकारा नेता इतने वर्षों तक कैसे धक खप गया ??.. ..//


ताज़ा-ताज़ा सुना तो यही है कि..
संघ पप्पू को अपने कार्यक्रम में बुलाने की सोच रहा है..
गप्पू के अप्पू की किडनी काम करने लगी है..
राफेल विमान साहेब ने २०% कम दरों पर खरीदे थे..
बैंको में जमा बंद नोटों की गिनती अंततः पूरी हो गई है..
डॉलर के मुकाबले रुपैय्या ७० के पार हो गया है..
डीजल भी ७५ और पेट्रोल ८५ के पार रिकॉर्ड तोड़ रहा है.. 
साहेब को अर्बन नक्सलियों से राजीव गाँधी जैसा जान का खतरा है..
और ..
बत्तखें पानी में तैरती हैं तो ऑक्सीजन घोलती हैं..

यानि अब तो पक्के-पके मानना ही पड़ेगा कि..
  
पप्पू को भी प्रणब दा जितनी ज्ञानी या प्रभावकारी हस्ती मान लिया गया है..
किडनी ठीक होने के बाद गप्पू के अप्पू का दिमाग काम नहीं कर रहा है.. 
पप्पू की जिद्द के आगे गप्पू का अप्पू अब राफेल की कीमत सार्वजनिक कर दे रहा है..
नालायक अप्पू ने बंद किए गए नोटों की गणना बताने के लिए २० महीने लिए हैं..
रुपैय्या गिरने से भी गिरे साहेब की साख गिरती ही जा रही है..
महंगा तेल खरीदने में लोगों का तेल मुफ्त में निकल रहा है..
नेहरू गांधी परिवार का भूत और 'अर्बन वर्तमान' 'रूरल साहेब' की जान के पीछे पड़ा है..
और ..
गधे जब सत्ता के गलियारों में चलते हैं तो गोबर पर लीद और मूत्र भी घोलते चलते हैं..

और भक्त भक्ति में लीन हैं.. अटल जी की मूल अस्थियों के विसर्जन उपरांत अतिरिक्त अस्थियों को कबाड़ने और ठिकाने लगाने में व्यस्त हैं.. और विकास के पुरजोर पैदा होने की क्षीण आशा में जश्न मनाने की तैयारियों में जुटे हैं.. और २०१९ से अँखियाँ मींचे कुछ मायूस हो कुछ मासूम बन २०२२ का टुकुर-टुकुर इंतज़ार कर रहे हैं..

और मैं शब्दों से लैस शून्य पर खड़ा हैरान हूँ कि मेहनती ईमानदार और अक्लमंद लोगों के इस देश में आखिर साहेब जैसा नाकारा नेता इतने वर्षों तक कैसे धक खप गया ??..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Thursday 30 August 2018

घर तक छोड़ के आओ बे !!..


// आगामी चुनावों के मद्देनज़र अब मोदी का मूल्यांकन क्यों और कैसे हो.. ..//


मेरी नज़र में नरेंद्र मोदी का मूल्याँकन जीती हारी गई सीटों की संख्या या उसके बाद अनेक राज्यों के चुनावों के परिणामों से नहीं होना चाहिए.. तब भी नहीं जब मोदी की लहर चल रही थी और तब भी नहीं जब मोदी की पार्टी कीचड़ में सनी सड़-गल मिट जाने वाली हो.. ..

राजनीति में चार-पांच साल सत्तासीन होने का कार्यकाल या हरामकाल पूर्ण पर्याप्त समयकाल होता है.. और जब कोई चुनावी जीत हासिल कर इस समय का हक़दार हो लुत्फ़ उठा जाता है तो उसका मूल्यांकन केवल और केवल उसके कार्यकाल / हरामकाल के गुण-दोषों के आधार पर ही होना चाहिए.. ना कि उसकी छवि या उसकी पार्टी या उसके वायदे या उसके व्यक्तिगत गुण-दोषों के आधार पर.. ..

और तो और उसका मूल्यांकन इस आधार पर भी नहीं होना चाहिए कि वो क्या करना चाहता था.. क्योंकि यदि वो कुछ अच्छा करना चाहता था और किसी ने उसको अच्छा करने से रोका भी नहीं था पर वो कुछ अच्छा नहीं कर पाया तो इसके लिए क्या किया जाए ??.. उसको जयंत भाई वाली फूल मालाएं चढ़ाई जाएं या जूतों से मारा जाए ??.. ..

क्योंकि जब कोई चाह कर या ना चाह कर भी कुछ अच्छा नहीं कर पाए या कुछ बुरा ही कर जाए तो दबी या लपलपाती जुबान तो हर कोई कहेगा ही कि - धत्त तेरे की - बकवास बहुत हो गई - अब किसी दूसरे को मौका मिले.. ..

इसलिए आज जबकि देश को अगले चुनाव में शिरकत करनी है तो मोदी का मूल्यांकन भी केवल उनकी उपलब्धियों और नाकामियों पर आधारित होना चाहिए.. और हर क्रियाकलाप के परिणाम पर विवेचना के पश्चात् ही होना चाहिए..

मसलन यदि कोई २०-३० करोड़ जनधन खाते खोलने की बात करता है तो उसे ये भी टटोलना चाहिए कि इसका परिणाम क्या निकला ?? क्या इससे खाताधारकों का फायदा हुआ या बैंकों का या देश का ??.. यदि ५-१० करोड़ महिलाओं को गैस कनेक्शन दिया गया तो क्या इससे उन महिलाओं की ज़िन्दगी में कुछ स्थाई बदलाव आया भी कि नहीं ?? या किसी गैस वाले उद्योगपतियों का फायदा हो गया ??.. यदि १०-१२ करोड़ लोगों को मुद्रा लोन बाँट दिया गया तो क्या इससे उन लोगों की ज़िंदगी में कुछ स्थाई बदलाव आया कि नहीं ?? और क्या बेरोजगारी घटी या देश की अर्थव्यवस्था सुधरी ??.. ..

और मसलन क्या नोटबंदी मोदी और भाजपा के लिए सफल रही या शर्म से डूब मरने का कारण रही ??.. या फिर नोटबंदी मोदी को चौराहे पर पहुँचने और सजा को स्वीकार्य करने का उचित और न्यायोचित और आवश्यक कारण बन चुकी है.. जिसकी वजह से कम से कम आरबीआई की रिपोर्ट के बाद तो मेरे बूढ़े हाथों तक में अब खुजली भी हो रही है - क्योंकि मेरा दिल दिमाग उन सौ से अधिक निर्दोष लोगों पर भी जाता है जो बेवजह एटीएम कि लाइनों में खड़े-खड़े अपनी जान से हाथ धो बैठे थे - और उनको न्याय मिलना अभी तक लंबित है !!..

और क्या जो कार्य किए गए क्या वे भलाई के कार्य थे और पर्याप्त कार्य थे जिस आधार पर मोदी का मूल्यांकन अच्छा कर दिया जाए ??.. ..

और क्या मूल्यांकन इस आधार पर नकारात्मक ना किया जाए कि जो कार्य करने का वादा था या जो करने अपेक्षित थे वे किये ही नहीं गए.. मसलन स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार - भ्रष्टाचार पर रोक - शिक्षा में सुधार - महिलाओं की सुरक्षा - सबके साथ से सबका विकास - महंगाई पर रोक - कालेधन की वापसी - पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब या कश्मीर समस्या का हल - आदि ??

और क्या यह भी देख परख नहीं लिया जाए कि मोदी के कारण इस देश को और हमारे समाज को कितनी हानि हुई ?? फिर चाहे वो सामजिक ताने बाने और भाईचारे और आपसी विश्वास को लगी ठेस और पलीते के विषयक हो या फिर चरमरा रही अर्थव्यवस्था के विषयक - या फिर देशवासियों के अपनी सरकार पर उठते विश्वास के विषयक ही क्यों ना हो ??..

और क्यों ना इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाए कि मोदी ने देश और समाज में आपसी वैमनस्य की वो शुरुआत करने की कोशिश की है जो विगत कई सालों से सुप्तावस्था में चली गई थी ??.. और नैतिक पतन तो चरम पर है ही !!..

और जहां तक चुनावी जीत की बात है तो क्या चुनावी परिणामों के अलावा इस पर गौर करना भी आवश्यक नहीं कि ये जीत कैसे हासिल की गई ??.. पैसे के बल पर - छल-कपट से - झूठ और फरेब के सहारे - और किसी को उफ्फ्फ तक नहीं करने दी जा रही - या किसी की उफ्फ्फ सुनी भी नहीं जा रही ??.. क्यों ??.. कहीं इस जीत का सरोकार उन्हीं सेठों और लठैतों से तो नहीं जो यही चाहते हैं कि एन-केन-प्रकारेण मोदी ही जीतें..

और अब एक बार फिर उन्हीं सेठों और लठैतों की पूरी कोशिश है कि इस देश में अब राजनीति तो ऐसे ही रहे - "जिसकी लाठी उसकी भैंस".. और यदि औकात है तो आओ लड़ लो ??..

और क्योंकि अब लड़ना आवश्यक है और औकात बताना भी आवश्यक है इसलिए ये भी आवश्यक है कि मोदी को सबक सिखाया जाए.. और जो भी मोदी का विरोध कर रहे हैं उनका समर्थन किया जाए..

बस इसलिए ही मैं.. ममता माया अखिलेश चंद्रबाबू पंवार अदि के प्रति शुभकामनाएं रखता हूँ.. और यहां तक कि राहुल के प्रति भी सद्भावनाएं..

और  केजरीवाल का दिल से और खुला समर्थन करता रहा हूँ.. जिसने मोदी के खिलाफ ऐसी लड़ाई अनवरत लड़ी जिसमें उसने अपनी और मोदी दोनों की औकात का खुल्लमखुल्ला स्पष्ट परिचय दिया है..

तो आओ आज मैं भी मोदी और उनके भक्तों को चुनौती देता हूँ.. औकात है तो २०१९ का चुनाव जीत के बताओ.. तुम्हारे पास सत्ता और पैसा है तो हमारे पास केजरीवाल रवीश अभिसार पुण्य प्रसून कन्हैया विनोद दुआ जैसी शख्सियतें हैं.. मैदान खुल्ला है.. तुम्हारा भी वही हश्र होगा जो तुम्हारी बेवकूफाना नोटबंदी का हुआ है !!.. शर्तिया !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Wednesday 29 August 2018

// आपात स्थिति के मद्देनज़र.. सिक्के का दूसरा पहलू भी.. बधाई हो !!.. //


कभी छोटे-मोटे पुलसिया कोर्ट कचहरी मामलों में फंसाते रहे - तो कभी तोता-मैना के जादू से धरते दबोचते डराते रहे - तो कभी देशद्रोह जैसे संगीन आरोपों से नवाज़ते रहे.. तो कभी पाकिस्तान भेज देने की धमकियां देते रहे.. और तो और हमने तो कइयों को मौत के घाट भी उतरते देखा और इन्हें निःशब्द और शून्य में ही देखा..

पर तौबा !!.. शायद हताश हो कल तो नक्सली होने के आरोप में ५ गिरफ्तार कर मारे..

और लोग कह रहे हैं कि ये तो बहुत गलत हो गया.. ये तो अन्याय है - ये तो अघोषित आपातकाल जैसा है.. ये तो आपातकाल ही है.. आदि !!..

और मुझे भी लग रहा है कि अंततः अब जाकर आपात स्थिति उत्पन्न हो गई है.. पर मुझे तो सिक्के का दूसरा पहलू भी दिख रहा है.. और मुझे लगता है कि ये आपात स्थितियां भाजपा और मोदी के लिए उत्पन्न हुई हैं..

और इन आपात स्थितियों का बयान मैं कुछ यूं करना चाहूंगा कि .. ..

अब चौतरफा घिरे-घिरे से साहब नज़र आते हैं.. कभी रोते कभी रुलाते नज़र आते हैं..
चिंता हम अब किसी और की क्या करें.. जब साहेब अब खुद ही चिंतित नज़र आते हैं..

यानि कुल मिलाकर यदि मेरा ईश्वर अल्लाह सभी गिरफ्तार निर्दोषों को सलामत रखे तो मुझे लगता है कि अब देश को राहत मिलने जैसी बेहतरीन स्थिति निर्मित हो चुकी है.. क्योंकि भाजपा में आपात स्थितियां निर्मित हो चुकी हैं.. साहेब जाने वाले हैं - और अब शायद देश के कुछ बेहतर दिन आने ही वाले हैं.. !! बधाई हो !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Saturday 25 August 2018

// कुछ नए नामकरण.. 'उत्तरी गोलार्ध'>'अटल गोलार्ध'.. 'भूमध्य रेखा'>'भूमोदी रेखा'..//


'अटल' नाम की धुआंधार बाढ़ में.. एक अटल सुझाव मेरा भी.. ..

जिन्होनें पूरी 'पृथ्वी' का नामकरण अटलजी के जीते-जी 'दीनदयाल गोला' कर दिया था..
उन्हें तात्कालिक स्थितियों और अस्थियों और आस्थाओं और भक्तभावनाओं और २०१९ के चुनावों के मद्देनज़र.. अब लगे हाथ कुछ नए नामकरण निम्नानुसार भी कर ही देने चाहिए..

'दक्षिणी गोलार्ध' > 'दीनदयाल गोलार्ध'
'उत्तरी गोलार्ध'  > 'अटल गोलार्ध'

और मेरे हिसाब से तो पृथ्वी का पुनःनामकरण अब - 'गोलवलकर गोला' ज्यादा अच्छा लगेगा..

और अंतिम सुझाव..

'गोलवलकर गोले' के 'दीनदयाल गोलार्ध' और 'अटल गोलार्ध' को बांटने वाली 'भूमध्य रेखा' का नामकरण अभी से 'भूमोदी रेखा' कर देना चाहिए..
क्योंकि बांटने में मोदी से बड़ा और कौन हुआ या हो जाएगा ??..
संभव ही नहीं ना !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Friday 24 August 2018

// समाज में बिखराव के बाद अस्थियों के ऐसे बिखराव की ही तो आशा की जा सकती है..//


अटलजी की अस्थियों के सैंकड़ों-हज़ारों टुकड़े-टुकड़े कर देश की हर नदी में बहाने के बाद इससे बेहतर या ज्यादा क्या ????..

भक्त जमात के सूत्र बता रहे हैं कि युगपुरुष साहेब के समय अब तो अस्थियां टुकड़े-टुकड़े कर फिर पीस पीसकर हज़ारों-लाखों नाले-नाले बहानी पड़ेंगी.. बेचारे भक्तों के पास अब और कोई बेहतर विकल्प छूटा ही नहीं है..

और मैं सोच रहा हूँ कि बात में दम है.. साहेब किसी से पीछे क्यों रहें ??.. वो भी जब साहेब ने समाज को नालों की महत्ता पर जीते-जी भरपूर ज्ञान पेला.. और नालों के प्रति उनका विशेष लगाव भी किसी से छुपा नहीं रहा..

और शायद ऐसा करने से उन लाखों चाहने वालों को भी फ़ायद होगा जो नाला गैस से लाभान्वित हो रहे होंगे.. क्योंकि यकीनन ऐसा करने से गैस उत्पादन में भी वृद्धि होना तय माना जा सकता है..

और मैं यह भी सोच रहा हूँ कि मैं भी जीते-जी ये मंज़र देख लूँ तो चैन पड़े.. क्योंकि अब देखने को शेष बचा ही क्या है.. समाज में बिखराव के बाद अस्थियों के ऐसे बिखराव को देखने की ही तो आशा की जा सकती है.. है ना !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 23 August 2018

// गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक अनूठी मिसाल .. ..//


मेरे एक भक्तु ने कल देर शाम मुझे व्हाट्सएप किया..

सभी भाइयों को ईद की राम राम !!..

मैने भी आज उसे व्हाट्सएप कर दिया है कि..

अटल अस्थिकलश यात्राओं के बाद अस्थियां प्रवाहित होने के साथ ही अल्लाह अटलजी की आत्मा को शांति प्रदान करे - और उन्हें जन्नत नसीब हो.. आमीन !!..

इसे कहते हैं धर्मनिरपेक्षता.. गंगा-जमुनी तहज़ीब.. नहीं क्या ??..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Wednesday 22 August 2018

// बैठे रहो निःशब्द शून्य में.. जनता या फिर भीड़ ही बारी-बारी सबकुछ निपटा देगी.. ..//


इसी देश में एक भीड़ द्वारा सरेआम एक महिला को केवल कुछ गड़बड़ होने के शक़ की बिनाह पर निर्वस्त्र कर घुमा दिया गया..

और इसी देश के प्रधानसेवक अब तक भी निःशब्द ही हैं.. शून्य में ही हैं.. और भीड़ की करतूतों पर तो वो जुमलाकिंग पहले भी निःशब्द ही थे.. शून्य में ही थे !!..

इसलिए शक़ होना लाज़मी है कि प्रधानसेवक बहुत ज्यादा गड़बड़ है भाई.. और उस निर्वस्त्र की गई महिला से तो कुछ ज्यादा ही.. यानि शक़ करना तो पुख्ता बनता है !!..

और इसलिए बस सहमे हुए इंतज़ार है तो ऐसी ही किसी एक और भीड़ का जो उस निर्वस्त्र कर घुमाई गई महिला को न्याय दिलाने के लिए चीरफाड़ कर देने का इरादा और माद्दा रखती हो..

और यकीन मानें.. इसी देश में ऐसी कई भीड़ें मौके की ताड़ में बैठी ही होंगी.. क्योंकि इसी देश में लोकतंत्र की जगह भीड़तंत्र को ही निःशब्द रहते हुए और शून्य में रहते हुए पनपाया उकसाया जो जा रहा है.. नहीं क्या ??..

तो क्या मान लिया जाए कि भीड़ का जवाब भीड़ ही देगी ??..
नहीं.. जरूरी नहीं !!.. भीड़ का जवाब जनता भी दे सकती है.. और जनता और भीड़ में अंतर होता है..

तो बेहतर तो यही होगा कि जनता ससमय पुरज़ोर जवाब दे और प्रतिकार करे और भीड़तंत्र से इस देश को बचा ले.. अन्यथा तो खामोश जनता ही पूर्ण निर्वस्त्र कर दी जाएगी.. फिर चाहे वो महिला हो या पुरुष - गरीब हो या अमीर - हिन्दू हो या मुसलमान - सवर्ण हो या दलित - बुद्धिजीवी हो या भक्त - इंसान हो या निःशब्द नेता.. ..

भीड़ सब कुछ निपटा देगी.. बारी-बारी सबको निपटा देगी.. समझे !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

ईद मुबारक !!..

जो साल-दर-साल और पूरे साल.. ज़ुबान से चटखारे लेते हुए अंडे मुर्गे झींगुर मछलियां बोटियाँ गोश्त आदि दारू के सहारे रुश्क-खुश्क गले से डकारते रहे.. और आज ईद के मौके पर बेचारे बकरों की जान के प्रति उचित तरस और सहानभूति का बखान कर रहे हैं.. और शोकसंदेशों का प्रचार प्रसार करते हुए उसी चटखारी जुबां से आंसू बहा रहे हैं.. मेरे ऐसे सभी मित्रों और देशवासियों को आज बुधवार की बधाई और अनेक शुभकामनाएं !!..
और मेरे अन्य सभी मित्रो को आज ईद की तहेदिल से मुबारकबाद !!.. 🌹🌹
🙏ब्रह्म प्रकाश दुआ 🙏

Monday 20 August 2018

// आइए मणिशंकर अय्यर की घर-वापसी का तहे दिल से स्वागत करें.. क्योंकि .. ..//


मणिशंकर अय्यर की घर-वापसी पर कपड़े फाड़ना गलत है.. बल्कि फुस्सी-फुस्सी चपड़चूं भी करना गलत है.. क्योंकि.. ..

" ये आदमी बहुत नीच किस्म का आदमी है, इसमें कोई सभ्यता नहीं है "..
इस वाक्य में मुझे "जातिसूचक" तो कुछ भी नहीं लगा था..
और इस वाक्य का तो व्याकरण तक भी दुरुस्त ही था.. ..

और तब शायद इस बात की सत्यता पर संदेह रहे हों..
पर आज तो कोई संदेह भी बचा नहीं रह गया होगा..

क्योंकि वो स्वयं तो बिन बुलाए पाक जाकर पप्पियाँ झप्पियाँ डाल के आए.. पर किसी अन्य असरदार के वहां आधिकारिक निमंत्रण पर और सरकारी अनुमति से और दोस्त होने की सदैव अनमोल हैसियत से पाक पहुंच स्वाभाविक एवं वांछित गर्मजोशी के साथ पप्पी झप्पी डालने पर उनके भक्त बिल्कुल "नीचता" पर उतर आ रहे हैं..

और क्योंकि हर वादे और अपनी हर बात से पलटी मार लेने के बावजूद केवल अन्य को कोसते रहना और तंज़ कसना और बकवास करना भी तो "नीचता" ही कहलाएगी ना !!..

दरअसल बात क्या है कि अपुन तो बहुत जल्द औकात और नीयत और नाकाबलियत भांप गए थे.. पर कुछ अन्य गफलत में रहे.. और उनके दिमाग की बत्ती देर से और अब जाकर जली..

खैर देर आए दुरुस्त आए !!.. क्योंकि किसी को अनअपेक्षित और टालनीय और अरुचिकर कटु-सत्य असमय बोलने की सज़ा भी तो अंतहीन नहीं दी जा सकती है ना.. क्योंकि चाटुकारों और कार्यकर्ताओं के अलावा राजनीति में कभी कभार कटु-सत्य बोलने की हिम्मत रखने वाले उद्दण्डियों की भी तो जरूरत पड़ती ही रहती है ना !!..

मसलन आप स्वयं सोचें कि क्या केरल पर आई इतनी घोर विपदा के बावजूद केवल ५०० करोड़ की सरकारी सहायता घोषित करने पर कुछ उद्दण्डियों द्वारा कटु-सत्य बोलने की आवश्यकता है कि नहीं ????..

इसलिए आइए समस्त राजनीतिक भेदभाव और धर्म जाति और पार्टी की परवाह किए बगैर.. मणिशंकर अय्यर की घर-वापसी का तहे दिल से स्वागत करें !!.. धन्यवाद !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Saturday 18 August 2018

// जो 'पटेल' को हथिया ना सके - उनके हाथ से 'अटल' फिसल चुके हैं .. ..//


वार भले ही अचूक ना हो.. पर साहेब वार करने का मौका - या यूँ ही फेंकने का मौका कहाँ चूकने वाले..

और इसी चक्कर में महान आत्मा को श्रद्धांजली भी देने के महान प्रयास कर डाले !!..

और सदैव तत्पर गोदी मीडिया ने मदद करने के चक्कर में महान आत्मा को इतना महान बतला मारा कि अनजाने ही बेचारे साहेब खुद बौने नज़र आने लगे.. और भक्तों को तो हड़बड़ाई में कुछ सम्पट ही नहीं पड़ी..

और अति और इति तो तब हो गई जब इसी घालमपेल में इतिहास में से ही कुछ ऐसा निकल आया जिससे वोट देने लायक नई पीढ़ी को भी ये पता चल गया कि इस महान आत्मा ने भी साहेब को फटकारा था.. और ये साहेब ही थे जिनकी कारगुजारियों और कारनामों और "करतूतों" की वजह से २००४ में महान आत्मा का बेडा गर्क हुआ था.. अन्यथा तो महान आत्मा को चौथी - पांचवी बार भी सफलता मिल ही जाती..

यानि जब भक्तों को ये पता चला कि सबको ये पता चल रहा है कि ये साहेब तो तब भी सत्यानाशी थे और अब भी वैसे ही हैं.. तब से कुछ मातमी सन्नाटा और छा गया है.. निःशब्द जैसा - शून्य जैसा !!..

और मुझे तो डंके की चोट अब यह एहसास हो रहा है कि.. जो अब तक पटेल-पटेल कर 'पटेल' को हथिया ना सके - उनके हाथ से 'अटल' फिसल चुके हैं !!..

महान आत्माओं को एक बार फिर साधुवाद एवं श्रद्धांजली !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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वो मोदी जैसे तो बिल्कुल भी नहीं थे !!..


Friday 17 August 2018

// यकीनन मोदीजी शून्य में ही हैं.. और यकीनन शून्य में ही रहेंगे.. निःशब्द !!.. //


कुछ दिन पहले १५ अगस्त को सत्तापीठ के करीब कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के आहाते में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद पर सरेआम गोली चली थी.. और जवाबदार या जिम्मेदार रहे - निःशब्द !!..

और आज अभी - अटलजी को श्रद्धांजली देने बीजेपी मुख्यालय पहुँचे - और कुछ दिन पूर्व ही पीटे गए - बुज़ुर्ग स्वामी अग्निवेश से वहां मौजूद गुंडों द्वारा हाथापाई कर दी गई.. और जवाबदार या जिम्मेदार तब भी और अब तक भी रहे - निःशब्द !!..

और मोदीजी ने कहा.. मैं निःशब्द हूँ, शून्य में हूँ..

और शायद सही ही कहा..

मोदी जी निःशब्द ही तो हैं..
मोदी जी शून्य में ही तो हैं..

और मुझे लगता है "शून्य में ही रहेंगे"..
और निःशब्द रहते ही अपने चिरपरिचित अंदाज़ में बकवासते रहेंगे..

क्योंकि अफ़सोस !!.. अब तो "राजधर्म" क्या होता है बताने वाला भी नहीं रहा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// तब अटलजी खामोश रह गए थे.. अब आडवाणीजी सीलबंद खामोश !!.. .. काश !!.. ..//


वृहद हिन्दुस्तान जैसे विविधता प्रधान देश के नेता के रूप में शायद अटलजी जैसा राजनेता ही एक महान नेता होने की पदवी का हक़दार हो सकता है.. और अटलजी ने महान नेता होने का सदैव भरपूर परिचय भी दिया..

पर जब लालकृष्ण आडवाणी रामरथ यात्रा निकाल रहे थे तब शायद अटलजी ने अपने राजनैतिक कौशल एवं आत्मा की आवाज़ के अनुरूप उस यात्रा को अपनी सहमति या अपना खुला समर्थन नहीं दिया था एवं अपने आपको उस यात्रा से पृथक ही रखा था..

पर अंततः वो खामोश तो थे ही.. और शायद अटलजी के जैसे कद्दावर राजनेता के लिए मैं पूरी श्रद्धा और माफ़ी के साथ उनकी इस ख़ामोशी को और उस यात्रा का खुला अटल विरोध नहीं करने को भूल या गलती निरूपित करूंगा..

और उस यात्रा के परिणामों के रूप में जब बाबरी मस्जिद विंध्वंस और उसके बाद २००२ के दंगे हुए तब भी तो अटलजी केवल "राजधर्म" की बात बोल कर्तव्यविमूढ़ हो खामोश ही तो रह गए थे.. जिसे भी तो उनकी भूल और गलती ही निरूपित करना होगा..

और आज एक बार फिर गौरतलब है कि.. आज जब अटलजी की पार्टी का ही एक नेता नरेंद्र मोदी उनके ही पद के समकक्ष पहुँच और उन्हें अपना गुरु और पितातुल्य संरक्षक और मार्गदर्शक मानते हुए भी वो तमाम गलतियां या अनुचित काम कर रहा है जो अटलजी के द्वारा स्थापित मापदंडों या मार्गदर्शन के या फिर उसी "राजधर्म" के अनुरूप कदापि नहीं ठहराए जा सकते.. तो आज मार्गदर्शक मंडल में पटक दिए गए एक और कद्दावर राजनेता आडवाणीजी खामोश हैं.. सीलबंद खामोश !!..

और मैं सोच रहा हूँ कि यदि तब अटलजी आडवाणीजी या मोदीजी के क्रियाकलापों पर खामोश ना रहते - और अब आडवाणीजी मोदीजी के क्रियाकलापों पर इस कदर सीलबंद खामोश नहीं रहते - तो क्या होता ??..

या फिर यदि आज भी आडवाणीजी उसी "राजधर्म" का पालन करते हुए अपनी अनअपेक्षित चुप्पी तोड़ दें तो क्या होगा ??.. काश !!..

काश !!.. यदि आडवाणीजी चुप्पी तोड़ दें तो अटलजी जैसा कुछ सम्मान पा जाएंगे.. और ऐसा कर गुजरना उनकी अटलजी के प्रति एक श्रद्धांजलि भी हो जाएगी.. और देश को मोदीजी से मुक्ति दिलाने में एक छोटा सा योगदान भी.. ऐसा मुझे लगता है !!..

स्वर्गीय अटलजी को मेरी श्रद्धांजलि के साथ समर्पित !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Thursday 16 August 2018

और आज अटलजी रुख़सत हो लिए..


क्योंकि दीनदयाल जी का जन्म २५ सितम्बर को हुआ था..


// आओ सब मिलकर 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' और संविधान की प्रति फाड़ने वालों को निपटाएं.. //


आज तक बिना किसी वांछित ठोस सफलता या परिणाम प्राप्त किए 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' का घोर विरोध कर खपने वाले हताश देशभक्तों में ऊर्जा और जोश भरने हेतु - मिलिट्री के टैंक के दर्शन करवाने - और गोदी मीडिया के कुछ चुनिंदा चैनलों पर हुई देशभक्ति से ओतप्रोत बहस की रिकॉर्डिंग सुनवाने के लिए - मैं जोशपूर्ण मांग एवं आग्रह करता हूँ !!..

क्योंकि देश के संविधान की प्रति को फाड़ा गया है और अभी तक उतनी आवाज़ उठी नहीं है जितनी पूर्व में 'टुकड़े-टुकड़े' नारे लगाने वालों के विरुद्ध उठ खड़ी हुई थी..

और मैं तो बेसब्र हूँ बेचैन हूँ व्यथित हूँ व्याकुल हूँ और गुस्से में भी हूँ..
और इसलिए मैं तो कहता हूँ कि जिसने भी संविधान की प्रति फाड़ने की हिमाकत की है उसे तो 'टुकड़े-टुकड़े' वाले पूरे गैंग के साथ निपटा कर सबकी ख़ाक ज्वलनशील गैस युक्त गंदे नाले में गर्क कर देनी चाहिए..

क्यों भक्तों !!.. कैसी कही ??.. आज तो हमसे सहमत हुई कि नाहीं.. ..

तो फिर हो जाए ??..
बताओ तो वो 'टुकड़े-टुकड़े गैंग' वाले कितने थे और कहाँ गए और कहाँ हैं ??..
आओ सब मिलकर सबको मिलाकर निपटाते हैं.. हाँ नहीं तो !!..

भारत माता की जय !!.. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Wednesday 15 August 2018

// गधे पर पट्टे पेंट कर ज़ेबरा तो बना लोगे.. पर गाय या शेर तो नहीं बना सकोगे ना !!..//


स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मेरा एक स्वतंत्र विश्लेषण !!.. ..

पूरा मीडिया नतमस्तक हो चुका है.. सत्तापक्ष की गोदी में जा बैठा है.. और इशारों पर नाच रहा है.. बल्कि उन्मुक्त शानदार वीभत्स दर्शनीय कैबरे तक कर रहा है..

और गौरतलब है कि.. पूरा गोदी मीडिया जनता के सरोकार की कोई भी बात नहीं कर रहा है.. मसलन गरीबी भुखमरी कानून-व्यवस्था गुंडागर्दी या फिर स्वास्थ्य शिक्षा विकास आदि पर कोई बात नहीं हो रही है.. और यहां तक कि पाकिस्तान कश्मीर भ्रष्टाचार वादाखिलाफ़ी और नाकामियों जैसे विषयों पर तो कोई चपड़ू चूँ भी नहीं कर पा रहा है..

पर क्या आपने गौर किया कि आखिर बातें हो क्या रही हैं .. बातें हो रही हैं - हिन्दू-मुसलमान पर - विभिन्न चुनावों पर - विभिन्न घटनाओं दुर्घटनाओं पर - इतिहास पर - राजनीति पर - टुच्चों के बयानों पर - कावड़ियों के कबाड़ों पर - बाढ़ पर - विपक्ष की कमज़ोरियों पर - विपक्ष की लाचारियों पर - हड़तालों पर - पिछले सत्तर साल के सियाप्पे पर.. और थोड़ी बहुत छनी-छनाई तोड़ी-मरोड़ी बातें हो रही हैं - सीमाओं पर घटित गतिविधियों पर - और देश में हो रहे थोकबंद वीभत्स बलात्कारों या नियोजित भीड़ों के द्वारा की जा रही हत्याओं पर.. आदि !!..

और उपरोक्त तथ्य ये इंगित करते हैं कि सत्तापक्ष के द्वारा डरा-धमका कर या खरीद कर गोदी में बैठा ली गई मीडिया के पास भी सत्तापक्ष के पक्ष में बताने के लिए कुछ भी ठोस या महत्वपूर्ण नहीं है.. और इसका कारण है कि मोदी ने अभी तक कुछ ऐसा विशेष किया ही नहीं है जिसका अकाट्य बखान किया जा सके..

और ये बात तब और सिद्ध हो गई जब आज १५ अगस्त के दिन लाल किले की प्राचीर से ८२ मिनिट के भाषण में मोदी ज्यादातर लफ़्फ़ाज़ी करते नए वादे पेलते और पुरानी सरकारों को कोसते नज़र आए.. और अपने किये पर बढ़चढ़ कर बोलने के अथक प्रयास के बावजूद भी कुछ विशेष बोल ही नहीं पाए.. और इसलिए मुझे वो वाकई चुके खपे बेआबरू जैसे ही नज़र आए..

और देख लीजिएगा कि उनके इस भाषण पर भी गोदी मीडिया बहुत टेके और पैबंद लगाने के प्रयास करेगा.. पर निश्चित ही मोदी को सफल या अच्छा या कुशल या समझदार या ईमानदार सिद्ध करने में सफल नहीं हो सकेगा..

क्योंकि मेरा ऐसा मानना है कि ज़ू के गधे के बदन पर पट्टे पेंट कर आप उसको ज़ेबरा तो बना सकते हो.. पर किसी गधे को कुछ भी करके और कुछतो भी करके एक उपयोगी गाय या फिर बहादुर ताकतवर शेर तो नहीं बना सकते हो.. क्योंकि आखिर आप कुछ भी कर लो - गधा तो गधा ही रहेगा..

और हाँ गंदी नाली की गैस से आप ज्यादा से ज्यादा पकोड़े ही तल लोगे ना.. रॉफेल विमान तो नहीं उड़ा सकोगे ना.. राफेल तो तुमको ही उड़ा देगा ना.. .. और फिर गंदी नाली के कीड़े तो मरने के लिए नाले में ही रह जाएंगे ना - कोई गैस के साथ उड़ पकोड़े तो नहीं खा सकेंगे ना.. समझे !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

// आखरी भाषण निपट गया.. अगला स्वतंत्रता दिवस बेहतर हो इस हेतु शुभकामनाएं !!..//


मैने आज मोदी का भाषण सुन लिया..
शायद इसलिए कि ये उनका आखरी भाषण था..

भाषण सुन मैं दावे से कह सकता हूँ कि भक्त ख़ुशी का इज़हार करेंगे.. क्योंकि भाषण बिना दिमाग वालों को खुश करने लायक तो था ही.. 

और चिंतित भी हुआ कि यदि मोदी ने ९०००० करोड़ की दलाली को रोका तो फिर मोदी ने एक भी दलाल पकड़ा क्यों नहीं - जेल क्यों नहीं भेजा.. क्योंकि भक्त ही तो दलाल हैं और दलाल ही तो भक्त हैं.. और शायद मोदी चौकीदार नहीं भागीदार ही हैं.. है ना !!.. 

और अंततः मैं संतुष्ट हुआ कि मोदी का आखरी भाषण निपट गया..

और इसी कारण आप सबको दिल दिमाग से स्वतंत्रता दिवस की बधाई एवं अगला स्वतंत्रता दिवस बेहतर हो इस हेतु शुभकामनाएं !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Friday 3 August 2018

// NRC मुद्दे पर सरफुटव्वल उधेड़बुन के बीच.. राजनाथ का उधेड़ने योग्य बयान ..//


NRC मुद्दा भी क्या उछला है.. और क्या उछाला गया है.. गजब ही है..

अब ये यूँ इसलिए भी हुआ है कि ये मुद्दा उलझाने के लिए बहुत ही अनुकूल और उलझने के लिए बहुत ही सरल सपाट है..
क्योंकि इस मुद्दे के मोटे-मोटे दो वाजिब से दृढीकोण हैं..

एक दृष्टिकोण है कि - तमाम घुसपैठियों को देश में मत रहने दो.. और ये दृष्टिकोण है राष्ट्रहित में सोचने वालों का.. और क्योंकि ये राष्ट्रहित में सोचने वालों का व्यवहार इतना उद्दंडी हो चला है कि फिर वो आगे पीछे किसी भी प्रकार की विवेचना करने या सुनने के लायक नहीं रह जाते.. और इसलिए ऐसे घुसपैठियों का क्या करें ?? क्या इनका अचार डालें ?? इस बात पर कोई 'दृष्टि' नहीं डालता और ना ही कोई 'कोण' बताता है.. बस उनका तो एक ही कहना है कि घुसपैठिये इस देश में क्यूँ ????.. और जो राष्ट्रहित की बात करने में निपुण भक्त हैं उनका तो यहां तक का कहना है कि फलां धर्म के घुसपैठिए इस देश में क्यों ????.. भारत माता की जय !!..

और दूसरा दृष्टिकोण है कि - आखिर घुसपैठिए भी हैं तो इंसान ही ना !!.. इसलिए सबसे अव्वल बात तो ये हुई कि आप उसे मार काट भी तो नहीं सकते ना !!.. और उसका दुनिया के किसी अन्य देश में प्रत्यर्पण भी तो कोई आसान नहीं ना - क्योंकि फिर उस देश में भी तो उस राष्ट्र के राष्ट्रवादी होंगे ही - जिनका कहना इतना ही तो सरल और सपाट होगा कि ये भारत की भेगत हमारे यहां क्यों ??.. और यदि ये भी स्पष्ट हो जाए कि ये भेगत भारत की नहीं बल्कि मूलतः उनके ही देश की है तो फिर प्रश्न उठेगा कि वो उस देश से निकले निकाले ही क्यों गए थे.. यानि फिर दुष्चक्र शुरू.. इधर उधर के राष्ट्रवादियों का अंतहीन दुष्चक्र - है ना !!..

अब यदि मान लो कि आप इंसानियत को राष्ट्र पर तरजीह दे दें - तो फिर क्या इंसानियत के नाम पर सारी भेगत पाल लें ?? भेगत पालने का ठेका हम ही पालें ?? और जिनकी भेगत है वो बैठे ठाले मजे लेते रहें ??.. क्या ऐसा राष्ट्रहित में हो सकता है ??.. नहीं ना !!..

और यदि राष्ट्र को इंसानियत पर तरजीह दे दें - तो क्या राष्ट्रहित में इंसानियत को दरकिनार कर वहशी हो जाएं ????..

यानि कुल मिलकर बात यूँ हुई कि एक तरफ खाई और दूसरी तरफ भी खाई.. और गड्ढा इधर का भी और उधर का भी खतरनाक जो खाई के मुहाने पर मौजूद.. तो किया क्या जाए ????..

बस इसी उधेड़बुन में था कि मुझे अंतरिम निष्कर्ष पर पहुँचते हुए एक बार फिर उधेड़ने का मौका मिल गया.. और मेरा अंतरिम निष्कर्ष ये निकला है कि इस मुद्दे पर इस मोदी सरकार के हर पहलू और पक्ष का विरोध किया जाए !!..

और वो इसलिए कि अभी-अभी होनीहार गृहमंत्री राजनाथ ने NRC के मुद्दे पर राज्यसभा में कहा है कि.. NRC को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है.. अभी यह फाइनल लिस्ट नहीं है.. कुछ लोग इसे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.. गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं.. ..

यानि इतनी घातक देर से ऐसा टुच्चा बयान.. कि सौहार्द बिगड़ता रहा - अक्लमंद अक्लफुटव्वल करते रहे और भक्त राष्ट्रहित के नाम का परचम फहराते रहे.. देश जलता लड़ता उलझता कुढ़ता परेशान होता रहा - और सरकार बेवकूफों जैसे एक लिस्ट निकाल कर सो गई जो फाइनल ही नहीं थी ????

यानि सरकार है बेवकूफ गैरजवाबदार गैरजिम्मेदार और राष्ट्र और इंसानियत विरोधी भी.. और इसलिए ये सरकार कुछ अच्छा करेगी - या इस सरकार से कुछ जाने अनजाने अच्छा हो जाएगा - ऐसी कोई संभावनाएं बनती ही नहीं.. शर्तिया !!..

इसलिए जब तक बेवकूफ लोग फाइनल लिस्ट जारी नहीं कर देते तब तक तो इस सरकार के हर निर्णय या पक्ष का विरोध  करना ही श्रेयस्कर होगा !!..

और अंततः मेरी व्यक्तिगत राय इस सरल सपाट मुद्दे पर इंसानियत को तरजीह देते हुए ही होगी.. क्योंकि मेरे लिए राष्ट्र से बढ़कर इंसानियत है.. क्योंकि एक अच्छा राष्ट्र इंसानों से ही तो बनता है .. कोई थोथे राष्ट्रवादियों से थोड़े ही बनता है .. समझे !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl