Friday 30 November 2018

// जनता को अब जीडीपी के आंकड़े समझ आते हैं.. और ये भी कि "चौकीदार चोर है"..//


मोदी या मोदी सरकार की एक शर्मनाक विशेषता देखी गई है कि जिस बात पर भी उसकी उचित आलोचना होती है वो उसे नेहरू-गांधी परिवार या यूपीए या कांग्रेस या फिर विपक्ष पर मढ़ देते हैं.. मसलन यदि आप आज की इमरजेंसी जैसे हालातों पर कुछ कहेंगे तो वो इंदिरा द्वारा लगाई गई इमरजेंसी की बात करने लगेंगे.. या फिर यदि आप आज के दंगों की बात करोगे तो वो सिख विरोधी दंगो पर बोलने लगेंगे.. या फिर यदि आपने राफेल की बात छेड़ दी तो वो पूरे फ़ैल जाएंगे और बोफोर्स और हेराल्ड से लेकर अब तक चर्चा में रहे नेहरू-गांधी परिवार और यूपीए के सारे संभावित झूठे सच्चे सभी घोटाले उद्घृत कर मारेंगे.. और गोदी मीडिया के बेशर्म बिकाऊ एंकर भी मोदी या मोदी सरकार से प्रश्न पूछने के बजाय प्रश्न विपक्ष से ही पूछते-पूछते पीछे ही पड़ जाएंगे..

मतलब ये कि जैसे ही इनकी चोरी पकड़ी जाती है वो गोदी मीडिया की भरपूर मदद से ये प्रयास करने लगते हैं कि चूंकि ऐसी चोरी-चकारी या गलती या धूर्तता तो नेहरू वंशज के नामदारों ने या फिर यूपीए या कॉंग्रेसियों ने भी करी थी - और वो भी ६० साल तक करी थी - इसलिए अब उनसे इतनी जल्दी ४-५ साल में ही कोई प्रश्न ना पूछे जाएं और किसी भी प्रकार की निम्न तुलना नहीं की जाए..

पर इस दौरान बहुत से विषय ऐसे भी आए जिनमें आंकड़ों के सहारे ये तय हो गया था कि मोदी सरकार यूपीए की तुलना में पीछे रह गई.. और ऐसे हो विषयों में एक विषय था - "जीडीपी" - जिसके कारण मोदी सरकार की खूब आलोचना और बदनामी होती रही थी.. और जिसकी काट भक्तों को भी ढूंढें नहीं मिल रही थी.. और संबित पात्रा को भी टेके लगाने में परेशानी होती रही थी..

पर अब ताज़ी ताज़ी घोषणा हुई है "जीडीपी" के बारे में.. वही जीडीपी जो नोटबंदी के बाद यकीनन और शर्तिया लुढ़क गई थी..

जी हाँ खालिस नाकारा वित्तमंत्री द्वारा वित्तमंत्रालय से ही संबंधित घोषणा हुई है कि - खबरदार !!.. अब बहुत हुआ.. कान खोल के सुन लो.. हमारी वाली जीडीपी उनकी वाली जीडीपी से भिन्न है - और हमारी वाली जीडीपी उनकी वाली जीडीपी से ज्यादा थी ज्यादा है और ज्यादा रहेगी !!..

इसलिए सावधान !!.. साहेब के निष्ठावान वित्तमंत्री और दयनीय अर्थव्यवस्था पर प्रश्न उठाने की अब कोई हिमाकत नहीं करे.. और अब आप संबित पात्रा को भी उनकी प्रकृति और विकृति अनुसार सदैव की तरह पूरी अभद्रता के साथ उछलते कूदते चिल्लाते देखने के लिए तैयार रहें..

यानि अब मोदी सरकार का ये प्रयास रहेगा कि कोई भी आमजन महंगाई या बेरोजगारी पर भी उनकी सरकार को दोष ना दे और चुपचाप सब कुछ सहता रहे.. और इसलिए आजका सबसे डरावना प्रश्न खड़ा होता है कि.. फिर गरीब का रोना कौन रोएगा और कौन सुनेगा - और आखिर कब तक ऐसा चलता रहेगा ??..

और मेरा जवाब है.. बस ४-५ महीने और !!..
क्योंकि अब तो जनता भी समझने लगी है कि ये "जीडीपी" क्या होता है या "जीडीपी" से क्या होता है.. और तो और अब तो जनता को ये बात भी जगजाहिर हो चुकी है कि - "चौकीदार चोर है".. और लोगों को ये बात भी समझने आने लगी है कि यदि मोदीराज में महंगाई बेरोजगारी कष्ट और परेशानियां बढ़ी हैं तो वो ना तो नेहरू की वजह से और ना ही किसी अन्य उचित कारणों से.. असल में दोषी तो मोदी ही हैं.. हानिकारक तो मोदी ही हैं !!..

इसलिए भाजपा और भक्तो को एक सलाह !!.. मोदी सरकार द्वारा "जीडीपी" के आंकड़ों में हेराफेरी करने से बात बनने वाली नहीं.. महंगाई पर रोक लगानी होगी - और राफेल के खुलासों के बाद अब चोर को चौकीदारी से तत्काल हटाना ही होगा..
और जनता को हर विषय पर "जी.डी.पी" यानि "जवाब देना पड़ेगा".. समझे !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Wednesday 28 November 2018

// पप्पू यदि सोने का चम्मच लेकर पैदा हुआ था.. तो गप्पू के मुहं में क्या था ??.. ..//


आज तो मुझे बहुत तरसीली हंसी आई.. यानि गप्पू पर तरस के साथ हंसी आई.. 

एक नकारा नकली गप्पू 'कामदार' राजस्थान के नागौर में एक चुनावी सभा में दलील पेल रहा था कि - ये नामदार तो मुहं में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुआ था - ओर ना ही मैं और ना ही आप मुहं में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए - और मैं भी गरीब था आप भी गरीब हो और दुखी हो और पीड़ित हो - इसलिए मैं आपका दुःख-दर्द समझता हूँ - इसलिए आप भाजपा को वोट देना !!..

और मैं हंसा इसलिए कि शायद सदैव दूसरों का उपहास करते रहने वाले 'गप्पू' को इतना इल्म भी नहीं कि चुनावी रैली अभी राजस्थान के विधानसभा के चुनाव के लिए थी - नाकि देश के लोकसभा चुनाव की.. और इसलिए पप्पू या गप्पू अपने मुहं में क्या लेकर पैदा हुए अभी इस बात का तो कोई महत्त्व या विषय ही नहीं है.. और यदि ऐसी ही किसी बकवास का कोई महत्व हो सकता है तो वो तो ये होगा ना कि - वसुंधरा राजे सिंधिया अपने मुहं में क्या लेकर पैदा हुई थी ??..

और यदि मैं मेरे प्रधानमंत्री की बात पर गैरसंजीदा हो विश्वास करूँ तो - मुझे लगता है कि वसुंधरा यकीनन बिना चम्मच के तो पैदा नहीं ही हुई होगी.. और उसके मुहं में भी सोने या फिर कोई अन्य कीमती चम्मच जरूर रहा होगा..

और इसलिए भाइयों और बहनों !!.. और मित्रों !!.. गप्पू अनुसार यह तय होता है कि गरीबी क्या होती है ये या तो गरीबों को मालुम है या खुद गप्पू को.. बाकी वसुंधरा को तो इसका इल्म नहीं होगा.. और इसी कारण ही वसुंधरा ने राजस्थान के गरीबों की वाट लगा दी !!..

मेरा कहने का मतलब ये है कि केवल मैं ही नहीं अब तो मोदी भी राजस्थान में यही बोल रहे हैं कि वसुंधरा ने तो राजस्थान की वाट लगा दी.. इसलिए राजस्थान की जनता को भाजपा को तो भूल कर भी वोट नहीं देना चाहिए !!..
और शायद इसलिए ही राजस्थान में भाजपा बुरी तरह से हारेगी ही !!..

तो ये तो बात हुई राजस्थान के चुनावों की.. पर मैं ये सोच रहा था कि आखिर बाल नरेंद्र मुहं में क्या लेकर पैदा हुआ होगा ??.. और जो मेरी समझ में आया वो ये कि.. आइसक्रीम खाने के उपयोग में आने वाला लकड़ी का वो चपटा चम्मच जिससे यदि दाल सब्जी भी खानी हो या दूध ही पीना हो तो उसे जुबान से चाटना ही पड़ता है.. और चाटना भी बहुत पड़ता है पर पेट नहीं भरता.. और मोदी जी में इस बात के भरपूर लक्षण विध्यमान हैं..

इति चम्मच पुराण !!.. पैदाइशी चमचे भक्तों के बारे में फिर कभी !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Tuesday 27 November 2018

// अभी मोदी के मिमयाने का लुत्फ़ उठा लें.. आगे तो गाली गलौज का मज़ा आएगा..//


बहुत दिन बीत गए.. समय बदल गया.. और पहले जब मोदी अपने आपको गरीब या चायवाला या गाँधी परिवार का सताया हुआ बताते थे - यानि सिम्पथी कार्ड खेलते थे - तो उनका कार्ड चल जाता था..

शायद इसलिए कि तब वो प्रधानमंत्री नहीं थे.. और प्रधानमंत्री बनने की लयबद्ध ताल ठोंक रहे थे - इसलिए उनका रोना-गाना जनता को हजम हो जाता था और असर भी कर जाता था..

पर प्रधानमंत्री बनने के बाद अब जब उनके रंग-ढंग देख सबको यह अच्छे से ज्ञान हो गया है कि मोदी गरीब नहीं बल्कि बेहद अमीर हैं और अमीरों के ही संगी साथी हैं - तब उनका अपने आप को चायवाला या गरीब या गरीब का बेटा कहते रहना लोगों को अखरने लगा है.. और तो और अब तो भक्तों को भी अखरने लगा है कि उनके बेहद रसूक वाले और ५६ इंची का सीना बताने वाले बड़े साहेब यह सब बार-बार बोल-बोल कर फ़ोकट क्यूँ पकाने लगे हैँ ??..

और अभी जब किसी कॉंग्रेसी ने अपनी उचित टिपण्णी में मोदी की माँ का अनावश्यक समावेश कर मारा तो मोदी ने हमेशा की तरह मौके को लपकने का प्रयास किया और चुनावी रैली में भी इसका ज़िक्र दिल से खुश होते हुए और ऊपर से रोते हुए अपने फूहड़ नाटकीय अंदाज़ में कर मारा.. पर इस बार वो परिणाम नहीं मिले जो पूर्व में मिलते थे.. तो इसका कारण क्या ??..

मेरे हिसाब से असहाय द्वारा रोने-धोने या अपना दुःख-दर्द बांटने या किसी को बताने से एक सहानुभूति अर्जित कर लेने में - और सशक्त द्वारा खिसियाने या बच्चों जैसे मिमियाने में बहुत फर्क होता है.. और जब सशक्त भी असहाय जैसे रोने मिमियाने लगे तो उसका असर बहुत उल्टा ही होता है..

और मेरे मत में पहले जब कभी भी मोदी रोते गाते रहे या अपना दुःख-दर्द पेलते रहे तब उनको इसका फायदा भी होता रहा.. पर अब जब से प्रधानमंत्री मोदी बच्चों जैसे या फूहड़ तरीके से मिमियाने लगे हैँ तब से जनता को लगने लगा है कि जो खुद इतना सामर्थ्यवान होकर भी मिमिया रहा है वो रोतला नौटंकीबाज़ किस काम का ??..

और तो और जो अपनी माँ के ज़िक्र पर या बाप के ज़िक्र पर या नीच शब्द पर इतना मिमिया रहा है वो एक कॉंग्रेसी "पप्पू" द्वारा बार-बार "चोर" कहने पर चुप है.. उसके मुहं से एक बार विलाप नहीं सुना कि उन्हें बहुत पीड़ा हुई कि कोई उन्हें खुलेआम "चोर" कह रहा है जबकि उन्होंने चोरी करी ही नहीं ??..

तो इसका निष्कर्ष तो यही निकलता है कि - क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वायदे पूरे नहीं किए और कुछ ठोस या अच्छा कार्य भी नहीं किया - बल्कि बिना रेनकोट पहने हमाम में घुस गए और पूरे गीले हो गए और चोरी पकड़ी गई - इसलिए बेचारे मिमियाने के अलावा अब कर भी क्या सकते थे.. सो मिमिया ही रहे हैँ..

और मुझे लगता है कि २०१९ आने तक वो मिमियाना भी बंद कर देंगे और आक्रामक हो गाली गलौज पर ही उतर आएँगे.. क्योंकि शायद तब तक उनके पास इसके अलावा भी कोई चारा नहीं बचेगा..

इसलिए मेरा सोचना है कि जिस किसी को मोदी के रोने-धोने मिमियाने की नाटक-नौटंकी का लुत्फ़ उठाना हो वो अभी उठा ले.. बाद में तो गुस्साहट छटपटाहट में गाली गलौज सुनने का एक अलग ही मज़ा आने वाला है..

तो इंतज़ार करते रहिये - खुश रहिए और हँसते रहिए.. हा !! हा !! हा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Monday 26 November 2018

// अब रामजी के सौजन्य से ही सही - मोदी से मुक्ति मिलना तो तय ही लग रहा है !!.. ..//


मध्य प्रदेश और राजस्थान में आगामी २८ तारीख और ७ दिसंबर को होने वाले मतदान के ठीक पहले अयोध्या में २४-२५ तारीख को होने वाली पूर्व घोषित नाटक नौटंकी अति फूहड़ता के साथ और देश को अनावश्यक रूप से करोड़ों का चूना लगा निपट गई !!..

और एक बार फिर २५ तारीख को भी देश को बता दिया गया कि ढाक के तीन पात ही होते हैं.. और मंदिर कब बनेगा इसकी तारीख नहीं बताई जाएगी !!..

तो फिर मुझे समझ नहीं आया कि ये सत्ता में बैठे सशक्त माने जाने वाले लोग जो देश में ५० साल तक राज करने का हास्यास्पद दावा ठोंक रहे हैं आखिर लाखों की संख्या में अयोध्या में जमावड़ा क्यों करवाए थे.. और जमावड़े के पहले विवादित और उकसाऊ भड़काऊ बयानबाज़ी क्यों कर रहे थे और करवा रहे थे ??..

और थोड़ा सा ही सोचने के बाद मुझे समझ पड़ी कि पागल और भोले लोगों का क्या भरोसा - वो तो कभी भी कुछ तो भी कर ही सकते हैं.. इसलिए राम-राम करते हुए हो लिए इकट्ठे..

पर फिर मुझे एहसास हुआ कि जो इकट्ठे हुए वो तो पागल या भोले हो ही सकते हैं पर जिन्होनें इकठ्ठा करवाया वो तो पागल नहीं - वो तो शातिर लोग हैं !!.. और इसलिए पड़ताल जरूरी हुई कि आखिर ये राम मंदिर मुद्दे को इस समय इस तरह योजनाबद्ध तरीके से उचकाने का क्या उद्देश्य हो सकता था..
और जो मेरी समझ में आया वो निम्नानुसार है..

अब तो जग जाहिर हो चुका है कि जो अपनी माँ के नाम पर की गई टिपण्णी को भी अपनी राजनीति करने का जरिया बना रहा है - और राफेल नोटबंदी रूपए की कीमत तेल के भाव बेरोजगारी आदि अन्य मुद्दों पर कन्नी काट रहा है.. और जिसे "चौकीदार चोर है" नारे का कोई तोड़ सूझ ही नहीं पड़ रहा है - वो हार रहा है - और सही बोले तो निपट रहा है !!..

और इसलिए अब पार्टी और संघ भी चिंतित हो चले हैं.. क्योंकि मोदी की हार के बाद लगे झटके से पार्टी और संघ को भी लगने वाले झटकों से उबार पाना टेढ़ी खीर ही साबित होगा.. और हो तो यहाँ तक सकता है कि अगले ५० साल तक भी सत्ता हथियाना असंभव हो जाए - क्योंकि वैसे भी इस चुनाव के बाद केजरीवाल की केंद्र में एंट्री हो ही जाएगी !!..

और शायद इसलिए एक बार फिर राम का सहारा ले मोदी पर यह आक्षेप मढ़ते हुए कि उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए कुछ नहीं किया - मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया जाए और फिर स्टाइल से मोदी को पृथक कर दिया जाए.. और अब आगामी चुनाव में किसी अन्य भाजपाई का नाम आगे कर वोट मांगे जाएं..

और फिर शायद मोदी मुंडी उठा ये कहते रहें कि क्योंकि मामला न्यायलय में था इसलिए उनके द्वारा "राजधर्म" का पालन करने की मजबूरी थी - और कोंग्रेसी सिब्बल की बातों में आकर न्यायालय प्रकरण में देरी कर रहा था - इसलिए वो चाहकर भी मंदिर निर्माण हेतु कुछ ना कर सके..
और भाजपा और संघ और भक्त और अंधभक्त देश के हिन्दुओं के सामने यह परोस सकें कि देखो राम के आगे तो मोदी तक की कुर्बानी दे दी गई है.. इसलिए इस बार भी हर हिन्दू द्वारा वोट भाजपा को ही दिया जाए.. और इस बार पुनः जीतने पर मंदिर निर्माण की तारिख भी बता दी जाएगी..

और इसलिए मैं अति प्रसन्न हूँ - और रामजी का आभारी भी.. क्योंकि अब जो कुछ भी होगा होता रहे.. पर देश को रामजी के सौजन्य से ही सही - मोदी से मुक्ति मिलना तो तय ही लग रहा है.. .. जय श्रीराम !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Sunday 25 November 2018

// मामा तू अब डूबेगा - मोदी ले के डूबेगा !!.. ..//


और अंततः मध्यप्रदेश के चुनावों का प्रचार प्रसार और लोगों को बहलाने और बेवकूफ बनाने के समस्त प्रचलित प्रयोग उपक्रम बयानबाज़ी लफ़्फ़ाज़ी कोशिशें अपने चरम पर पहुँचते हुए समाप्त होने वाली हैं..
और २८ नवम्बर को चूना आयोग के सौजन्य से पारम्परिक अनियमितताओं के साथ मतदान भी संपन्न हो ही जाएगा.. और ११ दिसम्बर को यह भी पता चल ही जाएगा कि बाज़ी किसके हत्थे चढ़ी - सांपनाथ या नागनाथ के ??.. और यह भी कि 'आप' को भी वोट देने की समझदारी कितने लोगों ने बताई !!..

और इस दौरान गौर करने लायक सबसे बड़ी बात तो यह रही कि मोदी थोड़े छिटके से थोड़े थके से थोड़े थूक के चाटे से थोड़े घबराए से थोड़े अनमने से पूरे प्रचार प्रसार में लगभग नदारद रहते हुए अप्रभावी ही रहे.. और जो दो चार रैलियां की भी उसमें भी वो ५६ इंच का दमखम भरते तो दिखे नहीं - पर हाँ कभी इधर पलट कभी उधर पलट खिसियाए हुए तालियां जरूर पीटते दिखे.. और नेहरू परिवार के भूत से ग्रसित भी..
और इस बार लोग हैरान हैं कि मोदी राहुल और उनके परिवार को अहमियत देते हैं या नहीं ??.. और यदि देते हैं तो फिर इतने कपड़े क्यूँ फाड़ते हैं.. और यदि नहीं देते हैं तो फिर उनके बारे में इतनी ढेर सारी बकवास क्यों करते हैं ??.. यानि लगता है बेचारे कन्फ्यूज्ड हैं क्योंकि अब वो फ्यूज्ड हैं.. 

और तो और भक्तों के मुहं से वो 'मोदी-मोदी-मोदी' के फ़ोकट फटकारे भी पुरजोर आवाज़ में निकले ही नहीं.. बेचारे !!..

और इसके इतर पप्पू कुछ छाए रहे और पुरजोर आवाज़ में एक नारा बोलने लगवाने और चिपकवाने में सफल भी हुए.. और यदि उस चुनाव का नारा था " अच्छे दिन - आने वाले हैं " तो इस चुनाव का नारा रहा - " चौकदार - चोर है ".. .. और इसके अलावा इस बार मोदी को कोई नारा सूझ ही नहीं पड़ा और ले दे के 'नामदार' 'कामदार' का नया अप्रभावी टेप ही चलाने का प्रयास करते और ५६ इंच के विपरीत व्यवहार करते हुए मंच पर तालियां पीटते और लम्बी-लम्बी सांसों के साथ सिसकते से ही दिखे..

और विशेष बात ये है कि क्योंकि मोदी निपटे हुए फेल हैं - इसलिए इस बार शिवराज ने समझदारी से सारा भार अपने कंधो पर उठा लिया है.. और इसलिए अब सारा दामोदर शिवराज के कार्य और कारनामों पर आ कर टिक गया है..

और मैं महसूस कर रहा हूँ कि अव्वल तो शिवराज के कारनामे किये गए कार्य पर भारी पड़ रहे हैं और फिर उन्हें इस बार अपनी एंटी इंकम्बैंसी के बजाय मोदी की नकारा इंकम्बैंसी का ज्यादा नुक्सान उठाना पड़ रहा है..

यानि हालात ऐसे हो चले हैं कि जो अब तक तारनहार बने हुए थे वो ही डुबो रहे हैं.. बेचारे शिवराज !!..
और राजस्थान की तर्ज़ पर मध्यप्रदेश के लिए आप कह सकते हैं कि..
" मोदी तेरी खैर नहीं - मामा तुझ से बैर सही ".. ..
या फिर.. ..   
" मामा तू अब डूबेगा - मोदी ले के डूबेगा " .. .. ( क्योंकि मोदी डुबवा रहा है और शिवराज के डूबने का मतलब २०१९ में मोदी भी डूबेगा ).. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Saturday 24 November 2018

// मैं अपने प्रमाणित सुचारू दिल-दिमाग के साथ पुनः आपके बीच आ रहा हूँ !!.. ..//


कोई उसे फेंकू बुलाता रहा कोई गप्पू तो कोई चौकीदार तो कोई चोर तो कोई 'साहेब' भी.. पर जब से वो सत्तासीन हुआ मुझे फूटी आँख नहीं भाया.. क्योंकि मेरे दिमाग ने उसे नाप-तोल लिया था और दिल ने दिमाग की बातों पर ठप्पा लगा दिया था.. और तब से ही मैं मेरे दिमाग की बातें दिल से लिखने लगा था.. और 'साहेब' के प्रखर विरोध में लिखते हुए मेरे दिल को बहुत सुकून और संतोष मिलता रहा..

पर जब कभी भी बेशर्मी बद्तमीज़ी क्रूरता और वहशियाना हरकतों की सीमाएं लांघी गईं मेरा दिल भी विचलित हुए बिना नहीं रहा.. पर जब से मुझे ये भरोसा हो गया था कि अब बुरे दिन जाने वाले हैं मेरा दिल सुकून महसूस करने लगा था..

पर ना जाने क्यों कुछ हफ्ते पहले मेरे उसी दिल में कुछ विचलन सा यूँ ही हो गया - और मैं डॉक्टरों और अस्पतालों के हवाले हो गया.. पर मेरा दिल सही निकला और डॉक्टरों द्वारा कुछ थोड़ा बहुत सहलाने बहलाने से ही दुरुस्त हो चला.. पर इस बीच फेफड़ों ने कुछ नखरा बताया लेकिन फिर वो भी मेरे दिल दिमाग के काबू में आ गए..

और अब तो डॉक्टरों ने भी मुझे ये प्रमाण-पत्र दे दिया है कि अव्वल तो मेरे पास भी एक दिल है - और अब वो भी बिल्कुल ठीक है तंदरुस्त है - और मेरा दिमाग भी ठिकाने ही रहा है..

और इसलिए अब मुंबई में स्वास्थ लाभ लेते हुए मेरा दिल सहजता से अपना काम करने लगा है और दिमाग में बदस्तूर रसद जारी है..

आप सब से कटा-कटा महसूस होने और इसी कारण काफी उदास रहने के बाद अब मैं खुश हूँ - क्योंकि अब मैं फिर से आप सबके बीच में आकर अपने दिमाग की बातें दिल से लिखने के लिए तैयार हूँ.. और शीघ्र ही गर्त में जाते हुए उस सत्तासीन 'साहेब' को एक छोटा सा धक्का मेरी तरफ से भी देने के लिए अपने दिल और दिमाग को तैयार कर रहा हूँ..

यानि मैं शीघ्र ही आप सबका प्यार आशीर्वाद और शुभकामनाएं प्राप्त करने के लिए अपने प्रमाणित सुचारु दिल-दिमाग के साथ पुनः आपके बीच आ रहा हूँ..
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !!.. जय हिन्द !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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