Thursday 31 January 2019

हमें एकता की जरूरत है समानता की नहीं !!..


Tuesday 29 January 2019

// राम मंदिर निर्माण और प्रियंका गांधी को लेकर विवादित मोदी में छटपटाहट.. ..//


अभी-अभी समाचार आया है कि मोदी सरकार उसी सुप्रीम कोर्ट में पहुंची है जिस पर राम मंदिर विवाद में जानबूझकर लेट लतीफी के आरोप लगाए जा रहे थे.. और एक अर्ज़ी दी गई है कि अयोध्या में जो विवादित भूमि है उसे छोड़कर अविवादित भूमि सरकार को सौंप दी जाए..

और कुछ दिन पहले भाजपाइयों ने एक अन्य मुद्दे पर ये भी कहा था कि.. क्योंकि राहुल गाँधी फेल हो गए हैं और उन्होंने अपनी हार स्वीकार कर ली है.. इसलिए अब प्रियंका गांधी को २०१९ चुनाव पूर्व मैदान में उतारा है - जो राहुल और कांग्रेस की हताशा को दर्शाता है..

यदि मैं इन दो जुदा मुद्दों को जोड़ के देखूं तो मेरा भी दावा है कि.. क्योंकि मोदी सरकार ने राम जन्म भूमि को अब "विवादित" मान लिया है और फेल मोदी ने अपनी हार स्वीकार कर ली है.. इसलिए अब सुप्रीम कोर्ट में २०१९ चुनाव पूर्व उपरोक्त अर्ज़ी दी है - जो मोदी और भाजपा की हताशा को दर्शाता है..

वैसे स्पष्ट कर दूँ कि दोनों मुद्दों का आपस में कोई सीधा संबंध नहीं है - और बात केवल इतनी सी है कि.. प्रियंका गांधी मोदी को राजनीतिक चुनौती देने वाली हैं इसलिए मोदी में छटपटाहट है.. और क्योंकि दिए गए वायदे और जुमलों के अनुसार राम मंदिर निर्माण करवाने में मोदी फेल हो गए हैं और जनता द्वारा "पिटाई" की नौबत आन पड़ी है.. इसलिए भी मोदी में छटपटाहट है..

और जनता छटपटा रही है.. अपनी समस्याओं से गरीबी से बेरोजगारी से.. और छटपटा रही है कि कब २०१९ का चुनाव आए.. और कब मोदी जी चौराहे पर आएं.. और कब इस देश में असली मुद्दों पर बात शुरू हो..

और मेरी छटपटाहट अब इसलिए ना के बराबर हो गई है क्योंकि.. मुझे यकीन हो चला है कि २०१९ चुनाव में मंदिर निर्माण मुद्दे का सफलतापूर्वक घालमेल नहीं हो सकेगा - और अब विवादित मोदी का जाना तय है.. पर हाँ अभी काफी कुछ उत्सुकता तो शेष है ही.. इसलिए देशहित में प्रयास भी जारी हैं.. जय हिन्द !!.. ..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Monday 28 January 2019

उफ़्फ़ !!.. चंदा ओ चंदा.. चंदा ओ चंदा.. ..


// यानि बकौल गडकरी.. गडकरी की भी पिटाई होगी ??.. ..//


कल २७/०१/१९ को गडकरी ने कह दिया है कि.. " मार्च २०२० तक गंगा अविरल और निर्मल हो जाएगी "..
और..
१००% टंच एक अच्छी बात और कही है.. .. " सपने दिखाने वाले नेता लोगों को अच्छे लगते हैं - पर दिखाए हुए सपने अगर पूरे नहीं किए तो जनता उनकी पिटाई भी करती है.. इसलिए सपने वही दिखाओ जो पूरे हो सकें !! "..

मतलब गडकरी ने डंके की चोट पर बता दिया है कि..
सपने दिखा पूरे नहीं करने के महारथी मोदी २०१९ में ही पिटकर जाने वाले हैं..

गडकरी का स्वागत.. पर समझाइश भी.. और चेतावनी भी.. ..

इस मुगालते में नहीं रहना कि.. यदि पिछली बार मोदी ने लोगों को सफलतापूर्वक मूर्ख बनाया तो इस बार तुम भी जनता को मूर्ख बना लोगे - क्योंकि इस बार जनता को मूर्ख बनाना उतना ही मुश्किल है जितना गंगा को साफ़ करना..

और गडकरी वो तुम ही थे ना जिसने.. ..
२६/१०/१८ को  कहा था कि.. " मार्च २०१९ तक गंगा बिल्कुल साफ़ हो जाएगी "..
१३/११/१८ को फिर कहा था कि.. " मार्च २०१९ तक गंगा ७०% से ८०% निर्मल हो जाएगी "..
   
इसलिए गडकरी जी आप प्रधानमंत्री बनने का सपना सपने में भी नहीं देखना.. क्योंकि यदि आपकी ही कही बात मानें तो शायद आपकी भी पिटाई होगी.. क्योंकि आपके २०१८ में २०१९ के लिए और २०१९ में २०२० के लिए दिए गए जुमलई आश्वासन आपकी ढोल सहित पोल खोलते हैं.. समझे !!..

और हमेशा की तरह भक्तों को भी एक समझाइश.. मोदी की तरह ये गडकरी के झांसे में नहीं आना.. क्योंकि फ़ोकट बदनाम तो तुम भी होते हो कि नहीं ??.. और वैसे भी ध्यान रहे कि गडकरी की निगाहें मोदी की कुर्सी पर हैं - और सटीक निशाना तो मोदी पर ही है.. राहुल केजरी पर नहीं.. समझे !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Wednesday 23 January 2019

// पप्पू भैय्या के साथ अब बहन प्रियंका भी मैदान में.. मोदी-मनोरंजन अब और बढ़ेगा..//


मोदी जब २०१४ में बकवास करने लगे थे तो निराशा होती थी..
मोदी जब २०१५ में बकवास करते रहे तो आश्चर्य होता था..
मोदी जब २०१६ में भी बकवास करते रहे तो तरस आता था..
मोदी जब २०१७ में भी बकवास करते रहे तो डर लगने लगा था..
मोदी जब २०१८ में भी बकवास करते रहे तो गुस्सा आ ही जाता था..

पर अब जब २०१९ में भी मोदी बकवास ही कर रहे हैं तो बस कुछ मजा सा आने लगा है.. वो क्या है ना कि अब कोई निराशा आश्चर्य तरस डर गुस्से का औचित्य ही नहीं बचा.. इसलिए अब तो बस मनोरंजन की अनुभूति होने लगी है..

और अब जबकि २०१९ के शुरुआत में ही पप्पू की बहन प्रियंका ने भी मैदान में ताल ठोक दी है.. तो पटखनी खाए मोदी की बकवास अपने चरम पर पहुंचना तय ही है..

यानि अब से मई तक आप भरपूर मनोरंजन के लिए तैयार रहें..

और इस दौरान ज़ी टीवी और रिपब्लिक टीवी भी बीच बीच में देखना पुनः बिंदाज शुरू कर दें - और संदीप पात्रा को भी सुनने को मिले तो हँसते हँसते सुन लें.. क्योंकि अब कोई डर नहीं - केवल मनोरंजन की गारंटी मैं देता हूँ..

और हाँ मोदी-मनोरंजन के अलावा वंश को आगे बढ़ाने में अक्षम मोदी जी के मुखारविंद 'वंशवाद' पर भी पूर्ण ज्ञान आपको प्राप्त हो जाएगा - इस बात की भी गारंटी देता हूँ..

मोदी-मनोरंजन की जय हो !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

भक्तों के "फिलिप कोटलरी“ का तो पुरूस्कार भी नकली निकला..


Tuesday 22 January 2019

// गठबंधन के मतभेद रगड़े झगड़े...मोदी विलाप...भक्तों का प्रलाप.. सब जायज़ !!.. //


भक्तों का प्रलाप.. .. ..
गठबंधन मौकापरस्त.. सबका एक उद्देश्य - बस मोदी को हटाओ !!.. गठबंधन का हर नेता प्रधानमंत्री बनना चाहता है.. हर किसी का एक दूसरे से मतभेद रगड़ा झगड़ा !!.. आदि !!..

पहली बार भक्तों से सहमत होते हुए मेरे निष्कर्ष.. .. ..

गठबंधन को मौका हाथ लगा है.. इसलिए सबका एक एका उद्देश्य - "मोदी को हटाओ".. क्योंकि हर नेता को अब लगने लगा है कि योग संयोग से वो प्रधानमंत्री बन सकता है.. और इसलिए सब मोदी को हटाने के लिए एकजुट हो आपस में भी राजनीतिक खोखो खेल रहे हैं.. और हर किसी का एक दूसरे से अंदरूनी मतभेद रगड़ा झगड़ा बदस्तूर जारी है !!..

और मोदी जी हताश हो बेमतलब विलाप करने लगे हैं.. .. ..
ये मारना चाहता है - वो ठोकना चाहता है - ये सब मिलकर मुझे निपटा देने की जुगाड़ में - मैं फ़कीर - मैं बेचारा - मैं तो चायवाला - मैं गरीब - ये एकजुट - मैं अकेला.. पर ये मोदी है..हार मानने वाला नहीं है.. पर मित्रों मुझे बचाओ बचवाओ !!..

और शाह मतलब की बात कह रहे हैं कि यदि २०१९ में हारे ना...तो समझो वाट लग जाएगी - वाट !!..

और उपरोक्त सरल स्वाभाविक अपेक्षित स्थिति इसलिए बन पड़ी है क्योंकि..
गठबंधन के हर नेता को पता है कि अगला प्रधानमंत्री मोदी तो नहीं होगा - और जो भी होगा वो उनमें से ही एक होगा.. और मोदी को पता है कि शाह सही कह रहे हैं.. और शाह को पता है कि वो जीती बाजी हार चुके हैं..

और मुझे ये पता है कि भक्त फोकट में प्रलाप नहीं कर रहे हैं.. उनका प्रलाप जायज़ है.. क्योंकि फटी पड़ी में ऐसा होना स्वाभाविक है..

इसलिए आज कहूंगा.. भक्तों की जय हो !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 21 January 2019

// क्रांतिकारी केजरी राजनीतिक कूटनीति जानते हैं.. और कूटने की नीति भी.. ..//


एक जमावड़ा हुआ विपक्षियों का.. बस फिर क्या था - विपक्षियों के विरोधियों के जमे जमाए धंधे की वाट लगने की नौबत आ गई.. तो रोतलों के अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सरगना "फिलिप कोटलरी" ने भी घोषणा कर मारी कि.. ये जमावड़ा ठगबंधन है !!..

और मैं २०१४ की स्मृतियों में गोता लगा हंसने लगा.. जब बेचारे एक मूक मौन आदमी और एक पप्पू और एक विधवा के खिलाफ पूरे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की ४२ टोलियां एक ५६ इंची सेनापति वजीर राजा के नेतृत्व में एकजुट हो रणक्षेत्र में सर पर कफ़न बाँध कूद गई थीं.. और फिर राजसी सेनापति सत्तासीन हो गए थे.. और तब से मजे करते हुए फेंकते फांकते ठगी की जुगाली करने लगे थे.. 

और सत्तासीन होते ही महाठग सेनापति अश्मेघ के घोड़े पर संवार सरपट दौड़ते हुए जीत पर जीत हासिल करना शुर कर दिए थे.. पर इस अश्वमेघ के घोड़े को केवल एक साल बाद २०१५ में ही एक क्रांतिकारी ने टोका फिर रोका फिर ठोका और चलता किया था.. और कई टुच्चों द्वारा इस क्रांतिकारी को अनेक नाम दिए गए पर इसका नाम है - केजरीवाल !!.. और प्यार से लोग इसे "केजरी" भी बुलाते हैं !!..

और अभी लगे २५ पार्टियों के विपक्षी जमावड़े में जैसे ही केजरी की खुल्ली शिरकत हो गई.. कई लोगों की सुलग गई..
और सुलगी में दबी जुबान प्रश्नों की फुसफुसाहट सी शुरू हो गई.. और पूछा गया है कि.. केजरीवाल पंवार के साथ ??.. या फिर मायावती या लालू के साथ ?? सजा याफ्ताओं और बदनाम लोगों के साथ ?? राजनीतिक रूप से भ्रष्ट बकवास लोगों के साथ ??..
पर ऐसे प्रश्नों की फुसफुसाहट के पीछे एक डर भी दिखा - विपक्षी जमावड़े के कारण हार का डर.. और साथ ही इस बात की स्वीकारोक्ति कि केजरीवाल सभी २४ पार्टियों से कुछ भिन्न हैं.. और कुछ विशेष भी..

और केजरीवाल की भिन्नता और विशेषता क्या है मैं बता देता हूँ..

केजरीवाल एक ऐसे क्रांतिकारी हैं जो राजनीति तो जानते ही हैं राजनीति सिखाते भी हैं.. और इसके अलावा कूटनीति भी जानते हैं.. और माशाल्लाह !!..कूटने की गजब नीतियां भी..

और इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि केजरीवाल के विपक्षीय जमावड़े में शामिल होते ही.. विपक्ष के सभी विरोधियों को २०१५ याद आ गया और एहसास करा गया कि ये वही केजरीवाल है जिसने उन्हें ठोका था.. और ये वही है जो घायल थके लंगड़े अश्वमेघ के घोड़े को मोक्ष दिला देगा.. ..

इति.. शुरुआत नए अध्याय की - "केजरी के कूटने की नीति" !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Friday 18 January 2019

// किसी की "खांसी" का मज़ाक उड़ाना चलेगा.. पर "सूअर बुखार" का मज़ाक नहीं ??..//


कर्नाटक क़े एक मंत्री हरिप्रसाद ने शालीनता की सीमाएं लांघते हुए - संस्कारों को तिलांजलि दे चुकी भाजपा क़े अध्यक्ष अमित शाह को हुए स्वाइन फ्लू से - भाजपा द्वारा शायद अत्यंत सभ्यता से कर्नाटक सरकार को गिराने के प्रजातान्त्रिक प्रयासों को - आपस में जोड़ दिया..

और यहाँ तक बकवास पटक मारी कि.. क्योंकि भाजपा अध्यक्ष कर्नाटक में सरकार गिराने की कोशिशें कर रहे थे इसलिए ऐसा हुआ - और यदि अमित शाह ऐसी और कोशिश करेंगे तो उन्हें उल्टी और लूज मोशन भी होगा.. मानों प्रजातंत्र में भाजपा द्वारा सरकारें गिराना कोई गुनाह हो !!.. छी: !!..

और तो और हरिप्रसाद ने 'स्वाइन फ्लू' का हिंदीकरण भी कर मारा.. 'सूअर बुखार' !!..

मेरी प्रतिक्रिया.. ..

किसी भी व्यक्ति की बीमारी का मज़ाक उड़ाना या उस पर तंज़ कसना हम भारतियों क़े संस्कारों में तो था ही नहीं.. हमारे इसमें तो मुहंफट्ट होने के बजाय अंधे को अँधा नहीं कहते हुए सूरदास कहने की शिक्षा दी जाती रही है.. हमारे इसमें तो यदि किसी को बड़ी बीमारी हो जाए या दुर्घटना हो जाए या विपदाएं आन पड़े तो कहते हैं - हे ईश्वर ऐसे बुरे दिन तो दुश्मन को भी ना दिखाना..

पर हमारे संस्कारों की राजनीतिक धज्जियां तब से उड़ना शुरू हुईं जब से केजरीवाल की बीमारी "खांसी" का मज़ाक उड़ाया गया.. और उनके नाम को खांसी और खुजली तक से जोड़ दिया गया.. और कहा गया कि यदि ये सत्य है कि उसे खांसी आती है.. तो फिर मज़ाक तो बनेगा.. और यदि खुजली नहीं भी है तो क्या हुआ.. कुछ तो मन से भी कहा जाएगा..

पर अब जब 'स्वाइन फ्लू' को 'सूअर बुखार' कहा गया तो पहाड़ आसमान में घुस टपक पड़ा.. जबकि 'स्वाइन' का मतलब 'सूअर' ही होता है और 'फ्लू' को 'बुखार' ही कहा जाता है - ये भी अकाट्य सत्य ही तो है !!..

पर अमित शाह क़े लिए हरिप्रसाद का मुहंफट्ट ये कहना कि यदि वो कर्नाटक की सरकार गिराने की और कोशिशें करेंगे तो उन्हें उल्टी और लूज़ मोशन भी होगा - मुझे ठीक या उपयुक्त नहीं भी लगता हो - पर मैं इसका विरोध भी नहीं कर सकता.. क्योंकि मैंने कई भारतीय संस्कारियों को कई घिनौने कृत्य करने वाले टुच्चों क़े लिए यह तक कहते सुना है कि जब ये मरेगा तो इसके तो कीड़े पड़ेंगे - आदि.. और ऐसा सबकुछ भी हमारे संस्कारों का ही हिस्सा है.. और दुआ और बद्दुआ बहुतायत में हमारे यहाँ प्राचीन काल से दी जाती रही हैं.. जिसकी पुष्टि हमारे धर्म ग्रंथों से भी की जा सकती है..

इसलिए मैं चाहूंगा कि हमारे संस्कारों क़े बारे में पुनः मंथन हो - पुनरावलोकन हो.. और हो सके तो इस बात का विशेष ध्यान दिया जाए कि यदि किसी की निंदा भी करनी हो या जायज़ बद्दुआएं भी देनी हों तो सीधे-सीधे मुहंफट्ट दे देना गलत है.. और तो और किसी स्वर्गीय मसलन गांधीजी नेहरूजी के लिए भी मुहंफट्ट बकवास करते रहना भी उतना ही गलत है.. निंदा और बद्दुआएं भी जरा घुमा फिरा कर दी जा सकती हैं.. अन्यथा आप भी मुहंफट्ट हरिप्रसाद या मोदी जैसे ही निंदनीय हो जाएंगे.. समझे ??..

मसलन मुझे ही देखिए.. मैंने अभी तक ना तो सुषमा ना जेटली ना पर्रिकर ना प्रसाद ना सोनिया ना पंवार ना संदीप पात्रा ना अर्नब गोस्वामी और ना ही शाह की बीमारी क़े लिए एक भी शब्द बोला.. और मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यदि मोदी तक भी कभी बीमार पड़े तो भी मैं मुहंफट्ट जैसे एक शब्द भी गलत नहीं बोलूंगा.. क्योंकि मैं तो संस्कारी हूँ ही हूँ.. हूँ ना.. या हुआ ना !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 17 January 2019

// राफेल उड़ ही रहा था कि.. अब "जेम्स बांड" का "कारवां" भी शुरू.. ..//


अभी साहेब के कारनामों का राफेल उड़ ही रहा था कि.. अपने साहेब के "जेम्स बांड" के बेटों के भंडाफोड़ का "कारवाँ" शुरू हुआ है..

और इनकी कारगुजारियों के आगे तो जय और जीजाजी और भाई भी कहीं नहीं लगते..
क्योंकि मामला "राष्ट्रीय सुरक्षा" से जुड़ा है और इसलिए बहुत ही संगीन है..

और मोदी सरकार देशद्रोह का फ़र्ज़ी केस लगाने की जुगाड़ में लगी पड़ी है - यह मक्कार तफ्तीश साबित करने की कोशिश करते हुए कि एक होनहार छात्र ने ३ साल पहले क्या कहा था जो उसने कहा ही नहीं था ..

ये तो कुछ ऐसा ही हुआ कि किसान के खेत आवारा सांड चर गए और आवारा सांडों के साहेब बिना ढक्कन के पिंजरों में रोटी का टुकड़ा डाल चूहे पकड़ने छोड़ने का नाटक करते रहे.. आवारा सांड भी मस्त और चूहे भी फसल के साथ रोटी खा छुट्टे मजे में.. और सांडों के साहेब गौवंश की हत्या रुकवाने के नाम से हल्लागुल्ला और गुंडागर्दी करवाते रहे..

और बेचारे किसान.. साहेब और सांडों और चूहों से परेशान मरते खपते रहे.. आत्महत्या करते रहे !!..

वैसे तो अक्ल के गधों को शर्म आनी चाहिए पर आएगी नहीं.. लेकिन क्या भक्तों को अक्ल आएगी ??..

शायद आएगी !!.. कभी तो आएगी !!..
क्योंकि भक्त तो भक्त हैं - कोई गधे थोड़े ही हैं !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 15 January 2019

// कन्हैया जेल जाएं या प्रधानमंत्री बन जाएं.. पर मोदी से तो पिंड छुड़ाना ही होगा.. ..//


कन्हैया कुमार के विरुद्ध देशद्रोह के आरोपों से लैस चार्जशीट अब जनवरी २०१९ में कोर्ट में प्रस्तुत कर दी गई..
वाकया फरवरी २०१६ का.. किस्सा देश विरोधी नारे लगने का.. स्थान जेएनयू कैंपस राजधानी दिल्ली.. मौजूदगी हज़ारों छात्रों एवं अन्य सुरक्षा कर्मियों की.. रिकॉर्डिंग कई कैमरों में कैद.. सत्ता मोदी सरकार की.. ..

और २०१६ से लेकर अब तक ३ वर्षों में कन्हैया कुमार पूरे देश में घूम-घूम कर आग उगलते रहे.. प्रधानसेवक एवं अन्य सत्ताधारियों एवं उच्च पदासीन लोगों पर फब्तियां कसते रहे चुनौतियां देते रहे उन्हें आरोपित करते रहे - और भाषा की गरिमा बनाए रखते हुए अपमानित भी करते रहे गालियां भी देते रहे..

और सैकड़ों रैलियां करते हुए और अन्य कई प्रतिष्ठित मंचों से बोलते हुए सरकार से अनुत्तरित प्रश्नों की झड़ियाँ लगाते रहे.. और काफी प्रसिद्धि पा एक राष्ट्रीय हीरो के रूप में उभरते रहे.. और इतना उभर गए कि मुझ जैसे कई लोग तो उनमें उज्जवल भारत का भविष्य भी देखने लगे.. क्योंकि कन्हैया में वो सब ज्ञान कला ऊर्जा और क़ाबलियत दिखीं जो निकम्मे नाकारा भ्रष्ट नेतृत्व से सीधे टक्कर ले उसे अपदस्थ कर भविष्य में भारत को कुशल एवं ईमानदार नेतृत्व प्रदान कर सके.. ..

उपरोक्त तथ्यों के मद्देनज़र मेरी प्रतिक्रिया.. प्रकरण में अंतिम निर्णय तो कोर्ट दे देगा.. पर उसके पहले मेरे भी कुछ अंतिम निर्णय निम्नानुसार.. ..

यदि एक देशद्रोही खुलेआम देशद्रोह के कृत्यों को करते हुए कैमरों तक में कैद हो जाए - और फिर सत्तासीन सरकार को खुल्लेआम धता बता एक हस्ती के रूप में विकसित हो प्रख्यात और प्रतिष्ठित भी हो जाए - तो बेशक निर्णीत होता है कि हमारी कानून व्यवस्था और सुरक्षा एजेंसियां और हमारा नेतृत्व अत्यंत नाकारा और निकम्मा है.. और यहां तक कि पाकिस्तान को मुहंतोड़ जवाब देने या देश की आतंरिक और बाहरी सुरक्षा कर पाने में असमर्थ और लचर लाचार भी.. और देश के आत्मसम्मान की रक्षा करने में विफल भी..

इसलिए देशहित में वर्तमान मोदी सरकार से तो पिंड छुड़ाना ही होगा..
फिर भले ही कन्हैया कुमार जेल जाएं या कभी इस देश के प्रधानमंत्री तक बन जाएं !!..

क्रांतिकारी देशभक्तों के जयकारे के साथ.. जय हिन्द !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 14 January 2019

// कीचड़ कमल.. और कचरू !!.. ..//


सत्य घटनाओं पर आधारित कल्पित फिल्म.. 'एक्सीडेंटल कचरू' !!..

जैसे ही कचरू पर कीचड़ फिकना शुरू हुआ.. वैसे ही कचरू ने घबरा खुशनुमा डायलॉग मारा कि.. ..

मुझ पर कीचड जितना फेंकोगे - कमल उतना ही खिलेगा !!..

पर उलटस्थिति क्या बनी.. ..

जब से कचरू कमल पर ही चढ़ बैठा..
और राफेल सीबीआई सीवीसी आरबीआई सुको आदि का काला-पीला कीचड़ कचरू के मुहँ पर लगने चिपकने लगा.. ..
तब से खिलता कमल कचरू के बोझ तले कीचड़ में घुसने लगा !!..

और अब तो कमल दिखना भी बंद हो रहा है.. ..
दिख रहा है तो बस.. कीचड़ में २८ इंची छाती के ऊपर तक घुसा कचरू का कीचड़ से सना मुहँ..

और जैसे जैसे पप्पू अप्पू बच्चे बच्चे द्वारा डूबते कचरू के मुहँ पर लगातार एक के बाद एक कीचड़ के गोले पे गोले दागे जा रहे हैं - स्पष्ट हो रहा है कि.. ..

अंततः कचरू कमल को ले डूबेगा !!..

इति.. सत्य घटनाओं पर आधारित कल्पित फिल्म 'एक्सीडेंटल कचरू' का ट्रेलर..
फिल्म मई २०१९ में एकसाथ पूरे देश के पटल पर रिलीज़ होगी !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Friday 11 January 2019

// कुंभ में हज़ारों करोड़ के खर्चे से मोक्ष संभव नहीं.. और 'चुनावी मोक्ष' भी असंभव !!..//


मेरे भक्तु द्वारा व्हाट्सएप पर आगे बढ़ाए एक प्रचारित प्रसारित वीडिओ अनुसार प्रयागराज में माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने ४००० करोड़ से अधिक राशि का वितरण किया है.. ताकि महाकुम्भ में पहुँचने वाले लाखों श्रद्धालुओं के खाने पीने विसर्जन करने ठहरने सोने सुरक्षा स्वच्छता और स्नान करने आदि की सुचारू व्यवस्थाएं हो सकें.. और तदनुसार श्रद्धालू नियत तिथियों पर स्नान कर मोक्ष प्राप्ति का लाभ ले सकें..

काश गरीबों की मूलभूत आवश्यकताओं और सभी देशवासियों के शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्थाओं हेतु भी कुछ कर दिया होता.. तो शायद मोदी जी स्वयं मोक्ष प्राप्ति के पात्र होते..

या फिर मानना पड़ेगा कि मोदी के लिए ये लाखों श्रद्धालुओं धर्मालुओं के इस प्रकार के सरल मोक्ष प्राप्ति अभियान के लिए किए जा रहे अनाप-शनाप खर्चे असलियत में तो उनके स्वयं के लिए 'चुनावी मोक्ष' प्राप्ति का मुद्दा अधिक है..

और यदि साधू-संतों के "कर्मयोग" वाले उपदेशों पर विश्वास करें तो फिर तो हिन्दुस्तानी नेताओं का मोक्ष हो सके - संभव ही नहीं है.. फिर भले ही वो प्रयागराज में पूरे ४८ दिन चलने वाले अर्धकुम्भ में इसे महाकुम्भ कहकर या मानकर सुबह दोपहर शाम रात्रि में स्नान क्यों ना कर लें.. है ना !!..

और वैसे भी चाणक्य के चचा चाणक्य को समझा गए थे कि किसी पराये के धन से किए गए पुण्य के कार्यों का भी कदापि फल नहीं मिलता - बल्कि पाप ही चढ़ता है.. और ये ४००० करोड़ किसके हैं और मोदी के नहीं है - ये तो सबको पता ही है..

इसलिए भक्तु और भक्तों को व्हाट्सएप फेसबुक के मार्फ़त घर बैठे सीधा सरल ज्ञान देता हूँ कि अव्वल तो मोक्ष संभव नहीं..
और हाँ - ४ साल से अधिक के शासनकाल में किए गए कुकृत्यों के कारण ४ हज़ार करोड़ तो क्या ४ लाख करोड़ भी फूंक दोगे तो भी 'चुनावी मोक्ष' असंभव ही बना रहेगा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 10 January 2019

// तथाकथित आस्था असंवैधानिक हो.. और संविधान सर्वोपरि.. तो क्या करिएगा ??..//


बात की शुरुआत हुई थी इस जुमले से.. "सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीँ बनाएंगे"..
२५ साल बाद अब जुमला हो गया था.. "मंदिर वहीँ बनाएंगे तारीख नहीं बताएंगे"..

क्यों भाई तारीख क्यों नहीं बताते ??.. तो अब नया जुमला.. "मामला कोर्ट में है"..

तो क्या मंदिर निर्माण कोर्ट के निर्णय अनुसार ??.. "अरे नहीं भई !!.. कोर्ट का निर्णय जो भी आए - मंदिर तो वहीँ बनेगा - और भव्य बनेगा - क्योंकि ये १०० करोड़ हिन्दुओं की आस्था का प्रश्न है"..

यानि ये कोर्ट कानून का विषय नहीं ??.. "नहीं - ये तो केवल आस्था का विषय है - कानून का नहीं" ??..

तो फिर अब तक बना क्यों नहीं ?? या बना क्यों नहीं लेते ??.. "क्योंकि मामला कोर्ट में है और कोर्ट तारीख पे तारीख दे रही है और १०० करोड़ हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ कर मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय देने में देर कर रही है"..

मित्रों !!.. मतलब मामला अब यहाँ पर अटक गया है कि.. शातिर शानों को ये समझ ही नहीं पड़ रही कि - कहें क्या ?? जवाब क्या दें ?? टिके कहाँ ?? और टेका क्या लगाएं ??..

मेरी प्रतिक्रिया.. ..

और ये उहापोह की स्थिति इसलिए है क्योंकि.. शातिर शानों के अनुसार बताई जा रही १०० करोड़ हिन्दुओं की तथाकथित आस्था शायद संवैधानिक नहीं है.. और संविधान सर्वोपरि मानना भी तो मजबूरी है.. समझे !!..

इसलिए अब अगली तारीख का इंतज़ार करिए.. और तब तक चाहें तो मंदिर निर्माण की तारीख बता दें या फिर अगली तारीख पर अगली तारीख का इंतज़ार करिएगा..

ठीक वैसे ही जैसे लाखों करोड़ों गरीब न्याय पाने की आशा में कोर्टों के चक्कर लगा-लगा खप मर गए और किसी टुच्चे को इसकी तनिक भी परवाह नहीं रही.. यानि लगता है राम जी की कृपा से गरीबों पर अत्याचार करने वालों से बदले में खिलवाड़ हो रहा है.. और मैं प्रसन्न और संतुष्ट हूँ.. आपकी आप जानें !!.. जय श्री राम !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Tuesday 8 January 2019

// सावधान !!.. आरक्षण के इस हैवान हवन में बहुत आहुतियां भस्म होंगी .. ..//


जब मोदी सरकार के २०१४ में १०० दिन पूरे हुए थे - तब भी वो तमाम आश्वासन से भरे जुमले दिए जाते रहे थे जो ना पूरे हुए थे ना पूरे होने थे ना पूरे होते दिख रहे थे..
और अब ५६ इंची के ५६ महीने के विफल शासनकाल के बाद जब मात्र १०० दिन और बचे हैं तो - भरपूर शैतानी और शातिरता के साथ आर्थिक रूप से कमजोरों के लिए १०% आरक्षण का एक और जुमला पेल दिया गया है..

और मैं बेहिचक कह सकता हूँ कि फेंकू का ये जुमला अब तक का सबसे खतरनाक और हानिकारक जुमला सिद्ध होगा - और वैमनस्य फैलाने और तोड़ने की राजनीति का 'तुरुप का इक्का' भी..

क्योंकि शायद शैतान और शातिर जब - ना तो समझदार हिन्दुओं को और ना ही सभ्य मुसलमानों को - और ना ही कट्टर मंदिर समर्थकों को और ना ही मंदिर निर्माण में रूचि नहीं रखने वाले आस्तिकों और नास्तिकों को भड़काने में सफल हो पाए - तब हताशा में उन्होंने उस बेरोजगार को एक बार फिर भड़काने का प्रयास किया है जो शायद कई प्रकार की सामाजिक और आर्थिक परेशानियों से उलझते हुए भड़कने को आतुर बैठा है..
क्योंकि हर धर्म और जाति का बेरोजगार यही सोच रहा है कि उसके साथ घोर अन्याय हो रहा है.. जबकि वस्तुस्थित तो यही है कि जब रोजगार ही नहीं हैं तो क्या रोजगार के आरक्षण को गौमूत्र लगा के चाटोगे ????..

यानि स्थिति यह निर्मित हुई है कि.. भड़काने वाले बदमाशों ने जाते जाते भड़क जाने को तैयार बैठे मजबूरों को भड़काने का ब्रह्मास्त्र चल दिया है.. शायद इस उम्मीद में कि या तो इस जुमले के सहारे उबर जाएंगे वरना तो वैसे भी डूब ही तो रहे थे..

पर हाँ एक बात बेहिचक यह भी कहूंगा कि इस भद्दे मजाक के बाद देश में एक सार्थक बहस ये भी होगी कि क्या आरक्षण जाति आधारित होना ठीक है या आर्थिक आधार पर ??.. और आर्थिक आधार पर आरक्षण के पक्षधरों को फिर ये भी समझाना होगा कि वर्तमान में लागू जाति आधारित आरक्षण में भी आर्थिक आधारों को लागू करना क्यों नहीं अपरिहार्य होगा ??.. और आखिरकार ये आर्थिक आधार क्या होंगे - क्या ८ लाख रूपए सालाना आय का हास्यास्पद आधार किसी के गले उतरेगा ??.. और फिर शायद बहस इस पर भी होगी कि आरक्षण धार्मिक आधार पर क्यूँ नहीं ??.. ..

यानि कहानी बहुत लम्म्म्म्बी है - और शायद अंतहीन भी.. और शायद ये वो आग है जिसको लगाने वाले बहुत बदमाश हैं और ऐसी लगाईं गई विकराल आग को बुझाने वालों के पास अभी आवश्यक उपकरण या क्षमताएं उपलब्ध नहीं हैं..

इसलिए सावधान !!.. आरक्षण के इस हैवान हवन में बहुत आहुतियां भस्म होंगी..
अब तो शायद श्री राम ही नया अवतार ले कुछ कर पाएं तो जय श्री राम !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Saturday 5 January 2019

// 'फ्रांस्वा की औलादों' से भी तो पूछो.. हमारे 'फन्नेखां' को बेवकूफ क्यों बनाया ??.. ..//


एक परिकल्पना.. .. ..
छोरा था गप्पू टाइप - ना कमाई ना धमाई - निकम्मा नाकार सा - पर लगता स्मार्ट था - बस रोज सज संवर आवारा छैला बन इधर उधर डोलता रहता और हेकड़ी हांकता रहता और गप्पे फांकता रहता - और इसकी टोपी उसके सर और उसकी टोपी इसके सर में निपुण कहीं ना कहीं मुहं मार अपने जेबखर्च का भी इंतज़ाम कर लेता था.. घर वाले उसे प्यार या धिक्कार से 'फन्नेखां' बुलाने लगे थे..
पोता बड़ा हो रहा था - होनहार स्कूल भी जाने लगा था - उसने साईकिल की मांग रखी..
दादा का बाजार जाना हुआ - तो साईकिल के बारे में तफ्तीश कर आए - एक दो दुकानें उन्हें ठीकठाक लगीं उससे भावताव पूछ आए.. और आकर छोरे को पोते के लिए साईकिल खरीद कर लाने को कह दिया..
और फन्नेखां तुरंत बाजार दौड़े और एक साईकिल कसवाने का आर्डर दे आए..
पर जब दादा ने कीमत पूछी तो चकरा गए.. छोरे ने लगभग दो-तीन गुनी कीमत हाँक दी.. दादा परेशान - लगे छोरे को बुरा-भला कहने !!.. पर तभी किसी ने कहा कि पहले जाकर साईकिल दुकान वाले से भी कीमत पूछ के तो आओ - हो सकता है स्टैंड करियर सीटकवर चेनकवर घंटी आदि के पैसे भी अलग से लगे हों - या फिर बेचारे कम अक्ल छोरे को उसने ही बेवकूफ बनाया हो..
पर दादा नहीं गए क्योंकि वे अपने छोरे को भलीभांति जानते थे..

एक तथ्यात्मक सा प्रकरण.. .. ..
हमारे गप्पू टाइप प्रधानसेवक भी विदेश दौड़ गए और होनहार सेना के लिए विमानों का आर्डर तुरत फुरत दे आए .. पर जब ये मालुम पड़ा कि जहाजों की कीमत बहुत ज्यादा तय कर आए तो हल्ला मचा - और सब चोर-चोर चिल्लाने लगे..
पर अब तक भी किसी ने ये विचार तक नहीं किया कि - जहाज बेचने वालों ने बेचारे हमारे प्रधानसेवक को बेवकूफ बनाया हो तो ????..
ऐसा क्यों ??.. कहीं इसलिए तो नहीं कि शायद अब प्रधानसेवक को लोग भलीभांति जान गए हैं ??..

उपरोक्त परिकल्पना और तथ्यात्मक से प्रकरण के मद्देनज़र - हमेशा की तरह मेरा भक्तों के लिए एक सुझाव - वो भी कुछ निष्कर्ष सहित.. ..

कम से कम भक्तों को तो ये टेका लगाना ही चाहिए और सुझाव देना ही चाहिए कि 'फ्रांस्वां की औलादों' से भी तो तफ्तीश होनी चाहिए कि उन्होंने जहाज़ों की कीमत इतनी ज्यादा क्यों लगाईं ??..

या फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचा जाए कि - अब भक्त भी भलीभांति जान गए हैं कि "हमारा 'फन्नेखां' चोर है" !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Wednesday 2 January 2019

// २०१९ की पहली खुशखबर !!.. चूके-चूके मोदी अब चुक गए हैं !! .. ..//


कल मोदी का प्रायोजित इंटरव्यू देखा.. और जैसा कि अंदाज़ था इंटरव्यू सुखद एहसास दे गया.. क्योंकि मोदी ने जितने भी सवालों के जवाब दिए उन जवाबों से ही कई और सवाल उठ खड़े हुए हैं.. और ये तय हुआ कि भले ही सवाल कुछ ठीक ठाक थे - पर जवाब तो घिसे-पिटे बकवास ही थे.. और इसलिए मुझे यकीन हुआ कि चूके-चूके मोदी अब चुक गए हैं.. और अब २०१९ में देश को मोदी से मुक्ति मिलना तय है..

मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि उनके जवाबों से कुछ निष्कर्ष या सवाल जो निकलना शुरू हुए हैं उनमें से कुछ निम्नानुसार हैं..

१) सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान मोदी जी ने सेना के कार्यों में हस्तक्षेप किया.. जो अत्यंत आपत्तिजनक है.. क्योंकि प्रधानमंत्री को अपना काम करना चाहिए और सेना को अपना काम करने देना चाहिए.. जबकि ये भी तय है कि एक चाय बेचने वाले और जनम-जिंदगी राजनीति करने वाले को सेना के ऑपरेशन्स का आवश्यक ज्ञान हो ही नहीं सकता..

२) जो लोग केजरीवाल के बारे में बोलते रहे और उनके कामों में अड़ंगे लगाते रहे कि केजरीवाल को मालुम होना था कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं हैं और मुख्यमंत्री को सीमित अधिकार हैं जबकि एलजी को पूर्ण.. .. तो क्या जब मोदी ने पाकिस्तान के विरुद्ध हेकड़ी झाडी थी तब क्या उन्हें मालुम नहीं था कि "पाकिस्तान एक युद्ध से मानने वाला नहीं है".. ये ज्ञान इन्हें अब ही क्यूँ हुआ और ५६ इंची के साहेब की मिद्द अभी क्यूँ निकल रही है.. अब समाधान के बजाय समस्या क्यों बता रहे हैं ??.. और पाकिस्तान को मुहंतोड़ जवाब देने के आश्वासन का क्या हुआ ??.. एक के बदले १० सर का क्या हुआ ??.. वो लव लेटर की बातों का क्या हुआ ??.. और पहला युद्ध अब तक क्यों नहीं किया ??.. क्या किसी मुहूर्त का इंतज़ार रहा ??..

३) क्या हमारी पूरी न्याय व्यवस्था - सुप्रीम कोर्ट के जज - हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी और उनकी पूरी सरकार - और उनके तमाम वकील आदि - एक कपिल सिब्बल के आगे सरेंडर कर गए ??.. यानि कपिल सिब्बल के आगे कोई नहीं ??.. यानि जिस कपिल सिब्बल को २०१३-१४ में एक विलेन के रूप में देखा गया था - उसकी हैसियत बावजूद मोदी सरकार के ५२ महीने के शासनकाल के बाद भी मोदी से भी कहीं ज्यादा बनी रह गई ??.. और इतनी ज्यादा कि वो अकेले ही राम मंदिर निर्माण मामले में रोड़ा अटकाने में सफल हो गए ??.. यानि 'मोदी मजबूत' भी एक जुमला और 'मोदी मजबूर' एक हकीकत !!.. यानि मोदी "थू-थू" और कपिल असली ५६ इंची ??..

४) जब ५२ महीने बाद भी यही कहा गया है कि विदेशों से कालाधन वापस लाकर रहेंगे और गंगा को साफ़ करके रहेंगे - तो क्या ये तय नहीं हो गया कि फेंकू मजबूर मोदी ने माना कि ना काला धन वापस ला सके हैं ना गंगा साफ़ हुई है !!..

५) जब राफेल के मामले में मोदी ये कह रहे हैं कि आरोप व्यक्तिगत रूप से उन पर तो लगे ही नहीं हैं और आरोप तो सरकार पर लगे हैं - और वो पार्लिआमेंट में पहले ही सारे जवाब दे चुके हैं.. तो ये तो अब तय हो जाता है कि फेंकू मोदी कन्नी काट रहे हैं क्योंकि उनके पास जवाब है ही नहीं.. और "चौकीदार ही चोर" वाली बात में दम है.. 

इसलिए अब २०१९ की पहली खुशखबर दे देता हूँ.. ..
मोदी का अब तक भी "मैं" "मेरा" "मुझे" प्रलाप यही दर्शाता है कि..
चूके-चूके मोदी अब चुक गए हैं !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl