आज मुझे मेरे एक मस्त-मौला खाते-पीते खाऊ मित्र याद आ रहे हैं - जो अनमने मन से उपवास तो रख लेते थे पर जब तब कुछ ना कुछ खा लेते और कहते रहते - अरे यार उपवास टूट गया !! .. और जब भी कढ़ाई में तलती कचौरी दिख जाए तो कण्ट्रोल नहीं कर पाते और उपवास तोड़ देते - और दिन में ऐसे कई बार उपवास तोड़ते रहते थे .... और इसलिए मैं उन्हें कहता था कि आप उपवास रखते ही नहीं फिर उपवास टूटने या तोड़ने का प्रश्न कहाँ ?? .... और उनके द्वारा बहस करने पर मैं तर्क देता कि यदि कोई उपवास रखे और सुबह ९ बजे अन्न खा ले तो तो माना उपवास टूट जाएगा .. पर यदि फिर १० बजे भजिये खा ले - तो क्या फिर उपवास टूट जाएगा ?? .. फिर ११ बजे बिरयानी खा ले - १२ बजे समोसा - तो भी क्या फिर से उपवास टूट जाएगा ?? .... यानि दिन भर खाता रहे तो क्या दिन भर उपवास टूटता रहेगा ?? .... नहीं ना !!!!
और यह सब मुझे आज इसलिए याद आ रहा है कि मैं बहुत समय से देख रहा हूँ हमारे मीडिया की जब तब ब्रेकिंग न्यूज़ बनी ही हुई है कि - "पाकिस्तान ने फिर सीज़फायर उल्लंघन किया" .... कभी यहां कभी वहां ....
और मैं यही सोच रहा था कि क्या जैसे उपवास बार-बार टूट नहीं सकता है क्या सीज़ फायर उल्लंघन भी बार-बार हो सकता है ???? ....
क्या उपयुक्त नहीं होगा कि हम मान लें कि दिन भर खाते रहने का मतलब उपवास टूटना नहीं उपवास रखना नहीं होता .. और इसी तरह जब तब और लगातार गोलीबारी करते रहने को "सीज़फायर उल्लंघन" नहीं माना या कहा जा सकता .... बल्कि इसे शुद्ध "फायरिंग" या "हमला" या "युद्ध" माना जाना उचित होगा ?? ....
और फिर ऐसी "फायरिंग" या "हमले" या "युद्ध" का हमारा वो "मुंहतोड़" जवाब भी तदनुसार तब ही सटीक बन पड़ेगा .. और बार-बार नहीं केवल एक बार मुंह तोड़ के रख देगा .... क्योंकि बार-बार किसी का टूटा मुंह भी तो नहीं टूट सकता ना !!!!
सोचियेगा - मेरे दिमाग की बात ज़रा दिल से सोचियेगा .. जय हिन्द !!!!
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WOW!
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