Thursday 30 April 2015

//// केजरीवाल का "रैली स्थल" - बनाम - "बादल की बस" ....////


मोगा पंजाब की घटना - एक बस में माँ बेटी के साथ बदसलूकी के बाद उन्हें बस से बाहर फेंका - १४ साल की बेटी की मौत - माँ की हालत गंभीर ....

बस पंजाब के मुख्यमंत्री बादल परिवार की ....

पर बादल परिवार का कहना - घटना निंदनीय अमानवीय - पर घटना का उनसे कोई लेना देना नहीं - उनकी कोई जवाबदारी नहीं ....

एक किसान केजरीवाल के "रैली स्थल" पर आत्महत्या कर ले - तो केजरीवाल दोषी ....
पर एक १४ साल की लड़की को "बादल की बस" में बदसलूकी कर बाहर फेंक मौत के घाट उतार दिया जाए तो इसमें मासूम बादल का क्या दोष ????

मित्रो ! मोदी से लेकर इस देश के सभी जाने माने छोटे बड़े नेता केजरीवाल के नाम से ऐसे बिदकने लगे हैं कि जहाँ मौका मिलता है अपनी सारी ज़िन्दगी की राजनीति और शाणपत् उंडेल पिल पड़ते हैं बकवास करने - और बकवास करने की गर्मजोशी में वो ये भी भूल जाते हैं की कल जब उनको स्वयं वही बातों का जवाब देना होगा तो वो क्या करेंगे .... अपना सर किस मैले में घुसेंडेंगे ????

तो मित्रो आज बारी मेरी है - अब उन सब शर्मदारों को और भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को जवाब देना ही होगा कि जब गजेन्द्र हत्याकांड के तुरंत बाद आप रो रो कर व्यथित होकर पानी पानी होकर अपना मुहं सडाए हुए टीवी पर घंटों तक़रीर करते रहे थे तो अब क्या करेंगे - बोलेंगे ? बादल सर हाय !! आपने ऐसा शर्मनाक हादसा क्यों होने दिया ?? .. उस बच्ची का क्या कसूर था ?? .... बनाएंगे वैसा ही गन्दा बिलखता चेहरा .... करेंगे वैसा ही नाटकीय विलाप ????

देखते हैं अब आपके अंदर बैठा राजनीतिक घृणित इंसान क्या करता है .... अब खुलेगी आपके घटियापन की पोल ....

देखते जाएं ये 'केजरीवाल' का भूत इनकी कब-कब और कितनी ऐसी की तैसी करता है ....
केजरीवाल ने बहुत कुछ बदला है .... बहुत कुछ बदल रहा है .... और निश्चित ही बहुत कुछ बदलेगा !!!!

//// उकसावे में कौन - गजेन्द्र या दिल्ली पुलिस ??....////


दिल्ली पुलिस भी गजब की कुशल है - भाई लोगों ने तुरंत पता लगा लिया कि गजेन्द्र ने उकसावे में आकर आत्महत्या करी थी ....

मित्रो मैं बहुत हैरान हूँ कि मनोविज्ञान के जटिलतम प्रसंग को दिल्ली पुलिस ने कैसे चुटकियों में सुलझा लिया है .... जबकि दूर बैठे परिवार वाले और वहां स्थूल रूप से उपस्थित मीडिया कर्मी अभी भी भेरू हैं कि आखिर हुआ क्या था ?? .... गजेन्द्र उकसावे में कब आना शुरू हुआ - क्यों शुरू हुआ ??.... क्या पहले भी वो कभी उकसावे में आया था या आ जाता था - या बस दिल्ली की हवा लगी - केजरीवाल के दर्शन हुए - और बंदा आ गया उकसावे में ?? .... और उकसित बन्दे ने वो कर दिया कि वो मर के भी अमर हो गया - टीवी पर छा गया - आत्महत्या कर के भी शहीद हो गया - किसानों के हितों की वाट लगाकर भी शहीद किसान हो गया .... और मर कर भी परिवारवालों को आर्थिक रूप से संपन्न कर गया !! .... और तो और इस देश की राजनीति को उथल पुथल कर गया - जो लोग किसानों की आत्महत्या के दोषी थे उन्हें हुंकार भरने का मौका दे गया - और जो किसानों की लड़ाई लड़ रहे थे उन्हें मिमियाने के लिए मजबूर कर गया - और जो किसान के विषय को दबाना चाहते थे उन्हें बड़बड़ाने के लिए उकसा गया !!!!

तो मित्रो आप सोच रहे होंगे कि - वाह ! उकसावे में भी क्या जबरदस्त दम है !! .. उकसाने से भी बहुत कुछ हो सकता है !! .... पर मित्रो मैं दावे से कह सकता हूँ कि ऐसा हमेशा नहीं होता ....

और मैं दावा इसलिय कर रहा हूँ कि लगभग ९-१० महीने हो गए मैं देश हित में कब से मोदी जी को उकसा रहा हूँ कि वो इस्तीफ़ा दे दें .... पर मोदी जी कोई बेवकूफ तो हैं नहीं जो मेरे उकसावे में आ जाएं .... वो तो बहुत समझदार हैं .... हैं ना !!!!

इसलिए मित्रो मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ कि - गजेन्द्र एक समझदार व्यक्ति नहीं था .... और इसलिए मैं सोचता हूँ कि उसकी मौत का मुख्य कारण या तो उसकी मूर्खता थी या वो हालात जो 'समझदारों' द्वारा निर्मित किये गए थे उसके 'उकसने'  के लिए ....

और हाँ मैं इस निष्कर्ष पर भी पहुंचा हूँ कि दिल्ली पुलिस भी शायद किसी उकसावे में आकर ही तो काम कर रही है - अजब गजब की दक्षता के साथ "उकसाने की थ्योरी" पर ????

Wednesday 29 April 2015

//// दिल्ली के कानून मंत्री तोमर का इस्तीफ़ा होना ही चाहिए ....////


कानून मंत्री की डिग्री नकली होने के आरोप भले ही सिद्ध न हुए हों पर इतना तो है कि अब सही प्रतीत होने लगे हैं या कम से कम सही होने की आशंका ज्यादा प्रतीत होने लगी है ....

और ऐसा इसलिए कि विश्वविद्यालय ने कोर्ट में हलफनामा दे दिया है कि तोमर द्वारा प्रस्तुत डिग्री विश्वविद्यालय के अभिलेखों के अनुसार सही नहीं है ....

पर हर आरोपी कि तरह तोमर कह रहे हैं - कि वे सच्चे और सही - आरोप भाजपा की साज़िश - वे कोर्ट में सिद्ध कर देंगें कि उनकी डिग्री सही है ....

पर मेरा स्पष्ट कहना है कि तोमर का यह बचाव कदापि संतोषप्रद नहीं है ....
और ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि .... मसलन जब मैं जानता हूँ कि मैंने इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करी है - और मान लीजिये कि ऐसी ही स्थिति मेरे विरुद्ध निर्मित होती तो मैं क्या करता ? .. मैं जनता के सामने केवल छाती ठोंक कर इतना मात्र नहीं कहता कि मेरी डिग्री असली है - पर साथ ही मैं स्वमेव अनेक साक्ष्य भी समक्ष में रख देता - जैसे मैं कहता की फलां फलां मेरे साथ पढ़े - ये रही मेरी मार्कशीट्स - ये है मेरा एडमिशन कार्ड - ये मेरा आइडेंटिटी कार्ड - ये मेरा रोल नंबर - मैं फलां जगह रहता था - मैं फलां हॉस्टल में रहता था - आदि !!!! और यदि मैं पीड़ित और सक्षम होता तो शायद झूठा आरोप लगाने वाले को न्याय के कटघरे में भी खड़ा कर देता !!!!

पर क्योंकि ऐसा नहीं हुआ है - मुझे लगता है जीतेन्द्र तोमर झूठ बोल रहे है ....
और इसलिए बिना कोर्ट के निर्णय का इंतज़ार किए तोमर को इस्तीफ़ा देना चाहिए - और बेहतर होगा  केजरीवाल को उनका इस्तीफ़ा लेना ही चाहिए ....

अब ये तो बात हुई तोमर की - पर इस प्रकरण से एक और वृहद पहलू की ओर भी ध्यान जाता है - इस देश में फर्जी डिग्री के दुरपयोग का ये एकमात्र मामला तो है नहीं - और मेरे अनुमान से इसमें के लाखों प्रकरण होंगे - तो क्या एक बार नौकरी में लगे और देश पर राज कर रहे सभी नेताओं की एक योजनाबद्ध तरीके से जांच नहीं होनी चाहिए ???? होनी तो चाहिए पर होगी नहीं ....

तो अभी तो बस यहीं तक कि 'आप' पार्टी वाले 'केजरीवाल के मंत्री' तोमर का इस्तीफ़ा हो !!!!

Tuesday 28 April 2015

//// 'पप्पू' बड़े हुए - मोदी 'मुन्ना' हुए ....////


राहुल गांधी को अब आप 'पप्पू' ना ही कहें तो बेहतर .... विगत दिनों में उन्होंने जो कुछ किया है और कहा है - निश्चित ही काबिले तारीफ है ....

पर आज तो मज़ा ही आ गया .... राहुल बिना किसी पूर्व घोषणा के ट्रेन से पंजाब रवाना हो गए .... किसानों के हाल जानने .... जब रिपोर्टर्स पहुंचे तो बहुत ही सहजता से उनके सटीक जवाब दिए ....

और जब रिपोर्टर्स ने ये पूछ मारा कि - बीजेपी तो आपके इस दौरे को राजनीति बता रही है .... तो राहुल ने वो जवाब दिया - वो जवाब दिया - कि मेरे सामने संबित पात्रा का गजेन्द्र की मौत पर रोता खिसियाता हुआ वो चेहरा एक बार फिर सामने आ गया ....

लाजवाब जवाब था - // तो क्या बीजेपी चाहती है मैं राजनीति नहीं करूँ ? //

मुझे यकीन हो रहा है कि क्योंकि अब राहुल बड़े हो गए हैं 'पप्पू' नहीं रहे - मुझे मोदी 'मुन्ना' लगने लगे हैं - बेचारे मुन्ना - मुन्ना मोदी !!!!

'मुन्ना' इसलिए - कि जो बड़ा बच्चा अपनी बघारता बहुत है और अपने को बड़ा साबित करना चाहता है पर असल में वो पप्पू ही होता है - उसे अक्सर 'मुन्ना' ही तो कहा जाता है .... है ना !!!!

//// "खान" से "कान्ह" .... ४०० करोड़ का करंट !!....////


मैं इंदौर का मूल निवासी हूँ और इंदौर में बहने वाली एक नदी 'खान नदी' के पास ही रहता आया हूँ - और वर्षों से नदी को "खान" के नाम से ही सुनता आया हूँ - और किसी अन्य नाम से नहीं !!!! .... यहाँ तक कि ८० के दशक में इस नदी के ऊपर बनाए गए पुल का नाम भी "खान सेतु" ही था जिसके सर्वे एवं निर्माण में सिविल इंजीनियर की हैसियत से मेरा भी थोड़ा सा योगदान था !!!! और इसी नदी पर छावनी क्षेत्र में वर्ष २००५ पर बने एक और पुल का नाम भी "छावनी ब्रिज ओवर खान रिवर" ही कहलाया !!!!   

जैसा कि हिन्दुस्तान में नदियों की दुर्दशा होती आई है - इस खान नदी की भी वाट लग चुकी है - और यह एक गंदे नाले में बदल चुकी है ....

और जैसा कि हिन्दुस्तान में होता आया है इस नदी पर भी कई वर्षों से योजनाएं बनती रहीं - योजनाओं के नाम में पुनरुद्धार - गहरीकरण - सफाई - निर्मल - सौंदर्यीकरण - आदि जैसे विशेष प्यारे-प्यारे शब्दों का उपयोग होता रहा - भारी खर्चे भी होने ही थे और होते रहे .... पर जैसा होना था नदी भी बदतर होती रही .... और इसे "खान नदी" के अलावा "खान नाला" भी कहा जाने लगा !!!!

पर जब से मोदी जी आए हैं - गंगा सफाई की बात जोर शोर से होने लगी - और देखते देखते नदियों की सफाई की बातें चर्चा में आने लगीं - और इस हेतु प्रयास भी शुरू हुए ....

इसी कड़ी में खान नाले में बदल चुकी इस नदी को उसका पुराना वैभव लौटाने हेतु केंद्र सरकार ने पहले चरण में 400 करोड़ रुपए मंजूर कर दिए हैं .... स्वाभाविक रूप से इंदौरियों में तो एक करंट सा दौड़ गया है - आखिर ४०० करोड़ जो मंजूर हुए हैं ....

पर मित्रो मैं देख रहा हूँ कि - केंद्र में भाजपा की सरकार - मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार - नगर निगम  में भाजपा  - यानि सब दूर भाजपा ही भाजपा .... तो फिर आप कल्पना करें कि "खान" शब्द कैसे बर्दाश्त होता ????

और जनाब देखते ही देखते .... "खान" शब्द की जगह "कान्ह" शब्द का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है .... अभी तक "खान नदी" नाम से जानी जाने वाली ये नदी "कान्ह नदी" भी कहलाने लग पड़ी है .... और जैसा हमेशा से होता आया है कल ही पैदा हुए इतिहास के ठेकेदार बिना किसी पुख्ता मान्य सबूत के दावा करने लग पड़े हैं कि पहले से ही इस नदी का नाम "कान्ह नदी" था वो तो अपभ्रंश हो हो हो कर "खान नदी" हो गया था ....

पर सत्य और प्रथा और प्रचलन भी एक झटके में तो बदलता नहीं है - और इसलिय आज भी इंदौर के समस्त अखबारों में इस नदी का नाम कभी "खान" और कभी "कान्ह" के नाम से छप रहा है ....
और कन्फ्यूज़न इतना है कि ठेठ इंदौरी भी पूछने लगे हैं - ये "खान" और "कान्ह" नदी एक ही हैं या अलग अलग ????

मित्रो !! मेरे हिसाब से तो उपरोक्त नाम परिवर्तन संकीर्णता की पराकाष्ठा है - औए इसलिए मैं इसकी निंदा करता हूँ .... पर मेरी निंदा से क्या होना है .... महत्त्वपूर्ण तो यह है कि आखिर इस इंदौरी नदी का भविष्य क्या होना है ??

मेरे हिसाब से तो - क्या तो मोदी सरकार और क्या तो गंगा और क्या तो खान - इन सभी का वैभव लौट कर आने वाला नहीं है .... और इसलिए देखने वाली बात तो बस अब यह रहेगी कि ४०० करोड़ निपटाने के बाद भी यदि ये इंदौरी नदी पुराने वैभव को प्राप्त न कर सकी तो भी क्या इसे "कान्ह नदी" ही कहा जाएगा या पुनः मूलतः "खान नाला" ????

और इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात होगी कि यदि शाहरुख़ खान कि 'घर वापसी' करवा दी जाती है तो क्या उन्हें भी "शाहरुख़ कान्ह" कहा जाने लगेगा ????

Monday 27 April 2015

//// और आखिरकार ये सरकार तो 'जोकपाल' से भी डर गई ....छिः ....////


कृपया विदित हो कि इस देश में एक कानून पास हुआ था - नाम था 'लोकपाल' - जी हाँ लोकपाल - वही  'लोकपाल' अन्ना बेदी वी.के.सिंह वाला लोकपाल .... जिसे केजरीवाल ने बहुत ही लचर लचीला बताते हुए 'जोकपाल' बताया था ....

और इस कानून को पास करते कराते समय बहुत से राजनेताओं और विभूतियों ने जो केजरीवाल के विरुद्ध थे बहुत दम्भ भरा था .... और इसे 'मील का पत्थर' बताया था ....

इसी लोकपाल कानून के तहत केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अपनी और अपने जीवन साथी तथा आश्रित बच्चों की संपत्ति का ब्यौरा दाखिल करना अनिवार्य बनाया गया था .... और मुझे याद है कि उपरोक्त कानूनी प्रावधान के लिए सभी ने अपनी और साथ देने वालों की पीठ थपथपाई थी ....

इस कानून के तहत ही सर्वप्रथम वर्ष 2014 के लिए रिटर्न फाइल करने की अंतिम तारीख 15 सितंबर नियत की गई थी ....
पर फिर इसे 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था ....
और फिर तीसरी बार इसे 30 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया था ....
लेकिन अब इसे चौथी बार 15 अक्तूबर तक बढ़ा दिया गया है ....

मित्रो मैं प्रश्न उठाता हूँ कि ऐसा क्यूँ किया गया था या क्यों किया गया है ??
क्या उपरोक्त रिटर्न फाइल कराने के कानूनी प्रावधान का मकसद कर्मचारियों के भ्रष्टाचार को उजागर करना या रोकना नहीं था ??
तो क्या मोदी सरकार अब यह चाहती है कि भ्रष्टाचार तत्काल ख़त्म ना हो ??
या मोदी सरकार चाहती है कि अभी तो कोई चुनाव-वुनाव हैं नहीं - तो अपन भी एक दो साल माल सुताई कर लो - फिर इसे लागू कर देंगे ??
या फिर डर है कि यदि हमने कर्मचारियों पर सख्ती कर दी तो वो बदले में हमारा भण्डा ही न फोड़ दें ??
या फिर चहेते कर्मचारियों को समय दे दिया गया है कि रिश्वत और भ्रष्टाचार से कमाए गए सारे धन और सारी संपत्ति को ठिकाने लगा लो - हमारा हिस्सा हमें दे दो ??
और प्रश्न तो ये भी उठता है कि अन्ना, बेदी, और वी. के. सिंह अब चुप क्यों हैं ??

मित्रो ! जो लोग बातें बड़ी-बड़ी करते है पर करते कुछ नहीं ऐसे मोदी जी जैसे व्यक्तियों पर ऐसे ही कारणों के रहते शंका होती है .... ये लोग अपने से संबंधित और अमीरों तथा साधन सम्पन्न लोगों से संबंधित निर्णय लेने में तो १ दिन का समय भी नहीं लगाते - पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध या गरीब के हक़ में लेने वाले निर्णयों की वाट लगा मारते हैं ....

मसलन भूमि अधिग्रहण बिल को नए रूप में पास कराने के लिए कैसे मरे जा रहे हैं - पर जो कानून बन चुका है और जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगना तय है उसे टाले जा रहे हैं - पूरी बेशर्मी के साथ अकारण ही टाले जा रहे हैं !!!!

और इसलिए मैं ये स्पष्ट देख पा रहा हूँ कि आखिरकार ये सरकार तो 'जोकपाल' से भी डर गई .... और अब यह भी बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि ये सब 'लोकपाल' का विरोध क्यों कर रहे थे - और इन्हें 'लोकपाल' से भी ज्यादा डर 'केजरीवाल' से क्यों लगता है !!!!

//// तुम क्या जानों 'दिगंबर' होने के मायनें....////


व्यापम घोटाला - सबसे भयावह घोटाला - सबसे व्यापक घोटाला - पूरा पूरा भाजपा के कार्यकाल का घोटाला - भाजपा के द्वारा भी अब स्वीकार्य घोटाला .... हज़ारों गुनहगार या बेगुनाह या स्वयं पीड़ित या स्वयं हितग्राही या ठगने वाले घोटाले में लिप्त या संबंधित लोग जेलों में - और कई तड़पते बिलखते परिवार जेल के बाहर - और कई हज़ार नौजवान हैरान परेशान संतप्त बर्बाद ....

पर सभी नेता छुट्टे - जैसे उन्हें तो कुछ मालूम ही नहीं था - और जब मालूम पड़ा तो छोड़ दिया कानून को अपना काम करने - और कानून को ढीली रस्सी दे दी है - कानून अपना काम करता दिख रहा है - और ये शातिर नेता कानून को ढीली रस्सी से बांधे आराम फरमा रहे हैं - शायद बस ये सुनिश्चित किये हुए हैं कि ये कानून छुट्टा हो दौड़ न लगा दे - अपने वालों को ना काट ले - बस !!!!

और ऐसे माहौल में इस देश के सबसे ज्यादा मतलब की बकवास करने वाले व्यक्ति श्री दिग्विजय सिंह  द्वारा कुछ शीर्ष भाजपाइयों के विरुद्ध कुछ अत्यंत ठोस दिखने वाले साक्ष्य सार्वजनिक कर दिए गए - और वो भी ताल ठोंक के कि साक्ष्य कंप्यूटर एक्सेल शीट वाले नायाब 'इ-साक्ष्य' हैं .... और ये साक्ष्य मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के विरूद्ध थे - और इसलिए इस पर बवाल मचना ही था और थोड़ा बहुत मच भी गया था !!!!

पर अब इस केस में कानूनी कार्यवाही कर रही SIT ने यह कह दिया है कि दिग्विजय सिंह द्वारा दिए गए साक्ष्य फर्जी थे .... बस तो फिर क्या था !! ना ना प्रकार की गालियां और ओछे बयान सामने आ गए - बिल्कुल भाजपाई स्तर वाले ....

ऐसे बयानों में बाकी तो ठीक ठाक थे - पर सबसे आपत्तिजनक बयान आया प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष नन्द कुमार चौहान का .... और बयान तो क्या, धाँसू डायलॉग था जनाब - और डायलॉग भी ऐसा कि आप भी सिहर जाएंगे और तौबा कर लेंगे - जी हाँ -  // "दिग्गी को दिगंबर करेगी बीजेपी" //

मित्रो !! ऐसा वीभत्स घोटाला करने वाले या होने देने वाले लोग भी जिनका मुंह और शरीर और आत्मा भी गन्दगी से सनी हुई हो - वो ऐसा बयान दें !! बहुत ही शर्मनाक बात है .... और इसलिए मैं ऐसे भाजपाइयों की घोर निंदा करते हुए हिदायत देना चाहूंगा की 'दिगंबर' का अर्थ जानना तुम्हारे बस में नहीं तुम्हारे संस्कारों में नहीं - तुम तो नंगे हो और शायद इसलिए नंगाईयत के आगे सोच भी ना पाओगे - और हाँ "दिगंबर' हो जाने या करने की तुममें औकात भी नहीं !!!!

और हाँ जनाब कुछ और बयान भी दिए हैं - " दिग्वियय सिंह की शिकायत सोनिया जी से करेंगे " - हाँ ये ठीक है - ये बढ़िया रहेगा !! .... जाओ और बोलना आंटी-आंटी ये दिग्गी हमें मारता है डराता है गाली देता है - और फिर दहाड़े मार कर बच्चों जैसे खूब रोना - मैं दावा करता हूँ सोनिया आंटी का दिल जरूर पसीजेगा और वो दिग्गी को बुला खूब डाँट लगाएंगी !!!! ठीक है ना !!!!

Sunday 26 April 2015

//// 'मन की बात' से भी किसान की बात नदारद .... आखिर क्यों ??....////


नेपाल भूकम्प के मद्देनज़र मोदी जी ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त करीं और कहा आज उनका 'मन की बात' करने का मन नहीं है ....

पर फिर भी उन्होंने आज के भूकम्प को अपने गुजरात के भूकम्प से जोड़ बात कही ....
फिर अपनी फ्रांस यात्रा का बखान कर वहां भारतियों के शहीद स्मारक पर जाने की बात कही ....
फिर भारत के "यमन" पराक्रम पर भी अपनी ठुकी पीठ पुनः ठोंकी ....
फिर अम्बेडकर जी से संबंधित उनकी जयंती उनके स्मारक और सर पर मैला ढोने वाली प्रथा विरूद्ध भी बात करी ....
और अंत में साइना और सानिया के खेल गौरव पर बात करते हुए क्रिकेट विश्व कप के सेमी-फाइनल में हार उपरांत जनता की घटिया प्रतिकिया पर बात करी !!!!

कुल मिलकर - मोदी जी ने वो सब कहा - जो कहा जा चुका था - और नेपाल भूकम्प पर जो कहा जा रहा है - या कहा जा सकता था ....

पर वो नहीं कहा जिस पर सब कुछ या बहुत कुछ कहना था .... और वो था - किसान बदहाली एवं किसान आत्महत्या के विषयक बात .... और किसान समस्या के प्रति सरकार की जवाबदेही, जवाबदारी, क्रियान्वयन और योजनाएं आदि विषयक अनेक आवश्यक बातें !!!!

मुझे निराशा हुई - कि प्रधानमंत्री के मन में अभी भी फ्रांस और यमन की बातें चल रही हैं - और नेपाल भूकम्प त्रासदी को लेकर तो बहुत संवेदनाएं हिचकोले खा रही हैं, पर उससे १०० गुना अधिक किसानों की त्रासदी संबंधित संवेदनाएं उनके मन से नदारद ही दिखीं ....

वो क्रिकेट टीम के हारने पर सबको असमय संयम का पाठ पढ़ाते नज़र आए - पर आत्महत्या करते किसान को ससमय पाठ पढ़ाने के लिए उनकी बुद्धि निरंक ही सिद्ध हुई ....

नेपाल भूकम्प को गुजरात भूकम्प और घेर-घार फ्रांस यमन की बात करने की चतुरता तो दिखाई - पर भूकम्प एक प्राकृतिक विपदा होने के मद्देनज़र, असमय बारिश और ओलावृष्टि को भी प्राकृतिक आपदा से जोड़, किसानों को ढांढस बँधाना नहीं सूझा - तो नहीं ही सूझा !!!!

मीडिया के प्रति भी टिप्पणी करना चाहूँगा कि कल दोपहर से ही भूकम्प पर ही लगातार कवरेज करने के बाद आज प्रधानमंत्री के रेडियो भाषण को टीवी पर सुनाना - और तब से अब तक कोई भी विज्ञापन पर कटौती न करते हुए अपनी-अपनी चैनल को सबसे तेज़ सबसे पहले सबसे आगे सबसे संवेदनशील बताते हुए - किसानों से संबंधित एवं अन्य सभी समाचारों को विलोपित कर देना भी एक चिंता का विषय है !!!!

मित्रो ! सबको चेताना चाहूँगा कि - हमारे प्रधानमंत्री जैसे ही यदि हम सबने भी किसानों की समस्या को नेपाल भूकम्प से कमतर आंक असंवेदनशीलता का परिचय दिया, तो यह एक बहुत ही बड़ी ऐतिहासिक भूल होगी !!!!

नेपाल भूकम्प तबाही में शिकार हुए सभी पक्षों को श्रंद्धांजलि देते हुए मेरा ये लेख - किसानों पर तरस खाते हुए - किसानों की वृहद विकराल समस्याओं को समर्पित !!!!

Saturday 25 April 2015

//// संवेदनाओं के ठेकेदारों से अपील ....////


काठमांडू नेपाल में जबरदस्त भूकम्प आया है - रिक्टर स्केल पर ७.५ से ऊपर - पूरे उत्तर भारत में भी जबरदस्त झटके महसूस किए गए है - और अब भारी नुकसान की खबरें और सूचनाएं और तस्वीरें आने लगी हैं ....

निश्चित ही भारी त्रासदी के मद्देनज़र सभी प्रभावित लोगों को तत्काल मदद की आवश्यकता होगी .... और साथ ही देखरेख ध्यान और संवेदनाओं की भी ....

इसलिए मेरा संवेदनाओं के ठेकेदारों से निवेदन है कि अभी विगत २-३ दिन से दौसा के किसान गजेन्द्र के प्रति उत्सर्जित अपनी सारी संवेदनाओं को कृपा कर समेट भूचाल प्रभावितों की तरफ मोड़ने की कृपा करें ....

और आगे आशा निवेदन है कि हो सके तो फिर उसके तत्काल बाद पहली फुर्सत में देश के किसानों की बदहाली पर भी कुछ गजेन्द्र रहित और केजरी रहित संवेदनाएं व्यक्त करने की महान कृपा करें !!!!

//// 'आत्महत्या' की तो हत्या ही करना होगी ....////


मित्रो बचपन से सुनते आये थे की आत्महत्या से बढ़कर कोई अपराध नहीं (Suicide is the biggest crime).
पर अब आत्महत्या को भी पुरुस्कृत महिमामंडित किया जाकर "शहीद" तक का दर्जा दिए जाने की वकालत हो रही है .... प्रसंग है दौसा वाले गजेन्द्र की आत्महत्या का - माफ़ करें गजेन्द्र द्वारा 'आप' रैली में करी या हुई आत्महत्या का ....

मित्रो दुनिया जो भी कहे या समझे या माने - मैं आज कुछ खुल कर स्पष्ट कड़वा लिखना चाहता हूँ ....
और वो ये कि गजेन्द्र या तो सनकी था या नौटंकीबाज़ था या बेवकूफ या कायर था .... और इसलिए मैं उसके किसी भी महिमामंडन या प्रशंसा के विरोध में हूँ ....

कहा जा रहा है उसे 'शहीद किसान' का दर्जा दिया जाए - दिल्ली में उसकी मूर्ती लगाई जाए - ऐसा सब क्यों किया जाए ? इसलिए कि उसने आत्महत्या कर ली ? .... यदि यही कारण है तो जो किसान मजदूर गरीब बेचारे अब तक आत्महत्या कर चुके हैं, उनकी तड़पती आत्मा पर नमक क्यों छिड़का जाए ??

और फिर मैं यह भी पूछता हूँ कि जो किसान दयनीय स्थिति में होते हुए भी आत्महत्या नहीं कर रहा है - बहादुरी से या कायरता नहीं बता ज़िंदा है - और कुछ बेहतर की आशा या प्रयास में ज़िंदा है - उसका क्या ?? .... क्या उसके बच्चों को भी यही चाहत नहीं हो जाएगी कि हमारे फालतू के पूज्य बापू भी एक दिन राहुल, मोदी, या केजरी की रैली में आत्महत्या कर पूरे परिवार को गौरवान्वित करें और गरीबी से मुक्ति दिलवा दें ????

"केजरीवाल" जी हाँ केजरीवाल एक ऐसा नाम है जो अब हिन्दुस्तान के राजनीतिज्ञों के लिए एक डरावना भयावह जानलेवा वायरस जैसा हो गया है - ये नाम लेते ही इन सबकी रूह कांप जाती है - और ये उसे परास्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं ....

अतः गजेन्द्र ने आत्महत्या कर ली केवल इसलिए नहीं - बल्कि गजेन्द्र ने केजरीवाल की रैली में उसकी उपस्थिति में आत्महत्या कर ली इसलिए - आज "आत्महत्या" पुण्य हो गई - अमर हो गई - शहीदी हो गई - लाखों रूपए मूल्य की हो गई - मूर्ती के लायक हो गई - सरकारी नौकरी दिलाने के लायक हो गई - और न जाने क्या क्या !!!!

पर कल जब मेरठ के योगेन्द्र ने टंकी से कूद कर सैकड़ों लोगों और अधिकारियों के समक्ष आत्महत्या का वही "महान" कार्य कर दिखाया तो .... तो क्या ? कुछ नहीं ? मर गया तो मर गया साला - मरने दो - दे दो २-४ लाख जनता के पैसे - पहले भी ऐसे कई मरे - आगे भी मरेंगे तो क्या सबको शहीद मानेंगे - सबकी मूर्तियां लगाएंगे ? असंभव ! हाँ केजरी के मत्थे मरता तो एक बार सोचते !!!!

नहीं मित्रो नहीं ये सब नहीं चलेगा - इस पूरी बकवास को रोकना होगा - गजेन्द्र और सभी आत्महत्या करने वालों की निंदा और भर्त्सना करनी ही होगी - ताकि आत्महत्या करने वाले को भी ये गुमान न हो कि उसकी आत्महत्या करने से उसके परिवार का भला होगा !!!!

मित्रो !! हम सब को मिलकर "आत्महत्या" की हत्या करना ही होगी !!!!

किसी की भावनाओं को यदि ठेस पहुंची हो तो विनम्र अनुरोध करूंगा कि ठंडे दिमाग से मेरी भावनाओं को एक बार पुनः समझने का प्रयास करें और यदि ना समझ पड़े तो फिर से प्रयास करें और करते रहें - पर झुँझलायें ना - गुस्सा ना करें - और आत्महत्या की तो कदापि ना सोचें - आगे आएं और बहस करें और अपनी बात रखें - मेरी निंदा करें !!!! धन्यवाद !!!!

Friday 24 April 2015

//// केजरीवाल ने माफ़ी मांगी - ठीक है .... पर मीडिया को जो धिक्कारा है वो तो बहुत ज्यादा ठीक रहा ....////


आज केजरीवाल जी ने माफ़ी मांग ली - शायद वक्त का तकाज़ा था और मानवीय एवं राजनैतिक दृष्टि से उचित भी .... पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा !! और वो इसलिए कि केजरीवाल जी के ऊपर जितने भी आरोप लगे यदि वो सारे आरोप सही भी हों तो भी मैं उन्हें दोषी नहीं मानता हूँ ....

मैं आप से प्रश्न करता हूँ कि मान लें आपके घर में ही कोई समारोह है - ख़ुशी का मौका है - सब मेहमान आए हुए हैं - और इस बीच किसी भी एक व्यक्ति द्वारा मूर्खतावश कोई ऐसा कृत्य कर दिया जाता है या कोई दुर्घटना हो जाती है या कोई और व्यवधान उत्पन्न हो जाता है तो क्या उस ख़ुशी के समारोह को समाप्त कर विलाप शुरू कर दिया जाना चाहिए? और मेरा जवाब है कत्तई नहीं - दुःख सुख जीवन में लगे रहते हैं और इसलिए इन दोनों चीज़ों को अलग रख सकें तो कोई हर्ज़ नहीं है .... मसलन मेरे बेटे की शादी थी - और उसी दिन सुबह मेरे ताऊजी  का स्वर्गवास हो गया था - मुझे इसकी जानकारी नहीं दी गई और मेरे पूरे परिवार वालों ने सुबह उनकी अंत्येष्टि भी पूर्ण करी और फिर शाम को समारोह में शामिल भी हुए - सबका ये मानना था कि वो विवाह केवल मेरे परिवार से ही संबंधित नहीं था उसमें एक अन्य परिवार भी था - और समारोह हेतु बाहर से भी कई मेहमान आये थे और समारोह में भोजन आदि सभी व्यवस्थाएं पूर्ण हो चुकी थीं - आदि !!!! तब मेरे वरिष्ठ जीजा जी ने कहा था - ऊपर वाले ने एक भाई के यहाँ ख़ुशी दी है एक के यहाँ गमी - हमें तो दोनों को ही निभाना होगा !!!!
  
'आप' पार्टी एक छोटी और नई पार्टी है - जिसके पास सीमित संसाधन हैं - उस पार्टी द्वारा एक रैली का आयोजन किया जाता है जिसमें काफी समय और पैसा और पसीना लगा ही होगा - और जब सब ताम-झाम सज गया तब किसी एक व्यक्ति के अव्यवहारिक क्रियाकलापों के कारण पूरे समारोह को यदि  समाप्त नहीं करने का निर्णय लिया गया था तो वो निर्णय कदापि गलत नहीं था .... यह भी सोचना होगा कि जो अन्य लोग अपनी या किसानों की आवाज़ उठाने दूर दूर से अपना काम काज छोड़ कर उस रैली में पहुँच गए थे तो उनका क्या कसूर - वो किसी अन्य के कृत्यों के कारण अपने लक्ष्य से वंचित क्यों हो जाते ????

मुझे मालूम है कि आपके जीवन में और इस देश के राजनीतिक जीवन में भी ऐसे कई मौके आये होंगे के जब ख़ुशी त्यौहार के मौके पर अनहोनी के बाद भी ख़ुशी मनाने का सिलसिला रोका नहीं गया होगा ....

और ये मामला तो कोई व्यक्तिगत ख़ुशी के समारोह का मामला था ही नहीं - यह तो एक आयोजन मात्र था जो किसानों की लड़ाई लड़ने के लिए ही तो आयोजित था .... और यदि हादसे के बाद भी केजरीवाल या अन्य नेता भाषण देते रहे और भाषण में वही बोलते रहे जो उन्हें मूल रूप से बोलना था तो इतना हंगामा क्यों ?? वहां स्टेज पर कोई नाटक ऑर्केस्ट्रा या नाच गाने को प्रोग्राम तो हो नहीं रहा था ....

पर ये मीडिया - और मीडिया से अपनी मानसिकता ढालने वाले लोगों का तो कोई जवाब ही नहीं - पूरी बेशर्मी के साथ कोसते ही जा रहे है - पर शायद इन नालायकों के पास मेरे एक प्रश्न का जवाब नहीं होगा - और वो प्रश्न है ....

जब केजरीवाल या अन्य नेताओं द्वारा रैली को समाप्त किये बगैर भाषण बाज़ी चालू रखना गलत था तो उसी अनैतिक रूप से दिए भाषणों को मीडिया रिकॉर्ड क्यूँ कर रहा था - और साथ ही पहले उस आत्महत्या की फिल्म भी क्यों बनाता रहा था ????
यदि मीडिया अपना काम करता रहा था तो नेता भी अपना काम करते रहे थे - फिर इतनी चिल्लपों क्यों ????

और इसलिए केजरीवाल जी के द्वारा माफ़ी मांगने के साथ ही जिन शब्दों में मीडिया को धिक्कारा है उस वजह से मेरे मन को कुछ सुकून भी मिला है !!!! और इसलिए अन्त में यही कहूँगा - केजरीवाल जी मन छोटा न करें और डटे रहें - नंगों से क्या डरना !!!!

//// ये कैसा साथ ये कैसा सहयोग ?? .... भगवान ही बचाए....////


कुछ दिन पहले केजरीवाल को साथ देने का दंभ भरने वाले योगेन्द्र सामने आये थे - और उन्होंने साथ देते-देते वो सब किया कि ऐसा साथ लेने से केजरीवाल ने तौबा कर ली - और जैसे तैसे उस साथ से अपना पिंड छुड़ाया ....

और अब केजरीवाल को सहयोग करने दिल्ली किसान रैली में पहुंचे स्व. गजेन्द्र का मामला सामने आया है - जनाब अपने घर में शादी ब्याह आदि सभी आयोजन छोड़कर २५० कि.मी. दूर अपने खर्चे पानी से किसान हित में केजरीवाल की रैली में अपना सहयोग देने के अच्छे उद्देश्य से दिल्ली पहुंचे - पर वहां पहुँच उन्होंने वो सब अप्रत्याशित किया जो वहां हज़ारों की संख्या में मौजूद और सहयोग दे रहे अन्य लोगों ने नहीं किया - और ना जाने उन्होंने क्या किया या उनके साथ क्या हुआ कि उनकी दुःखद मृत्यु तक हो गई ....

पर बड़ी अजीब बात है कि मृतक का पूरा परिवार मृतक को पूरे घटनाक्रम का दोषी नहीं मान रहा - मृतक के अप्रत्याशित नौटंकी भरे क्रियाकलापों को दोषी नहीं मान रहा - वहां उपस्थित हज़ारों लोगों को दोषी नहीं मान रहा - पर अब सब अपनी सहूलियत भड़ास और राजनीति के हिसाब से केजरीवाल को ही दोषी आरोपित कर रहे हैं .....

ये ऐसा ही कुछ हुआ कि कोई व्यक्ति अपनी गलती से किसी वाहन के नीचे आकर दम तोड़ दे और कुपित भीड़ वाहन चालक और वाहन को ही क्षत विक्षत कर दे .... मित्रो इस उदाहरण की कल्पना जरूर करिएगा !!!!

पर मैं ऐसे घिनौने आरोप का पुरज़ोर विरोध करता हूँ - और कहना चाहूँगा कि ऐसे सहयोग का क्या औचित्य कि जिस मुद्दे या जिस व्यक्ति या जिस संस्था का आप सहयोग करने की इच्छा या इरादा या उद्देश्य रखते थे - आपकी नादानी के कारण या आपके अप्रत्याशित व्यवहार के कारण वाट उसी की लग गई !!!!

ये ऐसा ही कुछ हुआ कि आप बाराती बन शादी में गए - पर विवाह समारोह में पहुँच ऊटपटांग हरकत कर बैठे और फिर वहां लड़की वालों से खुद भी पिटे दूल्हे और दूल्हे के बाप को भी पिटवाया और पूरी बारात की भद्द पिटवा बैरंग घर को लौट गए !!!! 

मित्रो !! सुना हुआ था कि "बेवकूफ दोस्त से समझदार दुश्मन भला" .... या "नादान की दोस्ती जी का जंजाल" ....

पर आज मैं अपने व्यक्तिगत जीवन हेतु एक और बात सीखा हूँ - दोस्ती तो दूर की बात किसी भी अंजान या संदेहास्पद या अव्यवहारिक व्यक्ति का जहाँ तक हो सके क्षणिक साथ या सहयोग भी नहीं लेना चाहिए ....

पर इसके साथ-साथ यह भी साफ़ कर दूँ कि ये बात केवल एक अपने सीमित दायरे में जी रहे मेरे जैसे स्वार्थी व्यक्ति के लिए तो उपयुक्त हो सकती है - पर जो व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में हो उसके लिए ऐसा कर पाना असंभव है ..... और इसलिए मैं ऐसे व्यक्ति के लिए तो यही कहूँगा कि उसे तो भगवान ही बचाए ऐसे साथ और ऐसे सहयोग से !!!! ऐसे योगेन्द्र और गजेन्द्र से !!!!

‪#‎AAPKisanRally‬ ‪ #‎AAPWithFarmers‬ ‪ #‎PaidMedia‬ ‪ #‎ShameOnDelhiPolice  ‬‪#‎Gajender ‬ ‪#‎BadhaalKisan‬

Thursday 23 April 2015

//// मीडिया को मेरा खुल्ला चैलेंज .... तुम्हारे सवाल बहुत हुए - अब मेरे सवालों का भी जवाब दो ....////


मीडिया का कल का सवाल था - केजरीवाल भाषण क्यों देते रहे ??
मीडिया का आज का सवाल है - क्या 'आप' पार्टी वाले गजेन्द्र को आत्महत्या के लिए उकसा रहे थे ??

मित्रो मैं सोच रहा था कि जब पूरा मीडिया वहां था - लाइव कवरेज हो रहा था - फिर जो मीडिया इतनी बहस कर और करवा रहा है - अपने आप को पाक साफ़ निष्पक्ष बता रहा है - तो फिर वो ही सारे जवाब जनता के समक्ष क्यों नहीं रख सकता ????

इसलिए मैं भी आज सार्वजनिक रूप से प्रबुद्ध मीडिया से टुच्चे सवाल या यूं कहें टुच्चे मीडिया से प्रबुद्ध सवाल पूछता हूँ >>>>

>> मीडिया स्वयं क्यों नहीं बता सकता कि 'आप' पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा या वहां मौजूद अन्य व्यक्तियों द्वारा गजेन्द्र को उकसाया गया था कि नहीं ??
>> क्या वहां पुलिस मौजूद थी या नहीं ??
>> क्या पुलिस को मौकाए वारदात पर पहुँचने से रोका गया था या नहीं ??
>> क्या फायर ब्रिगेड की सीढ़ी वाली गाडी वहां पहुंची थी या नहीं ??
>> क्या सारे मीडिया वाले वहां भुट्टे सेंकने गए थे या लाइव कवरेज करने ??
>> क्या भारत की मीडिया को किसी महत्वपूर्ण घटना का लाइव कवरेज करने की तकनीकी या व्यावसायिक या पेशेवर योग्यता है कि नहीं - कि बस एक कैमरा या एक माइक हाथ में ले "साला में तो साब बन गया" ??
>> या कहीं ऐसा तो नहीं कि उनकी और उनके फुटेज की खरीद फरोख्त हो गई हो ??
>> या ऐसा तो नहीं पुलिस या सरकार के दबाव में आकर बोलती बंद है ??
>> या ऐसा तो नहीं सत्य बताने में डर लगता है ??
>> या फिर ऐसा तो नहीं कि सब तथ्य जानते हुए भी आप सबके मज़े ले रहे हैं - अपनी चैनल पर ख़बरों को नमक मिर्ची लगा मनोरंजक बना दिखा-दिखा अपनी कमाई कर रहे हैं - सत्य और जनता जाए भाड़ में ??

हो किसी मीडिया चैनल में हिम्मत तो उपरोक्त प्रश्नों के जवाब आज ही अपने-अपने टीवी पर देने कि हिम्मत करे !!!!
या मान लेवें - आप सब अंधे हैं आपने कुछ नहीं देखा - आप बहरे हैं आपको कुछ सुनाई भी नहीं दिया - आप गूंगे हैं बोलेंगे तो बिलकुल भी नहीं !!!! या इतने लंबे वक्तव्य ना दे सकें तो बस इतना मान लीजिये कि आप टुच्चे हैं !!!!
‪#‎AAPKisanRally‬  ‪#‎22april ‬ ‪#‎AAPWithFarmers‬  ‪#‎PaidMedia  ‬‪#‎ShameOnDelhiPolice‬

//// आत्महत्या प्रकरण .... संसद के अंदर क्या बाहर क्या ?? .. आगे स्पष्ट क्या और अस्पष्ट क्या ??....////


संसद के अंदर कौन क्या कुछ बोला - उसकी एक लगभग बानगी ....
कांग्रेस के देपिंदर हुड्डा - मीडिया कैमरे से मात्र दृश्य क्यों खींचता रहा - जब सुसाइड नोट नीचे फेंका गया तो पूरा मीडिया झपट पड़ा उस नोट को प्राप्त कर सबसे पहले उसे अपने चैनल पर दिखाने के लिए - किसान सुसाइड नोट फेंक रहा था और मीडिया मज़े ले रहा था !!!! (यानि जो बात कुमार विश्वास ने कही थी उससे भी कड़वी सच्ची बात) ....

भाजपा के किरीट सोमैया - ये आत्महत्या नहीं गजेन्द्र सिंह का बलिदान है - हमें संवेदनशील बनना पड़ेगा - राजनीति नहीं करनी चाहिए - मूल समस्या की चर्चा होनी चाहिए - जब वह मर रहा था तो सब क्यूँ देख रहे थे - और ये सब कौन है क्या कोई अकेला देख रहा था ?? (और शायद यही बात मैंने भी कही और कई निष्पक्ष लोग कह रहे हैं) ....

Prof. Saugat Roy AICT - It was shame on part of media who kept on filming the entire episode .... (यानि लगभग वही बात जो कुमार विश्वास ने कही थी) ....

BJD - He reminded of the instance when a young boy had burnt himself in public protesting against Reservation .... Suicide is a cowardly act and should be condemned. (यानि ये इसमें की पहली घटना नहीं है - मेरे हिसाब से मोदी की पटना रैली भी संदर्भित होगी).

भगवंत मान - हमें सबको मिलकर किसानों की मूल समस्या पर काम करना होगा - रेडियो पर केवल मन की बात करने से काम नहीं चलेगा !!!!

अरविन्द गणपत सावंत शिवसेना - किसान तो आत्महत्या करते रहते है - पर उनकी आत्महत्या होने के बाद मालूम पड़ती रही है - पर पहली बार कल वो आत्महत्या हुई जो लाइव सबने देखी - पर किसी ने कुछ नहीं किया - सब लोग सोचें - मैं भी सोचूँ आप भी सोचें !!!!

मुलायम सिंह यादव - सवाल केवल एक सरकार का नहीं - बल्कि हम सबका है - उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानो के लिए सबसे ज्यादा चिंता की और राहत दी है - केंद्र सरकार भी आगे आए और किसानो के लिए आवश्यक कदम उठाए .... गृहमंत्री जी देश को आगे बढ़ाना है तो किसानों को आगे बढ़ाना होगा .... किसान आत्महत्या करे सबके लिए शर्मनाक बात है .... किसान को लाभकारी मूल्य दीजिये !!!!

राजनाथ सिंह - वहां लोग तालियां बजा रहे थे उसे उकसा रहे थे - पुलिस ने तत्परता से कार्यवाही करी थी - कंट्रोल रूम फ़ोन किया गया था - वहां से सीढ़ी वाली गाड़ी बुलवाई गई थी .... आदि !!!!

खड़गे जी - पुलिस क्या कर रही थी ? सो रही थी ? राजनाथ पुलिस द्वारा बताई गई बात बता रहे हैं जो पुलिस जांच से सामने आई होगी - दिल्ली पुलिस तो खुद कटघरे में है - इसलिए उसकी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता - उसकी जांच भी निष्पक्ष नहीं हो सकती - और इसलिए पूरे प्रकरण की मजिस्ट्रीयल जांच ही होनी चाहिए .... आदि !!!!

मोदी जी - हम किसानों को अकेले असहाय नहीं छोड़ सकते - हम को सबको मिलकर कोई रास्ता निकालना होगा .... आदि !!!!

और इसके इतर संसद के बाहर - टीवी चैनल्स पर अनियंत्रित ख़बरों का रेला देखा और बहुत से नायाब कैप्शन देखे - भाजपा का सड़क पर आप विरुद्ध प्रदर्शन देखा - भद्दे पोस्टर देखे - सतीश उपाध्याय और अन्य नेताओं के घटिया घिनौने बयान सुने - कांग्रेस का आप के विरुद्ध सड़क पर प्रदर्शन भी देखा !!!!

और यहाँ तक कि मृतक गजेन्द्र सिंह के बारे में भी बहुत कुछ सुना देखा - उनके परिवार वालों के भी वक्तव्य देखे - उसकी आर्थिक स्थिति और राजनैतिक लिप्तता और महत्वाकांक्षा के बारे में भी जानकारी मिली !!!!

मित्रो स्पष्ट है - राजनीति हो रही है .... राजनीति होगी .... राजनीति ही होगी .... जो राजनीति होगी वो सामान्यतः गंदी ही होगी .....
'गजेन्द्र' के एवज़ में अब 'गज' और 'इंद्र' के बारे में भी बात होगी - और 'आत्महत्या' के एवज़ में 'आत्मा' और 'हत्या' के बारे में भी बात होगी ....
केजरीवाल को कटघरे में खड़ा करने की भरपूर कोशिश भी होगी ....
और जो होगा सो होगा - भूमि अधिग्रहण बिल आएगा या नहीं आएगा - किसानों को मुआवज़ा दिया जाएगा या नहीं दिया जाएगा या किताबों में दिया जाकर भी नहीं दिया जाएगा - पर अभी और कई किसान मरेंगे या आत्महत्या करेंगे !!!!

लेकिन जो अस्पष्ट है वो ये कि - अंततः इस मीडिया का क्या होगा ?? खबर देनेवाले इस बिके हुए घिनौने अपरिपक्व गैर-पेशेवर मिडिया की खबर कौन लेगा ?? और मुजरिम को पकड़ने वाली इस निकम्मी पुलिस को पकड़वा सजा कौन देगा ????

//// सवाल एक और बस एक - केजरीवाल भाषण क्यों देते रहे ??....////


गजेन्द्र सिंह ने आत्महत्या कर ली - क्यों कर ली ?? .... शट अप !! क्यों कर ली अभी महत्वपपूर्ण नहीं !! बात अभी की ही की जाए ....
तो ठीक है - आत्महत्या  कर ली हज़ारों लोगों के सामने - और चूँकि ये हज़ारों लोग आप पार्टी के द्वारा आयोजित किसान रैली हेतु एकत्रित हुए या किए गए थे - इसलिए गजेन्द्र सिंह की हत्या का जिम्मेदार आप पार्टी को ठहराया गया है - और चूँकि आप पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल हैं इसलिए उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया गया है - और केजरीवाल पर लांछन लगाया गया है कि इस दुःखद घटना के होते ही रैली को समाप्त कर देना चाहिए था .... यानि यदि एक किसान रैली स्थल पर कुछ अव्यवहारिक कर रहा था तो केजरीवाल को त्रिनेत्र खोल समझ जाना चाहिए था कि ये आत्महत्या करेगा और केजरीवाल को रैली ख़त्म कर स्वयं सारा ध्यान उस व्यक्ति और उस घटना की तरफ लगा देना था - और बस किसानों के हक़ की बात जिसके लिए पूरी रैली का आयोजन किया गया था उसे बोलना ही नहीं था .... और इस प्रकार भाजपा सरकार को अभय दान दे उस किसान को बचा कर बस अपने घर निकल जाना था !!!!

पर चूँकि अरविन्द केजरीवाल ने ऐसा कुछ नहीं किया अतः केजरीवाल दोषी - और इसलिए देश के 'पहले' (??) किसान द्वारा दुःखद  आत्महत्या के लिए भाजपा प्रवक्ता डॉक्टर संबित पात्रा का ह्रदय विचलित हो गया और उन्होंने लगभग रोते विलाप करते हुए केजरीवाल का नाम लेकर खूब कोसा - और उस कोसने को राजनीति से ऊपर उठ कर मीडिया द्वारा उचित भी मान लिया .... और घटना के बाद आप के आशुतोष विश्वास और संजय सिंह द्वारा प्रतिकार में जो कुछ कहा गया उसे शर्मनाक बेहूदा बता नकार दिया गया ....

पूरा मुद्दा किसानों की समस्या संबंधित था - पर केजरीवाल द्वारा एक विपक्ष के नेता की हैसियत से किसानो के पक्ष में आवाज़ उठाने के उचित और न्यायपूर्ण कदम को इस तरह बदनाम कर दिया गया - या दुर्भाग्यवश बदनाम हो गया !!!!

और इसलिए मैं क्षुब्ध हूँ .... मैं दावे से कह सकता हूँ कि निरपराध केजरीवाल का तो जो राजनीतिक नफा नुकसान होगा वो होगा या ना होगा ..... पर इस देश में कल भी कोई किसान मजदूर और गरीब आत्महत्या  करेगा .... और शायद हर हत्या का दोषी केजरीवाल को ठहरा पाना इतना आसान भी नहीं होगा .... और इसलिए जैसे कि पूर्व में हज़ारों किसानों की आत्महत्या के लिए कोई दोषी रहा ही नहीं है वैसे ही आगामी आत्महत्याओं के लिए भी कोई राजनेता जवाबदार नहीं होगा !!!!

और इसलिए मैं व्यथित हूँ इस देश की राजनीतिक दिमागी बदहाली पर और 'प्रेसटीट्यूट' मिडिया की घिनौनी और दयनीय स्थिति पर !!!! आज लोकतंत्र ३ खम्बों पर खड़ा है .... और इन ३ खम्बों में भी कम ज्यादा क्रैक्स दिखते रहे हैं !!!! और शायद सबकुछ ठीक कर पाना एक केजरीवाल के लिए बहुत मुश्किल काम है - और एक से ज्यादा केजरीवाल मिलना भी मुश्कित ही हैं !!!!

पुनश्चः : - कल ही गजेन्द्र के घर भतीजियों की शादी थी जो अबाधित संपन्न करी गई - कल संसद की कार्यवाही अबाधित चलती रही जिसमें २ मिनिट के शोक या मौन की भी गुंजाईश नहीं रही - कल मीडिया अपना काम करता रहा - कल भीड़ भी भीड़ बनी रही - कल भीड़ में मौजूद किसान भी अपने साथी की बजाय मंच पर हो रहे भाषणों को सुनते रहे - भीड़ भी भाषण सुनती रही - मीडिया भी भाषण रिकॉर्ड कर प्रसारित करती रही - भाजपा सरकार अपना काम करती रही - कांग्रेस अपना काम करती रही - दिल्ली पुलिस अपना काम करती रही या नहीं करती रही - दिल्ली का जनजीवन अपनी दिनचर्या अनुसार ही चलता रहा - मंडिया अपना काम करती रही - खेत खलिहान अपनी दिनचर्या जीते रहे - राजस्थान और दौसा भी अपनी चाल चलता रहा ..... पर ऐसा तो होना ही था !!!! स्वाभाविकतः ऐसा ही तो होना था !!!! .... पर जो नहीं होना था वो तो बस ये कि - // अरविन्द केजरीवाल भाषण क्यों देते रहे ?? //

Wednesday 22 April 2015

//// 'बाप बेटा' - 'बाप बेटी' तो ठीक है .... पर अब 'माँ बेटे' का क्या करोगे ??....////


'बाप बेटे' को तो आपने निपटा दिया ....
'बाप बेटी' आपको निपटा देंगे ....

और बेटे ने अब माँ के संरक्षण में दहाड़ना शुरू कर दिया है .... किसानों के मुद्दे या नेट न्यूट्रैलिटी के बहाने - सूट, क़र्ज़, उद्योगपति दोस्त, ओबामा, ट्रायल बैलून आदि पर बात कर आपको असहज तो कर ही दिया है ....    

इसलिए 'माँ बेटा' क्या करेंगे या अब आप 'माँ बेटे' का क्या करेंगे देखना दिलचस्प होता जा रहा है ....
अभी तो शुरुआत हुई है .... आज बेटा तीसरी बार ही तो बोला है !!!!  

वैसे बता दूँ - कि एक और एक दो तो होते ही हैं - पर कभी-कभी ग्यारह भी हो जाते हैं ....
पर 'छड़ा' यानि एक अकेला तो हर हाल में एक ही रहता है .... बेचारा अकेला !!!!

//// ख्वाजा के दर पर प्रधानमंत्री की चादर ....////


गरीब नवाज़ ख़्वाजा की दरगाह पर चादर चढाने का दस्तूर भी रहा है - रिवायत भी रही है - और ६७ साल हुए देश के हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई साथ-साथ भी रहे हैं ....

आशा है इस परंपरा के निर्वहन से भाईचारा कायम रहेगा ....
और सभी देशवासी इसका स्वागत करेंगे - विशेषकर हिन्दुओं के स्वयंभू विशिष्ट पैरोकार भी !!!!

पर मेरे ज़हन में एक और बात आ रही है - कि क्या ऐसा नहीं हो सकता कि भगवान, ईश्वर, अल्लाह, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरद्वारे, मज़ार, साधू, पादरी, मौलवी आदि तमाम के सहभागिता, हस्तक्षेप, सहयोग या मध्यस्थता के बगैर भी हर इंसान भाईचारे के साथ स्वतंत्रतापूर्वक इज़्ज़त और सकून की खुशगवार ज़िन्दगी जी सके ????

व्यक्तिगत रूप से मुझे लगता है कि शायद ऐसा हो सकता है - बल्कि आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा आसानी से हो सकता है - बल्कि यदि धर्म का बखेड़ा ना हो तो ऐसा होना स्वाभाविक ही तो होगा .... है ना !!!!

Tuesday 21 April 2015

//// क्या कहा 100% वादे पूरे नहीं करेंगे ?? .... केजरीवाल को १००% समझना भी कहाँ आसान है !! ....////


आज केजरीवाल ने बयान दे दिया कि वो ५ साल में १००% नहीं तो कम से कम ४०-५०% वादे तो पूरा कर देंगे ....
बयान स्वप्रेरित था और संवेदनशील भी .... और चूँकि बयान स्पष्ट भाषा में है इसका विष्लेषण भी मुश्किल नहीं है .....
बयान का एक मतलब तो साफ़ है की कम से कम ४०-५०% वादे पूरे किये जा सकेंगे ....
पर बयान से ये स्पष्ट नहीं है की अधिकतम की क्या सीमा होगी ??

और इसलिए यह बयान अब स्पष्ट करता है की आज की तारीख में १००% वादे पूर्ण करने की १००% सम्भावना व्यक्त नहीं की जा रही है .... और इसलिए मैं इस बयान को प्रथम दृष्टया आपत्तिजनक और निराशाजनक मानता हूँ !!!!

आपत्तिजनक और निराशाजनक इसलिए कि जब आपने जनता से वादे किये थे तो आपको वो सभी वादे १००% पूरे करने की ही बात करनी चाहिए और उसे पूरा करने के प्रयास करते भी दिखना चाहिए !!!!

मित्रो !! पर बात मेरे हिसाब से यहाँ खत्म भी नहीं होती है - वो इसलिए कि केजरीवाल सरकार हर मापदंड से अच्छा कार्य करते दिख रही है, केजरीवाल निहायत कुशाग्र राजनीतिज्ञ हैं, उनका उपरोक्त बयान स्वप्रेरित था एवं उन्हें ऐसा कोई भी बयान देने की सामान्य आवश्यकता नहीं थी ....

और इसलिए मैं उपरोक्त बयान के मद्देनज़र कुछ और मंशा होने की संभावना भी देखता हूँ .... और जो संभावना मैं देखता हूँ वो यह है कि शायद केजरीवाल चाहते हों कि आज की तारीख में उनके मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंदी मोदी एवं भाजपा की १० महीने क़ी सरकार और उसके द्वारा किये गए वायदों का भी मीडिया में विष्लेषण हो - जो दुर्भाग्यवश "प्रेसटीट्यूट" द्वारा नहीं हो रहा है .... शायद वो चाहते हों कि मोदी की १० महीने की सरकार और केजरीवाल के २ महीने की सरकार की उपलब्धियों के बीच तुलना हो जो नहीं हो रही है .... और शायद वो अब सभी उन मुद्दों को मीडिया बहस में और जनता के बीच लाना चाहते हों जिनके बारे में उन्होंने वादे किये थे पर जिन वादों को पूरा करने में केंद्र सरकार की लिप्तता एवं वित्त की आवश्यकता लगनी है - और शायद जिन मुद्दों पर केंद्र से वैध दायित्वों के निर्वहन अपेक्षित नहीं है !!!!

इसलिए दक्ष सक्षम विद्वान कुशाग्र केजरीवाल के दांव पेंच को ज़रा धैर्य से देखने परखने की आवश्यकता है .... ये महसूस करते हुए कि मीडिया में वो बहस शुरू हो चुकी है जिसकी दरकार केजरीवाल को अपेक्षित हो !!!!

//// और अंततः 'आप' पार्टी में पैवस्त हुए संकट का सुखांत हो गया ....////


प्रशांत भूषण एवं योगेन्द्र यादव सहित दो अन्य गैरत गिरवी रख चुके गैरतमंद प्रो. आनंद कुमार और अजीत झा को पार्टी से बेइज़्ज़त कर बाहर कर दिया गया ....

योगेन्द्र ने अपनी प्रतिक्रिया में गुस्से और दुःख और भावनाओं का सामंजस्य बैठा १ मिनिट की बात ५ मिनिट में बयान करी - जिसमें मुझे गुस्सा या दुःख कम और खीज का पुट ज्यादा लगा .... और शायद पछतावा भी !!!!  

पर ज्यादा मज़ेदार प्रतिक्रिया तो मुझे प्रशांत भूषण की लगी - जिसमे खीज के साथ साथ खिसियाहट और लाचारी दिखी .... जैसे कि उन्होंने कहा "वो कोर्ट जाकर अपनी ऊर्जा बेकार नहीं करेंगे" - और जब मैं ये बात लिख रहा हूँ तो बहुत हंस भी रहा हूँ .... बाकी उन्होंने बखूबी जो तथ्यात्मक वर्णन किया कि कैसे योजनाबद्ध तरीके से केजरीवाल ने उन्हें बाहर निकाला वो सुन कर तो मेरी धारणा पुष्ट हुई कि केजरीवाल में समस्याओं से निपटने की गजब क्षमता है ....
फिर अंततः भूषण ने थोड़ा झुंझलाते हुए वो भी कह मारा जो उन्हें कहना ही था कि 'आप' अब 'खाप' बन गई है - और ये पार्टी एक तानाशाह के कब्ज़े वाली पार्टी बन गई है ....आदि !!!!

अब ये बात तो हुई बेटे प्रशांत की - पर उनके पिताश्री शांती भूषण भी कुछ कह बैठे हैं कि - प्रशांत को गलत तरीके से पार्टी ने निकाला है - ये तो हिटलर वाली बात हुई - मुझे भी पार्टी से क्यों नहीं निकालते ??

मित्रो आप स्वयं आंकलन करें कि क्या अब तक भी शांती भूषण को पार्टी से स्वयं इस्तीफ़ा देकर एक इज़्ज़तदार व्यक्ति होने का परिचय नहीं देना चाहिए था ?? क्या इतने नामी गरामी इज़्ज़तदार वृद्ध व्यक्ति को एक ऐसी 'खाप' पार्टी में जिसमें एक हिटलर रुपी तानाशाह की ही चलती हो और जिस पार्टी में अब कुछ भी अच्छा ना बचा हो - यहाँ तक कि उनका बेटा भी बाहर कर दिया गया हो - ऐसी पार्टी में एक पल भी रहना चाहिए ?? नहीं ना !!!! फिर ये अपनी बेइज़्ज़ती होने का इंतज़ार क्यों कर रहे हैं ??

और इसीलिए ही तो मैं सोच रहा था कि ये गैरतमंद इज़्ज़तदार लोग बेइज़्ज़ती के हकदार क्यों हैं !!!!    

खैर अब केजरीवाल को अभ्यास हो गया है कि ऐसे तथाकथित गैरतमंद ऊँचे खास लोगों को लात कब कहाँ कैसे मारकर बाहर करना है .... इसलिए मैं भविष्य को लेकर आश्वस्त हूँ - अगले झटके में शांती भूषण जैसे पार्टी विरोधी बचे लोगों को भी बाहर कर दिया जाएगा और 'आप' पार्टी केजरीवाल के कुशल नेतृत्व में अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ेगी !!!!

Monday 20 April 2015

//// राम नाइक की डीएनए रिपोर्ट....////


राम नाइक - उत्तर प्रदेश के राज्यपाल - जी हाँ एक संवैधानिक पद - पर बयान ?? एक बानगी देखें ....

भारत के हर नागरिक के मन में यह सवाल उठता है कि आखिर राम मंदिर कब बनेगा - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में विचार करे रहे हैं और एनडीए राज के बाकी बचे सालों में ही राम मंदिर मुद्दे का हल सर्वसम्मति से निकाल लिया जाएगा ....
अयोध्या में जल्द से जल्द राम मंदिर बने, यह उनकी इच्छा है - उनकी यह इच्छा पूरी होनी चाहिए ....
बिजली चोरों को बीच चौराहे पर खड़ा कर देना चाहिए और उन्हें जूतों से मारना चाहिए ....

और अभी लेटेस्ट में बयान दिए हैं ....हिंदुस्तान के खून में भगवान राम का डीएनए है !!!!

मेरे प्रतिक्रियात्मक प्रश्न ....

क्या आजम खान और ओवैसी के खून में दशरथ का डीएनए है ??
क्या प्राची साक्षी आदित्यनाथ निहालचंद येदियुरप्पा सुब्रमण्यम स्वामी में राम का डीएनए है ??
और क्या मोदी दिग्विजय और मसरत आलम का डीएनए एक ही है ??
क्या एक पागल और एक संवैधानिक पद पर बैठे हिन्दुस्तानी का डीएनए मिलता होगा ??
क्या दो व्यक्तियों का डीएनए मिलने का मतलब खून का रिश्ता होता है ??
यदि हाँ तो क्या आलिया भट्ट और राम नाइक का खून का रिश्ता है ??
क्या जानवरों का भी डीएनए होता है ? होता ही होगा - है ना ??
तो क्या सभी हिन्दुस्तानी जानवरों का डीएनए भी एक ही होता है ??
गाय और सूअर का डीएनए एक होता है ??

मित्रो !! उपरोक्त फ़िज़ूल प्रश्न पढ़ने और हंसने के लिए हैं - आप परेशान कदापि न होएं ....

पर अंत में मेरी एक उद्घोषणा अवश्य सुन लें ....
मैं डंके की चोट पर यह दावा करता हूँ कि मेरा और राम नाइक का डीएनए एक हो ही नहीं सकता .... और इसका एक कारण है कि मेरे खून में साम्प्रदायिकता नहीं है - और दूसरे क्या कारण हो सकते हैं आप अनुमान लगा ही सकते हैं !!!!

//// मोदी जी अब आप भी 'विपश्यना' हेतु कब निकल रहे हो ??....////


अभी अभी राहुल गांधी का संसद में किसानों की समस्याओं विषयक भाषण सुना ....

भाषण पहले के मुकाबले बहुत अच्छा था .... और धाँसू भी .... और मुझे लगा कि राहुल सीख गए हैं कि कब कहाँ क्या बोलना है .... उन्होंने बहुत चतुराई से मोदी पर गज़ब निशाना साधा और बहुत ही गज़ब चुटकियाँ लीं .... और चुटकियाँ भी सार्थक और सटीक .... जैसे कॉर्पोरेट दोस्तों की बात - सूट वाली बात - अच्छे दिन वाली बात - ६०% मजदूर किसान वाली बात आदि - और चुटकियों के साथ साथ मोदी जी को कुछ सुझाव भी दे दिए - बिलकुल मोदी स्टाइल में !!!!

मित्रो !! इसलिए अब एक सुझाव मैं भी मोदी को देना चाहता हूँ ....

केजरीवाल विपश्यना पर गए - और आकर छा गए - प्रशांत भूषण और यादव जैसे दिग्गजों की चुटकी बजाते वाट लगा दी .....
राहुल बाबा ५६ दिन की विपश्यना से लौटे हैं .... और आते ही लगता है मोदी की वाट लगा दी ....
अतः मेरा सुझाव है कि मोदी भी अब 'विपश्यना' पर निकल लें तो बहुत बेहतर होगा !!!!

मुझे लगता है कि मोदी 'विपश्यना' से आने के बाद ही पाकिस्तान, बदजुबान साथियों, सांप्रदायिक साथियों एवं संघियों और धंधेबाज मतलबी उद्योगपतियों आदि की वाट लगा पाएंगे .... 

अन्यथा तो अब लगता है खुद उनकी ही वाट लगती रहेगी - और साथ साथ भाजपा की भी ऐसी वाट लगेगी कि भारत कांग्रेस मुक्त ना हो भाजपा मुक्त हो जाएगा !!!!

अतः जनहित में मेरा सुझाव है कि विदेश यात्राएं तो बहुत हुईं - भाजपा को अब स्वहित में मोदी को 'विपश्यना' हेतु भेज देना चाहिए !!!!

//// यमन के पराक्रम - सुषमा जी का बखान - पर किरकिराहट क्यों ??....////


आज बजट सत्र के द्वितीय चरण के शुरू होते ही संसद में गिरिराज के बयान और भूमि अधिग्रहण बिल के कारण भारी शोर शराबे के बीच सुषमा स्वराज जी को यमन की घटनाओं का और उपलब्धियों का बखान करते सुना - जन. वी के सिंह की तारीफ सुनी .... जैसी कि मोदी जी द्वारा भी उन्हें सैल्यूट करते कल सुनी थी ....

उपलब्धियां काबिले तारीफ थीं और सुषमा स्वराज बोलतीं भी बहुत अच्छा हैं .... इसलिए उनको सुनना अच्छा तो लगा - पर मन में अलग ही विचार भी आ रहे थे ....

मैं सोच रहा था कि जब यमन में पराक्रम की पताका फहराई जा रही थी - लगभग उसी समय छत्तीसगढ़ में नक्सली मुठभेड़ों में हमारे जवान शहीद हो रहे थे .... यानि घर के बाहर शेर और घर में गीदड़ ??

और जब सुषमा जी उस पराक्रम का बखान कर रहीं थी तब पाकिस्तान से क्रॉस बॉर्डर फायरिंग और सीज़ फायर उल्लंघन भी हो रहा था - और कुछ दिन पहले ही मसरत प्रकरण में पराक्रम के बजाय घोर निराशाजनक कार्यवाही हम देख चुके हैं .... यानि कैसा पराक्रम ?? 

और फिर जन. वी के सिंह के विवादित क्रियाकलाप भी याद हो आए - जैसे कि लेटेस्ट में प्रेस्टीट्यूट वाला बयान .... यानि ऐसे व्यक्ति का क्या गुणगान ?? 

और शायद इसलिए सुषमा जी को सुनते हुए कुछ शोर तो सुनाई दे ही रहा था - पर कुछ असहजता और किरकिराहट भी महसूस हो रही थी ....

//// मोदी के बखान का दायित्व यदि सांसदों पर - तो सांसदों के घटियापन हेतु अगर मोदी माफ़ी मांग ही लेते हैं तो हर्ज़ ही क्या है ??....////


गिरिराजसिंह द्वारा लगभग २० दिन पूर्व सोनिया गांधी के विषयक शर्मनाक बयान दिया था जो न केवल सोनिया के विरूद्ध था बल्कि वो सभी महिलाओं के एवं विशेषकर नाइजीरिया के विषयक भी आपत्तिजनक था .... अर्थात घटिया गिरिराजसिंह का बयान घटिया था ....

और चूँकि गिरिराजसिंह कई विवादों में रहने के बावजूद शायद अपने घटियापन के रहते ही मोदी के मंत्री भी हैं - इसलिए आज विपक्ष द्वारा बजट सत्र के द्वितीय चरण के शुभारम्भ होते ही इस मुद्दे को जोर शोर से उठाते हुए विपक्ष द्वारा न केवल गिरिराजसिंह के त्यागपत्र बल्कि प्रधानमंत्री से भी माफ़ी मांगने की मांग कर डाली ....

पर सत्ता पक्ष की तरफ से वेंकैय्या नायडू ने प्रधानमंत्री के द्वारा किसी भी जवाबदेही को नकार दिया ... और तब विपक्ष के नेता खड़गे जी द्वारा यह बात कही गई कि -  प्रधानमंत्री को माफ़ी केवल इतनी मांगनी है कि उनके बार बार कहने के बावजूद भी कोई उनकी सुनता नहीं है - इसलिए वे स्वयं ही माफ़ी मांग लें .... बस !!!!

मुझे खड़गे जी की बात में दम लगा .... वो इसलिए भी कि अभी कल ही तो अपने सांसदों को मोदी जी कह रहे थे कि वो सब जनता के बीच जाकर मोदी का पक्ष रखें .... और इस हिसाब से तो यदि वही सांसद यदि जनता के बीच अनर्गल बात करते हैं तो फिर मोदी जी उनकी तरफ से माफ़ी क्यों ना मांगें .... और वैसे भी मंत्री होने के नाते "सामूहिक जवाबदारी" के मद्देनज़र भी मोदी जी अगर माफ़ी मांग ही लेते हैं तो हर्ज़ ही क्या है ??

Sunday 19 April 2015

//// मोदी को चुनौती ....////


लगभग १०-११ महीने के निर्विरोध राज करने के बाद ये शायद तीसरा मौका आया है कि मोदी को किसी अन्य द्वारा चुनौती मिली हो ....

पहला मौका था जब अरविन्द केजरीवाल ने उन्हें दिल्ली चुनाव में चुनौती दी थी ....
दूसरा मौका पेश किया मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने देश विरोधी क्रियाकलापों के द्वारा ....
और अब तीसरा मौका आया है जब राहुल गांधी ने उन्हें सीधे-सीधे चुनौती दी है .... अभी बात किसानों संबंधित मुद्दों के आसपास ही रखी गई है ....

विगत १०-११ महीनों में वैसे चुनौतियाँ तो मोदी को और भी मिलती रहीं हैं - पर वे चुनौतियाँ या तो मोदी ने स्वयं ही उत्पन्न करी थीं या उन्हें अपने लोगो द्वारा ही की गई करनियों के कारण प्राप्त हुई थीं .... और इस प्रकार की चुनौतियाँ अधिकतर "अनियंत्रित बोलने की बीमारी" की वजह से पेश आती रहीं हैं !!!!  

और मैं देख रहा हूँ कि अभी तक मोदी सभी चुनौतियों को पार पाने में असफल रहे हैं .... पूर्णतः असफल एवं निराशाजनक !!!!

किसी परिपक्व नेतृत्व का परीक्षण केवल तब ही हो पाता है जब यह देखने का अवसर प्राप्त हो कि वो चुनौतियों से कैसे निपटता है .... नहीं तो नसीब या योग-संयोग या तिकड़म से हासिल हुई जीत और सत्ता पर तो अपरिपक्व भी मज़े करते रहे हैं ....

और चूंकि चुनौतियों की तो अभी शुरुआत ही हुई है .... देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है ??
राहुल का अभी तक उपहास करने वाले मोदी जी व उनकी पूरी टीम यदि शहज़ादे राहुल के पहले वार से ही सकपका अपनी सफाइयां देने के लिए मजबूर हो गई हो - और थोड़ी चिंतित हो आगे की व्यूह रचना पर मनन करते दिखी हो - जैसे कि मोदी जी रंजे-मंजे सांसदों की क्लास ले उन्हें बताएँ कि आगे उन्हें किससे क्या बोलना है और क्या नहीं - तो यह सिद्ध करता है कि राहुल का तीर निशाने पर लगा है .... पप्पू की परिपक्वता के प्रदर्शन से लगता है अब फेंकू भी विचलित हो ही गए हैं !!!!

और इसलिए मुझे दिल्ली चुनावों में केजरीवाल के हाथों मोदी जी को मिली करारी कुरकुरी हार के बाद एक बार पुनः संतोष हो रहा है कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में आवश्यक उपयुक्त विपक्ष एक बार फिर अपना स्थान बनाने की कोशिश कर रहा है .... जो एक शुभ संकेत है !!!!

Saturday 18 April 2015

//// जम्मू-कश्मीर मामले का प्रभार सुषमा स्वराज को तत्काल सौंपा जाए....////


मुझे लगता है कि अपरिपक्व भाजपा और उसके शीर्ष नेतृत्व ने कश्मीर के हाल बदहाल कर दिए ....
वहां अभी तक जो कुछ भी किया और वहां जो कुछ भी हुआ वह चिंताजनक एवं आपत्तिजनक रहा है !!!!

मुझे लगता है अब कुछ समय बाद - मोदी जी अपनी इसी नाकामी और गलती को अपने ही अंदाज़ में पेश कर लफ़्फ़ाज़ी का परिचय दे हाथ झाड़ अलग हो जाएंगे .... शायद यही कहेंगे कि उन्होंने दिलेरी दिखा कुछ करने का प्रयास किया कुछ प्रयोग करने का प्रयास किया .... पर बाप बेटी की बदनियती और गलतियों के कारण और पाकिस्तान के षड़यंत्र के तहत ये प्रयोग असफल कर दिया गया है .... क्योंकि अलगाववादी ये चाहते थे कि यह प्रतिपादित हो सके कि हिन्दू मुसलमान साथ-साथ नहीं रह सकते .... आदि अनादि इत्यादि !!!!

पर मित्रो !! मैं इस प्रकार की सभी दलीलों को पहले से ही ख़ारिज करता हूँ ....
और मोदी जी को धिक्कारता हूँ कि जब हम जैसे साधारण व्यक्तियों को शुरू से ही ऐसा अनर्थ होने की प्रत्याशा थी तो केवल एक उपमुख्यमंत्री के पद के लिए और सत्ता की लालसा के लिए और अपने आपको एक धाँसू नेता साबित करने के चक्कर में आपने वो अनर्थ कर दिया है जिसकी भरपाई करना शायद बहुत मुश्किल हो !!!!

और मोदी जी की विपक्ष एवं अन्य सभी के साथ रिश्तों में बढ़ती कडुवाहट को देखते हुए अब कुछ भी आपसी सामंजस्य और ताल मेल के होता भी नहीं दिख रहा है .... "सबका विकास" तो दूर की कौड़ी हुई - "सबका साथ" भी अब संभव प्रतीत नहीं होता !!!!  

मित्रो मुझे लगता है कि उपरोक्त परिस्तिथियों में हाल फिलहाल और तत्काल मोदी जी को देश हित में जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान से संबंधित सभी मामलों से अपने आप को पृथक कर पूरा स्वतन्त्र प्रभार परिपक्व सुषमा स्वराज को सौंप देना चाहिए !!!! 

और साथ ही अपेक्षा करूंगा कि संघ, विहिप, अन्य हिन्दू या मुस्लिम संगठन या दल और पूरा विपक्ष भी इस पूरे मामले को धर्म और आतंरिक राजनीति से ना जोड़ इसे केवल "राष्ट्रिय मुद्दे" के रूप में ही देखेगा - और विशेष कर प्राची, आदित्यनाथ, साक्षी महाराज, तोगड़िया, आजम खान, ओवैसी, मोहन भागवत, दिग्विजयसिंह आदि जैसे सभी स्वघोषित देशभक्त नेताओं के मुहँ पर टेप चिपका कर कुछ दिन शांत रहने को कह दिया जाएगा .... और सेना को खुल्ली छूट के साथ तैयार रहने को ....  

उपरोक्त सुझाव मैं अपने दीर्घ अनुभव और अपने देश के हित में और जम्मू-कश्मीर में दिन-ब-दिन तेजी से बिगड़ते हालात के मद्देनज़र बहुत संजीदगी से दे रहा हूँ !!!! मैं इसे आपात स्थिति के रूप में देख रहा हूँ !!!! अतः सावधान !!!!

//// क्या यूरेनियम आने के बाद ही यूरीन करने के प्रबंध होंगे ??....////


मोदी जी कनाडा से यूरेनियम लाने का प्रबंध तो कर आए ....
पर देश की पोल भी खोल आए .... कि हमारे देश में यूरीन करने के भी समुचित प्रबंध नहीं हैं .... साथ ही यहाँ गंदगी भी बहुत है - आदि !!!!

और यह सच भी जग जाहिर है कि विदेशी एवं स्वदेशी मंचों से शौचालय एवं स्वच्छता की बातें करने के बावजूद हकीकत में तो कुछ हुआ दिखता नहीं ....

कहीं वो भी हँसते तो नहीं होंगे कि आखिर ये यूरेनियम का करेंगे क्या ?? कहीं यूरीन करने के प्रबंध तो नहीं ??

"मेक इन इंडिया" - फॉर - "मेड इन इंडिया" !!!!

Friday 17 April 2015

//// ब्रेकिंग सूचना !! .. प्रधानमंत्री मोदी ऑस्ट्रेलिया तो कभी भी गए ही नहीं....////


कनाडा में मोदी ने कह दिया कि इंडिया से कनाडा आने में तो १८-२० घंटे ही समय लगता है पर बड़े दुःख की बात है कि किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री को कनाडा आने में ४२ साल लग गए .... और ऐसा कहते उनका हाव भाव भी बेहद आपत्तिजनक था - '४२ साल लग गए' - ये शब्द भी ऐसे अंदाज़ में कहे गए कि बजाओ ताली - भारत की ऐसी टुच्ची हरकत के लिए बजाओ ताली !!!! 

बात अपने आप में आपत्तिजनक और शर्मनाक कही - क्योंकि यदि ४२ साल लग भी गए थे तो अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्रियों की वाट लगाते हुए अपने देश की बदनामी करने में मोदी कैसा सुख प्राप्त कर रहे थे ????

पर इसके इतर भी एक बात और - प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह २०१० में कनाडा गए थे - कस्सम से गए थे यार - इस बात का तो मैं भी साक्षी हूँ ....
पर ये मोदी भक्त कह रहे हैं कि मनमोहनसिंह कनाडा तो जी-२०  सम्मेलन में गए थे - इसलिए "stand alone" कनाडा थोड़े ही गए थे - यानि खास कनाडा थोड़े ही गए थे - और इसलिए वो कनाडा जाए हुए नहीं माने जा सकते - कोई कितनी भी बहस कर ले पर हमारी मुर्गी की डेढ़ टांग - प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह कनाडा नहीं गए थे - बस !!!!

मोदी और भाजपा की नई परिभाषा के अनुसार सभी मित्रो को कृपया "ब्रेकिंग सूचना" सूचित हो कि ....

// हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी भी ऑस्ट्रेलिया गए ही नहीं // 

गया होगा तो उनका भूत - या फिर ये एक जुमला ही होगा - क्योंकि विगत नवंबर २०१४ में हमारे प्रधानमंत्री ब्रिस्बेन में संपन्न हुए जी-२० सम्मेलन में गए थे .... बस !!!!

और उपरोक्त बकवास से उपजी मेरी एक और ब्रेकिंग सूचना ग्राह्य करें ....
// ४२ साल से भी अधिक हो गए अभी तक कोई भी ज़हीन शालीन भारतीय प्रधानमंत्री "stand alone" कनाडा नहीं गया है //....

//// हैल्लो मिस्टर ओबामा !! .... ज़रा लिमिट में ....////


खबर है - अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने टाइम मैग्‍जीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ में लेख लिखा है - उन्हें भारत का रिफॉर्मर इन चीफ करार दिया है - लिखा है कि मोदी का भारत में गरीबी हटाने पर जोर है - वे गरीबी हटाने का अच्‍छा प्रयास कर रहे हैं - मोदी ने पहले चाय बेचकर परिवार को आगे बढ़ाया और अब देश को आगे बढ़ा रहे हैं - इसके अलावा डिजिटल इंडिया के जरिये भारत को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं .... आदि !!!!

और अपनी तारीफ किए जाने पर मोदी ने ओबामा का शुक्रिया अदा किया है !!!!

पर मित्रो मैं कल्पना कर रहा था कि यदि कोई भी विदेशी हमारे देश के क्रियाकलापों के बारे में थोड़ा बहुत भी नकारात्मक कहता है या बिन मांगे कोई सलाह दे देता है जिसमें निंदा झलकती हो तो आपको तो मालूम है कैसा जवाब दिया जाता है .... ये हमारे आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप है जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे - बेहतर होगा आप अपने गरेबाँ में झांक कर देखे - हमें आपके सुझाव या सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है ....
अरे आपको तो याद ही होगा कि जब यहां से जाते-जाते ओबामा ने कुछ अनचाही सलाह दे दी थी तो बस ऐसे ही खिसियाए बयान ही तो चालू हो गए थे .... हैं ना !!!!

इसी कड़ी में मैं सोच रहा था कि .... ओबामा लिख रहे हैं कि - "मोदी का भारत में गरीबी हटाने पर जोर है - वे गरीबी हटाने का अच्‍छा प्रयास कर रहे हैं " .... पर मुझे तो अभी तक ऐसा कुछ भी नज़र नहीं आया - मुझे तो लगता है मोदी गरीबों के प्रति पूर्णतः असंवेदनशील हैं .... उनका प्रयास तो उद्योगपतियों की मदद करना और स्वयं को महिमामंडित करना है ....

इसी तरह ओबामा लिख रहे हैं कि - " मोदी ने पहले चाय बेचकर परिवार को आगे बढ़ाया और अब देश को आगे बढ़ा रहे हैं " .... पर मुझे तो अभी तक इत्तू सा भी अहसास नहीं हुआ या साक्ष्य नहीं मिले कि मोदी जी कभी चाय बेचते थे और चाय बेचकर परिवार को आगे बढ़ाते थे या फिर वो एक पारिवारिक मानव ही हैं .... जो व्यक्ति अपनी जवानी में अपनी सनक या महत्वाकांक्षा पूर्ण करने के लिए घरबार छोड़ के निकल जाय - या साल में एक आध बार अपनी माँ से मिले और उसे अपने साथ न रखे - या अपने भाई बहनों से कोई संवाद में हो ऐसा एहसास ही न होने दे - या फिर अपनी ब्याहता बीवी के साथ ही समाज के अनुरूप न्याय ना करे - तो उसे पारिवारिक मनुष्य तो दूर सामाजिक कहने या मानने में भी संकोच ही होता है .... और वो देश को आगे बढ़ा रहे हैं मुझे ऐसा भी नहीं लगता - बल्कि वो जब से सत्तासीन हुए हैं साम्प्रदायिकता बढ़ी है और समाज में विद्वेष और असुरक्षा की भावनाए बढ़ी हैं जिसके कारण मैं देश की अवनति ही देख पा रहा हूँ ....

अब जहाँ तक डिजिटल इंडिया के जरिये भारत को आधुनिक बनाने की कोशिश का प्रश्न है तो मुझे ना तो डिजिटल न मैकेनिकल न न्यूमेरिक न अल्फाबेटिक न वर्बल न रिटन - किसी भी क्षेत्र में मोदी प्रयासरत होते नहीं दिख रहे हैं - हां जो तकनीक उन्नत होने के कारण बदलाव हो रहे हैं वो तो हो ही रहे हैं !!!!

इसलिए अब आज मैं ओबामा को कहना चाहूँगा - ये झूठी तारीफ अपने पास रखें - मुझे मालूम है अगले वर्ष चुनावों के मद्देनज़र अमेरिका में रह रहे भारतियों के वोट अमेरिका की राजनीति में बहुत अहम हैं और शायद इसलिए नरेंद्र-बराक का संवाद चल रहा है ..... और हाँ !! याद रहे हमारे देश के आतंरिक मामलों में दखलंदाज़ी का प्रयास ना करें - हमारे देश के गरीब और गरीबी के बजाय आप अपने देश की समस्याओं पर ध्यान दें तो ही बेहतर होगा .... हमारे जले पर नमक ना छिड़कें - मोदी को रिफॉर्मर इन चीफ कहने के पहले जान लें कि जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं उन्हें यहाँ हिन्दुस्तान में लोग "फेंकू इन चीफ" बोल रहे हैं .... श्रीमान !! दूर के ढोल सुहावने होते हैं - या अंग्रेजी में जानें - ALL THAT GLITTERS IS NOT GOLD !! Got it Mr. Obama !!!!    

तो बताओ मित्रो !! निपटा दिया न मैंने ओबामा को एक मंजे हुए राजनेता की ही शैली में !!!!
आशा करता हूँ आपको मेरा कटाक्ष अच्छा लगा होगा - और कटाक्ष में शायद यथार्थ भी !!!!

//// मसरत गिरफ्तार !! .... लौट के मोदी घर को आ जाएं !! - अब चलेगा !!....////


अलगाववादी नेता मसरत आलम पहले जेल में था - फिर रिहा कर दिया गया था - फिर परसों उसने फिर हरकत पटकी - पर तत्काल कुछ नहीं हुआ - फिर भाजपा को कल पूरे देश ने खूब भला बुरा कहा - मोदी विदेश में हैं सो बच गए - फिर कल रात में मसरत को नज़रबंद कर दिया गया - और अंततः आज उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया !! हुर्रेsssss !!!!

और इसलिए कल तक भाजपा की हवा निकली सिकुड़ी छाती में कुछ हवा भर गई है - और भाजपा ने बयान जारी करना शुरू कर दिए हैं .... वही पुराने सदाबहार डायलॉग वाले बयान .... जिसमें 'देशभक्ति' 'राष्ट्रभक्ति' 'भारत' 'मातृभूमि' 'एकता' 'अखंडता' 'समझौता' 'बर्दाश्त' 'बख्शा' 'इज़ाज़त' 'सबक' आदि शब्दों का बहुतायत में उपयोग होता आया है !!!!

वैसे मैं सोच रहा था कि अभी कल तक की सभी नकारात्मक होनी के लिए जब भाजपा एवं संघ द्वारा मुफ़्ती मोहम्मद सईद और पीडीपी को जिम्मेदार बताया जा रहा था - और सदाबहार डायलॉग दिए जा रहे थे कि 'कानून व्यवस्था स्टेट चैप्टर है' और 'कानून अपना काम करेगा' - फिर एकाएक स्टेट की मुफ़्ती सरकार द्वारा की गई गिरफ्तारी से भाजपा की छाती फूल कर २८" की क्यों हो गई ??

फिर समझ आया कि क्योंकि आखिर पहले जनता की गालियां भी तो मूर्ख बीजेपी ही खा रही थी - शाणी पीडीपी का तो कोई नाम भी नहीं ले रहा था - और फिर जम्मू-कश्मीर में आधी सरकार भी तो भाजपा की है - तो आधी छाती फूलना भी बनती ही है .... है ना !!!!

इसलिए मैं भी भाजपा को बधाई देता हूँ .... मोदी जी को भी बधाई देता हूँ कि अब वो सिर ना ऊँचा कर ना नीचा कर सामान्य ऊंचाई के साथ घर वापसी कर सकते हैं ....

और 'प्रेस्टीट्यूट' जो अभी तक ब्रेकिंग या हेड लाइन चलाये हुए था कि - "लौट के राहुल घर को आए" - अब नई ब्रेकिंग लाइन चलाने की अग्रिम तैयारी कर सकता है कि ....
"लौट के मोदी घर को आए" !!!!

Thursday 16 April 2015

//// मैं मैं मोदी - तुच्छ मानसिकता - विदेशों में अपने ही देश की बदनामी ??....////


मोदी ने कनाडा में जो कुछ कहा उसकी एक बानगी देखें >>>>
>> जिन्होंने गंदगी फैलाई, वे अब चले गए हैं। अब हमें सफाई करनी है ..
>> पहले भारत को 'स्कैम इंडिया' कहा जाता था, मगर हम चाहते हैं कि इसे 'स्किल इंडिया' कहकर बुलाया जाए - हम भारत की इमेज 'स्कैम इंडिया' से बदलकर 'स्कीम इंडिया' की बनाना चाहते हैं ..
>> 10 माह पहले भारत में सरकार बदली थी और अब लोगों की प्रकृति बदल गई है ..
>> मैं गर्व से कह सकता हूं कि कनाडा ऐसा देश है, जो साल 2003 से गुजरात का पार्टनर है ..
>> हम लोग जब छोटे थे, एक फिल्मी गीत सुना करते थे- 'देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान। कितना बदल गया इंसान।' उस समय गीत में पीड़ा थी। आज मैं इस गीत को नए रूप में देख रहा हूं। आज मैं गर्व से कह सकता हूं कितना अच्छा बन गया इंसान ..
>> भारत में पिछले दस साल में प्रतिदिन 2 किलोमीटर सड़क बनती थी। पिछले 10 महीनों से हर दिन 11 किलोमीटर सड़क बन रही है ....

उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि मोदी जी ने विदेशी धरती पर जो नहीं बोलना चाहिए था वो बोला है - और जो बोला वो आपत्तिजनक - जिस अंदाज़ में बोला वो भी आपत्तिजनक है .... एक आध बार तो लगा जैसे कोई स्टैंड-अप-आर्टिस्ट नुक्कड़ प्रोग्राम दे रहा है और लोगों को गुदगुदा रहा है ....  

और कांग्रेस ने उपयुक्त आपत्ति भी सार्वजनिक कर दी है ....

आनंद शर्मा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की बीमार मानसिकता है। पिछली सरकार को बदनाम करना उनकी विशेषता बन गई है। हम असहाय हैं लेकिन हमें यह कहना पड़ेगा कि वो अपनी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रहे हैं। संप्रग सरकार ने न्यूक्लियर डील को शुरू किया था, लेकिन उस समय भाजपा ने इसको नकार दिया था और अब प्रधानमंत्री उसी डील को अपने नाम पर पेश कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा कि पीएम मोदी को याद रखना चाहिए कि वो भारत के प्रधानमंत्री हैं, ना कि सिर्फ भाजपा नेता। विदेशों में उनको अपने देश की बदनामी नहीं करनी चाहिए। प्रधानमंत्री हमेशा कांग्रेस पर हमला करने में रूचि रखते हैं। उनका यह रवैया अस्वीकार्य और गैर जिम्मेदाराना है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि भारत के प्रधानमंत्री विदेशों में देश का स्तर गिरा रहे हैं ....

और अंततः आनंद शर्मा ने यह भी कह दिया कि ऐसे नहीं चलेगा - अबसे जब भी मोदी विदेश में जहाँ भी जाएंगे वहां वहां कांग्रेस भी अपने उपयुक्त व्यक्तियों को भेजेगी और मोदी के द्वारा किसी भी प्रकार की  बकवास और झूठ का खंडन वहीँ उसी समय किया जाएगा .... 

बहुत सही - मरता क्या ना करता !!!!

पर मित्रो !! इससे दुनिया भर में ऐसी नई परिपाटी शुरू होगी जिससे भारत का मज़ाक बनेगा .... और बदनामी भी होगी - निंदा भी होगी - मान भी घटेगा - साख भी घटेगी - नुकसान भी होगा !!!!

पर कर भी क्या सकते हैं ? जब हमारे प्रधानमंत्री ही मोदी जैसे नायाब नगीने हों तो ये सब तो बर्दाश्त करना ही होगा ....
पर मित्रो !! कल्पना करियेगा की यदि मोदी असफल रहते हैं तो भविष्य में भारत की छवि की कैसी वाट लगेगी .... फिर जब कोई काबिल व्यक्ति भी विदेश में भारत की पैरवी करेगा तो विश्व यही सोचेगा - फेंक रहा है !!!!
इसलिए कोई उपाय तो करना होगा जिससे विदेश दौरों में मोदी जी की मुहँबंदी सुनिश्चित हो सके - पर लगता है ये तो असंभव ही है .... तो फिर शायद मोदी जी के विदेश जाने पर ही प्रतिबन्ध लगाना होगा !!!!

//// दोनों के छप्पन बेकार ....////


छप्पन दिन की छुट्टी ....
छप्पन इंच की छाती ....

मुझे लगता है देश के लिए ये कुछ भी काम नहीं आने वाला ....

काम कुछ आएगा तो साधारण छाती वाला बंदा जो दिन रात आपकी हमारी लड़ाई लड़ रहा है !!!!
!!!! जय हिन्द !!!!

//// और मैं वाकई बैठे बैठे मोदी को कोस रहा हूँ ....////


पाकिस्तान में लखवी को क्यों छोड़ा ? बहुत बवाल और बहुत बयान .... भक्त टाइप देशभक्तों को तो जैसे उछलने कूदने का उचित मौका मिला हो - पाकिस्तान से जोड़ा मुस्लिमों को और शुरू हो गए साम्प्रदायिकता का कड़वा रायता फैलाने .... मार देंगे काट देंगे, होश में रहना, ईंट का जवाब पत्थर से देंगे, पाकिस्तान को हरकतों से बाज़ आना चाहिए .... आदि !!!!

मेरे एक मित्र हैं - मोदी भक्त !! मैंने उनसे बात बात में कह दिया कि भाई पाकिस्तानी अदालत ने रिहाई के आदेश दिए थे तो लखवी को छोड़ दिया - तो वो बिफर गए ....
बोले ऐसे कैसे छोड़ दिया ? मैंने फिर कहा अदालत ने फैसला दिया था .... पर वो अड़ गए कि अदालत के फैसले से क्या होता है ? .... तो मैंने कहा ठीक है आप बताओ क्या करना चाहिए ? .... वो बोले पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहिए .... मैंने कहा कौन सिखाएगा ? बोले हम .... हम से मतलब ? बोले हमारी सरकार .... मैंने पूछा मतलब मोदी ? .... झेंपते हुए बोले मोदी - हाँ मोदी !! .... देखो न फ्रांस अमेरिका सबसे उन्होंने पाकिस्तान को घुड़की दिलवा दी है - मोदी बहुत सही जा रहे हैं - आप तो बस देखते जाओ ....

मैंने कहा ठीक है भाई - पर यार जरा ये तो बताओ ये मसरत को क्यों छोड़ा ? .... तपाक से बोले गलत छोड़ा है .... मैंने पूछा किसने छोड़ा ? .... बोले ये मुफ़्ती सरकार ने छोड़ा है .... मैंने चुटकी ली - तो मोदी चुप क्यों ? .... बोले अब ये तो मुफ़्ती सरकार का फैसला है - इसमें मोदी क्या करेंगे ? .... मैंने फिर चुटकी ली - तो क्या मुफ़्ती सरकार मनमानी करती रहेगी और आप कुछ नहीं करेंगे ? .... बस फिर क्या था आ गए लपेटे में और बोले - नहीं मनमानी नहीं, अदालत ने उसकी रिहाई के आदेश दिए थे .... मैंने भी तपाक से पूछा - अदालत ने ? भारत की अदालत ने या पाकिस्तान की अदालत ने ? .... मित्र सकपका गए और चुप !!!! और मैंने दुखती रग पर हाथ रख दिया - पूछा - मोदी कुछ करेंगे ?

बस फिर क्या था - भड़क गए - अरे यार आप लखवी और मसरत के मामले मत मिलाओ .... क्यों ? .... ये दोनों मामले अलग हैं - एक पाकिस्तान का है एक अपने यहाँ का है .... मैंने पूछा अपने यहाँ का मतलब ? .... झल्ला कर बोले अरे यार छोडो ना - आप भी पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हो - आपको उनसे इतनी हमदर्दी है तो आप भी पाकिस्तान चले जाओ .... क्या हो गया भाई ? मैंने ऐसा क्या कह दिया ? .... बोले कह क्या दिया आप पाकिस्तान को सपोर्ट कर रहे हो - उसने लखवी को छोड़ दिया तो कुछ नहीं हमने मसरत को छोड़ दिया तो आसमान सिर पर उठा लेते हो !!!!

और ऐसा कह कर वो चलने की तैयारी करने लगे - तो मैंने पूछ लिया - ये श्रीनगर में तो मसरत ने पाकिस्तानी झंडा फहरा दिया - मोदी कुछ करेंगे ? .... पलट कर बोले - मोदी ही कुछ करेंगे .... भाई क्या करेंगे ? .... मित्र बोले इन सब ".........." को ठिकाने लगाएंगे - पर आप चिंता मत करो - आप से कुछ नहीं होगा - आप तो बैठे बैठे बस मोदी को कोसते रहो ....

और मैं वाकई बैठे बैठे मोदी को कोस रहा हूँ .... !!!! बेचारा भक्त - और बेचारे हम !!!!

Wednesday 15 April 2015

//// श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडा - मोदी का खून ठंडा ....////


मोदी जी आप कनाडा में विचरण कर रहे हैं ....
वहां उद्योगपतियों से मिल रहे हैं और 'मेक इन इंडिया' आदि की बात कर रहे हैं ....
पर ये 'मेक इन इंडिया' क्या है क्यों है इससे क्या होगा हमारी समझ से बाहर है ....
आपका विकास हमें तो कहीं दिखा नहीं ....
बेरोजगारी भी कम होती दिखी नहीं ....
महंगाई भी कम होती दिखी नहीं ....
साम्प्रदायिकता के मोर्चे पर तो आप अभी तक शर्मनाक ही दिखे ....
और पाकिस्तान के मुद्दे पर कभी भीगी बिल्ली कभी फूले गुब्बारे ही साबित हुए ....
और अपने एक भी वादे को पूरा करते नहीं दिखे ....
अब कालेधन और अच्छे दिन की तो बात ही नहीं करते ....

पर हम चुप रहे .... आपको हनीमून पीरियड का लाभ देते रहे ....
और आप विरोधियों का मज़ाक उड़ाते रहे ....
नई नई बातें 'मेक इन इंडिया' 'जन-धन' 'स्वच्छता अभियान' की बातें कर सबको उलझाये रखा ....

पर मोदी जी आज तो हद्द हो गई .... आज तो वो हो गया जिससे आपका परम भक्त भी शर्मसार हो गया होगा ....

कृपया विदित हो कि आज श्रीनगर में एक जुलूस में मसरत आलम की उपस्थिति में भारत विरोधी नारे लगे और पाकिस्तानी झंडा लहराया गया है !!!!

और इस वक्त केंद्र और प्रदेश में आपकी ही सरकार है - और मसरत आलम को भी आपके कार्यकाल में ही छोड़ा गया है - और बावजूद कि आप लफ़्फ़ाज़ी के बादशाह हैं - आप अपनी जवाबदारी और जिम्मेदारी से अपना पिंड नहीं छुड़ा सकते ....  

और इसलिए मैं सोचता हूँ कि अब आप भी अपना जुलूस बढ़ा लें तो बेहतर ....

कृपया सूचित करें की अपना त्यागपत्र कनाडा से भेजेंगे या यहाँ आने की बाद देंगे या इस बार कनाडा से अपना बयान दे अपनी कथनी अनुसार यहाँ आते ही तुरंत कुछ ठोस कार्यवाही करेंगे ????

कुछ करेंगे तो ठीक - नहीं तो नारा लगेगा ....
!! श्रीनगर में पाकिस्तानी झंडा - पर मोदी का खून ठंडा !!

//// कनाडा में विचरण करते मोदी जी को मेरा संदेश .... 'मुँहबंदी' !!....////


हरिद्वार में विचरण करते हुए गोरखपुर से बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा, " हरिद्वार में हर की पैड़ी पर गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित होना चाहिए - यह सुरक्षा और धार्मिक दृष्टिकोण से जरूरी है " !!!!

कनाडा में विचरण करते मेरे प्रधानमंत्री को मेरा संदेश.... कृपया इस संबंध में वहां कुछ बात ना करें - यह पर्यटन और इज़्ज़त के दृष्टिकोण से जरूरी है !!!!

मोदी जी क्या है कि देश की छवि ख़राब होती है .... क्योंकि मैंने कई विदेशियों को भी 'हर की पैड़ी' पर विचरण करते देखा है और उनमें से कई पर्यटक के रूप में हिन्दुस्त्तान यहाँ की सांस्कृतिक विरासत को नज़दीक से देखने के लिए ही तो आते रहे हैं - अन्यथा मोदी जी आप तो अभी-अभी १० महीने से ही आकर्षण का केंद्र बने हैं !!!!

मोदी जी !! आप अभी तक विदेश में अपने को महिमामंडित करने के चक्कर में मैं मैं मैं मैं करते हुए भारत की बहुत भद्द पिटवा चुके हैं - इसलिए ही मैं आपको ये सन्देश भिजवा रहा हूँ ....
बस २-३ दिन और संयम से काम लें - उसके बाद आप जब यहाँ आ जाएंगे तो फिर अपन खुल के बात कर लेंगे .... अपने घर का मामला रहेगा .... 

देशहित में आगाह कर दूँ कि यदि कोई पत्रकार आपसे 'योगी आदित्यनाथ' या 'हर की पैड़ी' या 'गैरहिंदुओं' के बारे में कोई प्रश्न पूछ ही लें तो ? - तो कह दीजियेगा - योगी आदित्यनाथ पागल है - 'हर की पैड़ी' सब के लिए खुली थी खुली है खुली रहेगी और 'गैरहिंदु' शब्द का सही अर्थ आप को पता ही नहीं है .... बस !!!!

तो बस ठीक है कनाडा से लौट आइये - अपन फिर देखते हैं इस योगी आदित्यनाथ को 'हर कि पैड़ी' के अलावा देश में विचरण करने से कैसे रोका जाए - ये "गैरहिंदु" वाले दिमाग का भाजीपाला कैसे किया जाए - या फिर ऊपर से सेक्युलर सेक्युलर का नाटक करने वाले नालायक दोमुँहें नेताओं की कैसे वाट लगाई जाए .... ठीक है न मोदी जी !!!! धन्यवाद !!!!

पुनश्चः - अरे हाँ मोदी जी !! - अभी-अभी आपके उचंगी संगी साथियों ने यहाँ मुसलमानों और ईसाईयों की 'नसबंदी' की बात भी कह दी है - इस बारे में भी कोई पूछे तो 'मुँहबंदी' कर लीजियेगा - बस !!!!

//// केजरीवाल 'जाने' 'अनजाने' भी क्या मार्के की बात कह डालते हैं ना !!....////


भारतीय जनता पार्टी कितनी प्रजातान्त्रिक है या नहीं है इसकी पोल या पुष्टि एक छोटी सी बात से हो जाती है - और वो बात है .... पार्टीजन ने कहा - 'हैप्पी बर्थडे संजय जोशी' !! - पार्टी ने कहा - 'व्हाट इस दिस' ?? - पार्टीजन बोले - 'सॉरी सॉरी' - 'हू इस दिस संजय जोशी'  ????

उपरोक्त छोटी सी बात से एक और बड़ी बात की पुष्टि होती है कि अरविन्द केजरीवाल द्वारा 'आप' पार्टी के कुछ प्रसिद्द बागियों की शान में 'जाने' 'अनजाने' में फोन वार्तालाप में जो कहा था कि - "ये कमीने यदि किसी दूसरी पार्टी में ऐसा करते तो इनको पिछवाड़े लात मार कर बाहर कर दिया जाता" - वो बात १००% सत्य ही नहीं अपितु सटीक उपयुक्त भी थी - और शायद आवश्यक और फायदेमंद भी !!!!

बस अब तो उत्सुकता केवल एक बात को लेकर रह गई है कि केजरीवाल ने 'कमीने लात' वाली बात 'जाने' में कही थी ? - या 'अनजाने' में ?? .... और यह भी कि उनका स्टिंग हुआ था - या वो सब को स्टिंग कर गए ??  

मुझे लगता है कि जो लोग ये सोच रहे हैं कि केजरीवाल ने वो बात 'अनजाने' में कही थी वो अनजान हैं - मुझे तो पूरा भरोसा है कि वो बात केजरीवाल ने 'जाने' में ही कही थी .... और यदि नहीं तो भी मैं तो केजरीवाल का मुरीद हो गया .... वे 'अनजाने' में भी क्या मार्के की बात कह डालते हैं .... है ना !!!!

Tuesday 14 April 2015

//// विघ्नसंतोषियों की पारदर्शिता - तौबा !! .... 'स्वराज' के नाम पर दूसरों के 'राज' पर नज़र - तौबा-तौबा !!....////


आज 'आप' पार्टी के बागियों का बहुप्रतीक्षित पूर्ण-अपेक्षित जमघट हो ही गया ....
सब मिले - प्यार से मिले - उत्साह से मिले - जोश से मिले - पारदर्शिता से मिले - खुल के मिले - और संवाद किया ....

संवाद किया 'स्वराज' के नाम पर - पर क्योंकि संवाद में पारदर्शिता थी तो मुझे यह साफ़ हो गया कि संवाद 'स्वराज' पर नहीं होकर मुख्यतः 'केजरीराज' पर ही था .... सबने संवाद किया और निष्कर्ष पर पहुंचे कि 'केजरीराज' बहुत गंदा, मूल्यों से झटका भटका और निम्नश्रेणी का राज हो गया है ....

फिर महान नेताओं के भाषण हुए - जिसमें यह स्वीकार कर लिया गया कि 'आप' के विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ना तो टेढ़ी खीर होगी - और नई पार्टी बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं !!!!

फिर करवायी गई वोटिंग - कि आगे क्या करना - या क्या नहीं करना ????

और लगभग २५ % समझदारों द्वारा यह राय रखी गई कि नई पार्टी बनानी चाहिए .... जबकि लगभग ७० % आंदोलित कार्यकर्ताओं ने यह राय रखी कि पार्टी (यानि 'आप' पार्टी) में ही रहकर संघर्ष किया जाए .... और क्योंकि यही माना गया कि 'काड़ी-ऊँगली' करना ज्यादा सुविधाजनक है - अतः यह तय कर लिया गया कि बहुमत के अनुसार संघर्ष ही किया जाए !!!!

यानि इसे साहित्यिक भाषा में समझा जाए तो यह तय हो गया है कि - कुछ विघ्नसंतोषियों को मजबूरी में पारदर्शिता और बहुमत से यह निर्णय करना पड़ा है कि वो केवल दूसरों के कार्य में विघ्न पैदा कर संतोष धन प्राप्त करते रहेंगे ....

और राजनीतिक शुद्ध हिंदी भाषा में समझा जाय तो टुच्चों ने यह तय किया है कि - हम तो डूबे हैं सनम तुमको भी डुबाने की पूरी कोशिश करेंगे .... 

मित्रो !! मैंने अपने कल के लेख में ही लिखा था कि - 'पारदर्शिता' या 'नंगाईयत' का सही-सही प्रायोगिक मतलब और आशय आपको कल ही समझ में आ जाएगा .... और शायद मेरा दावा सही निकला ....

मुझे आज बहुत पारदर्शिता से नंगाईयत दिख गई है - विघ्नसंतोषियों की नंगाईयत !!!!

और संतोष भी हुआ है कि - 'आप' पार्टी किसी टुच्चे की बपौती कदापि नहीं हो सकती ....
और विश्वास भी हुआ कि - 'आप' पार्टी पर काबिल संस्थापक केजरीवाल का ही वर्चस्व बना रहना चाहिए और बना ही रहेगा !!!!