Sunday 31 January 2016

// और एक दिव्यक्रमांक - ८१९०८८१९०८ ....//


मित्रो !! मोदी जी की "मन की बात" में उनके द्वारा आज किये खुलासे के अनुसार यदि आप ८१९०८८१९०८ नंबर पर मिस कॉल दे देंगे तो .... तो आप मोदी जी की "मन की बात" फ़ोकट में सुन सकेंगे .... और इसे मोदी जी ने आपके लिए एक "तोहफा" निरूपित किया है ....

तो आप चाहें तो इस दिव्यक्रमांक पर मिस कॉल दें और फ़ोकट में सुनें ....
मैं तो अब और सुन नहीं सकता - क्योंकि मैं तो फ़ोकट में लाइव सुन कर बैठा हूँ ....

और वैसे तो पछता रहा हूँ - पर फ़ोकट की बात फ़ोकट में - ठीक है चलता है ....

तो दिव्यक्रमांक ८१९०८८१९०८ पर मिस कॉल देने वालों को - "वेस्ट ऑफ़ लक" !! हा !! हा !!

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Saturday 30 January 2016

// तो क्या .. "जब तक ऊपर चाँद रहेगा - चांडी तेरा नाम रहेगा" ???? ....//


ना पूरब ना पश्चिम - ना ही मध्य और ना ही कोई उत्तर .. इस बार दक्षिण - यानि केरल - और एक और घोटाला - "सौर पैनल घोटाला" ....

और आरोप गंभीर .... उतने ही गंभीर जितने कि बेचारे क्रिकेटर गौतम गंभीर - एवं उतने ही गंभीर जितने अन्य घोटालों के अनन्य आरोप .... गंभीर आरोप !!

और आरोपित ओमान चांडी .... माननीय या माननहीं मुख्यमंत्री केरल ....

तो क्या चांडी को इस्तीफ़ा देना चाहिए या देना पड़ेगा या दे देंगे ???? 

क्यों भाई ?? .. इस्तीफ़ा क्यों ?? ....
क्या व्यापमीय शिवराज ने इस्तीफ़ा दिया ?? नहीं !!....
क्या मानवीय सुषमा ने इस्तीफ़ा दिया ?? नहीं !! ....
क्या महामयी यशोधरा ने इस्तीफ़ा दिया ?? नहीं !! ....
क्या निंदनीय जेटली ने इस्तीफ़ा दिया ?? नहीं !! ....
फिर माननीय चांडी जी को इस्तीफ़ा क्यों देना चाहिए ?? ....

तो यानि उन्होंने नहीं दिया तो चांडी भी नहीं देंगे ?? ....
नहीं ऐसा नहीं है - चांडी इसलिए नहीं देंगे क्योंकि उनके ऊपर आरोप निराधार हैं ....
तो क्या उन अन्य पर आरोप निराधार नहीं थे ?? ....
नहीं आरोप तो आधार वाले थे पर अब तक साबित नहीं हो पाए ....
जब आरोप आधार वाले थे तो साबित क्यों नहीं हो पाए ?? ....
क्योंकि क्या है कि एक तो पूरा सिस्टम भ्रष्ट है - और दुसरे वो भ्रष्ट हैं निकम्मे हैं चालाक हैं सत्ता में हैं सशक्त हैं इसलिए आरोप साबित नहीं हो पाए ....
तो क्या आप पर लगे आरोप साबित हो जाएंगे ?? ....
नहीं हो ही नहीं सकते - इसलिए कि हम पर आरोप ही निराधार हैं ....
तो ये कौन तय करेगा कि आरोप निराधार हैं ?? ....
हम कह रहे हैं - और आप खुद चेक कर लें - आपको पता चल ही जाएगा कि आरोप निराधार हैं .... और जनता को तो पहले से ही मालूम ही है कि सारे आरोप निराधार हैं .... 

तो यानि किसी जांच की भी जरूरत नहीं ?? ....
नहीं जाँच करा लो ना - दावे से कुछ नहीं निकलेगा ....
जांच कौन करेगा ??
किसी से भी करा लो ....

वाह !! तो यानी "सौर पैनल घोटाले" की भी जांच हो जाए ?? ....
हो जाए - पर जांच निष्पक्ष होनी चाहिए - और हम चाहते हैं कि जांच घोटाले की जड़ तक की जाए और दोषी को बख्शा नहीं जाए - फिर चाहे वो कोई भी क्यों न हो - कितना भी बड़ा क्यों न हो - कितना भी शक्तिमान क्यों न हो ....

और मेरी अंतिम प्रतिक्रिया ....

मित्रो !! ये जड़ तक जाने की बात समझ आई ?? .... इस "सौर पैनल घोटाले" की जड़ में आपको मालूम है कौन है ?? नहीं मालूम ?? .... मैं बताता हूँ ....
इस घोटाले की जड़ में "सूर्य" है - और केवल सूर्य - यानि अपना पूरब से अस्त पच्छिम में पस्त होने वाला "सूरज" .... जिसकी अनियंत्रित ऊर्जा के कारण ही कुछ टुच्चों ने उसका दोहन कर मारा - और हो गया "सौर पैनल घोटाला" ....

इसलिए मेरा टुच्चों से निवेदन है कि जिस तरह तुमने शिवराज सुषमा यशोधरा जेटली को बख्श दिया - बस उसी तरह चांडी को बख्श देना - और उसी तरह "चाँद" "सूरज" "तारों" को - राम को - भगवान को - अल्लाह को भी बख्श देना ....

तो सब टुच्चे मिल कर बोलो रे ....

जब तक ऊपर चाँद रहेगा - चांडी तेरा नाम रहेगा ....
!! धन्यवाद .. धनअाबाद !!

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Friday 29 January 2016

// भक्तों !! अब तो तय हुआ ना - कि गरीब की थाली में रोटी नहीं आने वाली ..//


कल एक समारोह में एक छात्र ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से प्रश्न पूछ लिया ....
क्या राम मंदिर बनाने से गरीब की थाली में रोटी आ जाएगी ??

अनुत्तरित भागवत जी का प्रतिप्रश्न ....
अब तक मंदिर नहीं बना तो क्या गरीब की थाली में रोटी आ गई ??

मेरी प्रतिक्रिया ....

मेरा अभी तक का आंकलन सटीक ही है ....
राम मंदिर बने या ना बने - गरीब की थाली में रोटी नहीं आने वाली .... जय श्री राम !!

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// कचरे की राजनीति .... ये तो "बाप" बदलने पर तुले !! ....//


भाजपा की कचरा राजनीति और घटिया स्थिति और दिमागी दिव्यांगता के चलते दिमागी दिवालियेपन को आज मैं यूँ बयान करता हूँ ....

दिल्ली की एमसीडी पर भाजपा काबिज़ है - दिल्ली के सफाई करने का दायित्व एमसीडी का है - अतः सफाई कर्मचारियों के लालन पोषण का दायित्व हुआ भाजपा का .... पर एमसीडी में भ्रष्टाचार है - इसलिए सफाई कर्मचारियों को वेतन तक देने के पैसे नहीं छोड़े गए .... भ्रष्टाचारी भाजपाई हैं और कर्मचारियों के माई बाप भी भाजपाई हैं ....

पर कर्मचारी अपने लालन पोषण में कमी हेतु केजरीवाल पर दोषारोपण कर रहे हैं - उस केजरीवाल पर जो अपनी दिल्ली सरकार चलाते हैं और जो भ्रष्टाचार नहीं करते हैं - और जिनके पास सरकार चलाने के पैसे भी हैं .... और कर्मचारी केजरीवाल की संपन्नता देख उनसे ही वेतन देने की मांग कर रहे हैं ..... और इस मांग को कई पागल जायज़ भी ठहरा रहे हैं - कह रहे हैं कर्मचारियों को वेतन तो मिलना चाहिए - फिर चाहे कोई भी दे ....

उपरोक्त तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में मुझे लगता है कि ये तो यूँ हुआ कि - शराबी की औलाद पडोसी के यहाँ पहुँच रोए गाए और कहे मेरे बाप का तो कोई ठिकाना नहीं - उसकी दारू छूटती नहीं - पैसे बचते नहीं - वो कपडे-लत्ते देता नहीं - खाने को कुछ देता नहीं .... अंकल जी !! मुझ पर दया करो .... अब तुम पडोसी - तो फिर तुम्हारा भी तो कुछ दायित्व बनता है .... तुम तो हो भी अच्छे - तुम दारू भी नहीं पीते - इसलिए तुम्हारे पास तो पैसे भी हैं .... इसलिए मेरे बाप को छोडो - अब तो तुमको ही मेरी देखभाल करनी होगी - अब तो तुम ही मेरे बाप .... अंकल जी तुम ही मेरे बाप बन जाओ ना - अंकल जी प्लीज !! ....

और सतर्क पडोसी तर्क दे .... बेटा मेरा खुद का स्वास्थ अभी ठीक नहीं - मैं तो खुद स्वास्थ्य संबंधित उत्तर की खोज में दक्षिण जा रहा हूँ .... इसलिए बेटा यदि खाना खाना है कपडे-लत्ते चाहिए हों तो जाओ अपने बाप के ही पास जाओ - नहीं तो रिश्तेदारों के पास - या अपने बाप के बाप के पास ....

पर बच्चा मान नहीं रहा है - ज़िद कर रहा है - हाथ पांव पटक रो रहा है - अपने कपडे गंदे कर रहा है - अपने बाप को बदलने के लिए मचल रहा है ....

और मुझे लगता है कि बच्चे के बाप को बदलना भी चाहिए .... हा !! हा !!

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Monday 25 January 2016

// केजरी को देख बेचारे चिल्लाते रहे .. मोदी-मोदी-मोदी .. पर मोदी पहुंचे नहीं ..//


केजरीवाल फुर्सत में पिक्चर देखने टॉकिज में गए .... बाहर निकले तो कुछ व्यस्त लोग गला ख़राब करने में लगे पड़े थे .... पहले बोले .. मोदी-मोदी-मोदी .... और फिर बोले .. मोदी-मोदी-मोदी .... और बोलते ही रहे .. मोदी-मोदी-मोदी ....

पर मजाल !! .... मोदी वहां नहीं पहुंचे .... शायद २६ जनवरी के कार्यक्रमों और फ्रांस से पधारे अतिथि विषयक व्यस्त होंगे ....

इससे मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि वो सभी चिल्लाऊ लोग केजरीवाल को यह बताना चाहते थे कि हमारे भी एक मोदी हैं जो तुम से तुल्य हैं ....

और मैं यह भी मानता हूँ कि इस देश में हर किसी को अपनी बात और भावनाएं रखने का अधिकार है - और इसी अधिकार के तहत कुछ भाजपाइयों ने भी अपने 'मन की बात' करने का स्वतः ही अधिकार प्राप्त किया हुआ है - और इसलिए उन सभी भाजपाइयों को अपना दुःख व्यक्त करने का और द्विअर्थी नारे लगाने का और मन की भड़ास निकालने का अधिकार प्राप्त है - भले ही वो स्वयं बिलकुल हास्यास्पद तक क्यों न हो जाएं ....

और इसलिए मैं मानता हूँ कि एक काबिल मुख्यमंत्री की तुलना एक तथाकथित काबिल प्रधानमंत्री से करना कदापि गलत नहीं ठहराया जा सकता .... हमें इसे स्वस्थ मन से ही देखना होगा - असहिष्णुता से ऊपर उठकर ही देखना होगा .... हमें यह समझना होगा कि आखिरकार मोदी जी भी हमारे ही हैं - भारतीय ही हैं - कोई नक्सली थोड़े ही हैं - या कोई पाकिस्तानी एजेंट थोड़े ही हैं .... है ना !!

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Sunday 24 January 2016

// और शाह भाजपा अध्यक्ष बन बैठे .. तो क्या भाजपा का काम तमाम ?? ..//


आज दोपहर भाजपा मुख्यालय में अध्यक्ष पद का चुनाव होना एजेंडे में था ....

और चुनाव सम्पन्न हो गया - या यूँ कहें कि चुनावी प्रक्रिया पूरी हुई - एजेंडा पूरा कर लिया गया .... और तुरंत बाद मोडिया में ब्रेकिंग हेडलाइंस दिखने लगीं ....

अमित शाह भाजपा के अध्यक्ष चुने गए .... शाह ही भाजपा के शहं'शाह' .... शाह की भाजपा अध्यक्ष पद पर ताजपोशी .... शाह दूसरी बार भाजपा अध्यक्ष .... भाजपा ने अमित शाह को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना .... अमित शाह ३ साल के लिए निर्विरोध भाजपा अध्यक्ष चुने गए .... शाह भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए .... आदि !!

पर मुझे सबसे सटीक और सही और उपयुक्त हेडलाइन लगी  - "अमित शाह भाजपा अध्यक्ष बने" ....

ऐसा इसलिए कि उपरोक्त हेडलाइन में किसी को भी दोषारोपण करने या किसी के दोषी होने का भाव प्रकट नहीं होता है .... क्योंकि "वो बन गए" यानि बस "बन गए" - और बनने वाले का नाम अमित शाह - जो अध्यक्ष बन गए .... बस !!

खैर अब जो शाह भाजपा अध्यक्ष बन ही गए या बन बैठे - वो भी ३ साल के लिए - तो इस विषयक भी मैंने कुछ सोचा - कि क्या अब भाजपा के इतने बुरे दिन भी आने थे - कि शाह पूरे ३ साल के लिए अध्यक्ष - यानि भाजपा का काम तमाम ?? .... पर फिर मेरी कुछ चिंता कम हुई क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि वो पूरे ३ साल चलेंगे इसमें काफी शंका है ....

और शंका का कारण है कि शाह और मोदी जोड़ीदार हैं .... और वो अध्यक्ष बने हैं केवल इसलिए कि मोदी प्रधानमंत्री हैं .... और क्योंकि वर्तमान दुर्गति के चलते मुझे यकीन है कि ना तो अभी "विकास" अपने बाप का मुहं देख सकेगा - और ना मोदी ३ वर्ष तक प्रधानमंत्री रह सकेंगे - और इसलिए शायद जोड़ीदार शाह भी अपने ३ साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेंगे ....

और इस प्रकार भाजपा इतनी जल्दी बरबाद होने से बच जाएगी - जैसी कि मेरी ऐसी तीव्र इच्छा और सदैव ही शुभकामनाएं रही हैं .... आमीन !!

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// स्याही फिकी केजरीवाल पर - कालिख चढ़ी मोदी पर ....//


कुछ दिन पहले की ही तो बात है .... एक भावना अरोरा ने केजरीवाल पर एक भरे सरकारी समारोह में स्याही फेंक दी थी .... और तमाम होहल्ले के उपरांत 'बेचारी' को 'बेचारी' दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार करना पड़ा था ....

और भाई लोग और भक्त और भाजपाई सरकारी प्रवक्ता भावना में बह निकले थे .... कह रहे थे कि बेचारी की गिरफ्तारी क्यों - उसने गलत ही क्या किया - विरोध का अधिकार होना चाहिए - केजरीवाल की तो हरकतें ही ऐसी हैं - वो तो स्याही पुतवाने का विश्व रिकॉर्ड बनाएंगे .... आदि !!

पर अब लखनऊ में अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में जब मोदी जी भाषण देने खड़े हुए तो उनका वाक् विरोध हो गया .... हैदराबाद के रोहित वेमुला आत्महत्या कांड में सरकार के घृणित कृत्य एवं लचर रवैय्ये के विरोध में कुछ दलित छात्रों ने मोदी मुर्दाबाद और मोदी वापस जाओ के नारे लगा दिए - और 'चौकन्ने' सुरक्षा कर्मियों द्वारा तुरंत धर लिए गए ....

और अब मालूम पड़ा है कि उन ३ छात्रों को 'बेचारा' ना मानते हुए हॉस्टल से निकाल दिया गया है - और उनकी डिग्री भी रोक ली गई है ....

मुझे लगता है कि बस इतना विवरण ही बहुत है यह प्रतिपादित करने के लिए कि मोदी और उनके चाहने वाले किस कदर दयनीय हो चले हैं - 'बेचारे' हो चले हैं .... और दिमाग से दिव्यांग कर्मों से बेशर्म भी हो चले हैं ....

और मुझे लगा कि स्याही भले ही केजरीवाल पर फेंकी गई हो और फेंकी जाती रहे - पर कालिख तो मोदी पर ही चढ़ती साफ़ दिख रही है .... है ना !!

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Saturday 23 January 2016

// राजनीति क्यों ना हो ?? .. और हो तो ऐसी ही क्यों ना हो ?? ....//


इस देश की हर धड़कन क्या राजनीति से प्रभावित नहीं होती रही है ?? ....

क्या भारतीय जनता पार्टी एक धार्मिक संस्थान है जो राजनीति नहीं करती है ?? .. या कांग्रेस एक खेल संगठन होते हुए केवल धार्मिक कार्य करता रहा है ?? .. या फिर क्या "आप" भी केवल ड्रामेबाज़ी करती है राजनीति नहीं - और क्या राजनीति में ड्रामेबाज़ी करने पर पाबंदी है ??

क्या मोदी राजनीति नहीं करते तो क्या चाय बेचने का धंधा करते हैं ?? .. क्या अमित शाह एक राजनितिक पार्टी का नेतृत्व नहीं करते तो क्या गुंडों के संगठन के सरगना हैं ?? .... और क्या अरविन्द केजरीवाल अक्ल के दिव्यांगों को राजनीति करना नहीं सिखा रहे तो क्या आईआईटी की कोचिंग क्लासेस खोले हुए हैं ??

मित्रो !! उपरोक्त प्रश्नों से स्पष्ट होता है कि देश समाज और धर्म से जुड़े हर सार्वजनिक मुद्दे पर राजनीतिक प्रभाव रहता ही है .... फिर चाहे वो प्रभाव अच्छा हो या बुरा .... चाहे वो किसी को रुलाने वाला हो या हंसाने वाला ....

और इसलिए देश के हर मुद्दे पर राजनीति होती आई है और होती रहेगी .... और होनी भी चाहिए ....

और ये राजनीति केवल मोदी की सुविधानुसार हो या ना हो इस बात का भी कोई औचित्य नहीं .... यानि भले ही मोदी को अब दूसरों की राजनीति रास नहीं आ रही हो और वो अब विलाप करने लगे हों तो इस कारण भी राजनीति बंद तो नहीं ही होनी चाहिए ....

और इसलिए यदि हैदराबाद यूनीवर्सिटी के रोहित आत्महत्या के मामले में राजनीति हुई तो भाजपाइयों को खुल्ले में बच्चों जैसे रोना धोना कदापि शोभा नहीं देता .... क्योंकि आज जो मुद्दा सामने आया है उसके पीछे तो भाजपा की पारदर्शी परदे के पीछे वाली राजनीति ही उजागर हुई है .... यानि नंगों की नंगी राजनीति ....   

हाँ अब क्योंकि तड़का-किंग केजरीवाल ने इस मुद्दे में अपने स्टाइल का राजनीतिक तड़का लगा दिया - तो राजनीति का गरमाना तो तय था - और भाजपाइयों का जलना भी - और तड़के की मिर्ची का एहसास भी होना ही था ....

और केजरीवाल के तड़के का असर देखिये .... वही यूनिवर्सिटी और वही तथाकथित उच्चवर्गीय जोकर समूह जिसने पूरा राजनीतिक रायता फैलाया था - आज उसने बचे ४ छात्रों का निलंबन भी वापस ले लिया - दिवंगत रोहित के परिवार को ८ लाख रूपये देने की घोषणा भी कर दी - उसकी आत्महत्या पर शोक भी जता दिया - न्यायिक जांच आयोग गठन की घोषणा भी कर दी .... और .... और तो और मोदी केजरीवाल के राजनीतिक निर्देशों के बाद बोल पड़े और बिना किसी जांच स्वयं सत्य उगल दिया कि - रोहित को मजबूर किया गया था आत्महत्या करने के लिए ....

इसलिए इस विषयक मेरा राजनीतिक निष्कर्ष है कि ....

राजनीति होनी ही चाहिए - और ऐसी ही सर्वहित उच्च दर्जे की होनी चाहिए जैसी कि राजनीतिक तड़का-किंग केजरीवाल कर रहे हैं .... पर यदि बाकी बचे टुच्चों में ऐसी उच्च दर्जे की राजनीति करने की अक्ल क्षमता और औकात बची नहीं रह पाई हो तो फिर तो टुच्ची राजनीति से तौबा ही भली ....

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// और इसलिए आज मैं नेता जी को उन्मुक्त हो श्रद्धांजलि दे रहा हूँ ....//


और आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से संबंधित फाइलें सार्वजनिक कर दी गई हैं ....

और मैं आशा करता हूँ कि सार्वजनिक हुए इस अभिलेख से आज इस महान देश के कई महान लोगों को इस निष्कर्ष पर पहुँचने में आसानी और सुविधा हो जाएगी कि ....

इस देश के सबसे सफल क्रांतिकारी सपूत दिवंगत नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का आधिकारिक रूप से देहावसान हो गया है ....

इसलिए मैं मेरे हमारे सबके प्रिय और अनुकरणीय नेताजी सुभाषचन्द्र बोस को आज उन्मुक्त हो श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ !!!!

और यह भी आशा करता हूँ कि .... इस ऐतिहासिक मुद्दे को इतिहास के मद्देनज़र ही देखा जाकर आज के ज्वलंत मुद्दों पर इसका असर नहीं होने दिया जाएगा !! .... मसलन "राम मंदिर - बाबरी मस्जिद" जैसे ऐतिहासिक मुद्दे को जीवंत कर आज का मुद्दा बनाने की भूल दोहराई नहीं जाएगी !!

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Friday 22 January 2016

// केजरीवाल की मांग पर आखिर मोदी बोल पड़े ..//


आज मोदी जी का लखनऊ जाने का कार्यक्रम था जहाँ उन्हें बाबा साहेब अंबेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ानी थी ....

पर आज सुबह ही केजरीवाल ने मोदी को ट्विटर के ज़रिये हड़का दिया था - कि लखनऊ में अंबेडकर यूनिवर्सिटी में बोलने से पहले वे हैदराबाद के रोहित आत्महत्या मामले में अपनी चुप्पी तोड़ें ....

और जब दीक्षांत समारोह में मोदी भाषण देने खड़े हुए तो उनके विरोध में नारे लग गए - और अंततः मोदी ने दीक्षांत समारोह के भाषण में अपनी चुप्पी तोड़ते हुए हैदराबाद के रोहित की आत्महत्या पर खेद जताया - और खेद जताते हुए वे भावुक भी हो गए थे - बिल्कुल रोने वाले हो गए थे .... बस यही समझो कि किसान आत्महत्या मामले में आशुतोष जैसे भावुक हो फूट-फूट कर रोए थे उससे भी अधिक विदारक तरीके से - मोदी बिना आवाज़ और आँसू रो दिए ....

मुझे संतोष हुआ - अव्वल तो इसलिए की "मौन" मोदी बोले - या उनको बोलना पड़ा .... और दूसरे उनपर केजरीवाल का स्पष्ट असर दिखा ....

और मुझे संतोष इसलिए भी हुआ कि आज लगा जैसे मोदी के खुल्ले विरोध का सार्वजानिक शुभारम्भ भी हो ही गया .... जिसके कारण मुझे लगा कि इस  देश का युवा किसी भी नेता के यथोचित विरोध करने के लिए परिपक्व है और सक्षम भी - वो सहिष्णु भी है तो असहिष्णु भी है .... और इसलिए केवल खाली पीली बोम और जुमले अब ज़्यादा टिकने वाले नहीं - और लिहाज़ ज़्यादा पलने वाला नहीं ....

आगे मैं आशा करता हूँ कि केजरीवाल इसी तरह मोदी का मार्गदर्शन करते हुए उनका मार्गगर्क करते रहेंगे .... या मोदी भी केजरीवाल के क्रांतिकारी मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे .... आमीन !!

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// बॉलीवुड की नस्तियाँ अनुपम खेर एवं अभिजीत के लिए फिर काम निकला ..//


अब बॉलीवुड की एक और हस्ती करन जौहर ने बोल दिया है कि - 'बोलने की स्वतंत्रता' इस देश का सबसे बड़ा मज़ाक - और 'लोकतंत्र' दूसरा सबसे बड़ा मज़ाक .... इसलिए अब असहिष्णुता के विरुद्ध झंडाबरदार अनुपम खेर को अपने काम पर तुरंत लग जाना चाहिए और निकाल देनी चाहिए एक और रैली - असहिष्णुता के विरुद्ध - और असहिष्णु करन जौहर के विरुद्ध ....

और आज ही समाचार आया है कि एक मर्सिडीज़ कार ने फुटपाथ पर सो रहे ५ गरीबों को कुचल दिया है .... इसलिए अब गरीबों के प्रति सहिष्णु अभिजीत ने भी फुटपाथ पर सोने वाले गरीबों को धिक्कारना चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए कि वो ऐसे खतरनाक शौक ना पालें .... फुटपाथ खाली करें और किसी सुरक्षित भाड़ में जाएं ....

और मोदी जी को नसीहत कि उनकी पार्टी में असहिष्णुता और बढे और लोग फुटपाथ पर खड़े से टुकुर टुकुर वाहनों का चलन-चालन ही देखते रहें - उसके पहले - सभी को खाने खिलाने का बराबर मौका देते हुए मंत्रिमंडल में फेरबदल कर अनुपम खेर और अभिजीत को मंत्रिपद ज़रूर दे देवें ....

पर यदि सहिष्णु ताऊ के कैंप से असहिष्णु कीर्ति आज़ाद शत्रुघ्न सिन्हा आदि को भी मंत्री बनाना मजबूरी ही हो जाए - तो मेरे ख्याल से श्रेयस्कर होगा कि इन दोनों नगीनों के लिए दो नए मंत्रालय भी खोल देवें - और बना दें - अनुपम खेर को 'असहिष्णुता मंत्री' और अभिजीत को 'सहिष्णुता मंत्री' ....

पर ध्यान रहे !! .. वित्त मंत्री अरुण जेटली को हटाने की गलती नहीं करें .... क्योंकि पैसे के पक्के और अर्थ में कच्चे यही जेटली समय पड़ने पर सरकार की अर्थी निकालने में भरपूर सहयोग करेंगे ....

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Thursday 21 January 2016

// पंगा ना लेने की नसीहत .... मेरी तरफ से भी ....//


आज अरविन्द केजरीवाल ने हैदराबाद यूनिवर्सिटी पहुँच दिवंगत दलित छात्र रोहित के परिवार वालों और छात्रों से मिल बैठ बातें करने के उपरांत वहां अपने ही स्टाइल में एक छोटा सा भाषण भी दिया ....

भाषण क्या था - बस गुस्से का इज़हार - कुछ माँगे - भरपूर चेतावनी - और महत्वपूर्ण नसीहत भी ....

और उन्होंने नसीहत दी मोदी जी को - कि इस देश के युवाओं से पंगा मत लेना - इस देश के स्टूडेंट्स से पंगा मत लेना .... क्योंकि यदि वो खड़े हो गए तो वो तुम्हें उखाड़ फेंकेंगे ....

और केजरीवाल की नसीहत का आज मोदी जी पर तुरंत असर भी हुआ - क्योंकि अभी शाम होते-होते निलंबित ५ में से बचे ४ छात्रों का निलंबन वापस ले लिया गया ....

और क्योंकि मोदी जी ने मेरी आजतक एक भी बात या सलाह नहीं मानी है - इसलिए आज ऐसे माहौल में मौका देख मैं भी मोदी जी को एक नसीहत देना चाहता हूँ .... बस अब केवल एक नसीहत ....

मोदी जी !! केजरीवाल से पंगा मत लेना !! समझे ....

नहीं समझे तो जल्दी ही समझ जाओगे .... जैसे आज आपको केजरीवाल की बात समझ पड़ी - वैसे ही कल मेरी बात समझ पड़ जाएगी .... समझे !!

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// भागवत झा आज़ाद के सुपुत्र कीर्ति चुप और भाजपा में सन्नाटा क्यों ?? ..//


भाजपा सांसद कीर्ति आज़ाद सुर्ख़ियों में थे - शायद केजरीवाल की बदौलत या केजरीवाल के कारण - जिन्होंने डीडीसीए में भ्रष्टाचार के मुद्दे को यकायक कीर्ति प्रदान कर दी थी .... और कीर्ति आज़ाद इसी मुद्दे को ८-९ साल से घिस रहे थे .... जैसे भंगेड़ी सिल-बट्टे पर बड़ी मेहनत से भाँग घिसता रहता है - बिल्कुल मस्त होकर घिसता ही रहता है ....  

फिर क्या था .... कीर्ति ने २-४ प्रेस कांफ्रेंस कर मारी थी - और निशाना थे अरुण जेटली .... पर शाने राजनीतिज्ञ का परिचय देते हुए बड़े "सोफेस्टिकेटेड स्टाइल" में बिना जेटली का नाम लिए .... और साथ ही अपने को अपने पिता भागवत झा आज़ाद का पुत्र बताते हुए ताल भी ठोंक दी थी कि वो झुकने वाले नहीं - पीछे हटने वाले नहीं .... वे डीडीसीए में हुए भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करके ही रहेंगे ....

पर पीछे हटने वाले तो कीर्ति प्राप्त भाजपाई भी नहीं थे - जिन्होंने कीर्ति आज़ाद को पार्टी से निलंबित कर दिया था - और फिर कहते हैं कुछ नोटिस वगैरह भी दे दिया था - कि क्यों ना आपको पार्टी से निकाल दिया जाए .... और तब हमारे कीर्ति ने सुब्रमण्यम स्वामी के सानिध्य या गुरुत्व में जवाब भी दे दिया था - तगड़ा जवाब मय एक CD के - और CD में क्या था ?? बेहतर इस गेम के सभी खिलाड़ी ही जानें या जाने भागवत झा आज़ाद की आत्मा ....

और जनाब तब से इस पूरे प्रकरण में सन्नाटा छाया हुआ है - और इसके सभी भाजपाई किरदार घुघ्घू जैसे चुप हैं .... क्यों ????

कारण जो मेरी समझ आते हैं वो हैं .... CD में कुछ तो है जिससे कोई किसीको ब्लैकमेल कर रहा है और कोई ब्लैकमेल हो रहा है .... और ....

और .... अभी कुछ समय पहले ही मोदी सरकार में फेरबदल की पुष्ट अफवाह फैली थी जो अविश्वसनीय लोगों के विश्वस्त सूत्रों के माध्यम से आई थी - और चूँकि ऐसी अफवाहें ज्यादातर क्रियान्वित भी हो जाती हैं इसलिय केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल को नकारा नहीं जा सकता - और चूँकि उस CD में बहुत कुछ दमदार है अस्तु मुझे लगता है कि कीर्ति आज़ाद को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना तय हो गया हो ....

इसलिए मुझे ये भी लगता है कि यदि ऐसा होता है तो ये भाजपा मार्गदर्शक मंडल के तीन ताउओं की और अपने खामोश शत्रु भाई की भी जीत होगी .... एक जीत - राजनैतिक जीत - भ्रष्टाचार से भी ऊपर उठकर एक और शर्मनाक जीत !! .... और एक समझौता भी - मोदी शाह जेटली का कुशल राजनैतिक समझौता !!!!

और इसलिए मुझे लगता है कि डीडीसीए प्रकरण में अभी तत्काल ना कुछ हो रहा है ना कुछ होना है - पर बहुत कुछ होना है .... शायद जांच भी हो - और डीएनए टेस्ट्स की आवश्यकता भी आन पड़े .... और शायद अभी केजरीवाल को भूतपूर्व और अभूतपूर्व क्रिकेटरों और भविष्य में बनने वाले मंत्रियों के साथ और सहयोग बिना ही कुछ धाँसू कर गुजरने का स्वर्णिम अवसर भी प्राप्त हो .... तो अभी नहीं तो आगे-आगे देखिये होता है क्या !!!!

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Wednesday 20 January 2016

// आज पाक में आतंकी हमला - और रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का वो बयान ..//


कृपया स्मरण करें कि - पठानकोट पर आतंकी हमले के परिप्रेक्ष्य में हमारे रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि - "जब तक हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास नहीं होता है तब तक इस तरह के हमले नहीं रुकेंगे" ....

और आज पाकिस्तान में भी दर्दनाक आतंकी हमला हो गया - जहाँ बाचा खान यूनिवर्सिटी में कई निर्दोष छात्रों शिक्षकों की मौत की खबरें आ रहीं हैं .... और निश्चित ही आज हर पाकिस्तानी को दर्द का एहसास हो ही रहा होगा .... और निश्चित ही मेरे जैसे हर हिन्दुस्तानी को भी - क्योंकि मौत निर्दोष इंसानों की जो हुई है ....

तो क्या इस हमले को पठानकोट और रक्षा मंत्री के बयान से जोड़ कर देखा जाए ??

नहीं ! नहीं !! और कदापि नहीं !!! .... क्योंकि पाकिस्तान में हुए आज के आतंकी हमले में हमारा कोई हाथ नहीं है .... और ऐसे टुच्चे काम हम करते नहीं हैं .... और शायद इसलिए हमें हमारे रक्षा मंत्री को ऐसे अपरिपक्व बयान देने के लिए हड़काना होगा ....

और मोदी जी को समझाना होगा कि ये अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे बड़े महत्वपूर्ण और नाज़ुक होते हैं .... ये मुद्दे किसी गुजराती फॉर्मूले से काबू में नहीं किये जा सकते .... यहाँ हर कदम बड़े सोच विचार के लेने की ज़रुरत होती है .... यहाँ कूटनीति की आवश्यकता होती है .... यहाँ बिना बड़बोले हुए कुछ कर गुजरने की आवश्यकता होती है ....

और मेरे मतानुसार मोदी जी को ये भी समझना होगा कि अब हर बात पर पाकिस्तान को बुरा भला कहते रहने के बजाय हमें उस आतंकी संगठन से सीधे दो-चार हाथ करने होंगे जिन्हें अपने दुस्साहस पर गुमान हो चला है .... शरीफ मियाँ को ना तो हैप्पी बर्थडे बोलने से काम चलेगा ना उन्हें गाली देने से ....

// पठानकोट मसले पर आज हम मोदी की तीव्र निंदा क्यों ना करें ?? ..//


मेरे मतानुसार मोदी सरकार के अब तक लगभग सभी वादे खोखले साबित हुए और सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है ....

पर फिर भी सरकार और उसके भक्त और प्रवक्ताओं को टेके लगाने का मौका भी सदैव प्राप्त रहा है .... और इसी श्रृंखला में उन सबका सबसे सशक्त रामबाण टेका रहा है कि - वक्त तो लगता है - आगे देखिएगा मोदी ये करेंगे - मोदी वैसा करेंगे .... आदि ....

और शायद मेरे जैसे अनन्य सभ्य असहिष्णु मोदी सरकार को इस टेके की बदौलत छूट गालियां देने से अपने आपको जैसे तैसे रोकते रहे हैं - और केवल निंदा कर अपने मन को ठंडा करते रहे हैं ....

पर आज जब मैं पठानकोट मामले का पुनरावलोकन करता हूँ तो पाता हूँ कि - पाकिस्तान को अब तक जबकि काफी समय निकल चुका है वो मुहंतोड़ जवाब नहीं दिया गया है जिसकी कि हमें आशा थी अपेक्षा थी एवं हमें वादा किया गया था .... अरे जनाब !! मुहंतोड़ जवाब तो छोड़िये - ना तो पाक के मुहं पर चांटा ही मारा गया - ना नाक तोड़ी गई - और ना ही एक दांत भी हिलाया गया - और तो और ना ही होंठों पर ही कुछ सूजन उत्पन्न की जा सकी .... और इसलिए वो मुआं मुहं बनाकर मुस्कुरा रहा है ....

इसलिए मैं सोच रहा था कि ऐसा क्या कारण होना चाहिए कि अब हम इंतज़ार ही करते रहें कि मोदी जवाब देंगे - बस देने ही वाले होंगे - और इस प्रत्याशा में चुप बैठे रहें बिलकुल भक्तों की तरह सन्न ??

नहीं बिलकुल नहीं - मेरे मतानुसार हमें देशभक्ति का परिचय देते हुए अब मोदी की छूट शब्दों में निंदा करनी ही चाहिए .... और भक्तों को भीख में सांत्वना दे देनी चाहिए कि जैसे ही मोदी कुछ सार्थक करेंगे और पाक का मुहं टूटेगा हम सब सामूहिक रूप से मोदी जी की प्रशंसा के पुल बाँध देंगे .... हम ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला कर कहेंगे कि मोदी कायर नहीं है ....

तो आइये शुरुआत आज मैं कर देता हूँ ....

मोदी जी बहुत हुआ - हर बात पर ६० साल का उलाहना देने के बजाए अब इंदिरा जी की जीवनी ज़रा ढंग से पढ़ो और डूब मरो चुल्लू भर पानी में .... उन्होंने हमारे ६ मार दिए और आप अभी तक टर्रा रहे हो कि जाओ बात नहीं करेंगे ?? .... बात तो अब वो भी नहीं करेंगे और अब तुम भी मत करो .... बातें बहुत हुईं - अब तो ज़रा शर्म करो .... पठानकोट पर पठानी बंद करो - और समयपास करने के प्रयास में पाकिस्तान को कुछ कार्यवाही करने के लिए ललकारने के पहले ज़रा अपने गिरे गिरेबान में भी झांक लो - आज २० दिन हो गए तुम्हें और तुम्हारे कारिंदों को यह तक नहीं पता चल पाया कि तुम्हारा पार्टनर बादल का प्रिय एसपी सलविंदर चोखा है कि खोखा कि खोता कि थोथा ?? .... इसलिए सोचो कि कहीं तुम ही तो थोथे नहीं ?? 

मोदी जी कृपया सूचित होवे कि ये देश सब कुछ बर्दाश्त करता है पर राष्ट्र के सम्मान में ऐसा पलीता कभी नहीं .... इसलिए या तो इस्तीफ़ा दे दो - या गालियां खाते रहो - या तत्काल मुहंतोड़ जवाब दो .... बिना किसी लफ़्फ़ाज़ी के - समझे !!!!

Tuesday 19 January 2016

मेरे हँसने-हँसाने वाले दोस्त "गॉडसिंह" को मेरी रोते हुए श्रद्धांजलि ....

मित्रो !! मेरे सबसे प्यारे सच्चे दोस्त - हँसने-हँसाने में माहिर - हमारे सबके प्रिय - श्री भगवान सिंह सिसोदिया - जिन्हें हम सब "गॉडसिंह" के नाम से ही पुकारते थे - वो मकर संक्रांति १४ जनवरी को हमेंं रोता छोड़ इस दुनिया से बस यूँ ही मज़ाक-मज़ाक में चलते बने .... शायद उनके विराट ह्रदय में अकारण दिल ने धड़कने से मना कर दिया .... और बस ....

उस यारबाज़ के ढेरों यार दोस्त और उनको चाहने जानने वाले असंख्य उनकी हँसने की आदत और उनके हँसाने के कौशल को - तथा उनके चुटुकुले उनकी अनूठी हरकतों उनकी हाज़िर जवाबी उनके व्यंग्य उनकी अदा उनकी सहजता उनकी दोस्ती और उनसे जुड़े अनेक किस्सों को सदैव याद करते रहेंगे .... पर उनके उस नायाब हँसने-हँसाने वाले पहलू का यहाँ वर्णन करना संभव ही नहीं है ....

पर हाँ - उस हँसी के बादशाह को श्रद्धांजलि स्वरुप उनके ही द्वारा मान्य कुछ मर्म और सारगर्भित बातें आप से साँझा करना चाहूँगा ....

हमारे "गॉडसिंह" कहते थे ....

हमारे समाज की दुर्दशा देखिये - गरीब अपनी झोंपड़ी में खुश है - ये अफवाह अमीरों द्वारा ही उड़ाई हुई है .... और धड़ल्ले से चल भी रही है !!

हमारे स्वार्थ की पराकाष्ठा देखिये - भीड़ से हमें परहेज़ हो चला है - जबकि अकेले में हमें डर लगता है !!

....

और मित्रो !! विडम्बना देखिये कि मैं मेरे हँसने-हँसाने वाले दोस्त को हँसते हुए श्रद्धांजलि भी नहीं दे पा रहा हूँ .... क्योंकि मैं आज रोने के लिए मजबूर हूँ ....

मेरी प्रार्थना है और मुझे पूरा भरोसा है कि भगवान निश्चित ही हमारे "गॉडसिंह" को स्वर्ग में भी हँसने-हँसाने का सबसे कठिन काम ही सौंपेंगे .... और हमें और पूरे परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने का साहस प्रदान करेंगे ....

Monday 11 January 2016

// "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कैसे कराया जा सकेगा" ?? ....//


पठानकोट पर आतंकी हमले के परिप्रेक्ष्य में हमारे ही देश के मान्य एवं आधिकारिक शपथ गृहित रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कह दिया और हमने सुन लिया कि - "आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत है - जब तक हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास नहीं होता है तब तक इस तरह के हमले नहीं रुकेंगे"

अब मुझे कोई बता दे कि ....

"आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत है" - क्या ये बात नई है अनूठी है नायाब है ??
क्या इसके पहले किसी भी "अक्ल के दिव्यांग" ने कोई ऐसी बात कही थी कि "आतंकियों को बेअसर करने की जरूरत नहीं है" ??
क्या किसी ने हमें चोट पहुंचाई है ??
क्या कोई हमें बहुत समय से चोट नहीं पहुंचा रहा ??
क्या हमें चोट पहुंचाने वाले की अब तक शिनाख्त नहीं हो पाई है ??
क्या हमें चोट पहुंचाने वाला पाकिस्तान नहीं है ??
क्या हमार देश के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री और गृह मंत्री और प्रधान मंत्री को "पाकिस्तान" का नाम बोलने में भी कष्ट हो चला है या डर लगने लगा है ??
क्या मनोहर पर्रिकर को ये मालूम है कि नहीं कि - "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कैसे कराया जा सकेगा" ??
या फिर सरकार में कोई भी ऐसा एक काबिल नहीं जिसको ये मालूम हो कि - "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कैसे कराया जा सकेगा" ??

क्या "हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कराने का कार्य हमारी सेना ही करेगी या "विश्व हिन्दू परिषद या संघ या एमआईएम या जेटली या गडकरी या आजम खान ?? .. या फिर सभी औने पौने से लड़ने भिड़ने को तैयार हमारे प्रिय क्रांतिकारी ज़िंदादिल केजरीवाल तो नहीं ??

और यदि हमें चोट पहुंचाने वाले को दर्द का एहसास कराने का कार्य हमारी सेना को ही करना है तो क्या इस कार्य को अंजाम देने की जिम्मेदारी स्वयं रक्षा मंत्री की नहीं ?? तो क्या हम मान लें कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को कुछ कार्यवाही करने की इज़ाज़त नहीं ?? .. यानि सारी परेशानी कि जड़ कहीं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही तो नहीं ??

मित्रो - मुद्दे की बात यह है कि जब क्रियान्वयन के जिम्मेदार लोग ही "चाहिए-चाहिए" चिल्लाने लगे - और "जरूरत है - जरूरत है" जैसे जुमले बोलने लगे तो समझ लीजियगा कि दाल में कुछ काला है .... क्या चाहिए और क्या जरूरत है ये तो बच्चा बच्चा जानता है - पर कर्म करने के जवाबदार और जिम्मेदार ही बकवास करने लगे तो फिर क्या कीजियेगा ?? .. मैं तो शायद लिख ही सकता हूँ सो दुखी मन से लिख रहा हूँ - और आपने पढ़ लिया इसलिए .. !! धन्यवाद !!

Saturday 9 January 2016

// रामदेव का ५०% डिस्काउंट - अब तो कुछ सिर काटो .... नहीं तो क्या ?? ..//


मित्रो सर्वत्र ज्ञात है कि सुषमा स्वराज ने ओजस्वी भाषा में फौजी तेवर में उद्घोषणा करी थी कि हमारे १ सिर के बदले पाकिस्तान के १० सिर काट के लाएंगे ....

अभी हाल में पाकिस्तान ने हमारा मुह तोड़ते हुए पठानकोट में हमारे ७ सिर ढेर कर दिए .... और आज एक सप्ताह के अथक परिश्रम के बाद मोदी सरकार को यह पक्का हो गया है कि इस आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ था .... और शायद अगले महीने तक एसपी सलविंदर के बारे में भी दूध का दूध पानी का पानी और दारू की दारू सामने आ जाएगी .... और इसलिए देश मोदी के मुहतोड़ जवाब की प्रतीक्षा कर रहा है ....

और यह प्रतीक्षा देश २-३ जनवरी से ही कर रहा है जब पठानकोट में आतंकी हमला हो रहा था .... और तब से अब तक देश भेरू होकर हाथ बांधे मोदी के मुहतोड़ जवाब का इंतज़ार कर रहा है ....

पर शायद रामदेव बाबा की सहनशक्ति अब जवाब दे गई है और बाबा को तो अब गुस्सा चढ़ गया है .... और बाबा ने मोदी जी से मांग कर डाली है कि पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर भी भारत हमला करे - ईंट का जवाब पत्थर से दे - और हमारे २ सिर के बदले १० सिर ढेर करे ....

यानि रामदेव बाबा ने मोदी सरकार को १ के बदले १० के स्थान पर २ के बदले १० - यानि १ के बदले ५ सिर के हिसाब से ५०% का डिस्काउंट दे दिया है .... और मोदी को ललकारा भी है ....

पर रामदेव बाबा की पृष्ठभूमि की जानकारी होने के कारण मुझे रामदेव बाबा से कुछ तीखे चुभने वाले प्रश्न भी पूछना है ....

यदि मोदी जी मुहतोड़ जवाब नहीं दे पाते हैं तो रामदेव बाबा आप क्या करेंगे ??
क्या मोदी जी को वीर रस वाली कोई जड़ी बूटी देंगे ??
मोदी कालाधन नहीं लाए तो बाबा आपने अब तक क्या उखाड़ लिया ??
मोदी के सत्ता में आने के बाद पतंजलि उद्योग और खुद आपकी संपत्ति में अभूतपूर्व फायदा हुआ या नुक़सान ??
क्या मैगी पर प्रतिबंध उचित था ??
और बाबा आपके आटा नूडल्स कैसे चल रहे हैं ??

और बाबा क्या आपकी धांसू दवाई जिससे औलाद हो जाती है उससे क्या किसी के "विकास पुत्तर" भी हो सकता है .... यदि हाँ तो वो दवाई मोदी जी को देते क्यों नहीं ????

// 'अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ' के मार्फ़त सुब्रमण्यम स्वामी वित्तमंत्री ?? ..//


'अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ' .. क्या कभी पहले ऐसा नाम सुना था ?? .. मैनें तो नहीं !!

पर आज ये नाम सुना गया - क्यों ?? .. क्योंकि इसी संस्थान के तत्वावधान में दिल्ली यूनिवर्सिटी में राम मंदिर के विषयक एक सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है ....

और शैक्षणिक संस्था में एक राजनीतिक और धार्मिक विषयक इस सेमीनार में वो ही वक्ता शिरकत करेंगे जो राम मंदिर निर्माण के समर्थन में हैं .... और ये भी कहा जा रहा है कि इस सेमीनार में सभी वक्ता "प्रबुद्ध" होंगे .... और इन प्रबुद्धों के अलावा एक सुब्रमण्यम स्वामी भी होंगे .... बल्कि वो तो बिल्कुल अलग 'मुख्य वक्ता" होंगे .... 

अब ज़रा सोचें की किस-किस की आड़ में क्या-क्या किया जा रहा है .... साम्प्रदायिकता का ज़हर कैसे फैलाए जाने का प्रयास किया जा रहा है .... धर्म और राजनीति का क्या कमाल का घालमेल किया जा रहा है .... धर्म को कीचड बना राजनीति का कमल खिलाया जा रहा है .... और देश की न्यायपालिका के महत्व को भी कैसे धता बताई जा रही है ....

और इसलिए ही मैं सोच रहा था कि वो व्यक्ति जो न्यायपालिका में विश्वास नहीं रखता हो और धर्म के नाम पर होने वाली राजनीति को हवा देता हो क्या वो "प्रबुद्ध" हो सकता है ?? .... नहीं !! .. मेरे मतानुसार तो वे सब "बुद्दू" हैं - और इन सबको बुद्धू बना रहा है भाजपा का सबसे शाना तेज चालाक खतरनाक नेता "सुपरमनियम स्वामी" ....

और मेरी समझ अनुसार ये स्वामी ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि वो मोदी के विरोध में है .... और जैसे कीर्ति आज़ाद जेटली के मज़े ले रहे हैं - और स्वामी आज़ाद के साथ खड़े हैं - और आडवाणी यशवंत मुरली मनोहर के आशीर्वाद से शत्रु मोदी के मज़े लेते रहे हैं - वैसे ही स्वामी भी मोदी के मज़े ले रहे हैं .... कारण ?? .. स्वामी ने अपनी पार्टी जनता पार्टी का ही विलय भाजपा में कर दिया था - और कुछ आश्वासन प्राप्त किया ही होगा - पर जीतने के बाद मोदी वो आश्वासन पूरा नहीं कर पाएं हैं .... हारे हुए कई लोगों को तो मंत्री बना दिए पर स्वामी को नहीं - मसलन हारे हुए जेटली को "मलाईदार" वित्तमंत्रालय दे दिया और अर्थशास्त्री स्वामी को "बाबाजी का ठुल्लू" ....

और चूँकि भाजपा में ऐसे और भी कई असंतुष्ट नगीने हैं - और संघ विहिप आदि में भी कई रामभक्त हैं जो राम के नाम पर जान देने के अलावा कुछ भी कर सकते हैं - यानि चंदा लेने से लेकर दंगा फसाद सब - इसलिए इस सेमीनार के बहुत दूरगामी परिणाम निकल सकते हैं ....

जैसे कि डीडीसीए मामले में फंस चुके जेटली की जगह राम कृपा से स्वामी वित्तमंत्री बनाए जा सकते हैं .... या फिर स्वामी अगला प्रधानमंत्री बनने का प्रयास तो कर ही सकते हैं .... जब एक चाय बेचनेवाला प्रधानमंत्री बन सकता है तो एक चतुर अर्थशास्त्री क्यों नहीं ?? .... हा !! हा !! हा !!

Friday 8 January 2016

// ना जांच करेंगे ना करने देंगे .... पर केजरी भी कहाँ रुकेंगे ....//


आज केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के द्वारा डीडीसीए में हुए भ्रष्टाचार की जांच हेतु गठित सुब्रमनियम आयोग को असंवैधानिक एवं गैरकानूनी घोषित कर दिया है ....

और मुझे आज स्पष्ट हो गया है कि मोदी जी जो कहते थे - "ना खाऊंगा और ना खाने दूंगा" - एक जुमला था .... क्योंकि लोग मस्त खा रहे हैं - और खाने के साथ पी भी रहे हैं - और इतना खा पी रहे रहे हैं कि दस्त और उल्टियाँ भी कर रहे हैं ....

और मोदी जी हैं कि सब देख समझ रहे हैं - पर शायद अपनी सरकार को बचाने के चक्कर में ये निर्णय करने पर मजबूर हो चले हैं कि - "ना जांच करेंगे ना करने देंगे" .... और जब जांच ही नहीं होगी तो ये कैसे सिद्ध होगा कि किसी ने खाया ??

पर केजरीवाल भी ऊँची चीज़ हैं भाई .... घडी भर भी दम लेने के मूड में नहीं - छोड़ने के भी मूड में नहीं .... और लगता है वो जांच भी जारी रखेंगे - और जुलाब की गोलियां देना भी जारी रखेंगे .... और इसलिए खाने वालों के ना दस्त उलटी रुकने देंगे - न ही उनको लगी हिचकियाँ .... 

शायद इसलिए ही अब तो भक्त भी कहने लगे हैं कि .. मोदी जी दम भरते क्यों नहीं ?? .... और केजरीवाल कुछ दम लेते क्यों नहीं ?? .... हा !! हा !!

// ऐसी "मानहानि" और ऐसे "मानलाभ" वालों !! "मानसरोवर" में डूब मरो ..//


केजरीवाल तो भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध खुल कर दहाड़ते ही रहे हैं - उन्हें ललकारते और उचकाते उकसाते भी रहे हैं - और घेरते भी रहे हैं .... और इसलिए कुछ घिरे लोगों की मानहानि होना स्वाभाविक है ....

अब जैसे केजरीवाल ने डीडीसीए वाले जेटली जी का नाम डीडीसीए से जोड़ दिया - बड़े आराम से - और जो मुद्दा भाजपाई सांसद बेचारे कीर्ति आज़ाद ९-१० वर्षों से चिल्ला चिल्ला कर उठा रहे थे और कोई सुन ही नहीं रहा था और किसी की "मानहानि" भी नहीं हो रही थी - वही मुद्दा एकाएक "मुद्दा" बन गया .... जेटली जी हैरान परेशान हो गए - उनके मान की तो ऐसी की तैसी हो चली - और इसलिए उन्होंने केजरीवाल और उनके साथियों के विरुद्ध "मानहानि" का दावा ठोंक दिया ....

"मानहानि" का दावा !! .. जी हाँ बिलकुल ठीक - "मानहानि" हुई है इसलिए दावा भी बनता है .... और न्यायालय सब न्याय कर देगा .... हो सकता है कह दे - काहे का मान काहे की हानि - या "मानहानि" हुई तो तुम्हारी खुद की करतूतों के कारण - या हो सकता है औकात नाप-तोल कुछ मुआवज़ा राशि दिलवा दे ....

पर यदि ऐसा होता भी है तो ये मामला तो केजरीवाल और जेटली के बीच का होगा - इससे मुझे क्या - मेरा क्या लाभ ??

मुझे तो अब इस बात से मतलब ज्यादा हो चला है कि ये "मानहानि" का मुद्दा भले ही जाए भाड़ में - ये फ़ोकट "मानलाभ" का क्या किया जाए ?? .. और इस "मानलाभ" के कारण जो देश और मेरा नुकसान हुआ इसकी भरपाई कैसे हो ??

मसलन कितने ही भक्तों ने मिल कर मोदी जी की क्या तारीफें करीं - क्या सब्जबाग दिखाए - क्या वायदे करे .. कि देखते-देखते मोदी जी का मान बढ़ता ही गया - यानि उन्हें "मानलाभ" हुआ .... और इस "मानलाभ" की बदौलत वो चुनाव जीत इस देश के प्रधानमंत्री हो गए ....

पर मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद मुझे देश में कोई बदलाव या विकास होते नहीं दिखा .... और तो और मुझे एक पैसे का भी फायद नहीं हुआ - बल्कि रोज़मर्रा की चीज़ें बेतहाशा अधिक दामों में खरीदनी पड़ीं - जैसे कि कभी आटा कभी दाल कभी प्याज तो कभी फल सब्जियां ....

इसलिए मेरा प्रश्न है कि जिन लोगों ने मोदी जी का अनावश्यक "मानलाभ" किया उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही हो सकती है ?? और ये कार्यवाही कौन करेगा ?? और किस कानून के तहत ??

केवल "तुअर दाल" में जो "सूअर" करोड़ों का घपला कर गए - और कई गरीबों की जेब पर डाके पड़ गए - उस लूट के पैसे का क्या होगा ?? कौन वो पैसे भ्रष्टाचारी सटोरियों और भ्रष्ट "मानलाभित" नेताओं से प्राप्त कर लौटाने की व्यवस्था करेगा ??

क्या हमारे वित्तमंत्री "मानहानि" वाले अरुण जेटली जी अपना प्यारा चिकना सर खुजला अपने स्वार्थ से आगे निकल इस बारे में भी कुछ सोचेंगे - कुछ कहेंगे ?? - या बेशर्मी के साथ हमारे ही पैसे से ऐश करते अपने स्वार्थ के बारे में ही प्रयास करते रहेंगे ?? और रोते रहेंगे कि हाय मेरी "मानहानि" हो गई - वैसे ही जैसे अभी क्रिकेटर क्रिस गेल भी निहायत शर्मनाक कृत्य करते हुए भी चिल्ला रहे हैं कि उनकी भी "मानहानि" हो गई .... 

यदि ऐसा ही है तो धिक्कार है ऐसी "मानहानि" और ऐसे "मानलाभ" पर .... इन्हें तो "मानसरोवर" में जाकर गहरे पानी में डूब मरना चाहिए !!!!

Thursday 7 January 2016

// गजेन्द्र चौहान ने वो कर दिखाया जिसपर वो शर्म तो कर ही सकते हैं ....//


और आखिर ४ महीने बाद अजब गजब बेइज़्ज़त सरकार की इज़्ज़त बचाने हेतु हठधर्मिता के साथ गजेन्द्र चौहान ने आज कर्मठता के नाम पर FTTI का कार्यभार संभाल लिया .... वो भी घुस्सू माफिक घुस - निदेशक का पदभार ....

और इस दौरान संस्था के छात्रों ने जमकर विरोध किया और प्रदर्शन किया - और गिरफ्तार भी हुए ....

और मुझे पूरा भरोसा है कि ये सब देख भक्त और भाजपाई निश्चित ही उनकी संस्था को प्रिय एवं उनके संस्कारों में समाई प्रातःकालीन प्राथना तुल्य ये बात कह सोच रहे होंगे कि ....

गजराज चले मस्तानी चाल - कुत्ते भौंके हज़ार .... (वैसे तो वो "हाथी" कहते हैं - पर शायद गजेन्द्र नाम के मायने और तुकबंदी के कारण वो "गजराज" शब्द का उपयोग कर रहे होंगे ....)

मेरी प्रतिक्रिया ....

तुम्हें ये किस मूर्ख ने बता दिया कि कुत्ते केवल भौंकते हैं - काटते नहीं ??
और क्या किसी समझदार ने ये नहीं चेताया कि .... गजराज की मस्तानी चाल अपने ही बोझ तले सुस्त भी होती है - जिसके कारण वो अक्सर अपनी मंज़िल पर पहुँच ही नहीं पाता - और रास्ते में ही कुत्तों का शिकार हो जाता है ....

और हाँ याद रहे कि गजराज की नाक कभी ऊँची नहीं होती - वो तो बहुत लचीली हिलती डुलती और लंबी होती है - इतनी लम्बी कि उसे "सूंड" कहा जाता है ....

और गजेन्द्र चौहान ने भी जो कुछ किया है उससे उनकी या किसीकी भी नाक ऊँची तो कदापि नहीं होती है - हाँ नाक नीची ही होती है - जिसपर वो शर्म तो कर ही सकते हैं .... अपनी "सूंड" सिकोड़कर ....

// अब पाकिस्तान कार्यवाही करे .. पर क्या ?? कैसी ?? .. कोई बताएगा ?? ..//


तो क्या अब मैं मान लूँ कि - पाकिस्तान को थोड़ा-थोड़ा मुहंतोड़ जवाब दे दिया गया है ?? ....

या अब मोदी सरकार ने बहुत ही कड़ा रवैय्या अख्तियार कर लिया है .... क्योंकि भारत ने पाकिस्तान को पठानकोट हमले के सबूत दे दिए हैं - और ऐलान कर दिया है कि अब आगे बातचीत तब ही होगी जब पाकिस्तान कोई कार्यवाही करेगा .. अब पहल पाकिस्तान को करनी होगी .. बॉल अब पाकिस्तान के पाले में ????

वाह क्या शॉट लगाये हो मोदी जी - पूरा घूम के - उल्टे होके - बिलकुल नए स्टाइल में ....

तो क्या कार्यवाही चाहते हो ?? 

क्या बस इतना ही कि पाकिस्तान बयान दे दे कि हाँ वो छह के छह आतंकी पाकिस्तानी थे और अब पाकिस्तान ऐसे किसी को बख्शेगा नहीं - जो छह के छह आतंकी शहीद हुए हैं उन्हें अल्लाह से कह कर ७२ में से एक हूर भी नहीं देने की सिफारिश की जाएगी .... या बस ऐसा ही कुछ ....

लेकिन ऐसा तो नहीं होगा ना कि आपकी कुछ शर्त या चाह या विनम्र निवेदन अनुसार पाकिस्तान ऐसा करेगा कि - ये लो मसूद और नक़वी और दाऊद और अब्दुल और उनके ५६ साथी और गिन लो १ के बदले १० के हिसाब से ६ के बदले पूरे ६० हैं .... तो चलो आओ अब बात करते हैं .... और बस फिर बात हो जाएगी .... और इस तरह हम पूरा काश्मीर हासिल कर लेंगे ????

मित्रो !! ये मोदी जी भी ना क्या करते हैं और क्या बात करते हैं - शायद उन्हें खुद नहीं पता .... लगता है कन्फ्यूज्ड हो गए हैं - बेचारे !! .... पर मैं संबित पात्रा से ज़रूर मांग करूंगा कि वो अपनी अक्ल लगा कर ही देश को ये बताएं - या सुषमा बताएं - या जेटली - या कोई और बताए - कि भारत क्या चाहता है ?? कैसी कार्यवाही चाहता है ?? .... यदि भारत ठोस कार्यवाही चाहता है तो यह भी बताया जाए कि 'ठोस' का आशय क्या होगा ??

// मुफ़्ती की "विरासत" ....//


मुफ़्ती मोहम्मद सईद नहीं रहे .... वो जम्मू-कश्मीर और देश पर मर मिटे .... जम्मू-कश्मीर और देश की अपूरणीय क्षति हो गई .... पूरे देश में सियासत करने वाले यही बता उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं .... ४ दिन का शोक घोषित हो गया है - मृत्यु उपरान्त उनकी बेटी मेहबूबा 'खुद' एम्स अस्पताल पहुंच गई हैं और प्रधानमंत्री मोदी 'खुद' एयरपोर्ट पहुंचेंगे .... शायद उन्हें कल या परसों उनके गृहनगर में सुपुर्दे खाक किया जाएगा .... 

और सूत्रों के हवाले से मीडिया ने तत्काल बताना शुरू कर दिया है कि मुफ़्ती 'खुद' चाहते थे कि उनकी विरासत 'खुद' उनकी बेटी मेहबूबा संभाले .... और मेहबूबा का जम्मू-कश्मीर का अगला मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है - ४ दिन बाद ही उनको शपथ दिला दी जाएगी - और वो 'खुद' शपथ ले लेंगी ....

और इस दुःख की घडी में मैं सोच रहा हूँ - कि मुफ़्ती साहब की "विरासत" क्या थी ?? ....

और ये भी सोच रहा हूँ कि - ये "विरासत" क्या होती है ??
क्या इसकी परिभाषा कांग्रेस और भाजपा के लिए कुछ अलग होती है ??
क्या लालू की भी कोई विरासत है या नहीं ??
या फिर ये विरासत मृत्यु उपरान्त ही यकायक उपजती है ??
क्या राजीव ने भी अपनी माताजी की विरासत नहीं संभाली थी ??
क्या सोनिया ने अपने पति की विरासत नहीं संभालनी चाहिए थी ??

क्या हमें विरासत में ये "विरासत" मिली है कि सभी सियासत करने वाले मौका परस्त निम्न लोग हैं जिनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है - पर इन सबकी निम्न सोच एक जैसी निम्न ही बनी हुई है ....

.... "विरासत-दर-विरासत" .... निम्न और निम्नतर ....

Wednesday 6 January 2016

// शाब्बाश मोदी जी !! .. ये देश हमेशा आपका "एहसानबंद" रहेगा ....//


पठानकोट पर आतंकी हमला हो गया .... अभी तक के भीगे तेवर - लुकाछिपी - पिटने वाली कराह -  लजाए से बयान - शरमाए से बोल - झुकी नज़रें या आसमान ताकती नज़रों वाले ग़मगीन चेहरे  - बहुत कुछ बयान कर रहे हैं ....

कोई भी 'सरकारी' या भक्त ही - देशवासियों से आँख से आँख मिला कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा .... पूरी सरकार संबित पात्रा जैसे निपुण प्रवक्ताओं और खरीदे-बिके टीवी चैनलों के भरोसे - जो जैसे तैसे बन पड़े - लाज बचा ले तो बचा ले ....

और पाकिस्तान से होने वाली बातचीत पर सियासी टाइप बयान - जिसमें "बातचीत जारी रहेगी" दबी जुबान और "बातचीत नहीं होगी" इसका खुल कर या दबी जुबान ही कोई वर्णन नहीं ....

इन सब के मद्देनज़र इस कयासी सरकार के बारे में कयास लगाने की मजबूरी में मैं ये कयास लगा रहा हूँ कि ....

मोदी सरकार का निर्णय - "पाकिस्तान से बातचीत जारी रहेगी" ....

और इसलिए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूँ कि - आतंकियों को मुहँतोड "मोदिया" जवाब दे दिया गया है .... 

नापाक आतंकियों !! जाओ कर लो तुमको जो करना है - हम पाकिस्तान से बात करते रहेंगे - मेरा उसका प्यार अमर - प्यार किया तो डरना क्या .... मुद्दे की बात - "पाकिस्तान से बातचीत जारी रहेगी" ....

और मैं सोच रहा हूँ कि एक अजब गजब वाकपुट बोलबच्चन जुमलाकिंग और बातें करने में डेरिंग डैशिंग डायनामिक एक्शन हीरो से आप इससे ज्यादा की उम्मीद कर भी कैसे सकते थे .... 

इसलिए कहना पड़ेगा - शाब्बाश मोदी जी !! .. आपने अपनी हैसियत अनुसार अपना काम बखूबी पूर्ण किया - ये देश हमेशा आपका "एहसानबंद" रहेगा ....

Tuesday 5 January 2016

// सावधान !! .. मियाँ नवाज़ शरीफ कहीं भी टपक सकते हैं .. इंदौर में भी ..//


अभी-अभी मालूम पड़ा है कि नवाज़ शरीफ वर्तमान में श्रीलंका तशरीफ़ लिए हुए हैं - जहाँ से उन्होंने फोन लगा कर मोदी से पठानकोट मसले पर 'गुफ्तगूँ' की है ....

आपको याद होगा - मोदी अफगानिस्तान में तशरीफ़ ले गए थे - जहां से उन्होंने पाकिस्तान फोन लगा कर नवाज़ शरीफ से 'गुफ्तगूँ' की थी - और स्वदेश वापसी में वो लाहौर उतर गए थे ....

अब चूँकि शरीफ और मोदी की दोस्ती परवान चढ़ी हुई है - और दोनों दोस्तों से दोस्ताना व्यवहार अपेक्षित है .... अतः मुझे लगता है कि शरीफ मियाँ भी कभी भी श्रीलंका से पाकिस्तान वापसी के रास्ते में बंगलूरू इंदौर दिल्ली में कहीं भी टपक सकते हैं .... सावधान !!

वैसे यदि शरीफ मियाँ इंदौर टपक आते हैं तो मेरी तो उनके स्वागत के लिए तैयारी पूरी है .... कुछ दिन पहले ही मैंने "खादिम" के जूते खरीदे हैं जो कोरे रखे हैं .... अतः अच्छे से तैयार हो मैं उनकी 'खिदमत' के लिए तत्पर हूँ !!!!

// एक था राजेंद्र कुमार .. "लक्की फैलो" !! ....//


मित्रो मुझे याद आया - कि एक था राजेंद्र कुमार .... शायद निहायत भ्रष्ट अधिकारी ?!?!?

बता रहे थे कि भ्रष्टाचार गले गले तक इतना कर लिया था कि आखिर सीबीआई के हत्थे चढ़ गया था .... सीबीआई ने उसके दफ्तर और अन्य ठिकानों पर रेड मार दी थी .... दारू दस्तावेज़ दोनों बरामद हुए थे - और खतरनाक "पेनड्राइव" भी - शिकंजा पूरा कस चुका था .... उसके बच निकलने की कोई संभावना नहीं दिख पड़ रही थी .... मोदी सरकार ने भी स्पष्ट कह दिया था कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं होगा ....

पर फिर केजरी आड़े आ छा गए - फिर डीडीसीए वाले बाबा घिरा गए - फिर एक कीर्ति कुछ आज़ाद से हो गए - और फिर दिल्ली उलझ पड़ा 'ऑड-ईवन' मामले में ....

और फिर एकाएक पाकिस्तानी आतंकियों का पठानकोट में हमला हो गया .... पूरा देश चिंतित हो उठा .... मादरे वतन पर न्यौछावर हो जाने वाले हमारे सभी रणबांकुरे बस सब कुछ भूल मातृभूमि की सेवा में लीन हो गए - मीडिया भी सब कुछ भुला २४ घण्टे लग पड़ा इस पुण्य काम में .... ना कोई समयसीमा ना कोई ब्रेक - बस दिन भर कोट पहन पठानी करते नज़र आये - पठानकोट का शानदार कवरेज करते नज़र आए ....

और इस दौरान वो भ्रष्ट राजेंद्र कुमार दृश्य पटल से ही गायब हो गया .... शायद पाकिस्तानी साज़िश में भुला दिया गया .... लक्की फैलो !! .... नहीं क्या ??

मित्रो इस विषयक सोचियेगा ज़रूर - कि कहीं पठानकोट में घुसे विदेशी आतंकियों जैसे ही खतरनाक हमारे ही देश में उपजे पनपे सूट बूट कोट पहने फ़ोकट पठानी करते ये देशी लोग भी तो नहीं ????

Monday 4 January 2016

// बस अब तो मुहँतोड जवाबी कार्यवाही भी स्पष्तः होते दिखनी चाहिए ....//


हमने टुच्चे दुश्मन की कार्यवाही देख ली है - समझ ली है ....

इसलिए अब हमें मुहँतोड जवाबी कार्यवाही भी होते दिखनी चाहिए .... सपष्ट रूप से होते दिखनी चाहिए .... इतनी स्पष्ट कि किसी संबित पात्रा जैसे कुशल भाजपाई या सरकारी प्रवक्ता को दरकार ही ना हो कि वो कुछ अतिरिक्त प्रयास कर सबको ये बताने समझाने का प्रयास करे कि कार्यवाही हुई है - या हो रही है - या होने वाली है ....

और मुझे विश्वास है कि तमाम भेदभाव के विध्यमान रहते भी पूरे देश के प्रत्येक नागरिक का भरपूर साथ इस मुद्दे पर सरकार और मोदी जी के साथ है और रहेगा - और रहना चाहिए .... और सरकार भी देशवासियों को निराश नहीं करेगी .... !! आमीन !!

// जब घर परिवार का लड़का आवारा टाइप हो जाए तो .... //


एक बहुत पुराना किस्सा याद आ रहा है .... हमारे जान पहचान का एक परिवार - उनका जवान लड़का - साहबज़ादे जरा आवारा टाइप हो चले थे - कुछ मनचले भी - मनमर्ज़ी से घुमन्तु - जो चाहे कहे - जो चाहे करे - स्वाभाविक रूप से माँ बाप और परिवार परेशान ....

एक बार पिताजी ने ज़रूरी काम से बहार भेजा होगा - पर जनाब सुबह के गए रात को ही लौटे - पूछा कहाँ अटक गए थे - बोले एक फ्रेंड का बुलावा आ गया था - उसकी बर्थडे पार्टी थी - सो चला गया - लेट हो गया - अब काहे इतना ऊपर नीचे हो रहे हो ....
माँ बाप भी सुन लिए और चुप - बेचारे कर भी क्या सकते थे ....

पर २-४ दिन बाद ही रात को मकान पर पत्थरों की बौछार हो गई - सारे काँच फोड़ दिए गए - बाहर खड़ी कार का शीशा भी .... चौकीदार भी जख्मी हो गया था - और एक राह चलता भी ....

और मालूम पड़ा कि साहबज़ादे एक लड़की को पटाने के चक्कर में जन्मदिन के बहाने उसके घर चले गए थे - और ये बात उस लड़की के भाइयों को रास नहीं आई - और इसलिए उन्होंने ये तोड़फोड़ कर मारी थी ....

और इसलिए उस घटना के बाद उस परिवार ने उस लड़के के बार-बार घर से बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी थी - और सख्त हिदायत दी थी कि आगे से उस लड़की से कोई संपर्क ना रखे ....

ये घटना मुझे आज क्यों याद आई - आप समझ ही गए होंगे ....

जी हाँ उस बर्थडे बेबी के भाई आये थे - जिसे हमारे साहब बधाई दे के आये थे .... और कर गए सत्यानाश .... बस इसीलिए ध्यान में आया कि साहब पर भी कुछ रोक लगनी चाहिए .... है ना !!!!

Sunday 3 January 2016

// ये सब हो क्या रहा है ???? .... मुझे तो शर्म आ रही है ....//


पठानकोट में पाकिस्तानी आतंकी घुस आते हैं - घुसे चले आते हैं - और घुसे ही रह जाते हैं .... फिर हमला करते हैं - वो भी किसी के घर में नहीं ना ही किसी पंसारी की दुकान पर - बल्कि सेना के ही एक प्रतिष्ठान पर - सेना की भरपूर मौजूदगी में .... हमारे ७ जवान शहीद हो जाते हैं - २० घायल हो जाते हैं .... और ४० घंटे के ऑपरेशन में हम उन गिने हुए ६ आतंकियों को ढेर कर पाते हैं ....

और ऑपरेशन अभी भी जारी है .... पूरा देश स्तब्ध हो टीवी पर चिपका हुआ सब कुछ देख रहा है .... पर प्रधानमंत्री द्वारा सेना को चंद घंटों बाद बधाई दे दी जाती है .... ऑपरेशन ख़त्म भी घोषित कर दिया जाता है .... सेना की तारीफ भी कर दी जाती है .... बिना पाकिस्तान का नाम लिए सकुचाते हुए दुश्मन को गुर्राया भी जाता है .... और अभी तक किसी भी प्रकार की जवाबी कार्यवाही का अता पता नहीं है ....

दुखते कलपते शर्मसार दिल से मेरी प्रतिक्रिया ....

ये हमारी कैसी तैयारी ?? .. ये कैसी बधाइयां ?? .. ये कैसा पराक्रम ?? .. ये कैसा संतोष ?? .. ये कैसा गुमान ?? .. ये कैसे बयान ?? .. ये कैसा जवाब ?? .. ये कैसी प्रतिक्रिया ?? .. ये कैसा गुर्राना ?? .... ये कैसी सेना ?? .. ये कैसी जंग ?? .. और जंग में कौन भारी ?? .. कौन जीता कौन हारा ?? .... ये कैसी कूटनीति ?? .. और कूटनीति में कौन कुटा कितना कुटा किससे कुटा ?? .... ये सब हो क्या रहा है  ????

आज मुझे तो शर्म आ रही है - बाकी का क्या पता ?? .. कल का क्या पता ????

// जेटली - बनाम - आसाराम .... भक्त - बनाम - भक्त ....//


आसाराम जब धराए थे तो बहुत कोहराम मचा था .... कहा गया था - बापू और ऐसा ? साधू और ऐसा ? संत और ऐसा ? हो ही नहीं सकता !! .... वो तो ४० साल से ईश्वर में मगन और समाज की सेवा और मानव कल्याण को समर्पित .... और यहां तक कहा गया था कि जब उनके आसपास वो सब कुछ इतनी आसानी से सदैव उपलब्ध तो फिर वो ऐसे घृणित कृत्य क्यों करेंगे - किसी के साथ जबरदस्ती क्यों करेंगे - अपनी बेटी तुल्य के साथ कोई हरकत क्यों करेंगे .... आदि-अनादि !! .... और ध्यान रहे कि आसाराम कैंप द्वारा उनके विरुद्ध सटीक आरोपों पर कभी भी सटीक सफाई या उत्तर नहीं दिया जा सका था !! .... यानि 'आस्था' को 'साक्ष्यों' के विरुद्ध ढाल बनाया गया था .... 

जेटली अब धराए हैं तो भी कोहराम मचा है .... कहा जा रहा है - जेटली और ऐसा ? बड़ा वकील और ऐसा ? कबीना मंत्री और ऐसा ? हो ही नहीं सकता !! .... वो तो ४० साल से ईश्वर को साक्षी मान समाज की सेवा और मानव कल्याण को समर्पित .... और यहां तक कहा जा रहा है कि जब उनके आसपास वो सब कुछ इतनी आसानी से सदैव उपलब्ध तो फिर वो ऐसे मूर्खता और धूर्तता के कृत्य क्यों करेंगे - किसी छोटी सी संस्था में भ्रष्टाचार क्यों करेंगे - वो भी कुछ एक करोड़ रुपये की हेराफेरी जैसी कोई हरकत क्यों करेंगे .... आदि-अनादि !! .... और ध्यान रहे कि जेटली कैंप द्वारा उनके विरुद्ध सटीक आरोपों पर अभी तक भी सटीक सफाई या उत्तर नहीं दिया जा सका है !! .... यानि 'आस्था' को 'साक्ष्यों' के विरुद्ध ढाल बनाया गया है ....

पर मित्रो क्या आसाराम और जेटली में कोई अंतर नहीं ?? .... नहीं नहीं - अंतर है !! .... और अंतर बहुत बड़ा और महत्त्वपूर्ण है .... और वो अंतर है ....

आसाराम अंदर है और जेटली बाहर है .... और आसाराम का बाहर आना मुश्किल है और जेटली का अंदर जाना मुश्किल है ....

और भक्त तो आसाराम के भी थे और भक्त तो जेटली के भी है .... पर अंतर तो आसाराम के और जेटली के भक्तों में भी है ....

आसाराम के भक्त सोच रहे हैं कि जेटली को भी अंदर जाना चाहिए .... और ....
जेटली के भक्त सोच रहे हैं कि आसाराम जबरन फँस गए - थोड़ी बेवकूफी कर गए - नहीं तो अंदर नहीं जाते - बेचारे ....

और मैं सोच रहा हूँ .... कि अब मुझे आसाराम पर इतना गुस्सा क्यूँ नहीं आता जितना जेटली पर ?? .... शायद इसलिए ही ना कि आसाराम अंदर है और जेटली बाहर ....

Saturday 2 January 2016

// ये दुःख और संकट की घडी है .. हमें हमारे मोदी जी का साथ देना चाहिए ....//


यदि हम स्वयं किसी अपनेवाले को थप्पड़ मार दें - तो शायद इतना बुरा नहीं लगता ....
पर यदि कोई और हमारे अपनेवाले को थप्पड़ मार दे - तो बहुत बुरा लगता है ....
और यदि वो 'कोई और' हमारा दुश्मन हो तो फिर तो आग लग जाती है .... खून खौल उठता है ....

आज मुझे लगता है हमारे दुश्मन ने हमारे मोदी जी को थप्पड़ मारा है .... क्योंकि हमारे मोदी जी के पाकिस्तान के सद्भावना दौरे के ठीक बाद आज पठानकोट में आतंकी हमला हो गया है - हमारे ३ जवान शहीद हो गए हैं .... इसलिए मेरा तो खून खौल रहा है .... मेरी इच्छा हो रही है कि मैं भी ठाठ से हवाई जहाज लेकर पाकिस्तान जाऊं और वहां जाकर नवाज़ शरीफ को दो जूते रसीद कर कहूँ - मियाँ हैप्पी बर्थडे !! समझे !! - और फिर हवाई जहाज में ३ x १० = ३० पाकिस्तानी शव लेकर लौटूं ....

पर मुझे आज दुःख हो रहा है - क्योंकि आज मैं २-३ भक्तों से मिला और मैनें पाया कि उन्हें तो किसी बात का बुरा ही नहीं लगा - बल्कि उल्टे एक भक्त तो हमारे मोदी जी को ही बुरा भला कह रहा था ....

इसलिए मैं आज अपने सभी मित्रो और देशवासियों से आग्रह करता हूँ कि इस दुःख और संकट की घडी में हमें अपने प्रधानमंत्री हमारे मोदी जी का साथ देना चाहिए - उनका हौसला बढ़ाना चाहिए - उनको ढांढस बँधाना चाहिए कि - मोदी जी !! हम डरने वाले नहीं - कोई बात नहीं पहला थप्पड़ उन्होंने मार दिया - पर हम भी बदला लेंगें .... बदला लेकर रहेंगे ....

और हमें भक्तों से भी आग्रह करना चाहिए कि वो कम से कम ऐसी परिस्थिति में मोदी जी का साथ नहीं छोड़ें - उनका साथ छोड़ना ही है तो आगे ढेर सारे घरेलू मुद्दे मिलते रहेंगे .... फिर ऐसा तो कभी भी किया जा सकेगा .... कभी भी ....

// ये मुहँतोड़ जवाब कैसा होता है ?? ....//


पठानकोट में आतंकी हमला हो गया .... 

गृह मंत्री राजनाथ सिहं ने बयान दे दिया है - "मुहँतोड़ जवाब देंगें" ....

मेरे कुछ 'मुहँतोड़' प्रश्न ....

ये मुहँतोड़ जवाब कैसा होता है ?? .... क्या इसमें किसी का मुहँ टूटता है ?? .... क्या ऐसा जवाब देने की फितरत हमारी सरकार में है ?? .... क्या आतंकियों द्वारा हमारे पुलिस अधीक्षक के ड्राइवर की हत्या कर उनकी ही कार ले फरार हो २४ घंटे बाद जघन्य आतंकी घटना को अंजाम देने से हमारा मुहँ टूटा कि नहीं ?? .... कहीं ये "हैप्पी बर्थडे" का 'मुहँतोड़ जवाब' तो नहीं ?? ....

और हाँ !! .... क्या पिछले ५०-६० साल के कांग्रेस के शासन के कारण - और तब गलत नेहरू विदेश नीति के रहते भी - और पटेल के प्रधानमंत्री ना बनने के कारण भी - क्या आज की तारिख में 'मुहँतोड़ जवाब' देना संभव हो सकेगा ??

क्योंकि इस सरकार को हर काम करने में समय तो लगता ही है !! है ना !! .. तो क्या मुहँ देख संभल योजना बना टुकड़ों टुकड़ों में तोडा जाएगा ?? .. तो क्या इसलिए 'मुहँतोड़ जवाब' देने में समय लगेगा ?? .. क्या २०१९ के पूर्व ये 'मुहँतोड़ जवाब' दे दिया जाएगा - या २०२२ में देने का वादा किया जाएगा - बड़े आराम से ??

अब "टुटमुएँ" को हैप्पी बर्थडे किस 'मुहँ' से कहा जाएगा ??  

और !! "मुहँतोड़ जवाब" भी कहीं "मुहँतोड़ जुमला" तो नहीं ????

// नज़रें कुछ यूँ मिलीं - पडोसी से रिश्ते - कुछ प्यार के - कुछ तकरार के ....//


अब समाचार आ गया है कि पठानकोट में आतंकी हमला हो गया है .... और किसी ने भी अभी तक केजरीवाल या किसी अन्य भारतीय पाकिस्तानी एजेंट पर इस हमले का दोष नहीं मढ़ा है .... इसलिए स्पष्ट होता है कि इस हमले में हमारे प्यारे पडोसी पाकिस्तान का हाथ है ....

और सरकार की तरफ से तैयार जवाब आता ही होगा कि - मोदी की पहल पर शुरू शांति वार्ता से बौखलाए आतंकियों की ये छटपटाहट है .... और सरकार को बिना किसी छटपटाहट दुःख है कि - इधर हमारे जवान छटपटा शहीद हो गए ....

खैर जवाब और बयान जिन शब्दों में भी आए - मजबूर सरकार की मजबूरी के कारण उसका लुब्बेलुबाब जो होगा वो मैं मेरे तकरारी-टकरारी दिमाग में बड़े प्यार से स्वतः उपजे एक ताज़ा शेर के माध्यम से बयान करता हूँ - जो आदरणीय मोदी जी और सुषमा जी को समर्पित है .... कृपया गौर फरमाएं ....

ना नज़रे उठीं - ना नज़रें झुकीं - बस नज़रें कुछ यूँ मिलीं ....
हमारे पडोसी से रिश्ते - कुछ प्यार के - कुछ तकरार के ....

Friday 1 January 2016

// "आधे प्रदेश के चौथाई मुख्यमंत्री" का 'ऑड' भी सही 'ईवन' भी सही .. पर ....//


आज दिल्ली में 'ऑड'-'ईवन' फॉर्मुला प्रत्याशा के अनुरूप सफल हो गया .... और सर्वत्र प्रशंसित भी हो गया .... और सर्वत्र चर्चित भी ....
और इसलिए आज सिद्ध हो गया कि दिल्ली की जनता ने १० महीने पहले चुने केजरीवाल को खुले दिल से समर्थन दिया ....

पर मोदी और उनके भक्त और केजरी विरोधी एक तरफ चिल्लाते रहे हैं कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं - और केजरी के पास कोई अधिकार नहीं - और केजरी अपना काम करते क्यों नहीं ?? .... और दूसरी तरफ सभी तड़प-तड़प कर केजरी को काम भी नहीं करने दे रहे हैं ....

और इसलिए आज इस सफलता के मौके पर अपने ही अंदाज़ में IBN7 को दिए एक धाँसू इंटरव्यू में केजरीवाल ने अपने को "आधे प्रदेश का चौथाई मुख्यमंत्री" कहा .... और मोदी और भाजपा को खूब खरी खोटी सुनाई .... और भी कई गज़ब के डायलॉग दिए - विशेषकर आईएएस बाबुओं की शान में ....

मेरी प्रतिक्रिया .... कुछ सुझावों सहित ....

वाकई इस "आधे प्रदेश के चौथाई मुख्यमंत्री" ने झंडे गाड़ दिए .... क्योंकि केजरीवाल के तो 'ऑड' भी सही 'ईवन' भी सही सिद्ध होते रहे हैं ....

पर अब असली विषय है कि - "पूरे देश के शून्य प्रधानमंत्री" के तो ना 'ऑड' ही सही ना 'ईवन' ही सही सिद्ध हो रहे हैं .... तो क्या ये "शून्य" पर ही अटके रहेंगे और सोचते रहेंगे .. यार !! ये "शून्य" 'ऑड' होता है या 'ईवन' ????

मुझे मालूम है कि दिमाग के दिव्यांग इस प्रश्न पर असहज होंगे - तो इनको बताता चलूँ कि वैसे तो "शून्य" की गड़ना 'ईवन' में ही होती है - पर शून्य पर अटके रहना 'ऑड' ही माना जायेगा .... समझे !!

इसलिए मोदी जी मेरा सुझाव - ये दिल्ली के 'ऑड'-'ईवन' का काम तो केजरी सम्हाल लेंगे - आप पूरे देश के प्रधानमंत्री - और आपके पास पूरे अधिकार - इसलिए आप अपना काम करते क्यों नहीं ?? अपने पद की गरिमा और जवाबदारी के अनुरूप व्यवहार क्यों नहीं ?? अपने वादों को निभाते क्यों नहीं ?? भ्रष्टों को बचाने के प्रयास क्यों ?? और जनता जनार्दन के निर्णयों को शिरोधार्य करने में इतनी तड़प क्यों ?? .... ??

// ये खाते पीते भुक्कड़ तो टुच्चे निकले ....//


नववर्ष में एक समाचार आया जिससे लगा की किसी ने अपना 'कॉलर' ऊँचा किया - गर्व से कुछ अच्छा निर्णय किया है ....

समाचार था - संसद की कैंटीन में सब्सिडी खत्म .... लगा चलो माननीय सांसदों ने कुछ तो अच्छा किया - बेशर्मी का उढ़ा कम्बल आखिर देर से ही सही उतारा तो सही ....

पर जब समाचार को गौर से देखा तो मालूम पड़ा कि संसद कैंटीन में जो भोजन थाली पहले १८ रुपये में मिलती थी वो अब ३० रुपये में मिलेगी ....

और मुझे महसूस हुआ - ये करोड़पति सांसद मात्र १२ रूपये या ज़्यादा से ज़्यादा ५०-१०० रुपये जैसी तुच्छ राशि के लिए इतने दिनों बेशर्मी का कम्बल ओढ़े रहे - छिः !!!!

और इसलिए मुझे बड़ा दुःख हुआ कि इस देश में सांसद होने जैसी प्रतिष्ठा प्राप्त लोग तक "खाते पीते भुक्कड़" निकले .... यानि ये तो गज़ब टुच्चई हो गई भाई .... 

और मैनें यह भी अनुभव किया कि यह निर्णय भी इन सांसदों द्वारा स्वतः और सहजता से नहीं लिया है - बल्कि जनता द्वारा सतत दबाव बनाने के चलते और असहिष्णुता अनुभव कर तथा अपशब्द सुन-सुन कर ही किया है ....

इसलिए मित्रो नए साल में हमें सोचना होगा और प्रयास करना होगा और दबाव बनाना ही होगा कि इस देश के हर गरीब को ३० रुपये में भरपेट खाना प्राप्त हो सके - और हर गरीब कम से कम इतना कमा सके कि वो अपने और अपने परिवार का ना केवल पेट भर सके पर कुछ बचत कर अपने बेहतर भविष्य की कल्पना और प्रयास भी कर सके ....

नववर्ष में ऐसी कामना करते हुए - !! धन्यवाद !!