Thursday 18 October 2018

// नाम बदलने के फैशनकाल में.. मोदी 'मोती' हो जाएं तो.. या फिर 'मीटू-मीटू' !!.. ..//


क्यों मोदी जी ??..

नाम बदलने के कुख्यात प्रख्यात शौक़ीन.. एवं अपना ही नाम 'अजय सिंह बिष्ट' से बदल 'योगी आदित्यनाथ' रख लेने वाले.. यदि आपका नाम भी मोदी से बदल 'मोती' रख दें तो कैसा रहेगा ??..

वैसे "मोती" तो जंचता भी है..
बल्कि अब तो 'मोती' ही जंचता है..
'हीरा पुत्र' 'मोती' !!..

हमेशा चौकन्ना 'मोती'..
पट्टाधारी 'मोती'..
१८ घंटे जागने वाला 'मोती'..
हमारा आपका सबका 'मोती' चौकीदार !!..

और मैं तो ये भी सोच रहा था कि यदि उपरोक्त नाम बदल दिया जाता है तो फिर.. ये अंधभक्तों के 'मोदियाबिंद' की लाइलाज बीमारी पर भी 'मोतियाबिंद' के नाम से आवंटित संसाधनों से कुछ अनुसंधान हो सकेगा और समाज में कई प्रकार के अंधत्व से निजात मिलने की आशा जाग्रत होगी !!..

वैसे अंधभक्तो को प्रयागराज दीनदयाल हेतु बधाई !!.. और अकबर के इस्तीफे के बाद तो अब एक और धाँसू सुझाव भी.. ..

यदि 'मोती' पसंद ना आया हो तो.. 'मीटू' भी ठीक रहेगा !!..
मोती-मोती !!.. मीटू-मीटू !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Tuesday 16 October 2018

// मोदी कहते हैं - लोग मुझे गालियां देते हैं.. .. मैं कहता हूँ मोदीजी !!.. "MeToo" !!..//


अभी कुछ दिन पहले ही तो हमारे मोदी जी ने भोपाल में आयोजित प्रायोजित कार्यकर्ताओं की जुटाई गई महाकुम्भीय भीड़ के बीच स्वीकारोक्ति सार्वजनिक करी थी और कहा था कि.. लोग मुझे गाली देते हैं कीचड़ उछालते हैं.. और आगे गर्व से ये भी कहा था कि कीचड़ जितना उछाला जाएगा कमल उतना ही शानदार खिलेगा !!..

वाह मोदी जी वाह !!.. भले ही पहली बार कहा - पर काफी कुछ टंच सही कहा..
लोग आपको गालियां दे रहे हैं !!.. १००% दे रहे हैं !!..
और आप पर कीचड़ भी उछाल रहे हैं !!..

पर मालुम है क्यों ??..  क्योंकि लोग आपसे त्रस्त भी तो हो चुके हैं !!..

पर आपको तो कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा.. है ना !!..
या अब थोड़ा बहुत बुरा या डर लगने लगा है ??..

खैर !!.. मोदी जी !!.. मैं इसी संबंध में आपसे चर्चारत हो एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि..
जब आपको ये मालुम पड़ा कि लोग आपको गालियां दे रहे हैं तो आपको कितना अच्छा लगा ??.. और क्या आपने इसके पीछे के कारण जानने के प्रयास में अपने दिमाग को भी घिसा कि नहीं ??..

या फिर आपने ये भक्त-ज्ञान मान लिया कि जो लोग आपको गालियां दे रहे हैं वे सब राष्ट्रविरोधी हैं या बेवकूफ हैं या दकियानूसी हैं.. या आपके अनुसार आपके हितैषी.. या कीचड़ उछालने के शौक़ीन ??..

या फिर कहीं आपका इस "अंदर की बात" यानि सत्य से सामना तो नहीं हो गया कि जो लोग आपको गालियां दे रहे हैं वे वास्तव में सत्यपारखी बुद्धिजीवी हैं समझदार हैं और देशभक्त भी !!..

हा !!.. हा !!.. हा !!.. अरे छोड़िए जनाब.. आप सत्य से बहुत दूर होते चले जा रहे हैं..
और इसलिए ही तो आप लोगों की गालियां खा रहे हैं..

और जो वास्तव में बुद्धिजीवी हैं समझदार हैं और सत्य जान चुके हैं - और जिन्हें अपनी और अपने समाज और अपने देश की चिंता है - वो ही तो आपको गालियां दे रहे हैं..

इसलिए आज आपको पिछले ४ साल से गालियां देने वालों में सदैव शामिल मैं.. आपको एक संदेश देना चाहता हूँ..

मोदी जी !!.. "MeToo" !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

Monday 15 October 2018

// मैं मंदिर निर्माण नहीं चाहता.. तो क्या मैं हिन्दू ही नहीं.. या 'गुड' या 'बैड' हिन्दू ??.. //


अब कांग्रेस के स्वामी थरूर ने राम मंदिर निर्माण विषयक अंग्रेजी में बयान दे मारा है - जिसमें "गुड हिन्दू" और "बैड हिन्दू" बोलकर बोलबचनों और भक्तों को उचकने लचकने का वाजिब और भरपूर मौका दे दिया है..

और मीडिया में बची खुरचन में उचकन लचकन शुरू भी हो गई है..
और बहस छेड़ दी गई है कि ये 'गुड हिन्दू' 'बैड हिन्दू' क्या होता है ??..

और आपत्ति जताई जा रही है कि थरूर ने ऐसा कैसे कह दिया कि 'गुड हिन्दू' अयोध्या में राम मंदिर निर्माण नहीं चाहेगा ??.. जिसका सीधा मतलब ये भी निकलता है और निकाला जा रहा है कि जो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण चाहेगा या करवाएगा वो थरूर के अनुसार 'बैड हिन्दू' कहलाएगा ??..

और इसलिए थरूर की निंदा हो रही है और भड़ास भी निकाली जा रही है.. और रोटी कुलचे भठूरे पराठे सिकाई भी शुरू हो गई है.. और काठ प्लास्टिक प्लायवुड की कढ़ाइयाँ भी चढ़ा दी गई हैं..

और इस बीच मैं ये सोच रहा हूँ कि..

उन लोगों का क्या जो धड़ल्ले से ये बोल देते हैं और बकते रहे हैं कि जो हिन्दू अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में नहीं है वो तो हिन्दू ही नहीं है.. फिर 'गुड' और 'बैड' की बात तो बेमानी ही हो जाती है..

और इसलिए मैं सोच रहा था कि जब मैं सार्वजिक रूप से पूर्व में भी कह लिख चुका हूँ कि अयोध्या में ना तो मंदिर ना मस्जिद बने.. अब तो वहां सबके सहयोग और सद्भाव से कोई जनता के उपयोगी अस्पताल जैसी इकाई निर्मित होनी चाहिए.. तो क्या मैं हिन्दू ही नहीं ??.. या मैं 'बैड हिन्दू' या फिर 'गुड हिन्दू' ??..

और इस 'गुड' और 'बैड' की बहस में एक और तर्कसंगत अतिविशेष बात मेरी इंसानियत को समझने वाली समझदानी में घुस गई..
और वो यह कि यदि बाबर बैड था क्योंकि उसने मंदिर को तोड़कर वहां मस्जिद बनवा दी थी - तो फिर उसी मस्जिद को (जिसे विवादित ढांचा बोल कर बाबरी मस्जिद होने के तथ्य को झुठलाया नहीं जा सकता) ०६/१२/९२ को तोड़े जाने के बाद जो भी सूरमा या भक्त अब वहां मंदिर बनवाएगा तो वो भी बाबर के समतुल्य 'बैड' क्यों नहीं कहलाएगा ?? या फिर वो 'गुड' किस मापदंड से कहलाएगा ??..

खैर मैं तो अयोध्या में मंदिर निर्माण के पक्ष में नहीं और यदि मेरा कोई धर्म है तो वो इंसानियत है और इसलिए भक्त मुझे हिन्दू मानने से इंकार कर सकते हैं - और ऐलाने जमात बाहर भी कर सकते हैं..

और आप चाहें तो मुझे हिन्दू के बजाय इंसान कह सकते हैं - गुड या बैड आपकी मर्ज़ी - जिसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा !!.. धन्यवाद !!.. जय हिन्द !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Sunday 14 October 2018

// सुलग भी रही है - फटी भी पड़ी है.. और कोशिश ये है कि कहीं विस्फोट ना हो जाए.. //


सीज़न और माहौल के अनुकूल आजकल भक्तों को ये अपील करते देखा जा रहा है कि..

दीपावली पर चीन की झालर और पटाखे आदि नहीं खरीदें..
और बढ़ते भावों के बावजूद पेट्रोल डीजल का भंडारण भी नहीं करें..
और पत्रे के बाप या युग पुरुष या अवतारे कल्कि के फ़ोकट ऊँगली भी ना करें..

क्यों ??.. क्योंकि सभी के परिणाम "ज्वलनशील" हैं !!.. ..

और मेरी भक्तों से अपील.. जरा साहेब से भी तो पूछो.. ..

अच्छे दिनों की बात अब क्यों नहीं ??
नोटबंदी कालेधन की बात अब क्यों नहीं ??
५६ इंच की बातें अब क्यों नहीं ??
गौ गाय गंगा की बातें अब क्यों नहीं ??
धारा ३७० और कश्मीरी पंडितों के बारे में बातें अब क्यों नहीं ??
राम मंदिर की बात अब क्यों नहीं ??

एससी/एसटी एक्ट के पक्ष विपक्ष पर बातें अब क्यों नहीं ??
गुजरात से यूपी मप्र बिहार के लोगों के पलायन पर अब तक कोई बात क्यों नहीं ??
राफेल चोरी / भ्रष्टाचार पर अब तक कोई बात क्यों नहीं ??
मी-टू वाले अकबर पर कोई बात क्यों नहीं ??
रुपैय्ये के गिरते मूल्य और और देश की गिरती साख पर बोलते क्यों नहीं ??  
तेल के भावों पर कुछ बोलते क्यों नहीं ??..

मालूम है ऐसा क्यों ??..
क्योंकि अब इन सब बातों के परिणाम भी ना केवल ज्वलनशील होंगे बल्कि "विस्फोटक" भी होंगे..

इसलिए तो मैं ये देख रहा हूँ कि पासे पलट चुके हैं.. किरदार बदल चुके हैं.. गप्पू पप्पू हो गए हैं..
और बड़बोले मौन हो गए हैं.. और उचकते लचकते भक्त एकाएक स्तब्ध और सुन्न हो गए हैं..  

और अब रणनीति ये हो चली है कि.. बस थोड़ा रुको थोड़ा संभलो थोड़ा देखो.. और सुलग रही है तो सुलगने दो.. चिंगारियां और धुंए निकल रहे हैं तो निकलने दो.. पर कोशिश ये करो कि कहीं विस्फोट ना हो जाए..

और मैं सोच रहा था कि अब जब इतनी ही सुलग रही है और इतनी ही फटी पड़ी है तो फिर विस्फोट से इतना भी क्या डरना.. क्योंकि विस्फोट का अंजाम भी तो फटना ही होता है.. .. है ना ??

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Friday 12 October 2018

// असली "गंगापुत्र" माँ गंगा के लिए शहीद हुए.. मोदी को मेरी रोषपूर्ण लानत.. ..//


८६ वर्षीय वयोवृद्ध काबिल जुझारू पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी की - कल १११ दिन के अनशन के बाद जान चली गई.. सबके सामने !!..

और बिकाऊ गोदी मीडिया के घटिया स्तर और हमारी भी उदासीनता के कारण एक महान आत्मा के त्याग बलिदान संकल्प संघर्ष समपर्ण का हमें उचित एहसास तक नहीं हुआ - और उनके यश की कहानी से हम बहुत देर से रूबरू हुए..

और शायद इन्हीं कारणों से उस महान आत्मा के साथ-साथ इस देश से भी नाइंसाफी हुई.. और शायद हम सबके खोखलेपन की पोल भी खुल गई !!.. और विशेषकर सत्ता में बैठे अहंकारी लोगों की और स्वयंभू देशभक्तों की फोकटिया औकात को भी जबरदस्त ठेंस लग ही गई !!..

वयोवृद्ध प्रोफेसर जीडी अग्रवाल माँ गंगा को समर्पित हो गंगा की सफाई हेतु संघर्षरत थे.. और अपनी इन्हीं मांगो के संदर्भ में अनशन कर रहे थे.. अनवरत १११ दिनों से.. जी हाँ "१११" दिनों से..
और शायद इस देश के ज्यादातर लोग इन बीते १११ दिनों में अपने आप में मस्त या पस्त या व्यस्त थे !!..

और उनके १११ दिन के अनशन के बाद हुई मौत का कारण "कार्डियक अरेस्ट" बताया गया है.. जिसके कारण तो मैं और भी व्यथित हूँ.. और मेरा दिल चीत्कार कर रो देने हेतु मजबूर हुआ जा रहा है..

क्योंकि.. मैं उनके इस संघर्षरत देह त्याग को एक महान शहादत निरूपित करता हूँ.. और देश के जवाबदारों के व्यवहार को वाहियात और शर्मनाक !!..

और उनकी इस शहादत को उनके सम्मान में अपना सर झुका और अपनी अकर्मण्यताओं के लिए शर्मसार होते हुए सलाम करता हूँ..

मैं उन्हें "गंगापुत्र" नाम से पुकारने और हमेशा याद करने का भी आह्वाहन और समर्थन करता हूँ..

मैं इस बात से भी व्यथित हूँ कि "गंगापुत्र" के १११ दिन के अनवरत अनशन के दौरान हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने शहादत हो जाने के उपरान्त प्रोफेसर जी डी अग्रवाल को श्रद्धांजलि देने की घोषणा करी है..

इसलिए अत्यंत व्यथित हो आज मैं "गंगापुत्र" की शहादत के बाद हमारे नकली ढोंगी फरेबी और अपने आपको गंगापुत्र कहलाने वाले जोकर किंग प्रधानसेवक चौकीदार - और करोड़ों के नमामि गंगे सरकारी प्रोजेक्ट चलाने वाले प्रधानमंत्री मोदी जी को - अपनी रोषपूर्ण लानत प्रस्तुत करता हूँ !!..

और एक बार पुनः माँ गंगा पर शहीद हो जाने वाले "गंगापुत्र" को पूर्ण आदर के साथ प्रणाम और सलाम !!.. और दिल दिमाग से भावभीनी श्रद्धांजलि !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Wednesday 10 October 2018

// हर हर गंगे !!.. क्यों आने दिए नंगे ??.. ..//


आज माँ गंगा से मेरी शिकायत है.. .. ..

माँ ये कैसे कैसों नंगे नंगों को आने देती हो ??..
और यदि आने ही दिया था तो फिर..
इसके पाप धो-धो के इसे ठीकठाक तो कर देती माँ !!..

अरे माँ पाप धोना तो दूर इसने तो अब इतने पाप और कर लिए हैं कि यदि डुबकी लगा भी ली ना तो ये फेंकू तेरा उपकार मानते हुए खुद को पवित्र होना थोड़े ही बताएगा.. बल्कि ये पापी तो तुझ पर ही उपकार करना बता तुझको ही पवित्र कर देने की बात कर देगा - और तेरे नाम चल रहे नमामि गंगे प्रोजेक्ट से भी राफेल सामग्री निकाल तुझे ही निचोड़ डालेगा !!..

अस्तु हे माँ गंगे.. आज तो मैं तुझे ही कटघरे में खड़ा करता हूँ और तुझ से ही सत्य बोलने की गुहार लगाता हूँ..
आज त्रस्त हो रहे पूरे देश को ये सत्य तो बता ही दे माँ कि..
तूने इसे कभी नहीं बुलाया था.. बल्कि ये तो खुद आकर तेरे गले पड़ गया था.. ठीक वैसे ही जैसे पप्पू इसके गले पड़ गया था..

बता दे माँ आज तो दिल से साफ़ साफ़ बता दे.. बिना भेदभाव पूरी सच्चाई बता दे.. 
क्योंकि आज तुझे - तेरे ही किनारे तेरी ही शरण में रहने बसने वाले तेरे अनेक बच्चों का हवाला.. जिन्हें आज इसी फेंकू के घर से डरा धमका कर और मार-मार कर भगाया गया है..

और तेरा यही नालायक बेटा जो फेंक रहा था कि तूने उसे बुलाया था - आज चुप है !!..

और मैं चाह रहा हूँ कि हमेशा की तरह इस देश का हर वासी श्रद्धा आदर प्यार और अभिमान के साथ और पूरी ऐंठ और ठनक के साथ ये गाता रहे .. .. ..

होठों पे सच्चाई रहती है..
यहाँ दिल में सफाई रहती है..
हम उस देश के वासी हैं - हम उस देश के वासी हैं..
जिस देश में गंगा बहती है !!..

हर हर गंगे !!.. ॐ नमः शिवाय !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 9 October 2018

// हे ईश्वर !!.. हे अल्लाह !!.. इस भीड़तंत्र से बचना और मोदी जैसों से बचाना !!.. ..//


गुजरात की निकम्मी सरकार के रहते एक बार फिर भीड़ तंत्र विकसित हुआ या किया गया - और इस बार लपेटे में आए या लिए गए यूपी और बिहार के वो लोग जो गुजरात में अपने आपको अब तक सुरक्षित महसूस करते हुए अपनी रोज़ी रोटी कमाने में लगे थे.. बेचारे !!..

लेकिन इस देश में यदि कोई भी ये सोच रहा है कि वो तो भीड़तंत्र से सुरक्षित है या रहेगा - और मरेगा खपेगा कोई और.. तो वो तो कुछ भक्त टाइप ही होगा जो तेल के भाव आसमान पर पहुँचने पर भी सोचता है कि उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा.. और पड़ेगा भी तो पड़ा करे.. पर साहेब की शान में गुस्ताखी करने से तो उनकी हेकड़ी निकल जाएगी.. साढ़े चार साल तक जिसकी वकालत करते रहे उसे ही गाली कैसे दे दें ??..

और शायद ऐसे ही लोग जो भीड़तंत्र से अपने आपको सुरक्षित मानते हुए किसी भी भीड़ द्वारा किसी भी तबाही पर चुप रहे - वो आज उस भीड़ का जायज़ रोना नहीं रो सकते जो भीड़ उनको प्रताड़ित कर गई..

और तो और जो आज भीड़ का शिकार हुए वो खुद भी किसी भीड़ का हिस्सा जरूर रहे होंगे.. और ये भी हो सकता है कि उस भीड़ ने कभी सितम ढाएं हो तो कभी कुछ अच्छे या हानिरहित काम भी किये हों.. मसलन हो सकता है वो कभी उस भीड़ का हिस्सा रहे हों जो सड़क पर निकल सितम ढा गई हो - या सड़क पर उसी अन्याय के विरुद्ध मोर्चा निकाल रही हो.. या फिर हो सकता है वो किसी कुंभ में या उर्स में शामिल हुए हों..

यानि बात ये हुई कि अव्वल तो भीड़ कोई अकेले से नहीं बनती है.. और गुजरात में जिन गुजरातियों ने आज जो भीड़ बनाई है और जो भीड़ के शिकार हुए हैं केवल उनको दोष देना व्यर्थ है.. ..

तो फिर दोषी कौन ??..

दोषी वो जिसके जिम्मे इस भीड़ के विरुद्ध कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने का जिम्मा है.. यानि कि सरकार !!.. और इसलिए आज गुजरात से यूपी और बिहार के लोगों के पलायन की दोषी गुजरात सरकार है - और सरकार का मुखिया एक मुख्यमंत्री है जो एक कठपुतली है जिसका नाम विजय रूपानी बताया जाता है..

और इसके लिए केवल गुजरातियों की भीड़ को दोष देना ठीक नहीं होगा क्योंकि कल इन्हीं गुजरातियों को देश के अन्य भागों में निर्मित भीड़ द्वारा खदेड़ा जाएगा इसकी पूर्ण संभावनाएं बनी रहेंगी..

तो क्या केवल विजय रूपानी जिम्मेदार हैं.. और मोदी नहीं ??..

अरे जनाब ये रूपानी कौन ?? इन्हें मुख्यमंत्री किसने चाहा और बनाया ?? क्या नहीं मालुम कि मोदी हैं तो रूपानी और रूपानी हैं तो मोदी कृपा से ??..

तो क्या मोदी भी दोषी ??..

जी हाँ मोदी ही दोषी !!.. क्योंकि जब पाकिस्तान समस्या के लिए नेहरू दोषी ठहराए जा सकते हैं तो फिर ये निकम्मे निखट्टू गुजरात से गरीबों के पलायन के दोषी क्यों नहीं माने जाएंगे.. क्यूँ ??.. क्या नेहरू मोदी से ज्यादा प्रभावी थे ??.. नहीं ना ??.. इसलिए मोदी दोषी हुए ना !!..

इसलिए आज गुजरात में निर्मित भीड़ और भक्तों से लेकर गुजरात से पलायन कर रहे हर व्यक्ति को मेरी समझाइश.. एनडीटीवी वाले भैय्या सर रवीश कुमार जी को सुनते रहें - जो इस भीड़तंत्र विषय पर बहुत अच्छा बोलते और समझाते रहते हैं.. और इस भीड़तंत्र को पहचानें.. इस भीड़तंत्र के पीछे शैतानी ताकतों को पहचानें.. मोदी को पहचानें.. और इस भीड़तंत्र के विरूद्ध हर स्थिति में अपना विरोध दर्ज कराएं..

अन्यथा किसी भी समय नेस्तनाबूद नहीं होने के लिए ईश्वर अल्लाह से प्रार्थना करते हुए भी बर्बाद होने के लिए तैयार रहें.. क्योंकि इस भीड़ से तो ऊपर वाला भी पार नहीं पा सकता.. क्योंकि सत्य तो यही है कि ये जो ईश्वर अल्लाह हैं ना वो इसी भीड़ की आस्था के कारण ही तो अस्तित्व में हैं.. यानि इसी भीड़ के आश्रित ही तो हैं.. हैं ना ??.. इसलिए .. .. ..

हे ईश्वर !!.. हे अल्लाह !!.. इस भीड़तंत्र से बचना और मोदी जैसों से बचाना !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 8 October 2018

// चोर चैंपियन ऑफ़ "अर्थ" भी है !!.. ऐशो आराम और कैशो हराम में माहिर !!.. //


मेरा दावा है कि जिनकी समझ "साफ़" हो चुकी है - यानि की सफाचट्ट.. उनको साफ़ नज़र आ रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था साफ़ हो चुकी है.. यहाँ साफ़ बोले तो - सुफैद-सुफैद - बिना किसी कालेधन के धब्बे के - बिना किसी दाग के - पूर्णतः साफ़.. यानि साफ़ सुथरी ??..

और मैं देख रहा हूँ कि आह्लादित भक्तों की समझ और देश की अर्थव्यवस्था अब "साफ़" हो चुकी है.. यहाँ "साफ़" बोले तो सफाचट्ट !!..

और 'मोदियाबिंद' नाम की बीमारी अब इतनी भयावह हो चली है कि भक्तों को तो साहेब में एक अर्थशास्त्री दिखने लगा है.. ऐसा आर्थिक खिलाड़ी जिसने देश में नोटबंदी जैसा खेल खिलवाड़ कर अर्थक्रांति का संचार कर दिया हुआ-हुआ है..

और कई भक्त जिनका आँख नाक कान के ऊपर वाला कटोरा भी "साफ़" यानि सफाचट्ट हो चुका है वो ये भी महसूस करने लगे हैं कि साहेब को "चैंपियंस ऑफ द अर्थ" का अवार्ड संयुक्त राष्ट्र ने इस करतूत के लिए ही दिया है !!..

और वैसे देश की अर्थव्यवस्था की अवस्था के मद्देनज़र मैं भी मानता हूँ कि भक्तों के साहेब चैंपियंस ऑफ़ "अर्थ" तो हैं ही.. नहीं होते तो राफेल तिगुने दाम में खरीद देश की तिजोरी में पलीता नहीं लगाते.. और नीरव और मेहुल भाई और माल्या मालामाल हो देश में माल का बंटवारा कर आज विदेश में ऐश नहीं कर रहे होते..

और तो और साहेब जी इतनी महंगी महंगी चुनावी रैलियां कर फोकटिया चैंपियन थोड़े ही सिद्ध हो रहे हैं.. बल्कि ऐसा करके भी तो वो अपने आपको चैंपियन ऑफ़ "अर्थ" ही सिद्ध कर रहे हैं..

नहीं तो है कोई ऐसा चैंपियन जो ऐशो आराम और कैशो हराम में लाखों करोड़ों फूंक कर भी अपनी पार्टी के लिए अनेक-अनेक सितारा कार्यालय बनवा ले वो भी केवल ४ साल में - जबकि राजस्थान के ग्रामीडों को बिजली माफ़ी का जुमला मात्र देने में इतना समय लगा कि पूरे ५ साल मिलने के बावजूद भी ढाई घंटे कम पड़ गए जो चुनाव आयोग को साहेब का उधार चुकाते हुए देने पड़ गए !!..

और है कोई ऐसा चैंपियन ऑफ "अर्थ" - जो जनता से तेल के नाम पर तबियत से ठगी कर गुजरने के बाद ढैय्ये की फजीहत भरी राहत देते ही पूरी बेशर्मी के साथ रोज़ १०-१५ पैसे वसूली में लग पड़े ??..

यानि आप साफगोई से समझ लें कि चौकीदार केवल कोई मामूली चोर ही नहीं बल्कि देश में 'अर्थ का अनर्थ' कर देने वाला संयुक्त राष्ट्र द्वारा ठप्पित चैंपियन ऑफ़ "अर्थ" भी है..

और भक्तों की समझ और दिमाग से ज्यादा महत्वपूर्ण देश कि अर्थव्यवस्था भी "साफ़" यानि सफाचट्ट ही है !!.. क्योंकि इस सरकार में अब "अर्थ" को चाटने की होड़ सी लगी पड़ी है.. और चौकीदार है कि स्वार्थवश सबको भरपूर चाटने नहीं दे रहा है.. और इसलिए 'जेट-लाइ' यानि जेट की गति से झूठ बोलने पर मजबूर लोगों की तो किडनियां भी बदलवानी पड़ गई हैं.. वो भी जनता के पैसे से.. .. समझे !!..

इति.. 'एंटायर पोलिटिकल साइंस' एवं "साफ़" अर्थशास्त्र' की संयुक्त क्लास समाप्त !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Sunday 7 October 2018

चूना आयोग चौकीदार के कब्ज़े में है.. और चौकीदार ही चोर है..


// बेचारे मोदी !!.. लगता है - ना इधर के ना उधर के - ना घर के ना घाट के !!.. //


स्मरण हो कि..

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च महीने में दिये गए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए कुछ दिशा निर्देश जारी किये थे.. एससी-एसटी भड़क गए थे !!..
फिर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद के मार्फ़त पलट दिया था.. सवर्ण भड़क गए थे - और अभी तक भड़के हुए हैं !!..
और फिर ठीक एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने यह तय करते हुए कि वो केंद्र सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट में बदलाव की जांच करेगा - केंद्र सरकार को ६ हफ्ते का नोटिस दे दिया था.. केंद्र सरकार के कई मंत्री और भक्त तब भड़के थे.. पर सबको भड़का देख कुछ ही समय बाद घुस्सू जैसे स्तब्ध हो चुप हो लिए थे.. या यूं कहें कि सम्पट ही नहीं बैठी कि अब किया क्या जाए ??..

और अभी एक बार फिर पेट्रोल डीज़ल रसोई गैस के बढ़ते दामों पर सरकार को सम्पट ही नहीं बैठी कि किया क्या जाए ??..
तो घोषणा कर दी कि बढ़ते तेल के दामों में सरकार का कोई हाथ नहीं !!.. बस फिर क्या था भक्त स्तब्ध हो लिए और जनता भड़क गई थी !!..
और जनता को भड़का देख अब बेवकूफी वाली राहत पटक मारी.. और सबके सामने नंगे होकर कबूल लिया कि तेल की कीमतों को कम करना सरकार के हाथ में है.. इसलिए पेट्रोल डीज़ल २.५० रूपए सस्ता किया जाता है !!..

ऐसे ही कई बार देखा गया है कि जब सत्तापक्ष से जुड़ा अपराधी अपराध करते नंगा पकड़ा जाता है और उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती तो सरकार कहती है.. कानून अपना काम करेगा इसमें सरकार का कोई दखल नहीं !!.. और तब समझदार और विपक्षी भड़क जाते हैं !!.. फिर जब कभी गलती से कानून को अपना काम करना ही पड़ जाता है तो सरकार कहती है देखो हमने दखल दिया और अपराधियों के काम लगा दिए.. और तब उखड़े-उखड़े भक्त स्तब्ध हो जाते हैं !!..

ऐसे ही जब मोदी उनके विरोधियों पर अनाप शनाप आरोप लगाते या लगवाते हैं तो बेचारे खुद फंस जाते हैं - क्योंकि समझदार और विपक्षी पूछ लते हैं कि साढ़े चार साल से सत्ता में तो तुम हो - कुछ करते क्यों नहीं ??.. और तब बेचारे मोदी की किरकिरी हो जाती है.. फिर बस कभी भड़के-भड़के से बावरे हो रोने गाने चिल्लाने लग जाते हैं तो कभी स्तब्ध.. यानि मौन !!..

इसी कड़ी में मसलन गौर फरमाएं कि मोदी जब ये कहलवाते हैं कि राफेल डील में अंबानी को घुसेड़ने में उनका हाथ नहीं था तो समझदार और विपक्षी भड़क जाते है.. और जब फ्रांस वाले कह देते हैं कि अंबानी को घुसेड़ने में तो मोदी का ही हाथ था तो मोदी स्तब्ध हो जाते हैं और मोदी के मंत्री नथुने फुला-फुला भड़क जाते हैं !!..

ठीक ऐसे ही जब मोदी भक्त राम मंदिर के बारे में कह देते हैं कि कोर्ट का निर्णय कुछ भी हो मंदिर तो वहीँ बनेगा तो फिर समझदार पीछे पड़ जाते हैं - और जब मोदी के चंगू-मंगू ये कह देते हैं कि मंदिर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार बनेगा तो भक्त भड़क जाते हैं.. ..

यानि बेचारे मोदी !!.. लगता है - ना इधर के ना उधर के - ना घर के ना घाट के !!..

जी हाँ !!.. मुझे तो लगता है बेचारे मोदी के विरुद्ध कोई नैसर्गिक साज़िश हो रही है.. अव्वल तो बेचारे कुछ करते धरते नहीं सिवाय बोलने के.. और यदि कुछ कर गुजरते हैं तो कोई न कोई भड़क ही जाता है.. और सब बेचारे के पीछे पड़ जाते हैं.. और मोदी बेचारे अंदर अंदर भड़के ऊपर से स्तब्ध हो जाते हैं..

पर सावधान !!..

अंदर से भड़के ऊपर से स्तब्ध और बेवकूफों का बददिमाग नाकाबिल सनकियों का कोई भरोसा नहीं.. ये लोग कब कहाँ क्या कर गुजरें.. इनका कोई भरोसा नहीं !!..

इसलिए मेरा सबको सुझाव है.. भड़कते रहिए चहकते रहिए बोलते रहिए और - धिक्कारते रहिए.. और "चोर-चोर" का शोर मचाते रहिए.. सब कुछ ठीक-ठाक होने ही वाला है !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
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