My blog is my reaction and analysis of the current Political and Social affairs of our country - India.
Wednesday 31 January 2018
// संघियों की आरज़ू फूट-फूट कर निकल रही है.. तिरंगा यात्राएं जो निकल रही हैं.. //
इनकी भड़ास निकलते देखी थी.. मिद्द भी निकलते देखी थी..
पर ऐसी आरज़ू फूट-फूट कर निकलते नहीं देखी थी..
जी हाँ संघियों की आरज़ू !!..
जो बेचारे लाचारे स्वाधीनता आंदोलन और उसके बाद कभी तिरंगा यात्रा नहीं निकाले थे.. अब उनकी आरज़ू फूट-फूट कर निकल रही है.. जगह जगह तिरंगा यात्राएं जो निकाली जा रही हैं..
तो बोलो.. "वंदे मातरम"..
बाकी संघियों के दबे जज़्बे के नामे पकोड़े खाओ और बोलो "पाकिस्तान मुर्दाबाद"..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
// 'मौनी बाबा'.. या 'घुन्ना पीर'.. या फिर टुच्चा 'मानवी' !!.. ..//
वो बोलता तो बहुत है..
पर जहां बोलना होता है वहां पूरी बेशर्मी के साथ मौन रहता है..
कुछ लोग उसे 'मौनी बाबा' कहने लगे हैं..
पर मुझे लगता है वो 'घुन्ना पीर' है..
और जब देखो तब वो 'सामान्य मानवी' की बातें तो बहुत करता है..
पर मुझे लगता है वो खुद टुच्चा 'मानवी' है..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 30 January 2018
// कहीं हम "पाकिस्तान मुर्दाबाद" के नाम पर मुर्दाबाद तो नहीं हुए जा रहे ?? ....//
क्या गणतंत्र दिवस के पावन त्यौहार और ख़ुशी के मौके पर "पाकिस्तान मुर्दाबाद" कहना या कहलवाना जरूरी या उपयुक्त है ??..
यदि हाँ.. तो क्या हर भारतीय के विवाह या निकाह पर भी "पाकिस्तान मुर्दाबाद" बोला या बुलवाया जाए तो कैसा रहेगा ??..
तो फिर क्या हर भारतीय के जन्म होते ही आसपास मौजूद सभी के लिए "पाकिस्तान मुर्दाबाद" कहना अनिवार्य कर दिया जाए ??..
कहीं हम पाकिस्तान के नाम पर पागल तो नहीं हो गए.. या पागल तो नहीं बना रहे और बन रहे ??..
कहीं हम "पाकिस्तान मुर्दाबाद" के नाम पर मुर्दाबाद तो नहीं हुए जा रहे ??..
क्या भक्त और भक्तों के आका और संघ परिवार के सदस्य और सरकारी सत्ताधारी नेता जवाब देंगे कि..
क्या पटेल की प्रतिमा या बुलेट ट्रेन के उदघाटन पर या फिर अयोध्या में राम मंदिर के शुभारम्भ के अवसर आने पर भी "पाकिस्तान मुर्दाबाद" के नारे लगवाने की कोई योजना तो नहीं ??..
यदि ऐसी कोई योजनाएं हों तो कान खोल के सुन लो..
भक्तों आपको होली दिवाली नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाओं के साथ पाकिस्तान मुर्दाबाद..
और ये भी सुन जान लो कि मैंने तय किया है कि गणतंत्र दिवस या स्वाधीनता दिवस के पावन मौके पर मैं अपनी जुबान पर नापाक शब्द "पाकिस्तान" नहीं आने दूंगा..
अब जितनी "नीचता" करते बने कर लो !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// केजरी के लोगों ने भाजपाइयों को पीटा.. और कोई भक्त शोकाकुल नहीं ??....//
मुझे याद आ रहे हैं वो वाकये जब अरविन्द केजरीवाल और उनके साथियों को थप्पड़, मुक्के और धक्के मारे गए थे - उन पर स्याही फेंकी गई थी वो भी गालियों की बौछार के साथ.. ..
और याद इसलिए आ रहे हैं कि आज दिल्ली के भाजपाई भी रो चिल्ला रहे हैं कि - पीट दिया भाई पीट दिया - केजरी के लोगों ने पीट दिया - बेइज़्ज़त कर पीट दिया - अपने घर बुला पीट दिया - सीलिंग गई भाड़ में पहले पीट दिया भाई पीट दिया !!..
और मुझे भी लग रहा है कि भाजपाइयों को पीट दिया..
और इसलिए ये सब याद कर और देखकर मुझे तो बहुत ख़ुशी हो रही है और सुकून भी मिल रहा है..
अब यदि किसी भक्त को बुरा लग रहा हो या दुःख हो रहा हो तो वो दुखी हो सकता है - और दुःख का इज़हार भी कर सकता है.. क्योंकि ऐसा करना उसका अधिकार है.. और उसको ऐसा करना ही चाहिए.. और तो और हिंसा का तो विरोध होना ही चाहिए.. चाइए ना !!..
पर ये समझ नहीं आ रहा कि अभी तक किसी भक्त का शोक संदेश आया क्यों नहीं.. क्या भक्त शोकाकुल नहीं ??..
या इसका मतलब ये तो नहीं कि भक्त भी अब बदल रहे हैं समझ रहे हैं कि किसको पीटा कौन पिटा कैसे पिटा क्यों पिटा ??.. तौबा !!.. ..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// क्रिकेट में पाक को मुंहतोड़ जवाब दे दिया.. बाकी कड़ी निंदा तो जारी ही है.. ..//
U-19 वर्ल्ड कप में भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया..
ये तो ख़ुशी की बात हुई.. और प्रत्येक भारतीय के लिए ख़ुशी की बात हुई..
पर कुछ संवेदनशील असहज हो रहे भक्तों को सम्पट नहीं बैठ रही कि ये भारत पाकिस्तान के बीच कब कहाँ क्यों क्रिकेट खेली गई ??..
अब इन्हें कौन समझाए कि क्रिकेट में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देना आसान जो है.. इसलिए दे दिया !!..
बाकी कड़ी निंदा तो जारी ही है.. भारत ने कोई घुटने थोड़े ही टेके हैं.. देख लेना जैसे क्रिकेट में हराया है वैसे ही हॉकी में भी हरा देंगे..
आखिरकार ये मोदी सरकार है.. समझे !!.. !! जय हिन्द !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// इन टुच्चे नाकारा नालायकों और मुझ में एक फर्क ये भी है.. ..//
बेचारे सत्ताधारी और बेचारी सरकारें !! .. नौकरी के लिए पद होता है एक तो आवेदन आ जाते हैं हज़ारों लाखों !!..
तो अब ये बेचारे पद भरें भी तो कैसे ??..
बस इसी प्रकार मेरी इन सत्ताधारियों को जब तब एक गाली देने की इच्छा होती है तो दिमाग में हज़ारों गालियां आ जाती हैं.. पर मैं हिम्मत नहीं हारता और टुच्चों को एक आध तो टिका ही देता हूँ..
और इन टुच्चे नाकारा नालायकों और मुझ में एक फर्क ये भी है..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 29 January 2018
// कासगंज में गोली चली क्यों.. 'आजतक' पर अब अंजना की नौटंकी क्यों ??....//
कासगंज हिंसा..
३-४ दिन कासगंज जलता रहा.. या उन्मादियों की गिरफ्त में रहा.. दहशत में रहा.. किसी के संरक्षण में हिंसा और अराजकता का गवाह बना..
और कासगंज के डीएम आर पी सिंह 'आजतक' के अभी प्रसारित 'हल्ला बोल' पर बड़े मासूम से अनजान से बने अंजना ओम को जवाब सफाई देते पाए गए.. या यूँ कहूँ कि निरी कोरी बकवास करते पाए गए.. और दोषियों के विरुद्ध कुछ भी स्पष्ट कहने से बचते पाए गए.. और बहुत कुछ अस्पष्ट कहते पाए गए..
और इस डीएम के विरुद्ध अभी तक कोई कार्यवाही तक नहीं हुई है..
बस इसलिए.. कासगंज की हिंसा के पीछे कौन है मुझे स्पष्ट हो चला है..
और हाँ.. अंजना ने बहस के पहले घोषित किया कि कोई किसी के बीच में नहीं बोलेगा.. और सबसे पहले भाजपाई को निर्बाध बात करने का मौका दिया.. पर जैसे ही दूसरों की बारी आई तो भाजपाई पात्रा और संघी राकेश सिन्हा बीच में टपके और अंजना की तो जैसे बांछें खिल गईं.. पर मुंह पर मक्खी भिनभिनाती रही..
बस इसलिए.. गोदी मीडिया क्या चाह रही है और क्या प्रयास हो रहे हैं मुझे स्पष्ट हुआ..
बाकी तो कासगंज से बाहर के लोगों को अपनी-अपनी अक्ल की मात्रा के अनुसार अपनी हैसियत में अपनी राय बनाने का अधिकार है.. जिसे मेरी बात जँची ना हो - वो आजतक ज़ी टीवी टाइम्स नाउ जरूर देखता रहे.. मैं भी तो देखता हूँ - है ना !!..
पर याद रहे कि जो डीएम ये बता रहा है ना कि "चन्दन गुप्ता ऊपर से चली गोली से मरा" उन्हें शायद ये एहसास नहीं है कि ऊपर वाले की तो लाठी भी तबाही मचा देती है.. और लाठी की कोई आवाज़ भी नहीं होती.. और बकर-चकर तो बिलकुल भी नहीं होती..
इसलिए बजाय इसके ये कहना कि "चन्दन गोली लगने से मरा" शायद उपयुक्त ये होगा कि.. मनन और विमर्श इस बात पर हो कि ये गोली चली क्यूँ ??.. और अंजना की अब नौटंकी क्यों ??..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// राष्ट्रपति का नहीं.. ये तो प्रधानमंत्री का शानदार अपमान था.. ..//
'आप' पार्टी ने आज बजट सत्र के प्रारम्भ में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया..
और क्योंकि मामला 'आप' से जुड़ा है इसलिए भक्तों के लिए पीड़ादायक होना स्वाभाविक है..
इसके पहले कि भक्त रोते गाते फूट फूट टूट पड़ें और इसे राष्ट्रपति का अपमान निरूपित करें.. उन्हें विदित हो कि ये राष्ट्रपति का भाषण नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का भाषण हो राष्ट्रपति का तो अभिभाषण था..
इसलिए ये राष्ट्रपति का 'अभिअपमान' तो माना जा सकता है पर अपमान कदापि नहीं..
पर 'आप' का ये कृत्य सीधे-सीधे प्रधानमंत्री का अपमान था..
और मुझे लगता है कि ये एक शानदार अपमान था..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// पद्मावत और कासगंज के बाद अब बजटीय साज़िश.. अंततः सब ठंडा पड़ जाएगा..//
कासगंज में हिंसा हुई.. २६ जनवरी के दिन हुई.. झंडावंदन के समय हुई.. भगवा झंडे को लेकर हुई.. वंदे मातरम को लेकर हुई.. लगातार होती रही.. लगातार हो रही है..
ख़बरों के अनुसार - शुरूआती हिंसा में लिप्त सत्ताधारी पार्टी से जुड़े लोगों का हुजूम था जो अल्पसंख्यकों द्वारा किए जा रहे झंडावंदन के स्थान पर पहुंचा था.. हिंसा में मृत युवक भी उसी हुजूम में शामिल था - शायद देशप्रेम की भावनाओं से ओतप्रोत था..
और अब तो खुलासा हो रहा है या किया जा रहा है कि - हिंसा साज़िश के तहत हुई.. और हालात गरमाए जाने की साज़िश के तहत ही हिंसा जारी है.. गिरफ्तारियां भी हो रही हैं - और हालात काबू में रखने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं या साज़िश के तहत ऐसा बताया जा रहा है..
और मेरा आंकलन है कि कासगंज की हिंसा एक बार फिर सत्ताधारी पार्टी से जुडी हुई हिंसा है.. और इसलिए बहुत भयावह है.. और इसे रोकना किसी के बस की बात नहीं.. दंगाई बेख़ौफ़ घूमते रहे और दंगे जारी रहे .. और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के शर्मनाक भड़काऊ बयान भी जारी ही रहे हैं..
और यदि ऐसी घटनाओं को रोकना है तो सत्ताधारी पार्टी से पार पाना ही होगा..
क्योंकि ये सत्ताधारी पार्टी स्वयं ही बहुत भयावह है.. और ये सत्ता पर बने रहने के लिए किसी भी हद दर्जे की साज़िश क्रियान्वित करती रहेगी..
तो अब मर्ज़ी आपकी.. पद्मावत हिंसा के बाद आप चाहें तो कासगंज की हिंसा को भी भूल.. बजट चर्चा में व्यस्त हो सकते हैं..
थोड़े दिनों बाद सब ठंडा हो जाएगा.. पद्मावत कासगंज की हिंसा भी और बजट की साज़िश भी.. और बजट की साज़िश इसलिए क्योंकि इस सरकार से भी आप साज़िश दंगे फसाद अलगाव भ्रष्टाचार आदि के अलावा कुछ अच्छे अलग की उम्मीद नहीं कर सकते..
और जिन्हें इस सरकार से कुछ अच्छे अलग की उम्मीदें हैं वो देश को नाउम्मीद करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकेंगे.. शर्तिया !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 25 January 2018
// अब तो मान लीजिए कि.. पद्मावत विवाद और हिंसा के केंद्र में केंद्र सरकार.. ..//
आज तो गोदी मीडिया के स्क्रीन पर भी लिखा गया कि - "पद्मावत विवाद और हिंसा में दखल नहीं देगी केंद्र सरकार"..
मेरा निष्कर्ष : अब तो मानना ही पड़ेगा कि..
पद्मावत विवाद और हिंसा के केंद्र में केंद्र सरकार ही थी और है..
और भांग के सरकारी पकोड़े खाए भक्त भी दखल नहीं देंगे..
पर भगवे दुपट्टे धारण कर चुके गुंडे भक्त गुंडागर्दी करते रहेंगे..
कल गौरक्षा का मुद्दा था परसों लव जेहाद का था - उसके पहले राम मंदिर का .. और आज पद्मावत का.. और कल फिर होगा कोई जात पात धर्म से जुड़ा जुडाया या जोड़ा गया या फिर कोई जुगाड़ू मुद्दा..
और शिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी महंगाई भाईचारे इंसानियत आदि का कोई मुद्दा बनने ही नहीं दिया जाएगा..
क्योंकि आज का एक मुद्दा ये भी है कि..
यदि बेवकूफ जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है तो दोष क्या बेवकूफ बनाने वाले का है या बेवकूफ बनने वाले का ??.. सोचिएगा और समझिएगा यदि आप बेवकूफ नहीं हैं तो.. !! धन्यवाद !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Wednesday 24 January 2018
// डार्विन एडिसन बेल न्यूटन हटाओ.. सत्यपाल मोदी गोलवलकर पढ़ाओ.. ..//
डार्विन का सिद्धांत मंत्री सत्यपाल सिंह के अनुसार गलत है.. इसे स्कूलों के पाठ्यक्रम से हटाया जाना चाहिए..
भाजपा को चाहिए पुनरीक्षित पाठ्यक्रम तैयार करने से पहले ये भी तय कर ले कि..
ये बल्ब की ईजाद एडिसन ने की थी या नहीं - और की भी हो तो क्यों ना पाठ्यक्रम में से एडिसन को निकाल ये जोड़ा जाए कि - एलईडी बल्ब के जनकवा गुजरात वडनगर के चाय बेचने वाले नरेंद्र दामोदरदास मोदी पति जसोदाबेन माने गए..
वो क्या है ना कि इतिहास आजकल ऐतिहासिक जो हुआ जा रहा है और एक नए रूप में प्रकटीकरण के लिए तड़प रहा है - इसलिए जरूरत है कि एक बार गले सड़े इतिहास के सभी तीये-पांचे-चूलें ध्वस्त कर एक नए इतिहास की रचना कर मारी जाए..
और इसलिए मैं तो यह भी कहूंगा कि ये ग्राहम बेल और उसके 'हेलो' शब्द को भी ऐतिहासिक कर दिया जाए.. और इसकी जगह ये पढ़ाया जाए कि जिओ मोबाइल के जनकवा के मित्र ने सबसे पहले फोन कर 'मित्रों' शब्द उच्चरित किया था.. और इसलिए सभी भाइयों और बहनों और देश के ६०० करोड़ देशवासियों को 'हेलो' की जगह 'मित्रों' शब्द का प्रयोग करना चाइये..
और यह भी देखा जाए कि इस गोल पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का ज्ञान कहीं गुरु गोलवलकर के द्वारा प्रतिपादित तो नहीं था.. अब नाम तो कुछ ऐसा ही है गुरु !!.. तो पेल दो.. और ये भी पेल देना कि न्यूटन ने सेब ही गिरते देखा था.. गुरु गोलवलकर ने तो बहुत से इंसानों को लोया जैसे गोल होते देख लिया था.. और वो इतने महान थे कि उनके पाँव सदैव जमीन पर ही टिके रहे चिपके रहे..
और नए पाठ्यक्रम में ये भी शामिल करना कि भारत में '६०० करोड़' में से कितने भक्त थे.. और कितने बेवकूफ बने हुए हैं..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 23 January 2018
// 'आन-बान-शान' होगी तो करणी सेना अड़ी रहेगी.. नहीं तो मोदी जैसे ही.. ..//
उफ्फ़ !! .. लगता है सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ सहीं नहीं चल रहा है.. या अब चलने लगा है.. क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावत विरोध की पुनर्विचार याचिकाएं भी ख़ारिज कर कह दिया है कि - कोई बहाना कोई टेका कोई बकवास चलने वाली नहीं.. चलेगी तो फिल्म पद्मावत.. बस !!..
पर पद्मावत का विरोध बदस्तूर जारी रहा.. भंसाली ने करणी सेना को फिल्म देखने का न्यौता दिया था.. न्यौता स्वीकार्य कर लिया गया था.. पर फिर पलटी मारी गई.. और फिल्म देखने से इंकार कर दिया है .. विरोध जारी है..
पहले मुझे गुस्सा आया था.. ये क्या बात हुई कि हम फिल्म देख नहीं सकेंगे और ये करणी सेना वाले फ्री फ़ोकट बिना टिकिट देख लेंगे ??..
लेकिन अब जाकर चैन पड़ी..
करणी सेना के अनुसार 'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा' की तर्ज़ पर वो फिल्म 'ना देखेंगे ना देखने देंगे'..
बस अंधे बनकर गुंडागर्दी करते रहेंगे..
और मुझे लगता है इसके कारण जनता की आँखें खुलेंगी.. और जनता इस अभूतपूर्व गुंडागर्दी और ओछी राजीनीति को समझेगी..
और ये भी महसूस करेगी कि करणी सेना मोदी से बेहतर है.. क्योंकि मोदी तो 'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा' पर अपनी भद्द पिटवा चुके हैं.. पर करणी सेना ने 'ना देखेंगे ना देखने देंगे' की अपनी बात पर कदम पीछे नहीं खींचे हैं..
और मुझे लगता है यदि करणी सेना में 'आन-बान-शान' होगी तो वो अड़े रहेंगे.. और यदि थोड़ी भी अक्ल होगी तो मोदी जैसे लिसलिसा लेंगे..
आगे-आगे देखिए होता है क्या.. क्योंकि कई बार ये 'झूठी' 'आन-बान-शान' इज़्ज़त की भी बेइज़्ज़ती करा देती है.. और ये सरकारों की भी कलई खोल देती है - बल्कि सूट-बूट वाली सरकारों को नंगा तक कर देती है.. समझे !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Saturday 20 January 2018
// कौन-कौन राष्ट्रद्रोही ??.. और 'प्रधानपद्मावत' की छाती कितने इंच की ??.. ..//
अब करणी सेना के राजस्थानी नेता मकराना ने खुल्लेआम भारतीय सेना से आह्वाहन कर दिया है कि पद्मावत फिल्म के विरोध में सेना एक समय मेस का बहिष्कार करे और माँग ना माने जाने पर एक दिन शस्त्र रख दे..
और करणी सेना ने ये भी कहा है कि जनता कर्फ्यू लगेगा और जो पद्मावत फिल्म देखेगा वो राष्ट्रद्रोह करेगा..
और भाजपा की सरकारें और करणी सेना मिली-जुली घुली-मिली साँठ-गाँठ करते हुए गुंडागर्दी होने दे रही हैं और असल राष्ट्रद्रोह भी..
जी हाँ - असल राष्ट्रद्रोह !!.. यानि कन्हैया हार्दिक वाला नहीं - और ना ही जेएनयू वाला वो 'इंशाअल्लाह इंशाअल्लाह टुकड़े टुकड़े' वाला राष्ट्रद्रोह जिसमें बुआ के घर में छुपे एक चूहे की भी शिनाख्त तक ना हो पाई हो..
जबकि भाजपा की सरकारें अभी भी सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्णय के बावजूद बगले झांक रही है और पूरी बेशर्मी के साथ अकर्मण्य नकारा ग़मगीन हो 'पद्मासन' में बैठी-बैठी सी है.. और अध्ययनरत भी..
और सन्न भक्त सुन्न पड़े किसी की 'पद्मासनी' गोदी में दुबके पड़े हैं..
यानि स्थितियां भयावह विकट हैं..
इसलिए समय आ गया है कि जनता तय करे कि क्या करणी सेना अकेली दोषी है या भाजपा की सरकारें भी.. और 'प्रधानपद्मावत' की छाती कितने इंच की ??..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// भाजपाई-कॉंग्रेसी ज्यादा ही उत्साहित और 'आपियन्स' ज्यादा ही विचलित क्यों.. //
चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है और राष्ट्रपति भी..
दोनों संस्थाओं के बीच कुछ पत्राचार का आदान प्रदान होता है - और जो पत्र चुनाव आयोग के द्वारा राष्ट्रपति को प्रेषित होता है उसका मजमून तत्काल ही सार्वजानिक हो जाता है.. और सार्वजनिक होते ही मीडिया में और सत्तापक्ष भाजपा और विपक्ष कॉंग्रेस में हर्ष उल्लास का छा जाना भी सार्वजनिक हो जाता है - और तत्काल बयानबाजी और जुमलेबाजी शुरू हो जाती है - और बिका हुआ ऊँघ रहा मुस्तैद मीडिया चाकचौबंद हो अपनीवाली पर आ जाता है..
और ये सब इसलिए होता है कि तथाकथित रूप से चुनाव आयोग के उस पत्र में राष्ट्रपति को 'आप' पार्टी के २० विधायकों की सदस्य्ता रद्द करने की सिफारिश की गई होती है.. और तत्काल ये मान लिया जाता है कि सिफारिश पूर्ण है उचित है न्यायसंगत है और वैधानिक भी है - और इसलिए मानने योग्य हो राष्ट्रपति द्वारा माननी ही पड़ेगी - और इसलिए मान ही ली जाएगी..
इसके इतर जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा पद्मावत के पक्ष में और ४ भाजपाई खुजली सरकारों के विरुद्ध निर्णय पारित होता है जो तत्काल सार्वजनिक होता ही है - तो उस विषयक सारी सरकारें और मीडिया भी उस निर्णय के अध्ययन में तल्लीन और ग़मगीन हो जाता है - और प्रतिक्रया देने तक से बचता फिरता है.. यानि मानों इन बेचारों के अस्तित्व की सदस्यता ही रद्दी हो गई हो..
खैर चुनाव आयोग के 'आप' विरुद्ध निर्णय के संदर्भ में मैं पाता हूँ कि सम्पूर्ण सत्तापक्ष और विपक्ष अत्यंत उत्साह दिखाने का प्रयत्न कर रहा है .. परन्तु मुझे यकीन है कि वो अंदर से इतना उत्साहित है नहीं.. कारण ये कि चूना आयोग सिद्ध हो चुके चुनाव आयोग के इस निर्णय या फैसले से भविष्य में इन सभी को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.. और जबकि इस निर्णय से 'आप' पार्टी का बाल बांका भी नहीं होने वाला..
पर इस निर्णय से 'आप' पार्टी के समर्थकों में मैं थोड़ी ज्यादा ही निराशा देख रहा हूँ.. जबकि मुझे नहीं लगता कि ये कोई बहुत बड़ी निराशा की बात सिद्ध होगी.. ये मैं इसलिए कह रहा हूँ कि यदि आपने जानबूझकर कोई गलती नहीं की है - और मान लें कि कोई गलती हो ही गई है.. तो इसमें निराश होने की आवश्यकता से अधिक सबक लेने की ही तो जरूरत है.. और यदि कोई ये मानता है कि ये गलती जानबूझकर करी गई है तो फिर तो थोड़ा सब्र कीजिए.. देखिए कि ये गड्ढा-खोद निर्णय किसके लिए नुकसानदेह या घातक सिद्ध होता है - और तब तक तो निराश होने की जरूरत नहीं..
इसलिए कुल मिलाकर मेरा निष्कर्ष यही है कि भाजपाई-कोंग्रेसी जितने उत्साहित दिख रहे हैं उतने उत्साहित हैं नहीं.. और 'आपियन्स' जितने निराश दिख रहे हैं उतना निराश होना बनता ही नहीं..
और भाजपाई-कॉंग्रेसी ज्यादा ही उत्साहित और 'आपियन्स' ज्यादा ही निराशा क्यों ??..
क्योंकि भाजपाइयों-कोंग्रेसियों में मक्कारी कूट-कूट कर भरी है - और आपियन्स में मक्कारी की नितांत कमी है और सच्चाई ज्यादा है - जिसके कारण वे जल्दी विचलित हो जाते हैं - छुईमुई हुए जाते हैं.. ..
पर मेरा दिल ये भी कहता है कि 'आपियन्स' जैसे हैं अच्छे हैं.. !! जय हिन्द !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Friday 19 January 2018
// अपराध रोकथाम हेतु न्यूनतम आवश्यक शुरुआत तो करो.. ..//
पहले दिल्ली के एक स्कूल में और अब लखनऊ के एक स्कूल में एक नाबालिग मासूम छात्र पर स्कूल के ही नाबालिग अन्य छात्र द्वारा हत्या जैसी हरकत करना पूरे समाज के लिए झकझोरने वाली घटनाएं हैं.. और फिर हरयाणा में महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की एक नृशंस श्रंखला भी सामने आ रही है.. और पूरे देश की कानून व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं.. और यहाँ तक की न्याय व्यवस्थाएं भी.. और देश में हर स्तर पर विघटन बढ़ रहा है.. और प्रधानसेवक मस्त पस्त सुस्त पड़ा है..
उपरोक्त ताज़ी और अन्य अनेकानेक घटनाओं के परिप्रेक्ष्य में मेरी प्रतिक्रिया..
आजकल कौन शान्ति की बात कर रहा है.. और कौन बच्चों को प्रेम प्यार प्रीत सौहार्द भाईचारे परोपकार अहिंसा या अपने से गरीब की मदद सच्चे का साथ आदि की बातें सिखा रहा है ?? .. और कौन हमें अच्छाई हेतु प्रेरित कर पा रहा है..
मेरा जवाब है कोई नहीं.. और इसके लिए कौन दोषी ??.. वो सभी धार्मिक प्रवचनकर्ता शिक्षक और अभिभावक जिनके जिम्मे यह काम हुआ करता था..
और उलट इसके बच्चों के मन में कौन हिंसा मार काट लड़ाई झगडे की बातें भर रहा है ??.. वही सब धार्मिक ठेके प्राप्त प्रवचनकर्ता शिक्षक और अभिभावक जो आजकल स्वयं भी गलत बातों में उलझे सने पड़े हैं..
मसलन हर धर्मिक बातों में युद्ध रण ललकार अस्त्र शस्त्र तीर बाण मार काट दांव-पेंच तलवार भाला त्रिशूल की ही बातें तो बताई जा रही हैं.. महाभारत का युद्ध ही तो घुटाया जा रहा है.. राम रावण कृष्ण अर्जुन भीम आदि सभी के युद्ध से जुड़े पक्ष को ही तो पेश किया जा रहा है ??..
और स्कूल में भी बच्चों को हर हालत में हर स्पर्धा जीतने के लिए ही तो प्रेरित किया जाता है - है कोई स्कूल जिसमें हारने में भी जीत की बारीक बातें समझाई जाती हों.. त्याग और परोपकार की बातें पढ़ाई जाती हों.. है कोई ज्ञानी शिक्षक जो अपनी समस्याओं से परे इस ओर सोच भी सके कि मासूम बच्चों को क्या और कैसे बताया पढ़ाया सिखाया जाए..
और यही हाल अभिभावकों के हैं जो बच्चों को खिलौने भी गन पिस्टल टैंक आदि लाकर देते हैं.. और बच्चे से ठाँय-ठाँय करवा कर खुश होते रहते हैं.. बच्चे को बहादुर बता उसकी तारीफ करते नहीं थकते..
और हमारे समाज में अच्छाइयों को ठूंसने का ठेका अपने नाम करने वाली संस्थाएं समाज में केवल धर्म जाति और सत्ता की राजनीति ही तो कर रही हैं.. जो हमेशा तोड़ने की बातें करती हैं और विपक्षी को मात देने के लिए शह देने के गुर सिखाती हैं और क्रियान्वित कराती हैं..
माफ़ करियेगा जो उपरोक्त घटनाएं घटित हुई हैं वो तो अभी शुरुआत ही है.. और अगर ऐसा ही चलता रहा तो निकट भविष्य में देखिएगा कि नाबालिग या युवा ऐसे-ऐसे अपराध करेंगे जिन पर उन्हें पछतावा तक ना होगा और समाज और देश रोएगा..
और हमारी औलादें जितनीं दादा गुंडा टाइप निकलेंगी हमारा सीना उतना ही फूलेगा.. और हम अपने आपको भाग्यशाली और मेहफ़ूज़ समझेंगे.. क्योंकि हमारा भाग्य अब गुंडे बदमाशों के हाथों हो चला है.. और यहाँ तक कि हमारे भगवान् ईश्वर अल्लाह भी कबके इनके रहमो करम पर ही हैं..
इसलिए यदि उचित समझो तो भगवान् ईश्वर अल्लाह को छोडो या ना छोडो - पर गुंडे बदमाशों को कहीं का नहीं छोडो.. या फिर ढूंढों उनको जो प्यार प्रीत शांति सभ्यता सौहार्द और अहिंसा के पाठ सिखा सकें.. या हो औकात तो खोजो एक और गाँधी को..
और यदि ये भी ना कर सको तो कम से कम न्यूनतम आवश्यक शुरुआत तो करो.. देश के माहौल को खराब कर देने के दोषी शाहों को तो हटाओ..
!! अहिंसा परमो धर्म: !!.. ॐ शांति ॐ !!.. हे राम !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 18 January 2018
// 'पद्मावती' 'पद्मावत' की जय !!.. चारों खुजलियों की ऐसी की तैसी !!.. ..//
सुप्रीम कोर्ट ने 'पद्मावत' पर चार राज्यों द्वारा लगाया गया बैन हटा दिया है..
स्पष्ट हुआ भाजपा शासित चारों राज्यों द्वारा असंवैधानिक हरकत पटकी गई थी.. जो गंदी ओछी शर्मनाक धर्म-जाति की सोची समझी राजनीति के तहत ही करी गई थी.. जिसमें भाजपा पारंगत भी है..
सबसे शर्मनाक हरकत तो मध्यप्रदेश के शिवराज द्वारा पटकी गई थी.. जिसके द्वारा फिल्म तो छोडो - 'घूमर' डांस के गाने तक को बैन कर दिया था.. इसलिए मुझे तो डर लग रहा था कि इस पागलपन की वजह से कई भवनों में जो 'झूमर' लगे हैं कहीं इनके देशभक्त झुमरू कार्यकर्ता सनक में आकर अपने 'घूमर' का गुस्सा ये सारे 'झूमर' तोड़-ताड़ ना निकाल दें.. क्योंकि पागलपन सनक उन्माद साज़िश धूर्तता आदि की कोई सीमाएं थोड़े ही होती हैं..
इसलिए अब भाजपा को थोड़ी शर्म भी आनी चाहिए.. पर आएगी नहीं .. शर्तिया नहीं आएगी.. क्योंकि इनका सारा दारोमदार टिका है इनकी मुख्य विचारधारा पर जिसका सूत्र है - "या बेशर्मी तेरा ही आसरा"..
और हाँ अब देखना होगा कि करणी सेना अपनी आन-बान-शान बचाने के लिए या आन-बान-शान गंवाने के लिए और क्या-क्या नहीं करती है या क्या-क्या करती है..
तो बोलो 'पद्मावती' की भी और 'पद्मावत' की भी जय !!..
और चारों खुजलियों की ऐसी की तैसी !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Wednesday 17 January 2018
// रेप जैसे अपराध चलते रहेंगे.. पर पद्मावती नहीं चलेगी.. शर्म करो नालायकों !!.. //
जींद रेप केस !!..
पीड़ित लड़की की लाश पहले ही मिल चुकी थी..
अब बलात्कार और हत्या के आरोपी कातिल की भी लाश मिली है..
बस अब इस दौर में ये मत समझा देना कि..
मौतें दिल का दौरा पड़ने से हुई थीं..
वो क्या है ना कि मेरा दिल मानता नहीं कि जज लोया की मौत का कारण दिल का दौरा ही रहा होगा.. और जब तब कुछ ऐसा ही अविश्वसनीय सा बता दिया जाता है तो मेरा दिल दहल जाता है.. और तुम्हें बहुत गालियां देता है.. समझे ??
और हाँ एक बात और.. ये हरयाणा में तुमने पुलिस रखी हुई है या तुम जैसे ही बेशर्म और खटारा लोग जो शायद देहाड़ी डकैतों के माफिक इधर उधर मुंह मार दिन भर कमाई कर तुम्हारी अमानत तुम तक पहुंचा चादर तान सो जाते हैं.. और अटल दुर्घटना होने पर दिमाग का दहीं बना देते हैं और कहते हैं कि ऐसे जुर्म तो आदिकाल से होते रहे हैं और होते रहेंगे ??..
तो इस बात पर आदिकाल का एक और सच सुन लो.. ये नाकाबिल निकम्मे नकारा नालायक नीच लोग जब ऊपर से नीचे गिरते हैं ना - तो इनकी बहुत दुर्गति होती है..
और ये मत सोचना कि यदि हरयाणा में तुमने पूरी बेशर्मी कायरता के साथ पद्मावती फिल्म पर बैन लगा लोगों को फिल्म देखने से वंचित कर दिया है तो जनता कुछ नहीं देख रही है.. जनता सब देख रही है समझ रही है और तुम्हारी दुर्गति भी करेगी.. तैयार रहना नालायकों !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// भंसाली जी !!.. अब खुद का नाम बदल कर देख लो - "संजय लीला माँ भंसाली ..//
अरे हो भंसाली जी !!.. काहे इतनी शानपत बता रहे हो भाई ??.. क्यों सबको परेशान कर रहे हो ??..
मुझे समझ नहीं आता कि यदि तुम्हारी फिल्म में कुछ आपत्तिजनक है ही नहीं तो फिर तुम्हारी फिल्म देखेगा कौन ??.. और अब जब अड़ंगा लग गया है और फिल्म चलने के आसार हो चले हैं - तो सभी अड़ंगाईयों को उनकी मेहनत और क्षमता के पूरे-पूरे पैसे क्यों नहीं टिका देते ??..
क्या कहा ??.. ना खाऊंगा ना खिलाऊंगा !!..
तो ठीक है.. फिर एक बार फिल्म का नाम "पद्मावत" से "पद्मा" भी कर के देख लो..
और तब भी काम ना बने तो फिर.. "पद्मा" से "पद माँ" करके देख लेना..
वो क्या है ना कि आजकल ये "माँ" बहुत चलन में है.. और ये जितने भी लोकल देसी सेना टुकड़ी वाले देशभक्त देशद्रोही टुच्चे गुंडे कवि शायर पार्टी वाले नेता अभिनेता देवता प्रवक्ता यानि लगभग सभी - ये "माँ" नाम से बहुत भावुक और संवेदनशील हो उठते हैं.. और यहां तक कि ये हमेशा मैं-मैं करने वाले भी "माँ-माँ" करने लगते हैं..
याद है ना.. अपने स्वयंभू मामा ने तो कह भी दिया था कि पद्मावती "राष्ट्रमाँ"..
इसलिए मैं तो बल्कि ये कहूंगा कि तुम तो खुद का नाम भी बदल कर - "संजय लीला माँ भंसाली" कर लो..
माँ कस्सम !! मैं गारंटी देता हूँ कि कम से कम मध्यप्रदेश के मामा तो खुद कहेंगे कि जाओ क्या याद रखोगे - फिल्म "राष्ट्रमाँ पद्मावती" के नाम से चला लो..
और यदि तुम्हें नाम नहीं बदलना हो तो..
तो फिर यथायोग्य बाँट दो.. और घूमर सहित चला लो..
और दम हो तो इस देश में अभी भी कानून का राज है.. फिल्म तुम्हारी.. मर्जी तुम्हारी..
मैं तो केवल सलाह दे रहा हूँ.. श्रीमान संजय लीला माँ भंसाली जी..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Tuesday 16 January 2018
// ट्रंप नेतन्याहू दोगले पालतू नितीश जैसे गोदी में नहीं बैठेंगे - पावों तले बैठा लेंगे.. //
अरे मोदी जी ध्यान से याद रखना कि राष्ट्रीय नंबर-१ दोगले नितीश कुमार ने कैसी पलटी मारी थी..
मैं ये इसलिए बता रहा हूँ कि ये जो दोगला है ना ये थोड़ा टुच्चा टाइप भी है और बिका हुआ भी और इसका डीएनए भी ठीक नहीं लगता..
पर ये जो ट्रंप नेतन्याहू हैं ना ये नितीश से बहुत बड़े वाले हैं.. ये तो अंतर्राष्ट्रीय पलटू हैं.. और ये पलट भी जाते हैं और पलटा भी देते हैं.. और ये खुद बिकाऊ नहीं बल्कि ये तो खरीदू हैं - और ये बिकाऊ खरीदने के लिए उधार खाए बैठे रहते हैं..
और ये बेचू भी हैं जो अपना माल बेचने और टिकाने के चक्कर में कई गुंताड़ियों की टोह में लगे रहते हैं.. और अपने फायदे के लिए तो ये गधे को भी बाप बना लेते हैं.. और जैसे आप भक्त बनाने चुनाव जीतने के एक्सपर्ट हो ना - ये भी बेवकूफ बनाने और माल टिकाने में एक्सपर्ट हैं..
और आप ने नितीश को तो अपनी गोदी में बैठा लिया.. पर ये आपको पाँव तले बैठा लेंगे.. और इनका कोई भरोसा नहीं.. स्वयं देख लो कि कैसे पाकिस्तान को बेवकूफ बना दो चार लप्पड़ टिका दिए.. और ऐसे टिकाए हैं कि टुच्चा पाकिस्तान ठीक तरीके से रो भी नहीं पा रहा है.. और आप फ़ोकट हंस रहे हो..
और फिर एक बात और समझ लेना.. कि ये टुच्चई के मामले में आप पाकिस्तानियों से थोड़ा हलके पड़ते हो.. वो क्या है ना कि आपको केवल बोलना अच्छा आता है.. पर करते तो कुछ बनता नहीं है.. और ये बात तो अब देश का बच्चा बच्चा समझने लगा है..
इसलिए प्रधानसेवक जी खैर इसी में है कि.. ये जो अंतर्राष्ट्रीय मामले हैं ना इसमें जरा देसी अक्ल उधार लेकर ही कुछ करना.. नहीं तो कहीं इनके पाँव तले ना बैठना पड़ जाए..
!! जय हिन्द !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// तोगड़िया दीर्घायु हों.. अन्यथा राम मंदिर के भयावह सच लोया-लोया हो जाएंगे.. //
अब प्रवीण तोगड़िया सुर्ख़ियों में हैं..
वही प्रवीण तोगड़िया जो विश्व हिन्दू परिषद् के मार्फ़त अति धार्मिक संवाद कर - संस्कृतनुमा जुमलेबाज़ी कर - हिन्दू-हिंदुत्व की बातें कर - राम मंदिर की बातें कर सुर्खिया बनाते थे बनवाते थे..
और वो आज कह रहे हैं कि उन्हें उनके एनकाउंटर का डर है.. वो भी गुजरात पुलिस से.. वही एनकाउंटर स्पेशलिस्ट गुजरात पुलिस जो सीधे सीधे - सोहराबुद्दीन > अमित शाह > मोदी > भाजपा > संघ > लोया > जज प्रकरण से जुडी चिपकी लिपटी - और कीचड से सनी पड़ी है..
और प्रवीण तोगड़िया अहमदाबाद में १२ घंटे गायब रहने के बाद मिल जाते हैं.. भाग्यवश लोया से बेहतर कंडीशन में.. यानि केवल बेहोश.. और होश में आने पर आज प्रेस कांफ्रेंस कर रोते भी हैं और मोदी सरकार के नाम से कपडे भी फाड़ते हैं..
और मुझे बहुत अच्छा लगता है.. कारण ये कि एक बार फिर यह तथ्य स्थापित होता है कि लोगों को गुजरात पुलिस पर पूरा विश्वास है कि ये एनकाउंटर एक्सपर्ट पुलिस है..
और इसलिए भी कि मुझे अब लगता है कि यदि प्रवीण तोगड़िया ज़िंदा रह जाते हैं - तो फिर राम मंदिर के चंदे का लफड़ा झगड़ा सामने आ सकता है..
अन्यथा तो हो सकता है राम मंदिर से जुड़े अनेक भयावह सच लोया-लोया हो जाएं..
!! जय हिन्द !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// सावधान !!.. जो हमसे नकराएगा भगवा दिया जाएगा.. ..//
नेतन्याहू पहुँचाए गए "तेजूमहल".. साथ में लिलिपुट..
सावधान !!.. कोई पुरानी गलत जानकारी नहीं देदे कि ये शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज़ की याद में बनवाया था - और ये मोहब्बत की निशानी है..
बेहतर होगा उन्हें भजन सुनवाए जाएं.. और ये भी रहस्योद्घाटन किया जाए कि ये भगवा महल / मंदिर सफ़ेद कब क्यों कैसे हो गया..
क्या है ना कि इससे हिन्दू-हिंदुत्व के बारे में सही संदेश पूरे विश्व में जाएगा और फैलेगा और विश्व जान सकेगा कि हमारा देश कैसे-कैसे कलाकारों से भरा हुआ है.. और यहां कैसी-कैसी सनातनी कलाओं की धनी प्रतिभाएं भरी पड़ी हैं..
और शायद विश्व को इस बात के भी दर्शन हो सकें कि फेंकने में हमारा कोई सानी नहीं.. और हमसे बच कर रहा जाए.. अन्यथा हमारे वाले व्हाइट हाउस को भी भगवा कर देने की क्षमता रखते हैं..
!! जो हमसे नकराएगा भगवा दिया जाएगा !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Monday 15 January 2018
// बापू की समाधि पर मत्था टेकने और टिकवाने वाले तो हिटलरी हो चुके हैं.. ..//
इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कल अभूतपूर्व स्वागत कर आज सलामी वलामी भी दे दी गई है.. और बताया गया है कि अब बातचीत के दौर भी शुरू होंगे.. और..
मोदी और नेतन्याहू के बीच "आतंकवाद" पर भी बात होगी..
और मैं सोच रहा हूँ कि क्या "विश्व शान्ति" पर भी बात नहीं होगी ??..
और मुझे तो अब इस बात पर भी सोचना पड़ता है कि.. जब नेतन्याहू जैसे लड़ाकू राष्ट्र के काबिल नेता और अन्य नेता राजघाट में बापू की समाधि पर ले जाए जाते हैं.. और जब ले जाए गए मेहमान मत्था टेकते हैं.. तो बापू क्या सोचते होंगे ??..
कहीं अपना माथा ठोंक ये तो नहीं सोचने लगे होंगे कि बुरा मत देखो बुरा मत सुनो और बुरा बोलो भी मत.. पर यदि कोई बदमाशी करे तो कान के नीचे दो मिलाके एक लाफा और जमीन पर पटक-पटक उसके काम लगा दो..
अब आखिर बापू भी क्या करे.. सुना है सोहबत का असर तो होता ही है.. और शांति अहिंसा की बातें अब कोई नहीं करता.. और तो और अब तो गाँधी की बात कोई नहीं करता.. बल्कि अब तो गोडसे की बातें होने लगी हैं.. मार काट लड़ाई युद्ध की ही बातें तो होने लगी हैं..
और अब समस्या केवल आतंकवाद की ही थोड़े रह गई है.. असल समस्या तो अब आतंकवाद की जड़ धार्मिक उन्माद और अलगाव की हो गई है.. और हर छोटे बड़े नेता की हिटलरी अब विकट समस्या हो गई है..
यानि मूल समस्या अब ये हो गई है कि बापू की समाधि पर मत्था टेकने और टिकवाने वाले हिटलरी हो चुके हैं..
!! हे राम !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Sunday 14 January 2018
// अब मुझे इंतज़ार है कि स्वार्थ की अंदरूनी मायावी लड़ाई कब सामने आती है.. ..//
आज खबर आ रही थी कि मथुरा में पण्डे पुजारी आपस में लड़-भिड़ लिए.. वो भी चढ़ावे चंदे रुपी माया के चक्कर में.. और शायद कृष्ण के भक्तों ने अपने आपको महाभारत के कुछ पात्रों में साक्षात् उतार भी लिया माना होगा.. मसलन मैं अर्जुन मैं पांडवों वाला तू कौरवों वाला.. आदि..
मुझे अच्छा लगा..
बस अब मुझे इंतज़ार है कि सरकारी भाजपाई संघी अतिहिंदूवादियों की स्वार्थ की अंदरूनी मायावी लड़ाई कब सामने आती है.. और कब इनका अहंकार हाथ-पाँव टूटने के बाद सर चढ़ कर बोलता है..
मुझे तब और अच्छा लगेगा.. क्योंकि सबका भला भी तब ही होगा..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// काश मोदी जी भी नेतन्याहू से कुछ सीख लें.. कुछ समझें.. ..//
क्या कोई फड़तूस मणिशंकर अय्यर से निवेदन कर लेगा कि.. वो नेतन्याहू से आह्वाहन करे कि.. वो मोदी जी को गले लगाकर प्यार से समझाए कि..
जब देश की आन-बान-शान की बात हो - देशहित या देश की सुरक्षा की बात हो.. तो..
तो जुमलेबाज़ी काम नहीं आती..
बल्कि सही सोच और दिलेरी काम आती है..
और फेंकमफाँक और लफ़्फ़ाज़ी बकवास तो बिलकुल भी नहीं..
बस सीधे-सीधे ५६ इंची सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्यवाही होनी चाहिए..
काश !! कोई तो जुगाड़ करे कि मोदी भी कुछ सीख लें.. कुछ समझें !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// इसलिए.. मैं ज्यादा भरोसेमंद.. बजाय गोदी मीडिया और मोदी के.. ..//
बस कुछ ही घंटों में इजराइल के प्रधान नेतन्याहू भारत पहुँचने वाले हैं.. और गोदी मीडिया आगे तक की लम्बी बता रहा है कि.. वो ५ दिन के लिए आ रहे हैं.. वो आगरा अहमदाबाद मुंबई भी जाएंगे.. आदि !!..
पर साथ ही एक और बात भी बड़े ही सस्पेंस के साथ परोसी जा रही है कि..
मोदी प्रोटोकॉल तोड़कर नेतन्याहू को एयरपोर्ट लेने जा सकते हैं.. जी हां - "लेने जा सकते हैं"..
यानि.. "जाएंगे कि नहीं पक्का नहीं"..
और मेरा दावा है कि लेने जाएंगे.. जी हाँ "मोदी नेतन्याहू को लेने एयरपोर्ट जाएंगे"..
बस फूहड़ गोदी मीडिया और मुझ में यही फर्क है..
इसलिए आप मुझ पर ज्यादा भरोसा कर सकते हैं बजाय गोदी मीडिया और मोदी के.. क्योंकि मैं फ़ोकट सस्पेंस क्रिएट नहीं करता - मैं तो सीधी सपाट बात ही करता हूँ..
मसलन अब ये समाचार चैनल नहीं बचे हैं ये अब चटखारे आचार चैनल हो गए हैं जिन्हें मोदी की ही तरह हर बात को "हाइप" कर बढ़ा-चढ़ा टेढ़ा-मेढ़ा कर परोसने में मज़ा आता है..
पर इनकी बातों में सत्य और दम नहीं रहता.. ये तो जब देखो तब फेंकते-लपेटते ही रहते हैं..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Saturday 13 January 2018
// यदि सलीके से ही होता तो सत्य दफ़न और सलीका ही तो ज़िंदा रह गया होता.. ..//
अभी कई " सलीकेबाज " पिले पड़े हैं कि ४ जजों को ऐसे प्रेस-कांफ्रेंस कर पूरा मामला मीडिया के सामने सार्वजनिक नहीं करना था.. और एवज़ में कुछ यूँ करना था कुछ वूँ करना था.. या फिर कुछ यूँ-वूँ भी कर लेना था.. आदि !!..
यानि जितने टेढ़े मुँह उतने सलीके !!..
इसलिए मेरी सीधे मुँह सलीके की प्रतिक्रिया..
माना कि सत्य बोलने का भी कोई सलीका होता होगा..
पर सत्य ना बोलना कौनसा सलीका होता होगा..
और बदसलूकी करने वाले भी तो थोड़ा सलीका सीख लें..
सलीके पर कांव-कांव और सत्य पर ख़ामोशी भी क्या कोई सलीका होता होगा..
वो तो शुक्र है सत्यवादियों ने सलीके की परवाह नहीं करी..
नहीं तो सलीके के चक्कर में सत्य दफ़न और सलीका ही तो ज़िंदा रह गया होता..
और हाँ बरखुरदार क्या मक्कारी करने का भी कोई सलीका नहीं होता होगा..
अरे होता भी होगा तो क्या ख़ाक होता होगा..
बड़े सलीके से अब पेश आ रहे हो सलीका बताने वालों..
कहीं डर तो नहीं कि कूटने-पीटने का भी किसी के पास नायाब सलीका होता होगा..
(ब्रह्म प्रकाश दुआ -१३/०१/१८)
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Friday 12 January 2018
// यदि नौसेना अधिकारी सीमा पर रहें : तो गडकरी सीमा में रहें.. ..//
नौसेना अधिकारियों को मुंबई में आवासीय ज़मीन नहीं, सीमा पर रहें : गडकरी
मेरी सीमित प्रतिक्रिया.. ..
इस विशेष बात को ध्यान में रखते हुए कि आवास की आवश्यकता परिवार के लिए होती ही है.. सत्ता में घुसे टिके बने हुए सभी साधु साध्वी सन्यासी सन्यासिनीं या विरक्ति प्राप्त अविवाहित या अर्ध विवाहित या अविवाहिताएं आश्रमों में या एकांत में एकल अकेले रहें : इन्हें आवास के लिए सार्वजनिक रहवासी स्थानों में एक इंच जमीन भी नहीं दी जानी चाहिए..
और हाँ मोदी सरकार में विवाहित सबसे वजनी गडकरी अपनी सीमा में रहें तो बेहतर..
वो क्या है ना कि आजकल सीमाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.. और सीमाएं बहुत लांघी भी जा चुकी हैं.. और तो और सीमाओं से बाहर रहने के आदेश (तड़ीपार) भी हो चुके हैं.. और न्यायपालिका की सीमाओं में भी घुसपैठ हो चुकी है..
और क्योंकि यूं भी हर चीज़ की सीमा होनी चाहिए - इसलिए सोचा अभी अपनी सीमित प्रतिक्रिया से सावधान कर ही दूँ..
अन्यथा तो सेना और देशभक्तों के विरुद्ध बकवास की प्रतिक्रिया सीमा पार यानि प्रतिक्रिया की सीमा को पार करते हुए भी हो सकती है.. समझे गडकरी जी !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// अब यदि न्यायाधीश भी असहाय !!.. तो ये स्तर तो बहुत 'नीच' हो गया है.. ..//
उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों ने अभी-अभी अभूतपूर्व तरीके से एक पत्रकारवार्ता करी है : ये कहते हुए कि प्रजातंत्र को बचाने और इन्साफ के लिए वो आज देश के सामने आए हैं.. और वे मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के विरुद्ध असंतुष्ट दिखे हैं..
मेरी त्वरित प्रतिक्रिया..
मुझे ऐसा लगता रहा था कि मुख्य न्यायाधीश श्री दीपक मिश्रा सरकार के इशारों पर काम कर रहे थे.. और यदि मेरी धारणा सही है तो ये भयावह है.. और ये भयावह केवल न्यायपालिका के लिए ही भयावह नहीं है.. ये आज की केंद्र में बैठी मोदी सरकार के लिए भी भयावह है.. क्योंकि ये सबकुछ देश के लिए घातक है..
इसलिए अब समय आ गया है कि देश के भक्त भक्तिमार्ग का त्याग करें और आमजन सत्य और तर्क के सहारे सरकार के हर कदम को कसौटी पर कसें और तत्काल उचित विरोध करें..
अन्यथा २० साल बाद आप पर आक्षेप लगेगा कि या तो आपने अपनी आत्मा बेच दी थी.. या आपने ससमय अपनी अक्ल का सदुपयोग नहीं किया था..
क्योंकि इस बात को समझें कि अब जब न्यायाधीश भी असहाय से हो चले हैं.. तो ये स्तर तो बहुत 'नीच' हो गया है.. और इसलिए आपको उठना उठाना और उठावना करना होगा.. !! धन्यवाद !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Thursday 11 January 2018
// कोई कंकर भी ना मारे मेरे विधायक को.. ..//
ये कौन देशद्रोही है जो मेरे राज में आतंकवादियों को शहीद और अपना भाई बताने की हिमाकत कर रहा है ??..
कहीं ये उसी नापाक टोले में से तो नहीं जिन पर हमने " अफ़ज़ल हम शर्मिंदा हैं - तेरे कातिल ज़िंदा हैं " के नारे लगाने के आरोप मढ़े थे ??..
नहीं-नहीं साहेब!! .. ये तो पीडीपी का विधायक एजाज अहमद मीर है.. जिसने ये बात कहने की हिमाकत की है..
फिर तो ये अपनेवाला ही हुआ.. ये सहानुभूति के लायक हुआ.. बेचारा भटका हुआ नाबालिग जैसा.. देशभक्त !!.. इसे पकड़ो और १० बार "भारत माता की जय" बुलवाओ.. इसे जी डी बक्शी से मिलवाओ और सेना के टैंकर के दर्शन कराओ.. दीनदयाल जी सावरकार गोलवरकर जी की पुस्तकें पढ़वाओ.. कुछ दिन संघ के शिविरों में या विश्व हिन्दू परिषद् या बजरंगियों की टोलियों के साथ रखो.. ये भी मेरे जैसा देशभक्त बन जाएगा..
और साहेब यदि नहीं बना तो ??..
अरे देशभक्त नहीं भी बना तो संरक्षण में थोड़ी बहुत दादागिरी या गुंडागर्दी तो कर ही लेगा.. तब भी काम तो हमारे ही आएगा ना !!..
बस इतना याद रहे.. कोई कंकर भी ना मारे मेरे विधायक को.. फिर भले ही वो किसी भी धर्म का ही क्यों ना हो.. क्योंकि आखिर हमें कभी-कभी "सेक्युलर" होने और "सहिष्णु" होने का नाटक भी तो करना ही होता है ना !!..
क्योंकि आखिर पद की गरिमा भी तो कुछ चीज़ होती है कि नहीं ??..
जी साहेब !! होती तो है.. पद की गरिमा भी होती तो है..
भारत माता की जय - वंदे मातरम् !!..
शाब्बाश !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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// पुनर्जन्म तो होता है ना !!.. तो फिर 'मोदी' अगले जन्म 'मोहम्मदी' हुए तो ??.. ..//
बता रहे हैं दिल्ली की 'जामा मस्जिद' पहले 'जमुना देवी मंदिर' था.. ताजमहल तेजू महल .. और इंदौर की 'खान नदी' 'कान्ह नदी'.. आदि..
और पद्मावती का नाम तो पद्मावत करवा ही दिए हैं..
'नामी' भक्तों !!.. तो फिर इसी बिनाह पर समय रहते पहले इस पर भी तो सिरफुटव्वल कर लो कि..
'मोदी' कहीं पिछले जन्म में 'मोहम्मदी' तो नहीं थे ??..
अरे बुरा मत मानों मैं तो ये इसलिए कह रहा हूँ कि.. इस जन्म में हिन्दू पिछले जन्म में भी हिन्दू ही रहे होंगे कोई जरूरी तो नहीं..
और इस जन्म में खालिस हिन्दू अगले जन्म में भी हिन्दू होंगे इस बात की भी क्या गारंटी है ??..
और यदि होंगे भी तो क्या हिन्दुस्तान में ही होंगे ??.. और जब होंगे तो क्या भाजपा राज में ही होंगे.. और इसलिए सुरक्षित होंगे ??..
यदि हाँ.. तो 'नामी' भक्तों को चिंता क्यूँ ??..
और यदि नहीं.. तो तौबा ??..
'मोदी' कहीं अगले जन्म में 'मोहम्मदी' हो गए तो ??..
तो बस इसलिए मुफ्त में समझा रहा हूँ कि ये नाम बदला बदली छोड़ो और आपस में लफड़ा झगड़ा बंद करो.. इंसान बन कर रहो.. भाई-भाई बनकर प्यार मोहब्बत से रहो.. नहीं तो..
नहीं तो क्या पता पिछले जन्म की भी खुद जाए.. और अगले जन्म भी कूटे जाओ.. समझे ??..
सुने तो होंगे ना कि जो शाने दूसरों के लिए खड्डा खोदते हैं वो खड्डा उनके लिए कब्र भी तो बन जाता है .. और यदि 'मोहम्मदी' हुए तो.. तो फ़ोकट में मत जलो भुनो - लाज़मी है कब्र में ही तो जाएंगे.. है ना !!
तो चलो सोचना !! और यदि किसी भी ऊंची-नीची जाति के हिन्दू हो तो पुनर्जन्म पर विश्वास करते हुए अगले जन्म की तो जरूर सोचना.. और ये भी सोचना.. जरूरी तो नहीं कि इस जन्म का प्रधानमंत्री अगले जन्म में भी प्रधानमंत्री बने.. अधूरी हसरत के रहते वो एक चायवाला भी हो सकता है या चौकीदार या फ़कीर भी.. या मैला ढोने वाला गरीब दलित या शोषित मजदूर या किसान.. या एक कसाई भी..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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Wednesday 10 January 2018
// गर्दिश में हैं तारे.. अब घबरा ले प्यारे.. ..//
केंद्रीय कैबिनेट ने एकल ब्रांड की खुदरा बिक्री हेतु १००% स्वतंत्र विदेशी निवेश को मंजूरी दी..
अब ये क्या होता है और इससे क्या होगा इस बात को जाने बगैर भक्त इसके लाभ खोज सोशल मीडिया पर पेलेंगे.. और जेटली इसे ठेलेंगे.. ज्ञानवर्धन के लिए तैयार रहें..
और जो नोटबंदी और जीएसटी से विचलित नहीं हुए उन्हें तो कोई असर ही नहीं लेना चाहिए.. क्योंकि जितनी भी ऐसी की तैसी हो जाए.. प्रधानसेवक २०२२ तक तो सब ठीक कर देने का वादा कर दिए हैं..
तो बस मस्त होकर ग़ालिब के चाचा का भजन गाते रहें..
गर्दिश में हों तारे.. ना घबराना प्यारे..
गर तू हिम्मत ना हारे.. तो होंगे (इनके) वारे न्यारे.. ..
या फिर मेरी सुन लें..
गर्दिश में हैं तारे.. अब घबरा ले प्यारे..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
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