Monday 26 May 2014

तेरा वादा ! मेरा दावा !!
कृपया स्मरण करें कि मोदी जी ने वादा किया था कि एक वर्ष में वे सभी चुने हुए सांसदों पर चल रहे न्यायालयीन प्रकरणो का समयबद्ध निपटारा करवायेंगे एवं दोषियों को सजा दिलवा देंगे .... कहा था ना !!!
उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में मैं ब्रह्म प्रकाश दुआ सार्वजनिक रूप से ताल ठोंक के 2 दावे करता हूँ ....
दावा क्र. 1 : -
यदि मोदी के वादे अनुसार सभी चुने सांसदों पर चल रहे न्यायालयीन प्रकरणो का निपटारा 1 वर्ष में हो जाएगा तो मोदी सरकार भी 1 वर्ष के भीतर गिर जायेगी - गडकरी अंदर होंगे - केजरीवाल बाहर ....
दावा क्र. 2 : -
मोदी अपना वादा पूर्ण नहीं करेंगे ....
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नौटंकीबाज़ ????
भाजपाई परेशान हैं केजरीवाल चुपचाप ज़मानत क्यों नहीं लेते ....
मैं परेशान हूँ मोदी चुपचाप शपथ क्यों नहीं लेते ....
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न ये गुनाह है न ये ड्रामा है ....
गुनाह तो हरेक उस ऐबले भारतवासी का है जो अरविंद को गाली देता है और उसे ड्रामेबाज़ कहता है ....

Thursday 22 May 2014

बिरयानी बोनान्ज़ा !!!!
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ यदि भारत आ रहे हैं .... तो मेरी कूटनीतिक समझ अनुसार समक्ष में अति-अति-महत्त्वपूर्ण प्रश्न हैं कि ....
क्या उन्हें बिरयानी परोसी जानी चाहिए ?
क्या उन्हें बिरयानी परोसी जायेगी ?
क्या उन्हें बिरयानी ही परोसी जायेगी ??
क्या उन्हें बिरयानी भी नहीं परोसी जायेगी ???
क्या उन्हें बिरयानी तो परोसी जाएगी पर .... ????
और क्या उनके पाकिस्तान लौटने के बाद पूर्वानुसार "बिरयानी" संबंधित चर्चा होगी ? और यदि होगी तो अनन्य लोगों के द्वारा पूर्व में लिए गए स्टैंड में कोई परिवर्तन दिखेगा ??
http://daily.bhaskar.com/…/NAT-TOP-narendramodi-lashes-out-…

Sunday 18 May 2014

AAP FORMING GOVERNMENT IN DELHI ???????????

I have lost my trust over 2 things ….
After fixing exposed and POLITICIANS AND RICH DIRTY MEN taking control of the game; Firstly I cannot trust a single ball bowled and single run scored to be genuine in Cricket ….
After viewing few many interviews and sponsored / paid news and then same POLITICIANS AND RICH DIRTY MEN taking control of media houses; Secondly I cannot believe single news appearing on TV channels to be trustworthy ….
I will request and suggest all intellectuals to better watch WWF and leave viewing IPL like thing, and do not blindly trust what is being shown on TV Channels please; For instance please apply your mind on the news - AAP FORMING GOVERNMENT IN DELHI ???????????
And lastly I would request intellectual to give serious thought as to who were these persons in control of cricket dooming the royal game and who are now the POLITICIANS IN CHARGE; and think should we not doubt the ability and capability and integrity of same POLITICIANS AND RICH DIRTY MEN ??????????

Friday 16 May 2014

I AM HAPPY WITH DECIMATION AND DEVASTATION OF CONGRESS ….
I AM HAPPY WITH TREMENDOUS VICTORY OF MODI ….
I AM EXTREMELY SAD AND DISAPPOINTED FOR KEJRIWAL ….
I AM HIGHLY WORRIED AND DISGUSTED WITH MEDIA ….
AND I PITY MODI SUPPORTERS WHO RIDICULED AND ABUSED KEJRIWAL ….
OVERALL I AM HAPPY AND HOPEFUL FOR BETTERMENT OF COUNTRY ….
BUT PROUDLY MY SUPPORT FOR KEJRIWAL SHALL CONTINUE ….

Wednesday 14 May 2014

बहुत से लोगों की उम्मेदवारी निरस्त की जा सकती है - की ही जानी चाहिए और बहुत से उम्मीदवारों और पार्टियों के विरुद्ध भी उनके साक्षात उल्लंघनों के विरुद्ध भी कार्यवाही होनी ही चाहिए .....
पर आज की परिस्थितियों में और हमारे जनतंत्र की अपरिपक्वता के मद्देनज़र ऐसा कुछ भी नहीं होगा .... हमें अभी कुछ वर्ष और इंतज़ार करना होगा ....
http://www.newindianexpress.com/nation/Hiding-Info-can-Disqualify-Candidates/2014/05/14/article2223597.ece
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नमो नमो नमो .... अभी प्रधानमंत्री बने नहीं हैं - और हमें इतनी गन्दी गाली !!! क्यों ???
ऐसे में यदि आप प्रधानमंत्री बन भी गए तो क्या लम्बे समय तक रह भी पाएंगे ???
और यदि रह भी गए तो क्या हमें न्याय दे पाएंगे ???
http://www.abplive.in/india/2014/05/14/article312932.ece/Giriraj-hits-again-says-pro-Pakistan-people-opposing-Modi#.VIbBLtKUeM9
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निष्क्रिय ठूंठ खम्बा क्या बेहतर ना होता ???

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा निम्नस्तर को छूते हुए नकारात्मकता फूहड़ता और घपलेबाजी का जिस नग्नता और ढीढता के साथ प्रदर्शन किया है .... वह मेरे सामने स्पष्ट है ....
मैं एक सिविल इंजीनियर होने के नाते कह सकता हूँ की एक खम्बे का दायित्व बिना झुके बिना हिले डुले अपने ऊपर आये भार का लगातार वहन मात्र करते हुए "निष्क्रिय ठूंठ" बने रहना ही होता है ....
मुझे लगता है यदि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपनी सक्रिय भूमिका की अतिरिक्त जवाबदारी ना भी निभाता और मात्र निष्पक्ष तटस्थता भी कायम रख "निष्क्रिय ठूंठ" भी बना रहता तो भी शायद वो अपने को खम्बा कहलाने लायक दंभ भर पाता ....
पर मित्रों अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ .... इसलिए अब मीडिया अपने को "ठूंठ" कहलाने लायक भी नहीं बचा ....
इसलिए मैं सोचता हूँ की अब हमें हमारे लोकतंत्र के भवन को टिकाये रखने के लिए सड़ चुके चौथे स्तम्भ को हटा मात्र 3 या 5 खम्बो के हिसाब से नई डिज़ाइन जल्दी ही तैयार कर लेनी चाहिए ....
अन्यथा इन 4 खम्बो पर तो लोकतंत्र की शवयात्रा ही निकल जाएगी ....

Monday 12 May 2014

अब समझ आया की मोदी जी वाराणसी से नदारद क्यों ?
आपको याद होगा की मोदी जी ने स्वयं कहा था की वो अपनी माँ से साल भर में केवल दो बार ही मिलने जाते हैं ....
और गंगा माँ से इस साल दो बार मिलने का उनका कोटा पूरा हो गया है ....
अब तो गंगा माँ को मोदी जी के दर्शन अगले वर्ष ही हो सकेंगे .... बेचारी गंगा माँ ???
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क्या बात है? वाराणसी में आज वोटिंग हो रही है और मोदी जी गायब ?
क्या आज भी उन्हें गंगा ने नहीं बुलाया ??
बेचारे मोदी जी ???
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क्रांति की शहनाई !!! .... या .... भ्रष्टाचार का भोंपू ? 
बस यही यक्ष प्रश्न है - काशी के गंगा घाटों से कौनसी आवाज़ गूंजेगी ???

Saturday 10 May 2014

क्योंकि वड़ोदरा में वोटिंग हो गयी है और वाराणसी में १२ को होनी है - इसलिए उल्लू बनाइँग ???
क्यों भाई मोदी गूंगे हैं जो यह बात पहले खुद खुल कर नहीं बोल सकते थे ??? और अब राजनाथ बोल रहे हैं !!! हार का खतरा के खातिर ना बबुआ !!!
और भाई मेरे वैसे भी वाराणसी सीट तो तब रिटेन करोगे ना जब जीतोगे ? कि यूँही खाली पीली बोम !!!
http://www.abplive.in/video/2014/05/10/article310465.ece/Modi-to-retain-Varanasi-seat-hints-BJP-chief-Rajnath-Singh#.VIbCedKUeM9
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मोदी कहिन ----- "माँ बेटे की सरकार तो गयी" !!!!
ज़रा गौर फरमाइयेगा ....
यदि चल रहे प्रचार प्रसार को सही मान लें और ज़रा तर्क लगाएं तो ....
>> यदि UPA की सरकार जायेगी - तो NDA की सरकार आएगी ....
>> यदि कांग्रेस की सरकार जायेगी - तो भाजपा की सरकार आएगी ....
>> यदि मनमोहन सरकार जायेगी - तो मोदी सरकार आएगी ....
पर ज़रा विसंगति देखिये कि कोई भी ये तो बोल नहीं रहा है कि - "मनमोहन सरकार" जायेगी - तो फिर प्रश्न उठता है - "मोदी सरकार" कैसे आएगी ????
और इसके विपरीत मोदी तो बहुत ही फूहड़ और नीच अंदाज़ में अनावश्यक उपहास करके बार-बार यही कह रहें है कि - "माँ बेटे की सरकार तो गयी !"
और तर्क यह कहता है कि ....
>> यदि माँ बेटे की सरकार जायेगी - तो परित्यक्त की सरकार आएगी ....
तो क्या मोदी सरकार "परित्यक्त सरकार" ही कहलाएगी न ????
क्या अब भी मोदी अपनी ५६" ज़ुबान को लगाम देंगे ?? या ....
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वाराणसी के DM ने जब राहुल को अनुमति दी तो मोदी को क्यों नहीं ??? - जेटली !
बात में दम हैं - जब राहुल और मोदी में कोई अंतर ही नहीं है तो ये तो खुल्लमखुल्ला पक्षपात हो गया जिसकी वजह से मोदी जी को भारी कीमत चुकानी पड़ती दिख रही है !
पर एक प्रश्न उठ रहा है कि जब केजरीवाल को गुजरात में रोका गया था तब जेटली जी ने तो कोई बयान जारी नहीं किया था - गलती हो गयी हो तो अब बता दें कि - जब मोदी का वाराणसी में स्वछन्द विचरण को रोकना गलत है तो गुजरात में केजरीवाल को रोकना गलत क्योँ नहीं था ?
चलो अब जो हुआ सो हुआ गंगा किनारे इतना मातम क्यूँ ??
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मुझे लगता है कि अब दुष्ट बेशर्मों से प्रश्न पूछने की परिपाटी एवं व्यवस्था में व्यवहार कुशल चालाकी भरा परिवर्तन लाना होगा !
मैं अनुभव कर रहा हूँ कि बहुत काबिल पत्रकारों एवं आम जनता में से अनेक बुद्धिजीवियों और आम जनता में से ईमानदार तैश खाने वाले कुछ उत्साही लोगों द्वारा बहुत से तर्कसंगत एवं महत्वपूर्ण प्रश्न समक्ष में रखे जाते हैं - और ऐसा होने पर वे प्रश्न सार्वजनिक पटल पर काफी धूम भी मचाते हैं - हो सकता है कि कुछ असर भी छोड़ते हों - और हो सकता है कि उनका कुछ परिणाम भी निकलता हो - पर सामान्यतः ज्यादातर प्रश्न प्रश्न ही रह जाते हैं - और या तो उनको दफ़न कर दिया जाता है या उनका तात्कालिक, सामयिक, या दीर्घकालिक देहावसान हो जाता है !
और जिनसे या जिनके बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं वो 8 -10 घिसे पिटे पर आज़माये असरकारक फॉर्मूले - जुमलों का उपयोग कर चालाकी से निजात पा लेते हैं - जैसे कि .... "प्रश्न ये नहीं है.." ; "पहले मेरे प्रश्न का उत्तर दें.." ; "प्रश्न गलत नियत से पूछा जा रहा है" ; "इस प्रश्न के पीछेे गंदी राजनीति है" ; "इस प्रश्न का जवाब मैं दे चुका हूँ" ; "इस प्रश्न का जवाब मैं जनता को दूंगा" ; "जरूरी नहीं मैं हर प्रश्न का जवाब दूँ" ; "मैं ऐसे घटिया प्रश्न का जवाब नहीं दूंगा" .... आदि आदि !
अतः मेरा मानना है की हम भी अपनी शैली को बदलें और बजाय ऐसे सही सही प्रश्न पूछने के कि - "कहाँ से आया इतना पैसा?" हम कुछ गलत मनगढंत प्रश्न कुछ अलग अंदाज़ में पूछें जैसे कि: -
अडानी ने 500 अम्बानी ने 490 करोड़ दिए - भाजपा में मोदी समर्थक नेताओं / कार्यकर्ताओं के द्वारा चंदे के रूप में 1000 करोड़ जबरन वसूली में से 200 करोड़ पार्टी फण्ड के माद्यम से आये - खुद मोदी ने अपने अज्ञात स्त्रोत से लगभग 40 करोड़ लगाये - एवं बाकी के 3200 करोड़ सोनिया गांधी के जरिये इटली से आये - अतः प्रश्न उठता है कि - अम्बानी ने अडानी से कम क्यों दिए? 1000 करोड़ की वसूली में से 800 करोड़ कहाँ गए ? सोनिया गांधी ने मोदी जी को 3200 करोड़ क्यूँ दिए ???
(कृपया स्मरण करिए कि इसी स्तर के प्रश्न विपक्ष ने पूछे जैसे कि - केजरीवाल ने फोर्ड फाउंडेशन से पैसे क्यों लिए? अन्ना के 2 करोड़ रुपये क्यों हड़प कर लिए ? आदि )
आशा है आप मेरा आशय समझ गए होंगे !!!!!! यदि कुत्ते को गधा सूअर बोला जाए तो हो सकता है उसे बुरा लगे और वो भौंके और हम आशा करें की भौंकने में कुछ उगल भी दे .... और यदि कुछ भी न करे तो कम से कम गाली तो खाये ....
तुम डाल - डाल हम पात - पात .... तुम पात - पात हम जड़ में घुस पत्ता ही साफ़ करें ....
शायद इसीलिए संपूर्ण परिवर्तन और केजरीवाल जरूरी हैं .... क्योंकि जब उन्हें उनके प्रश्नों का जवाब नहीं मिला तो वो चुपचाप नहीं बैठ गए - उन्होंने सड़ी गली व्यवस्था की जड़ पर वार किया है ....
(टीप : मैं अपने आप को केवल "आम जनता में से ईमानदार तैश खाने वाले कुछ उत्साही लोगों" में से एक मानता हूँ - कृपया मुझे बुद्धिजीवी या काबिल पत्रकार न समझ बैठें - धन्यवाद ! )

Thursday 8 May 2014

मेरे हिसाब से भाजपा में दो ही व्यक्ति किसी पद से अलंकृत करने लायक हैं ....
पहले - अटल बिहारी वाजपेयी ; और दूसरे नरेंद्र मोदी !
अटल बिहारी वाजपेयी को मिलना चाहिए - 'भारत रत्न'
और नरेंद्र मोदी को मिलना चाहिए - 'भार रत्न' या 'भाड़ रत्न'
https://www.youtube.com/watch?v=NPuhM_x__Cs
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मेरा सभी मोदी समर्थकों से निवेदन है कि कृपया बताएं: -
यदि मोदी केजरीवाल से बहस की चुनौती स्वीकार कर केजरीवाल को परास्त कर देते हैं तो इससे भाजपा और मोदी को फायदा मिलेगा कि नहीं ?
और मोदी समर्थकों को ख़ुशी मिलेगी कि नहीं ??
फिर मोदी को केजरीवाल कि चुनौती स्वीकार कर लेनी चाहिए कि नहीं ???
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मोदी द्वारा संवैधानिक संस्था चुनाव आयोग की खुल्लेआम अभद्र अमर्यादित निंदा - चुनाव आयोग पक्षपात कर रहा है .... चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं हैं .... चुनाव आयोग ने जिम्मेदारी नहीं निभाईं .... चुनाव में गड़बड़ी की गंभीर खबरें मिली हैं ....
अब जा के मैं 100% आश्वस्त हुआ हूँ की वाराणसी से केजरीवाल जीत रहे हैं .... और मुझे लगता है कि चुनाव बाद भी मोदी ऐसे ही निरर्थक प्रलाप करते रहेंगे .... मज़ा आएगा .... कृपया इंतज़ार कीजिये !!!

Wednesday 7 May 2014

अभी अभी समाचार आया है - कि मोदी जी ने वाराणसी चुनाव पर १ मई तक अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले सबसे कम खर्च रुपये ५,८३,०००/- मात्र किया है - जबकि केजरीवाल का खर्च रूपए २२,०००,००/- से अधिक है !
कृपया विदित हो कि बकौल मोदी जी गुजराती पक्के व्यापारी होते हैं और एक पैसा भी गलत निवेश नहीं करते हैं !
अतः स्पष्ट होता है कि या तो मोदी जी हिसाब किताब में घपलेबाजी कर रहे हैं और करोड़ों रुपये कालाधन खर्च कर चुनाव आयोग से खर्च का ब्यौरा छुपा रहे हैं - या - अपनी हार पक्की मान कर बेफिजूल ज्यादा पैसा खर्च नहीं कर रहे हैं ....
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ना मुझे यहाँ किसी ने भेजा है - ना मैं यहाँ आया हूँ - मुझे तो गंगा ने बुलाया है ...
करोड़ों रुपये के फूहड़ विज्ञापनों को सुन सुन कर पक गए हैं - ये बकवास नहीं तो और क्या है ?
क्या भारतीय जनता पार्टी ने मोदी को वाराणसी नहीं भेजा ?
क्या मोदी स्वयं वाराणसी नहीं आये थे - वे नहीं आये थे तो क्या उनका भूत आया था ?
और ये गंगा कौन है जिसने मोदी को बुलाया? - अरे थोड़ी तमीज और तहज़ीब और प्यार से ये तो बोला होता - मुझे "गंगा मैय्या" ने बुलाया है ?
चलो जो हुआ सो हुआ - अब ये बताओ की ८ तारीख को भी यदि आपको कोई भेज नहीं रहा है - और तो और वाराणसी की जनता ने आपको न कभी बुलाया न अभी बुलाया है - तो आप किसके कहने पर वाराणसी पधार कर किस पर एहसान करने का इरादा रखते हो ? गंगा पर ? केजरीवाल पर ? या वाराणसी की जनता पर ?
अरे मोदी जी लफ़्फ़ाज़ी छोडो - ऊल जलूल विज्ञापन बंद करो - और साफ़ साफ़ कहो की वारणसी की सेफ सीट से खुद चुनाव लड़ने आये थे - पर अब हार का डर है - है न ???
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वाह भई वाह - अमेठी प्रशासन तो गज़ब कि ईमानदारी - वफ़ादारी बताता दिख रहा है - आखिर DEAL और SETTING होने के बाद पलटा थोड़े ही जाता है .... फिर आप चिल्लाते रहो कि ये बेईमानी है - गद्दारी है - बेशर्मी है - नालायकी है !!!!
पर याद रहे सही चिल्लाहट कहीं आपके स्वयं के रोने चिल्लाने का सबब ना बन जाए - क्योंकि इस देश में आम आदमी भी जाग रहा है .... अंगड़ाई ले रहा है ....

Tuesday 6 May 2014

मेरी समीक्षा !!!

नीच राजनीति >> नीच जाति >> नीच मानसिकता >> नीच लोग !
ओछी राजनीति >> ऊंची नीची जाति >> ओछी मानसिकता >> ओछे लोग !!
स्वच्छ राजनीति >> नहीं कोई जाति >> 'आप' की मानसिकता >> आम लोग !!!

Monday 5 May 2014

मोदी जी आज आपने अमेठी में इंदिरा गांधी, अंजैया, नरसिम्ह राव, सीताराम केसरी और राजीव गांधी जैसे दिवंगत नेताओं को प्रचार खत्म होने के पूर्व याद किया.
मोदी जी हमने तो सुना था अच्छे दिन आने वाले हैं........
लेकिन ये क्या ?
भरी दोपहर आपको इतने गंदे - गंदे सपने आने लगे ?
क्या आपके लिए इतने बुरे दिन आने वाले हैं ?
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मोदी जी कहिन - 
सौगंध मुझे इस मिटटी की मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा !
और अगर चुनाव हार गया तो ?????
तो चाय बेचूंगा !!!! ( भले ही देश झुक जाये, देश मिट जाये ???)
ब्रह्मप्रकाश कहिन -
मोदी जी ! विपक्ष मैं बैठने से इतना परहेज क्यों ? क्या केजरीवाल से डर लगता है ? संसद मैं भी घुसोगे कि नहीं ? आप चाय बेचोगे तो गुजरात को कौन संभालेगा ? अगला चुनाव लड़ोगे कि नहीं ? यदि हाँ तो कहाँ से ?जहाँ से लड़ोगे वहां फिर केजरीवाल आ गया तो क्या करोगे ? फिर क्या चाय के कप प्लेट साफ़ करोगे ?
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अमेठी में आज प्रचार का अंतिम दिन था ....
प्रशंसा करनी होगी कुमार विश्वास की जिन्होंने दृढ़निश्चय के साथ अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया - अपनी जान हथेली पर रख भाजपा और कांग्रेस पार्टी की गुंडई का डटकर मुकाबला किया - और अदम्य साहस और लगन के साथ मेहनत करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी ! और उनकी काबलियत तो जग जाहिर है ही !
पर अब भी अगर वे अमेठी से नहीं जीतते तो मैं इसे कुमार विश्वास की हार नहीं मानूंगा - मैं तो इसे मोदी के अनैतिक प्रचार प्रसार की जीत मानूंगा ....... मैं इसे राहुल के वंशवाद में मोदी की सहायता की जीत मानूंगा .... मैं इसे मोदीभक्तों की नासमझी की जीत मानूंगा ....
पर आप ये सब पढ़कर अपना समय व्यर्थ क्यूँ कर रहे हैं .... जबकि अमेठी से कुमार विश्वास की जीत निश्चित है !!!
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अभी अभी मोदी ने अमेठी में कहा है कि वो चुनाव हारने के बाद वापस चाय बनाना बेचना शुरू करेंगे ....
मैंने भी अभी अभी निर्णय कर चाय पीना छोड़ दिया है !!!!

Sunday 4 May 2014

Few days back Ramdev and Chandnaath were caught on Camera while talking absolutely rubbish exposing them to be defaulter of being involved in unaccounted money in elections etc… Many questions were raised and put before Ramdev who replied in politician’s typical style of swerving here & there. But at large those questions were only less important in present context ….. 
The serious questions are like: -
What Modi & BJP is to say about Ramdev?
What sort of coalition / nexus is between Modi & Ramdev?
Whether or not Modi knows about ins & outs of Ramdev?
Whether or not Ramdev had influence in giving tickets to his associates?
Whether or not Ramdev shall influence the next government formation?
Whether or not Modi shall have courage and honesty in punishing Ramdev for his misdeeds?
I am sure - Modi and BJP will never take such questions….
HENCE I URGE MODI SUPPORTERS TO APPLY THEIR MIND AND REACH LOGICAL CONCLUSIONS PLEASE !

Saturday 3 May 2014

मैं दावे से कह सकता हूँ कि - 'बेशर्मी' - 'गुरूर' - इन दोनों विधाओं में राहुल और मोदी में कोई फर्क नहीं है - क्योंकि दोनों ही कुछ भी जवाब नहीं देंगे !
और हाँ जैसे ही आप भ्रष्टाचार की बात करेंगे - दोनों एक दूसरे पे गुर्राने दीख पड़ेंगे - पर काटेंगे फिर भी नहीं ! पता है क्यों - इनमे तो हिम्मत भी नहीं है - ताकत भी नहीं है - और वफादारी भी नहीं है !!!

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3/05/14

अब मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ की गुजरात जासूसी कांड पर कभी कुछ सच सामने नहीं आ पायेगा .... जैसे कोल् कांड 2G कांड आदर्श कांड रेल कांड वाड्रा कांड अडानी कांड गैस कांड अम्बानी कांड - आदि आदि में भी न कुछ ठोस हुआ न ये दोनों पार्टियां कुछ करने वाली हैं !
कृपया अपने दिमाग का ढक्कन खोलें और ध्यान से सोचें की पूरे चुनाव अभियान के दौरान "कोयले" का जिक्र तक नहीं और याद करें पूरी भाजपा और उसके बहादुर नेता सड़क से संसद तक इस विषय पर क्या क्या बोलते थकते नहीं थे .... अन्य विषयों पर भी भूतकाल में झांके ....
क्या आपको 'SETTING' की बदबूँ नहीं आ रही ????

Thursday 1 May 2014

अभी तक क्या होता था कि जब किसी छोटे आम व्यक्ति को सजा दी जाती तो वो रोता था कि देखो मेरे साथ पक्षपात हो रहा है - फलां फलां बड़े खास व्यक्ति को तो कोई कुछ नहीं कहता !!!
लेकिन पहली बार देख रहा हूँ की देश का सबसे प्रभावशाली व्यक्ति प्रलाप कर रहा है रो रहा है चिल्ला-चिल्ला के कह रहा है कि उसके साथ पक्षपात हो गया - उसे सजा दी जा रही है पर आम आदमी को कोई कुछ नहीं कह रहा !!!
सभी 'खास' को धिक्कार है - सभी 'आम' को बधाई !!!
यही है व्यवस्था परिवर्तन - यही है आम आदमी की जीत - यही है 'आप' की जीत !!!!

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राहुल चिल्लाने लग पड़े है .... अदानी ने लूटा !
मोदी चिल्लाने लग पड़े है .... वाड्रा ने लूटा !!
अब सब कह रहे हैं .... दोनों ने लूटा .... पर ये दो-दो कान के बहरे क्यों सुनने वाले ??
आप ही सोचिये .... दोनों की सरकारें हैं इसलिए दोनों जांच नहीं कराएंगे .... हाँ जब आप की सरकार आएगी .... ये तब ही तो पछतायेंगे ....