'सनातन' !! .... इसका मतलब होता है बहुत प्राचीन काल यानि आदिकाल से बराबर चली आ रही मान्यता या विचार या परम्परा आदि - जिसके आदि का समय ज्ञात ना हो ....
पर आज इस शब्द और इसके अर्थ का उपहास हो रहा है .... क्योंकि 'सनातन' नाम की आड़ में हाले-फिलाले ही जो कुछ हो रहा था इसके खुलासे हो रहे हैं ....
एबीपी न्यूज़ चैनल पर हो रहे या किये जा रहे खुलासों या सामने आ रहे तथ्यों या लगाए जा रहे आरोपों या फूहड़ता के साथ किये जा रहे बचाव पर एक जुम्मे-जुम्मे बनी "सनातन संस्था" पर कई प्रश्न खड़े हो रहे हैं ....
और सबसे बड़ा प्रश्न किया जा रहा है - बावजूद इसके कि इस संस्था पर सम्मोहन करने, हथियारों का प्रशिक्षण देने, हत्याएं कराने, बलवा कराने आदि जैसे संगीन आरोप लगते आए हैं - और बावजूद इसके कि पूर्व में महाराष्ट्र सरकार द्वारा इस संस्था पर बैन लगाने कि सिफारिश हो चुकी है - इस संस्था पर अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई ????
कोई जवाब दे या ना दे मैं ज़रूर इस प्रश्न का जवाब देने का प्रयास करूंगा - और जवाब संक्षिप्त है ....
हिन्दू धर्म सनातन माना गया है और इसलिए 'सनातन' शब्द हिन्दू धर्म संबंधित माना जाता है - और शायद एक संस्था ने हिन्दू धर्म की ठेकेदारी का धंधा चलाने के नाम पर अपना नाम 'सनातन संस्था' रख लिया है - मानो सनातन सनातन ही ना होकर मात्र कालांतर की कोई उत्पत्ति हो .... और फिर यह हुंकारा कि हिन्दू भी तो कोई चीज़ हैं - हिन्दुओं की भी तो कोई औकात है .... और फिर यह तथ्य कि हिन्दुओं का भी तो कोई 'वोट बैंक' है - और 'वोट बैंक' इस देश की राजनीति का एक अभिन्न घिनौना अंग है .... और ये सिलसिला जारी है ....
इसलिए जब राजनीति है तो फिर 'सनातन' का क्या महत्व ?? ....राजनीति आते ही हर मुद्दे में घुस सी जाती है 'धर्म' और 'जाति' .... और देखते देखते 'सनातन' के नाम पर सब कुछ हो जाता है - 'टनाटन' और 'तनातन' - और गौण हो जाता है 'सनातन' .... बस इसलिए ही 'सनातन संस्था' पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है - और ये संस्था 'सनातन' होने का असंभव सा कुप्रयास कर रही है .... पर क्या ये कभी 'सनातन' होने का आभास भी दे सकेगी ?? .... हा !! हा !! हा !! हा !! .... कदापि नहीं !!!!