Thursday 30 June 2016

// अरे यार अर्नब !! .. स्वामी को बोलना औकात में रहे ....//


पहले स्वामी बोले - बेलगाम बोले .. सब चुप रहे - इसलिए स्वामी बोलते ही रहे ....

शानों ने ताड़ा कि - राजन तो बहाना है ये तो जेटली पर निशाना है ....
और ये बात मीडिया में चल पड़ी और विश्वसनीय हो गई ....
इसलिए जेटली भी तड़प गए - और बोल दिए - राजन अच्छे ....

बस फिर क्या था - स्वामी फिर बोलते हुए पिल पड़े जेटली पर .... जिसे शानों ने संज्ञा दी 'स्वामी का पलटवार' ....

बात गम्भीर कम चिंतनीय ज्यादा हो गई - स्वामी के मज़ाक भाजपाइयों और भक्तों के लिए चिढानेवाले और चिंतनीय हो उठे .... जख्म उभरने लगे .... टाई में वो वाकई वेटर ही लगने लगे ....चीन से भी ज्यादा चीं चौं सुनाई पड़ने लगी .... .... 

और एकाएक शानों को सही सही ज्ञान भी होने लगा कि स्वामी का निशाना कहीं मोदी तो नहीं ??

बात जोर पकड़ने लगी .... और इस बीच ही मोदियाबिंद का मोदी से इंटरव्यू का संयोग आ गया ....
और प्रायोजित प्रथम प्रश्न में ही मोदी जी ने स्वामी के प्रति कुछ संयमित और संकुचित होते हुए तल्ख़ मानी जा सकने वाली हिदायती टिप्पणियां कर दीं ....

और मच गई धूम .. मोदी ने स्वामी को अपनी औकात में रहने की हिदायत दे दी है ....

और कुछ घंटे सन्नाटे के निकले - फिर भक्तों की साँसे चली .... और स्वामी फिर कुछ बोल उठे .... परन्तु इस बार तमाम निशाने साधते हुए अंत में ये बोल दिए कि "मैं मोदी के साथ हूँ" .... और भक्तों की साँसे चल रही हैं ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

मुझे याद हो आया शत्रुघ्न सिन्हा का स्टाइल जिन्होंने मोदी जी को 'डेयरिंग-डायनामिक-डैशिंग' बोल बोल कर कम्बल में लपेट लपेट जो लू उधेड़ी है बस उसी तर्ज़ में मुझे स्वामी भी दिखे .... यानि मोदी की सीधे बुराई ना करो और मज़े पूरे लेते रहो .... ठीक वैसे ही जैसे मोदी स्वयं भी तो प्रधानसेवक बनने के उपरान्त सिवाय चुनावी रैलियों के ऊटपटांग कहते नहीं और भक्तों को कहने से रोकते नहीं .... यानि हर तरफ एक थोबड़े के दो चेहरे .... 

और हाँ एक बात और - आज मुझे मोदी पर तरस भी बहुत आया क्योंकि कल तक जो दे ऊंची ऊंची बघारते थे जो बिन पूछे बताते थे कि वो और बराक तो दोस्त हैं - जब चाहा फोन उठा कर बात कर लेते हैं .. आज उसी मोदी से वही फ्री सरकारी फ़ोन उठा स्वामी से सीधे-सीधे बात तक करते नहीं बनी - और इसके बजाय उसे मोदिया के मोदियाबिंद अर्नब का सहारा लेना पड़ गया ....

इसलिए मैं आज इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि मोदी आज तक के सबसे निरीह कमजोर पंगु डरपोक प्रधानमंत्री हैं .... जो जरूरत से ज्यादा 'डेयरिंग-डायनामिक-डैशिंग' प्रतीत होने की लगातार असफल कोशिश करते रहते हैं .... पर ना केवल स्वामी से - वो जेटली ललित माल्या या योगी या साध्वी या वाड्रा तक से डरते हैं .... और केजरीवाल से तो बेहद खौफ खाते हैं - ना मालूम क्यों ?? .... छिः !!!!

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Wednesday 29 June 2016

// कर्मचारियों के लिए ७वां वेतन आयोग - गरीब के लिए महंगाई ७वें आसमान पर ?? ..//


और मोदी सरकार की कैबिनेट ने निर्णय ले लिया बताया जा रहा है ....
१ जनवरी १६ से ७ वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू ....
लाखों कर्मचारियों को फायदा ....

स्पष्तः मोदी सरकार का 'एक' या 'अब तक एकमात्र' अच्छा फैसला ....

इसलिए कर्मचारियों को विशेष बधाई !! .. विशेष बधाई इसलिए भी कि इस सरकार से आप इससे ज्यादा कुछ पाने की अपेक्षा भी कर नहीं सकते थे ....

पर क्या 'गरीब' जो निश्चित ही 'कर्मचारी श्रेणी' में नहीं आते हैं - क्या उनका भला ये सरकार कर सकेगी - क्या गरीब के लिए महंगाई जो ७वें आसमान पर जा पहुंची है - उसे नीचे ला पाएगी ??

लगता तो नहीं .... पर क्या भरोसा .. शायद कभी किसी दबाव में आकर - या वोट पाने के चक्कर में चुनाव पूर्व - गफलत में कभी कुछ भला सा कर भी दे .... नहीं क्या ????

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Tuesday 28 June 2016

// हताश आतंकियों के पास हथियारों की निहायत कमी हो गई लगती है ?? ....//


पम्पोर हमले के बाद बयान आ गए थे - ये आतंकियों की हताशा का परिचायक ....

अभी-अभी समाचार आया है कि श्रीनगर में भाजपा नेता के सुरक्षा अधिकारी से आतंकी AK-47 छीनकर फरार हो गए हैं ....

अब इस घटना से यह सिद्ध करने का प्रयास हो सकता है कि .. हताश आतंकियों के पास हथियारों की निहायत कमी हो गई है .... हाँ नहीं तो ?? ....

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// आतंकी हमले .. और हमारी तैयारी पूरी ?? ....//


और हमारे डेरिंग डायनामिक डैशिंग प्रधानमंत्री डियर मोदी जी बोले - अपने अंदाज़ में बोले - अपनेवाले से बोले - अपनी सुविधानुसार बोले - जिस विषय पर बोलना था उस पर बोले - जिस विषय पर नहीं बोलना था नहीं बोले ....

और बोलने वाले चयनित विषय में एक था पंपोर आतंकी हमला .... जिस पर मोदी जी बोले ....

और बोले भी क्या ?? .. "हम एक तरफ शान्ति के लिए प्रयासरत हैं - वहीं दूसरी तरफ जवानों को जवाब देने की पूरी छूट है" ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

यानि सेना के जवान तैनात हैं - वो जो उपयुक्त होगा वो करेंगे .... हथियार तैयार हैं ....
शहीद होने पर - जवाबदार उपयुक्त बयान देंगे .... बयान तैयार हैं ....
शहीदों के शवों को उपयुक्त स्थान पर लाया जाएगा .... ताबूत तैयार हैं ....
फिर उपयुक्त सम्मान और श्रद्धांजलि दी जाएगी .... तूतनी फूंकने वाले और बंदूकें उलटी करने वाले साथी तैयार हैं ....
फिर शवों को गृहनगर पहुंचाया जाएगा .... वाहन / विमान सब तैयार हैं ....
फिर पूर्ण सम्मान के साथ अंतिम क्रिया .... पूरा गाँव / शहर हम और आप तैयार हैं ....

और ध्यान रहे मोदीजी अपनी पूरी टीम के साथ शांतिवार्ता के लिए सदैव तत्पर हैं .... तोहफे तैयार हैं .... 

यानि तैयारी पूरी है .... कोई कोर कसर नहीं ....

बस आशंका है / थी तो हमले की ....
और वो एक और हमला भी आज हो गया ....

कुपवाड़ा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ जारी ....
इधर हमारे मुंहतोड़ जवाब देने की बारी ....
जिसके लिए उपरोक्तानुसार हमारी पूरी तैयारी ???? ....

और तैयार हमारे देश के प्रभारी ....
जिन्होंने कल ही यह भी बोल दिया था कि - "भारत को हर वक़्त पाकिस्तान से सतर्क और सावधान रहना होगा" .... 

इसलिए बोलिए - "भारत माता की जय" - सभी सतर्क और सावधान बने रहिए .. और प्लीज समझिए - ये हो क्या रहा है ???? ....

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Monday 27 June 2016

// हैल्लो मोदी !! .. नमस्ते अर्नब .... खूब जमी जब मिल बैठे ये दो ....//


टाइम्स नाउ चैनल - अंग्रेजी चैनल .. अर्नब गोस्वामी एंकर - भाषा अंग्रेजी ....
मोदी - हिंदी भाषी ....

मिली-जुली कुश्ती तो आम बात थी - पर अब मिला-मिला सेट किया हुआ इंटरव्यू भी आम हो चला है ....
और ऐसे इंटरव्यू में भाषा बाधक भला क्यूँ हो ?? ....

तो आज अभी 'डेड' हो गया एक 'लाइव' इंटरव्यू - अर्नब गोस्वामी बनाम मोदी .... बल्कि बेहतर होगा यदि मैं कहूं कि - "अर्नब गोस्वामी संग मोदी" ....

और मैनें अनुभव किया है कि जब कभी बेवड़े दोस्त पीने बैठ जाते हैं तो पैग-दर-पैग उनके बीच के सभी भेदभाव मिट जाते हैं .. फिर वो एक जैसे ही हो जाते हैं .... और सुरूर में प्रायः अर्थहीन हो जाते हैं .... 

आज वैसा ही कुछ अनुभव हुआ - इंटरव्यू बहुत बढ़िया था .. जो प्रश्न-दर-प्रश्न सरल होता गया और जवाब दर जवाब सौम्य होता गया .... और गरूर में अर्थहीन होता गया ....

यदि आपने ना देखा हो तो ना ही देखें तो भला - जैसे कि यदि आप ना पीते हों तो ना ही पिएं तो भला ....

उच्चकोटि के समस्त बेवड़ों और राजनीतिज्ञों से माफ़ी के साथ .... थैंक्स !! और साथ में धन्यवाद !!

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// पर इन्हें १ के आगे की गिनती आती नहीं - और ये हताश होते नहीं ....//


पम्पोर .... एक और आतंकी हमला .... और हमले का जवाबदार वही जाना पहचाना लश्करे तैय्यबा .... 

गृहमंत्री ने एक बार फिर से कई बार कही अपनी ही पुरानी बात दोहरा दी है कि .. अब यदि उधर से एक भी गोली चली तो फिर इधर से गोलियों की गिनती नहीं की जाएगी ....

और रक्षामंत्री ने तो सदाबहार बचाव एवं झेंप मिटाने वाला बयान पेल दिया है कि .. यह पाकिस्तान की हताशा का नतीजा है .....

मेरी प्रतिक्रिया ....

राजनाथ जी .. हमें १ के आगे की गिनती आती है .. और आपके ये वचन हम पहले भी सुन चुके हैं .... और हमें ये भी मालुम है कि हमारे देश में १ से अधिक टुच्चे हैं फेंकू हैं फांकू हैं बयानवीर हैं ....

और पर्रिकर जी .... समझ नहीं आता कि आखिर आप भी कभी हताश होंगे कि नहीं ???? .. या हमेशा 'उड़ता मंत्री' बन हवा में उन्मुक्त प्रसन्न उड़ते रहेंगे ?? .. अरे हताशा की छोडो - कभी होश में भी आएंगे कि नहीं ????

और मोदी जी .. कोई ढंग तरीके के बढ़िया ज़मीर वाले आदमी नहीं मिले आपको - जो कभी आप से ही हताश होने के बाद गुस्सा पाकिस्तान पर उतार सकें .. या आपने अपनी पूरी टीम ही अपने जैसी चयनित कर ली है ?? ....

जिन्हें १ के आगे की गिनती आती नहीं - और ये हताश होते नहीं .... तौबा !!!!

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Sunday 26 June 2016

// 8 शहीद हो गए .. उधर की छोड़ो - क्या इधर का कोई "बासित" दुखी दिखा ?? ..//


कल हमारे ८ जवान शहीद हो गए ....

और हमारे पत्रकार बंधुओं ने पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित से प्रतिक्रिया जाननी चाही ....
और बासित ने कह दिया - अभी तो इफ्तार की पार्टी चल रही है - खलल ना डालें ....

और तब कुछ भारतीय भी भड़के .. पाकिस्तान पर नहीं - बासित पर .... जी हाँ बासित पर भड़क अपनी भड़ास निकाल अपनी देशभक्ति के इज़हार की इतिश्री कर ली गई ....

और इतिश्री इस हद तक कि मुझे कोई इधर के "बासित" से प्रतिक्रिया तक लेते नहीं दिखा .... कोई नहीं दिखा जो किसी इधर के डेरिंग डैशिंग डायनामिक से भी पूछ ले कि जनाब आपकी कोई नई टाइप की प्रतिक्रिया ?? .. या महाशय आपके मन की बात ????

मेरी प्रतिक्रिया ....

बासित ने बेशर्मी करी .... ये उसका धर्म और उसका कर्म .... और वो हंसा भी - खुश भी दिखा .... क्योंकि वो पाकिस्तानी है .. हमारे उस दुश्मन देश का बंदा जो देश इस हमले का दोषी बताया जा रहा है - दोषी माना जा रहा है .... 

पर क्या हमारे देश की सरकार में भी कोई पाकिस्तान से गुस्साए दिखा - बौखलाया दिखा - या पाकिस्तानी को चेतावनी देते दिखा ???? .... क्या हमारी तरफ से कोई कार्यवाही हुई ???? ....

या सब छोड़ो ....
क्या इधर कोई इफ्तार पार्टी से तौबा करते दिखा ???? ....
या फिर क्या कोई भक्त भी विचलित दिखा ????

मित्रो मुझे दुश्मन के व्यवहार से कष्ट नहीं है - मुझे तो अपने वालों के फोकटिए आचरण से कष्ट है - मुझे तो भक्तों की अंधभक्ति से चिंता है .... मुझे तो ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर भी जुमलों के द्वारा इतिश्री कर अपने आपको महान निरूपित करने वालों और अपने ही देश वासियों को पाकिस्तानी कहने वालों और उनका लगातार उपहास करने वालों पर क्रोध आता है .. उनसे घिन्न आती है ....    

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// "पुलिस रिफॉर्म्स" ?? .. ये "हिम्मतवाले" करेंगे ही क्यों ?? ....//


अब तक दिल्ली एवं अन्य राज्य की पुलिस की कई भयावह कारगुजारियां समक्ष में आती ही रही हैं .. और अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है .... और अब तो पुलिस से ही डर लगने लगा है .... और दिल्ली पुलिस से खौफ ....

कुछ दिन पूर्व केजरीवाल की ११ महीने विलम्बित राजनीति के विरुद्ध एफआईआर हो चुकी है ....
कल ही दिल्ली की अजब गजब पुलिस द्वारा एक 'आप' विधायक को भरी प्रेस कांफ्रेंस में से उठाकर बाद में उस पर धाराप्रवाह अविश्वसनीय और असंभव अपराध की धाराएं थोपते हुए उसे जेल में डाल दिया गया है ....
और अब मालुम पड़ा कि शायद मनीष सिसोदिया को भी उठा बंद करने की तैयारी / योजना / मंशा है ....

और पुलिस महकमे में अब - कब किस निर्दोष को पकड़ना और किस मुजरिम को छोड़ना - बस यही कला विज्ञान दक्षता और हिम्मत का पैमाना रह गया है .... जिसने ये मनमानी कर ली - वो "हिम्मतवाला" .... 

और मुझे लगा कि वैसे तो मोदी भी हिम्मतवाले हैं .... काफी मनमानी  जो कर लेते हैं ....
पर अब देखना होगा कि क्या मोदी सुब्रमण्यम स्वामी को फुफकारने की हिम्मत कर पाते हैं या नहीं ?? .... यदि फुंफकार पाए तो मानना पड़ेगा कि बन्दे में हिम्मत तो है ....

वैसे मैं थोड़ा कन्फ्यूज्ड हो ये भी सोच रहा था कि क्या हिम्मत की भी नई परिभाषा गढ़नी पड़ेगी ?? .. मसलन ....
क्या ये हिम्मत अच्छी चीज़ है या बुरी ?? ..
ये हिमाकत क्या बला है ?? ..
और ये हिकारत क्या बला है ?? ..

अभी बहुत कुछ सोचने का समय आ गया है .. आप भी सोचिये .. कि यदि कल आपको भी किसी ने हिकारत से देख लिया या ऐसी ही हिम्मत कर डाली या हिमाकत कर डाली .. तो आप क्या करेंगे ???? ....

क्या आप पुलिस में जाने की बेवकूफी करेंगे ?? .. या किन्ही अपराधियों से मदद की गुहार लगाएंगे ?? .. या नेताओं से संरक्षण की भीख मांगेंगे ??  .. या न्याय का दरवाज़ा खटकाने का अंतिम विकल्प चुनने की मजबूरी में फंस जाएंगे ?? ....

और सोचिये जो आपके लिए लड़ रहा है और अपने को खपा देने के लिए आमादा है - यदि वो भी हार गया तो कल आपको कौन बचाने आएगा ????

और सोचियेगा कि ये "पुलिस रिफॉर्म्स" क्या बला है ?? .. कौन करेगा ?? .. कब करेगा ?? .. करेगा भी कि नहीं ?? .. क्योंकि सबसे बड़ी बात है "हिम्मतवाले" करेंगे ही क्यों ?? .. उन्हें पागल कुत्ते ने थोड़े ही काटा है ....

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Saturday 25 June 2016

// ११ महीने - बनाम - १६ महीने ....//


१६ माह पहले .... एक काबिल ईमानदार अधिकारी श्री संजीव चतुर्वेदी को केजरीवाल ने बतौर ओएसडी के पद पर नियुक्त करने हेतु सक्षमता हथियाए केंद्र सरकार से अनुमति देने की अधिकारिक मांग करी थी ....

शायद मोदी सरकार के मोदी मोदीपछाड केजरीवाल की इस मांग से भयभीत हो गए थे - क्योंकि संजीव चतुर्वेदी ठहरे ईमानदार .. और मोदी सरकार में ईमानदार कम और उठापटक या राजनीतिक दांवपेंच या चुनाव जीतने या फांकने या दादागिरी या आपत्तिजनक बयानबाज़ी करने वाले - या बेशर्म या भ्रष्ट या सांप्रदायिक या नाकाबिल या दागी लोग अधिक हैं - जिसके कारण एक काबिल ईमानदार से सबका भय खा जाना स्वाभाविक ही था ....

और क्योंकि मांग मोदी के सबसे काबिल डियरेस्ट नंबर १ केजरीवाल ने कर मारी थी - इसलिए मोदी का सुप्तावस्था में प्रस्थान कर जाना स्वाभाविक ही था ....

पर सो जाना मृत हो जाना नहीं होता .... सोते को भी कभी ना कभी जागना होता है ....

इसलिए प्रकरण में आहत और स्तब्ध और सोते हुए मोदी जी अब १६ माह बाद जागे और हिम्मत कर उन्होंने संजीव चतुर्वेदी की दिल्ली पोस्टिंग के प्रस्ताव को एक निर्मित कमेटी से प्राप्त सिफारिश की आड़ में ठुकराने की त्वरित कार्यवाही कर डाली ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

टैंकर घोटाले में केजरीवाल के ११ महीने की विलम्बित राजनीति पर भद्दी राजनीति करने वाली भाजपा के शीर्षस्थ नेता नरेंद्र दामोदरदास मोदी - जो बिना छुट्टी लिए १६ घंटे कार्य करने वाले नेता हैं - शायद उन्हें आज १६ महीने के बाद कुछ पूर्व निर्णीत एवं प्रत्याशित निर्णय ले लिए जाने की घोषणा करने में शर्म नहीं आनी चाहिए थी .... और शर्म आई भी नहीं दिखती .....

इसका एक कारण ये भी है कि हमारे प्रधानमंत्री डेरिंग डैशिंग डायनमिक हो शर्मीले तो बिल्कुल भी नहीं हैं .... यानि शर्म तो उन्हें छू तक नहीं गई है ....

और चूंकि हमारे एक और काबिल ईमानदार केजरीवाल बहुत अड़ियल से हैं - इसलिए अभी आने वाले समय में मुझे लगता है कि वे ऐसे लोगों को शर्मसार करने के कई और अवसर पेश करते रहेंगे .... जय हिन्द !!

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Friday 24 June 2016

// देश की अर्थ व्यवस्था बेहतरीन ???? ....//


रूपए की कीमत १ डॉलर के मुकाबले ६८.१८ रूपए तक गिरी ....
निफ़्टी ८००० के नीचे ....
सेंसेक्स १००० पॉइंट नीचे गिरा ....

दालें टमाटर प्याज़ आलू सब्जियां एवं सुब्रमण्यम स्वामी अनियंत्रित सरकार के नियंत्रण से बाहर ....

डीडीसीए के वित्त घोटाले में लिप्त वित्त मंत्री अनियंत्रित स्वामी के आगे असहज और असहाय ....
वित्त मंत्रालय में हड़कम्प जैसी स्थिति .... मोदी सुट्ट ....    

महंगाई चरम पर .... 
गरीब के आर्थिक हालात सबसे ज्यादा खराब ....
और देश में गरीब ज्यादा - अमीर कम ....

फिर भी देश की अर्थ व्यवस्था बेहतरीन ???? ....

और ये सब आर्थिक उपलब्धियां मोदी जी के कारण ....
और सामाजिक उपलब्धियां ?? .... मत पूछो तो बेहतर .. दयनीय !! चिंताजनक !! ....
और वैश्विक उपलब्धियां ?? .... हास्यास्पद !! 

तो भक्तों बजाओ ताली .. और बजाते रहो .. और बजाते रह जाना .... और जब हाथ दुःख जाएँ तो हाथ मलते रह जाना ....

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Thursday 23 June 2016

// अरविन्द सुब्रमण्यम के अलावा भी तो कुछ समझदार हाशिये पर हैं ..//


सुब्रमण्यम स्वामी ने संघी अंदाज़ में राष्ट्रीयता का पल्लू थामे - अपने नए शिकार अरविन्द सुब्रमण्यम पर निशाना साधते दिखते हुए ढीली तोप दाग दी .... तोप में से गोला निकल गोल ठिकाने पर पड़ गया लगता है .... और धमाके से कई लोग हताहत नहीं तो आहत होते तो दिख ही गए हैं .... और कई लोग इसे पटाखे की आवाज़ मानते हुए तालियां भी ठोक रहे हैं ....

सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा भारत के आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम पर लांछन ये पेला गया है कि वे पूर्व में अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ और अमेरिका के पक्ष में पैरवी कर चुके हैं .... इसलिए .... शायद की क्या गुंजाइश - वो तो पक्के में दोगले हैं - भारत विरोधी हैं - अमरीकी हैं - खतरनाक हैं - आदि ....

और इस बीच हमारे प्रधान सेवक असहाय मोदी जी मौन हैं .... बेचारे !! 

मेरी प्रतिक्रिया ....

मोदी सरकार में कभी भ्रष्टतम कांग्रेस में रहे सैंकड़ों नेता भी तो हैं ....
मोदी सरकार में अमरीकी एजेंट (?) अन्ना हज़ारे के चेले चपाटी भी तो हैं ....
मोदी सरकार में ललित मोदी के प्रति संवेदनाएं रखने वाले भी तो हैं ....
मोदी सरकार में माल्या को भगाने वाले भी तो हैं ....
मोदी सरकार के वित्त मंत्री स्वयं अरविन्द सुब्रमण्यम के समर्थक भी तो हैं ....

स्वयं मोदी 'शरीफ' के व्यक्तिगत मित्र भी तो हैं ....
स्वयं मोदी 'बराक' के दोस्त भी तो हैं ....
स्वयं मोदी द्वारा नियुक्त आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम ही तो हैं ....
स्वयं मोदी लाखों एनआरआई के मुरीद भी तो हैं - जो पढ़े लिखे काबिल बने भारत में और आज विदेशों में अपनी रोज़ी रोटी कमा रहे हैं ....

और मोदी सरकार की सेवा में सुब्रमण्यम स्वामी भी तो हैं जो देसी ज्ञान विदेशों में बघार बघार मोटी रकम कमाते रहे हैं ....
और कई विदेशी सरकारों में भारतीय मूल के कई लोग भी तो हैं जो वहां की अपनी सरकारों की ढपली बजा रहे हैं ....

इसलिए प्रश्न उठता है कि क्या किया जाए ?? .... अरविन्द सुब्रमण्यम को निकाल दिया जाए ?? .. या सुब्रमण्यम स्वामी को निकालने की चेष्टा करने का दुस्साहस किया जाए ?? .. या मोदी स्वयं हट जाएँ ?? .. या सब कुछ बेशर्मी के साथ पूर्ववत चलने दिया जाए ??

और इसलिए मैं मंथन कर रहा था कि मोदी की पार्टी में हाशिये पर बैठे कुछ समझदार भी तो हैं .... तो क्या ऐसे लोगों को अब खुल कर सामने आकर असहाय मोदी जी का मार्गदर्शन नहीं करना चाहिए .... या मोदी जी का मार्ग प्रशस्त करने में अपना योगदान नहीं दे देना चाहिए ????

जय अरविंदम !!

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// आज नेहरू याद आ रहे है .. कल मोदी याद आएँगे ?? ....//


कल ही इसरो ने कामयाबी के नए झंडे गाड़ते हुए रिकॉर्ड २० उपगृह एक साथ अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिए ....

इस अभूतपूर्व सफलता के लिए इसरो को बधाई !! ....
और इसरो की परिकल्पना के मुख्य सूत्रधार जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धा के साथ नमन और धन्यवाद ....
और नमन विक्रम साराभाई - शास्त्री जी - और इंदिरा जी को भी ....

और कुछ दिन पहले एक रिकॉर्ड और बना - एक साथ कई लाखों लोगों का एक साथ योग करना ....
इसके लिए मोदी जी को बधाई .... और बधाई रामदेव बाबा को भी ....

और सुझाव कि बस ऐसे ही लगे रहें .... ये देश कुछ भी करने वालों के प्रति कृतार्थ रहता है ....

मसलन यदि भविष्य में एक साथ रिकॉर्ड लोगों के शौच का कोई रिकॉर्ड बना तो भी मोदी जी आपको याद अवश्य किया जाएगा ....

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Wednesday 22 June 2016

// अरविन्द केजरीवाल + सुब्रमण्यम स्वामी के बदले - अरविन्द सुब्रमण्यम ....//


और अब केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यम को केंद्र सरकार के डियरेस्ट उंगलबाज सुब्रमण्यम स्वामी ने हटाने की मांग की है ....

इसके पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने रघुराम राजन को हटाने की मांग की थी - और मोदी जी ने राष्ट्रहित में मजबूरन सही महसूस करते हुए नितांत घुप्प चुप्प रहते हुए उनकी छुट्टी सुनिश्चित कर दी थी ....

इसे देखते हुए मुझे यकीन है कि एक बार फिर हर मामले में अत्यधिक बोलने और पकाने वाले हमारे मोदी जी आर्थिक मामले में चुप्प रहने पर मजबूर हो अरविन्द सुब्रमण्यम की छुट्टी कर देंगे ....

ऐसा करने का एक और कारण भी हो सकता है कि .. अरविन्द केजरीवाल का तो मोदी जी कुछ भी अहित कर नहीं पाते - जब भी कोशिश करते हैं तो उलटे उनकी जान पर बन आती है .. और सुब्रमण्यम स्वामी को भी घूर तक नहीं सकते क्योंकि नहीं तो उंगल हो ही जाएगी .... और इसलिए शायद मानसिक संतोष के लिए शाने मोदी जी अनिपटीय अपने २ डियरेस्ट अरविन्द केजरीवाल + सुब्रमण्यम स्वामी के बदले १ अरविन्द सुब्रमण्यम को ही निपटा दें .... जी हाँ मानसिक योग के लिए ....

तो ये तो हुई भूत की और वर्तमान की .... तो इसी कड़ी में आपको कुछ भविष्य के बारे में भी बताता चलूँ ....

उंगलबाज का अगला निशाना अब अरुण जेटली पर हो सकता है .... और उसके बाद अगली वित्त मंत्री स्मृति ईरानी हो सकती हैं .... या बाबा रामदेव या ऐसे वैसे ही कोई अन्य स्वदेशी धन्धेबाज़ - जिसकी जड़ें विदेश में भी मजबूत हों ....

वैसे एक बात और - ये सब तब तक जब तक मोदी प्रधानमंत्री .... समझ गए ना !!

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Tuesday 21 June 2016

// करे कोई - भरे कोई - मरे कोई - मजे कोई करे ....//


आज सलमान खान ने आसमानी सुल्तानी पटक दी और ऊटपटांग बक दिया - और जो बका वो निहायत फूहड़ और बेवकूफाना और अनावश्यक .. कह दिया कि वो इतने थक गए थे कि ....जैसे .....
और सब दूर से विरोध होने के बाद सलमान तो हो गए विलुप्त - पर उनके शरीफ से दिखने वाले पिताजी श्री सलीम खान ने सबसे सार्वजनिक माफ़ी मांग ली ....

ऐसे ही स्वामी को खुंदक निकालनी थी मोदी से .... और निपट गए रघु राजन ....

और दिल्ली में किसी गुंडे ने हत्या कर दी किसी ईमानदार व्यक्ति की - और मरणासन्न हुए जा रहे हैं बेचारे सांसद महेश गिरी - केजरीवाल के घर के सामने ....

और जितना और असरकारक कार्य योग के लिए हमारे युग पुरुष मोदी जी ने किया और योग को इंटरनेशनल बनवा दिया - तो युग पुरुष मोदी को ही 'योग गुरु' का दर्जा मिलना चाहिए था .... पर ना मालूम क्यों लोग रामदेव को ही 'योग गुरु' कहते जा रहे हैं ....

और उधर जब देखो तब केजरीवाल भी इधर उधर की हर बात को आखिर गजब तरीके से मोदी पर ला उन्हें ही लपेटे रहते हैं .... और इसलिए डियर मोदी जी को डियरेस्ट केजरीवाल से खुंदक निकालनी ही थी - और इसके लिए उन्होंने उनके विरुद्ध एफआईआर करवानी ही थी सो करवा दी .. पर साथ में लपेटे में आ गई वयोवृद्धा शीला दीक्षित .. बेचारी !!

यानि करे कोई - भरे कोई - मरे कोई - मजे कोई करे .... यानि मोदी राज में बहुत बेइंसाफी है भाई !! ....
अब आप मेरे लेख को 'कहीं का तीर कहीं का तुक्का' निरुपित ना करें .... प्लीज !!

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Sunday 19 June 2016

// दूसरी पारी ?? .. तुम अपनी लड़खड़ाती पहली पारी तो सम्हालो ..//


ये मुई किरकिट हमेशा से ही इस देश की वित्तीय घटनाओं और व्यक्तियों से संबद्ध रही है .... जैसे डीडीसीए और जेटली - बहुत याराना है .... और अब तो किरकिट वित्त के साथ साथ फैशन से भी संबद्ध होने जा रही है .... मसलन डीडीसीए कप्तान के किरकिटीय खिलाड़ी एक और चौहान अब फैशन के अग्रणी संस्थान एनआईएफटी के अध्यक्ष पद पर 'धप्प' से बैठाए जा रहे हैं - ठीक वैसे ही जैसे 'हप्प' से एक अन्य चौहान एफटीआईआई के अध्यक्ष पद पर बेशर्मी के साथ बैठा दिए गए थे .... यानि अब ये सबकुछ तो फैशन बनता ही जा रहा है .. या बेशर्मी !! तेरा ही आसरा !! ....

पर आरबीआई गवर्नर रघु राजन का किरकिट से कोई संबंध नहीं रहा - क्योंकि मेरे मतानुसार वो सभ्य हैं ईमानदार हैं कुशल हैं काबिल हैं और वित्त में निपुण होने के बावजूद वित्तीय घपले करने में विश्वास नहीं रखते .... अतः वो जेटली से भिन्न हैं .... 

पर अब क्योंकि टुच्चों के कारण किरकिट फैशन में भी है - अतः कहा जा रहा है कि - रघु राजन अपनी दूसरी पारी नहीं खेल पाएंगे ....

इस पर मेरी किरकिटीय फैशन से ओतप्रोत प्रतिक्रिया ....

रघु राजन ने अपनी पहली पारी सहजता कुशलता निपुणता कलात्मकता एकाग्रता जवाबदारी और धैर्य के साथ खेलते हुए भरपूर रनों के साथ पूरी करी है ....

और इस मोदी सरकार में बैठे जो सरकारी खिलाड़ी उनकी दूसरी पारी पर कटाक्ष करते हुए अट्टाहास करने का दुस्साहस कर रहे हैं उनके बारे में उगल दूँ कि - इतनी बेशर्मी ठीक नहीं - क्योंकि स्वयं इस सरकार की दूसरी पारी कभी भी आने की कोई संभावना नहीं है ....

कारण ये है कि ये सरकार अपनी पहली ही पारी में निहायत फूहड़ता के साथ लड़खड़ाते हुए रन बनाने में असमर्थ हो रही है .. और लगता है इसके शीर्षस्थ खिलाड़ी एक दुसरे को घूरते चिल्लाते अनिर्णय के साथ आगे पीछे दौड़ते शीघ्र ही 'रन आउट' होने वाले हैं .. और इनके कप्तान हाँफते फूलते बिना अक्ल हवा में बल्ला घुमाते बाउंसर के आगे उचक कर थोबड़ा भिड़ाते 'रिटायर्ड हर्ट' होने वाले हैं ....

और शायद उसके बाद गुस्साए दर्शक मैदान में घुस जाएंगे - और किरकिटीय जंतु मैदान छोड़ने पर मजबूर होंगे .. कुछ हारे हुए - और कुछ पिटे हुए .... इति मैच समाप्त !!

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Saturday 18 June 2016

// काला मोदी !! .. पीला मोदी !! ..लाल मोदी !! ....//


कल एक भक्त मित्र मेरे साथ टीवी देख रहे थे .... "न्यूज़ वर्ल्ड इण्डिया" पर आर के आनंद की प्रेस कांफ्रेंस चल रही थी .... जिसमें आर के आनंद ने सुभाष चंद्रा को बेनकाब करने का अपना प्रयास बखूबी पूर्ण कर लिया था .... उन्होंने वीडियो रिकॉर्डिंग भी दिखाई .. जिसमें एक भाजपा विधायक असीम गोयल पेन बदलते और फिर एक निर्दलीय जयप्रकाश पेन को पुनः रखते सीधे सीधे दिखे तो नहीं पर मेरे अभिमत में धरा ही गए थे .... सपष्ट था - नायाब धांधली हुई ....

और मैं सबकुछ देख थोड़ा विचलित सा हुआ और कहने लगा - ये क्या हालत हो गई है इस देश की व्यवस्थाओं और संस्थाओं की - शर्म आती है और गुस्सा भी कि कुछ टुच्चे तमाम उच्च संवेदनशील व्यवस्थाओं तक को ठेंगा बताते हुए एक राज्यसभा सांसद चुनाव को महज एक पेन बदलने के षड़यंत्र से संभव कर सके .... शर्मनाक !! ....

और विशेषकर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की साख के लिए घातक - और इज़्ज़त के लिए चिंतनीय विचारणीय - और अब चुनाव आयुक्त की कार्यकुशलता के लिए एक चुनौती ....

और बीए फेल की ज़ी हज़ूरी में माहिर ज़ी टीवी वाले देश के इकलौते दसवीं पास अपने नाम के आगे "डॉक्टर" लिखने वाले सुभाष चंद्रा को तो शर्म आएगी नहीं - कम से कम मोदी और भाजपा ही थोड़ी शर्म कर ले ....

इतने भारी भरकम साहित्यिक डायलॉग से भक्त मित्र थोड़े असहज हो चले और मजबूरी में टेका लगा बैठे .... बोले .. अब इसमें मोदी कहाँ से आ गए ?? .. भाजपा कहाँ से आ गई ?? .. और नियम तो नियम है - पेन बदला स्याही बदली तो बदली - वोट अवैध हो गए और आनंद हार गए .. अब रोते रहो चिल्लाते रहो .. उससे होना जाना क्या है ?? .... 

इस पर मुझे एक रोचक प्रतिक्रिया सूझी .... मैंने स्केच पेन के सेट्स में से ३ पेन निकाले - काला पीला और लाल .. और एक कागज़ पर तीनो पेन से क्रमशः लिख दिया .. मोदी !! मोदी !! मोदी !! .... और भक्त से बोला - पढ़ो इसको .... और भक्त ने पढ़ा - "मोदी मोदी मोदी" ....

और तब मैंने उसे टोका और कहा - अबे ये "मोदी मोदी मोदी" नहीं लिखा है रे - ये लिखा है .. "काला मोदी पीला मोदी लाल मोदी" .... क्योंकि आखिर पेन की स्याही का भी तो महत्व है ना !! ....

और मेरा भक्त मित्र मुस्कुराता रहा .... समझ के भी कुछ समझा होगा या नहीं कह नहीं सकता ....

पर आशा है आप जरूर समझ गए होंगे .... और मैं प्रसन्न हूँ कि मैंने पहली बार "रंगदारी" करी - वो भी सटीक सफल .... है ना !!

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Friday 17 June 2016

// उस एक राजनीतिक मस्तिष्क के 'शातिर' आइडिया का ही दुष्परिणाम ..//


गुलबर्ग केस में आज २४ करार दोषियों के खिलाफ अदालत का निर्णय आ गया है .... ११ को उम्रकैद - १२ को ७ साल - और १ को १० साल ....

और कुछ अजीब से भावों के उमड़ते मैं आज रुआंसा हो सोच रहा हूँ ....

गुलबर्ग केस - यानि २००२ गुजरात नरसंहार - यानि गोधरा हत्याकांड - यानि बाबरी मस्जिद विध्वंस - यानि .... .... .... यानि शायद कभी किसी एक मस्तिष्क में ये 'शातिर' राजनीतिक आइडिया आया ही होगा कि राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद के मुद्दे को रजनीतिक रूप से भुनाया जा सकता है .... और बस बहुत कुछ घटित हो गया - होता गया - होता ही गया .. और होता ही जा रहा है ....

और सबकुछ इतना भयावह - शर्मनाक - अफसोसजनक - नुकसानदेह - पीड़ादायक कि आज भी मैं यही कल्पना कर रहा हूँ कि ....

काश !! राम जन्मभूमि की मान्यता या आस्था या सत्यता कुछ मीटर इधर-उधर हो गई होती .... बस !!
काश !! बाबर आया ही ना होता - या बाबरी मस्जिद ही ना होती ....
या जब कोई मस्जिद हो ही गई थी तो वो गिराई ही ना जाती .... तो क्या होता ??

शायद आज राम मंदिर भी बना हुआ होता - गुजरात के दंगे ना हुए होते - कई ज़िंदगियाँ बच गई होतीं - कई परिवार संतप्त ना हुए होते .. हज़ारों लाखों करोड़ों लोग परेशान ना हुए होते - और ये देश आज के मुकाबले ज्यादा संपन्न और प्रसन्न होता ....

पर ऐसा हुआ नहीं .. क्यों ?? .. शायद उस एक मस्तिष्क में आए उस एक 'शातिर' राजनीतिक आइडिया के कारण .. वो आईडिया जो वस्तुतः कारगर हो गया - और बर्बाद भी कर गया .... है ना !!

और यह सब सोच मैं रुआंसा भी हूँ और चिंतित भी .... क्योंकि इस वक्त भी कुछ राजनीतिक पके पकाए वयस्क अनुभवी मस्तिष्क कुछ वैसे ही आइडियाज के साथ अनवरत काम कर रहे हैं .. मसलन वो दिन रात यही तो सोच रहे हैं कि वो कौन से आइडियाज या मुद्दे हैं जिन्हे "भुनाया" जा सकता है .... चुनावों में - स्वहित में - पार्टी हित में ....  

और यदि कोई सोच रहा है कि कोई राजनीतिक मस्तिष्क 'विकास' की बातें सोच रहा है जिसके अच्छे परिणाम २०१९-२०२२ तक देखने को मिल जाएंगे तो उसको उसकी सोच मुबारक !! और ईश्वर से प्रार्थना कि ....

काश !! उसकी ही सोच सही साबित हो .... ठीक वैसे ही जैसे मैं सोच रहा था कि ....
काश !! बाबर आया ही ना होता .... बस !!
काश !! .... .... .... बस काश !! ....

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Thursday 16 June 2016

// कि मेरा प्रेमपत्र पढ़कर - कि तुम नाराज़ ना होना ?? ....//


ख़बरों के लुब्बेलुबाब अनुसार केजरीवाल ने उपराज्यपाल नजीब जंग को एक पत्र सा कुछ लिखा है ....  

इस पत्र में केजरीवाल ने नजीब जंग पर केंद्र सरकार की चापलूसी समेत कई हल्के फुल्के आरोप लगाए हैं .. और छोटे भाई के नाते ये भी ज्ञान दे दिया है कि बड़े भाई आप हमारे 'डियर' के कहने पर कितने भी गैरकानूनी जनविरोधी और असंवैधानिक काम कर लीजिए वो आपको उपराष्ट्रपति नहीं बनायेंगे .. और फिर प्यार भरा न्यौता भी दिया है कि क्योंकि एलजी भैय्या के द्वारा उनके हर एक काम की सीबीआई जांच करायी जाती है व उनके हर फैसले पर कड़ी नजर रखी जाती है और क्योंकि स्वास्थ्य मंत्री अच्छा काम कर रहे हैं अतः एलजी भैय्या सीबीआई और एसीबी के साथ छापे डालने के लिए सादर पधारें .... आदि !!

मेरी प्रतिक्रिया ....

अब जैसे केजरीवाल ने स्वयं माना था कि वे अराजक हैं - और भाजपा इसकी गवाह है - तो एक अराजक के द्वारा ऐसा पत्र तो प्रेमपत्र की श्रेणी में ही आएगा ....
पर कुछ अति सहिष्णु भक्तों को इस पत्र की भाषा असहज कर सकती है .. शायद करनी भी चाहिए .. बल्कि करनी ही चाहिए ....
पर फिर भी मेरे अभिमत में ये एक अराजक द्वारा लात मारने से अभी कुछ कम ही है ....

और क्योंकि केजरीवाल के 'डियर' ने स्वयं अनुमति दी है कि काम पसंद ना आए तो लात मार देना .. तो फिर अराजक केजरीवाल को ये स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे वाकई अराजक नहीं है - या उन्हें 'डियर' का काम पसंद आ गया जो ऐसा प्रेमपत्र लिखा है - और अभी लात नहीं मारी है ????

मुझे केजरीवाल के स्पष्टीकरण का इंतज़ार रहेगा .. और उपराष्ट्रपति के चुनाव का .. और बड़े भैय्या के पत्र के उत्तर का .... और 'डियर' के अगले गैरकानूनी जनविरोधी और असंवैधानिक कृत्य का .... और .. सबसे महत्वपूर्ण - आपके भी 'हल्के फुल्के' उत्साहवर्धक कमेंट्स का .... धन्यवाद !!  

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// अरे भक्तों 67 में से 21 घटा के देखो - 2 ही बचेंगे - दोनों बाबाजी के ठुल्लू !! ..//


राजनीति में भी अंकों का खास महत्व है - और भाजपा के लिए तो अंको का ही महत्व है .... और भाजपा अंकों की राजनीति में कभी स्वाभाविक रूप से जीती है तो कभी शर्मनाक रूप से बेइज़्ज़त भी हुई है .. पर शायद कुछ अंक हैं जो उसे उसके अंकीय आकार से बहुत बड़े और भयावह लगते होंगे  ....

उन अंकों में एक अंक है 49 .. जी हाँ सही पकडे हैं - वो ही 'AK-49' जुमले वाला 49 .... क्योंकि वो 49 दिन का आंकड़ा आज बढ़कर 537 हो गया है - जो कल 538 होने वाला है - और लगातार बढ़ते हुए हज़ारों दिन की संख्या में पहुँचने वाला है ....

और ये चमत्कार भी हुआ है एक और चमत्कारिक अंक के कारण - और वो अंक है 67 .... जी हाँ सही पकडे हैं - 70 में 3 कम 67 .... और ये अंक इतना चमत्कारिक है कि बात-बात में गणना की शौक़ीन भाजपा और भक्तों के द्वारा ये गणना करने की ज़ुर्रत भी नहीं हो रही है कि आखिर 67 में से यदि 21 घटाए गए तो शेष क्या बचेगा ????

तो भक्तों की मदद के लिए सदैव तत्पर मैं बता दूँ कि यदि 67 में से 21 निकल जाएंगे तो भी भाजपा के पास बचेंगे 2 बाबाजी के ठुल्लू क्योंकि 3 में से 1 बाबाजी का ठुल्लू पहले ही 'लम्बा' हो चुका है .... तो है ना रोचक अंकगणित !! ....

और फिर उसके बाद भी कई 21 पुनः जुड़ जाएंगे .... जैसे 21 दिल्ली में - 21 x पंज = 105 पंजाब में - और 21+ गोवा में ....

और इस अंकगणित के पीछे जो घटनाक्रम है वो यह है कि - केजरीवाल दिल्ली में संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर गैरइरादतन गलती कर गए हैं - और मोदी इरादतन धूर्तता कर रहे हैं .. और जनता गलती और धूर्तता में - तथा गैरइरादतन और इरादतन में फर्क जानती है ....

और फिर केजरीवाल कुछ अलग ही चीज़ हैं - इसलिए मोदी के 'भाइयों और बहनों' इस बार आप मेरा विश्वास करें कि केजरीवाल की गलती मोदी पर भारी पड़ने वाली है .... यानि कर गया कोई भरेगा कोई .. हा !! हा !! हा !!

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Wednesday 15 June 2016

// हे ईश्वर !! भूखे गरीब की लात को थोड़ी ताकत तो दो ....//


गरीब को तो महंगाई के झटके दिन-ब-दिन महसूस हो चुके थे .... क्योंकि गरीबों के लिए उपलब्ध खाद्य पदार्थों की कीमत २ साल में लगातार बढ़ते बढ़ते २ गुना से भी अधिक हो चुकी थी .... पर हर तरह से हारा हुआ गरीब मन मसोसकर यही सोचने पर मजबूर था कि हाय करें भी तो क्या करें ???? ....  

पर आज सरकार और अमीरों ने हार मान ली - और शायद पहली बार ये मान लिया है कि महंगाई बढ़ गई है .... और शायद इसलिए आज एक बैठक भी कर मारी - जिसे "आपात बैठक" करार दिया जा रहा है .. जी हाँ सरकार के २ साल पूरा होने के जश्न के तत्काल बाद "आपात बैठक" ....

और बड़ी ही जवाबदारी और उदारता का परिचय देने की कोशिश करते हुए शायद घोषणा कर दी है कि जो दाल अभी १८० रुपये किलो बिक रही है उसे अब सरकारी माध्यम से जनता पर एहसान कर १२० रुपए में बेचा जाएगा ....

स्पष्ट है कि बेशर्मों ने ये बात खुल कर नहीं बताई है कि ये वही दाल है जो मई २०१४ में ७०-८० रुपए किलो के भाव ही बिकती थी - जिस पर भी ये भाजपाई 'मौनमोहनसिंह' का उपहास करते और उनकी निंदा करते थकते नहीं थे ....

यानि सुस्पष्ट है कि कोई न कोई तो १२० रूपए में भी "खाएगा" - और जम के खाएगा - और रोता भूखा गरीब तो तब भी रोता भूखा ही रह जाएगा ....  

उपरोक्त तथ्य से ये भी स्थापित होता है कि मोदी सरकार के पक्ष में आज भी टेके लगाते भक्त और लोग निहायत खुदगर्ज़ गैरजिम्मेदार संवेदनहीन और बेवकूफ हैं ....

और सरकार में केवल एक मोदी ही हैं जो जनता के पक्ष में जनता को सही सुझाव दे रहे हैं - कि यदि काम पसंद ना आए तो लात मारकर निकाल दो ....

और मैं तो ईश्वर से यही प्रार्थना कर सकता हूँ कि - हे ईश्वर !! भूखे गरीब की लात को थोड़ी ताकत तो दो !!

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// ये कैसे शुभंकर ?? ....//


ठीक इस वक्त ....

बढ़ती महंगाई पर अरुण जेटली ने एक मीटिंग बुलाई हुई है ....
और बिगड़ते हालात का जायज़ा लेने बीजेपी की एक टीम कैराना पहुँच गई है ....

तौबा !! ....

मुझे तो कुछ ऐसा आभास हो रहा है कि गटर से निकले गीले सूअर को स्वच्छता अभियान का शुभंकर बना दिया गया हो ....

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// डियर मोदी जी !! .. अरे यार 'एक मौका' दिया तो हुआ है ....//


मोदी मंत्रिमंडल की शिक्षा मंत्री ने नया ज्ञान दिया है कि - पुरुषों द्वारा महिलाओं को 'डियर' शब्द से संबोधित करना उपयुक्त नहीं है .... जिसका स्पष्ट अभिप्राय ये भी निकलता है कि पुरुषों को 'डियर' शब्द से संबोधित किया जा सकता है ....

और इसके साथ ही मैं यह भी सोचने पर मजबूर हूँ कि क्या एक महिला का महिला को 'डियर' कहना उपयुक्त है अथवा नहीं ?? .. या फिर एक महिला का पुरुष को डियर कहना भी उपयुक्त है अथवा नहीं ?? .... या फिर क्या किसी महिला का बाबा रामदेव को 'डियर बाबा' कहना उपयुक्त होगा अथवा नहीं ?? ....

पर जब तक उपरोक्त जटिल प्रश्नों के सर्व स्वीकार्य उत्तर सार्वजानिक हों - तब तक यह मानते हुए कि कम से कम एक पुरुष का पुरुष को 'डियर' कहना आपत्तिजनक नहीं हो सकता - मैं आज पहली बार माननीय मोदी जी को 'डियर मोदी जी' कह कर संबोधित करना चाहता हूँ .... क्योंकि संबोधन भी जरूरी है और विषयवस्तु भी अत्यन्त आवश्यक .... अस्तु ....

डियर मोदी जी !! .. अभी इलाहाबाद में आपने कहा था कि .... "एक मौका दें - काम पसंद न आए तो लात मारकर निकाल देना" .... यही कहा था ना !!

डियर मोदी जी !! .. यार आपको 'एक मौका' दिया तो हुआ है .... और वो भी श्रेष्ठ मौका .. आपको प्रधानमंत्री बनाकर .... पर आपने अपने मातहत ये कैसे कैसे नमूनों और नमूनियों की भर्ती कर ली है जो जब देखो उटपटांग ही बोलते रहते हैं - बेलगाम - गाली गलौज - उपहास और निरादर से परिपूर्ण सम्बोधन और वक्तव्य - निर्लज्ज करते हुए सांप्रदायिक बयान - आदि !! ....

डियर मोदी जी !! .. पर आज तो हद्द हो गई .... आपकी शिक्षा समतुल्य आपकी ही शिक्षा मंत्राणी को जब एक राज्य के शिक्षा मंत्री ने सम्मान बोधक सम्बोधन हेतु 'डियर' लिख दिया तो वो तो ऐसे भड़क गईं जैसे किसी खिसियाए सांड को किसी ने लाल कपडा दिखा मारा हो ....

डियर मोदी जी !! .. इसलिए क्योंकि मुझे लगता है आपकी स्मृति भी कुछ गड़बड़ हो रही है - मैं आपको स्मरण दिलाना चाहता हूँ कि भारत की जनता ने आपको वो 'एक' मौका दे ही रखा है .. और अब तक का आपका काम जनता को पसंद नहीं आ रहा है .. इसलिए जनता आपको लात मारकर निकालती है या वोट ना देकर ये निर्णय तो आप जनता पर ही छोड़ दें - और अपने काम पर ध्यान दें तो बेहतर होगा .... 

डियर मोदी जी !! .. इसलिए एक बार फिर आपको मुफ्त सलाह दे रहा हूँ कि - समय निकला जा रहा है - "वो एक मौक़ा" हाथ से जाता जा रहा है - इसलिए कम कम से शीघ्र ही मंत्रिमंडल में उपयुक्त बड़ा फेरबदल कर कुछ अच्छे समझदार लोगों को भी लेकर आएं तो बेहतर होगा .... इतने अच्छे लोगों को जो आपकी तमाम कमियों को भी ढँक सकें !! .. एक साधारण सी प्रतिभा वाले अच्छे प्रशासक की यही तो निशानी होती है .... समझे 'डियर' !!

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Monday 13 June 2016

// वही पुराना ढर्रा - वैसे ही आईआईटी क्रैक ग्राहक ?? ..//


आजकल ड्रग्स का धंधा चर्चा में है - मोदी के चमचे के कारण .... जो मुझे कुछ नहाया हुआ प्याज सा लगता है - यानि अजीब सा - गरीब सा - बावला सा ....

पर एक धंधा और है जो इस धंधे से भी पुराना है - और अक्ल के अंधों के लिए इसका पर्दाफाश भी अभी कुछ एक दिन पहले ही हुआ है ....

और धंधा है - "पढ़ाने का धंधा" .... इसे आप "प्रोडिकल साइंस" पढ़ाने का धंधा भी कह सकते हैं - बिलकुल नए प्रकार की पढाई - नया विषय - नया नाम ....
और ये धंधा चर्चा में आया है - बच्चा यादव के कारण .. ये वो बच्चा है जो बच्चा ना हो सबका बाप निकला - और इस धंधे का अहम किरदार भी .. बिहार के एक नामी बदनामी राजनैतिक संरक्षण प्राप्त सरकारी स्कूल के माध्यम से स्वसहायता प्राप्त धन्धेबाज़ गुंडे टाइप प्राचार्य - अज्ञानी गुरु श्री बच्चा यादव .... 

पर बता दूँ कि धंधे में नयापन कुछ भी नहीं है - क्योंकि इस धंधे के तरीके बहुत पुराने हैं .. और वो तरीका है कि आप सबको दिखाने के लिए पढ़ाने का नाटक करते रहें - पर अपने विद्यार्थियों या शिष्यों या चेले चपाटियों या सही मायने में अपने "ग्राहकों" से मोटी रकम ले उन्हें टॉपर या टॉपन-टॉप रैंक से पास करवा दें .... जिसे प्रोडिकल साइंस के ग्राहक आजकल परीक्षा को क्रैक करना कहते हैं - जी हाँ "क्रैक" !!

और यदि आप पढ़े लिखे हैं तो ये सब कैसे किया जाता है इसकी कल्पना करना भी बहुत आसान है .. ये करते क्या हैं कि अपनी दुकान कोटा या इंदौर जैसी पढाई की मंडी में लगाते हैं - और प्रश्नपत्र "क्रैक" करवा लेते हैं .. बस फिर क्या है - इनके ग्राहक परीक्षा "क्रैक" कर ही लेते हैं .... और परीक्षा परिणामों के अगले दिन ऐसी दुकानों के विज्ञापन छपते हैं - ग्राहकों के छोटे छोटे स्टाम्प साइज के फोटुओं सहित .... और बस ग्राहकों की अगली खेप तैयार .. एक बार फिर कुछ भी "क्रैक" करने के लिए ....

यदि आप आज ही आए आईआईट एडवांस २०१६ के रिजल्ट्स पर गौर फरमाएंगे और टीपेंगे कि - एक ही दुकान के २८ ग्राहक "क्रैक" करने में सफल - या एक ही दुकान के ३ क्रैकर टॉप पर ... तो शायद आप मेरी बात समझ ही जाएंगे .... जैसे आप समझ चुके हैं कि बच्चा के बच्चे प्रोडिकल साइंस एवं अन्य विषयों में टॉप कैसे किए थे ....

और इस सबके बीच - सरकार निष्क्रिय है - मौन है .. और लगता है कि स्मृति के सहारे सब कुछ भूलते हुए वही पुराने ढर्रे की शिक्षा नीति का निर्वहन हो रहा है - पर कुछ नए नाम से .. "ना पढ़ा हूँ ना पढ़ने दूंगा" ....

माँ सरस्वती ही बचाए ऐसे बच्चा से और ऐसे क्रैक ग्राहकों से - और ऐसी सरकारों से - और ऐसी स्मृतियों से !!

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Sunday 12 June 2016

// बेचारी नीलगाय और खेत !! .. तथा खलिहान गोदाम दुकान की दास्तान ....//


नीलगाय खेतों को नुकसान पहुंचा रही थीं .. मार डालो !! .... २५० नीलगाय ठाँय ठाँय ठाँय ढेर !! .... और वो बन गए शेर !! ....

खेतों से इतना लगाव ?? .. खेतों का इतना ध्यान ?? .. खेतों के प्रति इतनी संवेदनशीलता ???? ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

टुच्चों !! ....

क्या कभी खलिहानों की भी सोची है ?? .. जिनमें कुछ सूअर अनवरत सेंध लगाते रहे हैं ?? ....

क्या कभी गोदामों की भी सोची है ?? .. जिन्हें कुछ कुत्ते वर्षों से कब्जाए बैठे हैं ?? ....

और क्या दुकानों की भी सोची है ?? .. जहां कुछ इंसान कई इंसानों को खेत की पैदावार बेच कर जैसे तैसे अपनी रोज़ी रोटी चला रहे हैं और उन्हें जीने के लिए आवश्यक चीज़ें मुहैय्या करवा रहे हैं ?? .. मसलन सूअरों से बची कुत्तों के मार्फ़त १५ रूपए प्रति किलो की दाल १५० रुपए में प्राप्त कर १६० रुपए में बेच रहे हैं .... 

नहीं सोची ना ?? .... क्यों ?? .... मैं बताता हूँ क्यों ....

क्योंकि सूअरों और कुत्तों से टुच्चों का गठजोड़ पक्का है .... इसलिए ये सब मिलकर खलिहानों और गोदामों पर वर्चस्व बनाए हुए हैं ....

और इसलिए इस देश में बेचारी काली भूरी सफ़ेद नीली गायों या खेतों या किसानों या दुकानदारों या आमजन की किसको चिंता ?? .... मरते हैं तो मरने दो !! .... कोई मारता है तो मारने दो !! .... और कोई मरवाता है तो मरवाने दो !! ....

तुम तो बस ये बताओ कि ये मारने पर कितना खर्च आया ??  .. प्रति गाय १००० रुपए ?? .. बस ?? .... अरे नहीं सरकारी बिल तो कम से कम १०००० रुपए प्रति गाय का बनवाओ ....

आखिर मामला गाय और राष्ट्र और खेत और किसान से जुड़ा अति संवेदनशील जो है .... और ये सरकार गाय राष्ट्र खेत और किसान के प्रति ही तो संवेदनशील है .. कार्यरत है .. या कम से कम कार्यरत दिखनी चाहिए .. समझे लल्लू !! .. और भक्त तो सब समझ ही गए होंगे .. है ना !!

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Saturday 11 June 2016

// शोले पानी शौच और सोच .. चूक ही चूक ....//


शोले !! .... गजब की धाँसू फिल्म बनी थी और खूब चली थी .... और इस फिल्म ने डायलॉग और कथा और निर्देशन और अभिनय यानि हर विधा में उच्च कोटि के मापदंड स्थापित किये थे ....

पर फिर भी चूक हो ही गई थी .... और चूक भी कैसी कि जब रामगढ़ में बिजली नहीं थी तो पानी की टंकी में पानी कौन चढाता था .... दिव्यांग ठाकुर या गब्बर साहब या वीरू या जय या मौसी या अन्य कोई और .... और यदि चढ़ाता भी था तो कैसे .. लोटे से ?? ....

खैर ये चूक तो फ़िल्मी थी .... पर हकीकत में ऐसी ही चूक आज भी हो रही है ....

पिछले ६० सालों में पिछली सरकारों ने जितने भी स्कूल खोलने के बड़े-बड़े काम किए थे उन स्कूलों में मात्र शौचालय बनाने के छोटे से काम का बड़ा बीड़ा उठाया हमारे डेरिंग डायनामिक डैशिंग सेवक मोदी जी ने .... और बनवा दिए कई ठौ शौचालय .... और तो और शहर शहर गाँव गाँव मोहल्ले मोहल्ले गली गली और टीवी और रेडियो और अखबार में भी कई ठौ शौचालय बनवा दिए गए .... और घोषणा कर दी गई की अब से कोई खुल्ले में कुछ नहीं करेगा - जो करना है जैसे भी करना है बस इन शौचालयों में करो .... 

पर मुझे लगता है कि ये सभी शौचालय शोले की पानी की टंकी के समान ही हैं .... क्योंकि मुझे समझ नहीं आ रहा कि आखिर जब देश में सूखा पड़ा है और व्यवस्थाएं ठप्प तो इन शौचालय में पानी कौन पहुंचाता होगा .... खुद सेवक या सेवक की सरकार या राज्य सरकार या क्षेत्रीय सांसद या विधायक या पार्षद या पंच या कलेक्टर या फिर कोई जय या वीरू या जेटली या गडकरी - और वो भी कैसे - लोटे से या पाइप से ????

मेरे पास तो ना शोले की टंकी का कोई जवाब था - ना विद्या बालन द्वारा विज्ञापित शौचालयों का है .... किसी भक्त के पास कोई राज़दार जवाब हो तो बताए ....

और इसलिए मुझे तो लगता है कि फिर चूक हो ही गई ....

और चूक भी केवल शौच के पानी की नहीं .. चूक तो और भी हो रही है .. सोच की भी .. और "आँख के पानी" की भी ..

क्योंकि शोले की तर्ज़ पर ही डायलॉग भी सुनने को मिलते रहते है .... क्यों कितने विधायक हैं ?? .. होली कब है ?? .. मुहर्रम कब है ?? .. गरबा कब है ?? .. तेरा नाम क्या है माल्या ?? .. तेरा धंधा क्या है ?? .. तेरा धर्म क्या है ?? .. तू खाता क्या है अख़लाक़ ?? .. ले अब गोली खा .... आदि - अनन्तम् ....

और शोले धधक रहे हैं - वो भी बिन पानी .... अतः सावधान !!

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Friday 10 June 2016

// बंदे में दम तो है .. पर ऐसे वैसे दम का करें क्या ?? ....//


मोदी पंच देशाटन कर लौट आए हैं .... और देशवासी प्रसन्न हैं - ऐसे ही जैसे जब नटखट मुन्ना घर के बाहर गया हो और सकुशल लौट आये तो माँ-बाप प्रसन्न हो जाते हैं ....

और यात्रा को सफल बताया जा रहा है .. मुख्य रूप से अमेरिका के क्रियाकलापों और घटनाओं को तथा मोदी के मार्फ़त १२५ करोड़ भारतियों को मिले आदर सत्कार को सराहा जा रहा है ....

और भक्त खुश हैं - और उचित ही खुश हैं - और कह रहे हैं - बंदे में दम तो है .. बंदा यानि मोदी !! .. वही मोदी जिसे मेक्सिको के राष्ट्रपति खुद कार ड्राइव कर खाना खिलवाने ले गए थे .. कभी सुना था ऐसा ?? .... और भक्त तो यहां तक मान बैठे हैं कि देखना जब वो दिल्ली आएँगे तो मोदी दमखम से उन्हें ई-रिक्शा में बैठा चांदनी चौक के छोले भटूरे खिलवाने ले जाएंगे .... हाँ नहीं तो !! .... 

और मैं भी मानता हूँ कि बंदे में दम तो है - वर्ना उपलब्धि यूं ही सड़क पर पड़ी थोड़े ही मिलती है ....
और इसी मापदण्ड अनुसार मैंने सदैव माना कि केजरीवाल में भी दम तो है ही .. पर ना मालूम क्यों ये बात भक्त नहीं मानते ....

और भक्त तो यह भी नहीं मानते कि विजय माल्या में भी दम है .. पर मैं मानता हूँ कि दम तो विजय माल्या में भी है - और ललित मोदी में भी है - और सुब्रमण्यम स्वामी में भी है - और रामदेव में तो कूट कूट कर भरा है .... और दिवंगत रामवृक्ष यादव में तो बस दम ही दम था - बाकी कुछ भी तो नहीं था ....

और इसलिए मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि इस देश के सभी दमदार लोगों में दम तो बहुत है पर समझ नहीं आता कि ऐसे दम का करें क्या ???? ....

मसलन मोदी में दम तो बहुत है .. पर दालों के दाम कम करने में मिद्द निकली जा रही है .... और देश में घृणा का वातावरण निर्मित किया जा रहा है - साम्प्रदायिकता को इलेक्ट्रिक पंखे लगा लगा कर हवा दी जा रही है .. और बंदा ५ देश इकट्ठे घूम वहां गैस का दम भर रहा है .. दमखम से इंटरनेशनल दमदारों को भाषण सुना रहा है - उपदेश दे रहा है - तालियां पिटवा रहा है - भारत देश का मान सम्मान बढ़वा रहा है ....

सही में सराहनीय और सोचनीय भी ....

आप भी सोचियेगा .... ठीक है !!

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Tuesday 7 June 2016

// "उड़ता पंजाब" नहीं तो ना सही - नाम "उड़ती पुड्डुचेरी" रख लो .. ऐश करोगे ..//


आने वाली एक फिल्म "उड़ता पंजाब" आजकल हवा में सुर्खियां बटोर रही है ....
ये फिल्म ड्रग्स की भयावह बुराइयों को दर्शाती बताई जा रही है .... और इसकी पटकथा या पृष्ठभूमि या इसका पट पटल पुट्ठा सबकुछ बस पंजाब से संबंधित है .... वही पंजाब जहाँ अभी भाजपा अकालीदल की सरकार है और आगे केजरीवाल की "आप" की सरकार आना तय लग रहा है ....

और इसलिए संस्कारी भाजपाइयों और धार्मिक अकालियों को "तकलीफ" हो रही है .. क्योंकि उनके अनुसार ड्रग्स की समस्या तो विश्वव्यापी है - या पूरे देश में है - फिर केवल पंजाब को ही टारगेट क्यों किया जा रहा है ?? ....
इसलिए हवा में "तकलीफ" उड़ रही है कि "पंजाब" नाम पूरी फिल्म में से विलोपित किया जाए ....

मेरी आपत्ति ....

जिस देश में गंगा बहती है का नाम भी बदला जाए .... इसका नाम हो - जिस देश में नर्मदा बहती है ....
और नटवरलाल का नाम भी बदला जाए .... इसका नाम हो - नरेंद्र ....

कारण - इस देश में अकेली गंगा नहीं बहती है - नर्मदा भी बहती है - और केवल नटवरलाल ही नहीं है जो उच्चकोटि की ठग विद्या का धनी हो - कुछ नरेंद्र भी तो हैं ....

और मेरी तो आपत्ति इस बात पर भी होगी कि हमारे राष्ट्रीय गान में जब "पंजाब" का नाम है तो फिर "पुड्डुचेरी" का नाम क्यों नहीं ??

और इसलिए अनुराग कश्यप को एक सुझाव भी - -  यदि "उड़ता पंजाब" का नाम बदलना ही पड़े तो उसका नाम "उड़ती पुड्डुचेरी" रख दें - बशर्ते वहां की उप राज्यपाल महामहिम किरण बेदी को कोई आपत्ति ना हो !! ....

डंके की चोट पर कहता हूँ - फिल्म "उड़ती पुड्डुचेरी" नाम से ज्यादा फेमस हो ज्यादा चलेगी - दौड़ेगी - उड़ेगी !! .... है ना !!

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// वाह ठाकुर साहब वाह !! .. क्या औकात बताई है .. मज़ा आ गया ..//


कृपया स्मरण हो कि मोदी चाहते हैं और प्रयासरत हैं कांग्रेस मुक्त भारत के .... निश्चित ही प्रयास है विरोध शून्य शासन कर गुजरने के अवसर प्राप्त करने का .... ठीक भी है - अँधा क्या मांगे - दो आँखे ....

इसके पहले मोदी शाह को पार्टी का अध्यक्ष बना तथा ताऊओं का मंडल बनवा पार्टी में एकाधिकार स्थापित कर ही चुके हैं .... और उधर ओबामा और शरीफ से दोस्ती कर विश्व व्यापी विरोध पर भी वो रायता फैला चुके हैं ....

यानि समझो तो मैदान साफ़ ही था ....

पर पहले आड़े आ गए केजरीवाल .. और उसके बाद गाहे बगाहे न्यायपालिका उनके एकाधिकार में खलल पैदा करती रही है .... या यूँ कहें कि उचित लगाम कसती ही रही है ....

अब केजरीवाल का कोई तोड़ तो निकला नहीं .. पर मोदी जी ने विचलित हो अपने चंगु मंगुओं को न्यायपालिका को दुरुस्त करने के प्रयास में लगा दिया .... 
पहले जेटली फिर गडकरी फिर पर्रिकर आदि मंत्री इस काम पर लगाए गए थे कि - कोसो न्यायपालिका को .. कहो बुरा भला ....

पर आप सीधे-सीधे न्यायपालिका को ऐसे गाली तो दे नहीं सकते जैसे कि कांग्रेस को - या चिढ कर आप ऐसे खीज भी नहीं निकाल सकते जैसे केजरीवाल का उपहास करने का प्रयास कर या उन्हें नक्सली कहकर .. तो मंत्रियों ने मन मसोस अत्यंत शालीनता बरतते हुए कहा था - "न्यायपालिका को कार्यपालिका के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए" .... बस !!

और आज प्रधान न्यायाधीश ठाकुर साहब ने भी जवाब दे दिया - उतनी ही "शालीनता" के साथ .... 

"न्यायपालिका केवल तब हस्तक्षेप करती है जब कार्यपालिका अपने संवैधानिक दायित्व निभाने में विफल रहती है" ..
वाह !! ....
"अदालतें केवल अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करती हैं - यदि सरकार अपना दायित्व पूरा करे तो न्यायपालिका को दखल देने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी" ..
वाह !! वाह !! ....
"यदि सरकार के स्तर पर विफलता या उपेक्षा दिखाई देगी तो न्यायपालिका निश्चित रूप से अपनी भूमिका निभाएगी" ..
वाह !! वाह !! वाह !! ....
"हम केवल संविधान द्वारा तय किए गए दायित्वों का पालन कर रहे हैं" ..
वाह !! वाह !! वाह !! वाह !! ....
"लोग शिकायत लेकर तभी अदालतों में आते हैं जब कार्यपालिका की ओर से उनका अनादर होता है या उपेक्षा की जाती है" ..
वाह !! वाह !! वाह !! वाह !! वाह !! ....
"केंद्र सरकार को दोषारोपण करने की बजाए अपने काम पर ध्यान देना चाहिए" ..
समझे !! ....

यानि उपरोक्त "शालीन" भाषा को यदि मैं अपनी लुच्ची भाषा में समझने समझाने का प्रयास करूँ तो - मित्रों !! .. बात यूँ हुई है कि ....

मोदी बोले .. जज साहब अपनी औकात में रहना .. और जज साहब बोले .. अपनी औकात में ही रहकर आपको आपकी औकात बता रहे हैं .... समझे !! ....

और इसलिए मैं ठाकुर साहब को बधाई देते हुए उनके हर कथन पर बोल उठा - वाह !! वाह !! वाह !! .... समझे !! ....

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Monday 6 June 2016

// ७८% स्विस लोगों का मत बिना काम वेतन नहीं .. और भारत में ?? ..//


क्या बिना काम किए भी निश्चित वेतन मिलना चाहिए ?? ....

इस बाबद स्विट्ज़रलैंड में भारतमाता के सपूतों और मादरे वतन के प्रति जान कुर्बान करने को तैयार भारतवासियों से कुछ भिन्न वहां के देशवासियों ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है .... वो भी ७८% के बहुमत से ....

जी हाँ !! .. विचित्र किन्तु सत्य - और "पुनश्चः" यह कि - बात स्विट्ज़रलैंड की है - भारत की नहीं ....

मेरी विवेचना ....

स्विट्ज़रलैंड में ७८% देशवासियों ने कहा बिना काम वेतन नहीं .... जबकि मेरे मतानुसार भारत में ७८% लोग बिना काम के वेतन पा रहे होंगे ....

मसलन पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक मोदी ही तो हैं जो काम करके वेतन ले रहे हैं - या थोड़ा बहुत स्मृति ईरानी या जेटली या गडकरी ही कार्य करते दिखते हैं .... बाकी तो सब बस वेतन ही पा रहे हैं ....

ऐसे ही इतने बड़े उद्योग जगत में अंबानी अडानी वाड्रा जिंदल - और फिल्म जगत में खेर राखी सावंत अमिताभ ऋषि कपूर - खेल जगत में अनुराग ठाकुर जेटली नीता अंबानी सचिन - और आध्यात्मिक जगत में शिवराज श्री श्री आदि गिने चुने लोग ही तो हैं जो काम कर रहे हैं और कमा रहे हैं - बाकी सब तो बस काम ही लगा रहे हैं .... मसलन रामदेव या शत्रुघ्न सिन्हा या कीर्ति आज़ाद या योगी या गुरु सुब्बू स्वामी - जो काम करने के बजाय काम लगाने में ज्यादा माहिर हो लगे पड़े हैं कि मौका हाथ लगे तो फिर हक़ की कमाई के अतिरिक्त और अति कमाई भी हो जाए .... बैठे-ठाले ....

इसलिए मेरा मोदी जी को एक बार फिर मुफ्त सुझाव एवं चेतावनी ....

मोदी जी !! .. नक़ल से सावधान !! .. कर्मठ लोगों की इस धरती पर स्विट्ज़रलैंड जैसा ही शगूफा छेड़ मत देना .. ७८% लोग गले पड़ जाएंगे कि बिना काम के वेतन पाने को वैध करार दिया जाए - इस दलील के साथ कि - जो वो कर रहे हैं और जितना वो कर रहे हैं और जैसा वो कर रहे हैं - बस वो ही सही .... ठीक वैसे ही जैसे इस देश में अब तक जो आपने किया बस वो ही सही .. बाकी गांधी नेहरू इंदिरा अटल तो सब घास काट ही अपना मेहताना ले गए ना ???? ....

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Saturday 4 June 2016

// एक थे मंत्री एकनाथ ....//


एक थे मंत्री एकनाथ खड़से .. थे इसलिए कि वे अब मंत्री नहीं हैं .. अब नहीं हैं क्योंकि ज़मीन घोटाले में लिप्त पाए गए .. लिप्त इसलिए पाए गए कि घोटाले करने का शऊर ठीक से नहीं सीखे .. और धरा गए ....

और शायद मुरव्वत भी पाल बैठे थे - दाऊद को ना नहीं कह सके कि मुझे फोन मत किया कर ....

खैर एकनाथ खड़से तो गए - पर शायद भाजपा के कई मंत्रियों और नेताओं को सीख सबक दे गए होंगे कि - आवश्यक भ्रष्टाचार करो पर इतनी लापरवाही और बेवकूफी से नहीं कि कोई भी आसानी से धर ले .... और भले ही ऊटपटांग लोगों से संबंध रखना अत्यावश्यक ही क्यों ना हो पर उनसे फ़ोन पर बात मत करो ....

और एक-दो सीख सबक मेरी तरफ से भी ....

हर व्यक्ति को अपनी औकात में रहना चाहिए और इतनी ही फेंकना चाहिए जो निभ सके .. इसलिए यदि कोई अच्छा तैराक ये दावा करे कि - ना तो मैं डूबूँगा और ना ही किसी को भी डूबने दूंगा - तो समझ जाइएगा कि वो फेंकू है और वो जरूर आपको लेकर ही डूबेगा ....

बाकी आप समझदार हैं .. "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" कि विवेचना भी आप स्वयं ही कर सकते हैं .. है ना !!

और दूसरी सीख .. टुच्चे लोगों से फ़ोन पर बात ना करें .... मसलन यदि आपको ये मालूम ही है कि दाऊद करांची में है - तो इधर उधर आते जाते स्वयं करांची चले जाएँ - पर फोन पर बात ना करें ....

आशा है एकनाथ खड़से से सहानुभूति रखने वाले मेरी मुफ्त सीख सबक हेतु इस बार मुझे धन्यवाद जरूर देंगे .. प्रत्याशा में उन्हें भी सहानुभूति के साथ धन्यवाद !! .... इति एकनाथ !!

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