Wednesday 31 August 2016

// केजरीवाल मोदी की लड़ाई के बीच दिल्ली में जल-भराव ....//


केजरी मोदी की लड़ाई के बीच केजरी की दिल्ली में आज सुबह से ही तेज बारिश हो रही है .... और राष्ट्रीय मोदिया की तो निकल पड़ी है - लाटरी निकल पड़ी है पौ-बारह हो गई है .. बैठे बैठाए लंबे लंबे कवरेज जो मिल गए .. और सुबह से हर चैनल वाले तेज बारिश के परिणामों को कवर कर मस्ता रहे हैं ....

पर ध्यान रहे तेज बारिश से बाढ़-वाढ नहीं है .. बाढ़ तो गई बाढ़ लेने शायद यमुना के तट पर - बारिश से तो केवल जल-भराव हुआ है - और वो भी जबरदस्त जल-भराव - इतना जबरदस्त कि बाढ़ जैसा ही दिखता है .... और दिखाया भी जा रहा है ....

पर इस पूरे कवरेज में एक मज़े की बात भी हो रही है .... सभी चैनल जो केजरी से एक अलग ही लगाव रखते हैं वो इस जल-भराव में केजरी को डूबते देखना चाहते हैं .... इसलिए इनके एंकर और रिपोर्टर 'आप' के प्रति विशेष डायलॉग दे दे कर मनोरंजन भी कर रहे हैं .... जैसे - "ये जल भराव दिल्ली सरकार की नाकामी की वजह से ही हुआ है - ट्रैफिक भी जाम हो गया है - आम आदमी परेशान है - इसलिए सवाल उठता है कि अब केजरीवाल कहाँ हैं ?? ..... और ये सुन मुझे लगा कि इन खोजियों और खाऱिशों को पता है कि केजरी की दिल्ली के बॉस जंग कहाँ है - कौन सी नाली में है - जिसे वो एमसीडी के मेयरों के साथ मिलकर साफ़ करने में लगे हैं .... 

पर मुई बारिश है कि गुरुग्राम नोएडा गाजियाबाद आदि तक भी बरस आई है - और वहां भी ना मालूम क्यों और कैसे जल-भराव हो गया है ?? .. और दिल्ली के बाहर उस वाले जल भराव का किसी को कोई कारण नहीं सूझ पड़ रहा है .... इसलिए बीच-बीच में वही एंकर और वही रिपोर्टर कुछ बहकी बहकी बातें भी करने लगते हैं .... जैसे एक तो कह रहा था कि - "ये जल भराव तेज बारिश के कारण हो गया है - और इसलिए ट्रैफिक जाम होना स्वाभाविक है - प्रशासन पूरी मुस्तैदी से स्थिति को सुधारने और नियंत्रण में रखने हेतु कल से ही लगा है - चलिए अब अगले समाचार की तरफ बढ़ते हैं ...." ....   

इसलिए आज मैं मौसम का भरपूर आनंद ले रहा हूँ - इंदौर में मौसम सुहाना है - और उधर केजरी मोदी की लड़ाई के बीच दिल्ली में जल-भराव के कारण मेरा तो मनोरंजन भी हो रहा है .... बहुत ही मस्त कवरेज जो चल रहा है .... और लग रहा है कि पूरा देश दिल्ली के जल-भराव में गोते खा रहा है ....

और इस बीच एक और खुशखबर .. दिल्ली में अगले ३ दिन बारिश होते रहने की भविष्यवाणी हो गई है .... यानि दिल्ली के जल भराव पार्ट-२ .. पार्ट -३ ... पार्ट-४ .... देखने के लिए भी तैयार रहें .... और शाम को कई सारे कुकुरमुत्ते टीवी चैनलों पर जल-भराव पर बहस कराने भी जरूर आएँगे .... देख लीजियेगा - हंस लीजियेगा ....

और सोचियेगा कि ये नामुराद बारिश के कारण केवल दिल्ली में ही जल-भराव क्यों होता है .... बाकी पूरे देश में क्यों नहीं ?? .... कहीं हमारे देश का पानी तो नहीं उतर गया ?? ....

या फिर कहीं कोई डर तो नहीं रहा कि - ये केजरी उनके अरमानों पर पानी ना फेर दे ?? ....

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Tuesday 30 August 2016

// फिर 'विदेशी फंड' का स्यापा .. यानि - पंजाब में भी प्रचंड जीत तय ....//


'फोर्ड फाउंडेशन' - 'फोर्ड फाउंडेशन' - 'फोर्ड फाउंडेशन' .. याद आया 'फोर्ड फाउंडेशन' ?? .. 'विदेशी फंड' ?? .. जो दिल्ली चुनावों के पहले भक्तों द्वारा रटित था जपित था बकित था .. और भाजपा द्वारा प्रायोजित था तथा मोदी और जेटली के द्वारा भी आरोपित था .... और बाजार में खूब चलित था .... करोड़ों का विदेशी फंड !! .. याद आ गया ना !! ....

अब इतने तड़पित आरोप लगे होंगे तो शायद कुछ तथ्य भी रहे होंगे .... यानि भाजपा को फोर्ड फाउंडेशन से फंड मिला होगा या मिलता होगा या मिलने की संभावना रही होगी .... पर बकित आरोप अनुसार कोई ऐसा वैसा फंड 'आप' पार्टी या केजरीवाल को मिला होगा इसकी संभावना तो नगण्य ही लगती है .... क्योंकि मोदी भी 'ऐसे-वैसे' तो नहीं कि उनकी ५६ इंची छाती के ऊपर लगे निर्विकार चेहरे पर उगी सफ़ेद दाढ़ी के ऊपर खाने वाले मुँह के ऊपर पकी मूंछ के ठीक ऊपर लगी नाक के ठीक नीचे कोई ऐसे ही खा जाए - वो भी केजरीवाल खा जाए ?? .. लगता तो नहीं .... या फिर हो सकता है कि मोदी ही 'ऐसे-वैसे' ही हों ....

यानि विदेशी फंड का पूरा असत्य क्या है ये तो गंगा मैया या गौ माता जाने - या जानकार देशभक्त जानें - या ज्ञानी संत जाने .... पर एक सत्य तो सबको पता है कि - दिल्ली में चुनाव हुए थे और केजरीवाल को ६७ / ७० सीटें प्राप्त हुई थीं .... और फिर उसके बाद - वो दिन था और आज का दिन - फोर्ड फाउंडेशन के विदेशी फंड का ज़िक्र रटित जपित बकित नहीं हुआ .... और इसलिए लगता है कि वो विदेशी फंड देशी भक्तों के देशी आकाओं के भूखे पेटों के मार्फ़त हजम हो ठिकाने लग गया ....

पर अब एक बार फिर "विदेशी फंड" की बात रटित जपित बकित होना शुरू हुई है ....
और बदलते समय के साथ थोड़े परिवर्तन के साथ ये बात अब भक्तों के चाचा सुखबीर सिंघ बादल द्वारा कही गई है .... और कहा गया है कि 'आप को विदेशी फंड प्राप्त हुआ है" और इस बार चाचा ने अपने बड़े भाइयों से इसकी जांच करने और कार्यवाही करने की मांग भी कर डाली है ....

और संयोग देखिये .. पहले दिल्ली चुनाव के पहले - और अब पंजाब चुनाव के पहले !! ....

इसलिए मुझे लगता है कि यदि 'आप' को विदेशी फंड ना मिला होकर चाचा को ही मिला होगा तो ६७ / ७० के अनुपात से इस बार 'आप' पंजाब में ११२ / ११८ सीटें तो जीत ही जाएगी ....

और यदि विदेशी फंड 'आप' को प्राप्त हो गया होगा या हो जाएगा - तो फिर तो मुझे लगता है नया रिकॉर्ड बनने की संभावना हो जाएगी .. जी हाँ ११८ / ११८ .... क्योंकि पैसे में भी तो ताकत होती है .. सबूत के तौर पर - अकूत पैसा लगा भाजपा ने आखिरकार दिल्ली में ३ सीटें प्राप्त कर ही लीं थी - तो 'आप' भी पंजाब में बची हुई ६ सीटें पैसे के बल जीत ही सकती है .... तो सीटें हो जाएंगी ११२ + ६ = ११८ .... समझे मेरे सच्चे छोटे सुक्खू बादल !!

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Monday 29 August 2016

// क्या लोकतंत्र के मंदिर के प्रति भी कोई मर्यादा निर्धारित नहीं होनी चाहिए ?? ....//


आदरणीय माननीय जैन संत श्री तरुण सागर जी को हरयाणा विधानसभा में प्रवचन देने हेतु निश्चित ही औपचारिक निमंत्रण दिया गया होगा .... इसलिए विधानसभा में उनका प्रवचन हो गया ....

तो क्या भविष्य में भी अन्य धार्मिक संतो या मौलवियों आदि को भी हम विधानसभाओं के अंदर प्रवचन देते देखेंगे ?? .. यदि हाँ - तो किन-किन को और किन को नहीं ?? .. और इसका चाहना या अनुमोदन या निर्णय कौन करेगा और कौन नहीं ?? ....

क्या ऐसा संभव नहीं था या उचित ना होता कि प्रवचन का आयोजन विधानसभा के बाहर हो गया होता ?? .... और यदि ऐसा ही होता तो क्या फर्क पड़ जाता भला ?? ....

क्या हम हरयाणा विधानसभा में जल्दी ही रूपए ५१ लाख सरकारी सहायता प्राप्त बाबा राम रहीम का प्रवचन भी होते देख पाएंगे ?? .. या आसाराम जेल से छूटने के बाद मध्यप्रदेश या किसी अन्य विधानसभा से प्रवचन देते पाए जाएंगे ?? ..
या फिर कभी ये भी हो जाएगा कि प्रधानमंत्री या स्पीकर या राष्ट्रपति के कोई गुरु ही संसद में प्रवचन देते पाए जाएंगे ?? ....

और अंतिम प्रश्न .... क्या कभी ऐसा तो नहीं हो जाएगा कि कोई जैन संत किसी प्रेयर हेतु किसी चर्च में या इबादत हेतु हाजी अली या अरदास हेतु स्वर्णमंदिर या प्रार्थना हेतु सिद्धि विनायक मंदिर में अपने ही उसी वेश में पहुँच जाए जिस वेश में वो लोकतंत्र के मंदिर मानी जाने वाली विधानसभा में पहुंचे थे ?? ....

और बिल्कुल अंतिम प्रश्न .... क्या कोई भी मुस्लिम या सिख या हिन्दू संत जैसे ही कोई जैन संत सांसद का चुनाव लड़ देश के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते ?? .. और यदि बन गए तो क्या पूरे विश्व में वो वस्त्रहीन ही जाएंगे ?? .... 

मैं ये सब सोच रहा हूँ क्योंकि मैं इस देश का नागरिक हूँ .. चिंतित हूँ .. और क्योंकि शायद मैं नास्तिक हूँ - और नरक में जाने योग्य हूँ .... पर आप मत सोचियेगा .. और सोचियेगा तो प्रतिक्रिया मत दीजियेगा .... नहीं तो ....................................... तौबा !! .... कुछ भी हो सकेगा .. अकल्पनीय !! .. है ना ????

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Sunday 28 August 2016

// मैंने मोदीजी को ३६ मिनिट झेला इसलिए उनका धन्यवाद स्वीकार्य .. बाकी तो ....//


भाषणबाज़ी रैली मीटिंग लफ़्फ़ाज़ी आदि में समय के पाबन्द मोदी जी ने पूर्व घोषित दिन और समय ठीक ११.०० बजे पूर्व विज्ञापित "मन की बात" का आगाज़ किया ....
और पूर्ववत लंबी पटकने के बाद ११.३६ पर ही जाकर रुके और धन्यवाद् दिया ....

अव्वल तो मुझे लगा कि मैं भी कुछ नीलकंठ जैसा विशेष हो गया हूँ - कुछ विष जैसा पी गया हूँ - गुस्से में नीला भी पड़ रहा हूँ .. पर फिर मुझे लगा कि छोडो यार - मैंने भी तो खुद होकर सुना - गलती तो मेरी भी है - इसलिए गुस्सा उचित नहीं ....  

और गुस्सा त्यागने के बाद मुझे लगा कि वाकई मैं मोदी जी द्वारा प्रेषित धन्यवाद प्राप्त करने का हकदार था .. इसलिए मैं समस्त पूर्वाग्रह त्याग 'मोदी जी का धन्यवाद' तहे दिल से स्वीकारता हूँ ....

बाकी तो मेरे पास कुछ विशेष लिखने के लिए है नहीं क्योंकि - मोदी जी ने भी कुछ ऐसा विशेष बोला नहीं जो लगे निरर्थक एवं थोथा नहीं था .... वे बोले - वे "खेल" पर बोले - वे लोगों के आग्रह पर बोले और दबाव में आकर बोले - और हमेशा की तरह लम्म्म्बाssssssss आश्वासन दे गए .. २०२० ही नहीं २०२४ ही नहीं २०२८ तक के ओलम्पिक के सब्जबाग दिखा गए .... फिर गोपीचंद और मदर टेरेसा के मार्फ़त शिक्षा पर बोलते हुए शिक्षा दे गए जो कुछ समझ पड़ी नहीं .... फिर सदाबहार टॉयलेट और चूल्हे गैस पर फिर बोले .... तथा बाढ़ पर भी रोए और रुला गए .... फिर जीएसटी पर बोले .... फिर संक्षिप्त में सकुचाते हुए कश्मीर पर बोलने की रस्म अदायगी कर गए .... आदि ....

इसलिए मोदी जी को बिना धन्यवाद दिए मैं यहीं समाप्त करता हूँ .... आपको धन्यवाद !! .. हा ! हा !! हा !!! 

पुनश्च: .. ये मोदी के 'मन की बात' - बनाम - 'मेरे दिल की बात है' .... इसलिए भक्तों को समझाइश है कि उनके भेजे में कुछ भी घुसे बिना अजीब सी हलचल हो रही होगी .. इसलिए बेहतर इस पोस्ट को पुनः पढ़ें और पढ़ते रहें .. पूरे ३६ मिनिट तक पढ़ते रहें .. शर्तिया 'मेरे दिल की बात' समझ में आने लगेगी .... धन्यवाद !!

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Saturday 27 August 2016

// राजनीति में फिसड्डी बिग-बी एक्टिंग में भी पिछड़े - क्या ये उन्हें 'शोभा देता है' ?? ..//


खबर आई है कि मोदी ने अमिताभ बच्चन को पछाड़ दिया .. क्योंकि उनके ट्विटर पर फ़ॉलोअर्स अमिताभ से ज्यादा हो गए हैं ....

अब ये तो साफ़ हुआ कि कल तक मोदी अमिताभ से पीछे थे ....
और ये भी सिद्ध हो चुका है कि बिग-बी बहुत पहले से राजनीति में फिसड्डी साबित हो चुके हैं .. यहां तक कि वो अपनी बीवी 'लिटिल-जे' से भी इस मामले में पिछड़ चुके हैं ....
यानि ये भी सिद्ध होता है कि अमिताभ अपनी एक्टिंग की बदौलत ही शीर्ष पर बने हुए थे .. राजनीति के कारण तो कदापि नहीं ....

इसलिए प्रश्न उठता है कि अब क्या हो गया ?? .. क्या अमिताभ एक्टिंग भी भूल गए ??....

नहीं ऐसा बिलकुल नहीं हुआ है .... असल में तथ्य तो ये है कि मोदी भी एक्टिंग के माहिर निकले .. और इसलिए वो अमिताभ को पीछे छोड़ दिए हैं ....

पर मुझे लगता है कि - क्योंकि अमिताभ जैसे एक्टिंग में माहिर लोग राजनीति में ज्यादा टिक नहीं पाते .. मोदी भी शीर्ष पर बने रहेंगे असंभव है .... क्योंकि राजनीति एक्टिंग के बल पर ज्यादा चलती नहीं है - राजनीति तो कर्मों और कर्तव्यों के निर्वहन से ही चलती है ....

इसलिए अमिताभ को चाहिए कि वो केवल एक्टिंग पर ध्यान देवें और फालतू की बातों पर ध्यान नहीं दें .. खेल पर तो बिलकुल भी नहीं .. अन्यथा वो राजनीतिक चापलूस वीरेंद्र सहवाग जैसे अच्छे खिलाड़ी के निम्न स्तर तक भी गिर जाएंगे - जो शायद उन्हें "शोभा नहीं देगा" .... समझे बड़े मियाँ ....

और यदि काबिल पत्रकार शोभा डे की खेल विषयक सार्थक बातों पर भी आप किसी और मकसद से बिना कुछ समझे घटिया प्रतिक्रिया देने लगेंगे - तो फिर तो शायद कल को राधे माँ भी आपको पछाड़ ही देगी .. या हो सकता है आप ललित मोदी से भी ज्यादा गिर जाएं .... क्योंकि अपने देश में खेल में भी राजनीति ही तो हो रही है - जो आपके बस की नहीं .... अब समझ पड़ी बड़े मियाँ ?? ....

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Friday 26 August 2016

// जन्माष्टमी के दिन - एक काँधे पर जनाज़ा मुझे रुला गया ....//


कल जन्माष्टमी थी .. जन्म का दिन - हर्षोल्लास का दिन - हर्षोल्लास से मनाया गया - और निपट गया ....
इस मौके पर हमारे प्रधानमंत्री ने देशवासियों को शुभकामनाएं भी दीं - जिससे ज्ञात हुआ कि वे सजग ही रहे होंगे ....

पर जन्माष्टमी के दिन - मृत्यु से संबंधित एक समाचार भी दिल्ली मुम्बई में स्थित एवं स्थिर भाड़े के नेशनल मीडिया के माध्यम से छाया रहा ....

शायद ये मृत्यु अष्टमी के पहले सप्तमी की रही होगी .... और ये मृत्यु ओडिशा में हुई थी - जहां के समाचार यदाकदा ही आते हैं - इतने यदाकदा कि मुझे कई बार तो सोचना पड़ता है कि क्या ओडिशा स्वर्ग है जहां मीडिया में प्रसारित होने लायक पसंदीदा अपराध और गन्दगी भरी वारदातें नहीं होती होंगी - या फिर वहां के शासकों की मक्कार मीडिया वालों से बढ़िया सेटिंग हो रखी है .... या मीडिया के आलसीपन और मृतप्राय रवैय्ये से देश का वह भाग जो यकीनन कश्मीर जैसे ही देश का अभिन्न अंग है नेशनल मीडिया में अपनी जगह नहीं बना पाता है .. या ओडिशा में कोई मुख्यमंत्री या सरकार नाम की कोई चीज़ ही नहीं है .. या नेशनल मीडिया को ये केजरीवाल जैसे क्रांतिकारी उलझाए रखते हैं और उन्हें दिल्ली के बाहर निकलने ही कहाँ देते हैं ?? ....

और इसलिए ओडिशा का ये समाचार मुझे चौंका सा गया .... पर साथ ही रुला भी गया - हिला भी गया - झकझोर सा गया .... क्योंकि टीवी पर वीडियो दिखाया जा रहा था जिसमें ओडिशा के कालाहांडी में एक गरीब पति दाना मांझी अपनी पत्नी का शव अपने काँधे पर ढोते हुए चल रहा था आगे बढ़ रहा था - वो भी उसकी १२ वर्षीय बेटी के साथ .... और .. और .. और  .. बिना रोए - बिना चीत्कार - निर्विकार भाव से - वो अपना कर्त्तव्य निभा रहा था .. या कई-कई-कई बेशर्म लोगों के कर्तव्यों का जनाज़ा अकेले ही निकाल रहा था ....

जी हाँ वो दृश्य यकीनन एक जनाज़े का ही था .. पर कुछ अलग .... क्योंकि अब तक सुना था देखा था कि जनाज़ा चार कांधों पर निकलता है .. पर ये जनाज़ा एक काँधे पर ही निकल रहा था .... और ये जनाज़ा था हमारे इस देश के सत्ताधीशों का - 'सेवकों' का - मालिकों का - अमीरों का - बेशर्मों का - संवेदनहीनों का - सहिष्णुओं का - फेंकुओं का .. और सरकारों का - हमारी छिन्न-भिन्न व्यवस्थाओं का - और हमारे सड़े-गले तंत्र का ....

और इस तरह .... मृत्यु तो सप्तमी को हो चुकी थी - जनाज़ा भी निकल गया - और जन्माष्टमी के रोज कई मुद्दों को जन्म दे गया .... ऐसा जन्म जो रुला गया .... जो मुझे हर्षोल्लास से कुछ भी करने से वंचित कर गया ....

और मैं सोचता रहा कि मैं मोदी जी एवं मेरे अन्य मित्रों और स्वजनों द्वारा दी गई जन्माष्टमी की बधाइयों को किन शब्दों में अस्वीकार कर दूँ .. जन्म के त्यौहार के जश्न से अपने आपको कैसे अलग कर लूँ ????

और ये भी सोचता रहा कि हमारे ही समाज के उन संवेदनशील सजग लोगों का धन्यवाद किन शब्दों में करूँ जिनके कारण या जिनके प्रयासों से ओडिशा का ये समाचार वायरल हुआ जिसके बाद ही एम्बुलेंस आदि के इंतज़ाम हुए और ये सोया हुआ सरकारी तंत्र कुछ हरकत में आया .... यानि कुछ तो हुआ !!

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Wednesday 24 August 2016

// दलहन में दलाली का खेल हो गया .. हराम का खाया भी गया - खाने भी दिया गया ....//


मेरी अद्यतन जानकारी अनुसार अरहर दाल एवं ज्यादातर अन्य दलहन भी वर्षा ऋतु में बोए जाते हैं और पैदावार शीत ऋतु उपरांत प्राप्त होती है ....

पर अब यदि वर्षा ऋतु के बीच में ही अरहर दाल और अन्य दलहनों के भाव टूट गए हैं - लुढ़क गए हैं .... तो क्यों ?? ....

मुझे कारण स्पष्ट है - यदि दालों के भाव ३०-४० रुपये लुढ़क गए हैं तो मुझे यकीन होता है कि - विगत कई महीनों से ये कम से कम ३०-४० रुपये का मुनाफा - बल्कि कहीं अधिक मुनाफा - किसी ना किसी अपात्र और कुपात्र की जेब में जा रहा था ....

और मुझे ये भी यकीन है कि ये मुनाफ़ा जिन जेबों में जा रहा था वो अपात्र कुपात्र सत्तापक्ष के ठुल्ले दल्ले छर्रे पट्ठे ही रहे होंगे .... यानि वो मस्त "खा रहे थे" और हमारे सेवक उन्हें खाने दे रहे थे .. बड़े आराम से - बड़े हराम से ....

और गरीब और आमजन हमारे सेवक की लाफ्फ़ाज़ी और दल्लों के अट्टाहास के बीच लुट रहा था .... और आज भी लुट ही रहा है .. बस थोड़ा सा कम ..

और मुझे लगता है कि लूट में जो थोड़ी सी कमी आन पड़ी है उसके कारण अब भक्त अट्टाहास करने ही वाले हैं .... झेलने के लिए तैयार रहें ....

और हाँ !! स्थिति का कुछ लाभ आप भी उठा लें .... जो भी नंगा कालर ऊंचा कर कहे कि - देखो अब दालों के भाव कम करवा दिए ना !! .. तो पहचान जाइयेगा कि यही वो भक्त है जिसके दल्लों से रिश्ते होने की पूरी संभावना है .... और वही आपका मुजरिम भी हो सकता है ....

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Tuesday 23 August 2016

// पाकिस्तान 'नर्क' .. क्या हिंदुस्तान 'स्वर्ग' ?? .. तौबा !! ....//


देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हमारे देश के रक्षामंत्री कहलाए जा सकते हैं .... पर भक्त तो मोदी को ही अव्वल मानेंगे .. तो मैं भी मान लेता हूँ कि हमारे मोदी जी के द्वारा नियुक्त हमारे रक्षामंत्री मोहन पर्रिकर सबसे शक्तिशाली ना सही सबसे काबिल व्यक्ति तो है हीं .... अब मानने में क्या जाता है ?? ....

और जब हमारे काबिल रक्षामंत्री ने कह दिया कि "पाकिस्तान नर्क है" .. तो मानना पड़ेगा .. जी हाँ मानना ही पड़ेगा .. पर्रिकर काबिल जो ठहरे .. और मानना इसलिए भी जरूरी है कि नहीं तो आप राष्ट्रद्रोही करार दिए जा सकते हैं .... और मैं ठहरा ठेठ भारतीय और राष्ट्रप्रेमी .. इसलिए मैं अपने आप पर राष्ट्रद्रोह का आरोप तक लगने का कोई चांस भी नहीं ले सकता .... इसलिए मैं भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए अंततः मान लेता हूँ कि - "पाकिस्तान नर्क है" ....

पर राष्ट्रद्रोह के संभावित आरोप से बरी-जिम्मे होने के बाद मैं ये तो पूछ ही सकता हूँ कि ....

आदरणीय मोदी जी या पर्रिकर जी !! क्या मुझे बताएंगे कि क्या "हिंदुस्तान स्वर्ग है" ???? ....

यदि आपका जवाब हाँ है तो मेरी प्रतिक्रिया स्पष्ट और सपाट है कि - आप फडतूस हैं और धूर्त भी ....

क्योंकि अपने कान और दिमाग के ढक्कन खोल के भलीभांति जान लें कि आज भी इस देश में कई करोड़ लोग नारकीय जीवन जीने के लिए मजबूर हैं ....

और क्योंकि ताज़ा-ताज़ा बात है - हमारे देश की एक खिलाड़ी ओ.पी जैशा ४२ किमी की मैराथन दौड़ दौड़ी - और वो भी ओलंपिक में भारत की ओर से - और उसे पानी तक नसीब नहीं हुआ - और उसे नर्क की अनुभूति हो गई - वो मरणासन्न हो गई - और मैं सन्न रह गया .. और इस देश के मोदी जी ने या पर्रिकर जी ने अभी तक शर्म आ जाने का इज़हार तक नहीं किया .... नर्क स्वर्ग के बीच में शर्म भी कहाँ ?? 

इसलिए इस देश में ऐशो आराम से रहने वाले कई लोगों के लिए तो ये देश स्वर्ग हो सकता है - है भी - पर कोई भी इस देश को स्वर्ग कैसे कह सकता है ?? .. नहीं ना ?? ....

और यदि हिंदुस्तान स्वर्ग नहीं है - तो फिर क्या है ?? .... नर्क ?? .. तौबा !! तौबा !! ....
स्वर्ग भी नहीं - और नर्क भी नहीं - तो क्या ???? ....

कहीं 'स्वर्ग' 'नर्क' के बीच बेडा 'गर्क' तो नहीं ????

लगता तो ऐसा ही है - क्योंकि मेरा दावा है कि मोदी जी और पर्रिकर जी और उनके कई मातहत और उनके कई पूर्वज 'नर्क' हो आए हैं - मोदी जी तो स्पेशल प्लेन से हो आए हैं - और इंशाअल्लाह आगे भी कई बार 'नर्क' जाते रहेंगे .. और तब हम यही कहने के लिए मजबूर होंगे कि - काहे का नर्क काहे का स्वर्ग - हमारे इन शक्तिशाली और काबिल मंत्रियों ने बिना 'शर्म' बेडा 'गर्क' कर दिया रे !! .... है ना ??

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// भागवत जी .. है कोई माई का लाल जिसने संघियों को बच्चे पैदा करने से रोका हो ?? ..//


संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कुछ ऐसा कह दिया जिसका स्पष्ट मतलब ऐसा निकल गया कि .. हिंदुओं को किसने रोका है - हिंदुओं को और बच्चे पैदा करने चाहिए ....

और अधिकांश लोग संघियों से अपेक्षा करने लगे कि वो बच्चे पैदा करें .... किसने रोका है ?? .. बल्कि संघियों को तो बच्चे ही बच्चे पैदा करने चाहिए .... आदि .... 
और तो और मार्किट में ये मांग भी होने लगी कि मोदी और खुद भागवत भी तो हिन्दू हैं - वो भी बच्चे पैदा करें - दस-दस करें .... उन्हें भी किसने रोका है .. किसने टोका है .. है कोई माई का लाल ?? ....

पर भाइयों और बहनों !! .. मैं ऐसी समस्त मांगों की निंदा करता हूँ .... 

कारण ये कि - जो मांगे पूरी होना असम्भव हो ऐसी महत्वाकांक्षी मांगे नहीं करना चाहिए ....

लोगों को यह भी सोचना चाहिए कि केवल शादी कर लेने से ही बच्चे थोड़े ही पैदा हो जाते हैं ....
और बच्चे पैदा करने के लिए शादी भी तो करना ही होती है - अन्यथा यदि बच्चे हो भी गए तो वो कौन सी जात के कहलाएंगे कैसे निर्धारित हो सकेगा ???? .. है ना !! ....

मेरी बात बिलकुल सरल सपाट और अकाट्य है - पर तल्ख़ भी - इसलिए भक्तों के भेजे में घुसेगी नहीं ....

इसलिए भक्तों से गुज़ारिश है ज्यादा दिमाग घिसने की ज़रुरत नहीं है .. क्योंकि केवल दिमाग घिसने से भी कुछ पैदा नहीं होगा .... हा ! हा !! हा !!! ....

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Monday 22 August 2016

// हाय !! ये २ मैडल भी ना आते तो .... .... ....//


रियो ओलंपिक निपट गए .... भारत माता की जय !!

हमें दो मैडल मिले .. हमें २ मैडल मिल गए .. हमें २ मैडल ही मिले .. हमें २ मैडल तो मिले .. हमें २ मैडल ही मिल सके .. हमने २ मैडल जीते .... और उन्माद बेवकूफी लफ़्फ़ाज़ी झेंप दुःख नाकामयाबी - तथा ख़ुशी गौरव कामयाबी का इज़हार भी हो चुका है .... पर बहस विवेचना विश्लेषण प्रतिक्रिया जारी है ....

और मैं सोच रहा हूँ कि यदि ये २ मैडल भी ना मिले होते - या ना आते - या ना लाते - तो ?????  ....
तो मेरे ख्याल से गुस्से और विरोध की गूँज कुछ ऐसी होती ....

एक भी मैडल नहीं ? .. सवा सौ करोड़ का देश .. युवा देश .. आधी आबादी ३५ साल आयु के नीचे .. पर फिर भी एक भी मैडल नहीं .. शर्म आनी चाहिए .. कुछ तो करना होगा .. ये ऊंची ऊंची फेंकने वालों को जमीन पर पटक इनकी सुताई करनी होगी .. ये जितने विदेश में मस्ती करने गए थे इन्हें स्वदेश में घुसने से रोकना होगा .. ये सेल्फी वाली टकलू पनौती को हटाना होगा .. ये सारे खेल संघों के पदाधिकारियों को पाकिस्तान भेजना होगा .. ये जो हरामज़ादे सिद्ध हो चुके हैं इन्हें सबक सिखाना होगा .. खेल अव्यवस्था के विरुद्ध आवाज़ को दबाने वालों को दबाना होगा .. ये जो जाति और धर्म की गन्दी राजनीति करते आए हैं इनके साथ कुछ खिलवाड़ करना होगा .. खेल में जारी भ्रष्टाचार के खुल्लमखुल्ला खेल को रोकना होगा .. जवाबदारों और जिम्मेदारों के विरुद्ध अब कार्यवाही करनी ही होगी .. इन्हें तो अब शर्मसार करना होगा कूटना ठोकना पीटना होगा और निपटाना ही होगा ....

और शायद उस पूजा नाम की हैंडबॉल खिलाड़ी की भी बात हो ही रही होती जिसने पी वी सिंधु जैसा बनने के ख्वाब देखते देखते मोदी जी के नाम अपने खून से सुसाइड नोट लिख आत्महत्या कर ली .. यकीनन देश की खेल व्यवस्थाओं से व्यथित होकर - हार मानकर .... 

तो क्या २ मैडल भी नहीं मिले होते - या नहीं आते - या नहीं लाए गए होते - तो बेहतर होता ?????

तौबा !!!! .... बेहतर तो तब होता जब मोटी चमड़ी वालों पर गुस्से और विरोध की गूँज का कुछ असर होने के संभावना होती .... है ना ??

इसलिए सोचता हूँ .. कि जो २ मैडल २ महान खिलाड़ियों द्वारा लाए गए हैं बस उसे ही चुपचाप शाष्टांग दंडवत कर दिया जाए तो बेहतर ....

पर क्या आगामी २८ तारीख रविवार ११ बजे मोदी की 'मन की बात' में इन दो मेडलों और खिलाड़ियों का और बेटियों का यश-गान सुना जाए ?? .. और सुना जाए कि मोदी और क्या क्या आह्वाहन करते हैं ?? .. और निर्लज्जता के साथ क्या क्या फेंकते हैं ?? ....

तो क्या वर्तमान में देश के सबसे ऊँचे खिलाड़ी मोदी ही हैं ?? .. तो क्या मोदी को ही १ गोल्ड मैडल दे दिया जाए .. अगले ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के वायदे के लिए ?? ....

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Saturday 20 August 2016

// धिक्कार है उन पर जो 'कलमाड़ी' को गालियां देते-देते खुद 'कलमाड़ी' बन बैठे ....//


मेरे एक ज्ञानी और काबिल परिचित ने कभी अपने पोस्ट में लिखा था कि ....
"जीवन में तीन लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिये ....
१ - मुसीबत में साथ देने वाले को.... 
२ - मुसीबत में साथ छोड़ने वाले को.... और ....
३ - मुसीबत में डालने वाले को...."

और मुझे उनकी ये बात लाख टके की लगी थी - क्योंकि मेरी फितरत भी कुछ ऐसी ही है .... और उपरोक्त बात एक बहुआयामी सोच रखने की ओर प्रेरित करती है .. यह मुझे सीख देती है कि किसी भी विषय में केवल एक तरफ़ा सोचना परखना उपयुक्त नहीं - जैसे कि मुसीबत में साथ देने वाले को धन्यवाद दे देना काफी नहीं बल्कि मुसीबत में डालने वाले की ऐसी की तैसी करना भी जरूरी है ....

बल्कि मेरी फ़ितरत तो कहती है कि सबसे पहले मुसीबत में डालने वाले की ऐसी की तैसी कर दी जाए - क्योंकि यदि वो मुसीबत में नहीं डालता तो मुसीबत में किसी के साथ देने लेने या साथ छोड़ने की नौबत भी कहाँ आती ?? ....
  
और ये बात मुझे आज फिर याद हो आई क्योंकि मैं ये देख रहा हूँ कि साक्षी और सिंधु के द्वारा ओलिंपिक में मैडल प्राप्त करने के उपरांत जो ढेर सारी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वे केवल मैडल आने की स्वाभाविक ख़ुशी से ही संबंधित हैं - और एकतरफा हैं .. और कोई भी उन तमाम मैडलों के बारे में सोच ही नहीं रहा है जो हमें अनेक टुच्चों भ्रष्टों लोफरों मक्कारों चोरों डकैतों बेशर्मों और उच्च पदस्थ स्वार्थियों के कारण कभी नहीं मिले .... मसलन नरसिंह यादव और अन्य असफलताओं के मामले में उपयुक्त सोच और वांछित प्रतिक्रिया दिखाई ही नहीं दे रही है .... और उन टुच्चे भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों के प्रति वो रोष भी दिखाई ही नहीं दे रहा जो खिलाडियों के हक़ के पैसों और सुविधाओं पर केवल मटरगश्ती करने में मशगूल रहे .... जो खेलों के नाम पर देश के साथ खेल कर गए .... जो कलमाड़ी को गालियां देते-देते खुद कलमाड़ी बन बैठे ....  

यानि माहौल कुछ ऐसा लग रहा है जैसे .. जो मिल गया - वाह !! .. पर जो-जो नहीं मिला - चलो जाने दो !! .... यानि आज सभी केवल अच्छों और अच्छाई के बारे में बोल रहे हैं पर कोई टुच्चों और टुच्चई के बारे में नहीं बोल रहा ....

और हद तो तब हो गई जब एक काबिल पत्रकार शोभा डे ने टुच्चई विरुद्ध आवाज़ उठाई भी तो - कई टुच्चे उनके ही विरोध में टुच्ची बातें करते निर्लज्जता से सामने आ गए .... जैसे कि अमिताभ बच्चन और वीरेंदर सहवाग ....

और इसलिए मैं आज फिर आगाह करना चाहूँगा कि केवल २ मैडल प्राप्ति की ख़ुशी मना ही यदि हम संतुष्ट हो गए - और यदि हमने इन २ टुच्चों का प्रतिकार तक नहीं किया - तो भविष्य में भी हम ऐसे ही १-२-४ मैडल ले बावरों जैसे खुश होते रह जाएंगे .... पर यदि हमने शोभा डे की बातों पर ससमय गौर कर लिया तो शायद भविष्य में तस्वीर बदले ....

यानि - यदि हमने 'मुसीबत में डालने वालों' की ऐसी की तैसी कर दी तो ही बेहतर .... यानि - वार जड़ पर करने की आवश्यकता है .... यानि - सरकारी भाजपाई कलमाड़ियों और कबाड़ियों को निपटाना भी अत्यावश्यक है .... !! धन्यवाद !!

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Friday 19 August 2016

// मोदी बनाम केजरीवाल .. यानि .. लोकप्रिय बनाम बेहतर ?? ....//


किसी भाड़े के चैनल ने एक सर्वे कराया है और केजरीवाल को देश का सबसे बेहतर मुख्यमंत्री बता मारा है ....

और भक्त स्तब्ध हैं और निःशब्द भी .... क्योंकि वे इस बात को पचा नहीं पा रहे हैं कि ये आधा-अधूरा मुख्यमंत्री जिसे पूरी शिद्दत के साथ अवरुद्ध करने के कुप्रयास किये गए - ये अभी भी सबसे बेहतर कैसे बना रह सका है ?? .. ये कौन सी हस्ती है जो मिटती नहीं - ये क्या चीज़ है जो समझ पड़ती नहीं ?? ....

 पर बेचारे भक्त उपरोक्त सर्वे को नकार भी नहीं पा रहे हैं .. और कारण बहुत चुभने वाला और दर्दनाक है .... जी हाँ !! .. इसी सर्वे ने मोदी को सबसे लोकप्रिय नेता जो बता मारा है ....

इसलिए भक्तों की उलझन की सुलझन हेतु मेरा विश्लेषण ....

मोदी का केजरीवाल से डर और नंगा विरोध .. तथा .. केजरीवाल का मोदी से डटकर मुकाबला और चुटीला प्यार और एक विशेष लगाव जगजाहिर है ....

तो मुकाबला अब बहुत दिलचस्प हो चला है .. क्योंकि .... 

मुक़ाबला अब सीधे-सीधे  मोदी - बनाम - केजरीवाल का है ....
मुक़ाबला अब लोकप्रिय - बनाम - बेहतर का है ....
मुक़ाबला अब पूरे प्रधानमंत्री - बनाम - आधे-अधूरे मुख्यमंत्री के बीच का है ....
मुक़ाबला अब ताकतवर - बनाम - हिम्मतवाले के बीच का है ....

और इस मुकाबले का पहला दौर पंजाब में है ....

और इस मुकाबले में मैं बेहतर हिम्मतवाले आधे-अधूरे मुख्यमंत्री केजरीवाल के साथ हूँ ....

और भक्तों का आह्वाहन करता हूँ कि आजकल बहुत खामोश मायूस ढीले-ढुस्स क्यों चल रहे हो ?? .. ये एकतरफा मुक़ाबला स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा थोड़े ही है .... जरा खुलकर मैदान में उतरो तो हमें मुकाबले का मज़ा आए ....  और दिल्ली जैसे ही मोदी को भी पंजाब के मैदान में उतारो तो तुम्हें मज़ा आए .... समझे कि नहीं समझे ?? .... नहीं समझे तो ठोकोगे माथा - और समझ गए हो तो ठोको ताली !! .. हा! हा!! हा!!! ....

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Thursday 18 August 2016

// एक ही मैडल काफी है .. बावरों के लिए ....//


किसी एक का अदम्य कर्म .. और मिल गया एक मैडल .... शाब्बाश  !!

और ....
तालियां ....
देश की हर बेटी गौरवान्वित हो गई ....
देश की हर महिला शक्ति पा गई ....

देश में खुशी की लहर भी दौड़ गई ....
देश के कई खेल रिकॉर्ड भी टूट गए ....
पूर्व से तैयार कई बधाई संदेश भी काम आ गए ....

और शायद करोड़ों के खेल भ्रष्टाचार को एक प्रोत्साहन पुरूस्कार सा कुछ मिल गया ....
भ्रष्टाचार को टेका मिल गया ....
बेशर्मों को चेहरा छुपाने के लिए एक पर्दा सा मिल गया ....

और तो और .... तिरंगे को ताकत भी मिल गई ??????????

लगता है - इस देश में कोई बावरा हो गया है .... ये खुद खेलेगा और कुछ अलग ही खेलेगा - पर खेलने नहीं देगा .... समय रहते तो ये खिलाड़ियों के साथ होता आया खिलवाड़ जारी रखेगा - यदि टिक गया तो अंत समय अगले ओलिंपिक में भी ये खिलाडियों को एक महीने पहले रवाना कर देगा और अधिकारियों जितना ही पैसा दे देगा .... और फिर ६० सालों को कोसेगा ....

और खिलाडियों के अलावा बाकी सब का ऐशो आराम और हराम पहले जैसा ही चलता रहेगा ....

साक्षी बिटिया को व्यक्तिगत रूप से बधाई और धन्यवाद .... पर राष्ट्रीय बावरों को धिक्कार !!

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Tuesday 16 August 2016

// उनके 'जेहादी' - हमारे 'उन्मादी' .. और उनको हमारा 'मुँहतोड़ जवाब' !! ....//


बहुत हुआ .. उस नापाक पाक को 'मुँहतोड़ जवाब' तो देना ही है .... है ना !! 

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग !! .. और बलूचिस्तान पाकिस्तान का ?? ....
और नापाक पाक वर्षों से जेहादियों को इधर भेजकर 'कश्मीर की आज़ादी' के नाम पर छद्म युद्ध छेड़े हुए है  .... और उधर बलूचिस्तान में भी आज़ादी की लड़ाई जारी है ....

और पहली बार मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से ऐलाने "बलूचिस्तान" कर दिया .... और "कश्मीर के बदले बलूचिस्तान" जैसे कूटनीतिक मुद्दे पर दमदार हुंकार भर दी ....

पर ध्यान रहे - ना पाक सेना कश्मीर में सैन्य कार्यवाही की ज़ुर्रत कर पाई - और ना ही भारतीय सेना बलूचिस्तान में सैन्य कार्यवाही करना चाहेगी ....

इसलिए मैं सोच रहा था कि पाक को उसकी नापाक 'जेहादी' कार्यवाही का जवाब उसकी भाषा में ही दिया जाना चाहिए .... "Tit for Tat" .. "जैसे को तैसा" ..    

और इसलिए मुझे याद हो आए हमारे 'उन्मादी' .... वो गौरक्षा वाले - लव जेहाद वाले - मादरेवतन पर मिटने की कसम खाने वाले - भारत माता की जय वाले - जेएनयू वाले - मुजफ्फरनगर वाले - दादरी वाले - यूपी गुजरात वाले - असहिष्णुता वाले - रामपुर वाले - हैदराबाद वाले - धर्मरक्षक मंडल वाले .... और जी हाँ !! सोशल मीडिया पर देश की आज़ादी की कसमें खाने वाले और हमारे शहीदों को तड़पते दिल से नमन करने वाले और तिरंगा लहराने वाले .. और कुछ सच्चे भक्त भी - संघी भी - बजरंगी भी - शिवसैनिक भी .... और हर किसी को पाकिस्तान भेजने वाले एक्सपर्ट भी ....

और इसलिए मुझे उपाय सूझा कि मोदी कहे अनुसार सरकारें जो गौरक्षकों का डोज़ियर तैयार कर रही होंगी - उस कार्य को थोड़ा और व्यापक कर उपरोक्त समस्त उन्मादियों का डोज़ियर भी तैयार करवा लिया जाए .... और फिर उनमें से श्रेष्ठ उन्मादियों का चयन कर उन्हें बलूच की तरफ कूच करवा दिया जाए .... और इस प्रकार नापाक पाक का मुँह ही तोड़ दिया जाए .. और फिर दमदार जुबानी जवाब तो मोदी दे ही देंगे .... और इस प्रकार बहुप्रतीक्षित 'मुँहतोड़ जवाब' दिया जा सकेगा ....

और मेरे हिसाब से हमारे करीब सवा सौ (१२५) उन्मादी पाक के समस्त जेहादियों पर भारी पड़ेंगे ....

पर बस मुझे तो एक ही शंका उलझन सता रही है .. क्या सवा सौ करोड़ के इस देश में ऐसे सवा सौ श्रेष्ठ उन्मादी छंट पाएंगे जो बलूच की ओर कूच करने को तैयार हो जाएंगे ?? ....

!! जय हिन्द !!

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Monday 15 August 2016

// मोदी जी !! ध्यान दें .. आक्षेप सिद्ध नहीं हुए .. और अपेक्षाएं पूरी नहीं हुई हैं ....//


आज लाल किले की प्राचीर से मोदी जी ने जोश-खरोश के साथ लम्म्म्म्बा भाषण दिया .. और भाषण सुन मुझे लगा कि या तो मोदी जी ने ध्यान ही नहीं दिया होगा कि लोग क्या चाहते थे कि वो क्या बोलें - और क्या करें .. या लोगों ने ध्यान ही नहीं दिया होगा कि मोदी को सुझाव देना बेवकूफी होगा .. क्योंकि मोदी को कुछ अपेक्षित करना नहीं होता है - और बस बोलना होता है .... और मोदी वही बोले जो उन्हें बोलना था .... 

और मोदी जो भी लम्म्म्म्बा बोले उसका सार निकालना भी जरूरी है .. और सार कुछ यूँ रहा ....

अव्वल तो वो "बलूचिस्तान" पर बोले .. और जो बोले उपयुक्त बोले .... बधाई !!

पर इसके अलावा मोदी जी ने पुरानी सरकारों को खूब कोसते हुए - फिर मैं मैं मैं करते हुए - कुछ यूँ कहा ....

पुरानी सरकारें आक्षेपों से घिरी थी और मोदी सरकार अपेक्षाओं से घिरी है .... 

और मेरी त्वरित सारगर्भित प्रतिक्रिया ....

पुरानी सरकारों पर आक्षेप सिद्ध नहीं हुए ....
और मोदी सरकार से अपेक्षाएं पूरी नहीं हुई हैं ....

बल्कि उलट ....

लगने लगा कि पुरानी सरकारों ने बहुतायत में अपेक्षाओं की पूर्ती करी थी ....
और अब मोदी सरकार और कई भाजपा शासित राज्य सरकारें आक्षेपों से लद रही हैं ....  

और हमें शानदार लफ़्फ़ाज़ी युक्त भाषण सुनाए जा रहे हैं ....

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Sunday 14 August 2016

// कन्हैया मांगे आज़ादी - अब बाबा भी मांगे आज़ादी !! .. भक्तों की फिर सुलगेगी ?? ....//


कल रामदेव बाबा टीवी चैनलों पर छाए हुए थे - एक जैसी बड़ी-बड़ी घिसी-पिटी बातें .... 'आज तक' के 'हल्ला बोल' में "बाबा मांगे आज़ादी" प्रोग्राम में बाबा रामदेव कह गए - देश का पैसा देश में रहना चाहिए - सब कुछ अपना तो ब्रांड भी अपना - अब देश को 'आर्थिक आज़ादी' दिलानी है .. स्वदेशी स्वदेशी स्वदेशी .. पतंजलि पतंजलि पतंजलि .. आदि ..

पर मोदी आमदा हैं १००% एफडीआई पर .... और स्पष्तः "विदेशी" पर .... क्योंकि मेरे दिमाग अनुसार मोदी एक धंधेबाज़ हैं जो आज़ादी से परदे के पीछे कई चुनिंदा धंधेबाजों के अंतर्राष्ट्रीय समूहों के सीईओ का काम बखूबी करते दिख रहे हैं ....

और मुझे याद हो आया कि जेएनयू के कन्हैया ने भी 'आज़ादी' के नारे लगाए थे - कई बुराइयों से आज़ादी के नारे .. जिसके बाद भक्तों की सुलग पड़ी थी - या भक्तों ने अपनी ही सुलगा ली थी .... और .... मोदी सरकार हीन हरकतों पर उतर आई थी ....

और इसलिए आज मैं भी सोच रहा हूँ कि इस आज़ाद देश को वाकई कई बुराइयों से अभी भी आज़ादी चाहिए .. मसलन मोदी से भी और उन भक्तों से भी जिन्हें 'आज़ादी' के नाम पर राजनीति करते शर्म भी नहीं आती ....

और हाँ बाबा रामदेव जैसे लोगों से भी आज़ादी चाहिए होगी - जो अपने जमे जमाए धंधे को और चमकाने के लक्ष्य हेतु गिरगिटान योग करते दिखते हैं - जो मोदी जैसे ही कई विधाओं में पारंगत होते हुए केवल स्वार्थ के वशीभूत हो जुमले छोड़ते हुए धनार्जन में लगे पड़े हैं - पिले पड़े हैं .. और आज़ाद देश में मोदी सरकार के संरक्षण में अब 'आर्थिक आज़ादी' का जुमला छोड़ आर्थिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं ....

और इसलिए देखना होगा कि क्या भक्तों की फिर सुलगेगी ?? .... या तब तक नहीं सुलगेगी जब तक बाबा रामदेव मोदी विरोधी बयान नहीं देते ?? .... 

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Saturday 13 August 2016

// १५ अगस्त - मोदी क्या बोलें - मेरा सुझाव ....//


इतिहास और मेरा ब्लॉग गवाह है कि मैं हमेशा से प्रिय मोदी जी को बिन मांगे बहुमूल्य सुझाव देता आया हूँ - वो भी इफरात में और मुफ्त ....

पर आज मोदी जी ने खुद होकर मुझ से सुझाव माँगा है कि १५ अगस्त को वो क्या बोलें ....

मेरा सुझाव .... क्या बोलें - के साथ - क्या ना बोलें भी .. यानि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर १ के साथ एक फ्री स्कीम जैसा ....

मोदी जी !! आप जो वादे पूरे ना कर सके उसके लिए माफ़ी मांगे - अपनी नाकामयाबियों के लिए और मुश्किल हालातों के लिए कांग्रेस को कोसना छोडें - यानि कांग्रेस का 'कां' भी न बोलें और व्यर्थ दोषारोपण ना करें .. यदि कुछ अच्छे कार्य किये भी हों तो उस पर इतराना छोडें - और प्रवचन देना तो बिल्कुल बंद करें .... और बेहतर होगा पाकिस्तान का 'पा' भी ना ही बोलें - जब तक कुछ ठोस कर के ना दिखा दें ....

और गौरक्षकों दलितों कश्मीर आदि पर बिलकुल भी ना बोलें - क्योंकि लोग समझ गए हैं और भरे बैठे हैं - और इसलिए फ़ोकट भड़क जाएंगे ....  

और सबसे महत्वपूर्ण - ये केजरीवाल आपको आए दिन धिक्कारते रहते हैं और आप चुप रहते हैं - जबकि जिस तरह आप कांग्रेस को कोसते हैं उससे स्पष्ट हैं कि आप चुप रहने वाले महात्मा तो हैं नहीं - इसलिए आप केजरीवाल की हर बात का जवाब दें - हर गाली और हर निंदा का प्रतिकार करें ....

या फिर एक काम करें - अपना भाषण संक्षिप्त रखें .... मसलन ....

" भाइयों और बहनों !! .. ये हमारा ७० वां स्वतंत्रता दिवस है .. ये एक ख़ुशी का मौका है .. और इस पुण्य दिवस पर मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अब बहुत हुआ - देशहित में मैं २०१९ में या उससे पहले ही या शीघ्रताशीघ्र राजनीति से सन्यास ले लूँगा और किसी भी अन्य योग्य और बेहतर काबिल व्यक्ति को देश की बागडोर के हस्तांतरण में रोड़ा नहीं बनूँगा .... भारत माता की जय .. जय हिन्द !!!! "

मोदी जी !! यदि आपने मेरा सुझाव मान लिया तो मेरा विश्वास करें - जैसे इस देश के लोग नेहरू को अभी तक नहीं भूल सके हैं ना भूल सकेंगे - वैसे ही शायद आपको भी याद रखेंगे .. एक थे मोदी ............. अन्यथा लोग याद रखेंगे कि .. एक मोदी आया था .......... समझे !!

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Friday 12 August 2016

// और केजरीवाल सही पकडे हैं .... पंजाब - गोवा - गुजरात ....//


आपने तेल के कई फायदे सुने होंगे .. तेल देखा होगा - तेल की धार भी देखी होगी .. और तेल से जंग की ऐसी तैसी होते देखी होगी .... पर क्या आपने कभी जंग के फायदे की भी कल्पना करी थी .... नहीं ना ?? ....

लेकिन अब देखिये विपश्यना और इफरात में दिमाग होने का कमाल ....

केजरीवाल १० दिन की विपश्यना के बाद लौटे - और उन्हें एहसास हो गया कि दिल्ली चुनाव में भारी बहुमत की जीत गई तेल लेने - कोर्ट के निर्णय अनुसार तो दिल्ली में अब जो कुछ है वो जंग ही है .... सो क्यूँ न जंग का फायदा उठाया जाए ?? ....

और लगता है केजरीवाल ने सदैव की तरह अपनी कुशाग्र बुद्धि का उपयोग किया और विपश्यना कर लौटते ही त्वरित सहर्ष निर्णय लिया कि मजबूरन ही सही दिल्ली को जंग के हवाले कर दिया जाए और आगे बढ़ा जाए ....

और इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है कि दिल्ली के सबसे खासमखां और कार्यरत ३ मंत्रियों को केजरीवाल ने दिल्ली के बाहर की जवाबदारियां सौंप दी हैं .... दिल्ली उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को गोवा और कपिल मिश्रा और आशुतोष को गुजरात की जिम्मेदारी सौंप दी है .... यानि अब दिल्ली जंग भरोसे .... है ना !! 

और मुझे लगता है कि अब दिल्ली की जिम्मेदारी और जवाबदारी अप्रत्यक्ष रूप से जंग के हाथों सौंप और अधिकारों का मामला प्रत्यक्ष रूप से सुप्रीम कोर्ट को सौंप केजरीवाल स्वयं पंजाब को समर्पित हो जाएंगे ....

यानि आप कह सकते हैं ....
केजरीवाल सही छोड़े हैं .... दिल्ली ....
केजरीवाल सही छेड़े हैं .... जंग ....

और केजरीवाल सही पकडे हैं .... पंजाब - गोवा - गुजरात ....

यानि अब उल्टे मोदी फंसे हैं जंग भरोसे .. हा ! हा !! हा !!! ....

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// 'तिरंगा यात्रा' से जोश भर जाए और होश बच जाए तो ....//


एक और १५ अगस्त आ ही गया - स्वागतयोग्य - हमारे गर्व का दिन - स्वतंत्र होने का दिन .. और एक छुट्टी का दिन .. एक विशेष आनंद का दिन ....

और अभी से फ़िज़ा में इस दिन की सामान्य विशेषताओं की महक आने लगी है ....
मसलन वो देशभक्ति के समस्त गाने - नाना प्रकार के नेताओं द्वारा झंडावंदन - कतारबद्ध हमारे भविष्य हमारे स्कूली बच्चे - सांस्कृतिक और सरकारी कार्यक्रम .... टीवी पर तिरंगे के साथ अनेकानेक विज्ञापन - कीमतों में भारी छूटों का ऐलान .... बधाइयों का ताँता - विशेषकर सोशल मीडिया पर ओजस्वी चहल पहल ....

और जिस तरह गौरक्षक अपने नेक काम में शिद्दत के साथ सड़कों पर निकलते रहे हैं ठीक कुछ वैसे ही देशभक्त भी तिरंगा ले इधर उधर माहौल को ओजस्वी बनाने के अपने दृढ इरादे के साथ निकल अपनी देशभक्ति का परिचय दे पूरे देश को कृतार्थ करेंगे ....

और हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी लाल किले की प्राचीर से सभी देशवासियों से पूछ पूछ कर अपने मन की बात कहेंगे और देश को सम्बोधित करेंगे - और पडोसी देश को चेतावनी भी देंगे .... और मैं आशा करता हूँ कि वो परम्पराओं का निर्वहन करते हुए अपनी सरकार के बीते २ वर्षों को स्वर्णिम निरूपित करते हुए प्राप्त उपलब्धियों का बखान भी करेंगे - और पिछली सरकारों के द्वारा किये गए गुड़गोबर का इशारों इशारों में पर्दाफाश करते हुए एक बार फिर कुछ नई-नई सी योजनाओं की घोषणा भी करेंगे ....

पर समस्त परम्पराओं से हटकर कुछ अलग भी होने वाला है - वो भी ठेठ मोदी स्टाइल में ....  

जी हाँ !! बीजेपी १५ से २२ अगस्त तक देशभर में 'तिरंगा यात्रा' निकालेगी ....
अपने देश की आज़ादी की ७० वीं वर्षगाँठ है .... और इससे सभी नौजवानों और देशभक्तो में जोश भर जाने की बातें हो रही हैं .... और सही हो रही हैं .... जब फांकने से छाती को ५६ इंच तक फुलाया जा सकता है - तो नौजवानों में 'तिरंगा यात्रा' से जोश क्यों नहीं भरा जा सकता ?? ....

इसलिए तिरंगा यात्रा का स्वागत ....

पर २२ अगस्त के बाद मेरा सुझाव है कि यदि जोश से भरी बीजेपी में होश बचा रह जाए तो २२ से २९ अगस्त तक देश में "महंगाई यात्रा' भी निकाले ....

मेरा यकीन मानें जोश के बाद यदि कुछ भूखों का पेट भी भरा जाएगा तो ठीक रहेगा .... नहीं तो कहीं ऐसा ना हो कि भूखे पेट लोग जोश में होश खो बैठें और आपके जोश को ठंडा कर दें .... कुछ समझे कि नहीं ??

भारत माता की जय - वन्दे मातरम् - जय हिन्द !!!!

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Thursday 4 August 2016

// यदि मुबारक हों तो .. मोदी गुजरात को ही मुबारक हों ....//


नरेंद्र मोदी थे गुजरात के मुख्यमंत्री - और भक्त बताते हैं तब वहां कोई चूं चपड़ नहीं कर सकता था - वाइब्रेंट गुजरात अजब शांत था - तमाम समस्याओं के पसरे रहते गुजरात में गजब विकास था .. और ये सब मोदी का कमाल था जिनका गुजरात पर एकछत्र राज था .... और गुजरात में विकास था ऐसा पूरे देश को गुमान था ....

और इसलिए पूरे देश ने मोदी को प्रधानमंत्री चुन लिया था - गुजरात से मोदी को छीन लिया था ....

और मोदी ने देश झपट - आनंदीबेन पटेल को गुजरात टिका दिया था ....

फिर आनंदीबेन ने भी वाइब्रेंट गुजरात को और हिला के रख दिया - हिलाया भी क्या - वाइब्रेट ही कर दिया  .... पाटीदारों को दबा दिया हार्दिक को जेल पहुंचा दिया - दलितों को भी निपटा दिया - यानि मोदी जैसे ही किसी को कोई चूं चपड़ नहीं करने दिया .... बेन ने तो मोदी से भी अच्छा काम किया - और गुजरात को और आगे बढा दिया .... इतना आगे कि लोग मोदी को भी भूल गए और बेन भाई से भी आगे निकल गई .... 

पर इधर भाई बुड्ढों से परेशान था .. सो ७५ का फार्मूला फिट कर दिया .. और कह दिया अब कोई चूं चपड़ नहीं .... पर इस चक्कर में बैठे बिठाए ७५ की होने वाली बेन की चूं निकल गई .... और बेन ने इस्तीफ़ा दे दिया ....

अब आगे क्या ?? ....

मुझे लगता है मोदी अच्छे थे - और आनंदीबेन उनसे अच्छी थीं - और गुजरात के दिन अच्छे से लद गए थे .... और अगला आने वाला भी उनसे अच्छा मिलेगा - क्योंकि भाजपा में ऐसे अच्छे लोगों की कोई कमी तो है नहीं - एक ढूंढो हज़ार मिलते हैं .... पर यदि नहीं मिले तो भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है - क्योंकि फिर मोदी तो हैं ही .... वो वापस गुजरात चले जाएंगे .. क्योंकि ना उन्हें देश समझ आ रहा है ना देश को मोदी ....

तो गुजरात को इसी शुभकामनाओं के साथ कि उनको उनके मोदी वापस मिल जाएं .. और मोदी ना भी सही तो कम से कम अमित शाह ही वापस मिल जाएं तो भी देश का भला होगा .... क्योंकि शाह भी गुजरात के लिए कोई मोदी से कम अच्छे नहीं .. और देश के लिए कम बुरे नहीं .. है ना !!!!

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// बहुत हुआ !! .. केजरीवाल को दिल्ली सरकार त्याग कर आगे बढ़ना ही होगा ....//


केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों से संबंधित दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला आ गया है .. मेरी त्वरित प्रतिक्रिया ....

फैसले में दिल्ली सरकार को एक बहुत बड़ा झटका लगा है .. क्योंकि फैसले के मुताबिक़ दिल्ली के बॉस तो एलजी ही होंगे - और दिल्ली में केंद्र सरकार की ही चलेगी - लगभग सारे अधिकार एलजी के पास ही होंगे .... यहां तक कि दिल्ली सरकार के पास कोई आयोग बनाने के या कोई कानून बनाने के अधिकार भी नहीं होंगे ....

और एलजी केंद्र के द्वारा नियुक्त एक एजेंट के रूप में काम करते रहे हैं - और केंद्र मोदी के अधीन है - और मोदी और केजरीवाल के बीच ३६ का आंकड़ा जगजाहिर है ....

मैं फैसले से स्तब्ध हूँ - पर शायद संविधान में ही ऐसा कुछ प्रावधान होना परिलक्षित होता है जो भले ही न्यायसंगत या व्यवहारिक या अपेक्षित ना होते हुए भी संवैधानिक होने के कारण न्यायसंगत मानना अपरिहार्य हो जाता है .. मसलन एक १७ साल के नाबालिग को बलात्कार की सजा होना न्यायसंगत या व्यावहारिक या अपेक्षित होते हुए भी असंवैधानिक होने के कारण नहीं दिया जा सकना भी न्यायसंगत ही हो जाता है .... और यही विडम्बना भी है !!!!

और इसलिए मुझे लगता है कि अब दिल्ली सरकार भले ही सुप्रीम कोर्ट में जाएगी - पर वहां भी यही संविधान आड़े आएगा और इसलिए अपेक्षित निर्णय की बहुत आशा रखना उचित नहीं होगा .... और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाए - ऐसा भी अब होने नहीं दिया जाएगा .... 

इसलिए आज बहुत सोच विचार के मैं केजरीवाल को ये सुझाव देता हूँ कि अब उचित समय दिल्ली सरकार का त्याग कर दिया जाए - और आगे किसी अधूरी सरकार के लिए चुनाव ना लड़ा जाए ....

मेरे सुझाव के पीछे तर्क यह है कि .. क्योंकि एलजी केजरीवाल को काम नहीं करने देंगे - और तमाम मशक्कत के बाद भी दिल्ली में वैसे जनहित के कार्य नहीं किये जा सकेंगे जैसा कि केजरीवाल चाहते और प्रयास करते रहे हैं .... और अंततः दिल्ली की जनता का भला नहीं हो पाएगा और इसका दोष केजरीवाल पर मढ़ा जाएगा और गुनहगार बच जाएंगे .... 

और इस संवैधानिक व्यवस्था से केजरीवाल को बिलकुल भी हताश होने की आवश्यकता नहीं हैं - और ना ही वो हताश होने वाले हैं - बल्कि उन्हें इस स्थिति को एक चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए संविधान को दुरुस्त करने के महा-लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहिए ....

और ऐसे महा-लक्ष्य की पूर्ती के प्रयास में फिलहाल पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त पंजाब और गोवा चुनाव पर १००% ध्यान लगा जीत सुनिश्चित करनी चाहिए - और उसके बाद गुजरात मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ हेतु प्रयास करना चाहिए .... और उसके बाद २०१९ में केंद्र सरकार में अपना वर्चस्व कायम करने के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहिए ....

और मेरा विश्वास है कि - ऐसा ही होगा .... !!!! जय हिन्द !!!!

पुनश्च : मेरा सुझाव अपनी जगह - पर मुझे लगता है कि केजरीवाल उपरोक्त परिस्थिति को भी राजनितिक रूप से धाँसू तरीके से भुनाएंगे .. क्योंकि अबसे हर समस्या के लिए एलजी को ही दोषी ठहराया जाएगा .... सड़क पे गड्ढा हो - डेंगू हो - सर्दी लगे - हवा खराब हो - गाय मरे - सूअर जिए - यानि अब हर समस्या के लिए एलजी / मोदी दोषी होंगे - होंगे ही - होने भी चाहिए - है ना - हा ! हा !! हा !!! .... और इसलिए अब मुझे भी भक्तों का उपयुक्त उपहास करने में और आसानी होगी .... इसलिए भक्तों को भी चेतावनी .. !!!! सावधान !!!!

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Wednesday 3 August 2016

// ये लो !! पाक में राजनाथ का विरोध हो गया - और पाक 'एक्सपोज़' हो गया ?? ..//


सार्क सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व करने हमारे गृह मंत्री राजनाथ सिंह पाकिस्तान पहुँचा दिए गए ....

और उनके वहां पहुँचते ही उनका विरोध हो गया .. उनके विरुद्ध नारे लग गए .. और विरोध का नेतृत्व होना पाया गया हिजबुल सरगना आतंकी सैय्यद सलाउद्दीन के द्वारा .. और भारत को कुछ स्पष्ट हुआ और तथ्यात्मक आरोप लगा दिया गया कि इस विरोध को पाकिस्तान की सरकार का भी समर्थन रहा ही होगा ....

पर सारे टुच्चे मिलकर भी हमारे साहसिक राजनाथ जी का बाल भी बांका करने की हिम्मत नहीं कर पाए .... और अंततः केवल चिल्लाचोट कर रुखसत हो लिए .... 

और इसलिए भारत अपने किये पर संतुष्ट होता दिख रहा है .. क्योंकि भारत का ऐसा मानना भी सार्वजनिक हो रहा है कि ऐसी वारदातों से पाकिस्तान विश्व पटल पर और 'एक्सपोज़' हो रहा है ....

और शायद हमें बच्चों जैसे समझाया जा रहा है कि जैसे ही पाकिस्तान 'एक्सपोज़' होगा तो सारे भक्त मिलकर पाकिस्तान को धर दबोचेंगे - और इस तरह पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे दिया जाएगा ?? ....

पर इस बीच - मुझे पता चला कि बांग्लादेश ने अपने गृहमंत्री को पाकिस्तान नहीं भेजकर उसके एवज में जूनियर मंत्री को भेजा .... और नवाज शरीफ ने आज एक बयान जारी कर कहा है कि आज़ाद कश्मीर में ८ जुलाई से एक नए आंदोलन की शुरुआत हो गई है ....

और इसलिए मैं एक बार फिर बहुत भारी दिल से अपने दिमाग की बात कहने पर मजबूर हूँ कि - हद्द हो गई - बांग्लादेश तक हम से आगे निकल गया .... और मोदी सामान्य कूटनीति तक में दिव्यांग साबित हो गए और संयमित उपयुक्त वांछित निर्णय लेने में अक्षम साबित हो गए .... स्थितियां विकट हैं - और विकट ही नहीं दयनीय भी हैं - और शर्मनाक भी .... और वो इसलिए भी कि पाक-नापाक तो बहुत पहले से एक्सपोज़ हुआ पड़ा है - अब तो मोदी एक्सपोज़ हो रहे हैं - भारत एक्सपोज़ हो रहा है .. इसलिए ..
!!!! पुनः सावधान !!!!

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// मोदी जी को १० दिनी केजरी विपश्यना का पूरा लाभ प्राप्त करने की मुफ्त सलाह ..//


भक्तों को बहुत तकलीफ रहती आई है - केजरीवाल से .. और तकलीफ ये कि केजरीवाल हर सुबह उठ कर मोदी को बुरा भला कहते रहते हैं .... अब ये बात तो ठीक है पर पूरी नहीं - क्योंकि मैंने केजरीवाल को हर सुबह मोदी को बुरा ही कहते सुना है - भला कुछ कहा हो याद तो आ नहीं रहा .... 

पर केजरीवाल कभी भी मोदी को कोसते नज़र नहीं आए - इनके सामने रोते नज़र नहीं आए - या कभी गिड़गिड़ाते नज़र नहीं आए .... जब भी मौक़ा लगा हमेशा ललकारते चेताते डपटते गुस्साते या झल्लाते ही दिखे - और डरते तो कभी नहीं - और झुकते तो कदापि नहीं ....

और इसके उलट स्वयं मोदी कोसने के माहिर निकले .. जब देखो वो कांग्रेस और ६० साल और राहुल सोनिया को ही कोसते रहे हैं - यहां तक कि नेहरू के नाम पर तो इस शिद्दत से रोते हैं जैसे कि नेहरू ने कभी इनको बचपन में कान पकड़ चपतिया दिया हो - या कड़ी धूप में उकडू करा मुर्गा बनवाया हो ....

और अब तो मोदी जी जब तब देखो जनता के सामने कुछ डरे सहमे हुए से गिड़गिड़ाते ही नज़र आए कि - मुझे तो अभी २ साल ही हुए हैं - मुझे इतनी जल्दी मत नकारो .... मुझे अभी थोड़ा वक्त और दो .. मेरा हनीमून पीरियड चल रहा है .. मैनें प्रयास बहुत किया है - मैं सुबह शाम लगा हूँ - मैंने अभी तक तो कोई भ्रष्टाचार भी नहीं किया है .. मैनें तो गैस दे दी - खाते खुलवा दिए .. मित्रो भाइयों बहनो - मैं मैनें मेरा मुझे .. आदि ..

और इस गिड़गिड़ाहट के दौरान वो कभी भी केजरीवाल का नाम लेते नहीं पाए गए .... केजरीवाल का नाम वो सालों पहले लिए थे जब उन्होंने उन्हें एके-४९ कहा था - बदनसीब कहा था - नक्सली कहा था - पाकिस्तानी एजेंट कहा था - रात के अँधेरे में २ करोड़ का काला धन डकारने वाला कहा था - फोर्ड फाउंडेशन से चंदा लेने वाला कहा था - भगोड़ा कहा था .... पर तब मोदी नादान थे - अब थोड़ा सहम गए हैं - थोड़े बड़े हो गए हैं .... अब वो 'साहेब' हो गए हैं .... 

खैर अब केजरीवाल मोदी को बहुत ही बुरा बुरा कहकर १० दिन के विपश्यना करने चले गए हैं .... यानि अगले १० दिन शांति की गारंटी .. और इसलिए मुझे लगता है - मोदी के पास ये स्वर्णिम समय है कि वो केजरीवाल से कैसे निपटें इस बारे में आँखें बंद कर सांस रोक पूरा ध्यान केंद्रित कर योग के सारे आसन आजमा कोई तोड़ निकालने की कोशिश कर लें .... क्योंकि इसके बाद शायद मौका नहीं मिले .... क्योंकि विपश्यना से आते ही केजरीवाल मोदी को पंजाब और पंजाबी में बहुत बुरा कहने वाले हैं .. और यकीनन दिल्ली से भी बुरा हाल करने वाले हैं ....

इसलिए मोदी जी को मैं बहती गंगा में हाथ धो लेने और अगले १० दिनी केजरी विपश्यना का पूरा लाभ लेने की मुफ्त सलाह देता हूँ .... और हाँ - मेरे ब्लॉग को भी १० दिन तक ना ही पढ़ें तो स्वास्थ्य के लिए और बेहतर होगा .... धन्यवाद !!!!

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Tuesday 2 August 2016

// गर्भवतियों की जांच मुफ्त में ९ तारीख को .. पर सरकार भी गर्भवती हुई या नहीं ?? ..//


इतिहास गवाह है और मैंने खुद सुना था - रेडियो पर सुना था - और टीवी पर कई सुनते हुओं को देखा था जो भेरू होकर सामूहिक रूप से गौर से सुनने का प्रदर्शन कर रहे थे .. मोदीजी ने इतवार ३१/०७/१६ को 'मंकी बात' में कहा था - "गर्भवतियों की हर माह ९ तारीख को मुफ्त जांच" .... बिल्कुल नई नायाब लगने वाली सरकारी योजना - शुरूआती तालियों की हक़दार ....

पर मेरे दिमाग में एक प्रश्न कौंध रहा है कि - कोई गर्भवती है या नहीं इसकी जांच कब होगी ?? ....

मसलन ये मोदी सरकार का हनीमून पीरियड खल्लास हुए तो ज़माना बीत गया पर ये गर्भवती हुई कि नहीं ?? .. हुई तो कब कैसे ?? .. AK-49 ने तो कुछ गलत नहीं किया ?? .. और नहीं तो होगी भी कि नहीं ?? .. इन सब बातों का कब और कैसे पता चलेगा ?? .... इसकी जांच कौन सी तारीख को होगी ?? ....

और क्या गर्भवतियों की जांच से ये भी पता चलेगा कि 'ही' है या 'शी' या 'हीशी'' ?? .. और क्या जच्चा बच्चा दोनों ठीक हैं या नहीं ?? .. और क्या दोनों की जान बच जाएगी ?? ....

मसलन मोदी सरकार के गर्भ में 'विकास' है या 'दुर्दशा' - या कोई 'नक्सली' तो नहीं - और क्या प्रसव उपरांत दुर्दशा टिक पाएगी और मोदी सरकार बच जाएगी ?? ....

और मान लो यदि मोदी सरकार गर्भवती है तो क्या इसकी जांच भी ९ तारीख को होगी ?? ....

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Monday 1 August 2016

// आमिर का नाम भले ही ना लिया हो - पर इस मंत्री का नाम मोहन पर्रिकर है ....//


एक है हमारे ऐसे मंत्री जो पहले गोवा के मुख्यमंत्री थे ....

और एक हैं आमिर खान .... जिन्होंने कभी असहिष्णुता की बहस के बीच खुल्लमखुल्ला नाम लेकर कहा था कि उनकी बीवी किरण राव अपना भारत देश यानि इंडिया छोड़ने पर विचार कर रही हैं .... और मंत्री के विपरीत आमिर खान किसी परिचय के मोहताज नहीं ....

तो गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री जो अभी ५६ इंची सरकार के रक्षा मंत्री भी हैं - उन्होंने भाजपाई स्तर का बयान दिया जिसका साफ़ मतलब था कि आमिर खान को सबक सिखा दिया गया था - और आगे भी जो आमिर कहाँ जैसा व्यवहार करेगा उसे भी सबक सिखा दिया जाएगा ....

इस पर संसद में मुद्दा उठाया गया और विपक्ष ने सीधा सवाल पूछ लिया कि भाई - कैसा सबक सिखाया था ?? .. और किसे और कैसा सबक सिखाया जाएगा ?? .... और हंगामा हो गया .. और फूंक निकल गई .... 

इसलिए इस पर उस बड़बोले मंत्री ने संभलते हुए कहा - मैंने किसी का नाम तो लिया ही नहीं था ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

लगता है ये मंत्री नामर्द है जिसमें इतनी हिम्मत भी नहीं कि बोल सके कि हाँ मैंने आमिर के बारे में ही हेकड़ी भरी बातें बकी थीं .... बात यहाँ ख़त्म !!!!

और मालूम हो कि -  जो कभी गोवा के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और अभी रक्षा मंत्री हैं - उनका नाम है मोहन पर्रिकर  - और वो बहुत बकवास करते रहते हैं ....

अब भक्त सोचें कि मैंने भी किसी का नाम लिया या नहीं लिया ?? .. हा ! हा !! हा !!! ....

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// मृत पशु और कचरा मैला अब कौन उठाएगा ?? .. सेवक चौकीदार या पोस्टमैन ?? ..//


बहुमुखी सर्वजन अनुपयोगी प्रतिभा के धनी हमारे नमो जी हमेशा बघारते रहते हैं .... हमेशा हरकतें करते रहते हैं .... मसलन गलियों में झाड़ू लगा चुके हैं - घाटों की सफाई कर चुके हैं - योग कर चुके हैं - झूला झूल चुके हैं - ड्रम बजा चुके हैं - शादी कर चुके हैं - घर से भाग चुके हैं - स्कूली पढ़ाई पूरी कर चुके हैं - दुनिया घूम चुके हैं - बिना छुट्टी वर्षों लगातार काम कर चुके हैं - एक दिन में कई चुनावी रैलियां कर चुके हैं - कई चुनाव जीत चुके हैं - कई चुनाव हरवा चुके हैं - नाना प्रकार के महँगे वस्त्र और टोपे धारण कर चुके हैं - हारे हुए टुच्चों को मंत्री बनवा चुके हैं - और जीते हुए काबिलों की छुट्टी कर चुके हैं - अपनी छाती ५६ इंच फुला चुके हैं - अपने कई विरोधियो को चित्त कर चुके हैं - और केजरीवाल से कई बार मात खा चुके हैं ....

और नमो जी कइयों के मित्र - भाई - सेवक - चौकीदार और रीसेंट में पोस्टमैन होने का दावा कर चुके हैं ....

पर वो इतना सब कुछ कर भी कभी प्रधानमंत्री हो जाने की दुर्घटना होने के कारण उनसे अपेक्षित कार्य करते नहीं दिखे .. गोया कि चुनांचे - वो स्वयं या भाजपा के लिए सब कुछ कर सकते हैं - पर प्रधानमंत्री का काम नहीं कर सकते .. क्योंकि उन्हें ये काम करते आता ही नहीं है ....

पर इस सत्य के कारण पूर्ण निराश होने की भी आवश्यकता नहीं है .. क्योंकि उनकी ये अद्भुत काबलियत भी देश के लिए लाभकारी हो सकती है ....

अब देखिये दलितों ने एक शानदार ऐतिहासिक स्वागतयोग्य बहुअपेक्षित निर्णय करा है कि वो आइंदा मृत पशुओं को और कचरा मैला उठाने का कार्य नहीं करेंगे .... 

मैं उपरोक्त निर्णय से बेहद खुश और आशान्वित हूँ और दलितों को बधाई देता हूँ .... क्योंकि मेरे हिसाब से ये एकमात्र संकल्प दलितों के उत्थान में सहायक होगा और कई बद-दिमाग लोगों के दिमाग ठिकाने लगाने में कारगर होगा ....

यह एक ऐसा निर्णय है जो देश की दशा और दिशा तय करेगा - और मोदी जी को धता बताते हुए मोदी जी के द्वारा दिए नारे 'सबका साथ सबका विकास' को सार्थक कर देगा .... क्योंकि वर्षों बाद दलित उनके द्वारा पीढ़ियों और सदियों से किये जाने वाले अत्यंत कठिन कार्य की अहम् महत्ता को समझेंगे - और समझेंगे कि सुनार जैसा कार्य तो फिर भी कोई कर लेगा पर मृत पशु और मैला उठाने का कार्य हर किसी के बस का नहीं .... उन्हें ये बात समझ पड़ेगी कि एक कार्यालय में सामान्य कार्य करने वाले के वेतन से भी अधिक वेतन या मेहनताना ऐसे कठिन कार्य करने वाले का होना चाहिए .... और उन्हें अपनी सर्वोच्च उपयोगिता का एहसास होगा ....

और इसलिए प्रश्न उठता है कि मृत पशु और कचरा मैला अब कौन उठाएगा ?? ....

और मेरा उत्तर है .. भक्त हैं ना - देशभक्त भी हैं ना - गौरक्षक तो हैं ही ना .. वो तमाम उपदेशक और प्रचारक और गुरु हैं ना जो बताते आए हैं - अपना कार्य स्वयं करो .. और कई हज़ारों विधायक और सांसद है ना जिनके दिल दिमाग में जनसेवा करने का जुनून ही समाया रहता है .... और फिर नमो जी तो हैं ही ना ?? .... इसलिए इस विषयक चिंता की कोई बात नहीं ....

पर मुझे चिंता एक बात की जरूर है - कि दलितों के निर्णय को कहीं बहला फुसला या दमन कर वापस लेने को मजबूर ना कर दिया जाए .... और कहीं ये ऐतिहासिक स्वर्णिम करवट बेकार ना चली जाए ....

इसलिए मैं आज दलितों से आह्वाहन करता हूँ कि अपने निर्णय पर अडिग रहें - अपने आत्मसम्मान को समझें - वो कठिन कार्य अब बाकी सब लोगों को भी करने के लिए मजबूर करें - और यदि वो कठिन कार्य करना ही चाहें तो उसकी भरपूर रकम वसूल कर अपनी और अपने परिवार की सामाजिक स्थिति को बेहतर और अन्य के समकक्ष लाएं .... और इस प्रकार मुख्यधारा में आकर पूरे देश के समग्र विकास को मूर्त रूप देने की कृपा करें .. यह देश आपका ऋणी रहेगा .. धन्यवाद !!!! जय हिन्द !!!!

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