"चोर चोर मौसेरे भाई" .... कहावत पुरानी है ....
और शायद उपरोक्त कहावत यह इंगित करती थी कि चोरों में भी आपस में करार था .... जैसे कि - तू मेरी पोल मत खोल मैं तेरी नहीं खोलूंगा - तू मेरे भाई जैसा मैं तेरे भाई जैसा ....
और नतीजा !! .. चोरी का धंधा चल निकला .... चोर सक्षम धनाढ्य और संभ्रांत होते गए .... और एक दूसरे की सार्वजनिक इज़्ज़त करने लगे ....
या यूँ कहें कुछ यूँ चल पड़ा कि - मैं तुझे टोपी पहनाता हूँ - तू मुझे पगड़ी पहना दे .... ना मैं तेरी टोपी उछालूं ना तू मेरी पगड़ी उछाल .. और मिलीभगत से चोरी का धंधा चलने दिया जाए .. मिल बाँट कर खाया पिया जाए ....
यानि समय बदला और उन मौसेरे चोरों को एक दूसरे की सहायता और सहयोग और आवश्यकता महत्वपूर्ण लगने लगी .. और इसलिए कहावत भी बदली .... "तू मेरी पीठ खुजा - मैं तेरी पीठ खुजाता हूँ" ..!!
यहां तक तो ठीक था .... पर अब इन मौसेरे चोरों का स्तर इतना गिर गया है कि मुझे लगता है इन्हीं के लिए नई कहावत चल निकली है .... "तू मेरी धो मैं तेरी धोता हूँ" .... छिः !!
ऑगस्टा वेस्टलैंड डील में लिप्त चोर शायद यही कर रहे हैं .... जी हाँ - "तू मेरी धो मैं तेरी धोता हूँ" ....
और मज़े की बात ये है कि दुर्भाग्य से सूखा पड़ गया है - पानी है नहीं - और सडांघ फ़ैल रही है .... ना इस चोर की धुल रही है ना उस चोर की धुल रही है .... और चोर नंगे बदहवास चिल्लाचोट मचाते इधर उधर घूम कर माहौल ख़राब कर रहे हैं .... जैसे धमकी दे रहे हों - पहले तू मेरी धो नहीं तो .. .. ..
इसलिए मुझे लगता है कि समय आ गया है इन सब चोरों की टोपी पगड़ी उतार - पीठ पर खुजली का पाउडर लगा - इन्हें नंगा कर जेल में मवेशियों के साथ बंद कर देना चाहिए - या ऐसा ही कुछ उपयुक्त कारगर .. जहाँ ये मवेशियों की ही तरह बिना धोए बाकी ज़िन्दगी निकाल सकें - है ना !!
पुनष्च : मित्रों !! मेरा ये हल्की भाषा में लिखा लेख आप सभी से माफ़ी के साथ .. उच्च कोटि के भक्तों को और ऑगस्टा वेस्टलैंड डील के मौसेरे चोरों को समर्पित !!
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