Saturday 30 April 2016

// "तू मेरी धो मैं तेरी धोता हूँ" .. छिः !! ....//


"चोर चोर मौसेरे भाई" .... कहावत पुरानी है ....

और शायद उपरोक्त कहावत यह इंगित करती थी कि चोरों में भी आपस में करार था .... जैसे कि - तू मेरी पोल मत खोल मैं तेरी नहीं खोलूंगा - तू मेरे भाई जैसा मैं तेरे भाई जैसा ....  

और नतीजा !! .. चोरी का धंधा चल निकला .... चोर सक्षम धनाढ्य और संभ्रांत होते गए .... और एक दूसरे की सार्वजनिक इज़्ज़त करने लगे ....
या यूँ कहें कुछ यूँ चल पड़ा कि - मैं तुझे टोपी पहनाता हूँ - तू मुझे पगड़ी पहना दे .... ना मैं तेरी टोपी उछालूं ना तू मेरी पगड़ी उछाल .. और मिलीभगत से चोरी का धंधा चलने दिया जाए .. मिल बाँट कर खाया पिया जाए ....

यानि समय बदला और उन मौसेरे चोरों को एक दूसरे की सहायता और सहयोग और आवश्यकता महत्वपूर्ण लगने लगी .. और इसलिए कहावत भी बदली .... "तू मेरी पीठ खुजा - मैं तेरी पीठ खुजाता हूँ" ..!!

यहां तक तो ठीक था .... पर अब इन मौसेरे चोरों का स्तर इतना गिर गया है कि मुझे लगता है इन्हीं के लिए नई कहावत चल निकली है .... "तू मेरी धो मैं तेरी धोता हूँ" .... छिः !!

ऑगस्टा वेस्टलैंड डील में लिप्त चोर शायद यही कर रहे हैं .... जी हाँ - "तू मेरी धो मैं तेरी धोता हूँ" ....

और मज़े की बात ये है कि दुर्भाग्य से सूखा पड़ गया है - पानी है नहीं - और सडांघ फ़ैल रही है .... ना इस चोर की धुल रही है ना उस चोर की धुल रही है .... और चोर नंगे बदहवास चिल्लाचोट मचाते इधर उधर घूम कर माहौल ख़राब कर रहे हैं .... जैसे धमकी दे रहे हों - पहले तू मेरी धो नहीं तो .. .. ..

इसलिए मुझे लगता है कि समय आ गया है इन सब चोरों की टोपी पगड़ी उतार - पीठ पर खुजली का पाउडर लगा - इन्हें नंगा कर जेल में मवेशियों के साथ बंद कर देना चाहिए - या ऐसा ही कुछ उपयुक्त कारगर .. जहाँ ये मवेशियों की ही तरह बिना धोए बाकी ज़िन्दगी निकाल सकें - है ना !!

पुनष्च : मित्रों !! मेरा ये हल्की भाषा में लिखा लेख आप सभी से माफ़ी के साथ .. उच्च कोटि के भक्तों को और ऑगस्टा वेस्टलैंड डील के मौसेरे चोरों को समर्पित !!

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Friday 29 April 2016

// अब तो शाह को भी मोदी की औकात पता चल गई ....//


ऑगस्टा वेस्टलैंड डील !! .. अब तो सिद्ध भी हो चुका और सभी पक्ष ये मान रहे हैं और कह रहे हैं और ५६ इंची छाती कूट-कूट कर दावा कर रहे हैं - कि भ्रष्टाचार हुआ - और भारत में 'होनहार' भारतियों को रिश्वत दी गई ....

और अब तो बस ये ही पता पड़ना शेष रहा है कि वो 'होनहार' टुच्चे भ्रष्ट भारतीय कौन थे जिन्हें वो रिश्वत पहुंची ....

वैसे तो ये पता लगाना आसान होना चाहिए - पर शायद इसे मुश्किल सा बनाया या बताया जा रहा है .. शायद इसलिए कि कहीं मज़ाक-मज़ाक में पोल खुल ही ना जाए .. और हमाम के सभी नंगे पारदर्शी प्रदर्शित ना हो जाएं ....

पर हमारे देश में एक सबसे अजब गजब हास्यास्पद हस्ती है .. और उसका नाम है अमित शाह .... आप उसे अब थोड़ी इज़्ज़त के साथ मासूम अमित शाह भी कह सकते हैं ....

और जनाब जब से मुझे ये मालुम पड़ा है कि अमित शाह ने सोनिया गांधी से मासूम सी मांग कर मारी है कि अब वो सभी रिश्वत प्राप्त करने वाले लोगों के नाम बताएँ - मैं हंस रहा हूँ .. पर साथ ही अमित शाह की मासूमियत का कायल भी हो रहा हूँ ....

और वो इसलिए कि अमित शाह ने कम से कम एक तथ्य तो सिद्ध करने का प्रयास किया है कि मोदी बिल्कुल फडतूस हैं निकम्मे हैं - और शायद उनकी तो औकात ही नहीं कि वो बता सकें कि रिश्वत किसने ली .... और शायद सोनिया आज भी एक हस्ती है जिसकी औकात अभी शेष है जो मोदी से कहीं ज्यादा है ....

ऐसे में मैं ऐसा भी मानता हूँ कि मोदी सरकार और भाजपा को शहज़ादे की माँ और जीजाजी की सास सोनिया को "राजमाता" का दर्जा दे ही देना चाहिए ....
और मोदी को एक सेवक का - "अकर्मण्य सेवक" !! ....

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Wednesday 27 April 2016

// कांग्रेस फिर भ्रष्टाचारी - और मोदी फिर शर्मनाक ही सिद्ध हो रहे हैं ....//


ऑगस्‍टा वेस्‍टलैंड डील !! .. अब तो ये सुनते सुनते बहुत समय हो गया .. और जितनी बार जीवन में हेलीकाप्टर नहीं देखा होगा उससे १००० गुना ज्यादा बार इस हेलीकाप्टर को टीवी चैनलों पर नैपथ्य में उड़ते देख चुके हैं ... और जितना भरोसा सोनिया राहुल और कांग्रेस सहित मोदी जी को होगा कि इस डील में भ्रष्टाचार हुआ था - उससे  भी १००० गुना भरोसा मुझे हो चुका है कि इस डील में भ्रष्टाचार हुआ था ....

और छोडो मेरे भरोसे को - अब तो इटली की कोर्ट ने भी माना- घोटाला हुआ और रिश्‍वत दी गई ....

और इस घपले में जो नाम आए हैं और जिन पर भाजपा ख़ुशी का सार्वजानिक इज़हार कर रही है उनमें कुछ नाम हैं - प्रणब मुखर्जी - मनमोहन सिंह - सोनिया गांधी - राहुल गांधी - एके अंटोनी - गुलाम नबी आज़ाद - ऑस्कर फर्नांडिस - एसपी त्यागी - एमके नारायणन .. आदि !!

मेरी प्रतिक्रिया ....

मोदी जी !! ये जितने नाम भी इस भ्रष्टाचार में सामने आ रहे हैं उनको जनता ने नकार कर ही आपको सत्तासीन किया था - पूरे २ वर्ष पहले .... और आपने देश को विश्वास दिलाया था कि "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" .... और जैसा कि आप आपकी भाजपा और मैं भी यह मान रहे हैं कि भ्रष्टाचार हुआ तो प्रश्न उठता है कि इस पूरे भ्रष्टाचार में लिप्त भ्रष्टाचारियों को सजा होगी कि नहीं - और होगी तो कैसे - कौन उचित कार्यवाही करेगा - और कौन दोषियों को सजा दिलवाएगा ????

स्पष्ट है कि इटली की सरकार ने तो त्वरित कार्यवाही कर दी है - जो अब एक नज़ीर के रूप में ही देखी जाएगी .. पर आप क्या कर रहे हैं ?? आपके तोते क्या कर रहे हैं ?? - आपके मंत्री क्या कर रहे हैं ?? - आपके गुर्गे क्या कर रहे हैं ????

मोदी जी !! अभी तक दिखा तो कुछ नहीं कि आपने भी कुछ किया हो - सिवाय इसके कि जब इटली की अदालत का निर्णय आया है तो आप सब नाचने चिल्लाने गर्राने लगे हैं .. और आप सब अब आपके प्रिय अखाड़े संसद में दांव पेंच लगाने की तैयारी में लगे हैं ....

यानि .. भले ही कांग्रेस भ्रष्टाचारी सिद्ध क्यों न हो रही हो - आप फिर शर्मनाक ही सिद्ध हो रहे हैं .... 

शर्मनाक !! .. जी हाँ मोदी जी शर्मनाक - क्योंकि विश्वास नहीं होता कि आप भी भ्रष्टाचार के विरुद्ध कुछ भी करने के इच्छुक या सक्षम हैं .... और इसलिए मेरा विश्वास बढ़ता ही जा रहा है कि "इस हमाम में सब नंगे ही हैं" ....

और मोदी जी !! विशेषकर केजरीवाल की ये बात तो सिद्ध होती ही जा रही है कि आपमें औकात नहीं कि एक चूहा भी अंदर कर सकें .... इसलिए पुनः दोहराता हूँ - शर्मनाक !!

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// ये मामला टुच्चों द्वारा बेशकीमती देश की लगाई गई टुच्ची कीमत का जो है ..//


मोदी सरकार के वर्चस्व में रहते जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का आरोप लगा था .... ढाई माह पूर्व ....
और अब जाकर उस पर जेएनयू के प्रशासन ने रुपये १००००/- का जुर्माना लगाया है ....
जेएनयू प्रशासन ने अन्य छात्रों पर भी कुछ जुर्माना लगाया है - और कुछ को रेस्टीकेट भी किया है ....

और इसलिए तय है कि जेएनयू प्रशासन ने ये भी तय पाया ही होगा कि जेएनयू कैंपस में वो देशद्रोही नारे लगे थे जिन्हें भाजपा प्रवक्ता और कुछ अपने आप को देशभक्त कहने वाले बार-बार हर्षोल्लास से दोहराते रहे हैं .... यानि कैंपस में देशद्रोह का जुर्म तो घटित हुआ ही माना गया होगा ....

और इसलिए प्रश्न उठता है कि क्या देशद्रोह की सजा रूपये १००००/- मात्र ????

या फिर क्या देशभक्तों का खून "भारत माता की जय" के नारे लगाने के बाद गरम होने के बजाय ठंडा पड़ गया है ????

और प्रश्न तो यह भी उठता है कि अब तक भी बहुत पहले से उठते प्रश्नों के उत्तर किसी देशभक्त या भक्त के हलक से बाहर टपके क्यों नहीं कि वो देशद्रोही नारे लगाने वाले किस के भक्त थे ?? किस के प्रिय थे ?? .. या किसके बाप थे ?? ....

और ये मोदी सरकार कर क्या रही है ?? या कुछ कर क्यूँ नहीं रही है ?? या कुछ भी कर क्यूँ नहीं पा रही है ?? .... या इस सरकार के डीएनए में आखिर ये गड़बड़ क्या है ?? 

और इसलिए मुद्दे का प्रश्न तो अब ये है कि इस सरकार या सरकार के मुखिया पर भी रूपए १००००/- का जुर्माना क्यूँ न लगा दिया जाए ?? .. जी हाँ - इस देश के साथ देशद्रोह करने का नियत जुर्माना रूपए १००००/- ????

सोचियेगा ज़रूर .... १०००० बार सोचियेगा .. क्योंकि मामला टुच्चों द्वारा बेशकीमती देश की लगाई गई टुच्ची कीमत का जो है .. है ना !!

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Tuesday 26 April 2016

// अब हम किसके सामने अपना दुखड़ा रोएं ??....//


यदि न्याय के एक ही प्रतिपादित सिद्धांत को मान लें कि - "ससमय न्याय नहीं मिलना अपने आप में ही अन्याय है" - तो शायद दावा करना गलत ना होगा कि इस देश की न्याय व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो चुकी है .... 

और इस न्याय व्यवस्था को चाक-चौबंद करने की जवाबदारी हम कह सकते हैं कि दो शीर्षस्थ व्यक्तियों की ठहराई जा सकती है .... सर्वोच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश और प्रधानमंत्री ....

और मेरी समझ में हम देशवासियों ने और इस देश की संवैधानिक कानून व्यवस्था ने इन दोनों व्यक्तियों को इतना अधिकार और स्वतंत्रता तो दे ही रखी है कि ये दोनों महानुभाव आपस में अपने मन की बात - अपने दायित्वों की बात - अपनी पीड़ा अपना दुःख अपनी समस्या आदि पर कोई भी बात कभी भी कर ही सकते हैं .... वैसे क्योंकि रहते भी दोनों दिल्ली में ही हैं - इसलिए शौकिया तौर पर ही सही 'चाय पे चर्चा' भी कभी भी और कई बार कर ही सकते हैं - बिना किसी रोकटोक के ....

और हाँ - दोनों के पास लिखने लिखाने वाले काबिलों की तो पूरी फ़ौज है - इसलिए ये चाहें तो पत्रों का आदान प्रदान भी कर ही सकते हैं - बिना किसी रोकटोक के ....

पर अभी हाल ही में न्यायाधीश महोदय ने ना मालूम क्यों अपना दुखड़ा रो दिया प्रधानमंत्री के सामने एक सार्वजनिक समारोह में .. और प्रधानमंत्री ने भी सुन लिया .. और बहुत संजीदा हो सार्वजनिक इज़हार कर दिया कि समस्या का उन्हें संज्ञान है ....

और !! .... और फिर क्या ?? .... बस !! .... और क्या ?? कब ?? कैसे ?? क्या ?? ....

तो अब आप भी सोचें और मैं तो सोच ही रहा हूँ कि इन रोने धोने वालों से ही कहा जाए कि ....

रोने वालों से कहो उनका भी रोना रो लें .. जिनको मजबूरिये हालात ने रोने ना दिया ....
या फिर ....
सुनने वालों से कहो उनका भी रोना सुन लें .. जिनको मखौलिये हालात में सुना ना गया ....

या फिर ....

क्रन्तिवीरों से कहो उनसे भी बदला ले लें .. जिनको सुरक्षा के हालात ने ठुकने ना दिया ....

या फिर .... कोई हमें बताए कि अब हम किसके सामने अपना दुखड़ा रोएं ??

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Friday 22 April 2016

// मूर्खों की भाजपा में सबसे बड़े मूर्ख हैं या बड़बोले ?? ..//


उत्तराखंड में अपनी बची खुची इज़्ज़त की बेइज़्ज़ती करा बैठी भाजपा अब कह रही है कि उसके पास पहले भी बहुमत था - आज भी बहुमत है - और २९ अप्रैल को भी बहुमत सिद्ध हो जाएगा ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

यदि भाजपा का दावा सही सिद्ध हो जाता है तो फिर तो निर्विवाद रूप से ये भी स्वतः ही सिद्ध हो जाएगा कि मूर्खों की भाजपा में सबसे बड़े मूर्ख हैं .... कारण जिनके पास बहुमत हो और वो अपनी ऐसी दुर्दशा करवा के अब तक सत्ता से बेदखल बैठे हों - तो वो तो मूर्खों के सरगना ही हो सकते हैं ....

और यदि भाजपा का दावा २९ अप्रैल को झूठा सिद्ध हो जाता है तो फिर तो निर्विवाद रूप से ये सत्य भी स्वतः ही सिद्ध हो जाएगा कि मूर्खों की भाजपा में कुछ मूर्ख बड़बोले भी हैं .... कारण जिनके पास बहुमत ना हो और वो अपनी ऐसी दुर्दशा हो जाने के उपरांत भी सत्ता पाने के लिए चीत्कार कर रहे हों - तो ऐसा तो बड़े वाले बड़बोलों की बदौलत ही हो सकता है ....

यानि अब मेरी उत्सुकता तो मात्र इतना जानने की बची है कि - मूर्खों की भाजपा में सबसे बड़े मूर्ख हैं या बड़बोले ??

वैसे उत्सुक तो भक्त भी भतेरे होंगे .. जो अब भी एन-केन-प्रकारेण उत्तराखंड में सत्ता पा जाने की उत्सुकता से इंतज़ार कर ही रहे होंगे .... है ना !! 

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Thursday 21 April 2016

// अब उत्तराखंड का हर वासी शान से बोल सकेगा .. "भारत माता की जय" ..//


उत्तराखंड में मोदी की केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन थोपने के निर्णय की धज्जियां उड़ाते हुए आज उत्तराखंड उच्च न्यालय ने वहां लगाया राष्ट्रपति शासन हटा दिया - हरीश रावत पुनः मुख्यमंत्री हुए - भाजपा के वशीभूत बागी ९ कॉंग्रेसी विधायक भी अयोग्य घोषित .... और अब २९ अप्रेल को विधानसभा पटल पर शक्ति प्रदर्शन ....

सब कुछ स्वप्न सा लग रहा है - क्योंकि इस देश में न्याय होना और इतना त्वरित होना एक खुशनुमा स्वप्न ही कहा जा सकता है .... पर जो सत्य है .... स्वागतयोग्य है ....

तो अब २९ को शक्ति परीक्षण ?? .... ठीक है वो भी हो जाएगा - और हो सकता है आज की शक्तिशाली भाजपा इस शक्ति परीक्षण में जीत भी जाए .... पर भाजपा अब नैतिकता के परीक्षण पर बहुत बुरी हार चुकी है ....

और अब जब कि मोदी के २ साल के शासन के बाद ये तो तय हो चुका था कि देश में कालाधन नहीं आएगा .. विकास का जन्म ही नहीं होगा .. ललित लौटेगा नहीं माल्या लाया नहीं जाएगा .. ना वाड्रा ना वसुंधरा ना शिवराज का बाल भी बांका होगा .. एक "चूहे" समकक्ष नेता भी जेल नहीं जाएगा .... पर आज कुछ एक बातें और पुख्ता हो गईं .... जो निम्नानुसार हैं ....

आज भक्त हैरान परेशान होंगे - और कल निराश ..
अब भारत कांग्रेस मुक्त नहीं हो सकेगा ..
अब भारत के संघ विहीन सशक्त हो जाने की संभावनाएं बहुत बढ़ गई हैं .. 
मोदी अपना ५ साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकेंगे ..
और अब इस प्रश्न का जवाब देश का हर समझदार बच्चा तक भी आसानी से दे देगा कि मनमोहनसिंह और मोदी में बेहतर कौन ??
और अब भाजपा न्यायालयों के हर निर्णय को उत्साह पूर्वक न्यायसंगत बताने से परहेज़ करेगी .. हा !! हा !! हा !! 

और .... अब उत्तराखंड का हर वासी शान से बोल सकेगा .. "भारत माता की जय" ..

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Monday 18 April 2016

// यदि तुम्हारी कोई 'प्लानिंग' नहीं - तो हमारी भी 'बिना प्लानिंग' दे दनादन ..//


उमा भारती - केंद्रीय मंत्री - जल संसाधन नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग .... यानि सभी मंत्रालय पानी से संबंधित .... और देश में पड़ गया सूखा .. और सरकार अकर्मण्य .... और कुछ कर्म किये भी तो बहुत देरी से ....

और जब आरोप लगे तो उमा भारती ने कर दिया घटिया तरीके से पुरजोर खंडन .... उन्होंने तो पहले अपनी ही पीठ थपथपाई और कहा कि इतिहास में संभवत: पहली बार पानी के संकट से निपटने के लिए वॉटर ट्रेनें भेजी गई हैं ....लेकिन जब उनसे पूछा गया कि सरकारी नियमों के मुताबिक तो वॉटर ट्रेनों और टैंकरों का इस्तेमाल अंतिम उपाय होता है - तो उमा भारती ने कहा कि सूखा एक ऐसी अवधारणा है जिसके लिए पहले से किसी तैयारी का कोई मतलब नहीं होता .. यानि सूखे के लिए पहले से कोई प्लानिंग का मतलब नहीं .... 

मेरी प्रतिक्रिया ....

यूँ तो प्लानिंग हर सार्थक कार्यों के लिए जरूरी होती है - पर समझदार लोग तो दुर्घटना हो जाने की आशंकाओं तक के मद्देनज़र भी प्लानिंग कर ही लेते हैं .... मसलन बीमा को ही ले लें तो मृत्यु की आशंका के मद्देनज़र ही तो जीवन बीमा कराया जाता है ....

लेकिन जो मूर्ख होते हैं वो ना तो दुर्घटनाओं की आशंकाओं या संभावनाओं का पूर्वानुमान ही लगा पाते हैं - ना ही वे प्रत्यक्ष रूप से आगामी विपदा आने का पूर्वानुमान ही लगा पाते हैं .... और हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं ....

लेकिन ऐसा भी नहीं कि हर ही चीज़ में प्लानिंग की ज़रुरत हो .... मसलन लोगों को ठगने मूर्ख बनाने आदि जैसे कामों में प्लानिंग के बजाय त्वरित स्थितियों अनुरूप भी कार्य किया जाता है .... या कभी कभी तो कार्य भी नहीं केवल लफ़्फ़ाज़ी और बयानबाज़ी से ही काम चला लिया जाता है .. या कभी कभी तो मात्र टुच्चाई से ही ....

और मोदी सरकार ऐसे ही तो चल रही है .... किसी भी सार्थक कार्यो के लिए बिना किसी प्लानिंग के .. केवल रोज़ाना नया मुद्दा नया विवाद नया बयान और दे पेलम पेल .... जब जैसा बन पड़े कर दो या कह दो .... बस !! 

और इन्हें शायद सही सही पूर्वानुमान भी नहीं है - कि जनता ने प्लानिंग कर ली है कि इस सरकार को कैसे हटाया जाए .... या हो सकता है कि आगे जनता भी कोई 'बिना प्लानिंग' त्वरित कार्यवाही कर इस सरकार की छुट्टी कर दे ....

यानि - यदि तुम्हारी कोई 'प्लानिंग' नहीं - तो हमारी भी 'बिना प्लानिंग' दे दनादन .... 

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Saturday 16 April 2016

// इन चिल्लाते रहने वालों की जाँच पड़ताल तो बहुत ही जरूरी है ....//


कई वर्ष पहले की सत्य घटना याद आ गई ....
भरी दोपहर का समय .... पड़ोस के मकान से आवाज़ आई .... चोर !! चोर !! चोर!! ....
कुछ ही देर बाद एक युवक उस मकान से भागते दिखा .... और पीछे पीछे पडोसी और कुछ और पडोसी और कुछ राहगीर भी .... और साथ ही मैं और मेरे भाई भी दौड़ लिए .... सब चिल्लाते हुए .. पकड़ो !! चोर !! चोर !! चोर !! .... बस फिर क्या था .... सबसे आगे दौड़ता वो चोर भी और आगे की तरफ इशारा करते चिल्लाने लगा .. पकड़ो !! चोर !! चोर !! चोर !! .... और कॉलोनी के अन्य लोग कुछ समझ ही ना सके कि चोर कौन और कहाँ .. और देखते ही देखते वो चोर एक गली में घुसा और फिर गायब .... आज तक नहीं दिखा .. ना उसकी फोटो दिखी किसी 'माननीय' के रूप में ....

और ये सत्य घटना आज इसलिए याद हो आई .. क्योंकि आज सत्य के नज़दीक एक अत्यन्त चुटीला चुटकुला पढ़ा ....

रेलवे स्टेशन पर दस लड़के एक पॉकेटमार को पीट रहे थे .... तभी पॉकेटमार चिल्लाने लगा - "भारत माता की जय" .... उसके बाद से सब देशद्रोही लड़के जेल में हैं .. और पॉकेटमार मीडिया की सुर्ख़ियों में छाया हुआ है !!

और ये सत्य घटना और सत्य के नज़दीक ये चुटकुला मैं आज अपनी पोस्ट में इसलिए लिख रहा हूँ कि इसी तर्ज़ पर मैं काफी समय से ये महसूस करता रहा हूँ कि मोदी हमेशा से वस्तुस्थिति के ठीक विपरीत चिल्लाते रहे हैं - "सबका साथ सबका विकास" .. "हमारी सरकार धर्मनिरपेक्ष और संवेदनशील सरकार" .. आदि ....

मेरा निष्कर्ष ....

कुछ चालाक दुष्प्रवृत्ति लोग अपनी प्रवृत्ति - कृत्य - मंशा - आदत और करनी के ठीक विपरीत चिल्लाते रहकर भी सफल हो जाते हैं .... इसलिए हर चिल्लाने वाले की जाँच पड़ताल आवश्यक है .... विशेषकर यदि वो चिल्लाने वाला कोई नेता हो तो तत्काल जाँच जरूरी है कि ये चिल्ला क्या रहा है और कर क्या रहा है ....

मसलन और विशेषकर ....
ये "भारत माता की जय" बोलने वालों की देशभक्ति की जाँच जरूरी है ....
ये "जय श्रीराम" बोलने वालों की मर्यादा पुरषोत्तम राम के प्रति आस्था और अनुकरण की जाँच जरूरी है ....
ये बात-बात पर "इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह" बोलने लेकिन अल्लाह को दरकिनार कर खुद की ही मर्ज़ी थोपने वालों की जाँच जरूरी है ....
"मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूँ" - या "मुझ पर विश्वास करें" ऐसा बार-बार बोलते रहने वालों की विश्वसनीयता की जाँच तो बहुत ही जरूरी है ....

इसलिए सजग रहें !! जाँचते रहें परखते रहें .... धन्यवाद !!

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Friday 15 April 2016

// यदि पीएम बेकार निकल जाए तो भी क्या दोषारोपण अम्बेडकर पर ?? ..//


मोदीजी ने कहा .... बर्तन साफ करने वाली मां का बेटा देश का प्रधानमंत्री बना तो इसका श्रेय बाबा साहेब अम्बेडकर को जाता है ....

मैं सहमत नहीं ....

क्योंकि हर बर्तन साफ़ करने वाली का बेटा बहुत सफल व्यक्तित्व बना हो ऐसा हुआ नहीं है .... और इसलिए मैं पीएम बनने का सबसे ज्यादा श्रेय तो उस बेटे को ही दूंगा जो एन-केन-प्रकारेण समस्त पापड़ बेल समस्त झूठ सच बोल अपने बलबूते ही पीएम बन बैठा ....

फिर यदि असली श्रेय जाता है तो उस माँ को जिसने अपनी मेहनत प्यार और इच्छाशक्ति की बदौलत अपने बेटे को आगे बढ़ने का एक मौका मुहैय्या करा दिया ....

और फिर जाकर श्रेय जाता है उस संविधान को जिसकी विशेषता है कि हर व्यक्ति - चाहे वो छोटा हो या बड़ा - वो अपनी क्षमता अनुसार आगे बढ़ सकता है .... पीएम या राष्ट्रपति तक बन सकता है ....

और तब कहीं जाकर श्रेय अम्बेडकर को जाता है जिन्होंने उस शानदार संविधान का निर्माण करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया ....

पर मैं सोच रहा था कि इस तरह या किसी भी अन्य तरह से बना कोई भी पीएम यदि बेकार निकल जाए तो भी क्या हम दोष बाबा साहेब अम्बेडकर को ही देंगे ???? .... नहीं ऐसा मूर्खतापूर्ण दोषारोपण तो सोचा भी नहीं जा सकता .... है ना !!

इसलिए मैं सोचता हूँ कि मोदीजी या फिर मनमोहन सिंह जी के ही पीएम बनने का कोई तीर तुक्का भी अम्बेडकर जी से जोड़ देना उचित नहीं होगा ....
क्योंकि अम्बेडकर जी तो महान थे - और उन्होंने इस देश के लिए जो भी किया अच्छे मन से अच्छा ही किया .... और यदि किसी कारण परिणाम हानिकारक निकले हों तो इसके लिए तो हम सब ही दोषी माने जाएंगे .... अम्बेडकर कदापि नहीं .... इसलिए अब उनकी मृत्यु उपरान्त उन पर किसी भी प्रकार का दोषारोपण या छींटाकशी या कटाक्ष करना या उनका उपहास करना शोभा नहीं देता ....

इसलिए आइये हम सब मिलकर उस महान आत्मा को १२५ वीं जयंती पर सच्चे दिल से बिना किसी लफ़्फ़ाज़ी के श्रद्धांजलि दें .... धन्यवाद !! ....

जय भीम !! .... और .. बर्तन साफ़ करने वाली माता की भी जय !! ....

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Thursday 14 April 2016

// तो देखते रहिये - देश के नसीब में क्या है - अच्छी वर्षा या मोदी ?? ....//


किसी ने सही कहा है - नसीब अपना अपना .... यानि हर किसी के नसीब में सब कुछ नहीं होता है .. और कभी कभी तो किसी का नसीब किसी की बदनसीबी का कारण भी हो जाता है .... और ये व्यक्तिगत नसीब और सामूहिक नसीब का भी अजीबोगरीब संबंध होता है ....

मसलन .. किसी के नसीब में स्वस्थ शरीर हो सकता है तो किसी के नसीब में स्वस्थ मष्तिष्क - तो किसी के नसीब में दौलत तो किसी के नसीब में शोहरत और उच्च पद .... और यदि एक चोर का नसीब दम मार जाए तो साहुकार का बदनसीब - और यदि चोर का नसीब धोखा दे जाए तो पुलिस का नसीब - क्योंकि पुलिस चोर और साहुकार से वसूली कर अपना नसीब तो बना ही लेती है ....

और इसी तरह मैंने अनुभव किया है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री "नसीबवाले" मोदी जी तेल के तो नसीब वाले हैं - पर वो पानी के बदनसीब हैं .... क्योंकि जब से वो अपने नसीब के कारण और देश की बदनसीबी के कारण प्रधानमंत्री बने हैं - तब से तेल का तो तेल निकल गया और मोदी जी की पौ-बारह .. पर तब से ही पानी की किल्लत बढ़ती ही गई और सूखा भी पड़ गया ....

वैसे तो एक फोकटिए माननीय नसीब वाले के अनुसार सूखा पड़ने का एक और कारण ये रहा है कि लोग साईँ बाबा की पूजा करने लगे थे ....

खैर अब जबकि कुछ मस्तिष्क के नसीब वालों ने ये भविष्यवाणी कर दी है कि इस वर्ष पूरे देश में अच्छी वर्षा होगी और सूखे से राहत मिलेगी .. और चूँकि मुझे लगता नहीं कि साईं भक्त किसी भी हालत में साईं की पूजा करना बंद करेंगे .. तो मुझे कुछ शुभ संकेत मिल रहा है .... और संकेत है ....

यदि इस वर्ष अच्छी वर्षा हुई तो मान कर चलें कि पानी के बदनसीब वाले मोदी जी वर्षाकाल के पहले अपने और देश के नसीब अनुसार देश का पिंड छोड़ देंगे .... यानि मोदीजी की छुट्टी होना तय है ....
 पर हाँ यदि एक और सूखा पड़ना नियति ही हो - तो फिर शायद मोदी जी को कुछ और समय झेलना पड़े ....

तो देखते रहिये - देश के नसीब में क्या है - अच्छी वर्षा या मोदी ????

अपना यह घटिया लेख मैं आदरणीय स्वरूपानंद सरवस्ती जी को और भक्तों को समर्पित करते हुए अपने नसीबों को सराहता हूँ जिनसे प्रेरणा पाकर ही मैं ये सब बकवास लिख पाया .... और इसलिए आपसे क्षमाप्रार्थी भी हूँ .... धन्यवाद !! .... "नसीबों वाली माता की जय"

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Wednesday 13 April 2016

// वे क्रिकेटभक्त थे - और अनिवार्यतः देशभक्त नहीं ....//


कल ही भारत ने पाक को हराया .... पर कोई जश्न नहीं - कहीं कोई हलचल नहीं - कोई देशभक्ति का इज़हार नहीं - कोई देशभक्ति का नाटक तक नहीं .... ऐसा क्यूँ ??

ऐसा इसलिए कि - भारत ने पाक को हॉकी में हराया है .... क्रिकेट में नहीं ....

उपरोक्त तथ्य से ये स्थापित होता है कि वो सभी लोग जो बांग्लादेश या भारत या पकिस्तान के क्रिकेट मैचों के बाद भारत माता की जय लगाते और तिरंगा हाथ में थामे खुद लहरा रहे थे वे सभी अनिवार्यतः क्रिकेटभक्त थे - और अनिवार्यतः देशभक्त नहीं .... हा !! हा !! हा !!

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// क्रिकेट और धार्मिक कार्यों में आमूलचूल सुधार की आवश्यकता ....//


पानी नहीं तो क्रिकेट कैसे ?? .... इस पर बहुत बहस और चर्चा चल रही थी - और अभी-अभी समाचार आ गया कि अंततः बॉम्बे उच्च न्यायालय ने निर्णय सुना दिया है - ३० अप्रैल के बाद आईपीएल के सारे मैच महाराष्ट्र के बाहर ले जाएँ ....

यानि सूखे के रहते लोगों की प्यास बुझाना ज्यादा जरूरी .... और इसलिए मैं ऐसे निर्णय का स्वागत करता हूँ .... और वैसे भी क्रिकेट में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण और टुच्चे नेताओं के मज़े में रहने के कारण मैं तो अब क्रिकेट के विरुद्ध हर निर्णय का ही स्वागत करता हूँ ....

पर आज ही के समाचार पत्रों में पढ़ा कि .. सिंहस्थ में दी जाएगी पौने दो करोड़ रुपए मूल्य के ४५००० किलो घी की आहुति .... और इसलिए मेरा प्रश्न - क्या देश में घी की इफरात हो गई है ?? .. क्या लकड़ी और अन्य टनों खाद्य सामग्री से हवन कराना जरूरी और पुण्य का कार्य हो सकता है ?? .. जबकि गरीब लोग भूखे मर रहे हैं ??

और क्या सभी निर्णय न्यायालय ही देता रहेगा ?? .... समाज और आप और हम स्वयं कुछ नहीं करेंगे ??
करना ही होगा - इसलिए मैं आह्वाहन करता हूँ .... सिंहस्थ और धर्म के नाम पर ऐसे हवन एवं अन्य कुरीतियों को बंद करना या सीमित करना ही होगा ....
और ऐसे शाही "स्नानों" को भी स्वेच्छा से बंद करना उचित होगा - जिसमें एक स्थान पर कृत्रिम रूप से पानी को स्नान के लिए इकट्ठा करने में करदाताओं के करोड़ों रुपए पानी की ही तरह बहा दिए जाते हैं ....

यानि कुल मिलाकर मेरा मत है कि - क्रिकेट और धार्मिक कार्यों में आमूलचूल सुधार की आवश्यकता है ....
जागो भक्तों जागो !! .... धन्यवाद !!

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// नाबालिग को कार चलाने देना जुर्म .. तो सरकार चलाने देना जुर्म नहीं ?? ..//


कुछ दिन पहले दुर्भाग्यपूर्ण घटना सामने आई थी ....
दिल्ली में एक मर्सिडीज़ कार ने सड़क पार करते एक युवक को कुचल दिया था ....
कार एक नाबालिग चला रहा था ....
नाबालिग को गिरफ्तार कर प्रकरण दर्ज कर लिया गया था .... और कार जप्त ....

पर बाद में उचित होहल्ला मचा .. और नाबालिग के पिताश्री को भी गिरफ्तार कर उन पर भी मुकद्दमा दायर कर लिया गया .... आरोप कि नाबालिग बेटे को अपनी कमाई की कार चलाने क्यों दे दी .... ऐसा क्यों किया कि ले बेटे ये कार चला - अकेले चला - जैसा मन करे वैसे चला - अंधाधुंद चला - लहरा के चला - अड़ के चला - जैसी बन पड़े वैसी चला - और जिसको चाहे उसे ठोंक दे या टपका दे तो भी चलेगा - पर ले बेटे जा कार चला ....

मेरी विवेचना ....

यदि उस नाबालिग लड़के के पिताश्री को गिरफ्तार कर मुकद्दमा दर्ज करना उचित है तो मेरे हिसाब से तो आडवाणी जी पर भी मुकद्दमा दर्ज होना बनता है ....
क्योंकि .... उस पिता ने तो नाबालिग को केवल कार चलाने को दी थी .. पर आडवाणी जी ने तो नाबालिग को सरकार चलाने को दे दी ....   

इसलिए आडवाणी जी पर भी आरोप बनते हैं कि एक नाबालिग को अपनी कमाई की सरकार चलाने क्यों दे दी .... ऐसा क्यों किया कि ले मोदी बेटे ये सरकार चला - अकेले चला - जैसा मन करे वैसे चला - अंधाधुंद चला - लहरा के चला - अड़ के चला - जैसी बन पड़े वैसी चला - और जिसको चाहे उसे ठोंक दे या टपका दे तो भी चलेगा - पर ले बेटे जा सरकार चला ....

और इस चक्कर में रोज़ दुर्घटनाएं हो रही हैं और देश कराह रहा है .... इसलिए मेरा सुझाव है कि नाबालिग मोदी और उनके पिताश्री तुल्य आडवाणी दोनों पर मुक़द्दमा दायर होना चाहिए .... और सरकार जप्त .... "भारत माता की जय" ....

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Monday 11 April 2016

// और इसलिए मैं धार्मिक नहीं रहा और इंसान बनने का प्रयास करने लगा ..//


द्वारकापीठ के शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद सरस्वती - जिन्हें हिन्दुओं का धर्मगुरु भी माना जाता है - आज उन्होंने भी ऊटपटांग बयानों की बहती दूषित गंगा में फिर से हाथ धोते हुए कुछ बयान दे मारे हैं ....

उनके अनुसार महाराष्ट्र और अन्य जगहों पर जो सूखा पड़ रहा है वो सिर्फ इसलिए है क्योंकि लोग साईं बाबा की पूजा कर रहे हैं .... और उन्होंने तो ये भी कह मारा है कि - "जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार हो रहे हैं वो तब तक नहीं रुकेंगे जब तक महिलाएं शनि की पूजा करना बंद नहीं करेंगी" ....

यानि अब हिन्दू धर्मगुरु ये भी बताएंगे कि किसकी पूजा करनी है और किसकी नहीं .... और पूजा करने से सूखा भी पड़ता है .... और यदि महिलाएं शनि की पूजा करना बंद नहीं करतीं (जो कल से ही शुरू हुई थी) तो उन पर अत्याचार होते रहेंगे ?? ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

यानि क्या ऊपरवाले के यहाँ भी आपाधापी मची पड़ी है - क्योंकि करे कोई भरे कोई ?? .... यानि कुछ हिन्दू यदि साईं की पूजा कर बैठे तो सूखा पड़ेगा जिसका खामियाजा सिख ईसाई मुसलमान भी भुगतेंगे ?? .. पूरा देश भुगतेगा ?? .... ऐसा घोर अन्याय ?? ....
और यदि कुछ महिलाएं शनि की पूजा कर लेंगी तो अन्य महिलाओं का बलात्कार तक हो जाएगा ?? .... और ये बलात्कार कौन करेगा ?? .... क्या कोई शनि का कृपापात्र ?? ....

मुझे लगता है कि एक प्रतिष्ठित धर्मगुरु के द्वारा ऐसे बयान कदापि सही नहीं ठहराए जा सकते - और पिछले दिनों कुछ हिन्दुओं के स्वघोषित ठेकेदारों के कृत्यों के कारण हिन्दुओं की गिरती छवि को ये और ज्यादा गिराएंगे ....

इसलिए मुझे लगता है कि ऐसे शर्मनाक बयानों की खुल के आलोचना होनी ही चाहिए .... और मैं विश्वास दिलाता हूँ कि निश्चिन्त रहिएगा - ऊपरवाला ऐसे एजेंटों की बकवास के अनुसार कुछ नहीं करता और ना ही ऐसे बकवास लोगों की निंदा से कुपित हो सकता है .... बल्कि मान्यता तो ये है कि वो ऊपरवाला ऐसे बकवास लोगों को ही दण्डित करता है ....

पर ना मालूम क्यों - मुझे ऐसे बकवास लोग उस ऊपरवाले के द्वारा दण्डित होते दिखे भी नहीं .... और शायद इसलिए ही मेरा धर्म पर से विश्वास उठता गया .... और ना जाने कब से मैं धार्मिक नहीं रहा और इंसान बनने का प्रयास करने लगा .... बस एक अच्छा इंसान .... जो पूजा करे या ना करे - पर पाप ना करे - और इंसानों को बांटने वाली बकवास तो कत्तई नहीं ....

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// सूखे पर मोदी द्वारा "आपात" बैठक बुलाने पर मेरी त्वरित निंदा ....//


खबर आई है मोदी जी ने सूखे पर आपात बैठक बुलाई ....

अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि भक्तों द्वारा इस कदम की सराहना क्यों की जाए और आमजन द्वारा निंदा क्यों नहीं की जाए ....

ऐसा इसलिए कि किसी दुर्घटना या आकस्मिक विपदा पर "आपात" बैठक तो बनती है .... पर उस सूखे पर जो अक्टूबर नवंबर २०१५ में पिछले वर्षाकाल की समाप्ति से ही व्याप्त हो और सबके संज्ञान में हो - "आपात" बैठक ????

यकीनन सूखे की निर्मित स्थिति अत्यंत "गंभीर" हो चिंताजनक है और लापरवाही के चलते अब "विकट" हो गई है .... पर यह बात अच्छे से समझना जरूरी है कि ये स्थिति "आपात" स्थिति नहीं है .... 

अतः बेहतर होता कि हर बात को "हाइप" करने में माहिर और आदी मोदी जी कम से कम ऐसे विषय में तो कुछ ससमय करते .... क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री से ये तो न्यूनतम अपेक्षित है कि वो इतने बड़े देश के किसी भूभाग में वर्षाकाल में वर्षा न होने की स्थिति में सामान्य रूप से योथोचित अग्रिम कार्यवाही ससमय कर ही दे .... बिना किसी एहसान जताए - या - "मैं"-"मैं"-"मैं" करे .... अन्यथा की स्थिति में भक्तो की लाख प्रशंसा के बावजूद कुछ अक्लमंदों का उचित उपहास झेले ....

इसलिए मेरे दिमाग से सोचते हुए मैं दिल से मोदी जी की त्वरित निंदा करता हूँ - और आशा करता हूँ कि मोदी जी की इस "आपात" बैठक के बाद लम्बे समय से अपेक्षित समस्त उपाय और राहत के कार्य बिना और वक्त गवाएं तत्काल शुरू कर दिए जाएंगे ....

अन्यथा जनता को कुछ "आपात निर्णय" कर लगातार घंटों दिनों महीनों सालों से शारीरिक रूप से मेहनत कर थक चुके बेचारे मोदी जी को विश्राम दे देने की कवायद करनी होगी ....

"आपात" स्थिति के मद्देनज़र मोदी जी के हित में जारी .... 

"प्यासी भारत माता की जय" ....

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Sunday 10 April 2016

// क्या ये मोदी राज है ?? .. जी हाँ ये मोदी राज ही है !! ....//


बहुत दिन हुए .. तिरंगा फहराते देश की शान में जयकारे लगाते श्रीनगर एनआईटी के देशभक्त छात्रों को वहां की जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा सूत दिया जाता है .... और वो सुते सुताए डरे भयभीत छात्र सहायता की गुहार लगाते हैं - पर अपने आप को असहाय पाते हैं .... पूरा देश उन्हें सांत्वना देता प्रतीत होता है .. और वहां की राज्य सरकार उनके मज़े लेती प्रतीत होती है .. और केंद्र की मोदी सरकार फडतूस मौकापरस्त और मजबूर सिद्ध होती दिखती है ....

पर बड़ी मुश्किल से जब देश के कई भागों से इकठ्ठा १५० नौजवान श्रीनगर एनआईटी के उन देशभक्त छात्रों के समर्थन में दिल्ली में सर पर कफ़न बाँध श्रीनगर के लिए कूच कर जाते हैं तो .. तो भी कुछ नहीं होता .. क्योंकि उन्हें जम्मू-कश्मीर राज्य में घुसने से ही रोक दिया जाता है .... और वो रुक जाते हैं ....

और जब अति सहिष्णु अनुपम खेर भी देशभक्त छात्रों का हौसला बढ़ाने उनसे मिलने श्रीनगर पहुँचते हैं तो उन्हें श्रीनगर के एयरपोर्ट पर ही रोक लिया जाता है .... और वो बेचारे मन मसोस कर रुके रह जाते हैं ....

और इस बीच ये खबर भी आती है कि एनआईटी कैंपस में रात के २ बजे वहां की छात्राओं द्वारा एक जुलूस भी निकाला गया .... और उसके बाद भी कुछ नहीं - बस सिर्फ खबर आ के रह जाती है .... एक खबर !!

"विचित्र किन्तु सत्य" ....
"विचित्र" इसलिए क्योंकि ये सब मोदी राज में ?? .... और 
"सत्य" इसलिए कि ये सब हो रहा है - मोदी राज में !! ....

तो अब आगे क्या ?? ....
मोदी गए केरला - तब तक खेर खाएं करेला .... लौट के आएँगे तो मुंहतोड़ कार्यवाही करेंगे ....

देखते रहिएगा ....

किस किसके मुंह टूटते हैं - और किसके दिल टूटते हैं - और किसके हाथ-पाँव ....

और सहिष्णु खेर साहब क्या असहिष्णु भी होते हैं या बस श्रीनगर एयरपोर्ट के वीआईपी लाउन्ज में कड़वा करेला खा सहिष्णु बने रहते हैं .... 

और किसकी माता की जय होती है - और किसकी मेहबूबा 'जॉयस (खुश)' होती है ?? ....

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// केरल मंदिर का हादसा भी 'एक्ट ऑफ़ गॉड' नहीं - आगे खुलासा मोदी करेंगे ..//


केरल के कोल्लम के पुत्तिंगल मंदिर में एक हादसा हो गया .... जो 'एक्ट ऑफ़ गॉड नहीं' है .... क्योंकि हादसा वहां के प्रबंधन की घोर लापरवाही के कारण वहां जमा की गई आतिशबाजी में लगी आग के कारण हुआ .... और जो आतिशबाजी खुशियां मनाने और हर्षोउल्लास का इज़हार करने के लिए थी - गॉड को खुश करने के लिए थी .. वही हादसे का कारण बन गई .. वो भी गॉड के ही घर आंगन में -  गॉड की उपस्थिति में - गॉड की रज़ामंदी से या गॉड की अनापत्ति रहते ....

पर खबरदार !! कोई भी इसे 'एक्ट ऑफ़ गॉड' ना माने ना कहे .... नहीं तो हो सकता है कि सर काट लिया जाए या पकिस्तान भेज दिया जाए - या फिर दण्ड स्वरुप ३ बार 'भारत माता कि जय' बोलने के लिए कहा जाए ....

और .. ऐसा इसलिए भी कि कलकत्ता के एक पुल के एक भाग के गिरने वाले भीषण हादसे को भी किसी 'बेवकूफ मान लिए गए' व्यक्ति ने 'एक्ट ऑफ़ गॉड' कह दिया था .... और चुनावी मौसम में हमारे प्रधानमंत्री जी ने चुनावी लफ़्फ़ाज़ी का कौशल प्रदर्शित करते उसे ममता दीदी का 'एक्ट ऑफ़ फ्रॉड' करार दे मारा ....

और अब वही प्रधानमंत्री मोदी केरल वाले मंदिर के हादसे का जायज़ा लेने स्वयं जा रहे हैं .... उस हादसे का जायज़ा जो एक बार फिर 'एक्ट ऑफ़ गॉड' नहीं है .... और इसलिए शायद ये जायज़ा लेने जा रहे हों कि इस चुनावी मौसम में केरल के इस हादसे को किसका एक्ट करार दिया जा सके .... या शुद्ध हिंदी में कहूं तो हमारे कर्मठ या 'कर-मत' प्रधानमंत्री सारा कामधाम छोड़ वहां इसलिए जा रहे हैं कि वो अपनी पार्टी के हित में इस भीषण हादसे का जिम्मा किसके सर फोड़ सकें .. इसे किसका एक्ट बता सकें ....

और क्योंकि वो जा ही रहे हैं तो हमेशा की तरह अनेक प्रश्न भी उनके पीछे पीछे हो लेंगे - मसलन वो कश्मीर में श्रीनगर एनआईटी क्यों नहीं गए ??  .... ऐसा इसलिए कि इस देश की केजरी ग्रसित राजनीति के लेटेस्ट ट्रेंड अनुसार ऐसे थोथे प्रश्न फैशन बन गए हैं .... केजरी वहां क्यों गए थे ? - यहाँ क्यों नहीं आए ? - राहुल अब क्यों नहीं जाते ? - मोदी तब कहाँ थे ? - कांग्रेस अब कहाँ है ? - फलां तब क्यों गया था ?- फलां अब क्यों नहीं आया है ? - ये यहाँ क्या करने आया है ? - वो वहां क्या करने गया था ? - ये ६० साल से कहाँ था ? .. ?? ....

खैर मैं इन महत्वपूर्ण प्रश्नों में तो अपने आपको खपाना नहीं चाहता - पर हाँ यह जरूर सोच रहा हूँ कि ऐसे हादसों के बाद जो भी पूर्व में ऐसे हादसों का जायज़ा लेने गया था उसने जायज़ा लेने के बाद ऐसा क्या महान और उपयुक्त आवश्यक किया था जिसे वहां जाए बिना नहीं किया जा सकता था ???? .... 

पर मेरी ऐसी सोच को आप कदापि मोदी जी के केरल जाने के विरोध में नहीं देखें .... क्योंकि मैं तो अब मोदी के हर आने और हर जाने और हर रुकने और हर चलने का विरोधी हो चुका हूँ - क्योंकि मैं भारत माता की ऐसी दुर्दशा को 'एक्ट ऑफ़ गॉड' नहीं मानता हूँ .... मैं इसे जनता का 'एक्ट ऑफ़ ब्लंडर' मानता हूँ ....

तो इंतज़ार करें .... शाम तक आपको इसकी पुष्टि कर दी जाएगी कि केरल मंदिर का हादसा 'एक्ट ऑफ़ गॉड' नहीं था - और शायद खुल्ला खुलासा भी कि ये 'एक्ट ऑफ़ चांडी' था .... और गॉड की मर्ज़ी से १०० से ज्यादा मरने वालों को कितने लाख का मुआवज़ा और गॉड की कृपा से मरने से बचे ३५० से ज्याजा घायलों को कितने हज़ार का मुआवज़ा हम आप जैसे करोड़ों ना मरने वाले जिन्दों के सरकारी धन से कर दिया जाएगा .... और शायद इस बात का भी आंकलन हो जाएगा कि गॉड की कृपा से इस हादसे के कारण किसे कितने वोट प्राप्त होंगे - या गॉड की गलती से किसके कितने वोट कटेंगे ....

केरल से कश्मीर तक वाली भारत माता की जय !!!!

पुनष्च: - मैं सोच रहा था कि "दुर्घटना" नाम की भी कुछ तो चीज़ होती है या नहीं ?? .. और क्या "दुर्घटना" एक्ट ऑफ़ गॉड होती है या नहीं ?? .. और क्या मोदी भी एक "दुर्घटना" ही नहीं ??

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Friday 8 April 2016

// गुरुद्वारे में चोरी - छिः !! .. जेएनयू छिः !! .. श्रीनगर एनआईटी ?? ....//


आज समाचार देखा कि कुछ चोर एक गुरुद्वारे में सफल चोरी कर इत्मीनान से चलते बने और सीसीटीवी पर कैद हो गए .... और मुझे कुछ सार्थक मनन करने पर मजबूर कर गए ....

और मैं सोचने लगा कि .... एक चोर यदि अमीर के यहाँ चोरी करे या फिर गरीब के यहाँ या फिर किसी पूजास्थल में भगवन के यहाँ तो क्या कुछ भेद या अंतर ??

अब इस बाबद कोई कह सकता है कि चूँकि अव्वल तो चोरी ही गलत है - फिर चोर किसके यहाँ चोरी करता है क्या फर्क पड़ता है ?? .... पर फर्क तो है .. गरीब तो बर्बाद हो सकता है - अमीर उदास - पर क्या भगवन को भी कोई असर पड़ेगा ?? .. पड़ना तो नहीं चाहिए क्योंकि उसके पास तो असीमित भंडार है और वो ही तो सबको देता है ....

पर नैतिकता के ठेकेदार शायद ये कह और मान सकते हैं कि - चोरी वो भी मंदिर मस्जिद गुरद्वारे में ?? छिः .. इससे बड़ा पाप और क्या होगा ??

तो जनाब सोचियेगा और किसी भी निर्णय पर ना पहुँच पाने की स्थिति में इस विषय को ज़रा कुछ देर के लिए अलग कर सोचियेगा कि - क्या देशभक्ति के कर्म या देशद्रोह की हरकत और उससे जुड़े देश के कानून क्या जेएनयू के लिए और श्रीनगर एनआईटी के लिए समान हैं या होने चाहिए या उनमें भेद अंतर है या होना चाहिए ????

मुझे लगता है शायद अब आपकी उलझन और बढ़ गई होगी .... है ना ?? .... तो आइये मैं कुछ सुलझाने का प्रयत्न करता हूँ ....

कल्पना कीजिये कि वही चोर यदि जेएनयू या श्रीनगर में देशभक्ति के नारे लगाता है तो क्या उसे आप देशभक्त कहेंगे ??
और यदि जिनके यहाँ चोरी हुई ऐसे गरीब अमीर और भगवन के एजेंट संतप्त और कुपित हो जेएनयू या श्रीनगर में देशविरोधी बातें करने लगें तो उन्हें आप देशद्रोही कहेंगे ??

मुझे लगता है शायद अब तो आपकी उलझन और ही बढ़ गई होगी .... है ना ?? .... तो आइये मैं एक बार फिर सुलझाने का अंतिम प्रयत्न करता हूँ ....

मित्रो !! मेरा कहना माने तो बस फिलहाल मोदी जी को उनके भक्तों को और संघी-भाजपाई प्रवक्ताओं को और कुछ छुटभैय्ये भड़के भड़काऊ नेताओं को सुनना बंद कर दें - और ज़रा अपनी अक्ल और तर्क पर भरोसा कर सोचें तो पूरा मामला सुलझ जाएगा - और आपको मालूम पड़ जाएगा कि ये चोर कौन ?? .. साहूकार कौन ?? नीच साहूकार कौन ?? .. देशभक्त कौन ?? .. देशद्रोही कौन ?? .. और ये ईश्वर-अल्लाह-भगवन क्या है और ये कहाँ रहता है और क्या करता है - और उसके कर्तव्य क्या हैं अधिकार क्या हैं और औकात क्या है .... और उसके कितने सारे और कैसे-कैसे एजेंट हैं ....

बस फिर क्या है !! निश्चित ही आपके देशप्रेम और इंसानियत का पुरज़ोर सदुपयोग इस देश को बनाने में और मानवता के पक्ष में भरपूर होने लगेगा .... इसी कामना के साथ .. धन्यवाद !! .. और .. और - "भारत माता की जय" !!

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// कूटनीतिक नाबालिग मोदी - अब पाक और श्रीनगर मुद्दे पर क्या कहेंगे ?? ..//


हमेशा की तरह बड़े दुःख के साथ मोदी का उपहास कर रहा हूँ .... क्योंकि पानी सर के ऊपर से निकल गया है - बात अब देश की बेइज़्ज़ती की आ गई है ....

और ऐसा इसलिए कि मोदी और मोदी सरकार की अपरिपक्वता लफ़्फ़ाज़ी फूहड़ता फेंकमफांक बड़बोलापन टशन और अकर्मण्यता ये सब कुछ हमें ले डूबे .... क्योंकि लगता है टुच्चे से पाक ने भारत को ठेंगा बता दिया है - आँखें भी दिखा दी हैं - आँखें तरेर भी ली हैं - आँखें फेर भी ली हैं .... और मैं स्तब्ध हूँ - दुखी हूँ ....

और साथ ही श्रीनगर के एनआईटी से भी जो समाचार आ रहे हैं उनसे मैं हताश भी हूँ और कुछ अचंभित भी हूँ .... और जिस तरह वहां नियोजित तरीके से कई देशभक्त छात्रों को प्रताड़ित किया गया है और लगातार किया ही जा रहा है - उससे चिंतित और आक्रोशित भी हूँ .... 

कुछ वर्ष पहले जब बांग्लादेश ने भारत को क्रिकेट के एक महत्वपूर्ण मैच में अप्रत्याशित उलटफेर कर हरा दिया था - तब मुझे बहुत बुरा लगा था .. पर आज मुझे कुछ वैसा ही बुरा लग रहा है - और वो भी कई गुना ज्यादा .... क्योंकि वो तो फिर भी खेल की बात थी - पर ये तो खिलवाड़ हो गया .. देश के साथ खिलवाड़ ....

पर मुझे लगता है ये कूटनीतिक नाबालिग अभी भी फेंकमफांक से बाज़ नहीं आएंगे - और शायद यही कहेंगे - ये हमारी जीत है - ये भारत की जीत है - क्योंकि पहली बार ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान हम से डर गया - बात करने से भी कतरा गया .. और देखो हमने माहौल बदल दिया है - श्रीनगर में छात्रों ने तिरंगा लहराने की हिम्मत बताई है .... "भारत माता की जय" - "भारत माता की जय" - "भारत माता की जय" (पूरे ३ बार) ....

और क्या कहेंगे क्या नहीं कहेंगे - यदि इस मुद्दे को छोड़ भी दूँ - तो कम से कम ये ज़रूर कह सकता हूँ कि - ये करेंगे कुछ नहीं .... क्योंकि ये ५६ इंची बातों के शेर हैं - और कर्मों के चूहे - और हिम्मत के पिस्सू - और अक्ल के बैक्टीरिया - और समझ के दिव्यांग ....

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Thursday 7 April 2016

// तो क्या श्रीनगर एनआईटी में कोई देशविरोधी नारा नहीं लगा ?? ....//


>> भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह ....
>> कश्मीर की आजादी तक जंग रहेगी जंग रहेगी .... आदि ....

मुझे पूरा विश्वास है कि इस देश के हर सजग नागरिक को उपरोक्त गंदे नारों के बारे में पता है कि ये नारे जेएनयू में लगे थे ....
पर किसने लगाए थे ?? .. पता नहीं - शायद देशद्रोही "अज्ञात" लोगों द्वारा .... "अज्ञात" लोगों द्वारा !! .. तो फिर आपको और हम सबको ये नारे इतने जाने पहचाने क्यों हो गए ????

कारण ये कि इन नारों को भरपल्ले बोला गया दोहराया जाता रहा और चलाया गया और चिल्लाया गया भाजपाइयों और संघियों द्वारा .... भाजपा के सबसे काबिल और बकवास प्रवक्ता संबित पात्रा द्वारा तो असंख्य बार दोहराया गया - और वो तो अभी कल तक भी यही नारे दोहरा रहे थे ....

जी हाँ कल ही की बात है - एक टीवी चैनल पर श्रीनगर एनआईटी प्रकरण में भी संबित पात्रा इन्ही नारों को दोहरा रहे थे .... और तब मेरे मन में प्रश्न उठा कि श्रीनगर एनआईटी में जो अब नारे लगे हैं जब वो भी देश विरोधी हैं तो संबित पात्रा या अन्य कोई "भाजपा प्रमाणित देशभक्त" इन नए नारों का "वाचन" क्यों नहीं करता ????

मेरा प्रश्न तो हमेशा की तरह वाजिब है - पर मुझे जवाब नहीं मिलेगा - इसलिए जवाब भी मुझे ही देना होगा .... और जवाब है .... जेएनयू के नारों के सहारे भाजपा अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहती थी - इसलिए उन नारों को प्रचारित प्रसारित करना आवश्यक था .... पर जम्मू-कश्मीर की बात अलग है .. यहां लगे नारों को यदि प्रचारित प्रसारित कर दिया गया तो लोग पूछेंगे कि ....
>> राष्ट्रपति शासन के दौरान ऐसे नारे लग कैसे गए ?? .. और जवाबदार कौन ?? ....
>> अब क्या ?? .. नारे लगाने वालों को पकड़ते क्यों नहीं ?? ....
>> क्यों - क्या श्रीनगर में तुम्हे कोई "कन्हैया" सपड़ाई में नहीं आया ?? ....
>> क्यों - क्या ये गंदे नारे तुम्हे अब अच्छे लगने लगे हैं ?? ....
>> क्यों - जब अपने ऊपर आई तो मिद्द निकल गई ?? ....
>> क्यों - श्रीनगर में गंदे नारे लगाने वालों को कौन और कब और कहाँ पकड़ेगा ?? ....
>> क्या श्रीनगर की पुलिस में कोई बकवास "बस्सी" तक नहीं ?? .... आदि ! इत्यादि !!

और दिक्कत ये है कि मेहबूबा के चक्कर में ये ना तो कुछ जवाब दे पाएंगे - ना कुछ कार्यवाही कर पाएंगे - और ना ही खिसके खेर साहब ही कुछ टेका लगा पाएंगे - और ना ही कटु रामदेव ही किसी का कुछ काट पाएंगे - और ना ही मौनमोदी अपनी चुप्पी तोड़ पाएंगे ....

इसलिए मित्रो !! तैयार रहें .. शायद कुछ दिन बाद संबित पात्रा आपको ये बोलते बेवकूफ से नज़र आएंगे कि - श्रीनगर एनआईटी में तो कोई देश विरोधी नारा लगा ही नहीं था .... हा !! हा !! हा !!

और इसलिए मेरी विवेचना मुझे फिर विश्वास दिलाती है कि - वर्तमान भाजपा और संघ की देशभक्ति केवल थोथी है .... ये दोगले लोग देश विरोधी नारों तक का बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं .... ये देश की आन बान शान से खिलवाड़ कर रहे हैं - ये पूरे समाज को बांटने का काम कर रहे हैं - ये छात्रों का और शैक्षणिक संस्थाओं की ऐसी की तैसी करने पर तुले हैं - और इस कारण ये देश की भी ऐसी की तैसी ही कर पाएंगे - इससे बेहतर की अपेक्षा इनसे की ही नहीं जा सकती है .... इसलिए सावधान !!!!

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Wednesday 6 April 2016

// देशद्रोही तो बस जेएनयू में - जम्मू कश्मीर में तो सब मेहबूबा के बन्दे ....//


श्रीनगर के एनआईटी में भी नारे लग गए .. देश विरोधी भी - और देशभक्ति वाले भी ....

पर अभी तक देशद्रोह का कोई मामला दर्ज हुआ नहीं है .... ना ही किसी देशभक्त छात्र को कोई वीरता पुरूस्कार देने या पद्म अवार्ड देने की घोषणा हुई - और ना ही सरकार द्वारा कोई तारीफी घोषणा हुई है ....

बल्कि इसके उलट कुछ उन छात्रों की पुलिस द्वारा जमकर पिटाई कर दी गई है जो तिरंगा लेकर देशभक्ति के नारे लगा रहे थे ....

तो आइये सर्वप्रथम हम बिना किसी भय दबाव के जावेद अख्तर भाई को याद कर अपनी जान की परवाह किये बगैर उतनी ही शिद्दत और दिलेरी से कहें - "भारत माता की जय" - "भारत माता की जय" - "भारत माता की जय" ....

और मैं जेएनयू की एबीवीपी इकाई - सेवानिवृत्त बस्सी जी - दिल्ली के बहादुर देशभक्त कालकोटिये वकील - और विशेषकर दिल्ली विधायक ओपी शर्मा अनुपम खेर और रामदेव बाबा से आग्रह और अपेक्षा करूंगा कि वो शीघ्र ही जम्मू कश्मीर कूच करें और भारत माता की रक्षा करें .... और मेहबूबा को समझा दें ....

और मोदी जी राजनाथ जी स्मृति ईरानी जी से अपेक्षा करूंगा कि वो इस मामले को संवेदनशील मानते हुए कुछ न करें .. बस देखते रहें - और समझते रहें कि उनके द्वारा अभी तक कितना गुड-गोबर कर दिया है .... क्योंकि अब स्थिति ऐसी है कि भारत माता की स्थिति के साथ मेहबूबा के मिज़ाज़ पर भी तवज्जोह देना मजबूरी है .... और ये सभी ऐसे नेता हो चले हैं कि विवाद इनके साथ साये की तरह हो चले हैं .... 

और मुझे तो ये भी लगता है कि यदि कुछ करना ही हो - या करने की मजबूरी हो - तो विचार करें कि क्या ऐसी स्थिति में एक बार फिर कन्हैया को जेएनयू के आस पास ढूंढ धारा २४ ए के तहत धर लिया जाए तो कैसा रहेगा ?? .. आखिर एक बार फिर कन्हैया ने ना सही - किसी ने तो देश विरोधी नारे लगाए ही हैं ना ??

खैर जो भी करें या ना करें - मर्ज़ी - पर एक हिदायत दे देता हूँ .. कोई भी भक्तों के भरोसे ना बैठे - क्योंकि भक्त तो भक्ति में लीन हो चुके हैं - भारत माँ के चरणों में समर्पित हो चुके हैं - चुकते हो चुके हैं ....

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// "मुंहतोड़" जवाब और "केजरीवार" ....//


हो गए लगभग ३ महीने - पठानकोट पर पाक के नापाक हमले को हुए .... और हम इंतज़ार करते रहे "मुंहतोड़" जवाब का .. मोदी की तरफ से "मुंहतोड़" जवाब ....

"मुंहतोड़" जवाब तो आया है - पर मोदी द्वारा नहीं - बल्कि मोदी पर .... और ये जवाब आया है केजरीवाल का - जिसे हम "केजरीवार" भी कह सकते हैं .... क्योंकि जब पूरा देश सन्न होने के साथ चुप भी था - और चुप्पी तो मोदी पर भी चिपकी पड़ी रही .. तब केजरीवाल ने उस तमाम चुप्पी और अकर्मण्यता पर अब "मुंहतोड़" जवाब दिया है ....

और इसका कारण ये रहा है कि मोदी का "मुंहतोड़" जवाब तो आया नहीं था - उल्टे पाकिस्तान का एक और "मुंहतोड़" जवाब मीडिया में छा गया था - और सबको विचलित कर गया था .. और जिसके अनुसार मोदी द्वारा अनुमति प्रदत्त आईएसआई युक्त पाकिस्तानी जेआईटी टीम द्वारा भारत की मेहमाननवाज़ी के बाद ये रिपोर्ट दी कि - पठानकोट हमला तो भारत की ही साज़िश थी ....

और इस "केजरीवार" के बाद ही "पाक मुद्दा" एक बार फिर गरमा सा गया है .... और मैं कह सकता हूँ कि बहुत समय से भाजपा के द्वारा असली मुद्दों से ध्यान भटकाने में सफल रहने के बाद कम से कम एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर देश में आवश्यक बहस छिड़ने की उम्मीद बन गई है ....

और शुरूआती बहस में भाजपा द्वारा केजरीवाल को नसीहत दी जा रही है कि वो केवल अपनी दिल्ली भर को क्यों नहीं देखते ?? .. उनकी क्या औकात कि भारत की विदेश नीति पर खौं-खौं करें ....

और इस विषयक मेरी प्रतिक्रिया .... जब 'भारत माता की जय' बोलने का अधिकार हर भारतीय को है तो भारत माता की इज़्ज़त आबरू को बचाना भी हर भारतीय का कर्त्तव्य है .... और मुझे लगता है कि केजरीवाल की खांसी ठीक हो चुकी है और उन्होंने खौं-खौं नहीं की है - पर वस्तुतः थू-थू की है - धिक्कारा है - दहाड़ लगाई है .... भारत सरकार की फूहड़ता और अकर्मण्यता के विरुद्ध ....

इसलिए मेरा तो सुझाव है कि मोदी जी पहले उनको दिए प्रधानमंत्री के दायित्वों का निर्वहन करने की कोशिश करें .... और यदि मोदी ये राज्यों के चुनाव में पार्टी के छुटभैय्ये नेता माफिक प्रचार करने में - और राज्य सरकारों को गिराने की साज़िश रचने में - और राहुल गांधी का मज़ाक बनाने और कांग्रेस को कोसते रहने में - और फ़िज़ूल लफ़्फ़ाज़ी करते रहने में अपने आप को खपाना बंद करें - तो शायद ऐसे "मुंहतोड़" जवाब प्राप्त करने की नौबत नहीं आएगी ....

और हाँ मोदीजी को एक और सुझाव .... केजरीवाल से - कन्हैया से - शत्रुघन से - छात्रों से अड़ने का प्रयास ना करें - आप इनको पार नहीं पा सकेंगे .. हाँ यदि कोशिश करनी है तो इन सबका साथ लेकर और जावेद स्टाइल में ३ बार भारत माता की जय बोलकर पाकिस्तान को वो "मुंहतोड़"जवाब देने की कम से कम हिम्मत तो दिखाएँ जिसकी आपसे आपके अनुपम भक्तों ने अपेक्षा करी थी ....
कुछ समझे कि नहीं ??

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Tuesday 5 April 2016

// इस देश में यदि कानून का राज नहीं होता तो ???? .. तो ......... //


अव्वल तो मैं सोच रहा हूँ कि क्या इस देश में कानून का राज है ?? ....

और इसी तारतम्य में मैं ये सोच रहा हूँ कि अगर कानून का राज होता तो कई 'उच्चे' लोग 'टुच्चे' क्यों होते और कई 'टुच्चे' इतने 'उच्चे' क्यों होते ?? ....

मसलन यदि कानून का राज होता तो मजाल थी कि कोई चोर 'पद्म' पुरूस्कार प्राप्त कर लेता या 'सम्माननीय' ही कहलाता .... क्योंकि कानून में तो चोर केवल सजा का पात्र होता है - किसी मान सम्मान या पुरूस्कार का तो कदापि नहीं .... और क्या मजाल थी किसी लंगोटिए की कि वो किसी के सर काटने की बात कर छुट्टा घूम पाता ?? .... क्योंकि कानून में तो किसी का सर काटना गुनाह है - और गुनहगार की जगह तो जेल है - पतंजलि लोक नहीं ....

लेकिन फिर मैं यह भी सोचता हूँ कि नहीं - अगर इस देश में कानून का राज नहीं होता तो क्या होता ?? .... और मुझे लगता है कि यदि ऐसा होता तो फिर लंगोटिया लंगोट बंधे घूम नहीं रहा होता .... अभी तक तो लंगोट खींच ली गई होती .... और ये सभी 'उच्चे' 'टुच्चे' मजे मौज नहीं कर रहे होते ....

और इसलिए मुझे लगता है कि इस देश में कानून का राज तो है - पर वो 'उच्चे' 'टुच्चे' लोगों को संरक्षण देने के लिए है - और गरीब को या आमजन को संरक्षण देने की बजाय सजा देने के लिए है ....

स्थितियां बहुत विकट हैं .... और मुझे लगता है हम सबको प्रयास करना होंगे और स्थितियों को उलटना होगा .... यानि अब ये सुनिश्चित करना ही होगा कि कानून 'उच्चे' 'टुच्चे' लोगों को सजा देने और गरीब को या आमजन को संरक्षण देने के लिए उपयोग में लिया जाए - लाया जाए ....

पर क्या ऐसा संभव है ?? ....

मुझे लगता है - संभव है .... पर इसके लिए कुछ 'सरपिटे' 'लंगोटधारी' की लंगोट खींचना भी आवश्यक है - और दिल में एक संशोधित नारा बसाना भी आवश्यक है .... और वो नारा "शेरांवाली माँ" की तर्ज़ पर होगा ....

सभ्य देशवासियों वाली भारत माता की जय !! ....

अन्यथा तो फिर हो सकता है कि ओवैसी का बेहूदा फॉर्मूला ही वृहद रूप में स्वतः ही क्रियान्वित हो जाए कि - "बस १५ मिनिट के लिए पुलिस हटा लो ......" .... सब ठीक हो जाएगा .... ठीक ठाक हो जाएगा .... यानि 'कुछ सर कट जाएंगे' - और कुछ दिमाग सहित ठिकाने लग जाएंगे या ठिकाने लगा दिए जाएंगे .. और निश्चित ही कुछ लंगोटे भी खींच ली जाएंगी ....

और मेरा विश्वास करें ऐसी प्रक्रियाओं को इतिहासकार और बुद्धिजीवी "क्रांति" भी बोलते हैं .... और कुछ निर्दोष पीड़ित इसे "कत्लेआम" भी कहते हैं .... इसलिए सावधान !! भारत माता की जय बोलने-बुलाने वाले मुजरिमों से विशेषकर सावधान !!

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