दिल्ली के औरंगज़ेब मार्ग का नाम बदल कर स्वर्गीय डॉक्टर अब्दुल कलाम के नाम पर रखने का प्रस्ताव हुआ है .... निश्चित ही प्रस्ताव उनके सम्मान के प्रयास में ही किया गया होगा ....
मेरी प्रतिक्रिया ....
जो लोग नए मार्गों का निर्माण करने में अक्षम हों वो केवल पुराने मार्गों का नाम ही बदल सकते हैं ....
स्पष्ट कर दूँ - जिन्हें औरंगज़ेब से चिढ हो परहेज़ हो घृणा हो वो हिन्दुस्तान के हर "औरंगज़ेब" मार्ग या भवन का नाम बदल सकते हैं .... पर ध्यान रहे और तैयार रहें कि यदि ऐसा ही चलेगा तो ऐसे कई और प्रिय नाम होंगे जिनसे और कोई दूसरा घृणा करता होगा .... फिर कल जब उनके नाम भी बदले जाएंगे तो क्या दूसरों की घृणा का भी सम्मान किया जाएगा ?? .... और फिर यक्ष प्रश्न तो ये उठता है कि क्या किसी भी घृणा का सम्मान होना चाहिए ????
वैसे मैं सोच रहा था कि यदि "राजपथ" का नाम "कलाम पथ" रखा जाए तो कैसा रहेगा ????
इसी संबंध में एक और बात आपके समक्ष रखना चाहता हूँ .... मान भी लीजियेगा कि मेरे शहर में एक टेकरी है - जिस का नाम "गधा टेकरी" है - और मेरे प्रदेश में एक जगह का नाम है "खूनी भंडारा" .... क्या कोई सत्तासीन इन जगहों का नाम बदल अपने किसी चहेते के नाम करना पसंद करेगा ????