Friday 31 October 2014

//// मोदी जी भाजपा के प्रधानमंत्री हैं या देश के ? ////

आज मैं श्रद्धापूर्वक इंदिरा जी को याद कर रहा हूँ जिन्होंने हमें पाकिस्तान से वो ऐतिहासिक युद्ध जितवाया था जिसके कारण पाकिस्तान के टुकड़े हुए थे और बांग्लादेश का निर्माण हुआ था - और जिसके कारण ही हम आज तक उस कामयाबी के अच्छे परिणाम का आनंद ले रहे हैं - कृपया विचार करें की आज हमारी चीन और पाकिस्तान की लंबी सीमाओ के साथ ही बांग्लादेश की सीमा पर भी ऐसी ही चौकसी करनी पड़ती तो हमारा सैन्य खर्च और कितना बढ़ा हुआ होता !!!!
मेरा ऐसा भी पूर्ण विश्वास है कि इंदिरा जी के प्रति श्रद्धा रखने या उनकी प्रशंसा के विचार रखने वाले अनेकानेक भारतीय होंगे ही - ये भी हो सकता है कि काफी लोग उन्हें पसंद ना भी करते हों !!!!
मेरा ऐसा भी मानना है कि सरदार पटेल भले ही हर मायने में इंदिरा जी से बेहतर हों या ना हों पर मेरे अनुमान से इस देश की अधिकाँश युवा जनता नें इंदिरा जी को अपने जीवनकाल में पटेल जी की तुलना में अधिक करीब से देखा है और जाना है और सराहा है !!!!
अतः मेरा मानना है कि आज के राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में इंदिरा जी को उनके पूर्व के सरदार पटेल या ही अन्य महापुरुषों की तुलना में कमतर मान-सम्मान देना या सम्मान ही न देना उचित नहीं ठहराया जा सकता !!!!
पर मेरे अभिमत में आज मोदी जी ने इस देश के प्रधानमंत्री होते हुए उनसे अपेक्षित राष्ट्रीय दायित्व और अपने पद की गरिमा का निर्वहन नहीं किया है ....
अतः मैं भी अंतःकरण से ये मानता हूँ कि मोदी जी ने अपने व्यवहार से ये प्रदर्शित किया है कि वो भाजपा के प्रधानमंत्री हैं देश के नहीं !!!!

कुछ भक्त मुझे गालियां दे सकते हैं - पर मैं समस्त गालियां मेरे देश की बेटी और एक योग्य कर्मठ निडर बहादुर पहली महिला प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी को यथायोग्य श्रद्धा सुमन देने के ऐवज़ में सहर्ष स्वीकार कर लूँगा !!!! इंदिरा गांधी ज़िंदाबाद !!!!

//// 31 अक्टूबर ----- "तब" !! और "अब" !! ////

आज 31 अक्टूबर 2014 को देश में बहुत कुछ घटित हो रहा है - पटेल जयंती - इंदिरा पुण्यतिथि - महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस का वानखेड़े स्टेडियम में भव्य अभूतपूर्व शाही खर्चीला शपथ ग्रहण - दिल्ली में मोदी जी द्वारा "रन फॉर यूनिटी" - जबकि दिल्ली के ही त्रिलोकपुरी से सांप्रदायिक दंगों का हृदयविदारक रुन्दन - बुखारी-शरीफ / मोदी न्योता प्रकरण पर बहस !!!!
इन घटनाओं और देश की स्थिति के परिप्रेक्ष्य में >>>>
>> "तब" मैं सोचता था कि ये सरकार और नेता केवल इंदिरा जी को ही क्यों याद करते हैं, सरदार पटेल को क्यों नहीं ? "अब" मैं सोचता हूँ कि ये सरकार और नेता केवल सरदार पटेल को ही क्यों याद कर रहे हैं इंदिरा जी को क्यों नहीं ?
>> "तब" मैं सोचता था कि अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ राजभवन में ही ले लेते तो बेहतर होता .... "अब" मैं सोचता हूँ कि देवेन्द्र फड़नवीस जैसी विलासिता की मानसिकता वाला नेता मुख्यमंत्री की शपथ ही न ले तो बेहतर !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि कितनी अच्छी परिपाटी है कि कोई भी मंत्री अपना कार्यभार सँभालने के पूर्व सार्वजनिक शपथ लेता है .... अब मैं सोचता हूँ कि इनका ऐसा राज्याभिषेक क्यों ? !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि क्या ये "रन फॉर यूनिटी" से कुछ हासिल होगा ? .... "अब" मैं सोचता हूँ कि ऐसे आयोजन निहायत फ़िज़ूल फूहड़ शोशेबाजी होकर "रन फॉर सत्ता" हो गए हैं !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि मोदी सरकार ने नवाज़ शरीफ को न्योता भेज शायद गलती की है .... "अब" मैं सोचता हूँ कि मोदी सरकार ने नवाज़ शरीफ को न्योता भेज निश्चित ही भारी बेवकूफी की थी !!!!
>> तब मैं सोचता था कि देश का आम मुसलमान राष्ट्रवादी है, पर कुछ नेता वाहियात .... "अब" मैं सोचता हूँ कि मैं ठीक ही तो सोचता था !!!!
>> "तब" मैं सोचता था कि ये कैसे लोग हैं जो दंगे फैलाते हैं .... "अब" मैं सोचता हूँ कि ये कैसे घिनौने नेता हैं जो दंगे फ़ैलाने का षड़यंत्र करते हैं - और बेचारे लोग इसे रोकने का ?
>> सोचता मैं "तब" भी था .... सोचता मैं "अब" भी हूँ ....
सरकार कुछ आप भी तो सोचें !!!! धन्यवाद !!!!

Thursday 30 October 2014

//// यदि अटल जी "समुद्र में बर्फ" कह दिए होते तो ? ////

कल महाराष्ट्र में शपथ ग्रहण का क्रियाकरम है ....
बा-मुलाहिज़ा होशियार - प्रदेश का राजा शपथ लेने जा रहा है कि अबसे वो प्रदेश पर राज करेगा ....
और जैसा शहंशाह कहेंगे वैसा ही करेगा ....
बाकी शपथ के शब्दों और वाक्यों पर ज्यादा महत्त्व देने की आवश्यकता नहीं है ....
और धन्यवाद आदरणीय अटल जी का कि उन्होंने "समुद्र में कमल" की ही बात कही थी - कहीं "समुद्र में बर्फ" कह दिए होते तो ?? हिमालय को तो बर्फ से नंगा कर देते ये भक्त शूरवीर ....

//// उद्धव की टिप्पणी के लिए माफ़ी चाहिए - मोदी की टिप्पणी के लिए ? ////

अब सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा ने शिवसेना से चुनाव प्रचार के दौरान उद्धव ठाकरे द्वारा मोदी के विरुद्ध अफजल खान वाली आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए माफ़ी मांगने की शर्त रख दी है ....
बहुत अच्छे ! बहुत अच्छे !! - टिप्पणी यदि आपत्तिजनक थी तो इस मर्दानगी के लिए तो भाजपा की तारीफ करनी ही पड़ेगी !?!?
पर मुझे लगता है कि इसके पूर्व मोदी जी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही अरविन्द केजरीवाल को पाकिस्तानी एजेंट कहा था - तो फिर क्या भाजपा मोदी जी से कान पकड़ उठक बैठक लगवाएगी ???? कदापि नहीं ना !!!!
अरे जनाब तो ये फ़ोकट की इज़्ज़त और मर्दानगी की बातें छोड़ पहले जनहित में अपनी जवाबदारियों का निर्वहन करें - महाराष्ट्र के नतीजे आपके समक्ष हैं - टिप्पणियों के बजाय जनता से किये वादों और अन्य बातों को याद करें - और उन वादों पर अमल करना शुरू करें - टिप्पणियों का हिसाब बाद में बराबर करते रहना !!!!
हम भी आपसे पूछेंगे कि NCP का समर्थन कैसे ले लिया ? लिया नहीं और मिल गया तो दिल्ली में जब कांग्रेस ने 'आप' को एकतरफा समर्थन दिया था तो क्यों चिल्लपों मचाये थे ? आदि ....
// पिक्चर तो अभी बाकी है मेरे दोस्त //

//// चायवाला >> प्रधानमंत्री >> चायवाला ////

कुछ समय पहले यात्रा के दौरान आवाज़ आई - " चियाय - चियाय - गरमा गरम चियाय " - मैंने चाय ली पर चाय बांसी और ठंडी निकली और फेंकनी ही पड़ी - स्वाभाविकतः मैंने अपने आपको ठगा सा महसूस किया और मुझे कुछ अच्छा नहीं लगा !!!!
खैर वो छोटी सी बात तो आई गयी हुई .....
मुझे आज भी इस बात पर प्रसन्नता संतोष और गर्व है कि एक चाय बेचने वाला भी हमारा प्रधानमंत्री बन सकता है ....
पर अब मेरे समक्ष एक यक्ष प्रश्न है कि - यदि हमारा प्रधानमंत्री एक चाय बेचने वाले जैसी हरकते करने लगे तो भी क्या मैं गर्व ही करता रहूँ ???? क्या मैं अप्रसन्नता और असंतोष का इज़हार भी ना करूँ ????

Wednesday 29 October 2014

//// मैय्या मोरी मैं नहिं माखन खायो >> बप्पा मोरे मैं नहिं खाता खुलायो ////

मित्रों अब तो स्थिति विकट हो गयी है - ना मालूम कब कौन किस पर आरोप मढ़ दे कि "इसका भी विदेशी बैंक में खाता है" .... तब बेचारा कालाधन खाता धारक होने का आरोपित क्या कहेगा इसकी एक बानगी >>>> 
>> बप्पा मोरे मैं नहिं खाता खुलायो ....
>> भोर भयो कामहुँ पर जायो, अपना पसीना बहायो ....
>> दिन भर भटकूँ मेहनत करके, साँझ परे घर आयो ....
>> मैं गरीब नहिं देखहुँ नोटों, खाता किस विधि खुलायो ....
>> तुम सब मेरे बैर परे हो, बरबस मुझे फँसायों ....
>> बप्पा मोरे मैं नहिं खाता खुलायो .... बप्पा मोरे मैं नहिं खाता खुलायो !!!!

//// बधाई ! सभी नागरिकों को बधाई !! सभी को 14 पैसे प्राप्त होने की प्रत्याशा में बधाई ////

अभी-अभी समाचार मिला है कि कोई डाबर वाले बर्धन हैं जिसके विदेशी खाते में रु 18 करोड़ का काला धन है - और महापुरुष कह चुके हैं कि ये पूरा विदेशी कालाधन देश में वापस ला प्रत्येक नागरिक को बराबरी से बाँट देंगे ....
तो यानी आप मान के चलें कि 125 करोड़ की इस आबादी वाले देश के हिसाब से प्रत्येक नागरिक को 18 / 125 = 0.14 - यानि 14 पैसे प्राप्त होंगे .....
अतः सभी नागरिकों को दीपावली नववर्ष और 14 पैसे की प्राप्ति हेतु बधाई और मोदी सरकार को साधुवाद !!!!
अब जिन्हे ये राशि कम लग रही हो तो उन्हें समझाना चाहूंगा कि भाई अभी तो इस सरकार को 5 महीने ही हुए हैं - अभी तो कम से कम 55 महीने और बाकी हैं - तो कृपया थोड़ी दरियादिली बताते हुए 100-150 दिन वाला वादा भूल जाएँ - उस छोटी सी गलती के लिए माफ़ कर दें - और कृपया सब्र रखें - सब्र का फल मीठा होता है !@#$%?

//// कच्चे रंग और कच्चे नेताओं की एक समान केमिस्ट्री ////

हम बाजार से नया कपडा लाते हैं और यदि उसका रंग कच्चा हुआ और उसे दूसरे कपड़ों के साथ धो दिया तो वो कच्चा रंग नए कपड़े से निकल दूसरे कपड़ों पर लग जाता है - और ऐसा पक्के से लगता है कि फिर निकलता ही नहीं ....
मैं आज तक नहीं समझ पाया कि ये रंग की कौन से केमिस्ट्री है जिसके कारण रंग का ये खेल होता है .... किसी के समझ पड़े तो बताना कि जब रंग कच्चा होने के कारण ही निकलता है तो फिर दूसरे कपडे में चिपक पक्का कैसे हो जाता है ????
पर मुझे अब ये जरूर समझ आ रहा है कि ऐसा केवल रंगो के साथ ही नहीं होता - ऐसा अब रंगीली राजनीति में भी हो रहा है ....
कांग्रेस पार्टी की जब पहली बार अभी धुलाई हुई तो इसके कई कच्चे नेता पार्टी को छोड़ निकल लिए और भाजपा में चिपक गए - और भाजपा का भी रंग बिगाड़ गए - और ऐसा रंग बिगाड़ गए हैं कि भाजपा न तो कभी अपने असली रंग में आ सकेगी और ना ही बाहर से आ चिपके गंदे रंग से मुक्त हो सकेगी ....
एक बात और गौर करने लायक है कि - कांग्रेस और भाजपा में अब झीना सा अंतर आन पड़ा है - धुलाई के बाद कांग्रेस का रंग जरूर फीका पड़ चुका है - पर ध्यान रहे रंग फीका हुआ है भाजपा जैसे बदरंग नहीं हुआ है .... और यदि इस फीके रंग पर कोई नया रंगरेज़ नया रंग चढ़ा देता है तो .... तो क्या मज़बूत कपडा फिर नया नहीं हो सकता है ?!?!
और अंततः मेरे अनुसार कांग्रेस और भाजपा दोनों का डीएनए भी एक है - और इनका दरजी धोबी और रंगरेज़ भी एक है - और इनकी सिलाई धुलाई और रंगाई भी एक ही जगह होती आई है ....
अतः साफ़ है देश ने ऊपर से रंगीली राजनीति रुपी कपडे बदले हैं - अंदर से अभी कोई बदलाव नहीं हैं !!!!
अतः मित्रों सावधान रहो - जागते रहो !!!!

Tuesday 28 October 2014

//// देखें इन लातों के भूतों को सुप्रीम कोर्ट के बाद अगली लात किसकी पड़ती है ? ////

दिल्ली में चुनाव और कालेधन के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आज के निर्णयों और टिप्पणियों के मद्देनज़र मैं मानता हूँ कि ये मोदी सरकार अभी तक की भारत की सबसे बेशर्म सरकार साबित हो रही है !!!!
ये भी सिद्ध हो गया कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते !!!!
अब कालेधन का मामला तो सुप्रीम कोर्ट ही देख लेगी - और आशा है कि इस सरकार की तमाम पैंतरेबाज़ी के बावजूद इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचा देगी !!!!

पर अब सबसे ज्यादा कौतूहल का तात्कालिक विषय दिल्ली के चुनाव हैं - क्योंकि इस मामले में मेरे अनुसार सुप्रीम कोर्ट की भी कुछ मर्यादाएं हैं और अधिकार सीमित हैं - और ये सरकार तो बेशर्मी और अनैतिकता के चरम पर है - देखते हैं इन भूतों को अगली लात किसकी पड़ती है - मुझे पूरा भरोसा है जनता इस बार अपनी अकल और लात का सदुपयोग जरूर करेगी - आखिर सारी जवाबदारी सुप्रीम कोर्ट पर तो नहीं डाली जा सकती है ना !!!!

//// SC - "लोकतंत्र में जनता को सरकार का हक़ है" - तो अब गुनहगारों की सजा क्या हो? ////

आज सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली चुनावों को लेकर आप पार्टी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एक बार पुनः सौ टके की बात कही कि - "लोकतंत्र में जनता को सरकार का हक़ है" !!!!
और चूँकि जनता अपने हक़ से वंचित हुई है अतः पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार और वर्तमान भाजपा सरकार और LG नजीब जंग इसके लिए गुनहगार स्थापित होते हैं !!!!
और मैं गुनहगारों को धिक्कारता हूँ - और पूछता हूँ कि इन गुनहगारों की क्या सजा होनी चाहिए ??
और आप पार्टी को और विशेषतः अरविन्द केजरीवाल को इतने बड़े-बड़े शातिर चालाक सत्तासीन ताकतवर सक्षम भ्रष्टाचारी बेईमान लोभी गुनहगार लोगों से अपनी जान माल की परवाह किये बगैर जनहित में लोहा लेने के लिए दिल दिमाग से धन्यवाद देता हूँ !!!!
कभी लगता है अकेले केजरीवाल क्या कर सकेंगे ????
पर कभी लगता है कि एक अरविन्द केजरीवाल जैसा ईमानदार बुद्धिमान निःस्वार्थी क्रांतिकारी ही इन ढेर सारे टुच्चों पर तो भारी है !!!! और मुझे उनसे प्रेरणा मिलती है !!!! जय हिन्द !!!!

Monday 27 October 2014

//// कालेधन के मामले में फँसी टिबलो समूह से बीजेपी और कांग्रेस ने चंदा लिया ? ////

अभी अभी ABP NEWS पर प्रसारित ADR की रिपोर्ट के अनुसार 2004-2012 के मध्य कालेधन के मामले में फँसी टिबलो समूह से बीजेपी ने रु 118 लाख और कांग्रेस ने रु 65 लाख का चंदा लिया था !!!!
अब भाजपा और मोदी जी की नैतिक जवाबदारी बनती है कि या तो इस खबर का खंडन करें या इस्तीफ़ा देकर चुल्लू भर पानी में डूब मरें ....
अरे यार भक्तो एक दम से बिफर मत जाओ - मैंने कहा है "नैतिक जवाबदारी" - इसलिए फ़ोकट घबराओ नहीं - कुछ नहीं होने वाला - ये सरकार पूरे 5 साल चलेगी ....

//// भाजपा अब दिल्ली चुनावों से भाग कहाँ रही है ? ////

सभी लोग और मीडिया अभी तक भी बार बार यही कहते रहे हैं की भाजपा "भगोड़ी जनता पार्टी" दिल्ली चुनावों से भाग रही है ....
पर मेरी विवेचना अनुसार तो भाजपा दिल्ली चुनावों से बहुत पहले भाग खड़ी हुई थी और अब तो मौनदी की परिक्रमा पूर्ण कर थक हार बेशर्म ढीठ की तरह चौराहे पर खड़ी हो गयी है ....
धिक्कार है !!!!

//// जेटली जी !! कांग्रेस नहीं - शर्मदार भक्त शर्मिंदा हैं ////

जेटली जी पहले आप ने कहा था कि कालेधन खाता धारकों के नाम नहीं बता सकते - फिर आप ने कहा कि जब नाम बताएँगे तो कांग्रेस को शर्मिंदगी उठाना पड़ेगी !!!!
खैर अब जब आपने इकट्ठे थोक में 3-3 नाम बता ही दिए हैं तो आपको सूचित हो कि >>>>
>> शर्मदार भक्त शर्मिंदा हैं ....
>> बेशर्म भक्त गुस्से में हैं ....
>> भाजपाई बौराये हुए हैं ....
>> कांग्रेस मजे में हैं ....
>> और अंततः हमारे शेर AK-49 एक बार फिर दहाड़ दिए हैं - मुकेश अनिल अम्बानी सहित 15 नाम फिर सार्वजनिक रूप से बोल आप सबके मुहं पर तमाचा मार बैठे हैं ....
>> पर वो 15 नामी गरामी होनहार आपके आका और आपके मौनदी जी मौन हैं ....
>> और मुझे आप पर घिन्न आ रही है ....
श्रीमान जी टीप करें !!!!

//// राजनीति में ईमानदार वही जिसका दांव न लगे ?? ////

मोदी जी जनता को समझा रहे हैं कि सब्र रखें - 5 महीने का वक़्त तो कुछ भी नहीं ....
और उधर उनके एक मंत्री की संपत्ति 5 महीने में ही दोगुनी हो गयी है - अन्य मंत्रियों की संपत्ति भी करोड़ों से बढ़ गयी है - और विगत 5 महीनों में किसी भी मंत्री की संपत्ति कम नहीं हुई है - कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों और सभी मंत्रियों और सांसदों और नेताओं के चेहरे मुस्करा रहे हैं और पेट फूल रहे हैं - पर गरीब अभी भी सिसक रहे हैं !!!!
और तो और मोदी जी ने कभी कोई धंधा नहीं किया कोई नौकरी नहीं की - कोई पैतृक संपत्ति नहीं - पूरी दुनिया घूमें और खूब खर्च किया होगा - धार्मिक प्रवृत्ति और मंदिरों में आस्था के रहते चढ़ावा दान आदि भी देते होंगे - गरीबों के प्रति दया भाव और सहानुभूति के रहते सहायता भी करते रहते होंगे - स्वाभिमानी होने के कारण किसी से आर्थिक सहायता भी तो नहीं लेते होंगे - खान पान उत्तम - पहनावा भी उत्तम - और फिर भी उनकी संपत्ति 1 करोड़ के ऊपर ????
अतः मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि क्या इसलिय ही वो कह रहे हैं कि 5 महीने की अवधि तो कुछ भी नहीं है - इस बार हक़ का दांव लंबा लगा है - पूरे 5 साल तो रुको ??
या मैं ठीक समझ पा रहा हूँ कि राजनीति में ईमानदार वही जिसका दांव न लगे ????

Sunday 26 October 2014

//// क्या असफल मोदी जी मीडिया की घोर आलोचना से सीख ले वांछित सुधार ला पाएंगे ? ////

25 अक्टूबर को भाजपा मीडिया-सेल द्वारा आयोजित दिवाली मिलन समारोह में मोदी जी द्वारा अप्रत्याशित रूप से संक्षिप्त भाषण दिया गया .... और इस संक्षिप्त भाषण में उन्होंने अपने स्वच्छता अभियान के मीडिया द्वारा कवरेज की भूरि-भूरि विस्तृत प्रशंसा करी - कहा कि सारे मीडिया द्वारा अभूतपूर्व तरीके से इस अभियान के लिए अपनी कलम को झाड़ू बना दिया गया - सर्वथा नागरिकों द्वारा अपेक्षित सहयोग की आवश्यकता को बल दिया, आदि .... और हाँ स्वयं मोदी जी ने यह भी माना कि मीडिया के इस तमाम कवरेज में 80% उनकी आलोचना हुई है - जैसे ये भी बोला गया है कि ये सब कैसे होगा साधन आदि कहाँ से आएंगे आदि !!!!
इस विषयक लगे हाथ मेरी भी आलोचना और विवेचना >>>>
प्रधानमंत्री मोदी जी के स्वच्छता अभियान को मीडिया द्वारा अभूतपूर्व कवरेज दिया गया है और दिया जा रहा है जो किसी भी अभियान को सफल बनाने के लिए अत्यंत सहायक होता है ....
इस अभियान को सफल बनाने हेतु आवश्यक आह्वाहन जनता तक पहुंचा दिया गया है- और मुद्दा सरकारी खर्च पर विज्ञापित भी हो चुका है - सेलिब्रिटी द्वारा भी बढ़ चढ़ कर अपना योगदान दिया गया है - जनता भी इस अभियान से सहमत है और अपना योगदान देने को उत्सुक है !!!!
लेकिन अभी तक इस अभियान के तनिक भी ज़मीनी परिणाम सामने नहीं आये हैं एवं अभी तक सब बातें हवा हवाई - फोटो बाज़ी - डायलाग बाज़ी - फेकम फांकी - शोबाज़ी तक ही सीमित है !!!!
इसलिए मैं 2 अक्टूबर से शुरू इस स्वच्छता अभियान के तहत अभी तक के क्रियाकलापों के लिए मोदी जी को पूर्णतः असफल घोषित करता हूँ !!!!
इस अभियान की तैयारियों और सरकारी पक्ष की अनिवार्य जवाबदारियों के ना के बराबर रहने के कारण उपयुक्त आलोचना भी हो चुकी है - और बकौल मोदी जी समस्त आलोचना को मोदी जी द्वारा स्वयं पढ़ सुन समझ लिया गया है !!!!
इसलिए मैं मोदी जी और उनकी सरकार को सलाह देता हूँ कि अपनी आलोचना को गम्भीरतापूर्वक लें एवं अपने में वांछित सुधार लावें !!!!
और हाँ !! मोदी जी की एक और बात पर घोर आलोचना करता हूँ .... मोदी जी को सच्चाई विदित हो कि पिछले एक महीने में स्वच्छता अभियान से भी कहीं अधिक मीडिया कवरेज तो कालेधन के मुद्दे को मिला - और इसके पूर्व लव-जेहाद को - फिर मोदी जी की इन मुद्दों पर पूर्ण चुप्पी क्यों - इस बारे में मीडिया को बधाई क्यों नहीं दी ? .... लगता है मोदी जी के साथ बहुत बड़ा गड़बड़-झाला है !!!!
जनता अब समझ भी रही है और समझना भी होगा !!!!

Tuesday 21 October 2014

//// मोदी जी किसको मूर्ख बना रहे हैं ?? 5 साल बाद 1-1 दिन का हिसाब देंगे ?? ////

समय ही सार है - समय बलवान है - समय महत्वपूर्ण है - समय कीमती होता है - समय बर्बाद नहीं करना चाहिए - समय किसी के लिए रुकता नहीं हैं - समय से किया गया कार्य ही श्रेष्ठ हो सकता है - समय ......... आदि-इत्यादि !! -- इस प्रकार समय की अपनी महिमा है और समय के आगे सब नतमस्तक होते आये हैं !!!!
पर जनाब हमारे मोदी जी की तो बात ही अलग है ....
श्रीमान जी एक तरफ तो कुछ विशेष किये नहीं हैं - और दूसरी तरफ देश को अपने कार्यों का हिसाब देने के लिए तैयार नहीं हैं - पर बातों में महारथी मोदी जी उपरोक्त सभी उक्तियों को धता बताते हुए कहते हैं कि "पूरे 5 साल बाद मैं 1-1 दिन का हिसाब किताब जनता को दूंगा" - और मूर्ख बनने की चाह रखने वाली जनता तालियां बजाती है या इस मिथ्यक बात से अकारण प्रसन्न और संतुष्ट हो जाती है !!!!
अतः मैं सर्वहित में भ्रामक जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से सब के समक्ष अपनी विवेचना और प्रतिक्रिया रखना चाहता हूँ >>>>
बहुत सरल सी तो बात है कि समय के परिप्रेक्ष्य में किसी भी विषयवस्तु का हिसाब किताब केवल निम्नानुसार ही हो सकता है - जैसे - पल पल का हिसाब (इसे 'लाइव' भी कहा जा सकता है) - हर सेकंड या मिनिट या घंटे का हिसाब - हर दिन का दैनिक हिसाब - हर सप्ताह का साप्ताहिक हिसाब - हर महीने का मासिक हिसाब - हर वर्ष का वार्षिक हिसाब या हर 5 या 10 वर्ष का हिसाब - आदि !!!!
अब आप अपनी सामान्य बुद्धि लगा मुझे बताएं कि यदि आपका मुनीम या सेवक यदि आपको रोज़ाना हिसाब दे तो तो आप इसे दैनिक हिसाब ही मानेंगे ना - पर यदि वो आपको महीने भर के अंतराल से हर माह की पहली तारिख को हिसाब किताब देते हुए ये बताये कि पिछले माह के प्रत्येक दिन उसने क्या किया था तो ऐसा हिसाब मासिक कहलायेगा या दैनिक ????
तो जनाब अब आप समझ गए होंगे कि मोदी जी आपको अपने शब्दजाल में उलझा मूर्ख बना रहे हैं - वो ना तो आपको हिसाब दे रहे हैं न देने वाले हैं - वो आपको 1-1 दिन का तो क्या महीने या साल का हिसाब भी नहीं देने वाले - वो तो आपको पूरे 5 साल बाद ही हिसाब देंगे जो "5 साल का हिसाब" ही तो कहलायेगा - 1-1 दिन का हिसाब कैसे कहलायेगा ?? और कल्पना करें कि यदि उनका 5 साल का हिसाब गड़बड़ रहा तो ?? तो क्या आप बीत चुके प्रत्येक दिन के बारे में कुछ कर पाएंगे ????
मेरी विवेचना ज़रा विस्तृत हो गयी है पर भ्रामक जनता के दिमाग में ठूसने के लिए इतना आवश्यक सा लगा - तो मेरे समझदार मित्रों से माफ़ी के साथ प्रस्तुत है !!!!

Monday 20 October 2014

//// अन्ना का आंदोलन - जनलोकपाल जैसा हश्र तो नहीं करेंगे ? ////

सुना है अन्ना हज़ारे कालाधन खाता धारकों के नाम उजागर करने हेतु मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने जा रहे हैं ....
स्वागत है .... यदि किरण बेदी, पूर्व जन. वी.के. सिंह, बिन्नी, स्वामी अग्निवेश, ममता बनर्जी और रामदेव बाबा, जैसी महान हस्तियां इस आंदोलम में हिस्सा लेती हैं तो मैं मानूंगा की ये सब नौटंकी कर रहे हैं .... अन्यथा मानूंगा कि अन्ना आंदोलन कर रहे हैं !!!!
लेकिन यदि नौटंकी भी अच्छी हो और अच्छे मकसद के लिए हो तो भी स्वागत करना और यथायोग्य समर्थन करना तो बनता है !!!!
इसलिए अब किरण बेदी आदि अन्य हस्तियों की भी परीक्षा होगी कि वो समर्थन करते हैं या नहीं ??
पर बेहतर होगा कि अन्ना पहले से घोषित कर दें कि कितने नामों की घोषणा से वे संतुष्ट हो जाएंगे - कहीं जनलोकपाल जैसा हश्र तो नहीं होने देंगे कि जोकपाल से ही संतुष्ट हो गए - यानी सुविधानुसार 10-20 नाम ही घोषित हों और अन्नाजी बोले ये लो - शुरुआत तो हो गयी - मेरा विरोध किसी भी पक्ष और पार्टी से नहीं था - पर सारे नाम सभी पक्ष और पार्टी वालों के आ रहे हैं - तो अब काहे का आंदोलन - चलो अब खाओ पियो मस्त रहो !!!!
अब अगला आंदोलन सन 2018 के अंत में "राइट टू रिकॉल" के लिए करेंगे !?!?

//// भ्रष्टाचार के मामले और मोदी जी के सर माथे आन पड़ी जवाबदारियाँ ////

एक बार फिर मैनें प्रधानमंत्री मोदी जी को बोलते सुना कि NCP और कांग्रेस ने महाराष्ट्र में और INLD और कांग्रेस ने हरियाणा में भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी थीं ....
पिछले 5 महीने से केंद्र में आपकी पूर्ण बहुमत की मज़बूत सरकार है - और अब महाराष्ट्र और हरियाणा में भी आप की सरकार बनने जा रही है ....
यानी सभी सरकारी तंत्र आपके पूर्ण नियंत्रण में हैं ....
मोदी जी आप का पार्टी पर भी एकछत्र नियंत्रण हो गया है - यानि पार्टी की तरफ से भी कोई रोक-टोक की संभावना नहीं है !!!!
तो अगर मोदी जी आप सचमुच भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं - और आप राजनीति करने के काबिल भी हैं - - और आप बुद्धिमान कार्यकुशल और मेहनती भी हैं - और आपकी नीयत भी साफ़ है - तो कोई कारण नहीं कि आप भ्रष्टाचार के कम से कम 10-20 प्रकरण तो 1 महीने में ही जनता के सामने उजागर कर देंवे !!!!
और अगर आप ऐसा नहीं कर यदि यह दलील देते हैं कि भ्रष्टाचारी बहुत शाने और शातिर होते हैं और उन्हें पकड़ कर कानून के द्वारा सजा दिलाना टेढ़ी खीर है - तो फिर ये बात तो आप पर भी लागू हो सकती है - यानी हम आपके लिए भी ऐसी ही मान्यता क्यों नहीं बनाएं की आप भी भ्रष्टाचारी हैं पर आपको पकड़ना आसान नहीं ????
तो मोदी जी अब आपकी परीक्षा की घडी आप के सर माथे आन पड़ी है - आप ने आज तक जितने भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं उन्हें उजागर कर दोषियों को सजा दिलवाना अब आपकी जवाबदारी बन चुकी है - क्योंकि जनता ने आपको सारे अधिकार दे दिए हैं और आपको उपयुक्त वेतन भी दिया जा रहा है और तमाम सुविधाएं भी दी जा रहीं हैं - अतः अब आपको अपनी बातें सिद्ध करना ही पड़ेंगी - अतः अब आप दोषियों को सजा दिलवाएं - भ्रष्टाचार का पैसा वापस वसूल कर सरकारी खजाने में डलवाएं - या देश से माफ़ी मांग लें - अन्यथा अपना पद त्याग देवें तो ही बेहतर !!!! धन्यवाद !!!!

Sunday 19 October 2014

//// महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजे - एक सधा हुआ अच्छा जनादेश ////

महाराष्ट्र और हरियाणा के नतीजे स्वागत योग्य हैं .... क्योंकि जैसा कि मैंने पहले भी कहा था - कांग्रेस NCP INLD की हार भ्रष्टाचार की हार का द्योतक है - और शिवसेना की अनपेक्षित असफलता अतिवादी साम्प्रदायिकता की अस्वीकार्यता का द्योतक है ....
और इसके साथ मेरे अभिमत अनुसार भाजपा की जीत वर्तमान परिस्थितियों में "बेस्ट अमंग्स्ट वर्स्ट" यानी सभी बेकार पक्षों में से सबसे बेहतर का द्योतक है - यानी और कोई बेहतर विकल्प ना होने का द्योतक है .... इसलिए इन नतीजों से भाजपा के अलावा किसी को खुश होने का कोई कारण नहीं है - पर भाजपा को भी बहुत खुश होने का औचित्य नहीं है !!!!
कुल मिलाकर जनता ने वर्तमान परिस्थितियों के रहते एक सधा हुआ अच्छा जनादेश दिया है !!!!
आगे मेरे सुझाव निम्नानुसार है ....
1) अब महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना ने तुरंत साझा सरकार बनाने हेतु राज़ी हो जाना चाहिए....
2) शिवसेना ने अतिवाद सम्प्रदाय का रास्ता छोड़ धर्मनिरपेक्षता की मूल भावनाओं के तहत कार्य करना चाहिए ....
3) कांग्रेस को गांधी परिवार से अपना पिंड छुड़वाकर नए नेतृत्व के साथ आगे आना चाहिए ....
4) NCP INLD को अब अपनी पार्टी ही खत्म कर घर बैठना चाहिए !!!!
5) और भाजपा को ? .... बस कम से कम अब तो कुछ कार्य कर के बताना चाहिए - वादों और फेंका फांकी से बचना चाहिए - और केवल एक व्यक्ति विशेष मोदी जी को महामंडित करने और उनके ही भरोसे रहने से बचना चाहिए - मेरे अभिमत में तो भाजपा ने भी अपना नेतृत्व बदल सुषमा स्वराज जैसे संतुलित नेता को नेतृत्व सौंपना चाहिए - अमित शाह जैसे अनुपयुक्त व्यक्ति को अध्यक्ष पद से हटा किसी स्वच्छ और सेक्युलर छवि वाले व्यक्ति को लाना चाहिए - नहीं तो भविष्य में मोदी जी की अप्रासंगिकता उपरांत पूरी भाजपा का हाल कांग्रेस से भी बदतर होना संभावित हो जाएगा !!!!

Saturday 18 October 2014

//// भक्त लोग दोनों हाथ ऊपर कर मुट्ठी बंद कर ज़ोर से बोलते रहें - मोदी ! मोदी !! मोदी !!! ////

अरे भई !! आम जनता से किये गए वादों की तो मोदी जी ने वाट लगा दी है .... 
अब देखें महंगाई भ्रष्टाचार लोकपाल रोज़गार महिला-सुरक्षा शिक्षा पाकिस्तान चीन आदि मुख्य मुद्दों पर तो वो खरे नहीं उत्तर पाये थे - पर अब जब उन्होंने कालेधन पर पलटी मार ली है तो हमारा तो विश्वास उन पर से उठ गया है - हम तो आहत हैं और अपने को स्पष्टतः ठगा महसूस कर रहे हैं !!!!
पर भक्त लोगों को निराश होने की आवश्यकता बिलकुल नहीं हैं ....
अब देखें कि मोदी जी ने क्या खूबी से सांप्रदायिक कार्ड खेलें हैं - पहले दंगे फसाद फिर लव-जेहाद .... तो इसलिए भक्तों को मोदी जी पर पूरा विश्वास रखना चाहिए कि वो - राम मंदिर - धारा-370 - सामान्य नागरिक संहिता - गौहत्या प्रतिबन्ध - निर्मल गंगा आदि का वायदा तो ज़रूर पूरा करेंगे .... क्या है अभी अभी तो आये हैं .... अब हर काम करने में समय तो लगता है - भक्त थोड़ा सबर रखें - 2019 तक सभी कार्यों का ब्लू प्रिंट तैयार कर दिया जावेगा और भक्तों के बहुमूल्य अटल समर्थन के बल पर दोबारा चुनाव जीत कर 2024 तक सभी वायदे पूरे कर दिए जाएंगे - बस आप उन्हें थोड़ा सा समय दें - हमेशा पॉजिटिव सोचें और हमेशा पॉजिटिव ही सोचें और नेगेटिव सोचने की तो भूल भी ना करें !!!!
तो भक्तों बोलो - मोदी ! मोदी !! मोदी .... ऐसे नहीं !! दोनों हाथ ऊपर कर मुट्ठी बंद कर इतनी ज़ोर से बोलो कि मोदी जी तक सीधे आवाज़ पहुंचे - मोदी ! मोदी !! मोदी !!!
बस अब ऐसे ही लगे रहो - कर्म का फल जरूर मिलेगा - तुम्हारे अच्छे दिन ज़रूर आएंगे ?!@#$%?

Friday 17 October 2014

//// कालाधन - मोदी सरकार की जबरदस्त पलटी - वादाखिलाफी - बेशर्मी की सीमा पार ////

कालाधन ना तो 100 दिन में वापस आया ना निकट भविष्य में वापस आने वाला है .... अब अंतर्राष्ट्रीय संधि का हवाला दिया गया है - वही बहाना जो UPA देती रही थी !!!!
और जैसे UPA की सरकार अपनी पूरी अवधि चलती रही थी - वैसे ही ये मोदी सरकार भी 2019 तक चलती रहेगी - स्पष्तः और ज्यादा बेशर्मी के साथ !!!!
अब होना तो ये चाहिए कि या तो मोदी सरकार जिस अंतर्राष्ट्रीय संधि का बहाना बना रही है उसे तोड़ दे - या फिर कम से कम हाथ जोड़कर अपने ही देश की जनता से माफ़ी मांग ले - कि माफ़ करें ज़रा ज्यादा ही फेंक गए थे !!!!
पर मुझे नहीं लगता कि बड़बोले मोदी जी या ये सरकार या रामदेव बाबा या इस मुद्दे पर बड़ी बड़ी बातें कर लोगों को बेवकूफ बना गए अन्य लोग ही कोई माफी मांगेंगे !!!!
अतः मैं तो अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा हूँ !!!!
बस अब मेरी अपेक्षा और निवेदन है कि पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठ इस सर्वहित मुद्दे पर कम से कम हर जागरूक नागरिक घोर निंदा अवश्य ही करे - भले ही फिर आप मोदी जी का समर्थन करें या ना करें !!!!

//// "श्रमेव जयते" का हश्र "सत्यमेव जयते" जैसा न हो ////

कल मोदी जी ने "श्रम" संबंधित अनेक योजनाओं और घोषणाओं का पिटारा खोलते हुए "सत्यमेव जयते" की तर्ज़ पर "श्रमेव जयते" का नारा दिया !! आयोजन से संबंधित बड़े बड़े सरकारी विज्ञापन भी देखे !!
सबसे पहले तो मैं मोदी सरकार को श्रमिकों के लिए जो कुछ भी अच्छा सोचा गया है या किया गया है उसके लिए बधाई और धन्यवाद देता हूँ - क्योंकि बिना श्रमिक के श्रम क्या और बिना श्रम इस देश का गरीब श्रमिक कुछ हासिल भी थोड़े ही कर सकता है - अपवाद को छोड़ कर कि जब किसीकी किस्मत ही बुलंद न हो जाए !!!!
तो बस अब एक छोटी सी सुझात्मक प्रार्थना / टिप्पणी और करना चाहूंगा कि ....
कृपया ध्यान रहे कि इस देश में "सत्य" की जो रेड़ पीटी जाती रही है वैसी ही रेड़ कम से कम "श्रम" की नहीं पीटी जाती रहे .... भगवान के लिए हमारे गरीब श्रमिकों के साथ आगे कोई तनिक भी राजनीति या अन्याय नहीं करना - उनके श्रम का पूरा-पूरा मूल्य बिना बंदरबाट और सरकारी अपव्यय के उन्हें पसीना सूखने से पहले प्राप्त ज़रूर करवा देना - धन्यवाद !!!!

//// ये हाथी कौन है और कुत्ते कौन ???? ////

एक तरफ तो अधिकाँश मोदी समर्थक बिना मुद्दे की बात किये बस मुझे सलाह हिदायत नसीहत देते हुए कहते रहते हैं कि - मेरे द्वारा मोदी सरकार की आलोचना या निंदा नहीं करी जाय - और पहले मोदी जी को समय दिया जाय - आदि इत्यादि ....
और कई भक्त (सामान्य समर्थक नहीं) इसमें के "घिसे-पिटे पॉपुलर डायलॉग्स" देते रहते हैं जैसे कि - "हाथी चले अपनी चाल - कुत्ते भौंके हज़ार" - आदि इत्यादि !!!!
मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि मैं कब से इतना महत्वपूर्ण और असरकारक हो गया हूँ कि मेरी आलोचना या निंदा करने से मोदी जी हताहत हो जाएंगे या हतोत्साहित हो जाएंगे या परेशान हो जाएंगे या विचलित हो जाएंगे या बुरा मान जाएंगे या दुखी हो जाएंगे ????
और क्या किसी को भी ऐसा गुमान हो गया है कि मैंने यानि ब्रह्म प्रकाश दुआ ने मोदी जी को 5 साल का समय दिया हुआ है और मैं वो समय वापस ले सकता हूँ या ले रहा हूँ या ले लूँगा ????
और क्या मोदी जी कोई छुइ-मुई हैं जो मैं हाथ लगाउँगा तो वो मुरझा जाएंगे ????
ईमानदारी से बताऊँ तो तथ्य ये है कि मैं तो एक आम आदमी हूँ और नाक की सीध अपनी ही चाल चल रहा हूँ - सही को सही और गलत को गलत कहते - बिना किसी लॉग-लपेट के - बिना किसी दंभ या गुमान के - बिना किसी बदनीयती से - बिना किसी भय लाभ या लालच के ..... और इसलिए मैं तो यह भी नहीं समझ पा रहा हूँ कि ये हाथी कौन है और कुत्ते कौन ????

Thursday 16 October 2014

//// में तो आशावादी और उदारवादी - विरोधी भी खुश रहें ! ////

वैसे तो मैं भाजपा के क्रियाकलापों से कदापि संतुष्ट नहीं हूँ पर फिर भी मुझे ख़ुशी ही होगी अगर भाजपा महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव भारी अभूतपूर्व बहुमत से जीत जाय ....
ऐसा इस आशा में कि शायद इससे प्रोत्साहित होकर ही ये दिल्ली चुनाव करवा बैठें !!!!
वरना तो हम लोकतंत्र की हत्या और बेशर्मी और अनैतिकता का नंगा नाच ही देखते रह जाएंगे !!!!

//// क्या अब घिनौने कृत्यों की निंदा भी उपयुक्त नहीं मानी जायेगी ? ////

ये लव-जेहाद के मुद्दे में जो नए नए विवरण सामने आये हैं उसमे मुख्यतः भाजपा के एक नेता व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष विनीत अग्रवाल मेरठ लव-जेहाद प्रकरण में पीड़िता के परिवार को दिनांक 07 अगस्त को नकद रुपये 25,000/- देते कैमरे में कैद हुए - और भाजपा ने पैसे देना स्वीकार भी कर लिया है .... और पीड़िता ने अब मजिस्ट्रेट के समक्ष ये बयान भी दे दिए हैं की लव जेहाद जैसा कुछ भी नहीं था !!!!
मैंने शुरू से ही भाजपा के इस घिनौने कृत्य को पहचान लिया था और इसका विरोध किया था .... और मेरा हमेशा से मानना रहा था कि इस प्रकार के सभी मामले प्रस्थापित कानून व्यवस्था के तहत एक स्वतंत्र पृथक प्रकरण के रूप में लिए जाने चाहिए थे .... पर इसे शर्मनाक और घिनौनी बदनीयती से बिलकुल निरंकुश बनकर धर्म से जोड़ दंगे फसाद कराना और वैमनस्य फैलाना तो हद ही हो गयी - ये हरकत तो जानवरों से भी गयी बीती हो गयी ..... और फिर 344 सीटों के भारी बहुमत से चुन के आने वाले और प्रधानमंत्री बने मोदी जी की इस विषयक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में संलिप्तता या सहमति और गृहमंत्री राजनाथसिंह के बयान मुझे बहुत पीड़ा दे गए ....
मैं तो एक साधारण नागरिक हूँ, पढ़ा लिखा हूँ, अधर्म और फ़िज़ूल कुरीतियों और प्रथाओं के परिप्रेक्ष्य में नास्तिक हूँ, और सेक्युलर हूँ और मानवीय मूल्यों पर ही भरोसा करता हूँ - और शायद इसलिए ऐसे किसी भी संवेदनशील मुद्दे और मुद्दे से जुड़े व्यक्तियों को सिवाय नफ़रत और हिक़ारत के अलावा किसी और दृष्टि से नहीं देख पाता हूँ - और जब मैं किसी को भी केवल मोदी या भाजपा का समर्थन करने के उन्माद या उद्देश्य से देखता हूँ तो भी मुझे पीड़ा ही होती है .... स्पष्ट कर दूँ की कोई भी व्यक्ति इस दुनिया में 100% सही और सच्चा नहीं होता और इसलिए यदि किसी व्यक्ति में कुछ कमी है तो भी उसका समर्थन करना मैं गलत नहीं मानता और इसलिए मेरी आपत्ति मोदी या भाजपा का समर्थन करने हेतु बिलकुल नहीं है, या उनकी अनेक अच्छाइयों की तारीफ करने से भी नहीं है - पर इस घिनौने मानवीय मुद्दे को नज़रअंदाज़ करना और इस मुद्दे की निंदा नहीं करना अखरता है ! और तो और ऐसे मुद्दों पर मेरी निंदा करने को किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी की निंदा से ही जोड़ देना भी अखरता है !!!!
ईश्वर से प्रार्थना है कि सांप्रदायिक दंगो फसादों में मृत्यु प्राप्त हज़ारों लाखों निर्दोष इंसानों की आत्मा को शांति प्रदान करे - और मुझे भले ही विकास वैभव सुख दे या ना दे - निर्दोष लोगों को साम्प्रदायिकता के खुल्ले नंगे आतंक से बचाये !!!!

//// महंगाई पर लगाम हेतु मैं साधुवाद देना चाहता हूँ - पर किसको दूँ ?? ////

मई 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद पहली बार थोक और खुदरा सूचकांक में गिरावट - पेट्रोल भी 1 रुपये और सस्ता - महंगाई भी बढ़ना रुकी लगती है - शायद गरीब को थोड़ी ही सही पर कुछ तो राहत मिलना संभावित - और यदि गरीब को राहत पहुंचती है तो मैं इसका स्वागत करता हूँ और अपनी तरफ से प्रसन्नता व्यक्त करते हुए साधुवाद भी ....
पर ये साधुवाद किसको दूँ ????
ये प्रश्न इसलिए उठता है और मैं उठा रहा हूँ कि - जब महंगाई बढ़ रही थी तब मोदी सरकार चुप थी और कोई विश्लेषण प्रस्तुत नहीं किया गया था - शायद ये अहसास कराया जा रहा था कि ये डायन महंगाई किसी के बस में तो है नहीं - अब बढ़ रही है तो बढ़ रही है - बढ़ने दो - बस - टमाटर यदि 80 रु किलो हो गए तो क्या करें - सरकार इसके लिए कदापि दोषी नहीं है - सरकार ने कुछ किया भी नहीं है - रेल किराया बढ़ाया तो वो तो ज़रूरी था और पूर्व सरकार का निर्णय था .... आदि !!!!
और ईमानदारी की बात कहूँ कि पहली बार मैं इस सरकार की इस विषयक ईमानदारी का कायल हो गया हूँ की आप देखें अभी तक सरकार ने इन घटती दरों का कोई श्रेय भी नहीं लिया है ....
और ना ही कोई विश्लेषण समक्ष में रखा है जो ये बताये कि सरकार ने ऐसा क्या किया कि महंगाई पर लगाम लगना शुरू हुई है और आगे वो क्या करने वाली है ? आदि !!!!
बस इसलिए मैं विचलित हूँ कि इस सरकार के 4-5 महीने के कार्यकाल में पहली अच्छी खबर के लिए मैं किसको साधुवाद दे ईमानदारी से अपने राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन कर सकूँ ? मुझे लगता है कि शायद कोई भक्त ही मेरी मदद कर सकता है - इसलिए उनकी टिप्पणियों का इंतज़ार रहेगा !!!!

Wednesday 15 October 2014

//// भाजपा सरकारें तो बन जाएंगी - पर अपेक्षित काम भी करेंगी कि नहीं ? ////

लोकसभा चुनाव के नतीजे, पूर्व अनुमान, ओपिनियन पोल के अनुमान, और अब एग्जिट पोल के अनुमान भी यही इंगित कर रहे हैं कि भाजपा महाराष्ट्र और हरियाणा में स्पष्ट बहुमत या लगभग पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सरकार बना लेगी .... इसका मतलब यह होगा कि मोदी जी का प्रभाव अभी भी बरक़रार है और जनता उन पर विश्वास कर रही है - या कोई विकल्प ना होने के कारण भाजपा को वोट देने के लिए मजबूर है ....
इसका मतलब यह भी होगा कि कांग्रेस, NCP और INLD जैसी भ्रष्ट और शिवसेना जैसी अतिवादी और हिंदूवादी पार्टी की ये स्पष्ट हार भी होगी .... जो स्वागत योग्य है !!!!
परन्तु भाजपा की सरकार बनने के उपरांत क्या वास्तव में विकास, जनकल्याण और गरीब-हित के कार्य होते हैं या नहीं ये अभी देखना बाक़ी रहेगा ....
केंद्र में अभी तक के मोदी सरकार के क्रियाकलापों को देखते हुए तो विशवास नहीं किया जा सकता - पर हाँ मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के क्रियाकलापों को देखते हुए (व्यापम घोटाले जैसे अपवादों को छोड़) कुछ आशा अवश्य ही की जा सकती है - अस्तु महाराष्ट्र और हरियाणा में मुख्यमंत्री कौन बनाया जाता है यह भी महत्त्वपूर्ण होगा - यदि गडकरी या वैसे ही किसी व्यक्ति को बाग़ डोर सौंप दी जाती है तो मानें कि बेडा गर्क होने की सम्भावना बढ़ जायेगी ....
कुल मिलाकर सरकारें तो बन जाएंगी - पर देखना होगा कि ये अपेक्षित काम भी करेंगी कि नहीं ?

//// देखें मोदीजी पाकिस्तान की राह चलते हैं या अपनी इज़्ज़त का फालूदा बनवाते हैं ////

कुछ ही समय हुआ है जब जम्मू काश्मीर में भयावह बाढ़ और प्राकृतिक विपदा आने पर हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने पाकिस्तान के समक्ष पाकिस्तान अधिकृत काश्मीर में भी भारत द्वारा मानवीय आधार पर राहत कार्य करने की पेशकश कर दी थी !!!! 
उस प्रस्ताव का जो और जैसा हश्र होना था सो हो गया था .... पर न जाने क्यों मुझे आज फिर वो बात याद हो आई जब मालूम पड़ा कि अरविंद केजरीवाल ने विधायक फंड से बीजेपी कार्यालय में महिलाओं के लिए शौचालय बनवाने की पेशकश कर दी है !!!!
देखें मोदीजी भी पाकिस्तान की राह चलते हैं या फिर अरविन्द केजरीवाल का प्रस्ताव सधन्यवाद स्वीकार्य कर अपनी इज़्ज़त का फालूदा बनवाते हैं ????
खैर जो भी हो अब कम से कम शौचालय का काम तो तुरंत हो ही जाना चाहिए और इसके लिए भाजपा पार्टी की महिलाओं को अरविन्द केजरीवाल का शुक्रगुज़ार तो होना ही पड़ेगा !! है ना !!!!

//// दुर्भाग्यवश महाराष्ट्र हरियाणा की चुनावी सभाओं में मोदी जी द्वारा गलत बयानी सिद्ध ////

आज 15-10-14 को महाराष्ट्र और हरियाणा में इस वक़्त वोटिंग जारी है .... और इसी वक़्त ये भी समाचार आ रहा है कि पुंछ सेक्टर में पाकिस्तान द्वारा फिर भारी गोलाबारी करी गयी है >>
प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा कुछ ही दिन पूर्व चुनावी सभाओं में ये कहा गया था कि - पाकिस्तान को माक़ूल जवाब दे दिया गया है - उसकी अकल ठिकाने आ गयी होगी - और अब उसकी दुबारा ऐसी हरकत करने की हिम्मत नहीं होगी - और साथ ही यह भी कहा था कि इस विषयक राजनीति नहीं होनी चाहिए - और आप भाजपा को कमल के निशान पर बटन दबाकर भारी मतों से विजयी बनाएं .... इत्यादि !!!!
अतः आज मैं पुनः उसी विषय पर लौटते हुए मोदी जी की एक बार फिर इस बात के लिए घोर निंदा करता हूँ कि उन्होंने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए पाकिस्तान सबंधित संवेदनशील राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे पर प्रदेश विधानसभा की चुनावी रैलियों में अनावश्यक और गलत बयानी कर स्वयं घटिया राजनीति करी .... और अब मैं प्रश्न पूछता हूँ कि जब पाकिस्तान की तरफ से गोलाबारी अनवरत जारी रही है तो वो देश की जनता और विशेषकर महाराष्ट्र और हरियाणा की जनता को इस विषयक क्या कोई स्पष्टीकरण देंगें ?? क्या वे बताएँगे की उनकी गलत बयानी से चुनाव परिणाम पर जो असर हुआ होगा उसकी जवाबदारी किसकी होगी ??
मैं पुनः स्पष्ट कर दूँ कि यदि मोदी जी ने चुनावी रैलियों में जो कुछ भी कहा था यदि वही का वही अपने दिल्ली कार्यालय या अन्यत्र उपयुक्त स्थान और समय पर कहा होता तो मुझे रत्ती भर भी आपत्ति नहीं होती !!!! बल्कि मैं तो ये अपेक्षा करूंगा कि अब महाराष्ट्र हरियाणा चुनाव हो चुकने के तत्काल बाद मोदी जी एक बार फिर दहाड़ लगाएं और जैसा कि भारतीय सेना ने अभी माकूल जवाब दिया था उससे भी कडा जवाब शैतान पाकिस्तान को दिया जाए - और मैं आशा करता हूँ कि मोदी जी ऐसा ही करेंगे भी !!!!

Tuesday 14 October 2014

//// मैं 'दद्दाजी' का 'अपना' क्यों नहीं बनना चाहता ?? ////

मेरे कुछ मित्र मुझ से हमेशा ये कहते रहे हैं कि 'दद्दाजी' की निंदा मत करो - तुम बहुत अच्छा सटीक अकाट्य और तथ्यात्मक लिखते हो - 'दद्दाजी' का नुक्सान हो जाएगा - उनकी वाट लग जायेगी - लोग उन्हें हटा देंगे तो फिर कौन आएगा - उन्हें थोड़ा समय तो दो - बाकी भी तो सब बर्बाद ही हैं - एक AK-49 बहुत ही अच्छे हैं तो भी वो अभी सीधे केंद्र में नहीं आ सकते - 'दद्दाजी' सब ख़राब में कुछ तो अच्छे हैं ही (best amongst worst) - उन्हें बख्श दो - उनकी आलोचना करना बंद करो और उन पर थोड़ा रहम करो - और बेहतर होगा की तुम भी 'दद्दाजी' के 'अपने' बन जाओ !!!!
मेरे मित्र बात तो कुछ ठीक ठाक कह रहे थे - पर मेरे गले नहीं उतरी - तो मैंने भी उन्हें सही सही कारण बता दिए कि मैं 'दद्दाजी' का 'अपना' क्यों नहीं बनना चाहता .... और जो बताया आपको भी बता देता हूँ >>>>
हमारे 'दद्दाजी' भी कुछ अजीब ही हैं - एक तो बोलते बहुत हैं - और फिर इनकी 'अपने वालों' से ही कुछ पटरी नहीं बैठती - अब देखिये ....
इन्होने शादी की - पत्नी है पर दोनों अलग रहते हैं ....
बूढी माँ है पर साथ नहीं रखते - तीज त्यौहार मिल आते हैं ....
अपना घर परिवार था पर छोड़ कर अज्ञात वास तक में चले गए थे ....
एक पुत्तर सामने आया था - पर उसे विदेश छोड़ आये ....
भाई बहन हैं पर कभी आपस में मिलते नहीं दिखे, कभी उनकी बात तक नहीं करते ....
कई वृद्ध पिता तुल्य लोग हैं जिन्हे अपना गुरु भी मानते थे पर अब उन्हें भी कोई भाव नहीं देते ....
पुरखों की मूर्ती लगाने की भी बात आती है तो वो अपने पुरखों को छोड़ दूसरों के पुरखों की मूर्ती लगाने की बात करते हैं ....
कई नामकरण भी वो अपने पुरखों के बजाय दूसरों के पुरखों के नाम ही करने की बात करते हैं ....
मित्रों मित्रों तो बहुत बोलते हैं पर किसी भी मित्र के बारे में ज्यादा कभी कुछ बोलते नहीं दिखे ....
पर साहब जब जब संस्कारों की बात आती है तो बयान और बखान पर बखान सुन लो ....
कई बार तो शहंशाह के स्टाइल में बात करते दिखे और शहज़ादे शहज़ादे बोलते - पर शहज़ादे के साथ शहज़ादे जैसा व्यवहार कभी नहीं किया ....
और हाँ बहुत समय से हर चुनाव में ये एक व्यक्ति को दामादजी दामादजी कह कर पुकारते रहे - पर ना तो कभी उसका नाम लिया और ना ही कभी अंदरुनी रिश्तेदारी का इज़हार किया .... और अब जब फिर चुनाव आये तो फिर आ गए दामादजी इनकी ज़ुबां पर - लेकिन दामादजी की इज़्ज़त तो छोड़िये, 'दद्दाजी' फिर पीछे पड़ गए कि दामादजी ने सरकारी दहेज़ लिया है - वो भी एकड़ों जमीन के रूप में ....
सरकारी तंत्र ने एक बार फिर जांच करी और दामादजी को फिर दोषमुक्त घोषित कर दिया ....
और अब लगता है चूँकि उपचुनाव का प्रचार ख़त्म हो चुका है तो अगले चुनाव तक 'दद्दाजी' चुप हो जाएंगे ....
और इस चुप्पी का कारण है - वो दो चार ससुरे जो लगता है कि 'दद्दाजी' पर भी भारी हैं - वो परदे के पीछे 'दद्दाजी' को पप्पू बनाये हुए हैं - और इनसे अपने काम निकलवाते जा रहे हैं - यानी इनके ससुरे भी इनके 'अपने' ना हुए >>>>
तो मेरे प्यारे हितैषी मित्रों इसलिए मैं तो 'दद्दाजी' से दूर ही अच्छा .... दिमाग भी यही कहता है और दिल भी .... माफ़ करना यारों - बस तुम्हारी हमारी दोस्ती में दरार नहीं आनी चाहिए - और भले ही like share मत करना पर गाली भी मत देना क्योंकि भले ही मुझे असर न हो पर अच्छा भी नहीं लगता मेरे यार !!!!

Monday 13 October 2014

//// मोदी सरकार हिसाब-किताब देने में अक्षम - जनता को पैनी नज़र रखनी होगी ////


बार बार और आज फिर पालघर महाराष्ट्र की रैली में मोदी जी बोले कि कांग्रेस मुझ से हिसाब मांग रही है पर उसने कभी 60 साल का हिसाब नहीं दिया .... पर मोदी जी बड़ी चालाकी से ये बात छुपा गए की शायद हिसाब-किताब तो जनता भी मांग रही है - और यदि कांग्रेस ही मांग रही है तो भी कांग्रेस जनता का ही अभिन्न अंग है और एक विपक्षी पार्टी भी - और यदि जनता नहीं भी मांग रही है तो भी उनका स्वतः दायित्व है की वो जनता को हिसाब-किताब दें !!!!
मोदी जी के लहज़े में ही पूछूँ तो - 'भाइयों और बहनों' बताओ मोदी को हिसाब-किताब देना चिए की नी देना चिए?"
पर 'भाइयों और बहनों' - मोदी जी हिसाब-किताब के नाम से ही बिचक रहे हैं - इसलिए ये सिद्ध हो गया कि मोदी जी के पास हिसाब-किताब है ही नहीं क्योंकि स्पष्तः उन्होंने अभी तक कुछ विशेष काम किया ही नहीं है .... और अंततः वो हिसाब किताब नहीं देंगे !!!!
और एक बात सिद्ध हो गयी कि कांग्रेस शायद 60 साल इसलिए राज कर पायी थी क्योंकि उसके पास हिसाब किताब था और वो अपने सच्चे झूठे हिसाब किताब जनता के सामने रखते आ रही थी ....
और मेरी एक और दलील है कि कांग्रेस ने क्या किया और क्या नहीं किया इसका मोदी द्वारा विलाप आज की तारीख में अनवरत करते रहना असामयिक एवं अतार्किक है - क्योंकि कांग्रेस के द्वारा प्रस्तुत हिसाब-किताब का जनता द्वारा आंकलन किया जाकर उसको पूर्ण रूप से बेदखल कर दिया गया था - और अब कांग्रेस आपके आड़े भी नहीं आ रही है न ही आपके कार्य करने में बाधक हो सकती है - आप के लिए तो मैदान खुल्ला है - आप तो अपनी 100% क्षमता और दक्षता अनुरूप दौड़ लगा सकते हैं - पर आप दौड़ नहीं रहे हैं - आप चल भी नहीं पा रहे हैं - आप तो लंगड़ा भी नहीं पा रहे हैं - लगता है या तो आपको इस विधा में चलना दौड़ना आता ही नहीं या फिर आपको लकवा मार गया है !!!!
अतः 'भाइयों और बहनों' - हम सबको ध्यान रखना चाहिए कि मोदी और भाजपा की तुलना हम कांग्रेस से कदापि ना करें और ना ही होने दें - और ये तो बिल्कुल भी न होने दें कि क्योंकि कांग्रेस अमुख निंदनीय कार्य करती थी तो अब मोदी को भी वही करने दिया जाय - बल्कि इसके विपरीत इस सरकार के क्रियाकलापों पर पैनी नज़र रखें और एक निष्पक्ष और स्वतंत्र आंकलन ही कर ससमय इस सरकार के पक्ष या विपक्ष में असरकारक उचित निर्णय करें !!!! धन्यवाद !!!!

Sunday 12 October 2014

//// मोदी जी 'सांसद आदर्श ग्राम योजना' के परिप्रेक्ष्य में 'AK-49' की "स्वराज" एक बार पढ़ें ////

'सांसद आदर्श ग्राम योजना' का शुभारंभ करते हुए मोदी जी ने कहा >>>>
>> हम ऐसा माहौल बनाएंगे कि हर व्यक्ति को अपने गाँव पर गर्व होगा ....
>> मैं यह वादा नहीं करता कि रातोंरात बदलाव आ जायेगा - यह स्कीम ही सम्पूर्ण नहीं है - वक्त के साथ इसमें बदलाव और सुधार होते जाएंगे ....
>> ये योजना रचनात्मक राजनीति की नींव रखेगी ....
>> शिशु मृत्यु दर मातृ मृत्यु दर में होगी निश्चित गिरावट ....
>> यह योजना जनता की भागीदारी से ही आगे बढ़ेगी ....
>> बहस चलती रही है कि योजना ऊपर से नीचे आनी चाहिए या नीचे से ऊपर - लेकिन जो काम कर रहे हैं उन्हें कहीं से तो शुरुआत करनी ही होगी - बहस से फायदा होता है - ये होनी ही चाहिए ....
मेरी प्रतिक्रिया / विवेचना / आपत्तियां / सलाह / और दिल की बात >>>>
>> इस योजना के क्रियान्वयन या लक्ष्य में ऐसा क्या है जो इसे "सांसदों" से जोड़ा गया है ? क्या सांसदों का प्राथमिक कार्य मुख्यतः संसद में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए पूरे देश के प्रति अपनी जवाबदारियों का निर्वहन करने का नहीं है ? या ज्यादा से ज्यादा अपने पूरे संसदीय क्षेत्र के विकास पर ध्यान देना और जनता की समस्याओं का निराकरण करवाना ? .... फिर ये एक गांव को आदर्श गांव बनाने की बात कैसे उचित मानी जाए ? क्या सांसद फुर्सत में हो गए हैं ? क्या यही कार्य पंचायत पर या उच्च अधिकारियों के जिम्मे नहीं छोड़ा जा सकता था ? क्या जहाँ छोटे चाकू का काम हो वहां बड़ी तलवार का उपयोग करना समझदारी हो सकती है ? यदि इस कार्य को करने के लिए सांसद ही आदर्श व्यक्ति हो सकते हैं तो फिर तो बेहतर होगा कि इस योजना का नाम ही "सांसद आदर्श ग्राम योजना" से बदलकर "आदर्श सांसद ग्राम योजना" कर दें !!!!
>> मोदी जी माहौल बनाने में तो आपका कोई सानी नहीं है - पर आपकी सोच कि हर व्यक्ति इस पर गर्व करे या कर रहा है या करेगा पूर्णतः काल्पनिक एवं गलत है .... क्योंकि आपके भक्तों के आलावा समाज में मेरे जैसे सजग लोग भी हैं जिन्हे आपके अभी तक के क्रियाकलाप पर गर्व करने जैसा कुछ भी नहीं लगता - अपितु दुःख ज़रूर होता है कि आप बहुत बोलते हैं करते कुछ नहीं, वादे बहुत करते हैं पूरा नहीं करते - और शायद आपकी सोच उद्योगपतियों के हित में शुरू हो वहीँ खत्म हो जाती है पर गरीब तक नहीं पहुँच पा रही है !!!!
>> मोदी जी आपने तो शुरुआत में ही यह कह दिया कि यह स्कीम ही सम्पूर्ण नहीं है - वक्त के साथ इसमें बदलाव और सुधार होते जाएंगे .... अब क्या कहें ???? पिछले ४-5 महीने में आप जब संपूर्ण स्कीम ही नहीं बना पाये हैं और इसके दीगर कुछ विशेष अन्य कार्य भी नहीं कर पाये हैं तो आपकी कार्यक्षमता पर प्रश्नचिन्ह तो स्वतः ही लग जाता है - और योजना की सफलता पर तो और अनेकानेक प्रश्नचिन्ह ????
>> मोदी जी आपने कहा कि ये योजना रचनात्मक राजनीति की नींव रखेगी - तो क्या आप ये तथ्य स्वीकारते हैं कि अभी तक इस देश में किसी के द्वारा भी रचनात्मक राजनीति हुई ही नहीं थी और आप ऐसे पहले महापुरुष हैं जो इस योजना के माध्यम से इसकी नींव रखने जा रहे हैं ???? और फिर जब आप ये भी कहते हैं कि "इस योजना से शिशु मृत्यु दर मातृ मृत्यु दर में होगी निश्चित गिरावट" तो हास्यास्पद ही लगता है - मोदी जी ज़रा लफ़्फ़ाज़ी थोड़ी नियंत्रित रखें और हवा में कुछ तो भी उछालने के बजाय ज़रा पुख्ता विश्लेषण से अपनी बात रखें तो ही बेहतर होगा - अन्यथा तो आपके भक्त भी आपका साथ छोड़ देंगे !!!!
>> मोदी जी आप कहते हैं कि यह योजना जनता की भागीदारी से ही आगे बढ़ेगी - तो प्रश्न उठता है कि फिर आपकी सरकार की भागीदारी क्या रहेगी ? केवल परउपदेश ??
>> मोदी जी बड़ी ही विचित्र बात है कि आप अभी भी इस विषयक संशय की स्थिति में फंसे हैं कि ये योजना ऊपर से नीचे आनी चाहिए या नीचे से ऊपर ?? मोदी जी इस विषयक आपको एक छोटी सी सलाह दूंगा और यदि आपने मेरी सलाह मान ली तो आपका संशय खत्म हो जाएगा - आपका भी भला और देश का भी भला हो जाएगा ....
मेरी सलाह >>>> //// इस देश में एक अरविन्द केजरीवाल नाम के व्यक्ति हैं जिन्हे आप AK-49 नाम से भलीभांति जानते हैं पहचानते हैं - उन्होंने एक छोटी सी प्यारी सी सारगर्भित पुस्तक लिखी है "स्वराज" - और आपको पढ़ने का शौक भी है - तो बस आप ये किताब कृपया एक बार पढ़ भर लें ////
>> तो लीजिये जनाब आपकी इच्छानुसार मैंने ढेर सारी बहस कर डाली - आपको और देश को फायदा पहुँचाने के मकसद से - देखें कुछ फायदा होता है कि नहीं - कि एक बार फिर आपके भक्त और गालियां ..... ????
>> और अंत में मेरे दिल से मेरे प्यारे ग्रामवासियों के लिए कुछ पंक्तियाँ ....
//// ये सांसद "आदर्श ग्राम" तो शायद ही बना पाएं ....
.....ग्रामवासियों को ही "आदर्श सांसद" बनाना होंगे ....////

Saturday 11 October 2014

//// शाब्बाश मोदी जी !! लेकिन ....////

पाकिस्तान ने एक बार फिर जुर्रत करी - सीमा पर सीज़फायर का उल्लंघन किया और गोलाबारी करी !!
मोदी जी ने जो कुछ कहा था उसके ही अनुरूप उनसे उचित कदम की आशाएं अपेक्षाएं थीं - और इसलिए पूरा देश ही मोदी जी को ललकारने लगा था !!
और फिर क्या था - पाकिस्तान के विरुद्ध उपयुक्त दीर्घ अपेक्षित असरकारक जवाबी कार्यवाही कर ही दी गयी - दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए गए - दुशमन की अकल भी ठिकाने लग ही गयी होगी !!!!
मुझे हमारी सेना पर हमेशा से ही भरोसा था और अपेक्षा अनुसार सेना ने अपना कार्य पूर्ण दक्षता से कर ही दिया !
पर साथ-साथ हमारे प्रधानमंत्री ने भी जो कुछ किया वो भी प्रशंसनीय रहा - उन्होंने भी पाकिस्तान की ज़ुर्रत को चुनौती के रूप में लिया और पाकिस्तान को माकूल जवाब दे ही दिया और देश को आश्वस्त भी कर दिया की अब आगे ऐसी ज़ुर्रत करने की पाकिस्तांन की हिम्मत नहीं होगी !!
मेरी हमारे प्रधानमंत्री से 100 प्रतिशत ऐसी ही अपेक्षा थी .... और इसलिए मोदी जी को साधुवाद और बधाई !!!!
लेकिन .....
स्पष्ट कर दूँ की मेरा ऐसा ही प्रधानमंत्री होगा मेरी ये अपेक्षा कदापि नहीं थी ....
ऐसा इसलिए कि ....
// इश्क की राह में इम्तेहान अभी और हैं ....
.. मुद्दा केवल एक ना था मुद्दे तो अभी और हैं .... //
और हाँ इसी विषयक एक बात पर खुल कर अपना रोष भी व्यक्त करना चाहूंगा कि - मोदी जी ने जो कुछ बोला वो एक चुनावी सभा में बोला - अतः विशुद्ध रजननीति करी जो निंदनीय है - सेना ने जब पाकिस्तान को जवाब दिया था तो भाजपाई मोदी जी की अनुमति से नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री की अनुमति से ही दिया था .... आशा है मेरे मित्र मेरी भावना को सही परिप्रेक्ष्य में लेंगे .... धन्यवाद !!!!

Friday 10 October 2014

//// भारतीय-पाकिस्तानी को संयुक्त शान्ति नोबेल - सत्ता और धर्म की राजनीति को धिक्कार ////

कैलाश सत्यार्थी और मलाला यूसुफजई को शांति का नोबेल पुरूस्कार !!!!
एक भारतीय - एक पाकिस्तानी ....
एक हिन्दू - एक मुस्लिम ....
पर दोनों शांति के दूत .... वाह क्या बात है - बधाई !!!!
क्या भारत-पाकिस्तान के शासक और हिन्दू-इस्लाम धर्म के ठेकेदार कुछ सबक लेंगे ?? मुझे लगता है नहीं !!!!
क्या धर्मावलम्बी हिन्दू और मुस्लिम कुछ सबक लेंगे ?? मुझे लगता है नहीं !!!!

क्या दोनों देशों के सामान्य नागरिक कुछ सबक लेंगे ?? मुझे लगता है - हाँ लेना ही पड़ेगा - समझना पड़ेगा कि शान्ति अग्रसर हो स्थापित हो सकती है - बशर्ते सत्ता और धर्म की राजनीति को जड़ से खत्म किया जाए !!!!

//// वर्तमान परिस्थितियों में मोदी जी के स्वच्छता अभियान के अव्यवहारिक पहलू ////

स्वच्छता अभियान के तहत की गयी बातों का अपेक्षित क्रियान्वयन न हो पाया है न होता दिख रहा है ....
2 अक्टूबर को ही मोदी जी ने स्वच्छता अभियान के तहत कुछ घोषणाएं करी थी और आह्वाहन किये थे और शपथ दिलवाई थी ....
उनमे से मोदी जी का एक स्पष्ट आह्वाहन था की सब लोग हर सप्ताह 2 घंटे सफाई कार्य हेतु श्रमदान करें !!!!
आज 10 अक्टूबर है - अतः एक सप्ताह बीत चुका है ....
पर मुझे ना तो मोदी जी ना उनके मंत्री ना बड़े उद्योगपति ना फ़िल्मी जगत के सितारे और ना ही कोई उच्च अधिकारी उद्घाटनीय झाड़ू लगा फोटो खिंचवाने और प्रसारित करवाने के उपरांत 2 मिनिट का भी श्रमदान करते दिखे हैं ....
और तो और कोई सामान्यजन या जनसमूह ही उपरोक्त आह्वाहन पर किसी भी प्रकार का प्रतिक्रियात्मक कार्य करते ही दिखे हैं .... और ना ही कहीं कोई अभियान तहत अतिरिक्त स्वच्छता के परिणाम दिखे हैं !!!!
मुझे ये भी महसूस हुआ कि - मान लीजिये एक अच्छा जागरूक नागरिक स्वच्छता की पहली अनिवार्यता का पालन करना चाहता है कि वो कचरा सड़क पर नहीं फेंके - पर उसे ना तो डस्टबिन उपलब्ध है और न ही वो कचरे को जेब में डाल रख सकता है - तो वो क्या करेगा ??
अतः स्पष्ट है कि वर्तमान परिस्थितियों में मोदी जी का आह्वाहन ही अव्यवहारिक है ....
और इसलिए मेरा सुझाव है कि इस पर पुनर्विचार हो .... और बेहतर होगा कि - जनता से अपेक्षित सहयोग और वांछित सरकारी पहल, साथ साथ ही शुरू हो आगे बढे - तब ही इस अच्छे आशय के अभियान के अच्छे परिणाम आएंगे - वर्ना तो 'अच्छे दिन' जैसे ही "अच्छे" सर्वथा विलोपित ही पाएंगे - मात्र फेंका फांकी से कुछ भी ठोस, दीर्घ और अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे ....
और ये पूरे देश के लिए अहितकर ही होगा - क्योंकि स्वच्छ देश का सपना किसी एक नेता का मोहताज नहीं बल्कि इस देश के हर नागरिक का सपना है - और इसलिए मैं प्रधानमंत्री से मांग करता हूँ कि स्वच्छता को अपना सपना बताते हुए अपना दायित्व भी मानें और आवश्यक कार्यवाही करें !!!!

Thursday 9 October 2014

//// ऐसी बयानबाज़ी से शायद मोदी जी अपनी अपरिपक्वता का परिचय दे रहे हैं ////

अब मोदी जी कह रहे हैं - पाकिस्तान के पूरे मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए ....पर पहले 140 दिन से खामोश बैठे थे - जबकि पाकिस्तान की तरफ से अनवरत गोलीबारी जारी थी - और मोदी जी से प्रतिक्रिया अपेक्षित थी !!!! 
आज सुबह मोदी जी का ये सधा हुआ बयान आ गया था कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा ....
इसके बाद राजनाथ जी ने कहा - प्रधानमंत्री को कोई वक्तव्य देने की आवश्यकता नहीं हैं ....
उसके बाद प्रभारी रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भी विस्तृत बयान दे दिया था कि सेना ने माकूल जवाब दे दिया है और पाकिस्तान को उसकी हरकतें महंगी पड़ेंगी .... आदि !!!!
और मेरे हिसाब से यहाँ उपयुक्त वक्तव्यों के बाद बयानबाज़ी रुक जानी चाहिए थी !!!!
पर जनाब हद ही हो गयी - हमारे मोदी जी इसके बाद एक चुनावी रैली में राजनैतिक मंच से अपने ठेठ अंदाज़ में बोल दिए कि - जब सीमा ललकारती है तो बयानबाजी नहीं होती है, जवानों की उंगलियां ट्रिगर दबाती हैं - फिर आरोप और उपहास कि पूर्व रक्षा मंत्री शरद पंवार कभी सीमा पर गए थे ? - और फिर भी बोले कि इस विषय पर राजनीती नहीं होनी चाहिए - आदि - इत्यादि !!
पुरे प्रकरण में मेरी विवेचना >>>>
निश्चित रूप से इस विषय पर राजनीति नहीं होनी चाहिए थी - पर राजनीति हो रही है, और की जा रही है - और इस राजनीति में यदि कोई सबसे ज्यादा संलिप्त है और इसका जवाबदार है तो वो हैं हमारे आज के प्रधानमंत्री मोदी जी !!!!
जो प्रश्न और बातें आज मोदी जी को राजनैतिक लग रही हैं वही प्रश्न पूछ पूछ कर और बातें बोल बोल कर मोदी जी लोकसभा के चुनाव जीते - और आज प्रधानमंत्री के पद की मर्यादा के विपरीत एक चुनावी सभा में इतने संवेदनशील मामले में स्वयं स्पष्तः राजनैतिक बयानबाज़ी कर ही बैठे !!!!
इसके अलावा मुझे लगता है कि आज मोदी जी और जेटली जी ने जिन शब्दों का प्रयोग किया है उन शब्दों से ये प्रस्थापित होता है कि भारत ने युद्ध जैसी कार्यवाही करी - जिसका अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के विरुद्ध इस्तेमाल हो सकता है !!!!
मुद्दे की बात ये है कि आज जो सेना को करने के आदेश दिए गए या जो हमारी सेना ने किया वो तो शायद बिलकुल अपरिहार्य और सही था - पर मोदी जी के द्वारा पूर्व में द्विपक्षीय चर्चा से 'सार्वजनिक ना' कहने के पश्चात आज की सेना द्वारा जवाबी कार्यवाही का सार्वजनिक बखान करना मेरे हिसाब से गलत है, क्योंकि ये अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति के नियमों के विपरीत है - और मुझे लगता है कि मोदी जी अपनी अपरिपक्वता का परिचय दे रहे हैं !!!! उन्हें इस प्रकार के संवेदनशील अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीति और मोदियाना स्टाइल से अब आगे बचना ही होगा !!!!

//// एक भक्त के सटीक कमेंट पर सटीक प्रतिक्रिया - मोदी असफल क्यों ? ////

एक भक्त का कमेंट >>>>
// "कांग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से रैलियों में कह रही है :
हमने मंहगाई बढ़ाई, मोदी जी कम नहीं कर पाए
हमने कालाधन बाहर जमा किया, मोदी जी वापस नहीं ला पाए
हमने घोटाले किये, मोदी जी हमें जेल नहीं भेज पाए
इस तरह पिछले ६ महीनों में, मोदी जी असफल रहे
और हम कांग्रेसी सफल रहे।" //
मेरी प्रतिक्रिया >>>>
मोदी जी रैलियों में कह रहे हैं :
कांग्रेस ने 60 साल में देश का बेडा गर्क कर दिया - इसलिए किसी को भी हमसे 6 महीने का हिसाब मांगने की पात्रता नहीं है ...
इस तरह मोदी जी अप्रत्यक्ष रूप से ये कह रहे हैं की जब तुम 60 साल तक कांग्रेस से बेवकूफ बन सकते थे तो 6 या 60 महीने हम से क्यूँ नहीं बन सकते ??
अब बेवकूफों के लिए तो मोदी जी की ये बात बिलकुल सही है !!!!
पर हमारी बात ही कुछ अलग है - क्योंकि हम सोचते हैं कि >>>>
कांग्रेस ने मंहगाई बढ़ाई, मोदी जी कम नहीं कर पाए ....
कांग्रेस ने कालाधन बाहर जमा किया, मोदी जी वापस नहीं ला पाए ....
कांग्रेस ने घोटाले किये, मोदी जी किसी को भी जेल नहीं भेज पाए .... आदि !!!!
और इस तरह पिछले 4 महीनों में, मोदी जी असफल रहे .... डंके की चोट पर असफल रहे !!!!

//// देशहित में मैं रक्षा मंत्री का कार्यभार सँभालने के लिए तत्पर ////

//// देशहित में मैं रक्षा मंत्री का कार्यभार सँभालने के लिए तत्पर ////
आदरणीय मोदी जी - यदि आपको साढ़े चार महीने में भी कोई उपयुक्त व्यक्ति रक्षामंत्री के पद हेतु नहीं मिल पाया है तो ये सिद्ध करता है कि ....
या तो आपने और आपकी पार्टी ने बहुत ही अयोग्य लोगों की पूरी जमात को टिकट दे सांसद बनवा दिया है ....
या देश से आपको प्रधानमंत्री के नाम पर वोट देकर एक बहुत बड़ी गलती हो गयी है ....
या रक्षा सौदों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कुछ सर्वविदित अघोषित पहलू स्वार्थवश आड़े आ रहे हैं ....
अब भक्त लोगों से ही अपेक्षा है कि बताएं उपरोक्त में से सही क्या है ????
और अंत में आपको सूचित हो कि मैं एक बहुत ही काबिल इंसान हूँ और इसलिए देशहित में मैं रक्षा मंत्री का कार्यभार सँभालने के लिए तत्पर रहूंगा - और आपको आश्वस्त करता हूँ कि कभी भी आपकी सार्वजनिक निंदा नहीं करूंगा - हमेशा आपकी हाँ में हाँ मिलाऊंगा - जब भी और जहाँ भी मौका लगेगा बढ़ चढ़कर आपके गुण गाऊंगा - सड़क पर झाड़ू लगाऊंगा - आपके सारे भाषण सुनूंगा और सुनवाऊंगा - हर 100 दिन में स्वयं ही अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के समक्ष रखूंगा - और अपना ये फेसबुक अकाउंट बंद कर राष्ट्र को समर्पित कर दूंगा !!!!

Wednesday 8 October 2014

//// विज्ञान का नोबेल तो हो गया - अब कला का नोबेल केवल मोदी जी को ////

//// विज्ञान का नोबेल तो हो गया - अब कला का नोबेल केवल मोदी जी को ////
महंगाई, भ्रष्टाचार, कालाधन, लोकपाल, कानून व्यवस्था, दंगे, चीन, पाकिस्तान, शहज़ादे, मैडम, बाला साहेब ठाकरे, शिवसेना, AK-49, दिल्ली चुनाव, लव-जेहाद, गंगा, 'अच्छे दिन', आदि के बारे में मोदी जी चुप हैं - कुछ बोलते ही नहीं - जैसे घिघ्घी बंध गयी हो !!!!
इसके उलट मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करने के काल्पनिक मुद्दे पर ऐसे दहाड़ रहे हैं जैसे यदि कल उन्होंने चिल्ला चिल्ला कर यह न कहा होता कि "मुंबई को महाराष्ट्र से मेरे रहते कोई अलग नहीं कर सकता" तो आज मुंबई महाराष्ट्र से चल पड़ा होता देश के किसी सुदूर कोने में या अरब सागर में डूबने !!!!
और जनाब कमाल देखिये कि इतने सारे विषयों पर चुप रहने के बावजूद भी दर्जनों रैलियों में घंटों कुछ न कुछ बोल ही रहे हैं .... लपक लपक के फेंक रहे हैं !!!!
और इससे भी बड़ा कमाल देखिये - मोदी जी अपने 56 इंची सीने से डंके की चोट पर खुल्ले आम रैलियों में ये भी कह रहे हैं कि - "चूँकि कांग्रेस ने 60 साल का कोई हिसाब नहीं दिया तो मैं ही क्यों दूँ - पूरे 60 महीने के बाद ही कोई हिसाब दूंगा" - और दयनीय मानसिकता के भक्त और सामने बैठी सम्मोहित जनता हर्ष और उल्लास से तालियां ठोंक रही है - वाकई अदभुत और विस्मयकारी !!!!
तो हुई ना ये वाक्-कला .... और इसलिए मैं कहता हूँ कि - फेंकना सिर्फ कला है विज्ञान नहीं !!!!
और इसलिए मांग करता हूँ की LED की खोज हेतु भौतिकी विज्ञान का नोबेल पुरस्कार तो हो गया पर अब कला का नोबेल पुरूस्कार तो कलाकार मोदी जी को ही मिलना चाहिए !?!?
आशा करता हूँ भक्त मेरी मोदी जी के प्रति इस सकारात्मक सोच और टिप्पणी का समर्थन करेंगे ....

//// UPA-2 सरकार भले ही वापस आ जाए .... ये मोदी जी ने जाना चाहिए - बस !? ////

//// UPA-2 सरकार भले ही वापस आ जाए .... ये मोदी जी ने जाना चाहिए - बस !? ////
7 अगस्त 2013 को फेसबुक के पेज 'Narendra Modi For PM' पर पोस्ट किया गया था >>>> 
>> "कांग्रेस के नेतृत्व में UPA-2 सोच रही है : पाकिस्तान या चीन भले ही दिल्ली तक आ जाये... मोदी नहीं आना चाहिए..."
आज ८ अक्टूबर 2014 को अब भक्तरहित जनता की तरफ से मैं ये पोस्ट करता हूँ कि >>>> 
>> "मोदी के नेतृत्व में सरकार ये सोच रही है : पाकिस्तान या चीन भले ही दिल्ली तक आ जाये ... महाराष्ट्र और हरियाणा भाजपा के हाथ से नहीं निकलना चाहिए ... सारी की सारी सत्ता बस अब हमारे हाथ में ही होनी चाहिए ..."
>> "और मैं स्वयं ये सोच रहा हूँ : कांग्रेस के नेतृत्व में UPA-2 सरकार भले ही वापस आ जाए .... ये मोदी जी ने जाना चाहिए - बस !?!?"

//// बुज़दिल और टुच्चे पाकिस्तान को मौकापरस्ती अंततः भारी पड़ेगी ////

//// बुज़दिल और टुच्चे पाकिस्तान को मौकापरस्ती अंततः भारी पड़ेगी //// 
मैं आजकल देशहित में सकारात्मक सोचने की भरपूर कोशिश कर रहा हूँ >>>>
हमारे प्रधानमंत्री 56 इंची सीने वाले मोदी जी व्यस्त विदेश दौरे से आये और बेचारे झाड़ू लगा तुरंत महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों की अति महत्त्वपूर्ण रैलियों में दिन रात व्यस्त हो गए - सर खुजाने की फुर्सत नहीं - मुंबई महाराष्ट्र से अलग हो रहा था - मुंबई के बिना महाराष्ट्र का और महाराष्ट्र के बिना देश का अपूर्णीय नुकसान हो जाता - इसलिए देशहित में ये चुनावी रैलियां भी अत्यंत आवश्यक थीं !!!!
बस शैतान पाकिस्तान ने ये मौक़ा ताड़ लिया है और सीमा पर युद्ध जैसा माहौल बना दिया है - गोलाबारी जारी है - सीमा पर कई लोग हताहत हो गए हैं - पर बेचारे मोदी जी को आज हरियाणा में साफा बांधे चुनावी रैली करना पड़ रही है !!!!
पर पाकिस्तान शायद ये भूल गया है की हमारे मोदी जी 15 अक्टूबर को चुनाव से फुर्सत पा लेंगे फिर देखना - पाकिस्तान की हालत तो कांग्रेस से भी ज्यादा बदतर कर देंगे - ये मौकापरस्ती बुज़दिल और टुच्चे पाकिस्तान को अंततः बहुत भारी पड़ेगी - है ना ????

Friday 3 October 2014

//// मोदी जी की अनुमति अनुसार ही उनकी आलोचना ////

//// मोदी जी की अनुमति अनुसार ही उनकी आलोचना ////
आज स्वच्छता अभियान का शुभारम्भ हो गया - मोदी जी ने स्वयं कह दिया कि उनकी आलोचना होगी और इसके लिए वो तैयार हैं ....
तो भक्तों को चुनौती देते हुए कि बस अब मेरे और मोदी जी के बीच में नहीं आना मैं प्रारंभिक आलोचना का शुभारम्भ करता हूँ >>>> 
>> मोदी जी स्वच्छता हेतु जनता क्या करेगी क्या करना चाहिए क्या अपेक्षित है आदि बातें तो बहुतेरी हो गयीं - पर क्या आपको सबसे पहले यह बताने का दायित्व नहीं था कि इस विषयक आपकी सरकार की क्या योजना है ? क्या ब्लू प्रिंट है ? क्या प्लानिंग है ? क्या तैयारी है ? क्या जवाबदारी है ? आदि ?? क्या जरूरी है कि जब कोर्ट द्वारा जैसी आपके गंगा अभियान विषयक आपकी छिछालेदारी हुई वैसी ही छिछालेदारी इस विषयक भी हो तब ही आप जनता जनार्दन के सामने आपके पत्ते सार्वजनिक खोलोगे और उसके पहले नहीं ? क्या कोई बातें गोपनीय भी हैं ?? ये कैसी कार्यप्रणाली है प्रधानमंत्री जी ????
>> और फिर एक और बात पर आपकी घोर आलोचना करना चाहूँगा कि ये स्वच्छता वाला कार्य तो आपके घोषणापत्र में था ही नहीं - और जन-धन वाली योजना की बात भी तो नहीं थी .... पर आपने ये दो नयी नवेली बातें शुरू कर दीं .... ठीक है, पर इसके विपरीत जो लम्बी लम्बी बातें और वादे आपने किये थे, जिन पर आपको जनता ने वोट दिए थे, उनका तो दूर दूर तक अता पता नहीं है - और आप बहुत ज्यादा ही बोलने के उपरांत भी उन विषयों पर गजब की चुप्पी साधे हुए हैं, बिलकुल एक चालाक राजनीतिज्ञ की तरह - आप के मुंह से कालेधन का 'क' भ्रष्टाचार का 'भ' और महंगाई का 'म' सुनने के लिए भी कान तरस गए - इसके पीछे कारण क्या हैं जरा जनता को सार्वजनिक करेंगे ????
आलोचना अभी इतनी ही - शेष परिणाम मिलने पर्यन्त अनवरत जारी रहेगी - धन्यवाद !!!!

//// "स्वच्छता" के मामले में नंगो से जरा सावधान रहना जरूरी है ////

//// "स्वच्छता" के मामले में नंगो से जरा सावधान रहना जरूरी है ////
मोदी जी के द्वारा स्वच्छता अभियान के उद्घाटन समारोह में अपने आपको स्वहित में नंगा प्रदर्शित कर समाज में गन्दगी फ़ैलाने वाले आमिर खान को शामिल करना मुझे तो अखर गया !!
हाँ ये बात अलग है कि यदि नंगे भी कुछ अच्छे के लिए योगदान करें तो उनके नंगे होने के अलावा अच्छे कार्य की सराहना तो की ही जा सकती है - जैसे कि उनके 'सत्यमेव जयते' की सराहना स्वाभाविक और उचित है !!!!
पर इस उपलक्ष में मैं सभी को सचेत करना चाहूँगा कि - ये लोग बहुत गंदे होते हैं - ऐसे लोग प्रायः ऊपर से भी नंगे और अंदर से भी नंगे ही होते हैं - ये ऊपर से तो झाड़ू भी लगाते और गंदगी की सफाई करते भी दिख सकते हैं - 'सत्यमेव जयते' जैसे अच्छे प्रोग्राम से समाज के लिए अच्छे सन्देश भी देते दिख सकते हैं - पर अपनी नंगाईयत से कई अबोध बच्चों और युवाओं पर बहुत गंदा असर भी छोड़ सकते हैं - आमिर खान को प्रधानमंत्री के साथ खड़े हुए और अभी फिर से शुरू होने वाले सत्यमेव जयते देख बच्चे और युवा कल से खुद भी नंगे हो सकने को बुरा कैसे मानेंगे ?? इसलिए कम से कम "स्वच्छता" के मामले में ऐसे नंगो से जरा सावधान रहना जरूरी है !!!!

//// मेरी कलम से आज मोदी जी के लिए भी कुछ 'Positive Comments' हो ही जाएँ ////

//// मेरी कलम से आज मोदी जी के लिए भी कुछ 'Positive Comments' हो ही जाएँ ////
कुछ चिढ़ू कुढ़ू अभी तक गालियां देते थे - कुछ थक गए - और कुछ अति साहित्यिक होने के कारण ब्लॉक कर दिए गए .....
पर अब कुछ अच्छे मित्र कहते हैं - मैं हमेशा negative सोचता हूँ - और हमेशा negative comments करता हूँ ....
उपरोक्त comments के द्वारा मेरी निंदा करने वालों का धन्यवाद क्योंकि उनकी बात बिलकुल सही है .... मैं जब-जब negative देखता हूँ तब-तब वैसा ही सोचता हूँ और बिना लाग लपेट के लपेट-लपेट के वैसा ही लिखता हूँ !!!!
पर धन्यवाद के साथ एक प्यारभरी शिकायत भी - यार कभी तो 'to the point' बता दिया होता कि गलत क्या लिखा ????
खैर अब मित्रों के नामे एक स्वीकारोक्ति भी - प्रजातंत्र में आवश्यक सशक्त विपक्ष के अभाव में विपक्ष की भूमिका निभाना भी तो आवश्यक है .... सशक्त सत्ता पक्ष के हाँ में हाँ मिलाने से तो निश्चित ही श्रेयस्कर है - है ना !!!!
और अंत में अपने सभी सत्तापक्षीय समर्थक मित्रों के लिए आज मेरी प्रबल इच्छानुसार मित्रधर्म निभाते हुए कुछ positive भी लिख ही देता हूँ - तो मित्रों टीप करें >>
//// मोदी जी बोलते बहुत अच्छा हैं - भाषण तो गज़ब का देते हैं - लगते भी इम्प्रेसिव हैं - कपडे भी गजब के पहनते हैं - हैं भी भारी स्मार्ट - मेहनती हैं - स्फूर्त हैं - सामने वाले को तुरंत ही प्रभवित कर लेते हैं - उसका मन जीत लेते हैं - उनकी चुनावी रैलियों में दिए विशेष प्रकार के भाषण में वे भीड़ से बहुत जल्दी एक संपर्क स्थापित कर लेते हैं, जैसे कि सम्मोहन का करिश्मा - और वादे भी गज़ब के करते हैं ////
तो मित्रों अब तो कुछ positive comments मेरे लिए भी बनते हैं - कि अभी भी नहीं ?!?!

Thursday 2 October 2014

//// मोदी सरकार की असली परीक्षा 2 अक्टूबर की नाटक नौटंकी के बाद ////

//// मोदी सरकार की असली परीक्षा 2 अक्टूबर की नाटक नौटंकी के बाद ////
सफाई स्वच्छता अभियान शुरू किया जा रहा है - ये स्वागत योग्य है !!!!
पर क्योंकि इस मुद्दे पर राजनीति हो रही है - इसे गांधी जी से जोड़ा जा रहा है - दिखावा भी हो रहा है - अमेरिका तक से इसकी घोषणाएं स्वयं मोदी जी द्वारा की गयीं - प्रधानमंत्री सहित कई सारे मंत्री अधिकारी और VIP भी इसमें शिरकत कर रहे है - करोड़ों रुपये के सरकारी विज्ञापन जारी हो रहे हैं - यानी ये मुद्दा वायरल होना था और अब हो गया है - और बहस चरम पर ....
और मेरी विवेचना अनुसार बहस निरर्थक नहीं हो रही है और इसमें कई तार्किक मत्वपूर्ण व्यवहारिक मुद्दे सामने आ रहे .... इन कई मुद्दों में से मैं कुछ एक मुद्दों पर ही अपनी बात रखना चाहूंगा !!!!
प्रायः सभी का मानना है कि 2 अक्टूबर की इस नाटक नौटंकी के बाद सफाई का कार्य नियमित तौर पर एक व्यवस्था के तहत ही क्रियान्वित होना चाहिए और हो सकेगा - और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि कार्य सफाई कर्मियों के द्वारा मशीनों एवं उपकरणों के जरिये ही हो पायेगा !!!!
यानी अब आवश्यकता, सफाई कर्मचारियों की उपलब्धता, उपकरणों के निर्माण एवं खरीदी एवं सीधे कार्य स्थल पर लगाने, एवं समस्त कार्यों हेतु पर्याप्त धन मुहैय्या कराने की होगी !!!!
बातें तो बहुतेरी हो गयीं - लेकिन अब मोदी जी की सफलता असफलता अब इन सरकारी दायित्वों के सुचारू निर्वहन से तय होंगी - और मेरी दिलचस्पी या नज़र इस बात पर होगी कि उपकरणों के निर्माण और सप्लाई में भी कहीं चहेते अम्बानी और अडानी को ही धंधा उपलब्ध तो नहीं करा दिया जाता ????
अपेक्षा है आप भी पैनी नज़र बनाय रखेंगे - एक सजग प्रहरी या चौकीदार की तरह !!!!

Wednesday 1 October 2014

//// परम आदरणीय मोहन.... जी बधाई ////

//// परम आदरणीय मोहन.... जी बधाई ////
आपकी तो उड़ कर लग गयी .... आपके तो भारी अच्छे दिन आ गए ....
और तो और आपके परायों या विरोधियों ने भी आपका लोहा मान ही लिया ....
आपको सफाई पसंद थी तो लीजिये सफाई ही सफाई पूर्णतः नतमस्तक आपके नामे !!!! 
लेकिन अभी आपकी 'अहिंसा' 'सत्यता' 'सादगी' 'धर्मनिर्पेक्षता' पर कुछ होता दिख नहीं रहा है ....
पर आपने तो हमेशा आशावादी होने की प्रेरणा दी थी - सफाई से मामला शुरू हुआ है - आपके मूल्य अपने आप में इतने सशक्त और सारगर्भित हैं कि कल या परसों देर सबेर आपके नामे किसी न किसी को इन मुद्दों पर आपका फिर अनुसरण करना ही पड़ेगा .... तब तक ....
श्रद्धेय राष्ट्रपिताश्री आपको प्रणाम !!!!