Monday 28 March 2016

// "लोकतंत्र की हत्या" .. श्रद्धांजलि किसे दें ?? ....//


उत्तराखंड में एक चुनी हुई सरकार गिरा दी गई - "संवैधानिक संकट" के नाम पर ....

और उसके बाद कांग्रेस कह रही है "लोकतंत्र की हत्या" हो गई .. कांग्रेसी विधायक भी और मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत भी यही कह रहे हैं कि "लोकतंत्र की हत्या" हो गई .... और तो और मज़े की बात ये है कि भाजपा - उसके विधायक - उसके पार्टी पदाधिकारी - उसके प्रवक्ता - और जेटली जी - ये सब भी कह रहे हैं कि "लोकतंत्र की हत्या" हो गई .... और कांग्रेस के बागी विधायक भी यही कह रहे हैं कि "लोकतंत्र की हत्या" हो गई ....

और मेरा तो दावा है कि आप देवभूमि के किसी भी गधे घोड़े कुत्ते सूअर या तोते या मैना या चंगु मंगू तक से भी यदि पूछ लेंगे तो वो इस बात की पुष्टि कर देगा कि उत्तराखंड में "लोकतंत्र की हत्या" हो गई है ....

और क्योंकि मैं भी डंके की चोट पर कहता हूँ कि उत्तराखंड में "लोकतंत्र की हत्या" हो गई है .... इसलिए ये तो मानना ही पड़ेगा कि "लोकतंत्र की हत्या" हो गई है ....

पर इसके आगे प्रश्न ये उठता है कि - हत्या के बाद लाश कहाँ है ?? .. पोस्टमार्टम रिपोर्ट कब आएगी ?? .. हत्या किसने की ?? .. हत्या किसने करवाई ?? .. साज़िश में कौन कौन शामिल ?? .. हत्यारों का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा ?? .. उनके द्वारा ये कौनसी वारदात ?? .. हत्यारों की उम्र और चरित्र कैसा ?? .. हत्यारे कहीं नाबालिग तो नहीं ?? .. मामले की तफ्तीश कौन कर रहा है ?? .. कहीं हत्या के आरोपित ही तो तफ्तीश का काम नहीं कर रहे ??

और ये बेचारा गरीब मासूम कमज़ोर "लोकतंत्र" किसकी पैदाइश था - और किसके लिए था ??

और "लोकतंत्र की हत्या" के बाद अब आगे क्या ?? .. क्या इसके हत्यारे पकडे जाएंगे ?? .. क्या लोकतंत्र पुनर्जीवित हो सकेगा ??

और सबसे बड़ा सवाल - ये "लोकतंत्र की हत्या" की श्रद्धांजलि किसको दी जाए ?? .. और कौन ये श्रद्धांजलि स्वीकार्य करने को तैयार होगा ?? ....

मुझे लगता है कि "लोकतंत्र की हत्या" के लिए मुझे श्रद्धांजलि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को ही देना बनती है .. क्योंकि लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में ही तो वो पदासीन हो लिए थे .... और उनकी नाक के नीचे - उनके ही हस्तक्षेप और उनकी ही पहल और उनके ही वर्चस्व में - तथा उनकी ही "५६" इंची छाती के बाजू से निकले बाजुओं में लगे हाथों से हस्ताक्षरित अभिलेखों के कारण ही तो उत्तराखंड में एक चुनी हुई सरकार धारा "३५६" के अंतर्गत गिरा दी गई - जिसके कारण सर्वत्र कोहराम मचा है कि "लोकतंत्र की हत्या" हो गई ....

इसलिए मोदी जी को आज मेरी तरफ से "लोकतंत्र की हत्या" हो जाने पर अश्रुपूरित श्रद्धांजलि !!

आशा है देशहित में वो मेरी ये श्रद्धांजलि स्वीकार्य करेंगे और उचित क्रियाकर्म का भी इंतज़ाम करेंगे .. साथियों और भक्तों को जश्न मनाने से रोकते हुए शोकसभा का आयोजन भी शीघ्र करेंगे - और चौथे - बारहवे - या तेरहवीं - या ससमय उपयुक्त उठवाने की घोषण भी शीघ्र कर सफल आयोजन करेंगे .... यानि इस देश को सुचारू रूप से "लोकतंत्र" से पूर्ण पुख्ता मुक्ति दिलवाएंगे - और समस्त कर्मकांडों के द्वारा "लोकतंत्र की आत्मा" को शांति प्राप्त करवाएंगे ....

अब मोदी जी से मैं इस से ज्यादा की अपेक्षा भी तो नहीं कर सकता .... है ना !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Sunday 27 March 2016

// उत्तराखंड का घटनाक्रम - मोदी की एक और छटपटाहट भरी हार ....//


जी हाँ अरुणाचल के बाद अब नंबर लगाया गया है उत्तराखंड का .... और वहां भी राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है ....

और कारण बताया गया है "संवैधानिक संकट" ....

और मेरे हिसाब से भी ये 'संवैधानिक संकट' उत्तराखंड में कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक के कारण व्याप्त हो गया था - पर इस उठापटक को खुल्लमखुल्ला प्रायोजित किया था मोदी सरकार ने ही .... करीब करीब वैसे ही जैसे कि बिहार में भी करने का प्रयास किया गया था - जीतनराम मांझी को आगे कर ....

और इसके अलावा भी पूरे देश में "संवैधानिक संकट" व्याप्त है क्योंकि मोदी सरकार लगातार संवैधानिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं को छिन्न-भिन्न करने में लगी है .... कारण मोदी प्रत्याशित प्रतीक्षित सफलता प्राप्त करने और अपने वांछित दायित्वों का निर्वहन करने में असफल हो गए हैं - वो अपने कार्यक्षेत्र और रणक्षेत्र में हार चुके हैं - और इसलिए वे कुछ अनैतिक जीत हासिल करने के प्रयास में हैं ....

और अब लगता है अगला निशाना दिल्ली को बनाने का प्रयास किया जाए .... पर यदि ऐसा किया जाता है तो मुझे पूरा भरोसा है कि ऐसा प्रयास करते हुए मोदी सरकार ही ध्वस्त हो जाएगी - क्योंकि दिल्ली में एक ईमानदार जानदार मुख्यमंत्री हैं - अरविन्द केजरीवाल .. कोई लल्लू पंजू कॉंग्रेसी नहीं .... और क्योंकि अब मोदी सरकार भी तो कांग्रेस से ज्यादा लल्लू पंजू और टुच्ची सिद्ध हो रही है ....

और अंत में उत्तराखंड के संदर्भ में मैं एक और बात पर अपनी चिंता प्रकट करना चाहूंगा - क्योंकि वहां राष्ट्रपति शासन लागू करने के पीछे एक स्टिंग की "सीडी" का होना सार्वजनिक हुआ है - एक ऐसी "सीडी" जिसमें मुख्यमंत्री हरीश रावत विधायकों की खरीद फरोख्त संबंधित बात करते दिख रहे हैं .. और जिसे हरीश रावत ने बड़े ही लुंज पुंज शब्दों में फर्जी करार दिया है .... और इसलिए ये मोदी सरकार भविष्य में भी जब तब सच्ची झूठी सीडी के आधार पर कुछ भी अनैतिक कर सकती है .... और जबकि जेएनयू की फर्जी सीडी का मामला भी सार्वजनिक हो ही चुका है इसलिए इस मोदी सरकार पर तो अब किसी भी प्रकार का भरोसा तक नहीं किया जा सकता ....

और दूसरी चिंता की बात ये हुई है कि - बिना सदन में शक्ति परीक्षण या वोटिंग हुए जो कि वस्तुतः केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल के निर्देशानुसार २८/०३/१६ तक किया जाना नियत था - एक चुनी हुई सरकार गिरा दी गई .... जो मेरे अनुसार घोर शर्मनाक और असंवैधानिक बात हुई है .... और इसे मैं मोदी की एक और छटपटाहट भरी हार करार देता हूँ .... 

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Friday 25 March 2016

// ऐसी 'शानदार' जीत से तो तौबा ही भली !! ....//


मुझे समझ नहीं आता कि इस देश की तार्किक शक्ति को क्या हो गया है ?? .. और हम सही का सही और गलत का गलत मूल्यांकन कब करेंगे ?? ....

उपरोक्त व्यथा मैं अभी भारत की बांग्लादेश पर हुई १ रन की जीत पर व्यक्त कर रहा हूँ ....

मैच का समस्त विवरण सभी क्रिकेट प्रेमियों को ज्ञात है - और ज्ञात है कि धोनी द्वारा हार्दिक को आखिरी ओवर सौंपा गया था जिसने मात्र पहली ३ बॉल में ही बेडा गर्क कर दिया था .... और फिर उसके बाद भारत शुद्ध भाग्य से ये रोमांचक मैच जीता - मात्र १ रन से जीता - और मेरा और सबका दिल खुश हो गया - मज़ा आ गया ....

पर जनाब मेरी समझ में ये बात घुस ही नहीं रही है कि इस जीत को कुछ अक़्लमंद "शानदार जीत" कैसे निरुपित कर सकते हैं ?? .. क्योंकि मेरे अभिमत में तो ये जीत भाग्यशाली रोमांचक चमत्कारी अत्यंत महत्वपूर्ण जीत तो थी - पर बांग्लादेश जैसी टीम के विरुद्ध ये जीत 'रद्दी' या 'चिंदी' या 'शर्मनाक' जीत ही मानी जानी चाहिए .... और यदि मैं शुद्ध खेल भावना से सोचूँ - और भक्त मुझे देशद्रोही करार ना दें - तो भारत की ये जीत बांग्लादेश के लिए अत्यंत दुर्भाग्यशाली हार थी .. क्योंकि इस मैच में यदि कोई बेहतर खेला था तो वो बांग्लादेश ही था - और बांग्लादेश ही भारत से ज्यादा जीत का हक़दार था ....

और मेरी बात जिसको सम्पट ना बैठी हो तो वो कल्पना करें कि भारत ये मैच हार जाता तो ?? .. तो अभी तक तो जो दुर्गती अफरीदी और पकिस्तान की हुई है उससे बदतर हालत धोनी और भारत की हो गई होती .... और शायद लोग बीसीसीआइ और डीडीसीए जैसी किर्किटीय संस्थाओं के बारे में उपयुक्त वांछित गालियां दे रहे होते .... और शायद माहौल गर्म हो दीर्घकालीन लाभ के लिए उपयुक्त हो गया होता ....

इसलिए मैं सोच रहा था कि उपरोक्त मापदंड के अनुसार तो - हे भगवन !! हमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 'शानदार' जीत मत दिलाना - हमें तो 'टुच्ची' 'ओछी' 'शर्मनाक' जीत ५०-१०० रन या ७-८ विकेट वाली ही दिलवाना .... 

कृपया विदित हो कि पूर्व में ऐसी ही एक और 'शानदार' जीत को हम अब भुगत ही रहे हैं - मोदी की 'शानदार' जीत !!

इसलिए ऐसी 'शानदार' जीत से तो तौबा ही भली !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Wednesday 23 March 2016

// बुरा ना मानो .. वो .. मोदी है ....//


सबका साथ सबका विकास ..
आड़े आ गया राष्ट्रवाद ..
बुरा ना मानो मोदी है !!

ना कोई टंटा ना कोई पंगा ..
पाक हो गया है अब चंगा ..
बुरा ना मानो मोदी है !!

गंदे गंदे नारे लग गए ..
ना रे ना रे जपते रह गए ..
बुरा ना मानो मोदी है !!

हर हर नमो से शुरू हुए ..
अरहर में ही अटक गए .. 
बुरा ना मानो मोदी है !!

डीज़ल महंगा पेट्रोल महंगा ..
इस होली है सब कुछ महंगा ..
बुरा ना मानो मोदी है !!

गौमाता की बच गई जान ..
पर क्यों मारे गए इंसान ? ..
बुरा ना मानो मोदी है !!

गधे कर रहे ढेंचू-ढेंचू ..
तोड़ दी घोड़े की टांग ..
बुरा ना मानो मोदी है !!

भाजप हास्य इतना घटिया ..
जेएनयू देशद्रोह का अड्डा ?
बुरा ना मानो मोदी है !! 

वो है 'भगवन का तोहफा' ? ..
या वो 'भगवन का वरदान' ? ..
बुरा ना मानो .. वो .. मोदी है !!!!

बुरा ना मानो होली है !! 
मानो भी तो क्या कर लोगे ?
होली है - भाई - होली है !!

सबको होली की रंगभरी शुभकामनाएं !!!!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Monday 21 March 2016

// अब किसकी जय ?? .. और कौन मुर्दाबाद ?? ....//


लगता है एक और दादरी हो गया ....

खबर आई है जिसके अनुसार झारखंड के लातेहार जिले के बालूमाथ के जंगलों में 8 भैंसों को बाजार ले जा रहे दो युवकों को पशु संरक्षण समिति के लोगों ने पीटा और फिर पेड़ से लटकाकर उन्हें फांसी दे दी ..

अल्पसंख्यक समुदाय के दोनों युवकों को पीटने से पहले उनके हाथ पीछे से बांध दिए गए थे और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया गया था .. ऐसी खबरें आई हैं जिसमें दावा कर इस हत्या के पीछे हिंदू कट्टरवादी ताकतों का हाथ बताया गया है .. लातेहार के पुलिस अधीक्षक का कहना है कि इन लोगों की बहुत ही नृशंस तरीके से हत्या की गई .. अब तक ५ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है .... और झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने सदाबहार वक्तव्य दे दिया है कि "कानून अपना काम करेगा" .... और मोदी जी ने कुछ नहीं कहा है ....

तो क्या इस हत्याकांड के बाद भी हर देशवासी का अब भी बोलना बंधनकारी ....
गौ माता की जय ??
या ....
भारत माता की जय ??

या ये बोलना ज्यादा उपयुक्त एवं आवश्यक कि - हत्यारे मुर्दाबाद - उनकी ज़ुर्रत मुर्दाबाद - उनकी सोच मुर्दाबाद - उनकी विचारधारा मुर्दाबाद - उनकी दादागिरी मुर्दाबाद - उनकी संस्था मुर्दाबाद - उनके आका मुर्दाबाद - उनके संरक्षक मुर्दाबाद .... और वो हत्यारी व्यवस्था मुर्दाबाद जिसमें इस देश के दो लालों को बिना किसी संवैधानिक न्यायिक या सामाजिक अपराध के सिद्ध हुए मौत के घाट उतार दिया गया ....
और शायद उन दो लालों ने तो "भारत माता की जय" बोलने से इंकार भी ना किया होगा ....

मित्रो !! शीघ्र ही निर्णय करना होगा कि आखिर ये 'देशद्रोह' या 'देशद्रोही' किस चिड़िया का नाम है - या ये क्या बला है .... या फिर क्या देशभक्ति या माँ-भक्ति किसी देशवासी या अपने ही भाई की हत्या की भी अनुमति देती है ????

मृतकों में एक मासूम तो केवल १५ वर्ष का था - नाबालिग था - निर्भया के नाबालिग कातिल से भी छोटा .... उफ़्फ़ !! .... यदि आपकी आत्मा भी आपको झकझोरे तो थोड़ी बहुत असहिष्णुता के साथ सोचियेगा जरूर - और जावेद स्टाइल में ही कहियेगा .... हत्यारे मुर्दाबाद !! .... हत्यारे मुर्दाबाद !! .... हत्यारे मुर्दाबाद !! ....

अन्यथा जपते रहिये - "भारत माता की जय" ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

// हे भगवन !! फ़ोकट तोहफे नहीं - हमें चाहिए बुराइयों से आज़ादी ....//


वेंकैया ने मोदी को 'भगवान का तोहफा' बता दिया - और 'गरीबों का मसीहा' भी .... वाह !! वाह !! क्या बात है ....

शशि थरूर ने कन्हैया को 'आज का भगत सिंह' बता दिया .... हाय !! हाय !! ये भी क्या बात है ?? ....

इसलिए मैं इन भक्तों को बेवकूफ बता दिया .... ये असली बात है .... है ना !!!!
क्योंकि मेरी नज़र में - वेंकैया 'भगवान की लानत हो सकते' हैं - और शशि थरूर 'भगवान की खीज' ....
यहाँ सबकुछ भगवान का ही तो है - यहाँ ना तो कुछ मेरा है ना तेरा है ....

बस यदि कुछ तेरा और मेरा है तो ये देश जिसको भगवान भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता .... जिसको बनाया भगतसिंह ने और बर्बाद करने पे तुले हैं भगवान के कुछ नायाब तथाकथित 'तोहफे' और भगवान की 'लानत' और 'खीज' ....

इसलिए मुझे लगता है कि इस वक्त देश को भगवान के किसी 'फोकटी तोहफे' से ज्यादा जरूरत है कि भगवान इस देश के कुछ अव्वल बेवकूफों को कम से कम न्यूनतम सदबुद्धि तो प्रदान करे .... वैसे भी हमारे पास भगवान ही की दी हुई अपनी बहुत मूल सम्पदा है इसलिए 'फोकटी तोहफों' की विशेष आवश्यकता नहीं है .... और शायद देश और देश के गरीब की हालत अब तो इतनी दयनीय हो चली है कि अब तो भगवान को स्वयं अवतरित होना पड़ेगा .... फिर चाहे वो स्वयं बाल कन्हैया ही क्यूँ न हो - चलेगा ....

तो बोलो .... फ़ोकट तोहफे नहीं - हमें चाहिए आज़ादी .... गरीबी से आज़ादी .... और भी बहुत सी बुराइयों से आज़ादी ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Sunday 20 March 2016

// भक्तों !! क्या अब कभी 'खालिस देशद्रोही' को भी अंदर करवाओगे ?? ....//


सबसे खूंखार लगने वाला देशद्रोही कन्हैया पहले ही छूट गया था ....
और अब देशद्रोही मान लिया गया खालिद भी छूट गया .. और देशद्रोही जैसा कुछ अनिर्बान भी ....
यहां तक कि पक्का सा देशद्रोही लगने वाला पूर्व प्रोफेसर एस आर गिलानी भी छूट गया ....

बहादुर देशभक्त माननीय श्री श्री बस्सी जी सेवानिवृत हो गए थे .... इसलिए देशद्रोह के आरोप में नई गिरफ्तारी की संभावनाएं ना के बराबर हो गई हैं ....
और देशभक्त कालेकोटिये भी मजबूरन धरपकड़ लिए गए थे .... इसलिए न्यायालय के प्रांगण से भी मनचाहा आदेश प्राप्त होना मुश्किल हो गया है .... 

गृहमंत्री राजनाथ को तो होश भी नहीं कि आखिर हो क्या रहा है ?? .. बकौल सुषमा २७ को पाकिस्तानी आने वाले हैं .... और राजनाथ हैं जो देशद्रोह के कानून को बदलने की बहकी-बहकी बातें कर रहे हैं .... और इधर पाकिस्तान बता रहा है १० आतंकी छोड़े हैं - सम्हाल लेना ....

और ऐसे में कई भाई लोगों ने "भारत माता की जय" बोलने से भी इंकार कर दिया है .... और अपने जावेद भाईजान की बेगम ने तो यहाँ तक रियायत घोषित कर दी है कि - चलो "भारत माता की जय" की बजाय "भारत अम्मी की जय" बोल दो .... इससे कई भक्त भी कन्फ्यूज्ड हो गए हैं कि "माँ भारती की जय" बोलने से काम चलेगा कि नहीं ?? 

लव जेहाद - घर वापसी - असहिष्णुता - गौमांस - देशद्रोह के नारे - "भारत माता की जय" के मुद्दे अब खून खौलाना तो दूर खून को कुनकुना भी नहीं कर पा रहे हैं .... बल्कि सही कहूँ तो कईयों का गरम खून तो अब ठंडा पड़ने लगा है ....

अब तो हमारे स्वघोषित देशभक्त "खेर" भी भारतमाता की अंश जेएनयू की उसी पापी धरती पर खीज मिटाने पहुँच रहे हैं - जैसे कोई लाल मुहं का खारिशी बाँदर दांतों को भींच खिसिर खिसिर खुजला रहा हो .... 

इसलिए मुझे चिंता हो रही है कि देशभक्तों के रोज़गार का क्या होगा ?? उनका धंधा पानी अब कैसे चलेगा ?? .... भक्तों के इस देश का क्या होगा ??

अब तो बस एक ही आशा की किरण बची है .... और उस आशा का नाम है - "हार्दिक" .. जी हाँ हार्दिक पटेल जो अभी भी देशद्रोह के जुर्म में अंदर है .... और यदि वो भी छूट गया तो ?? .. तौबा !! कितना खाली-खाली सा हो जाएगा ....

इसलिए आइये आशा करें कि अनार पटेल की अम्मी को अल्लाह इतनी ताकत दे कि वो हार्दिक को देशद्रोह के ही आरोप में जकड कर रख सके और इस देश में अंततः एन-केन-प्रकारेण  देशद्रोहियों के विरुद्ध कार्यवाही हो जाने की आखरी आशा बची रहे ....

और यदि हार्दिक भी छूट जाता है तो फिर मैं सोचता हूँ कि भारत सरकार को "बस्सी" जैसे लोगों को देशद्रोह के मामले में धरपकड़ हेतु विचार करना ही होगा .... है ना !! .... आखिर इतना बड़ा देश कोई ना कोई तो देशहित में देशद्रोह के आरोप में अंदर होना ही चाहिए ना !! .. अन्यथा देशभक्तों की इज़्ज़त की तो वाट लग जाएगी ??

देशहित में जारी - "भारत माता की जय" और "भारत अम्मी की जय" और "माँ भारती की जय" के नारे सहित !! .. और किसी को आपत्ति ना हो तो - "ॐ माँ भारती की जय" या "ऊ माँ भारती की जय" या "गंगा मैया वाली ऊमा भारती की जय" .... सब की जय - आप की भी जय .... और भक्तों की भी जय बशर्ते वो कभी किसी 'खालिस देशद्रोही' को अंदर करवा सकें ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Saturday 19 March 2016

// ऐसी 'रणनीति' क्यों ?? .. क्योंकि मोदी 'रण' में हारे !! ....//


सामाजिक समरसता तो छिन्न भिन्न हो गई है .... हर जगह टकराव - विद्वेष .. हर विषय में बहस - गाली गलौज - कडुवाहट - नारेबाजी .... और हर मुद्दे पर दादागिरी - झगड़ा टंटा फसाद - ओछी राजनीति - साज़िश - बेशर्मी - और अंतहीन आरोप प्रत्यारोप ....

और ऐसा सब कुछ होने के पीछे मैं सत्तापक्ष की एक सुनियोजित "रणनीति" को देख पा रहा हूँ ....
और यह रणनीति सफलता के साथ क्रियान्वित होती भी दिख रही है .... माहौल लगातार बिगड़ रहा है - और हवा ख़राब हो रही है ....

पर प्रश्न है स्वयं सत्तापक्ष द्वारा ऐसी 'रणनीति' क्यों ??

और उत्तर स्पष्ट है .... क्योंकि मोदी 'रण' में हार चुके हैं - घायल हो चुके हैं - चुकता हो रहे हैं - .... वे ना तो स्वयं कुछ सफलता या वीरता प्रदर्शित कर सके हैं - और ना ही ऐसे किसी सूरमा को रण में उतार सके हैं जो स्वयं बिन घायल हो रणक्षेत्र में सुरसुरी भी फैला पाया हो ....

हाँ !! मोदीजी बस "रणभेरी" जरूर जोर-शोर से बजवाए जा रहे हैं .. पर अब तो तूंती बजाने वालों की सांस भी फूल रही है - और तंतुए अनुपम खेर जैसे खिंच से गए हैं - शंख बजाने वालों के पेट ख़राब हैं और गले बैठ रहे हैं .... और वो "मोदी"-"मोदी" वाले नारे भी ठंडे हो गए हैं .. और "सबका साथ सबका विकास" एक हास्यास्पद जुमला सा लगने लगा है ....

और शायद इसलिए उन्हें अंतिम क्षणों में याद आया है .. "भारत माता की जय" ....

ठीक भी है - एक सच्चा शहीद मरते दम भी यही बोलता है .. "भारत माता की जय" ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Friday 18 March 2016

// "भारत माता की जय" पर व्याख्यान हेतु - "रवीश कुमार की जय" ....//


NDTV पर बस अभी-अभी प्राइम टाइम में रवीश कुमार को "भारत माता" पर लगभग ४५ मिनिट धारा प्रवाह बोलते सुना ....

सब कुछ मेरे दिल दिमाग को छू गया - झकझोर गया .... और आज तो रवीश कुमार को यथायोग्य आदर देते हुए उनकी शान में कहना चाहूँगा .... "रवीश कुमार की जय" ....

यदि आपने नहीं सुना तो सुनियेगा जरूर .. और फिर जानिएगा "भारत माता की जय" के असली मायने - और शायद आप भी कहियेगा - "रवीश कुमार की जय" ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

// विकट प्रश्न - क्या मोदी 'वही टोपी' पहन "जय हिन्द" बोलेंगे ?? ....//


आजकल भागवत-ओवैसी के प्रयासों की बदौलत "भारत माता की जय" - और जावेद अख्तर के डायलॉग की बदौलत "टोपी" - चर्चा में हैं ....

और मुझे याद हो आया कि एक बार की बात है - एक थे नरेंद्र मोदी जिन्होंने एक मुसलमान के हाथों टोपी पहनने से इंकार कर दिया था .... वही नरेंद्र मोदी आज हमारे प्रधानमंत्री हैं .... और सहूलियत अनुसार ऐसा मान्य कर लिया गया है कि - टोपी पहनना या नहीं पहनना किसी की भी "मन की मर्ज़ी" की बात हो सकती है .... फिर भले ही टोपी पहनने या ना पहनने के लिए संविधान में बाबा साहेब कुछ लिखे हों या लिखना भूल गए हों - या जावेद अख्तर साहेब संविधान पढ़े हों या ना पढ़े हों ....

पर अब ओवैसी और वारिस पठान ने "भारत माता की जय" बोलने से इंकार कर दिया .... और चूँकि वारिस पठान को तो महाराष्ट्र विधानसभा से इसी कारण निलंबित भी कर दिया गया है इसलिए ऐसा मान्य किया जा रहा सिद्ध होता है कि इस मामले में "मन की मर्ज़ी" नहीं चलेगी ....

ऐसा विरोधाभास क्यों ?? .. उत्तर एक ही हो सकता है .. "मन की मर्ज़ी" !!

और इसलिए मैं ये सोच रहा हूँ कि क्या - नरेंद्र मोदी मेरी या किसी अन्य की "मन की मर्ज़ी" अनुसार वही टोपी पहन "जय हिन्द" बोलेंगे ????

प्रश्न बहुत विकट है - पर यदि इसका उत्तर आ जाए तो भारतमाता कि किरपा और कसम से देश का भला हो सकता है .... क्योंकि शायद उत्तर आने के बाद इस देश में असली मुद्दों पर भी बात शुरू हो सके .... जैसे कि - आखिर ये सरकार कर क्या रही है ?? .. क्या कोई भारतियों की जय की बात भी करेगा ?? .. क्या कोई गरीब की जय की बात भी करेगा ?? ....

अन्यथा की स्थिति में तो फुर्सती मुद्दा ये भी बन सकता है कि टोपी पहनने के क्या फायदे और क्या नुकसान .. क्या हेलमेट भी एक प्रकार की टोपी .. क्या किसी को टोपी पहनाना उचित .. क्या टोपी नहीं पहनना देशद्रोह या पहन लेना देशभक्ति ???? .. लगे रहो मुन्ना भाई और मोदी भाई - लगे रहो !! 

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Thursday 17 March 2016

// तो बोलो - "दिल्ली मौसी की जय" ....//


अब ये बात तो तय है कि केजरीवाल को दिल्ली से और दिल्लीवालों को केजरीवाल से कुछ विशेष प्यार या लगाव हो गया है .. और एक अटूट सा रिश्ता भी कायम हो गया है ....

इसलिए मैं सोच रहा था कि मान लो केजरीवाल को भी प्रदेशभक्ति का कुछ ऐसा कीड़ा काट जाए कि वो हर दिल्लीवासी के लिए "भारत माता की जय" के साथ-साथ "दिल्ली मौसी की जय" बोलने को घोषित / अघोषित रूप से अनिवार्य कर दें तो ????

और यदि ७० की विधानसभा में भाजपा के ३ विधायक केजरीवाल से जन्मजात चिढ़ के मारे "दिल्ली मौसी की जय" बोलने से मना कर दें और फिर उन ३ विधायकों का निलंबन हो जाए - और एक नया इतिहास रच जाए - "बिना विपक्ष के विधानसभा" .. तो !! .... तो क्या ये दिल्ली और देश के लिए उचित होगा ????

मित्रो उपरोक्त परिकल्पित बात को आपके समक्ष रख मैं यह कहने का प्रयास कर रहा हूँ कि अब तो ये देश "भारतमाता" के नाम पर भी बेचा और बांटा जा रहा है .... मुझे बहुत दुःख हो रहा है कि कुछ सनकी लोगों के कारण आज "भारत माता की जय" से संबंधित अनेक चुटकुले सोशल मीडिया पर धड़ल्ले से चल रहे हैं - और चुटकुलों का चुटीलापन भी इतना बढ़िया है कि चुटकुलों का मज़ा भी लिया जा रहा है ....

पर यह सब देशहित में नहीं है - और यकीनन देशद्रोह भी नहीं ....

इसलिए मैं सावधान करता हूँ कि इसके पहले कि - "दिल्ली मौसी की जय" या "केरला बाप की जय" के विषय उठ खड़े हों या उठा दिए जाएं .. या मसलन फिर इस बेतुकी दलील के साथ कि भरत राम के अनुज थे एवं पुरुष थे और उनके नाम से ही भरत का भारत हुआ होगा इसलिए भारत माता कैसे ? इसलिए भारत पिता की जय" बोला जाए - ऐसा कुछ विषय टपक पड़े .. बेहतर होगा कि हम सजग हो जाएं - समझदार हो जाएं ....

अन्यथा ये तथाकथित देशभक्त "भारत माता की जय" बोलते बुलाते अनेक और गुनाहों को अंजाम दे देंगे और इस देश को इतना नुक़सान पहुंचा देंगे कि शायद आप और हम संभल भी ना पाएंगे - सच्चे मन से "भारत माता की जय" बोलने लायक भी ना रह पाएंगे ....

इसलिए मेरी बात समझ आई हो तो क्या हर्ज़ है एक बार तो हंस कर बोल ही दें - "दिल्ली मौसी की जय" !! .. बोल के देखें बहुत अच्छा लगेगा - मन हल्का हो जाएगा ....

और यदि मेरी बात समझ ना पड़ी हो तो बोलते रहें - "भारत माता की जय" !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Wednesday 16 March 2016

// क्या ये "रैगिंग" जैसा ही नहीं है ?? ....//


आज मुझे मेरे कॉलेज में हुई बेहूदी रैगिंग याद हो आई .... ज़ख्म कुछ हरे हो गए ....

इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिए ३-४ दिन ही हुए थे - और प्रचलन अनुसार हमारी रैगिंग हो गई थी .... कुछ होनहार "संस्कारी" सीनियरों द्वारा ....

सीनियर थे ५-६ और हम १०-१२ .... और एक एक कर हमें निपटाया जा रहा था ....

मेरा नंबर आया और मुझ से पूछा गया - तेरा नाम - मैनें नाम बताया .. एक थप्पड़ पड़ा .. पूरा नाम बता बे .. मैं समझ ना पाया और पूरा नाम सरनेम सहित बताया .. दूसरा थप्पड़ पड़ा .. अपने बाप का नाम लेने में शर्म आती है - पूरा नाम बता .. मैं बात समझा और अपने नाम के बाद पिताजी के नाम के बाद सरनेम लगा बता दिया .. तीसरा थप्पड़ पड़ा .. बाप का क्या नाम ? .. मैंने पिताजी का नाम बताया .. चौथा थप्पड़ पड़ा .. बाप के नाम के आगे श्री कौन लगाएगा ? .. मैंने पिताजी का नाम श्री लगाकर बताया .. पांचवां थप्पड़ पड़ा .. श्री नहीं पिताश्री बोल .. फिर छठा पड़ा .. अपने बापों के सामने ये पिताश्री पिताश्री क्या लगा रखा है .. फिर सातवा आठवाँ भी पड़ा .... जिसमें शिक्षा दी गई कि पिताश्री का नाम लेते समय नज़रें झुकीं होनी चाहिए और आवाज़ में आदर टपकना चाहिए आदि .... और फिर कहीं जाकर उन "संस्कारी" सीनियरों से पीछा छूटा था ....

और अगला नंबर मेरे दोस्त का था - उससे उसकी माँ का नाम पूछा गया था - और ८-१० थप्पड़ उसे भी पड़े थे .... और फिर अगले से बहन का नाम पूछा गया था .. और उसे भी ......

आज मुझे ये सब इसलिए याद हो आया कि आज तो पूरे देश में वैसी ही रैगिंग जैसा माहौल हो गया है - क्योंकि आज भी तो "संस्कारियों" द्वारा बोला जा रहा है - "भारत माता की जय बोलो" - जैसा हम चाहें वैसा बोलो - जब हम चाहें तब बोलो - वो भी प्यार से - आदर से .. और "भारत की जय" नहीं चलेगा - "जय हिन्द" नहीं चलेगा .. और बोलोगे तो थप्पड़ खाओगे - और नहीं बोलोगे तो थप्पड़ खाओगे ....

मैं उस दिन व्यथित था - मजबूर था .. क्योंकि मुझे अपने लिए - अपने पिताजी माताजी - अपने परिवार - और अपने देश के लिए इंजीनियर बनने का लक्ष्य पूरा करना था .... क्योंकि मैं एक अच्छा बेटा था - एक अच्छा नागरिक था - एक अच्छा देशवासी था ....

पर आज मैं उद्वेलित हूँ - क्योंकि मेरे दिल में आज भी अपने देश के लिए कुछ अच्छा सोचने और करने का जज़्बा बरकरार है .... और इसलिए मैंने अपने दिमाग की बात दिल से आपके समक्ष रख दी है ....

निर्णय आप करें कि .. क्या रैगिंग उचित है ?? .. क्या देश का माहौल "रैगिंग" लेने जैसा ही नहीं है ?? .. क्या देश का ऐसा ही माहौल उचित है ?? .. क्या "संस्कारियों" के "संस्कारों" और उद्देश्यों को समझने परखने की जरूरत नहीं है ?? .. क्या इन सब बातों से लक्ष्यों की पूर्ती हो जाएगी ?? .. क्या ऐसे ही अब "सबका साथ" हासिल किया जाएगा - और सबका विकास हो जाएगा ?? .. क्या वारिस पठान का महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबन उचित है ?? .. क्या ओवैसी को भी संसद से निष्कासित किया जाना चाहिए ??

यदि हाँ !! तो आइये सब मिलकर बोल देते हैं .... "भारत माता की जय" .... और आशा करें कि संविधान में कुछ "संस्कारी" संशोधन भी हो जाएं - जैसे "भारत माता की जय" बोलना अनिवार्य हो ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

// अख्तर साहेब को मोहल्ले का एक नेता इतना विचलित क्यूँ कर गया ?? ....//


कल जावेद अख्तर द्वारा राज्यसभा में दिए भाषण के बारे में सुना ....

शायद वो अपने आपको कई नेताओं से ऊपर और उत्कृष्ट मान ये बोले कि - ओवैसी जैसे एक मोहल्ले के नेता अपने आपको राष्ट्रीय नेता समझते हुए ऊटपटांग बयानी कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं "भारत माता की जय नहीं बोलूंगा" .... और उन्होंने ओवैसी की उस दलील का भी मखौल उड़ाया कि यदि संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि "भारत माता की जय" बोलना जरूरी है तो संविधान में ये भी कहाँ लिखा है कि अचकन पहनना जरूरी है या टोपी पहनना जरूरी है ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

सर्वप्रथम तो मैंने इस बात का संज्ञान लिया कि जावेद अख्तर ने ओवैसी पर छोटा मोटा निशाना साधने के अलावा शायद बड़ा निशाना सरकार और धार्मिक कट्टरवादी संस्थाओं पर भी साधा .. पर शायद वो अंश अनसुने कर दिए गए .... क्यों कर दिए गए ?? .... क्योंकि इस देश में फिरकापरस्त ताकतें ताकतवर हैं - बस इसलिए .... और शायद सरकार में अतिवादी और कट्टरवादी कई शक्तियां हैं जो सहूलियत अनुसार मोडिया चैनलों के मार्फ़त अपनी घृणित मंशाओं के अनुरूप काम कर रही हैं ....

पर यदि मैं ओवैसी संबंधित उनकी प्रतिक्रिया पर अपनी प्रतिक्रिया दूँ तो मैं सर्वप्रथम कहना चाहूँगा कि - श्रीमान अख्तर साहब यदि ओवैसी जो ४ बार हैदराबाद से लोकसभा सीट जीतकर सांसद बने रहे हैं - और एक पार्टी के अध्यक्ष भी हैं - उन्हें आप एक मोहल्ले के नेता कहते हैं तो माफ़ करें आप उस लायक भी नहीं थे कि आप वो कहते जो कुछ आप एक बिन चुनाव लड़े राज्यसभा सांसद की हैसियत प्राप्त होने के कारण कह सके और कह गए .... यानि इस मापदंड से तो आपकी ओवैसी के सामने हैसियत बहुत बौनी है .... और इस मापदंड अनुसार तो भाजपा में भी तो सभी मोहल्लों के ही नेता तो हैं - राष्ट्रीय नेता तो कोई नहीं .. जैसे मोदी जी वाराणसी मोहल्ले के नेता - और जेटली स्मृति "बिनमोहल्ले के नेता" .... है ना !!

जहां तक संविधान में "भारत माता की जय" बोलने या अचकन पहनने या टोपी पहनने के बारे में कुछ नहीं लिखा होने की बात है - तो मैं आपकी बात में आपकी तर्ज़ में जोड़ना चाहूंगा कि संविधान में बकवास करने की बात भी कहाँ लिखी है .... पर कई लोग कई बकवास कर रहे हैं कि नहीं ?? .. और इस देश का हर व्यक्ति भी कहाँ अचकन पहने या टोपी पहने घूम रहा है ??

मेरी बेतुकी बात का मतलब है कि कई लोग संवैधानिक स्वतंत्रता के अनुरूप धोती पेंट निक्कर पगड़ी साफा पहन के भी तो घूम ही रहे हैं ना ?? .... और अख्तर साहब आप भी तो लेडीज गाऊन जैसा कुरता पहन ही राज्यसभा में बोल रहे थे ना ?? .. आप ने भी तो अचकन टोपी नहीं पहनी हुई थी ना ?? .. तो फिर आप "भारत माता की जय" वाली बात से इतने विचलित क्यों हो गए ?? 

जावेद अख्तर साहब - आप बोल गए - पर शायद ओवैसी आप पर बहुत भारी पड़ गए .... मालूम है क्यूँ ?? .. इसलिए कि आपके भाषण के बाद ओवैसी ने क्या बोला मालूम है ?? .. जी हाँ वो बोले .... "जय हिन्द" ....

इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि जावेद साहब आप बोले और बहुत अच्छा बोले और सही बोले .... पर अब क्या आप "भारत माता की जय" के स्थान पर उस मोहल्ले के नेता ओवैसी के द्वारा "जय हिन्द" बोलने पर अपनी प्रतिक्रिया दे पाएंगे ?? .... क्या आप पुनः विचलित नहीं हुए ?? .... या पुनः विचलित होंगें ?? .... क्या आप बता पाएंगे कि ओवैसी के द्वारा "जय हिन्द" बोलना उचित था अथवा नहीं ?? .... और क्या आप भी तीन बार बोलेंगे - "जय हिन्द" - "जय हिन्द" - "जय हिन्द" .... या फिर नहीं बोलेंगे ?? .... नहीं बोलेंगे तो क्यों ?? .... और यदि नहीं बोलेंगे तो फिर ओवैसी और आप में क्या फर्क ????

तो अख्तर साहब मेरा आपको सुझाव है - ठंडी सांस लें और अपने घर के किसी कक्ष में केवल तीन बार बोलें .... "जय हिन्द" - "जय हिन्द" - "जय हिन्द" .... कस्सम से आपको बहुत आत्मिक शांति मिलेगी .... अल्लाह आपकी खैर करे !! .... आशा है क्योंकि आप स्वयं लेखक हैं तो जानते होंगे कि भाव ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं और "शब्द" तो उन भावों को अभिव्यक्त करने के मात्र साधन - और इसलिए आप मेरे शब्दों के तुच्छ होने के बावजूद मेरे भाव समझ ही गए होंगे .... शुक्रिया !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Tuesday 15 March 2016

// "भारत माता की जय" !! .. "भारत की जय" नहीं चलेगा ?? ....//


अब एक नया वृहद मुद्दा पसर रहा है .... मुद्दा है "भारत माता की जय" बोलने या ना बोलने का ....

और शायद ये मुद्दा तरोताज़ा हुआ भारत के ही कुछ लालों के वक्तव्यों से .... पहले भागवत जी के उस वक्तव्य से कि - अब नई पीढ़ी को "भारत माता की जय" बोलना भी सिखाना पड़ेगा .... और अब मुद्दा ज्वलनशील हो ज्वलंत होता दिख रहा है असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान से कि - मैं "भारत माता की जय" नहीं बोलूंगा .... और उसके बाद कुछ अन्य भाजपाई नेताओं के भी "पाकिस्तान युक्त" बयान आने थे और आ गए .... 

मेरी प्रतिक्रिया ....

मैंने कभी नहीं सुना कि किसी अमेरिकन ने बोला हो "लॉन्ग लिव फादर अमेरिका" .. या किसी पाकिस्तानी ने ये बोला हो कि "पाकिस्तान अब्बा पाइंदाबाद" .. या किसी अँगरेज़ ने बोला हो "लॉन्ग लिव अंकल इंग्लैंड" ....

पर बचपन से सुनता आया हूँ - "भारत माता की जय" .. और बोलता भी आया हूँ - और बोलता भी रहूंगा - और मुझे ऐसा बोलना अच्छा भी लगता रहा है - और ऐसा बोलने से मुझे कोई रोकेगा भी नहीं .... पर क्या मेरे लिए ऐसा ही बोलना आवश्यक ?? ..

बस इसी विषय में मेरी एक भक्त से नोक झोंक हो गई .. भक्त मुझ से जोर देकर बोलने लगा कि पहले बोलो "भारत माता की जय" बात फिर आगे होगी .... तो मैंने भी शर्त रख दी कि ठीक है मैं बोल दूंगा पर फिर उसके बाद तुम्हें भी कुछ बोलना होगा जो सत्य और देशहित में ही होगा .... और वो मान गया ....

बस फिर क्या था मैंने बोला - "भारत माता की जय" .. और तत्काल उससे कहा कि बोल - "जुमले गढ़नेवाला मुर्दाबाद" ....

भक्त भाग गया .. अभी तक लौट कर नहीं आया है .. और मैं बिना किसी संकोच के कह पा रहा हूँ .. "भारत की जय हो".. ये देश वाकई महान है .... भले ही यह स्त्रीलिंग हो या पुल्लिंग - माता तुल्य हो या पिता तुल्य - पर है ये महान .. और इस देश में भागवत और ओवैसी जैसे अनेक लाल होंगे जो असली प्रश्नों के समक्ष में आते ही "विचित्र" जैसे हो जाते हैं .. भक्त जैसे विलोपित हो जाते हैं ....

सारांश : "भारत माता की जय" ; "जुमले गढ़नेवाला मुर्दाबाद" ; "भारत की जय" ; "हिन्दुस्तान जिंदाबाद" ; "लॉन्ग लिव इंडिया" ; ये सभी नारे देशभक्ति से ओतप्रोत हैं .... जो चाहें दिल खोल कर लगाएं .. जैसे कन्हैया दिल खोल के लगाता है कई बुराइयों से आज़ादी के नारे ....

तो मैं अपनी बात को यहीं विराम देता हूँ - और दम ठोंक के कहता हूँ कि जिस माई के लाल में ताकत हो मुझे रोक के देख ले - मैं तो बोलूंगा - "भारत माता की जय" .... "भारत माता की जय" ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Monday 14 March 2016

// माल्या का "अच्छा समय" - और मोदी के "अच्छे दिन" ....//


पूरे देश में हल्ला है .... भाग गया रे भाग गया - माल्या देश से भाग गया - देश का पैसा लूटकर भाग गया - बैंकों का पैसा खाकर भाग गया .. भगोड़ा भाग गया .. हाय !! माल्या भाग गया .... 

मेरी प्रतिक्रिया ....

क्या माल्या ऐसा अकेला अपराधी था ?? .. क्या ऐसे आर्थिक अपराध में कोई व्यक्ति बिना मिलीभगत अकेला ही ऐसा गजब कर सकता है ?? ..

उपरोक्त प्रश्नों का जवाब है - नहीं ! नहीं !! नहीं !!! ....

इसलिए मेरा ध्यान जाता है कि ये पूरा देश केवल माल्या की तरफ ही ध्यान क्यों लगाए है ?? .. कारण मैं बताता हूँ .... जिनको कुछ करना चाहिए था वो सब माल्या से मिले लगते हैं .. और शायद इसलिए वे चुपचाप मजे से सब कुछ होता देख रहे हैं .. कर कुछ नहीं रहे हैं .... जानबूझकर ....

यानि इतना बड़ा कांड हो गया - और देश में माल्या जैसे ही अन्य सैंकड़ों घोषित अपराधी मौजूद होने की प्रामाणिक सूचना और पुख्ता प्रमाण सार्वजानिक हो चुके हैं - पर अभी तक पूरे देश में एक भी अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी तक नहीं हुई .. ना किसी बैंकर की - ना किसी गारंटर की - ना किसी नेता की - ना किसी अधिकारी की - ना माल्या के अन्य रिश्तेदारों की - ना माल्या के चार्टेड एकाउंटेंट्स की - ना माल्या की कंपनियों के अन्य अधिकारियों की .... 

और "विचित्र किन्तु सत्य" .... जो भक्त और बेवकूफ एक कन्हैया की गिरफ्तारी पर इतने खुश संतुष्ट मदमस्त थे उन्हें भी अभी तक आभास ही नहीं है कि इस देश में कन्हैया के अलावा गिरफ्तारी योग्य कई सैकड़ों टुच्चे हैं लुच्चे हैं लफंगे हैं चोर हैं डकैत हैं - संभ्रांत हैं अमीर हैं रईस हैं - ललित मोदी हैं - डीडीसीए वाले भैय्या हैं - राजस्थान के राजकुमार हैं - गुजरात की राजकुमारी हैं - देशद्रोही हैं - आदि हैं इत्यादि हैं अनादि हैं ....

इसलिए अब हमारे चौकीदार और हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी पर भी प्रश्न उठता है .... क्यों भाई आप तो कहीं नहीं भागे - फिर बैठे बैठे या खड़े खड़े कर क्या रहे हो ?? - बस वही ना जो हम कर रहे हैं - समाचार सुन रहे हो और सूचित हो रहे हो कि "माल्या भाग गया" ....

जरूर मिलीभगत तो है .... और मिलीभगत तो निम्नलिखित तथ्य से भी परिलक्षित होती है ....

माल्या की टैग लाइन थी  >>  "किंग ऑफ़ गुड टाइम्स" ....
मोदी की टैग लाइन थी    >>  "अच्छे दिन आने वाले हैं" ....

दोनों के विचार और स्टाइल और दाढ़ी में भी कितनी समानताएं हैं ना !! ....
और समानता मुझे इसलिए भी लगती है कि .. ना तो 'अच्छा समय' आया है ना ही 'अच्छे दिन' ....

बस फर्क है तो यह कि एक भाग गया है और दूसरे ने भगा दिया है या भाग जाने दिया है ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Sunday 13 March 2016

// 'पैंट' की जगह 'धोती' ठीक नहीं रहती ?? ....//


आरएसएस एक पुरानी संस्था है - स्वतंत्र है - हिंदूवादी है ....

अब भले ही इस संस्था की विचारधारा कुछ लोगों की समझ अनुसार गड़बड़ रही हो - जैसे कि हिन्दुस्तान में बस जो है हिन्दू है .... और फिर भले ही इस संस्था के कई अनुषांगिक अंग दूसरों पर क्या पहनना क्या नहीं पहनना - क्या खाना क्या नहीं खाना - या क्या सोचना क्या नहीं सोचना - किसको पूजना कैसे पूजना कब पूजना - कब कौन सा त्यौहार कैसे मनाना कैसे नहीं मनाना आदि के बारे में अपने स्वतंत्र विचार रखते हुए दूसरों पर थोपने की चाहत रखते रहे हों .. पर चूँकि ये संस्था स्वतंत्र है अतः इसे भी क्या पहनना और क्या नहीं पहनना इसकी स्वतंत्रता होनी चाहिए ....

इसलिए मैं सर्वप्रथम संघियों को चड्डी की जगह फुल पैंट पहनने की इज़ाज़त देता हूँ .... जाओ चड्डी उतार फेंको और पहन डालो फुल पैंट - ये तुम्हारा अधिकार है - जाओ ऐश करो - क्या याद रखोगे कि किस उदारवादी से पाला पड़ा था ....

पर यूँ ही मैं साथ ही यह भी सोच रहा था कि .. क्या हमारे पूर्वज हिन्दू फुल पैंट पहनते होंगे ?? .. और मुझे लगता है नहीं !! .... और इसलिए मैं सोच रहा था कि पैंट के बदले धोती कैसी रहती ??

ये पैंट ना पहनने का एक और कारण बनता है .. क्या है इनकी पोषाक की "चड्डी" इतनी गज़ब की थी कि इन संघियों को आमजन मज़ाक-मज़ाक में "चड्डी" कहकर भी बुलाते रहे हैं ....
तो क्या अब "चड्डी" के बदले "पैंट" पहनने पर वही लोग इन्हें मज़ाक-मज़ाक में कुछ अटपटे शाब्दिक नाम से तो नहीं बुलाएंगे ??

इसलिए मेरा पुनः सुझाव है कि पैंट की जगह धोती ही रहती तो बेहतर होता .... वैसे फिर दोहरा दूँ कि मुझे व्यक्तिगत रूप से तो कोई आपत्ति नहीं है .... और मैं तो यह भी आशा करता हूँ कि वेश के साथ इनकी सोच भी कुछ "हाफ" से कुछ "फुल" हो तो बेहतर ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Saturday 12 March 2016

// तो क्या हमारी सेना छुईमुई .. और मोदी का मनोबल सेना से भी ज्यादा ?? ..//


ललित मोदी भाग गया था - वापस  नहीं आया - फिर हुआ क्या ?? .. ज्यादा पता भी नहीं चला - बताया भी नहीं गया - शायद मानवीय आधार पर सब कुछ भुला सा दिया गया था ....

पर नास पिटे माल्या का - वो भी भाग गया - और सब कुछ फिर ताज़ा हो गया .... फिर वैसे ही प्रश्न हवा में और वैसे ही आरोप - और वैसा ही बेशर्म सा बचाव ....

यानि एक बार फिर सभी सरकारी एजेंसियों पर प्रश्न पूछे जा रहे हैं - ईडी - आईटी - सीबीआई - आदि सब से .... और वही मीडिया वही मोडिया और वही पत्रकार और वैसी ही किटर-पिटर जारी है .... और लोग आरोप लगा रहे हैं छोटे मोटे अधिकारीयों और मंत्रियों और कारोबारियों और बैंकरों से लेकर प्रधानमंत्री तक पर ....

यानि आज फिर से लोग उद्वेलित हो प्रश्न पूछ रहे हैं .. जी हाँ हमारे देश की पूरी व्यवस्था पर - पूरे तामझाम पर - पूरी सरकार पर - पूरी संवैधानिक व्यवस्था पर .... यानि लोग देश की पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं .. धिक्कार भी रहे हैं .... 

लेकिन अफ़सोस कि इतने खुल्लमखुल्ला व्यापक प्रतिरोध और आरोपों को कोई भी "देशद्रोह" की संज्ञा नहीं दे रहा है !!!! आश्चर्य ना ?? 

जबकि एक अदने से कन्हैया ने हमारी सेना को सम्मान देते हुए उस सेना के चंद आरोपित जवानों पर एक प्रतिक्रिया क्या दे दी - सब मिर्ची में लपट तेल के कड़ाहे में कूद उछल कूद करने लगे .... जल भुन तल गए .. पक गए ....

और दलील क्या ?? .. कि ऐसे वक्तव्यों से सेना के मनोबल पर असर पड़ता है .... वाह रे हमारी छुईमुई सेना - कन्हैया ने कुछ आरोप लगा दिया तो मनोबल गिर जाएगा ?? .... और माल्या भाग लिया और पूरा देश आरोप लगा रहा है तो हमारे मोदी जी का मनोबल नहीं गिर रहा क्या ?? .. क्या मोदी जी सेना से भी ज्यादा मनोबल वाले ?? .. तो फिर क्यों नहीं मोदी जी को सियाचिन भेजा जाए ??

और मैं सोच रहा हूँ कि क्या सेना हमारी व्यवस्था का अभिन्न अंग नहीं ?? .... और क्या हमें हमारी सभी व्यवस्थाओं पर कुछ टीका-टिप्पणी करने का अधिकार भी नहीं ?? .. बल्कि क्या ऐसा करना हमारा दायित्व नहीं ??

सोचियेगा - जरूर सोचियेगा - और शायद तब जान पाइएगा कि यदि आज हर कोई माल्या पर बोल रहा है या देशहित में इस देश की व्यवस्था पर बोल रहा है - तो हो सकता है कन्हैया भी कुछ ऐसा ही कर रहा होगा ....

और यदि कन्हैया कुछ झूठ या अपुष्ट या मनगढंत बोल रहा है तो सावधान !! .... माल्या बेचारा तो अभी नया नया है - ललित मोदी ही कहाँ दोषी सिद्ध हो पाया है ?? .. और हमारे सत्ताधीशों की भी पूरी पोल अभी कहाँ खुली है .... अभी तो कन्हैया ने जनम ही लिया है - पूरी रास लीला तो बाकी बची है !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Thursday 10 March 2016

// सिद्ध होता है कि भाजपा की 'धरपकड़ नीति' बहुत ही दयनीय है ....//


ललित मोदी पकड़ाए नहीं .... माल्या भाग लिए या भगा दिए गए .... ओ पी शर्मा दिखे नहीं .... गुंडे वकील भी पकड़मपकड़ी खेल के बाद दिखे नहीं .... पठानकोट के सलविंदर भी किसी मज़ार पर दिखे नहीं .... राज ठाकरे को पकड़ने की हिम्मत नहीं .... शत्रु आज़ाद पकड़ाई में आते नहीं .... योगी साध्वी पकड़ने लायक नहीं .... आसाराम छूटते नहीं .... जाट आरक्षण दंगों के दोषियों को पकड़ने की आवश्यकता नहीं .... हमारे मित्र देश बेचारे पाकिस्तान ने कुछ आतंकी भेजने की सूचना दी पर यहाँ कोई पकड़ाया नहीं .... देश की जानी दुश्मन संस्था 'जेएनयू' में नारे लगाने वाले भी पकड़ में आए नहीं या पकड़ में लिए गए ही नहीं ....

और अकेले कन्हैया जो 'धरपकड़' लिए गए थे छूट गए - और छूट के छुट्टे हो गए .... कह रहे आरएसएस और भाजपा और मोदी की धरपकड़ जरूरी - और सेना में बलात्कारियों को तो पकड़ना ही पड़ेगा ....

और मोदी जी बिना कुछ पकडे बस धर-धर के दिए जा रहे हैं .... कह रहे हैं कांग्रेस 'मृत्यु' माफिक - बदनाम ही नहीं होती .... और तो और कह दिए कि गरीबी की जड़ें तो बहुत बहुत गहरी हैं इसलिए गरीबी को पकड़ पाना असंभव .... पर जनाब मोदी जी पकड़मपकड़ी के उपरोक्त हर धरपकड़ प्रकरण में मौन हैं ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

सिद्ध होता है कि भाजपा की 'धरपकड़ नीति' बहुत ही दयनीय है ....
इन्हें ये ही संपट नहीं पड़ रही है कि क्या पकड़ना है क्या छोड़ना है - किसे पकड़ना है किसे छोड़ना है - कब पकड़ना है कब धरना है - क्यों पकड़ना है और क्यों नहीं छोड़ना है - और पकड़ने में क्या धरा है जब किसी को भी धरने में ही ये ऐसे बदनाम हो जाते हैं जैसे कि मुजरिम यही हों .... और सामान्यतः धरपकड़ के हर मामले में पकड़ने या ना पकड़ने में मुजरिम तो होते भी यही हैं - यानि सबसे पहले धराते तो ये खुद ही हैं ....

इसलिए मेरा भाजपा को सुझाव भी है ....
किसी अच्छे समझदार नेता को पकड़ो और ये मोदी को छोडो .. नहीं तो जनता आपको गरीबी की जड़ों के भी नीचे तक गाड़ देगी .... और बदनाम ये हारी हुई कांग्रेस होनी नहीं है - बदनामी तो आप की ही होगी - पूरी सत्तासीन पार्टी की ही होगी - पूरी भाजपा की ही होगी ....

फिर कभी 'केजरी' और कभी 'कन्हैया' के नाम पर रोते रहना .. "छिप गया कोई कोई रे चार जूते मार के - दर्द अभी तक होए - क्या करूँ राम रे" ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Monday 7 March 2016

// जेटली जी .. असल में तो जनता जीत गई है और आप हार गए हैं ..समझे !! ..//


'जेएनयू' विवाद पर 'कन्हैया' पर कटाक्ष करते जेटली जी ने कह दिया ....
" हम जीत गए हैं - जो देश तोड़ने के नारे लगा रहे थे, जब जेल से बाहर आए हैं तो जय हिन्द और देश के झंडे के साथ नारे लगा रहे हैं " ....

मेरी प्रतिक्रियाएं ....

बैलगाड़ी के नीचे चलते कुत्ते को जिस प्रकार गुमान हो जाता है कि बैलगाड़ी वो ही खींच रहा है - ऐसे ही कुछ निहायत भ्रष्ट निकम्मे फ़ड़तूस लोगों को गुमान हो जाता है कि इस महान परम्परओां के महान देश में जो भी तिरंगा लहराते जय हिन्द का नारा लगा रहा है उसका श्रेय उसी घटिया इंसान को ही है ....

मुझे ऐसा भी लगता है कि पिछले दिनों में असल में तो इस देश की जनता ने भी कई बड़ी जीतें हासिल की हैं .... 

और जीत का कारण है कि जिनके दिल दिमाग में अति हिन्दू और केवल हिन्दू और शुद्ध हिन्दू जैसे ख्यालात ही उगते रहते थे और जुबां पर हमेशा हिन्दू शब्द ही आता था - आज बेचारे हिन्दू शब्द का पृथक उच्चारण तक नहीं कर पाते हैं - यानि जब भी बोलते हैं बेचारे "हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई" एक सांस में बोलने के लिए मजबूर होते हैं .... और ऐसा ही हश्र 'मुस्लिम' का जाप करने वालों का भी हुआ है .... 

मेरा इशारा ऐसे कई नेताओं की तरफ है जो धर्म और जाति विशेष की ठप्पे वाली राजनीतिक पार्टियों से सम्बद्ध हो अपनी राजनीति करते आए हैं .... मसलन मोदी जी .. जो लाख सांप्रदायिक ख्यालात के होते हुए भी प्रधानमंत्री बनने के बाद हमेशा मजबूरी में सेक्युलर-सेक्युलर बोलते दिखते हैं - सबका साथ लेने की बात कहते दिखते हैं .... और कहते हैं कि देश का विकास तब ही होगा जब हर जाति समुदाय का विकास होगा .... जो रोहित वेमुला के लिए बोलते हैं कि देश ने एक लाल खोया है ....  

और मैं इन वक्तव्यों का श्रेय इस देश की अधिकाँश धर्मनिरपेक्ष जनता को देता हूँ - जो "लव-जिहाद" "घर-वापसी" "गौमांस" "असहिष्णुता" और "देशविरोधी नारों की साज़िश" को नकारते हुए सत्य और समझदारी के मार्ग पर आगे बढ़ रही है ....

देश की जनता को अब समझ पड़ गई है कि 'देशभक्त' वो नहीं जो केवल झंडे को लहरा देशभक्ति के नारे लगा देशभक्त होने की डींग मारता है .. देशभक्त तो वो है जो साम्प्रदायिकता से नफरत करता है .. जो भ्रष्टाचारियों से नफरत करता है .. जो पूरे देश की भलाई के बारे में ही सोचता है .. जिसे इस देश के उद्योगपतियों से ज्यादा उद्योगों की चिंता है .. जिसे बड़े आदमी के छोटे घोटाले भी उतने ही अखरते हैं जितने छोटे आदमियों के बड़े घोटाले .. जो ओछी राजनीति और गोरख धंधा नहीं करता है .. और जो लाखों रुपये के खेल संगठनों पर करोड़ों के डाके डालने का घिनौना कृत्य नहीं करता है ....

इसलिए जेटली जी को सूचित करना चाहूँगा कि - श्रीमान ! असल में तो जनता जीत गई है - और आप हार गए हैं .... समझे !!
और अब लोग "कन्हैया" को सुन रहे हैं - समझ भी रहे हैं .... सावधान !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Sunday 6 March 2016

// आखिर स्मृति खेर मोदी और "कन्हैया" में क्या फर्क है ....//


आज दो प्रमुख भाषण हुए ....

पहला भाषण था नरेंद्र मोदी का महिला सशक्तिकरण पर .... बड़े तामझाम के साथ संसद भवन के सेंट्रल हॉल में - एक विशेष कर्यक्रम में .... भाषण हुआ - टीवी पर लाइव प्रसारण हुआ - और बस हो गया - यानि उसके बाद कुछ न हुआ - होना भी नहीं था - क्योंकि भाषण में बखान जैसा कुछ था भी नहीं - शायद जसोदाबेन को भी कुछ अधिक भाया ना होगा ....

और दूसरा भाषण था अनुपम खेर का - असहिष्णुता पर ....  कलकत्ता के एक अखबार द टेलीग्राफ के मंच से - बड़े तमतमाये से हंसी-ठट्ठे के माहौल में - यानि खेर तमतमाये थे जैसे कि स्मृति संसद में - और बैठी पब्लिक हंसती हुई .... और वो भाषण हुआ - और सोशल मीडिया पर वायरल हो अभी तक चल रहा है .... और उस भाषण में मोदी का सुपर-डुपर बखान है .... यानि ऐसा बखान कि स्मृति भी याद हो आई - यानि वही हाव भाव और भद्दी अदा .... और बैठी जनता हंसी ठट्ठे के लिए मजबूर ....

यानि आज सिद्ध हो गया कि अब इस देश में मोदी की कोई हैसियत नहीं बची - उनका भाषण कोई नहीं सुन रहा - उनकी वो चमक और खनक कुंद पड़ गयी .... और उस रिक्त स्थान को भर दिया है स्मृति और खेर के नाटकीय भाषणों ने - जो त्वरित वाइरल हो स्वतः क्षीण हो जाते हैं ....

पर कुल मिलकर देश में ऐसा माहौल बहुत अच्छा बना है - और ये माहौल देश के हित में है .... क्योंकि अब लोग सुनकर ये जान पाएंगे कि आखिर स्मृति खेर मोदी और "कन्हैया" में क्या फर्क है - और कितना फर्क है .... नहीं तो अब तक ना जाने कितने "कन्हैया" अपनी काबलियत का प्रदर्शन करने से वंचित होते हुए इस देश के "ऐरे-गैरे-नत्थू-खैरों" के कारण अनसुने रह गए होंगे ....

इसलिए - छी टीवी स्मृति खेर और मोदी सहित अनन्य भक्तों को धन्यवाद .... बेहतर होगा वो अपना भोंडा प्रदर्शन इसी तरह जारी रखें ताकि हम हमारे यशस्वी "कन्हैय्याओं" को और गंभीरता से सुनने के लिए प्रेरित हों और उसके महत्त्व को भी समझ सकें .... और समझ सकें की देशद्रोही कौन होते हैं - देशभक्त कौन - मूरख कौन और जोकर कौन ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Saturday 5 March 2016

// मुझे लगता है उम्र सबकी बढ़ रही है पर कुछ लोगों की समझ घट रही है ....//


कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी ने संसद में कुछ ऐसा कह दिया जो अव्वल तो सत्य नहीं - अपितु उपयुक्त भी नहीं ....

ना मालूम कहाँ की खुन्नस दिमाग में घुसेड़े कह दिए जिसका आशय था कि - "कुछ लोगों की उम्र बढ़ती है - समझ नहीं" ....

अब आप इनकी अक्ल देखें और तरस खाएं जो अव्वल तो कह रहे हैं कि "कुछ लोगों की उम्र बढ़ती है" - जबकि सत्य तो ये है कि उम्र तो सबकी बढ़ती है - और वो भी एक समान .... मसलम यदि मोदी जी पिछले ४० साल में ४० साल वृद्ध हुए तो शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी भी तो ४० साल ही वृद्ध हुए ....

और दुसरे ऐसा कुछ कहना जिसका ये अभिप्राय निकल सके कि शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी की समझदारी बढ़ी ही नहीं तो ये तो उपयुक्त भी नहीं .... क्योंकि मान भी लो कि मोदी जी अनुसार जितनी समझदारी स्मृति ईरानी की बढ़ी हो उतनी शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी की नहीं भी बढ़ी हो तो भी क्या ऐसा संसद में कह देना क्या शोभा देता है ??

और वो भी जब - जबकि संसद में कई युवा सांसद भी बैठे थे - जिनकी समझदारी से भरे वक्तव्यों के आगे मोदी जी स्वयं उनुत्तरित से दिखे .... मसलन अब मोदी से ज्यादा समझदार राहुल गांधी ने मात्र ३ शब्दों में मोदी जी को उद्वेलित और अनुत्तरित कर दिया .... जैसे कि "फेयर एंड लवली" .... बस ३ शब्द .... और मोदीजी ९० मिनिट बोल के भी कुछ ना बोल सके .... ना कुछ 'फेयर' ना ही 'लवली' .... और राहुल के सामने ही घुटने टेक अपने पूर्वजों को भुला ससम्मान याद करते रहे राजीव इंदिरा नेहरू जी को ....

और संसद के अंदर ही नहीं - संसद के बाहर भी अब एक और नायक ने दस्तक दे दी है - और वो नायक है एक युवा "कन्हैया" जो यकीनन अपने आपको मोदी से अधिक समझदार साबित करता है .... ये वो कन्हैया है जिसने जेल से रिहा होने के २४ घंटे में ही मोदीजी की चूलें हिला दी हैं - क्योंकि इनकी मातृपितर संस्था के बुजुर्गों ने जिनकी भी समझदारी उनकी उम्र के साथ बढ़ी ही होगी - उनमें से एक ने कन्हैया को "चूहा" कहा - और दुसरे ने इस लड़ाई को "सुर-असुर" की लड़ाई बता डाला .... यानि इनके तो आकाओं के दिमाग तक झंझोड़ डाले गए हैं जो यह तक तय नहीं कर पा रहे हैं कि ये कन्हैया चूहा है या सुर या असुर .... और ये है वही कन्हैया जिसे मोदी सरकार ने देशद्रोही सिद्ध करने का कुत्सित प्रयास किया था - पर हुआ क्या ? - "सत्यमेव जयते" .... स्मृति और मोदी वाल सत्यमेव जयते नहीं - अपितु इस देश के सच्चे दिलों वाला "सत्यमेव जयते" .... कन्हैया वाला "सत्यमेव जयते" .... मेरा "सत्यमेव जयते" .... 

इसलिए मेरा मोदी जी को एक बार फिर मुफ्त का सुझाव है कि - शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी जैसे वरिष्ठ लोगों की समझदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाकर फ़ोकट में राहुल गांधी को अपनी ऐसी तगड़ी खिल्ली उड़ाने का मौका ना दें .... और अपनी सीमित समझदारी का उपयोग करते हुए अपने पद की मर्यादा का ध्यान रखें ....

और हाँ ३ विशेष सुझाव ....
१) छात्रों से पंगा ना लें ....
२) "कन्हैया" से तो सपने में भी पंगा ना लें - अन्यथा वो आपकी नींद ही हर लेगा ....
३) "कन्हैया" की जुबान काटने कटवाने का ख्याल भी दिमाग में मत लाना .... अन्यथा अभी तो तुम केवल बहरे हो - फिर शायद बोलने से भी वंचित हो जाओगे - गूंगे हो जाओगे .... दिव्यांग में कोई दम नहीं शुद्ध विकलांग हो जाओगे .... समझे ??

सारांश : मुझे लगता है उम्र सबकी बढ़ रही है पर कुछ लोगों की समझ घट रही है ....

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Thursday 3 March 2016

// 'फेयर एंड लवली' .. और .. 'जालिम लोशन' ....//


वाह क्या बात है .. मैं राहुल गांधी का आज मुरीद हो गया .. क्योंकि उन्होंने इतने नपेतुले ३ शब्दों में ही मोदी और जेटली की धज्जियां बिखेर दीं .... 'फेयर एंड लवली' ....

वाकई जिस बेशर्मी के साथ मोदी सरकार द्वारा 'अनर्थ' स्कीम को लागू करने की ज़ुर्रत पहले भी हुई थी और अभी फिर हुई है वह अक्षम्य है .... ऐसी टुच्ची स्कीम कि कोई भी अपनेवाला चोर छातीठोंक निडर अपने कालेधन का खुलासा कर और उस धन पर टैक्स और कुछ पेनल्टी दे उसे सफ़ेद धन कर ले - और बस हो गया - बड़े आराम से - ना कोई पूछताछ ना कोई केस ना कोई सज़ा .... ऐसी बदनीयती से भरपूर चोट्टों की स्कीम के लिए 'फेयर एंड लवली' से बढ़िया कोमल मखमली संसदीय शब्द हो नहीं सकते थे .... हाँ असंसदीय शब्द वाक्य और और लेख तो बहुत से हो सकते हैं पर उनका यहाँ लेख करना उचित और संभव नहीं होगा .... और शायद असहिष्णुता युक्त देशद्रोह के दायरे में होगा ....

कुल मिलाकर मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली की ऐसी 'फेयर एंड लवली' स्कीम का सटीक नामकरण तो राहुल गांधी ने कर दिया - पर इसका तोड़ नहीं बताया ....

तोड़ मैं बताता हूँ .... मोदी की 'फेयर एंड लवली' स्कीम का तोड़ है .. केजरीवाल का "जालिम लोशन" जो इनके समस्त प्रकार की 'दाद' 'खाज' 'खुजली' का इलाज कर रहे हैं ....

मुझे लगता है - 'सूट-बूट' पहन चेहरे पर 'फेयर एंड लवली' चुपड़ कर शायद मोदी जी अपने भक्तों के बीच अपनी छवि तो चमका लेंगे .... पर अपनी गिरती सेहत सुधारने के लिए तो उन्हें अंदर 'केजरी प्रायोजित जालिम लोशन' का उपयोग करना ही पड़ेगा .... हा !! हा !! हा !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //

Tuesday 1 March 2016

// कन्हैया बनाम कठेरिया .... सच्चाई बनाम धूर्तता ....//


देशभक्तों ने तड़ातड़ झूठे मनगढंत अपुष्ट आरोप लगा देश के एक होनहार छात्र नेता कन्हैया को देशद्रोही नारे लगाने के जुर्म में रगड़ दिया प्रताड़ित कर दिया और उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया .... पर आज तक उसके विरुद्ध वो नारे लगाने का कोई सबूत पेश नहीं किया जा सका .... यहां तक कि वो जाहिल बस्सी भी लाख चाहकर भी कुछ सिद्ध किये बगैर बेशर्मी से सेवानिवृत्त हो गए - या सेवानिवृत्त होने दिए गए - बिना किसी वांछित कार्यवाही के - जैसे कि कम से कम दादागिरी करने और धूर्तता बरतने का मुकद्दमा तो बस्सी पर चलना ही चाहिए था ....

लेकिन दोहरेपन की पराकाष्ठा देखें .... देशभक्तों के चहेते और उनके नेता केंद्र में मंत्री कठेरिया का वीडियो पूरी सृष्टि और ब्रह्माण्ड में वायरल हो चुका है - जिसमें वो आपत्तिजनक भाषण दे रहे हैं - देते सुनाई दे रहे हैं - देते दिखाई दे रहे हैं .... पर उनपर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है .... बल्कि वो तो अभी भी अपनी सफाई देने के लिए सहज सार्वजनिक रूप से खुल्ले उपलब्ध हैं - और वो झूठ बोल रहे हैं कि उन्होंने ऐसा वैसा कुछ नहीं कहा था ....

और तो और मज़े के बात देखें कि कठेरिया के समर्थन में एक और यशस्वी भाजपा सांसद बाबूलाल ने बयान दे दिया है कि क्या हत्यारों से बदला नहीं लेंगे तो क्या उनकी आरती उतारेंगे ....

कितना स्पष्ट खुल्लमखुल्ला विरोधाभास .... शायद सिर्फ इसलिए कि कन्हैया एक गरीब का बेटा और भाजपा की विचारधारा के विपरीत - और कठेरिया रसूखदार भाजपाई पट्ठा - शायद मोदी का खास !!

इसलिए मुझे लगता है ये विवेचना मात्र कन्हैया बनाम कठेरिया की नहीं है - अपितु ये विवेचना है सच्चाई बनाम धूर्तता की ....

और थोड़े संतोष की बात यह है कि आज पूरे जेएनयू के छात्रों और शिक्षकों ने उस तमाम धूर्तता को ठेंगा बताते हुए और उस तमाम दादागिरी का प्रतिकार करते हुए भाजपाई पट्ठों को पीछे धकेलने में कामयाबी हासिल कर ली है - जिसके कारण कन्हैया अब जल्द बाइज़्ज़त रिहा हो जाएगा ....

पर प्रश्न खड़ा होता है कि कन्हैया तो जल्द बाइज़्ज़त रिहा हो जाएगा पर क्या कठेरिया बेइज़्ज़त हो अंदर जाएगा ???? ....

मुझे लगता है कि अब लोगों में मूड माहौल तो बनने लगा है और लोग समझने लगे हैं कि ये "देशद्रोह" क्या होता है - और देशद्रोह कन्हैया ने नहीं कठेरिया ने किया है - इस कारण कठेरिया अंदर जा भी सकता है .... वो भी बाबूलाल सहित !! .... !! आमीन !!

// मेरे 'fb page' का लिंक .... << https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl >> //