Sunday 31 May 2015

//// हुर्रे !! मोदी सरकार की पहली बड़ी उपलब्धि - इन्कम टैक्स का नया फॉर्म जारी ..////


मोदी सरकार को बधाई - एक बहुत बड़ी उपलब्धि जिसमें सबसे ज्यादा काबिल कबीना मंत्री जेटली के साथ ही स्वयं मोदी जी भी व्यक्तिगत योगदान का श्रेय लेने से नहीं चूकेंगे ....

पूरे एक वर्ष के अथक परिश्रम प्रयासों और सूझ बूझ और मोदी जी की सोच और एक नायाब 'विज़न' का ही नतीजा है कि अंततः इन्कम टैक्स का रिटर्न भरने का फॉर्म निर्णीत कर दिया गया है .... ये नया फॉर्म है जिसे अब ३१ अगस्त तक भरना होगा - यानी रिटर्न भरने की अंतिम तिथि भी बढ़ा दी गई है ....

मित्रो ! विदित हो !! ज्ञातव्य हो !! ध्यान देवें !! गौर फरमाएं !! कि ये नया फॉर्म है - जी हाँ नया - और इसलिए स्वाभाविकतः जो कार्य पिछले ६७ साल में पूर्व की सरकारें नहीं कर सकीं वो जेटली मोदी ने पलक झपकाते अपने पहले ही एक वर्ष में कर दिखाया है .... चमत्कार ! अभूतपूर्व !! ना भूतो ना भविष्यती !! अकल्पनीय !! अविश्वसनीय !!

और इसलिए अब इन भाजपाइयों को पूरी बेशर्मी के साथ केजरीवाल पर प्रश्न उठाने का अनैतिक अधिकार प्राप्त हो गया है कि - बताओ केजरी जी - पूरे ३ महीने हो गए आप तो अभी तक लोकपाल बिल भी नहीं ला पाए - आप तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने वाला बिल भी नहीं ला पाए - और देखो हमने तो पूरे १ पन्ने का नया फॉर्म भी बना लिया - और बना के जारी भी कर दिया .... आखिर आप कर क्या रहे हैं - बस नजीब जंग से झगड़ा ????

मित्रो - इस महान पर्व जैसे मौके पर मेरी तरफ से मोदी और जेटली और पूरी मोदी सरकार को धिक्कार के साथ बधाई !!!!

//// केजरीवाल से कितने लोग प्रेरणा ले रहे हैं ना ??....////


मित्रो जैसे आपने टीवी में देखा होगा और जैसा कि मैनें भी २९/०५/१५ को अपने एक पोस्ट - //// काश !! मैं भी भ्रष्ट नेताओं की सुताई कर पाता ....//// (http://bpdua.blogspot.in/2015/05/blog-post_92.html) में बयान किया था - इंदौर पुलिस आजकल सरेआम गुंडों की सुताई कर रही है - और सुताई की कार्यवाही सरेआम टीवी पर दिखाई भी जा रही है ....

और इस पर अनेक प्रतिक्रियाएं भी आ ही रही थीं - और यह भी विदित हुआ कि मानवाधिकार आयोग ने भी प्रकरण और तथ्यों का संज्ञान लेते हुए मध्यप्रदेश पुलिस और सरकार को दो एक नोटिस भी भेज दिए हैं ....

और बहस बचाव के बीच आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी लम्बा चौड़ा वक्तव्य आ गया .... बोले गुंडों की इस तरह पिटाई करना गलत नहीं - पिटाई नहीं करेंगे तो क्या आरती उतारेंगे ? मानवाधिकार आयोग के नोटिस का क्या - जब गुंडे दूसरों के मानवाधिकारों का हनन कर रहे थे तब क्या हो रहा था - आदि ????

मैं सोच रहा था कि अब तो शिवराज गए काम से .... अब भाजपाई तो यही कहेंगे कि शिवराज  भी केजरीवाल के पदचिन्हों पर चल पड़े हैं - कहना ही पड़ेगा - नहीं क्या ???? - यानि कहना पड़ेगा कि जो शिवराज सोचें वो ही सही - जो वो मानें वो ही सही - ना खाता ना बही जो शिवराज कहे वही सही - शिवराज भी अनार्किस्ट - जब उन्होंने स्वयं मान लिया कि जो पिट रहे हैं वो गुंडे ही हैं गुनहगार ही हैं और उन्हें उनके किये की सजा निकम्मा कानून निकम्मी पुलिस निकम्मी सरकार और निकम्मी व्यवस्था दे ही नहीं पाई थी सो सही - और इसलिए मजबूर हो जो पुलिस कर रही है वो ही सही .... फिर पस्त वकील व्यस्त न्यायालय और न्यायाधीश और फेल जेल को फ़िज़ूल में कष्ट देने की क्या आवश्यकता .... आदि अनादि इत्यादि !!!!

पर मैं यह भी मानता हूँ कि भाजपाइयों के कहने ना कहने से क्या होता है - शिवराज को केजरीवाल बनने के लिए अभी कई जनम और लेने होंगे - केवल केजरीवाल की कार्यप्रणाली का तनिक अनुसरण करने का भ्रम पालने से आप केजरीवाल के समक्ष या समकक्ष खड़े होने का गुमान नहीं पाल सकते .... और वो भी भाजपा में रहते तो कदापि नहीं ....

//// वो मन की बात बोलते गए ... मैं अनमने सुनता गया .... बस !! ..////


मोदी जी के मन की बात एक बार फिर सुन ली ....

छात्रों को विफलता और सफलता का पाठ पढ़ाते हुए वो सभी बातें बोलते रहे जो सभी सफल और विफल पहले से सुन चुके होंगे ....

अपने एक वर्ष पूर्ण होने पर भी कहा कि कई लोगों ने निंदा करी कई लोगों ने तारीफ और कई लोगों ने डिस्टिंक्शन भी दे दिया .... पर मोदी जी ये नहीं बोले की कई लोगों ने शून्य भी दिया .... यानि अपने मुँह मियाँ मिट्ठू ....

उसके बाद अपनी बीमा योजनाओं की घिसी पिटी बात - लगा बीमा कम्पनी का एजेंट बोल रहा हो .... मरणोपरांत फायदे की पालिसी लेने के लिए ....

फिर किसान टीवी चैनल की बात .... नया कृषि दर्शन देख सुन किसानों को कितना लाभ होगा या नहीं पता नहीं - पर लगा चैनल का विज्ञापन हो रहा हो ....

आगे बात करी योग दिवस की .... २१ जून .... मोदी जी ने फिर अपनी पीठ ठोंकी की इसे विश्व स्तर पर मनाया जा रहा है केवल उनके प्रयासों से .... तो अब २१ जून तक करोड़ों के विज्ञापन झेलने के लिए तैयार रहें .... एक नया बहाना मीडिया को रिश्वत देते रहने का तैयार है ....

सेना के जवानों के लिए भी बोले - सबसे पहले तो शर्मनाक तरीके से ४० साल की सरकारों को कोसा - फिर बोले मामला पेचीदा है - सरल नहीं - पर विश्वास दिलाया - कि वो करेंगे - जवानों की भूरि भूरि प्रशंसा करी - अपने को देशभक्त सिद्ध करने के कई डायलॉग मारे - और अंत में टुच्चाई पटक दी कि विरोधियों को चिल्लाने दें उन्हें राजनीति करने दें ....

और अंत में बोले - जाओ छुट्टी मनाओ - घूमों फिरो - पर डायरी बनाओ - भ्रमण करो पर अनुभव लिखो .... और कुछ सीखने का प्रयास करो .... ऐसा करो वैसा करो .... और अपने अनुभव मेरे साथ शेयर करो इनक्रेडिबल इंडिया पर .... शेयर करें ???? मोदी जी से ???? छुट्टी के अनुभव ???? - !@#$% 

और अंत में बोले - गर्मी से अपना बचाव करना - अपने को बचाना - पक्षियों का ख्याल रखना ....
बस यूँ ही बोलता गया जो मन में आया बोलता गया ....

और मैं भी सुनता गया .... बकवास ! क्योंकि जो बातें कहीं बेमानी सी लगीं - प्रधानमंत्री के मुहं से औचित्यहीन - अप्रासंगिक !!!!

Saturday 30 May 2015

//// मोदी जी का नया शिगूफ़ा ....////


सुनो ! सुनो !! - मार्केट में बिलकुल नया शिगूफ़ा आया है .... बिलकुल नया और घटिया ....

मोदी जी ने कहा है .... बुरे दिन से निजात के लिए 'अच्छे दिन' का नारा दिया था ....

मेरा प्रतिप्रश्न ....

'कालेधन' का तो 'जुमला' था ..
'अच्छे दिन' का तो 'नारा' था !!
'सबका साथ सबका विकास' ..
तो बस यूं ही कह मारा था !!

अब 'वर्ष एक काम अनेक' ??
हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था ????

//// 'वन रैंक वन पेंशन' >> 'OROP' .... मोदी प्रतिबद्ध - संशय गहराया ....////


पूर्व सैनिकों के लिए अपेक्षित प्रेक्षित बहुप्रतीक्षित बहुत ही प्रतीक्षित लम्बी प्रतीक्षित अतिप्रतीक्षित सदैव से प्रतीक्षित प्रतीक्षित ही प्रतीक्षित योजना - 'वन रैंक वन पेंशन' - आजकल फिर चर्चा में है ....

और अब क्योंकि स्वयं प्रधानमंत्री ने बयान दे दिया है कि वे 'वन रैंक वन पेंशन' देने के लिए प्रतिबद्ध है और इसे जरुर लागू करेंगे - इसलिए यह योजना संशय के घेरे में आ गई है .... क्योंकि प्रधानमंत्री ने अब 'विश्वास' दिलाया है - और वो जब भी 'विश्वास' और 'विकास' की बात करते हैं तो लोग समझ जाते हैं - गए काम से !!!! 

और साथ ही क्योंकि प्रधानमंत्री ने ये तक खुलासा करने की आवश्यकता नहीं समझी - कि योजना कब लागू करेंगे या कब तक लागू करेंगे .... इसलिए लगता है कि अभी ये मामला और लम्बा चलेगा ....

और शायद इसलिए इस योजना को बार-बार 'वन रैंक वन पेंशन' लिखने के बजाय लोगों ने अभी से इसका लघुप्रकार यानि 'OROP' (One Rank One Pension) लिखना शुरू कर दिया है ....

आशा है 'OROP' - 'ALAP' (As Late As Possible) स्वीकृत की जाएगी - शायद अगले चुनावों के ठीक पहले - तब तक 'अलाप' अलापते रहें !!!!

//// भगवन के लिए भी कूलर AC ??....////


गर्मी आफत बन बरस रही है .... २००० से ज्यादा मौते हो चुकी हैं - देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कह दिया है इसे प्राकृतिक आपदा माना जाएगा .... यानि इसमें केजरीवाल का कोई रोल नहीं - ये तो इश्वरीय कृत्य है ....

और टीवी में आये समाचारों अनुसार उधर भीषण गर्मी से परेशान कुछ मंदिरों ने भी भगवान के लिए कूलर और AC लगाने की बात करी है ....

ज्ञातव्य हो कि पहले भी भगवान को भोग लगाने - ना ना प्रकार के पेय पिलाने - ५६ भोग खिलाने - फल फूल चढाने - नहलाने - वस्त्र पहनाने - मुकुट ज़ेवर पहनाने - सिंहासन पलंग पालना गादी बनाने - सुलाने जगाने उन्हें घुमाने - उन्हें भजन सुनाने - आदि के बारे में भी हम सुनते ही रहे हैं .... और अब कूलर और AC !!!! वाह क्या बात है - क्या श्रद्धा है - और श्रद्धा के आगे कुछ बोलना यानि बेमतलब !!!!

पर हाँ मैं आज ये प्रश्न ज़रूर पूछना चाहूँगा की भगवन शौच भी करते हैं या नहीं - और यदि करते हैं तो कहाँ ??

जिसे भी उक्त प्रश्न यदि असहज या आपत्तिजनक लगा हो तो चलो यह ही बता दो कि उस भगवन के लिए कूलर या AC क्यों जब वे खुद ही इतनी भीषण गर्मी और घोर आपदा और २००० से अधिक मृत्यु के लिए पूर्णतः प्रत्यक्षतः स्वमेव जिम्मेदार और जवाबदार हैं ????

क्या अब मंदिर और मंदिर प्रशासन गरीब आदमी के बारे में भी कुछ सोचेगा - उसके लिए कुछ करेगा - जो बेबसी में दम तोड़ रहा है - कि बस अब तक का मृत्यु आंकड़ा २००० कल ३००० परसों और ज्यादा - और राजनाथ सिंह हमें गिनकर मृत्यु संख्या बताते रहेंगे - बस ????
जागो भगवन जागो !!!!

//// दिल्ली में स्मृति ईरानी का घर सुरक्षित नहीं ? .. संसद भवन भी नहीं ??....////


स्मृति ईरानी ने ABP न्यूज़ पर एंकर अभिसार के साथ साक्षात्कार में आरोप लगाया कि - कल उनके घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे NSUI के छात्र उनके घर के दरवाज़े तक पहुँच उसे तोड़ने का प्रयास करने लगे थे - जबकि उनकी ११ साल की बेटी घर पर ही थी भयभीत और अकेली .... और तमतमाई स्मृति ईरानी ने अभिसार तक से प्रतिप्रश्न पूछ लिया कि - भाई साहब आपके घर में भी बच्चे हैं या नहीं ????

मेरी प्रतिक्रिया ....

यही तो 'आप' पार्टी वाले कब से कह रहे हैं कि दिल्ली पुलिस नाकाम है निकम्मी है नाकारा है - और वो केंद्र सरकार के अधीन है जिसकी स्मृति ईरानी कबीना मंत्री हैं ....

अब बचा ही क्या है यह स्थापित होने में कि दिल्ली में एक कबीना मंत्री की बेटी सुरक्षित नहीं है - और तो और सरकार भी नाकाम निकम्मी नाकारा और उसके मंत्री भी नाकाम निकम्मे नाकारा .... और इसलिए एक आम आदमी सुरक्षित कैसे हो सकता है ????

आज उपरोक्त प्रश्न इसलिए भी प्रासंगिक हो जाता है कि जब दिल्ली के एक कांस्टेबल को ACB ने धर दबोचा तो दिल्ली पुलिस तिलमिला गई - और स्मृति ईरानी जी की सरकार दिल्ली पुलिस के पीछे दीवार बन कर खड़ी हो गई - तलवारें खिंच गईं - संवैधानिक व्यवस्थाएं चरमरा गईं .... पर तब स्मृति ईरानी जी को ना सरकार से ना पुलिस से कोई शिकायत हुई ....

और मज़े की बात तो ये है कि लगता है आज भी स्मृति ईरानी को दिल्ली पुलिस से कोई शिकायत नहीं है - कई गुंडे उनके घर के दरवाज़े तक पहुँच दरवाज़े को तोड़ने का प्रयास कर बैठे तो भी क्या ?? इसमें पुलिस बेचारी का क्या दोष ?? .... दोष तो गुंडों का था !! .... दोष तो दिल्ली की ACB का था !! बस !!

शर्मनाक ! शर्मनाक !! दिल्ली पुलिस और स्मृति ईरानी की सरकार शर्मनाक !!!

पुनश्च : जब से इस देश की संसद बनी है तब से सैकड़ों हज़ारों बार प्रदर्शनकारियों के द्वारा इसे घेरने की घोषणा के साथ उग्र प्रदर्शन किए जाते रहे हैं - पर इतिहास गवाह है - पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को संसद को घेरना तो दूर उसके आसपास तक पहुंचने भी नहीं दिया है - और संसद भवन अपने ऊपर लहराते तिरंगे के साथ शान से खड़ा है ....
पर अब आगे क्या होता है ? लगता है भगवान जाने या मोदी या स्मृति ईरानी या NSUI ????

Friday 29 May 2015

//// मोदी निंदा के लिए संगठित प्रयास की आवश्यकता क्यों ?? ....////


IIT मद्रास में स्टूडेंट्स ने एक ग्रुप बनाया - अंबेडकर पेरियार ग्रुप ....
और इस ग्रुप द्वारा मोदी की निंदा करी गई ....
और इस कारण इस ग्रुप को प्रतिबंधित कर दिया गया ....
और अब इस सरकारी प्रतिबंध पर विरोध के स्वर उठ रहे हैं .... उठने भी चाहिए ....

पर मैं सबके इतर स्टूडेंट्स के विरोध में भी एक टिप्पणी करना चाहूँगा .... मेरे मित्रो !! अब जब इस देश का बच्चा बच्चा चलते फिरते मोदी और मोदी सरकार का उपहास करने लग गया है तो फिर इस काम के लिए ग्रुप बनाने की क्या आवश्यकता पड़ी थी ????

मेरी सलाह है कि आप सब बिना ग्रुप बनाए ही मोदी जी की निंदा करते रहेंगे तो भी जो आप चाहते हैं वैसा हो जाएगा - अब इस छोटे से कार्य के लिए ऐसे संगठित प्रयास की आवश्यकता नहीं है !!!!

हाँ यदि संगठित प्रयास करने ही हैं तो इस हेतु करें कि - उलटे ये लोग बकवास करना बंद करें .... इन्हें बोलने का मौका ही ना दिया जाए - या बेहतर इन्हें सुना ही ना जाए - और इनको काम करने और अपने वायदे पूरे करने हेतु बाध्य किया जाए .... आईडिया कैसा लगा ????

//// भक्त लोगों की तो निकल पड़ी - अकारण जश्न मनाने का सुअवसर ....////


जी हाँ - दिल्ली HC में भी आज LG और दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर उठे विवादों पर दिल्ली सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई ....

एवं सामान्य प्रक्रिया के तहत न्यायलय द्वारा सभी पक्षों को अपनी अपनी बात हलफनामे के जरिये रखने का नोटिस देते हुए प्रकरण में एक अंतरिम निर्णय भी दिया गया ....

अंतरिम निर्णय के अनुसार पूर्व में चल रही व्यवस्था अनुरूप सरकार को सभी निर्णय LG को भेजने होंगे जिस पर LG को अपने विवेक से निर्णय लेने का अधिकार होगा .... यानि इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि - न्यायलय ने वर्तमान में यथास्थित बरक़रार रखते हुए सभी पक्षों को अब तक चल रही व्यवस्थाओं के बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा है - तथा अगली सुनवाई ११ अगस्त को नियत की है .... शायद सामान्य न्यायिक प्रक्रिया ऐसे ही चलती है !!!!

अब ऐसे अंतरिम निर्णय पर भी यदि भक्त लोग जश्न मनाना चाहते हैं तो उन्हें निश्चित ही इसका अधिकार है - क्योंकि भक्तों के स्टैण्डर्ड से ये बात जश्न मनाने के लायक है ....

पर मैं इसे केजरीवाल समर्थकों एवं प्रजातान्त्रिक मूल्यों के हिमायतियों के लिए मायूस होने का कारण कदापि नहीं मानता हूँ ....

बल्कि जिस प्रकार से न्यायलय ने अन्य केंद्र शासित प्रदेशों के बारे में भी जानकारी मांग ली है - मैं यह प्रकरण अब वृहद महत्त्व का होता देख रहा हूँ जिसका निचोड़ शायद अंतिम फैसले के रूप में कई अन्य पहलुओं को भी प्रभावित करेगा जिसमें मुख्यतः संघीय ढांचे के अंतर्गत 'केंद्र' और 'राज्य' के अधिकार और कर्त्तव्य भी निर्णीत होंगे !!!!

अब क्या है अरविन्द केजरीवाल चीज़ ही ऐसी हैं - वो दिल्ली में छींक भी मारेंगे तो हो सकता है इसकी गूँज पॉन्डिचेरी या अंडमान निकोबार या पश्चिम बंगाल भी जाए ....

तो खुश होने वाले खुश होते रहें - उन्हें मेरी हार्दिक बधाई .... मैं तो उत्सुकता से देखूँगा कि केजरीवाल के तीर कहाँ से छूटते हैं और वो किधर जा के लगते हैं और कहाँ असर करते हैं .... और हाँ इस बीच केजरीवाल और क्या क्या नया नायब करते हैं ....

पुनश्चः - कृपया विदित हो कि इस देश के सड़े-गले पुराने नियम शास्वत नहीं हैं .... नियम बदले गए हैं - बदले जा रहे हैं - बदले जाते भी रहेंगे - और बदले जाने भी चाहिए !!!!

//// काश !! मैं भी भ्रष्ट नेताओं की सुताई कर पाता ....////


मेरे इंदौर में पुलिस ने पुलिस वालों के द्वारा मान लिए गए गुंडों की सरेआम बेरहमी से पिटाई की - जिसे सुताई भी कहते हैं .... और इसका वीडियो भी बना जिसका आज टीवी पर प्रसारण भी हुआ .... जिसके माध्यम से मेरे ज्ञानचक्षु भी खुले - रोंगटे भी खड़े हुए - और मेरा ज्ञानवर्धन भी हुआ - कि 'थर्ड ग्रेड' पुलिस की 'थर्ड डिग्री' क्या होती है .... और पुलिस वालों से एक शरीफ आदमी क्यों चमकता है ....

मुझे लगा कि काश ! काश !! मैं भी ऐसे नेताओं और पुलिस वालों की ऐसी ही दुर्गति कर पाता जिन्हें मैं भी - या मैं ही - भ्रष्ट निकम्मा और फ़ड़तूस मान बैठा हूँ ....

//// "SC द्वारा केजरीवाल को बड़ा झटका" ?? .. मैं तो मूर्खों पर हंस रहा हूँ ....////


मित्रों ज्ञातव्य हो कि ACB से जुड़े कांस्टेबल बेल मामले में दिल्ली HC ने सरकार के पक्ष में निर्णय दिया था कि ACB को दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल पर कार्यवाही का अधिकार था .... और ऐसा आदेश पारित करते हुए HC ने केंद्र सरकार द्वारा जो नोटिफिकेशन जारी किया था उस पर भी टिप्पणी कर दी थी और उस नोटिफिकेशन को "संदिग्ध" करार दे दिया था ....

उपरोक्त निर्णय पर केंद्र सरकार ने SC में अपील की थी - जिस पर अभी-अभी कार्यवाही प्रगति संबंधित जानकारी आई है ....

SC ने केंद्र की अपील को एक सामान्य प्रक्रिया के तहत स्वीकार कर आगे की कार्यवाही हेतु दूसरे पक्ष यानि दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने के लिए ३ सप्ताह का समय दिया है ....
और साथ ही HC की "नोटिफिकेशन संबंधित संदिग्ध टिप्पणी" को अप्रासंगिक बताया है .... यानि SC ने मात्र इतना कहा है कि मूल ACB प्रकरण में HC द्वारा उक्त टिप्पणी की आवश्यकता या प्रासंगिकता नहीं थी ....

एक और महत्वपूर्ण बात - केंद्र ने SC से HC के निर्णय पर 'स्टे' देने हेतु भी प्रार्थना करी थी जो SC ने अमान्य कर दी .... यानि कह सकते हैं कि SC द्वारा केंद्र को झटका !!!!

और कलपे बैठे बिकाऊ टीवी चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ चल पड़ी - "SC द्वारा केजरीवाल को बड़ा झटका" .... SC द्वारा HC के निर्णय पर रोक .... ???? .... ब्रेकिंग न्यूज़ में इतना दम था कि तत्काल दिल्ली एयरपोर्ट पर रेडियोएक्टिव मटेरियल तक एक्टिव हो तड़प गया - लीक हो गया .... और इस विषयक ब्रेकिंग न्यूज़ के कारण केजरीवाल को भी तत्काल थोड़ी राहत मिल गई .... चिल्लपों बंद हो गई !!!!

हा ! हा!! बड़े दिनों बाद भक्तों को मुस्कुराने का बहाना मिला है - मुस्कुराने दें .... मैं तो मूर्खों पर हंस रहा हूँ !!!!

//// हाय !! हम भी 'फीफा' में क्यों न हुए ....////


'फीफा' में करोड़ों का घोटाला हो गया - करोड़ों रूपए नहीं डॉलर .... षडयंत्र और भ्रष्टाचार के आरोप में फुटबॉल की वैश्विक संस्था के कई उच्च अधिकारियों को करोड़ों डालर की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया है .... यानि तय हुआ कि मामला बहुत मलाईदार था !!!!

हो सकता है गिरफ्तारी से वैश्विक अधिकारी डर सहम गए हों - पर भारतीय अधिकारियों को ये सब चीज़े अच्छे से हैंडल करना आता है ....

और इसलिए मैं ये सोच रहा था कि इस समाचार का असर वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा किस पर पड़ा होगा ????

मैं बताता हूँ .... इसका सबसे ज्यादा असर - पंवार, श्रीनिवासन, डालमिया, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी, जेटली, अनुराग ठाकुर, शशांक मनोहर, राजीव शुक्ला, कीर्ति आज़ाद, सिंधिया, मुथैया, लालू आदि ऐसे अनेक भारतीय नेताओं उद्योगपतियों पर पड़ा होगा और पड़ रहा होगा जिनको क्रिकेट से कुछ भी लेना देना नहीं था - पर - कुछ न कुछ तो लेना था ही जो ये हमेशा से यदाकदा अपनी टांग अड़ाए रहे .... या संभ्रांत भाषा में कहें तो ये अपना योगदान देते रहे - कुल योग दान लेते हुए .... बड़े आराम से .... 

ये लोग आज बहुत दुखी होंगे - कलप रहे होंगे - खिसिया रहे होंगे - पछता रहे होंगे - अपना माथा कूट रहे होंगे - कि क्या यार हम क्रिकेट के चक्कर में पड़े रहे और फुटबॉल में कहीं ज्यादा 'स्कोप' था .... करना तो वही कुछ था जो BCCI या ICC में रहते किया - फिर FIFA क्या बुरा था ????

खैर ऐसे सब महानुभावों को मैं सांत्वना देते हुए कहना चाहूँगा कि जो हुआ सो हुआ - बुरे स्वप्न जैसे इसे भुला दें - अब आगे की सोचें - देखें जो फीफा में पद रिक्त हुए हैं उन्हें कैसे पा सकें ....

यानि मेरा मतलब है - अब क्रिकेट का पिंड छोड़ें - अब फुटबॉल की ऐसी तैसी करें तो देश के करोड़ों फुर्सती क्रिकेट प्रेमियों पर बहुत बड़ा एहसान होगा .... !!!! धन्यवाद !!!!

Thursday 28 May 2015

//// मनमोहन और मोदी मिले .... मनमोहन मौन और मोदी भी मौन ??....////


मनमोहन मिले मोदी से ....
मोदी बोले मुलाक़ात शानदार रही ....
भाजपा कह रही है मनमोहन सारे घोटाले कबूल करने गए थे ....
राहुल कह रहे हैं मनमोहन मोदी को अर्थव्यवस्था का पाठ सिखाने गए थे ....
और मीडिया अब अपने अपने कयास लगा रही है .... कि मनमोहन क्यों गए होंगे क्या बातें हुई होंगी ....

और मनमोहन सिंह मौन हैं ....

मेरी प्रतिक्रिया ....
मनमोहन सिंह बहुत समझदार और परिपक्व राजनेता हैं .... वो तो बताएंगे नहीं कि माजरा क्या है .... पर हाँ मोदी जरूर बता देंगे कि क्या बात हुई (सच या झूठ) .... और उन्हें देश को बताना भी चाहिए - क्योंकि मोदी ने भी एक आध बार पारदर्शिता की बात कही है - और भक्त हमेशा ये मांग करते रहे हैं कि 'आप' पार्टी पारदर्शिता के साथ बताए और बताते रहे कि उनकी पार्टी के अंदर क्या-क्या चलता रहता है जो हमेशा उनके लिए परेशानी का सबब बनता रहता है ....

लेकिन इस बार मुझे ये लगता है कि मोदी भी मौन ही रहेंगे .... जिसके दो कारण हो सकते हैं .... पहला तो ये कि दोनों में कुछ डील हो गई होगी .... या दूसरा मनमोहन ने झाड़ लगा दी होगी कि ज्यादा मत उचको उछलो - याद रखो कपड़ों के नीचे हम भी नंगे हैं तो तुम भी नंगे .... और अभी तक तो मोदी मौन हैं भी .... 

और मित्रो यही फर्क है केजरीवाल और मोदी में .... केजरीवाल प्रतिकार और वार करने की हिम्मत और क़ाबलियत रखते हैं - और मोदी केवल फांकने की कला जानते हैं ....

//// क्या हुआ "वन रैंक वन पेंशन" ? .. है कोई बहाना ??....////


मोदी जी ने कई वायदे किये थे - बुलेट ट्रेन - सबके लिए मकान स्कूल अस्पताल शौचालय - स्मार्ट सिटी - कालाधन वापसी - महंगाई कम - ज्यादा रोज़गार - नमामि गंगे - आदि .... पर ऐसे सारे वायदे पूरे नहीं किये .... और बहाना ये कि ये सारे काम  अब एक दिन में तो हो नहीं सकते - कोई जादू की छड़ी तो है नहीं .... और देश की जनता ने भी भर ली ठंडी सांस - कि ठीक है सही कहते होंगे .... अब किया भी क्या जा सकता है ??

पर ऐसे ही कई वायदों में एक वायदा अनूठा था - और वो वायदा भी बकायदा ऐसा था कि आज भी कोई तड़ीपार उसे "जुमला" नहीं कह सकता - क्योंकि वायदा मोदी जी के मुँह से सीधे सीधे सीधी भाषा में किया गया वायदा था - जी हाँ - वो वायदा था - "वन रैंक वन पेंशन" ....

अब इस वायदे को पूरा करने में ना तो जमीन लगनी थी - ना डीज़ल लगना था ना सीमेंट ना लोहा ना यूरेनियम ना यूरिया ना दवा न दारू ना मजदूर ना सूट ना धोती .... ना कोई गिरारी घूमनी थी - ना कोई कला लगनी थी .... ना वन विभाग की अनापत्ति ना पर्यावरण का लफड़ा ना मत्स्य विभाग की सलाह .... ना ही किसी विपक्षी दल के किसी भी विरोध की संभावना .... ना ही किसी भी संस्था या केजरीवाल का विरोध .... इसमें तो ना किसी 'मेक इन इंडिया' का लफड़ा था - ना किसी विदेशी सहायता की आवश्यकता - और ना 'डिजिटल इंडिया' की दरकार - और ना लोकसभा ना राज्यसभा !!!!

इस वायदे को पूरा करने के लिए तो बस दो चार पन्ने का एक आदेश और पेंशन के भुगतान के लिए आवश्यक राशि भर लगनी थी .... जो अभी-अभी कोयला खदानों के आवंटन से प्राप्त हो ही चुकी थी जिसकी घोषणा भी स्वयं मोदी जी ने विदेशी धरती पर करी थी .... 

पर ये वायदा पूरा नहीं किया गया - और इसलिए फौजियों में रोष है - और आज नाराज़गी का इज़हार भी हो गया जब कुछ पूर्व जांबाजों ने फ़ौज के किसी सरकारी कार्यक्रम में पधारने का सरकारी न्यौता ठुकरा दिया .... और मुझे लगा जैसे फौजियों ने इस सरकार को एक ठोकर से ठुकरा दिया ....

आज मुझे तो साफ़ हो चला है कि मोदी जी केवल फेंकते है .... उन्होंने "वन रैंक वन पेंशन" का वायदा पूर्ण नहीं किया - और इसलिए मैं उनके बारे में यही कह सकता हूँ कि - ये किसी को पेंशन नहीं देने वाले - हाँ ये "टेंशन" ज़रूर देते रहेंगे !!!!

//// क्या 'देशद्रोहियों' के सामने घुटने टेकना 'देशद्रोह' नहीं ?? ....////


राजस्थान में गुर्जर आंदोलन के चलते दो एक दिन पहले सरकार ने आंदोलन की अगुवाई कर रहे गुर्जर नेता कर्नल बैंसला एवं अन्य के विरुद्ध 'देशद्रोह' का प्रकरण पंजीबद्ध किया था ....

इसके बावजूद आज सरकार और गुर्जर नेताओं के बीच वार्ता का एक और दौर होना है .... जबकि आंदोलन के कुकृत्य अपने चरम पर हैं - और न्यायालय सरकार को फटकार लगा रहा है !!!!

मेरी प्रतिक्रिया ....

छुट्टे घूम रहे सार्वजनिक रूप से दिख रहे 'देशद्रोह' के आरोपी अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं ??
क्या पुलिस अंधी है या हमारा कानून ? या कानून का पालन करवाने वाले अक्षम ??
यदि दावूद इब्राहिम कोटा के रेलवे स्टेशन पर खड़ा दिख जाएगा तो भी क्या पुलिस और सरकार का रवैय्या ऐसा ही शर्मनाक रहेगा ??
क्या देश की इज़्ज़त गुर्जरों से कमतर है ??
'देशद्रोह' के आरोपियों से सरकारी स्तर पर बातचीत क्यूँ और कैसे हो रही है ??
क्या बातचीत से यदि कोई समाधान निकलता है और कोई समझौता होता है तो क्या ऐसा समझौता एक 'देशद्रोही' के साथ होने के कारण वैध माना जाएगा ? और उस समझौते का आदर हो पालन भी हो जाएगा ????

जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी झंडा फहराने वालों पर भी 'देशद्रोह' का आरोप लगाकर जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तो हम और भक्त सभी ताली बजा रहे थे - सरकार में ही बैठे कुछ लोग और देशद्रोहियों के साथी अपनी छाती कूट रहे थे - और केंद्र सरकार अपनी पीठ थपथपाते दिखने की चेष्टा कर रही थी  ....

तो अब क्या हो रहा है ? क्या 'देशद्रोह' भी ना ना प्रकार का होता है ? हो सकता है ?? होना चाहिए ??? क्या गुर्जर और काश्मीरी मुसलमान या छत्तीसगढ़ के नक्सल का 'देशद्रोह' कुछ अलग-अलग नज़रिये से देखा जाएगा ????

कहीं ऐसा तो नहीं कि राजनीति के चक्कर में ये राजस्थान और केंद्र सरकार 'देशद्रोहियों' के सामने घुटने टेक स्वयं 'देशद्रोह' ही कर रही है ????

देश के एक नागरिक की हैसियत से मैं वसुंधरा सरकार और मोदी सरकार से ये माँग करता हूँ कि या तो गुर्जर आंदोलनकारियों पर लगे 'देशद्रोह' के आरोप या प्रकरण वापस लिए जाकर अभी तक सरकारी नुकसान की भरपाई अपनी और अपने अद्योगपति दोस्तों की व्यक्तिगत संपत्ति से करें .... या .... सभी देशद्रोही आरोपित आंदोलनकारियों को तुरंत गिरफ्तार करें और उनसे किसी भी प्रकार की अधिकृत बातचीत करने का पाप नहीं करें !!!!

Wednesday 27 May 2015

//// अपच 'हार' की या 'जीत' की ??....////


मोदी कह रहे हैं कि कांग्रेस १ साल भी नहीं पचा पा रही है 'हार' ....

सच बात है .... भाजपा तो पहले ५० साल और बाद में पूरे १० साल 'हार' पचाती रही .. पचाती रही .. पचाती ही रही - और कांग्रेस को १ साल में ही अपच हो गई !! ....कारण क्या ??

मित्रो !! अच्छी तो 'जीत' होती है - 'हार' कोई अच्छी चीज़ तो है नहीं - इसलिए कांग्रेस पचा नहीं पा रही - सो स्वाभाविक है !!!!

पर भाजपा तो बेशर्म निकली - पूरे १० साल लगातार गन्दगी पचाती रही - और जब देखो तब गन्दे डकार और गन्दी हवाबाजी कर माहौल ख़राब करती रही .... छिः !!!!

पर ये तो हुई 'हार' की बात - मुझे तो ये लग रहा है कि कीचड में कमल वाली भाजपा तो 'जीत' भी नहीं पचा पा रही है - लगता है उसे गन्दगी ही ज्यादा रास आती है - 'जीत' से उसे हमेशा दस्त लग जाते हैं !!!!

इसलिए सुझाव !!!! कांग्रेस की 'हार' की अपच की चिंता छोड़ मोदी जी अपनी 'जीत' पचाने की कोशिश करेंगे तो बेहतर होगा !!!!

//// इसे बोलते हैं दमखम से दहाड़ना .... जिसके लिए सूझ-बूझ भी लगती है ////


दिल्ली की विधानसभा में विशेष सत्र के अंत में केजरीवाल बोले ....
जो बोले - मैं इसे दमखम से दहाड़ना निरूपित करता हूँ ....

और अब जो विरोधियों द्वारा बोला जाता रहेगा शायद वो चिल्लाना फाँकना या फिर भोंकना मिमियाना खिसियाना आदि कहलायेगा ....

एक बात और - जिसे भक्त अभी तक दहाड़ने की संज्ञा देते थे कृपया गौर फरमाए - दहाड़ने में, चिल्लाने में और फांकने में फर्क होता है .... और मूल फर्क ये है कि - दहाड़ने में सूझ-बूझ की आवश्यकता भी होती है - चिल्लाने में सूझ-बूझ आवश्यक नहीं होती - और फेंकने में सूट-बूट बहुत सहायक होता है !!!!

//// इन्हें शर्म क्यों नहीं आती ??....////


एक बार फिर गर्मी .. आम जामुन की फसल .... और गुर्जरों का आंदोलन - एक बार फिर अपने चरम पर - अपने चिरपरिचित घटिया अंदाज़ में ....

वही पहले दिन एक आध ट्रेन रोकी - फिर पटरियों पर कब्ज़ा और तोड़फोड़ - फिर उसपर तम्बू - फिर हज़ारों बैठे मिले पटरी पर - फिर कुछ अलग जगह रेल को रोक रेल के इंजिन पर चढ़ती लम्पट जैसी भीड़ - फिर राजमार्गों पर गुंडागर्दी आगजनी चक्काजाम ..... फिर बातचीत के दौर की पेशकश कभी इधर से कभी उधर से - फिर रस्साकशी कि बातचीत कौन करेगा कब करेगा कहाँ करेगा - पटरी पर या सचिवालय में - और फिर बातचीत होगी फिर टूट जायेगी - फिर बातचीत के दौरे पड़ेंगे - दूसरा दौर तीसरा दौर ....

और हर बार जैसे ही मीडिया का एक जैसा कवरेज - एक जैसी रिपोर्टिंग - एक जैसी बहस - एक जैसे साक्षात्कार .... वही करोड़ीमल - वही बैसला - वही मूंछे - वही तेवर - वही भाषा .... और चिंता और खेद के साथ वही न्यायालय वही क़ानून वही निर्णय ....

और इस बीच - हर बार जैसे ही हज़्ज़ारों करोड़ों का सरकारी नुकसान और असंलिप्त जनता को अकल्पनीय पीड़ा और परेशानी !!!! ना लेना ना देना बस सहन करना ????

बस कुछ अलग है तो यह कि इस बार केंद्र में मोदी सरकार है ....

इसलिए मैं तो अब केवल यह देख रहा हूँ कि सार्वजनिक सरकारी संपत्ति का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई की जिम्मेदारी किसकी ?? .... और जनता को हुई परेशानी की जवाबदारी किसकी ?? .... राजस्थान की महारानी या हमारे दिल्ली के चौकीदार और सेवक की ????

या फिर कुछ ही दिन बाद - इधर उधर राजनीतिक रोटियों की अल्टा-पल्टी के बाद डायलॉग सुनने को मिलेंगे .... देखिये हम सूट-बूट नहीं सूझ-बूझ की सरकार हैं - हमने सूझ-बूझ से पूरा मसला सुलटा दिया - हमें सरकार चलाना आता है - हमें शासन करते आता है !!!!

और मैं व्यथित हो सोच रहा होऊंगा - क्या इन्हें शर्म भी आती है कि नहीं ????

//// कैरेक्टर सर्टिफिकेट ....////


बाजार में भैंस का भाव था ५००० रूपए .... एक पगला सा गांवड़ेली भैंस खरीद लाया ५०००० रूपए में - और बहुत इतराते हुए भैंस को नहला-धुला सजा-सँवार पूरे गांव में गाजे-बाजे के साथ घुमा ढिंढोरा पीट दिया .... मेरी भैंस नायाब !!!! 

गांववालों ने पूछा - देसी या विदेशी नस्ल ? - बोला - शुद्ध देसी !!
दूध कितना देती है ? - दूध नहीं देती !!
ग्याभन है ? - नहीं !!
उम्र कितनी है ? १०-१२ साल !!
अरे यार तो इसमें खास क्या ? तुम्हारी भैंस नायाब कैसे ?? - मेरी भैंस का कैरेक्टर बहुत अच्छा है !!

मुझे लगता है देशवासियों ने भी नायाब प्रधानमंत्री चुना है .... किसी काम के नहीं - पर हैं ईमानदार - बस ईमानदार .... स्वयं रम्भा रहे हैं - पिछले १ वर्ष में मेरे विरुद्ध भ्रष्टाचार का एक भी आरोप लगा क्या ?? - मित्रो मेरा कैरेक्टर बहुत अच्छा है !!

पुनश्चः - ना मैं भैस को कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने का जोखिम उठा सकता हूँ - और ना ही प्रधानमंत्री के ईमानदार होने से आश्वस्त हूँ .... अतः दोनों प्रकरणों में स्व-आंकलन करें !!!!

Tuesday 26 May 2015

//// मनीष सिसोदिया - और - योगेन्द्र यादव....////


मित्रो कल मोदी और नजीब जंग के पक्ष में उगते कुकुरमुत्तों को ठंडा करने के लिए मीडिया में आए थे - 'आप' पार्टी के विश्वसनीय नेता दिल्ली के उपमुख्यमंत्री गहर-गंभीर मनीष सिसोदिया ....

और उन्होंने कई चैनलों पर दिल्ली में अधिकारों को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और नजीब जंग (जिन्हे हिंदी में उपराज्यपाल और अंग्रज़ी में लेफ्टिनेंट गवर्नर भी माना जाता है) के बीच टकराव के संबंध में और अपनी सरकार की १०० दिन की उपलब्धियों के विषयक बातें रखीं ....

मित्रो मनीष सिसोदिया के साक्षात्कार कल इतने सटीक और संतुलित थे कि सुन कर बहुत इत्मिनान हुआ और अच्छा लगा - इतना अच्छा लगा कि मैं सोच रहा था कि वे दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री बनेंगे या केजरीवाल की केंद्र सरकार में महत्त्वपूर्ण कैबिनेट मंत्री !!!!

वैसे तो कल मैंने योगेन्द्र यादव को भी टीवी पैनल पर डिबेट करते सुना - और मुझे लगा कि क्या हुआ उस 'संवाद' का और उस 'स्वराज' का ? .... क्या हुआ हरियाणा के मुख्यमंत्री का ? .... किसको मज़बूत किया किसको कमज़ोर .... और सबसे अहम - खुद क्या खोया खुद क्या पाया ?? .... अब क्या होगा पार्टी डेमोक्रेसी का ? और यदि कुछ होना होगा तो किस पार्टी का ?? क्या होगा पारदर्शिता का - अब क्या और कहाँ झंकवाओगे ?? या फिर किस पर्दे को पारदर्शित प्रदर्शित करोगे ?? .... ये सब प्रश्न इसलिए भी कि स्वराज संवाद में तो अभी कुछ प्रदर्शित ही नहीं हुआ है - प्रशांत भी शांत हो गए हैं - और पारदर्शिता तो बहुत दूर की कौड़ी हो गई दिखती है !!!!

मित्रो !! जरूरी नहीं की हर व्यक्ति हर कार्य स्वयं ही सिद्ध कर सके भले ही वो व्यक्ति योग्य योगेन्द्र ही क्यों न हो .... कभी कभी अपने या अन्य सामाजिक सेवा के काम सिद्ध करने के लिए अति उत्तम होता है कि आप योग्य सहयोग या तो ले लें या दे दें .... उदाहरणार्थ - मैं जो कुछ होता देखना चाहता हूँ वो मैं केवल केजरीवाल को पूर्ण सहयोग देकर ही होने की कल्पना कर सकता हूँ - और शायद मैं वही कर भी रहा हूँ !!!!

//// कहीं 'AC' भी 'ACB' से डर कर तो नहीं फट गया होगा ....////


दिल्ली विधानसभा के एक कमरे में आग लग गई ....
कारण बताया गया कि - AC  फट गया ....

मुझे लगता है 'AC' 'ACB' से डर फट गया होगा ....
क्योंकि अब 'ACB' आ गया है केजरीवाल के कंट्रोल में .... तो अब क्या क्या फटेगा आप कल्पना कर ही सकते हैं ....

और वैसे भी ये तो विशेष सत्र है .... 
बुलाया ही कुछ इसलिए है ....

देखते जाइए .... अभी तो विधानसभा के अंदर क्या फटा सबने देखा - विधानसभा के बाहर क्या क्या फटता है ? क्या क्या होता है ? .... कृपया इंतज़ार करिए !!!!

//// मोदी का बदनसीब - जंग के क्रियाकलाप असंवैधानिक घोषित ....////


नजीब जंग ने कई बार ये स्थापित करा हुआ है कि वो उपराज्यपाल के संवैधानिक पद के लायक कदापि नहीं है .... दिल्ली में पूरे १ वर्ष चुनाव नहीं करवाने के दांव पेंच खेल अपने संवैधानिक पद का दुरपयोग उनके द्वारा जिस खुलेपन से किया गया था वो इतनी जल्दी तो भुलाया नहीं जा सकता .... 

और कल दिल्ली उच्च न्यायलय ने भी एक बार फिर स्थापित प्रस्थापित कर दिया कि नजीब जंग द्वारा किये जा रहे क्रियाकलाप असंवैधानिक एवं गैरकानूनी थे ....

मित्रो मेरे हिसाब से मोदी जी को उक्त न्यायालयीन निर्णय से ठेस लगी होगी - क्योंकि ये मोदी ही थे जो अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत प्रतिद्वंदी केजरीवाल के पर कतरने की जुगाड़ में थे ....

पर केजरीवाल भले ही उड़ान ऊँची ही भरते हों पर वो कोई परिंदे तो हैं नहीं जो पर कतरवा लें - वो तो एक जिंदादिल इंसान हैं - जो दिमाग भी रखते हैं ताकत भी होश भी हौंसला भी - तो बस क्या था - कुतुर कुतुर कर रहे कतरनकारों को दे दिए मिला मिला के दो चार घूंसे .... और लात ठिकाने !!!!

और अब चिल्लाचोट मची है - केजरीवाल सबसे लड़ते रहते हैं झगड़ालू हैं अराजक हैं .... और हौले हौले सिसकन भी गूँज रही है - हाय ! मार डाला !!

मित्रो बेशर्मी की भी हद्द हो गई - और भक्ति की भी .... गलती करे नजीब जंग - साज़िश करे नजीब जंग - लड़ाई करे नजीब जंग - मोदी के मोहरे बनें नजीब जंग - न्यायलय से गलत ठहराए जाएं नजीब जंग ..... पर जनाब कुछ बेशर्म पागल अभी भी बोलते हैं केजरीवाल गलत .... केजरीवाल को झगड़ा नहीं करना चाहिए ....

खैर अब इन्हे विलाप करने दो - इनके विलाप से फर्क ही क्या पड़ना है - क्योंकि केजरीवाल ने तो हमेशा ही टुच्चई और टुच्चों से लड़ते झगड़ते ही रहना है - जैसा कि बहुत ही काबिल उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कल मीडिया को दिए कई बयानों से साफ़ कर ही दिया था ....

और आगे की लड़ाई की जानकारी आज-कल दिल्ली विधानसभा से ....

Monday 25 May 2015

//// १२ रुपये में कफ़न नहीं मिलता ? चलो मैं देता हूँ - मरोगे ??....////


आज एक बार फिर मोदी जी ने अशुभ अशोभनीय बात कह दी - "१२ रूपए में तो कफ़न भी नहीं मिलता - हमने बीमा दिया है" ....

मेरा मोदी जी को खुल्ला ऑफर है - मैं आपके चहेते उद्योगपतियों और आपको १२ रूपए भी देने के लिए तैयार हूँ - और आपके नामे १२ रूपए वाला बीमा भी - और मरते ही फ्री में कफ़न भी दे दूंगा वो भी आपके पूरे पूरे नाम के छापे के साथ - बीमा राशि तो यथासमय मिल ही जाएगी ....

बस आप मेरे पर कृपा करो जनाब - थोड़ा सा सहयोग तो करो - और यदि आपको आपकी ये स्कीम इतनी धाँसू और फायदे वाली लग रही है तो गरीब के मरने के पहले आप ही मर लो और नई स्कीम का फायदा उठा लो .... ऐसे ऑफर बार-बार थोड़े ही मिलेंगे !!!!

सोच लो साहेब !!!! या फिर कम से कम गरीबों की गरीबी का निर्लज्ज हो मज़ाक तो मत बनाओ साहेब !!!!

माना अच्छे दिन हवा हो गए - बुरे दिन आ गए - पर मरने मारने और कफ़न की बात तो मत करो ....
कम से कम चैन से जीने तो दो गरीब को !!!!
#‎RIPअच्छेदिन‬

//// अब ACB में केंद्र सरकार हस्तक्षेप या टाँगक्षेप या गंजक्षेप नहीं कर सकेगी....////


मित्रो मोदी की बकवास के बाद - अभी शुरू हुआ केजरीवाल सरकार का कार्यक्रम - जिसकी शुरुआत करते ही केजरीवाल ने "अच्छे दिन" वालों के लिए दिल दहलाने वाली सूचना दे उनके "बुरे दिन" की शुरुआत कर दी ....

बताया - उच्च न्यायलय ने अब निर्णय दे दिया है कि ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) के द्वारा जो क्रियाकर्म किये जाने हैं उनमें केंद्र सरकार हस्तक्षेप या टाँगक्षेप या गंजक्षेप नहीं कर सकेगी ....

यानि यदि मोदी की मानें तो आज तो हद्द हो गई - हाई कोर्ट ने भी अराजक का साथ दे दिया रे ?? .... यानि मामला बहुत चिंतनीय हो गया है - मोदी जी के लिए - वैसे ही जैसे मोदी जी के अनुसार उनके विरोधियों के तो "बुरे दिन" आये समझो ....

तो मित्रो अब बुरे मोदी को "बुरे दिन - बुरे-दिन" का नया विलाप करने दो - हम तो प्रार्थना करें की अच्छे केजरीवाल के द्वारा "अच्छे दिन" शीघ्र आ जाएं !!!!

//// 'अच्छे दिन' नहीं आये तो क्या - 'बुरे दिन' तो गए ना ??....////


मोदी जी का मथुरा से जोशीला भाषण सुना - लफ़्फ़ाज़ी से भरपूर - हमेशा की तरह घिसा पिटा .... और इस बार तो सड़ा गला भी !!!!

पर केवल एक विशेष नई बात टीप करी .... निश्चित ही मोदी जी को लग चुका है कि 'अच्छे दिन' वाला नारा तो सड़ गल चुका है ....
तो आज उन्होंने नई बात उछाल दी - बोले कि 'बुरे दिन' गए कि नहीं ????

मेरा मोदी जी से कहना है कि क्या फर्क पड़ता है कि हम बोलें कि मोदी जी फेंकू हैं या ये बोलें कि मोदी जी कभी यथोचित बात तो करते ही नहीं ....

और इसलिए मैं भी आज पुरानी बात को भूल फिर यही नई बात कहूँगा कि मोदी जी ने आज भी कोई नई यथोचित बात नहीं कहीं .... मुझे लगा कि उनके पास कोई ठोस उपलब्धि बताने के लिए थी ही नहीं - इसलिए थोड़ा इधर उधर रिपैकेजिंग कर उंडेल दी - और आगे के लिए कुछ और विश्वास वायदे - बस !!!!

तो मित्रो !! निर्णय आपको करना है कि मोदी को यदि फेंकू न कहा जाए तो क्या कहा जाए ????

//// कौन कहता है मीडिया अपना काम नहीं कर रहा है ??..////


AK-49 ने तो रिकॉर्ड ही तोड़ दिया - वो आज AK-100 हो गए और अपनी क्षमता अनुसार दिन-ब-दिन एक नया रिकॉर्ड बनाते चल रहे हैं - अनवरत हर क्षण .... इस हेतु **केजरीवाल** को बधाई !!!!

वहीं मोदी जी का एक साल भी बीत ही गया - जैसे तैसे !!!! इस हेतु भक्तों को मेरी हार्दिक बधाई !!!!  

बस इन्हीं दो उपलक्षों में पूरा मीडिया अंकन टंकन फांकन में लगा पड़ा है - केजरीवाल के १०० दिन और मोदी का १ साल - बस !! ....

और इसी विषयक अपने अपने नफे नुकसान डील और आकाओं के निर्देश अनुसार आयोजित प्रायोजित बहस करने और कराने में - सर्वे, नंबर, पास फेल, प्रतिशत, कम ज्यादा, उतार चढाव, पहले अभी, पीछे आगे, ऊपर नीचे, ऐसे वैसे - आदि हेरफेर बघारने में .... माथे पर लिखित 'भाड़े के टट्टू' वाले स्वतंत्र पत्रकारों की एक्सपर्ट टिप्पणियाँ और लेख प्रकाशित प्रसारित करने में .... और चलते टहलते बैठे ठाले नेताओं के बयान या प्रेस कांफ्रेंस या भाषण बाज़ी या साक्षात्कार को एक बार लाइव प्रसारित कर बार-बार ब्रेकिंग न्यूज़ के रूप में चलाते रहने में ....

यह पढ़ देख सुन मुझे प्रसन्नता हुई ....

इसलिए कि केजरीवाल की तुलना उनकी औकात और क्षमता अनुसार प्रधानमंत्री से की जा रही है ....
और मोदी जी की तुलना उनकी औकात और क्षमता अनुसार एक मुख्यमंत्री से की जा रही है ....

// यानि औकात और क्षमता की कसौटी पर - केजरीवाल तुलनीय प्रधानमंत्री - मोदी तुलनीय मुख्यमंत्री....//

कौन कहता है मीडिया अपना काम नहीं कर रहा है ????
कौन बेवकूफ कहता है कि मीडिया 'प्रेस्टीट्यूट' है या 'बाज़ारू' है ????
कोई खुलकर बताएगा ????

Sunday 24 May 2015

//// मोदी जी !! दिल्ली के दिल्ली केजरीवाल से पद एक्सचेंज कर लो - बस !!....////


मित्रो भारत का प्रधानमंत्री अभी हाले-फिलाले तो वो शख्स है जिसको पिछले १ वर्ष में भारतीय होने पर कोई शर्मिंदगी नहीं है - और ये प्रधानमंत्री भाजपा के हैं - और अब तो जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा-पीडीपी गठबंधन की प्रथम ऐतिहासिक सरकार भी है ....

पर सावधान !! भारत की मातृ-भूमि के जम्मू-कश्मीर के भू-भाग में ही पाकिस्तानी झंडा ऐसे लहराया जा रहा है जैसे इस देश का प्रधानमंत्री का पद रिक्त हो - यानि बेख़ौफ़ - बड़े आराम से - बार-बार - लगातार -  दिनांक वार २३/०३/१५, १५/०४/१५, ०२/०५/१५ और अभी १५/०५/१५ ....

और हमारे प्रधानमंत्री को ये डर सता रहा है कि दिल्ली के पदासीन धाँसू मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल कहीं अपने पद का दुरपयोग करके केंद्र के किसी अफसर या नेता की ऐसी की तैसी नहीं कर दे .... और इसी गम में लगे पड़े हैं सारी गरिमा को त्याग संविधान को त्याग लोकलाज को त्याग केजरीवाल के पर कतरने की बचकानी असफल कोशिश में .... धिक्कार है धिक्कार !!!!

अरे मोदी जी !! केंद्र के किसी अफसर या नेता की चिंता छोडो - केंद्र की चिंता करो - देश के स्वाभिमान की चिंता करो - अपनी इज़्ज़त के फ़लूदे की चिंता करो ....
और यदि नहीं संभल रहा हो तो मुझे एक देशहित में बढ़िया आईडिया आया है - मान भर लो ....

मोदी जी आप दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद ले लो और जंग के साथ मिल कर दिल्ली की जटिल समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करो ....

और एक्सचेंज में देश की बागडोर दे दो केजरीवाल को .... वो आसिया अंद्राबी - मसर्रत - गिलानी - यासीन मलिक बाप-बेटी बाप-बेटे सब के झंडे ठंडे कर डंडे लगवा देंगे .... अगली बार वो डंडा तो छोड़ खाली डंडी या फिर संटी सहलाने और हरा टाट लहराने का प्रयास भी नहीं कर सकेंगे .... १००%

और आपको भारतीय होने पर शर्मिंदा भी नहीं होने देंगे .... पक्का - नजीब जंग की कसम .... केजरीवाल की तरफ से मैं गारंटी लेता हूँ .... और साथ ही आपसे वादा करता हूँ कि जिस दिन आपको वापस लगेगा कि आपको भारतीय होने पर शर्म आई बस उसी दिन आप मुझे बता देना कि "आपको शर्म आ गई" - मैं आप दोनों के पद वापस एक्सचेंज करवा दूंगा ....
अभी तक आपने बहुत विश्वास दिलाया - आज मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ ....

//// अरे काँटे को मारो गोली - एक बार तलवार घुमा दो - बस !!....////


मनोहर पर्रिकर ने कहा - काँटे से निकलेगा काँटा .... जी हाँ - उन्होंने कहा कि - ''पैसे के लालच और आर्थिक बदहाली की वजह से ही आदमी आतंकी बनाए जाते हैं, उन्हें आतंकवाद के लिए पैसे मिलते हैं - अगर इस तरह ही लोग आतंकी बनते हैं, तो हम उनका इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते?.'' - ''आतंकियों के खिलाफ आतंकियों का इस्तेमाल करने में बुराई क्या है? हमेशा हमारे सैनिक ही आतंकियों को क्यों मारें?''

मुझे लगता है मनोहर पर्रिकर ने ऐसी फ़ड़तूस बकवास पटक कर दोहरी गलती की है ....

पहली गलती तो ये कि मैं उनके कथन से कदापि सहमत नहीं हो सकता - क्योंकि मेरे बुज़ुर्ग मुझे ये ही समझाते रहे हैं कि गुंडों से सामना करने के लिए कभी भी गुंडों का उपयोग नहीं करना चाहिए - अन्यथा एक दिन वही गुंडे आपको परेशान करेंगे और फिर उन गुंडों से निजात पाने के लिए आप फिर नए गुंडे ढूंढते बैठोगे और अंततः बर्बाद हो जाओगे .... पर लगता है मनोहर पर्रिकर में मोदी सरकार के ऊलजलूल संस्कार बहुत जल्दी हावी हो गए हैं - जहाँ हर वक्त कोई ना कोई नायाब बकवास पटकते मिल जाएगा - या बेफिजूल दादागिरी बघारते ....

और दूसरी गलती यह कि मनोहर पर्रिकर को शायद मोदी के समान ही ये नहीं पता होता कि कहाँ क्या कहना है .... अब देखें ना - मोदी बेचारे ६३ वर्ष तक शर्मिंदगी महसूस करते रहे पर ये अटपटा सत्य क्या उन्हें विदेश में बताना चाहिए था ?? .... और वैसे ही क्या रक्षा मंत्री को ऐसी बकवास सार्वजनिक रूप से करनी चाहिए थी वो भी इतनी ज़ोर से कि पाकिस्तान उसे सुने और आपको उर्दू युक्त संस्कृत में शेर सुनाना शुरू कर दे ?? .... कोई पागल या भक्त ही हाँ कहेगा !!!! है कोई ????

और जहां तक काँटे से काँटा निकालने की बात है तो मुझे एक बात समझ आ रही है कि मोदी को हटाने के लिए मनोहर पर्रिकर का उपयोग भी तो किया जा सकता है .... पर नहीं यार मज़ा नहीं आएगा .... बात तो वही होगी ना कि एक गुंडे से निजात पाई नहीं दूसरे को सर बैठा लिया .... ठीक वैसे ही जैसे इस देश में राजनीतिक आतंकवाद का भी यही तो हश्र हुआ पड़ा है - भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को लाना पड़ता है - फिर कांग्रेस को हराने के लिए भाजपा को - और फिर से वही कुचक्र ....

तो फिर किया क्या जाए ?? मित्रो मुझे लगता है सौ मर्ज की एक दवा ....एक बार तलवार घुमा दो - आप **केजरीवाल** को आने दो ....

ना रहेगा आतंकी ना पर्रिकर ना मोदी ना भाजपा ना कांग्रेस .... और ना ही कोई और काँटा - सब जड़ से साफ़ !!!! है ना !!!!

//// इस देश में एक ही मुख्यमंत्री है और शायद एक प्रधानमंत्री भी....////


मित्रो देश में ३६ प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश हैं - और मैं झूठ नहीं बोलता - मैंने पता कर लिया है - पक्के में - इनमें से ३१ जगह मुख्यमंत्री हैं - सभी जिन्दा और पदासीन भी ....

पर मित्रो बात केवल केजरीवाल की ही होती है .... मेरे मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री की तो बात बिल्कुल भी नहीं होती - कस्सम से एक बार भी उनका नाम नहीं सुना - सुना तो केवल व्यापम घोटाले या फिर कोई अन्य जनता उत्पीड़न विषयक किसी समाचार के तारतम्य में नकारात्मकता के साथ चिपका हुआ ....

मित्रो आप भी गौर फरमाइयेगा ऐसा क्यूँ है कि केजरीवाल के १०० दिन पूरे होने पर बात हो रही है - पर कभी अन्य मुख्यमंत्रियों के विषयक १०० दिन की बात नहीं हुई - १०० दिन तो छोड़िए कभी एक दिन की भी बात नहीं हुई - ऐसा क्यों ??

कारण मैं बताता हूँ - ऐसा इसलिए कि केजरीवाल ही एक ऐसे सक्षम जनप्रतिनिधि हैं जो लोकप्रिय भी हैं और मोदी के लिए एक चुनौती भी .... और 'MEDIA' अभी 'MODIA' बन गले में पट्टा डलवा भौंक रहा है ....

पर तमाम विज्ञापित भोंपुओं के और पूरे मीडिया को भाजपाई उच्चों-टुच्चों पर कैमरा फिक्स रखने के निर्देशों के बावजूद बेवकूफ मीडिया केजरीवाल के जाल में फंस कर मोदी से ज्यादा तो केजरीवाल के बारे में ही बतियाता रहता है - और ऐसा करते वो जाने अनजाने चाहे अनचाहे आभास करा जाता है कि - / इस देश में एक प्रधानमंत्री है और एक मुख्यमंत्री /....

एक प्रधानमंत्री है जो देश में कम और विदेश में ज्यादा रहता है ....
एक मुख्यमंत्री है जो देश की राजधानी में ही रहता है - प्रधानमंत्री की ५६ इंची छाती पर चढ़कर ....

एक प्रधानमंत्री है जो मुख्यमंत्री से भय खाता है ....
एक मुख्यमंत्री है जो प्रधानमंत्री को सार्वजनिक रूप से उसका नाम ले ललकारता है धिक्कारता है ....

एक प्रधानमंत्री है जो अपने १ वर्ष के कार्यकाल में कुछ न कर पाने से घबरा वो सब कुछ कर रहा है जिससे उसकी गिरती छवि कुछ ठहराव पा सके ....
एक मुख्यमंत्री है जो मात्र १०० दिन के कार्यकाल में वो सब कुछ कर चुका है जिसके कारण वो जनता का विश्वास अर्जित कर चुका है - और इसलिए अब वो इत्मीनान से गड़बड़ी की ज़ुर्रत और दादागिरी कर रहे प्रधानमंत्री को ललकार रहा है .... सीधे सीधे कह रहा है .... होश में रहना !!!!

मित्रो इसलिए मेरे ही इस कथन में कि - / इस देश में एक प्रधानमंत्री है और एक मुख्यमंत्री / - सुधार की बहुत गुंजाइश है .....
ज्यादा उपयुक्त होगा यह कहना कि .... // इस देश में एक ही मुख्यमंत्री है और शायद एक प्रधानमंत्री भी // .... और शायद यही एक मुख्यमंत्री इस देश का अगला प्रधानमंत्री भी बनेगा !!!!

//// केजरीवाल मोदी से कितने बेहतर और क्यों ??....////


जिसके पास देश की CBI हो और वो एक प्रदेश की ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) से डर जाए ऐसा क्यों ??

मित्रो कई बार जटिल तथ्यात्मक निष्कर्ष भी सामान्य तुलनात्मक समीकरणों से बेहतर और तुरंत और सहजता से स्थापित किये जा सकते हैं .... जैसे कि ....   

क्योंकि  ....   CBI                  >       ACB 
क्योंकि  ....   मोदी की CBI     <<      केजरीवाल की ACB
---------------------------------------------------------------------
इसलिए ....   केजरीवाल         >>>     मोदी

आशा है तुलनात्मक समीकरणों के परिप्रेक्ष्य में आपको तथ्यात्मक निष्कर्ष समझ आ गया होगा कि केजरीवाल मोदी से कितने बेहतर हैं और क्यों हैं !!!! धन्यवाद !!!!

Saturday 23 May 2015

//// टिल्ले-लिल्ले !! बिना जंग से पूछे विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया....////


तो जैसा मैंने अनुमान लगाया था - फ़ोकट की बात में फ़ोकटियों को लपेटने के बाद अब **केजरीवाल** अपने मिशन पर आगे बढ़ गए हैं ....

अगले मंगलवार-बुधवार २६-२७ मई को विधानसभा का विशेष सत्र बुला लिया गया है .... वो भी बिना जंग को पूछे - टिल्ले-लिल्ले !!!!
ये तो हुई विधि-विधान की बात ....

इसके अतिरिक्त कनॉट प्लेस में कल १०० दिन के उपलक्ष में जनता से रूबरू होने का कार्यक्रम है - यानि ये हुई मोदी सरकार की जनता के सामने छीछालेदारी करने की बात ....
और हो सकता है इस कार्यक्रम में कुछ 'गजेन्द्र' भी भेजे जाएं या आ जाएं - पर अब इससे क्या फर्क पड़ेगा ?? क्योंकि इस बार तो 'MODIA' ये ही देख रही होगी कि केजरीवाल किस रास्ते अंदर जाते हैं और किस रास्ते बाहर आते हैं - यानि हो सकता है 'MODIA' को औकात अनुसार गेट पर ही रोक दिया जाए !!!! 

और इसके अतिरिक्त सुना है सभी ज्ञानी केंद्रीय अफसरों को वापिस भेजने की तैयारी हो रही है - यानी ये हुई भेजा ठिकाने लगाने की बात ....

यानि लगता है केजरीवाल अंगड़ाई ले अब काम पर लग गए हैं .... अब देखिए कितनों के काम लगाते हैं - अजीब गंज अपना सर कैसे खुजाते हैं !!!!
कस्सम से - मुझे तो अब बहुत मज़ा आ रहा है !!!!

//// मोदी और "लूथरा साहब"....////


मित्रो पहले तो आज आपको एक सारगर्भित चुटकुला सुनाना चाहूँगा ....

जगत भाई डिप्रेशन में थे ....
मदन पहुँच गए सांत्वना देने .... बोले ....

"मार्टिन लूथर किंग" कह गए कि - उन्मुक्त उड़ान भरो - उड़ा ना जाए तो दौड़ो - दौड़ा ना जाए तो चलो - चला ना जाए तो रेंगो - पर आगे बढ़ते रहो .... बस आगे बढ़ते रहो !!!!

जगत बोला - ये "लूथरा साहब" ने सब कुछ तो बता दिया पर ये तो बताया नहीं जाना कहाँ था ??

मित्रो हमारे मोदी और भक्तों की हालत भी कुछ भिन्न नहीं है - ये भी मदन जैसे ही जगत को "लूथरा साहब" की तर्ज़ पर ज्ञान बांटते ही फिरते हैं .... मसलन >>>>

>> मोदी और भक्तों ने ये तो समझा दिया कि गांधी जी को सफाई बहुत पसंद थी .... पर लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि कचरा कहाँ से उठाएं कहाँ फेंके ??
>> उन्हें ये तो समझ आ गया है कि शौच शौचालय में करनी चाहिए - पर वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इन शौचालय का निस्तार कहाँ और कैसे होगा ?? 
>> उन्हें ये तो समझ आ गया है कि कोई महान अर्थशास्त्री ये बता गए कि बैंक खाता खुलना चाहिए - पर वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि इस खाते का करना क्या है ??
>> वो ये तो समझ गए हैं कि कोई मरदूत ये बता दिया है की २ लाख का बीमा मात्र १२ रूपए में बहुत फायदे का सौदा है - पर वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि बिना मरे इसका फायदा कैसे मिले ??
>> वो ये तो समझ गए हैं कि बड़े बड़े प्रोजेक्ट के लिए जमीन की जरूरत होगी - पर वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि जमीन किसान की ही क्यों ??
>> वो ये तो समझ पा रहे हैं कि सैकड़ों स्मार्ट सिटी बनने वाली हैं - पर वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उसमें रहेंगे कौन ??
>> वो ये तो समझ पा रहे हैं कि अब एक बुलेट ट्रेन चलेगी - पर वो यह नहीं समझ पा रहे है कि बाकी ट्रेनें धीमी क्यों ??
>> वो ये तो समझ पा रहे हैं कि पाकिस्तान को ठिकाने लगा दिया जाएगा - पर वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि देश में पाकिस्तानी झंडा लहराया क्यों ??
>> वो ये तो समझ पा रहे हैं कि अच्छे दिन समझो आ ही गए हैं - पर वो यह नहीं समझ पा रहे है कि किसके ??

अतः मार्टिन लूथर किंग और महात्मा गांधी और अन्य सभी महान लोगों को नमन करते हुए माननीय मोदी जी से आग्रह करना चाहूँगा कि कृपया आधी-अधूरी फेंकम-फांक के बजाय वे कृपया पूरी बात लोगों के समक्ष रखेंगे तो बेहतर होगा - अन्यथा तो वो भी "लूथर" - "लूथरा साहब" के साथ अन्याय ही करेंगे !!!!

//// पहली बरसी के उपलक्ष में ....////


चौथा हर्षोल्लास से जारी है - २ दिन बाद पहली बरसी है - उठवाना अगले वर्ष कभी भी - मृत्यु हो चुकी है - शरीर त्यागा नहीं है - आत्मा भटक रही है - अंत्येष्टि के लिए विकास पुत्तर उपलब्ध नहीं है .... सब कुछ उल्टा पुल्टा है भाई ....

फिर भी मेरी अग्रिम हास्यपूरित श्रद्धांजलि !!!!

ईश्वर इनको कुकर्मों की सजा झेलने के लिए शक्ति प्रदान करे !!!!

//// मोदी जी !! CBI को राज्य सरकार के अफसरों और नेताओं के विरुद्ध कार्यवाही का अधिकार क्यों ??..////


मोदी सरकार ने 'मोदिया' फरमान जारी कर दिया है कि दिल्ली सरकार के अधीन ACB (एंटी करप्शन ब्यूरो) को केंद्र सरकार के अफसरों और नेताओं के प्रति किसी भी अपराध का संज्ञान लेने का अधिकार नहीं होगा !!!!

मोदी जी मैं आपको चुनौती देता हूँ कि क्या आप हिमाकत और बेवकूफी कर सकते हैं ठीक ऐसा ही एक और 'मोदिया' फरमान जारी करने की कि - केंद्र सरकार के अधीन CBI को राज्य सरकार के अफसरों और नेताओं के प्रति किसी भी अपराध का संज्ञान लेने का अधिकार नहीं होगा ????

मुझे मालूम है आपके पास इस प्रश्न का जवाब नहीं होगा - मैंने तो ये प्रश्न यूँ ही पूछा है ये साबित करने के लिए कि मोदी जी आप तो डरपोक और साजिशकर्ता निकले - जरूर आपकी दाढ़ी में अनेक तिनके होंगे ही ....

पर आपको एक राय देना चाहूँगा .... आप केजरीवाल से भय खाते हैं यह तो अकाट्य सत्य है - क्योंकि केजरीवाल तो चीज़ ही ऐसी हैं कि उनसे अच्छे अच्छे सूरमा भय खाते हैं ....
पर आप इस देश के प्रधानमंत्री भी तो हैं - इसलिए आपसे अपेक्षित है कि भले ही आप केजरीवाल से भय जरूर खाते रहें - पर ऐसे खुल्लमखुल्ला भय खाते दिखे नहीं .... प्लीज़ !!

क्या है मोदी जी - प्रधानमंत्री पद कि गरिमा को ठेस पहुंचती है !!!!

आशा है अब आप अपने पद की गरिमा बनाए रखने हेतु केजरीवाल से डरते नहीं दिखने का भरपूर प्रयास करेंगे और अपना 'मोदिया' नोटिफिकेशन वापस ले केजरीवाल को सार्वजानिक रूप से चुनौती देंगे कि - केजरीवाल उखाड़ लो जो उखाड़ते बने अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग और अपने ACB के बल पर ....

सभी भक्तों और मोदी समर्थकों से भी निवेदन है कि वो या तो मोदी जी को प्रोत्साहित करेंगे केजरीवाल को सार्वजनिक रूप से चुनौती देने के लिए - या फिर मेरे प्रश्न का समाधान करें कि ....
// CBI को राज्य सरकार के अफसरों और नेताओं के विरुद्ध कार्यवाही का अधिकार क्यों ?? ..//

Friday 22 May 2015

//// मैं आज बहुत शर्मिंदा हूँ कि नरेंद्र मोदी मेरे प्रधानमंत्री हैं ....////


आज मोदी सरकार ने एक गज़ट नोटिफिकेशन जारी कर मुझे ये इत्मीनान करा दिया कि मोदी के व्यक्तित्व में वो सभी नकारत्मकताएं मौजूद हैं जिन्हे मैंने बहुत पहले पहचान लिया था ....

आज मुझे सिद्ध हो गया कि मोदी अपने स्वार्थ के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं .... और मैं मैं मोदी के लिए देश प्रदेश जनता प्रजातंत्र १२५ करोड़ भारतीय गरीब मजदूर किसान आदि सब बघारने के शब्द हैं - और सबका साथ सबका विकास आदि फेंकना ही है - बस !!!!

मुझे आज यह भी स्पष्ट हो गया की ६४ वर्षीय नरेंद्र मोदी पिछले ६३ वर्षों से भारतीय होने की शर्म महसूस करने वाला जुमला क्यों दे बैठे ? बावजूद इसके कि वो कम से कम पिछले १२-१३ साल से तो उच्च संवैधानिक पदों पर आसीन रहते हुए ऐशो आराम और सुविधा की ज़िन्दगी जीते रहे हैं .... और कारण ये है कि मोदी झूठ बोलते हैं - और जब झूठ बोलने में ही उन्हें शर्म नहीं आती तो फिर भारतीय होने पर शर्म क्यों कर आएगी ?? .... क्या है अपने १ वर्ष के निरर्थक कार्यकाल का बखान करने के चक्कर में वो १२५ करोड़ भारतियों की भावनाओं से खिलवाड़ करने की महामूर्खता कर गए सो कर गए - क्या कीजिएगा ?? 

खैर मोदी की मोदी जाने - पर बावजूद इसके कि मैं भारतीय होने में सदैव गर्व महसूस करता रहा हूँ - मैं आज बहुत शर्मिंदा हूँ कि नरेंद्र मोदी आज मेरे प्रधानमंत्री हैं ....

और संतोष और गर्व से मानता हूँ कि मैंने आज तक केजरीवाल जी का साथ देकर बिलकुल सही किया ....

और इसलिए आज मैं खुश भी बहुत हूँ - क्योंकि मुझे लगता है आज मोदी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है - केजरीवाल हमारे अगले प्रधानमंत्री होंगे !!!!

//// मोदी ने अपने आप पर "केजरीवाल बचाव कवच" ओढ़ लिया है ....////


और अंततः .... केंद्र सरकार ने एक गज़ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है - सारे अधिकार LG को दे दिए गए हैं - सारे ट्रांसफर पोस्टिंग और सारे निर्णय लेने का अधिकार LG को होगा - ACB भी अब केंद्र के अफसरों पर कार्यवाही नहीं कर सकेगी - और LG के अधिकार हर मामले में सर्वोपरि रहेंगे .... आदि !!!!

यानि मोदी ने अपने आप पर "केजरीवाल बचाव कवच" ओढ़ लिया है .... और वो भी शायद कानूनी प्रावधानों के तहत ....

और इसके इतर अभी-अभी नवीन जिंदल को भी जमानत मिल गई ....
पूर्व में सलमान को भी जमानत मिल गई थी ....
गडकरी येदियुरप्पा भी खुल्ले घूम रहे हैं .... 
जयललिता को भी जमानत मिल गई थी .... और फिर वो बरी भी हो गई थीं - 'गणना दोष' के कारण ....

यानि कानून अपना काम करता है - अपने ही तरीके से - अपने ही अंदाज़ में ....

पर कई बार - ये कानून है क्या ? इस पर असमंजस हो जाता है - जैसे कि अभी दिल्ली में देखने को मिल रहा है ....

अब आज़ादी के ६७ साल बाद भी यदि देश की राजधानी में एक अफसर का ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार किसको है यदि ये ही न साफ़ हो तो लानत है ऐसे कानून पर और कानूनविदों पर ....
और ये कानून की पेचीदगियां भी इतनी हैं कि सीधी ऊँगली से तो कुछ हासिल होता नहीं है - इस कानून में तो लोचे ही लोचे हैं - इतने लोचे कि ये बहुत लचीला हो चला है ....

और ऐसे लचीले कानून से अमीर और सक्षम को सजा और गरीब और अक्षम को न्याय मिलने की उम्मीद लगाना तो बेकार ही होगा ....

पर हाँ मुझे केजरीवाल से उम्मीदें जरूर हैं - वो दिल्ली की वर्तमान लड़ाई हार कर अब जीत कैसे हासिल करेंगे ये देखना दिलचस्प होगा .... केजरीवाल जानते थे कि सीधी ऊँगली से तो घी नहीं निकलेगा - इसलिए उन्होंने पूरे घी के बर्तन को ही आग पर चढ़ा गरम कर दिया है - देखें अब घी कैसे पिघलता है और कैसे और कब निकलता है ?? और ये निगोड़ा लचीला कानून और क्या क्या गुल खिलाता है !!!!

#ModiMudersDemocracy

Thursday 21 May 2015

//// दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग में भ्रष्टाचार का धंधा हो रहा था या नहीं ??....////


'आप' पार्टी के नेता और दिल्ली में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अभी-अभी एक और तीर छोड़ा है - कड़वा नंगा सच बोलने की परंपरा निभाते हुए बड़ी शालीनता और सहजता से कहा है कि - "दिल्ली में अभी तक अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग में लाखों करोड़ों का भ्रष्टाचार हो रहा था जो एक धंधा बन गया था जिस पर हमने ३ महीने से रोक लगाई है - और इसलिए इससे कई लोगों को दर्द हो रहा है" ....

मनीष भाई !! इन टुच्चों को दर्द तो हो ही रहा था - पर अब आपके तीर ठिकाने पर लग दर्द को और बढ़ाने वाले हैं .... इसलिए कह सकते हैं आपने कई लोगों की दुखती रग पर हाथ रख दिया है !!!! 

मित्रो अब इन मोदी टाइप के लोगों को जो कागज पर लकीर नहीं खींच सकते और पत्थर पर लकीर खींचने की फेंकते हैं उनको और उनके पिछलग्गुओं  को कौन बताए कि अब उनकी लकीर घिस पिट गई है और उनके नसीब और पत्थर टूटने की कगार पर हैं .... आखिर केजरीवाल के सामने कब तक लकीर पीटते रहोगे ?? कब तक चट्टान से माथा फोड़ते रहोगे ?? .... वो भी जबकि केजरीवाल मजे और आराम से अपनी लकीरें खींच रहे हैं - जैसे कि एक पढ़ा लिखा इंसान या कलाकार कागज़ पर पेन पेन्सिल से खींचता है ....

तो मित्रो - अब देखते हैं कि केजरीवाल के विरोधी इस विषयक क्या जवाब देते हैं - मक्कारी के साथ नकारते हैं कि ट्रांसफर पोस्टिंग में कोई भ्रष्टाचार नहीं हो रहा था - या फिर पुराना राग अलापते हैं कि केजरीवाल का क्या वो तो कुछ भी आरोप लगा सकते हैं - यानि सच से बचने का पुराना फार्मूला ....

खैर जवाब कुछ भी दें - केजरीवाल के इस कदम से जो अफसर भाजपा निर्देशित LG के इशारे पर उछल कूद मचाने की तैयारी कर रहे थे उनकी अक्ल थोड़ी वाइब्रेट तो कर ही गई होगी - सोच रहे होंगे - कौन फंसे इस LG के लफ़ड़े में .... या केजरीवाल के झगडे में !!!!

मैं इसलिए कहता हूँ कि केजरीवाल को पार पाना इन टुच्चों के बस की बात तो नहीं है - पर यह भी सच है कि कोई निम्न दर्जे की टुच्चई करके ही तो केजरीवाल को पार पाया जा सकता है .... पर सावधान !! जनता अब ऐसा होने नहीं देगी !!!!

Wednesday 20 May 2015

//// अब बात हो जाए - संवैधानिक राज्यपालों से सम्बद्ध असंवैधानिक हरकतों की ....////


केजरीवाल ने दिल्ली में 'अफसरों के पोस्टिंग ट्रांसफर' पर बखेड़ा खड़ा कर पूरे देश को बहस पर लगा दिया है - बहस हो रही है - केजरीवाल खुश और प्रसन्न होंगे ....

पर मैं आज हो रही बहस से यह आंकलन अब स्पष्ट रूप से कर पा रहा हूँ कि केजरीवाल ने बहस को बहुत व्यापक आयाम दे दिया है .... और बहस में दो और मुद्दों को लपेट लिया है ....

उनमें पहला मुद्दा है "दिल्ली का पूर्ण राज्य का दर्जा" - और जैसा मैं अनुमान लगाता हूँ केजरीवाल वर्तमान में 'अफसर ट्रांसफर पोस्टिंग' पर हो रही जंग से जंग को हारना चाहेंगे .... और इस हार के बल पर वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने हेतु अपनी आगामी चालों को अक्ल से चलते हुए इस महान और लगभग असंभव से लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश करेंगे ....

और दूसरा मुद्दा है - हास्यास्पद और बेशर्मी के साथ अभी तक केंद्र सरकारों द्वारा होते रहे "राज्यपालों की पोस्टिंग ट्रांसफर का" .... और राज्यपाल के पद पर गरिमाविहीन लोगों को बैठा अपना उल्लू सीधा करने का ..... यानि अब बात हो जाए  -  // संवैधानिक राज्यपालों से सम्बद्ध असंवैधानिक हरकतों की // ....

और मित्रो मैं ऐसा सोचता हूँ कि हमको अरविन्द केजरीवाल के रूप में एक ऐसा नायाब बंदा मिला है जो हमारे लिए कई अहम् मुद्दों पर लड़ भिड़ रहा है - वो अपने लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर चिपक कर कार्य नहीं करना चाहता है - वो पूरी व्यवस्था परिवर्तन हेतु प्रयास कर रहा है - लड़ रहा है - जूझ रहा है .... और इसलिए मेरा अभिमत है कि जनता का केजरीवाल को समर्थन जारी रहना अपरिहार्य है ....!!!!

और अंत में दिल्ली विषयक छोटी सी बात करना चाहूँगा उस टुच्ची बात विषयक जो कुछ नाकाम लोग करते फिर रहे हैं कि केजरीवाल अपनी नाकामी छिपाने के लिए ये सब प्रपंच कर रहे हैं - इन सभी टुच्चे लोगों को कृपया विदित होवे कि ....
अव्वल तो दिल्ली सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है - और इसके पीछे की कहानी ये है कि काम करने की जिम्मेदारी अलग लोगों के पास जो है ....
और 'टुच्चों का काम लगाने की जिम्मेदारी' केजरीवाल ने अपने मजबूत कन्धों पर उठा रखी है ....
समझे श्रीमान !!!!

Tuesday 19 May 2015

//// जेटली बताए मोदी सरकार को लाने का प्रयोग घटिया वाला सस्ता खस्ता ??....////


अब मोदी सरकार की सबसे अजीबगंज जेटली दिल्ली के मामलों में कूद पड़े हैं .... बिना कोई हैसियत - बिना कोई औकात - बिना कोई आवश्यकता - बिना कोई अनुभव - और बिना कोई औचित्य के ही जनाब ने डायलॉग मार दिया है कि - दिल्ली में 'आप' के साथ लोगों का प्रयोग काफी महंगा पड़ गया है ....

अरे भाई आप तो ज़िन्दगी में कभी एक चुनाव तक नहीं जीते - यानी आपका प्रयोग तो दूर आपका तो उपयोग ही नहीं होना था - पर मोदी ने आपका उपयोग कर लिया - जो देश के लिए दुरपयोग साबित हो रहा है ....

तो जनाब देश के दुरपयोग पर पश्चाताप करें - बकवास बंद करें - जनमत का आदर करें - और दिल्ली की जनता को बेवकूफ निरूपित करने की कुचेष्टा नहीं करें ....

महंगा सस्ते के बारे में भी अपनी अक्ल लगाने का प्रयोग करना हो तो करें - पर केंद्र सरकार के बारे में ही करें तो बेहतर .... सोचें कि मोदी सरकार को लाकर देश की जनता ने महंगा प्रयोग किया या घटिया वाला सस्ता खस्ता ?? .... गंज खुजाते रह जाइयेगा - जंग लग जाएगी - पर जवाब नहीं सूझ पड़ेगा जनाब ....

तो आज बस यहीं तक .... बाकि फिर कभी .... नए-नए प्रयोग के साथ !!!!

Monday 18 May 2015

//// तो आ जाओ मैदान में - **केजरीवाल** तैयार है ....////


जब लोग ये बोलते हैं कि ये झगड़ा 'केजरीवाल' और 'उपराज्यपाल' के बीच का है - तो मैं पूछता हूँ कि क्यों नहीं बोलते ये झगड़ा 'मुख्यमंत्री' और 'उपराज्यपाल' के बीच का है ????
और अगर ये झगड़ा 'केजरीवाल' का ही बताना है तो मैं पूछता हूँ कि क्यों नहीं बोलते ये झगड़ा 'केजरीवाल' और 'नजीब जंग' के बीच का है ????

मैं बताता हूँ इसका कारण और इसके पीछ कि तुच्छ टुच्ची मानसिकता ....

यदि आप 'मुख्यमंत्री' बोलेंगे तो 'केजरीवाल' को गालियां कैसे देंगे ??
और यदि आप 'नजीब जंग' बोलेंगे तो उनके घटिया ट्रैक रिकॉर्ड को कैसे ढकेंगे ....

इसलिए कोशिश हो रही है कि 'नजीब जंग' को 'उपराज्यपाल' के संवैधानिक पद की गरिमा का कवच पहना दिया जाय ....
और इसके ठीक विपरीत 'केजरीवाल' पर से 'मुख्यमंत्री' के संवैधानिक पद के कपड़ों को नोच नोच कर बेतार कर दिया जाए ....

ये नंगे लोग और कर ही क्या सकते हैं - ये डरते हैं 'नजीब जंग' के व्यक्तित्व और उनके पक्षपात और उनके पद के दुरपयोग के बारे में बात करने से - डरते हैं ये बात करने में कि इसी 'नजीब जंग' ने भाजपा के एजेंट के रूप में काम करते हुए पूरे १ साल दिल्ली में चुनाव नहीं होने दिए थे ....

बहस करनी ही है तो क्यों नहीं दोनों के व्यक्तित्व के गुण-दोषों पर ही बहस की जाए - या फिर शुद्ध पद के विषयक ????

खैर ये लोग जो कर रहे हैं करने दें - क्योंकि केजरीवाल के पास 'मुख्यमंत्री' के कवच के अलावा एक और मज़बूत कवच है - और वो कवच है जनता के विश्वास का - उनकी ईमानदारी का .... और इसलिए 'केजरीवाल' को 'मुख्यमंत्री' के पद के पीछे मुहं छिपाने कि आवश्यकता भी नहीं है ....

तो आ जाओ मैदान में - **केजरीवाल** तैयार है ....