Monday 29 February 2016

// बजट और बस्सी ..//


२९ फरवरी .. एक विशेष दिन .. क्योंकि ये ४ साल में एक बार ही आता है ..

और आज २ महत्वपूर्ण घटनाएं होने वाली हैं .... शायद एक दुर्घटना और एक घटना .... 

पहली तो ये कि आज बजट पेश होने वाला है .. डीडीसीए वाले जेटली भैय्या पूरे देश का बजट पेश करेंगे .. और बता रहे हैं हमारे देश के चौकीदार की होगी परीक्षा .... अब परीक्षा कौन ले रहा है - कौन दे रहा है - कौन पास होगा कौन फेल - कौन राहत महसूस करेगा - कौन हंसेगा कौन रोएगा - और कौन माथा ठोंकेगा इस पर बहुत कन्फ्यूज़न है ....

पर जो दूसरी घटना होने वाली है उसमें कोई कन्फ्यूज़न नहीं है .. उसमें तो राहत मिलना तय है .. और वो दूसरी घटना है कि आज दिल्ली पुलिस अधीक्षक बस्सी रिटायर हो जाएंगे .. हुर्रे !! ....

इसलिए कुल मिलाकर - जमा घटाव के अनुसार मुझे लगता है आज देश को बजट बाद ज्यादा निराश होने कि आवश्यकता नहीं होगी .... क्योंकि बजट तो आते रहेंगे .. इस बार खराब .. अगला और ख़राब .. पर हो सकता है उसके बाद अच्छा .. पर चूँकि शायद अब बस्सी से पिंड छूटेगा .. और एक भयानक ऊटपटांग व्यक्ति से मुक्ति मिलेगी .. इसलिए हुर्रे ही हुर्रे !! ....

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Sunday 28 February 2016

// क्या "अब भी" हरियाणा में जाटों को आरक्षण मिलना चाहिए ?? ....//


जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लगे ....

पूरे जेएनयू पर राष्ट्रविरोधी होने का तमगा चिपकाने का कुत्सित प्रयास करने वालों से एक "प्रश्न" ....

हरियाणा में जाट आंदोलनकारियों ने दंगे कर मारे - लूटपाट करी आगजनी करी हत्याएं करी - और यहाँ तक कि अब आरोप आने शुरू हुए हैं कि उन दंगों के दौरान महिलाओं के साथ बदसलूकी और कुकृत्य के प्रयास तक किये गए - तो क्या पूरे हरियाणा में किसी भी प्रकार का कम या ज्यादा जाट आरक्षण होना चाहिए ????

मुझे लगता है केवल नैतिक चरित्र वाले - सत्य का साथ देने वाले - तर्कसंगत - अपने देश अपनी आबरू को प्यार करने वाले - दूसरों की इज़्ज़त करने वाले - सामाजिक मूल्यों के प्रति संवेदनशील - गुंडागर्दी से नफरत करने वाले - गंदी राजनीति को धिक्कारने वाले - इस प्रश्न का जवाब कुछ ऐसा देंगे कि - "अब तो किसी भी हालत में कम से कम हरियाणा के जाटों को तो आरक्षण मिलना ही नहीं चाहिए" ....

पर कोई खुशफहमी में नहीं रहे - क्योंकि इसके इतर बता दूँ कि मोदीजी - खट्टरजी - और केंद्र और हरियाणा की भाजप सरकार ऐसा कुछ नहीं करेगी और हरियाणा के जाटों को कम-ज्यादा देर-सबेर आरक्षण दे दिया जाएगा ....

पर साथ ही ध्यान रहे - पूरे जेएनयू को बंद करने का दुस्साहस चाहकर भी नहीं किया जा सकेगा ....

तो क्या जेएनयू और हरियाणा का विवाद या मुद्दा एक जैसा ?? .... या इनमें कुछ समानताएं ??

नहीं कदापि नहीं .... क्योंकि जेएनयू का मुद्दा कुछ मुट्ठीभर देशद्रोही छात्रों की साज़िश या धूर्तता या मूर्खता का मुद्दा है .... और इसके विपरीत हरियाणा जाट आंदोलन एक उद्दंड गुंडई बेशर्म जातीय भीड़ का मुद्दा है .... और इसलिए दोनों मुद्दों में गहरा अंतर है ....

इसलिए स्पष्ट कर दूँ .... कि मेरे मतानुसार जेएनयू को बंद करना गलत होगा .. और .. जाटों को अब आरक्षण दे देना भी गलत होगा ....

आशा है भक्त और देशभक्त इस बात को समझेंगे .... अन्यथा जेएनयू के बंद ना होने पर ग़मगीन होंगे और जाटों को आरक्षण मिलने पर खुश होंगे और "मोदी खट्टर जय" !! के नारे लगाएंगे !!!!

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Saturday 27 February 2016

// "सत्यमेव जयते" .. मोदी जी "झूठमेव भजते" ....//


"सत्यमेव जयते" भारत का 'राष्ट्रीय आदर्श वाक्य' है, जिसका अर्थ है- "सत्य की सदैव ही विजय होती है" .. और इसलिए इसका आदर करना हर देशवासी और हमारे प्रधानमंत्री का दायित्व है ....

और इसका दुरपयोग या अनादर करना प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता ....
पर मोदी जी ने शायद मर्यादाओं का उल्लंघन कर दिया है ....

२४ तारिख को स्मृति ईरानी ने संसद में एक भाषण दिया था जिसमें उन्होंने बसपा की मायावती के एक प्रश्न के जवाब में यह कह दिया था कि - "मायावती जी अगर आप मेरे जवाब से संतुष्ट नहीं होंगी तो सिर काटकर आपके चरणों में रख देंगे" .... 

क्या डॉयलॉग था भाई .... धाँसू डॉयलॉग - निहायत भारी भरकम फ़िल्मी .... और चालू .... और शायद ऐसे घटिया डॉयलॉग से परिपूर्ण भोंडी ओजस्विता की ओछी एक्टिंग के साथ दिए गए उस भाषण को संसद की मर्यादा के खिलाफ नज़रअंदाज़ किया जाता तो बेहतर होता ....

पर स्मृति ईरानी जी के प्रशंसक मोदी जी ने अपने पद की मर्यादा का भी ध्यान रखे बगैर उस भाषण को 'रीट्वीट' कर दिया - और वो भी इस कमेंट के साथ कि - "सत्यमेव जयते" ....

और "सत्यमेव जयते" यह है कि कल स्मृति ईरानी ने बहस का उत्तर दिया और मायावती के प्रश्न के जवाब भी - पर उसके बाद संसद में मायावती जी ने स्पष्ट कह दिया कि वो स्मृति के जवाब से संतुष्ट नहीं हुईं - इसलिए अब स्मृति ईरानी अपने कहे पर अमल करें ....

वैसे तो मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देता - पर चूँकि मोदी जी ने इस विषयक कुछ प्रतिक्रिया दी थी इसलिए मेरी प्रतिक्रिया भी देना बनती है .... इसलिए मोदी की प्रतिक्रिया के परिप्रेक्ष्य में मेरी प्रतिक्रिया ....

यदि "सत्यमेव जयते" यानि सत्य की जीत होती है तो मोदी जी बताइये स्मृति ईरानी अपना सिर कलम कर मायावती के चरणों में रख देंगी या नहीं ?? .... या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि स्मृति ईरानी भी आपकी ही जैसी "जुमलेबाज़" हैं .. और हम मान लें कि मोदी जी की स्मृति क्षीण हो जाएगी और वो अपने ट्वीट का सार भी शनैः शनैः भूल जाएंगे ....

वैसे स्मृति ने "सत्यमेव जयते" कि अर्थी निकालते हुए सदन में ही एक झूठा निर्लज्ज टेका दे दिया था और गजब की पलटी मारते हुए कह दिया था कि - "मैंने बसपा के सभी नेताओं कार्यकर्ताओं से कहा था अगर जवाब संतोषजनक ना लगे तो मेरा सिर काटकर ले जाएं" ....

और चूँकि स्मृति के दोनों बयान मैंने स्वयं टीवी पर लाइव सुने हैं इसलिए मैं पूरे होशो हवास में ये मानता हूँ कि स्मृति "झूठी" हैं और इसलिए इस संदर्भ में मोदी जी का कथन "सत्यमेव जयते" शर्मनाक निरूपित होता है ?? ....

और इसलिए मेरा कथन है कि -  "सत्यमेव जयते" .. मोदी जी "झूठमेव भजते" .... यानि सत्य की सदैव ही विजय होती है पर मोदी जी सदैव ही झूठ को भजते हैं ....

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Friday 26 February 2016

// जेएनयू में लगे नारे गुंजायमान किए गए और हुए .. क्यों ?? ..//


९ फरवरी .... उस दिन जेएनयू में एकबार - जी हाँ  "एकबार" - नारे लगे .... घोर आपत्तिजनक - देश की आन बान शान के विरुद्ध - बिल्कुल गंदे नारे - गाली से भी गंदे नारे ....

और उन नारोें को तब से अब तक सत्तापक्ष के नेताओं और प्रवक्ताओं और कुछ मोडिया चैनलों ने हज्जारों बार दोहराया - बड़े मज़े चटखारे ले लेकर दोहराया - बड़े उत्साह से दोहराया - शब्दशः दोहराया - तोते के माफिक दोहराया .... और बार बार सुनने को मिला और मिल रहा है वही नारों का "जाप" जिनमें इन शब्दों का समावेश है - "आज़ादी" "बर्बादी" "टुकड़े" "इंशाअल्लाह" "पाकिस्तान" .. आदि ....

और इस कारण जिन्होंने भी ये नारे लगाए थे - उन्हें उनके मकसद में अभूतपपूर्व सफलता मिल गई है - उनकी आशाओं और अनुमान से भी हज़ारों गुना ज़्यादा सफलता - क्योंकि उनके नारे आज तक ना केवल भारत में अपितु पाकिस्तान सहित पूरे विश्व में गूँज चुके हैं - और दिन-ब-दिन गुंजायमान हो रहे हैं ....

और विडंबना ये है कि इन घृणित नारों को गुंजायमान किया है उन्होंने जो अपने आप को देशभक्त दिखवाने मनवाने और सिद्ध करने का प्रयास करते रहे हैं - जो मोडिया में चमकने चमकाने का प्रयास करते रहे हैं - और जो उचकते उचकाते भी रहे हैं ....

पर विडंबना इतनी ही नहीं - विडंबना और दुखड़ा तो इस बात का भी है कि वो नारे लगाने वाले कौन थे ? .. कहाँ से आये थे ? .. कितने थे ? .. और आज कहाँ हैं ? .. क्या कर रहे हैं ? .. इसका पूर्ण और पुख्ता जवाब अभी तक किसी भी जवाबदार ने नहीं दिया है .... और ना ही कोई जवाब दिया है किसी भी उस व्यक्ति ने जो "आज़ादी" "बर्बादी" "टुकड़े" "इंशाअल्लाह" "पाकिस्तान" .. आदि समावेशित नारों को गुंजायमान करते रहे हैं ....

और इसलिए मैं उन नारों के कारण - और नारों के गुंजायमान होने के कारण - और उन नारों को गुंजायमान करने वालों के अति उत्साह और वीभत्स उत्साह के कारण - और जवाबदारों कि अकर्मण्यता और राजनीतिक मूर्खता और अपरिपक्वता के कारण आहत हूँ - शर्मिंदा हूँ - कुपित हूँ - उद्वेलित हूँ ....

और मोदी जी से इस एक और बात पर खिन्न भी !! .... किसी को कोई आपत्ति ??

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Thursday 25 February 2016

// मेरा भी एक अभियान .... " नो 'O^O' बनाओइंग " ....//


मित्रो !! ....

अगर एक बार सवा सौ करोड़ देशवासी ये तय कर लें कि वो उल्लू नहीं बनेंगे, तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो हिंदुस्तान को उल्लू बना सके ....

मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यह सत्य है .... और इसलिए श्रेयस्कर होगा कि अब हम तय कर लें कि अब हमें और उल्लू नहीं बनना है ....

और इसलिए मैं चाहता हूँ कि एक अभियान - " नो 'O^O' बनाओइंग " - शुरू हो ....

ये अभियान माननीय प्रधानमंत्री जी के "सवच्छ भारत अभियान" से प्रेरणा प्राप्त कर ही मेरे द्वारा शुरू करने का मन हुआ है .... और दोनों अभियानों में एक समानता है - दोनों अभियानों का मकसद तो अच्छा है पर लगता है होना जाना कुछ नहीं .... 

इसलिए आशा है आप मेरे अभियान का भी हँसते हुए समर्थन करना पसंद करेंगे .... हा !! हा !! हा !!

पुनश्चः

वैसे जब मैं आज पलट कर पूरे जेएनयू मामले को देखता हूँ और साथ ही सरकार में बैठे और पुलिस वकीलों अधिकारियों और बिकाऊ पत्रकारों के बयान सुनता हूँ तो मुझे लगता है - ये अभियान तो अब वाकई छेड़ना ही होगा .... बिना हंसी मज़ाक ....

मसलन यदि कारस्तानी बस्सी कहें कन्हैया के विरुद्ध सबूत - देशद्रोह के सबूत नहीं - नहीं नहीं थोड़े थोड़े सबूत हैं - अभी तहकीकात जारी है - हमें पुख्ता सबूत मिल गए है - हम अब जमानत का विरोध नहीं करेंगे - हम जमानत का विरोध करेंगे - मामला अंतर्राष्ट्रीय ....

या फिर कहें - वकीलों का वीडियो देखा है - पुलिस अपना काम कर रही है - इन वकीलों ने मारपीट करी इसका अभी कोई सबूत नहीं - नहीं वकीलों ने मारपीट तो करी है - पर कोई दोषी नहीं जब तक सिद्ध ना हो - वकील स्वयं कोर्ट ऑफिसर - पुलिस का काम तो केवल इन्वेस्टीगेशन करने का - कानून अपना काम करेगा .... 

या फिर कहें - जेएनयू के आरोपित छात्रों को सरेंडर कर देना चाहिए - नहीं तो हमें और भी तरीके आते हैं - और सभी आरोपित छात्रों को पुलिस को सरेंडर कर स्वयं साबित करना चाहिए कि वो निर्दोष हैं ....

जी हाँ यानि अब पुलिस की जवाबदारी नहीं कि वे सभी छात्र गिरफ्तार हों - और पुलिस की यह भी जवाबदारी नहीं कि उन्हें गुनहगार साबित करें - पुलिस की जवाबदारी तो केवल कन्हैया को खूंखार देशद्रोही साबित करने की है - वो भी एन-केन-प्रकारेण ....

इसलिए मैं सोचता हूँ कि अब तो हम सब को मोदी सरकार को चेताना ही होगा ....
सावधान !! .. " नो 'O^O' बनाओइंग " ....

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Tuesday 23 February 2016

// विचलित होने के अपने अपने कारण ....//


मोदी के कई भक्त और छिः टीवी वाले बड़े ही विचलित हो चले हैं - उठते बैठते देशभक्ति का जाप करते हुए कह रहे हैं कि जेएनयू के ५ आरोपी कैंपस में खुल्ले कैसे घूम रहे हैं ?? .... उत्तर मैं देता हूँ .... जाओ मोदी से पूछो .... मोदी के पास जवाब न हो तो अपने पिताश्री से पूछो .... और यदि वो भी ना बता पाये तो फिर केजरीवाल से पूछ बैठना - और हो हिम्मत तो उत्तर सार्वजनिक कर देना .... 

और मैं मोदी विरोधी भी बहुत विचलित हो चला हूँ - उठते बैठते मोदी का विरोध करने वाला मैं पूछ रहा हूँ कि मोदी का संरक्षण प्राप्त वो दिल्ली के ३ गुंडे वकील दिल्ली में खुल्ले कैसे घूम रहे हैं ?? .... मेरा प्रश्न भक्तों के लिए बहुत असहज करने वाला है - इसलिए मेरे प्रश्न का उत्तर भी मैं ही देता हूँ .... क्या है दिल्ली पुलिस केजरीवाल के अधीन नहीं है - होती तो मोदी आज तक प्रधानमंत्री नहीं बने रहते - देशद्रोही अंदर होते - गुंडे वकील भी - गुंडे भी - और कन्हैया खुल्ले घूम रहे होते - बांसुरी वादन करते हुए ....

और देश भी विचलित है और पूछ रहा है कि - ये मोदी चुप क्यों है ?? ....

और मेरा जवाब है - मोदी इसलिए चुप हैं क्योंकि उन्हें केजरीवाल की बात समझ पड़ गई है - कि छात्रों से पंगा मत लेना ....

लेकिन बात अब इससे आगे निकल गई है .... अब तो लग रहा है कि छात्रों ने मोदी से पंगा लेना शुरू कर दिया है .... और इसलिए मोदी के साथ साथ भक्त भी विचलित हो चले हैं .... बेचारे !!

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// मोदी के विरुद्ध साज़िश ?? .. देशहित में सफल क्यों ना हो ?? ....//


अब तो हद्द हो गई .... कल तक जो कहते थे ना खाऊंगा ना खाने दूंगा - देश की तिजोरी पर कोई पंजा नहीं पड़ने दूंगा - मेरी छाती ५६ इंची - आदि आदि लम्बी लम्बी - वो आज विलापने लगे - घिसी पिटी रिकॉर्ड फिल चला मारे .... मैं गरीब का बेटा 'चायबेचनेवाला' प्रधानमंत्री बन गया - इसलिए ये बात विरोधियों को पच नहीं रही - इसलिए मेरे विरुद्ध साज़िश हो रही है .... साज़िश !!

यदि बात सही है तो - प्रश्न उठता है कि जो वर्चस्व प्राप्त सर्वोच्च पद पर सत्तासीन होने के बावजूद खुद का बचाव ना कर पा रहा हो वो देश का क्या भला करेगा - जो खुद रोने लगा हो - वो दूसरों के आंसू क्या पोंछेगा .... और जनता के साथ जो अनवरत साज़िश होती रहती है और हो रही है उसको कौन रोकेगा ??

उपरोक्त प्रश्न मैं इसलिए समक्ष में रख रहा हूँ कि यदि कोई साज़िश हो रही है - और वो भी चंद टुच्चे 'एनजीओ' के द्वारा - तो आपका 'तोता' क्या कर रहा है ?? - क्या उसे केजरीवाल ने पिंजरे में बंद कर रखा है ?? ....

और 'तोते' को छोडो - आपकी 'बस्सी मैना' क्या कर रही है - और 'कौए' 'चीलें' 'बाज़' आदि क्या कर रहे हैं - क्या जेटली सुषमा राजनाथ भी आपके विरुद्ध साज़िश में शामिल तो नहीं - वैसे भी वो बहुत धनाढ्य और आप गरीब के बेटे ?? .... या फिर कहीं अमीरज़ादे अंबानी अडानी तो पीछे नहीं पड़ गए ?? .... या फिर चालू रामदेव बाबा ने तो अलोम-विलोम चालू नहीं कर दिया ?? ....

और मोदी जी यदि आपके विरुद्ध साज़िश की बात सही तो कन्हैया के पिता द्वारा आज आपका उपहास किया है और आप पर बहुत तीखा तंज़ किया है .... गौर फरमाएं - उन्होंने कहा है - मोदी जी आप गरीब के बेटे इसलिए आपके विरुद्ध साज़िश - कन्हैया भी गरीब का बेटा - उसके विरुद्ध जो साज़िश हो रही है उसका क्या - मोदी कन्हैया के लिए कुछ बोलते क्यों नहीं - मोदी चुप क्यों है ?? .... तो जनाब है कोई जवाब ??

हाँ एक बात और .... राजनीति में तो एक पक्ष दूसरे पक्ष का विरोध करता ही है - और सत्ता प्राप्त करने का प्रयास भी .... आपने भी तो यही सब किया था - प्रजातंत्र लोकतंत्र के नाम पर - और तब ही तो आप सत्ता पर काबिज़ हुए थे .... तो अब क्या हो गया ?? .... अब आप राजनीति में है या अपने आप को किसी भजन मण्डली में होने का गुमान तो नहीं पाल बैठे हैं जहा हर कोई आपके सुर में ढोल मंजीरे ही बजाता रहेगा - 'हार'मोनियम के साथ ??

वैसे तो मुझे पूरा यकीन है कि मोदी जी आप के विरूद्ध कोई साज़िश जैसा कुछ नहीं हो रहा है - आप तो स्वयं घबरा गए हो - हार गए हो - क्योंकि आप की पोल खुल रही है - दिन-ब-दिन आप की नाकाबलियत जगजाहिर होती जा रही है ....

पर फिर भी यदि कोई साज़िश हो ही रही है तो मोदी जी आप ही बताएं कि ये साज़िश देश हित में सफल क्यों ना हो जाए ?? .... है कोई ठोस कारण ???? 

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Monday 22 February 2016

// है कोई माई का लाल जो कह सके अब जातिगत आरक्षण गलत ....//


वोटों के चक्कर में आरक्षण कार्ड खेला जाता रहा था और खेला जा रहा है .... और आज बर्बाद होने की बारी आई है - हरियाणा की ....

हरियाणा में राज्य सरकार भाजपा की - और केंद्र में भी सरकार भाजपा की - और कांग्रेस भी जाट आरक्षण आंदोलन का कत्तई विरोध नहीं कर पाई है .... और आंदोलन बेकाबू हो चला है - हिंसक हो चला है - चिंता-चिता का कारण हो चला है - बर्बादी का कारण हो चला है ....

तो अब दोषारोपण किसको - और ये दोषारोपण कर उखाड़ भी क्या लेंगे ??

इसलिए "मौनमोदी" अब वाणी से दिव्यांग हो चले हैं .... 

और उधर भाजपाई सरकारों के नट-बोल्ट ढीले पड़ गए हैं - ढांचा लुंज पुंज हो चला है - चरमरा सा गया है - और साफ़ लगता है सरकार मरणासन्न हो गई है ....

खैर खेर समर्थित सरकार तो अब जाएगी .... इसलिए मुद्दा मोदी का या सरकार का नहीं है .... पर मेरे हिसाब से मुद्दा तो अब "आरक्षण" के मुद्दे का है ....

वो इसलिए कि अब हरियाणा में जाट आरक्षण का रास्ता तो साफ़ हो गया - और आरक्षण लागू भी हो ही जाएगा .... और शायद उसके बाद गुजरात में पटीदारों को भी आरक्षण देना ही पड़ जाएगा - और दे भी दिया जाएगा ....

पर मुझे चिंता इस बात की है कि अब ये आवश्यक तर्कसंगत मुद्दा कौन उठाएगा - या उठा पाएगा कि - आरक्षण जातिगत आधार पर तो होना ही नहीं चाहिए - अब तो आरक्षण आर्थिक आधार पर ही होना चाहिए ....

तो है कोई माई का लाल .. मादरे वतन का रखवाला .. देशभक्त सहिष्णु अक्लमंद नेता .. जो तर्कसंगत बात करने का इरादा रखता हो - क़ाबलियत रखता हो - और दमखम भी ????

या सब दूर बस खट्टर ही खट्टर .... और ऐसी ही खटर-पटर .... और ऐसा ही झन्नाटा .... और ऐसा ही मोदीछाप मौन मातमी सन्नाटा ????

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Sunday 21 February 2016

// भाजपा अब विपक्ष में नहीं - इसलिए हम इनकी बकवास के पक्ष में नहीं ....//


जेएनयू कैंपस और प्रेस क्लब में लगे देश विरोधी नारों के विरुद्ध आज अभी भाजपा - आरएसएस के द्वारा दिल्ली में राजघाट से एक "देश बचाओ मार्च" निकाला जा रहा है .....

मेरी प्रतिक्रिया ....

समस्त मार्च के भागीदारों के साथ सहानुभूति रखते हुए कहना चाहूँगा कि ये सरकार निकम्मी है - ये कुछ नहीं कर सकी है - ९ जनवरी से आज तक केवल एक कन्हैया की तमाम विवादों से भरी और उलझी अनुचित गिरफ्तारी के अलावा ये सरकार कुछ भी उचित नहीं कर सकी - और अब तक जो कुछ भी किया वो केवल दयनीय और शर्मसार करने वाला .... यानि केवल 'गुड़गोबर' ....

इसलिए मैं भाजपा - आरएसएस के इस मार्च के अघोषित उद्देश्य का समर्थन करते हुए कहना चाहूँगा कि मोदी जी जागो - ये "देश बचाओ मार्च" आपके लिए "शर्म बचाओ मार्च" जैसा है ....

और भक्तो से कहना चाहूंगा कि सो जाओ - ये मुद्दा इतना थोथा नहीं कि तुम्हारे लायक हो .. अपितु ये गहन राष्ट्रवाद का मुद्दा है जो तुम्हारे बस का नहीं ....

पर यदि तुम सब मिल कर जोर लगा कर इस सरकार से जेएनयू कैंपस और प्रेस क्लब में लगे देश विरोधी नारे लगाने वालो को पकड़वा सजा दिलवाने पर मजबूर कर सको तो पहली बार मैं आप सभी भक्तो की जयजयकार करूंगा और आपको शाब्बाशी और आशीर्वाद भी दूंगा .... अन्यथा आप फुर्सत पाकर अगले मार्च के लिए एक बिल्कुल नए से नारे जैसे वाक्य पर विचार करेंगे तो शायद बेहतर होगा ....

" देश विरोधियों की मम्मी है - ये सरकार निकम्मी है " ....

और एक मंत्र जैसे वाक्य का जाप भी करेंगे तो बेहतर होगा ....

"मोदी - भाजपा अब सत्तापक्ष, विपक्ष में नहीं .... इसलिए हम इनकी बकवास के पक्ष में नहीं " ....

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Saturday 20 February 2016

// अल्लाह खैर करे !! .. खेर साहब कहाँ हो ?? .. खैरियत से तो हो ?? ....//


एक थे खेर - मिसिस खेर के मिस्टर खेर .... जो बाद में हो गए पद्मभूषित खेर - "असहिष्णुता" की बदौलत .... 

आज पूरा हरियाणा जल रहा है - घोर "असहिष्णुता" के कारण - और असहिष्णुता के झंडाबरदार वही खेर गायब हैं ....

वो हर बात पर कहने लगे थे कि - "तुम तब कहाँ थे जब ...." ....
पर अब दिल्ली के गुंडे वकीलों को गद्दारों के विरुद्ध मार्च निकालने के समय उन वकीलों से कोई नहीं पूछ रहा कि - "तुम तब कहाँ थे जब .... जब हार्दिक पटेल देशद्रोह कर रहे थे - या जब जम्मू कश्मीर में कई सैकड़ों देशद्रोही होने का शग़ल पाले नारेबाजी झंडेबाज़ी कर रहे थे - या जब कई टुच्चे गोडसे को महामंडित कर रहे थे - या जब देश में नक्सली जब तब मार काट मचा रहे थे .... आदि ....
और पद्मभूषित खेर साहब नदारद हैं ....

वही खेर हर उसको धिक्कारते थे जो "सम्मान वापसी" करने की बात करते थे .... पर जब 'जेएनयू' के जूने पुराने छात्रों ने कहा हम 'जेएनयू' में देशविरोधी नारों से शर्मिंदा हो जाने के कारण 'जेएनयू' की डिग्री ही वापस करते हैं तो .. तो ना मालूम खेर साहब क्यों गायब हो लिए - वो भी ऐसे जैसे गधे के सर से सींग ....

और इसलिए आज मैं चिंतित हूँ उस 'अनुपम' खेर के लिए जो नदारद है - गायब है - चुप है - अकर्मण्य है - अदृश्य है - और ऐसी राष्ट्रधरोहर के प्रति अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए आज सिर्फ इतना ही कहूँगा ....

अल्लाह खैर करे !! .. खेर साहब कहाँ हो ?? .. खैरियत से तो हो ??

और भक्तो से निवेदन कि कहीं दिखे तो बताना .... बड़ा अनुपम सा है - गोरा सा है - कुंठित चेहरा - कंजी आँखे - शरीर का ऊपरी हिस्सा सपाट .. अंग्रेजी हिंदी दोनों अच्छी बोलता है - इस देश पर मर मिटने के कई डायलाग कंठस्त हैं - जो बोलने के लिए तत्पर रहता है .... बहुत बड़ा कलाकार है - सफ़ेद दाढ़ी रख सफ़ेद विग पहन कुर्ते की बाँह काट छाती पर पैडिंग कर मोदी का रूप भी धारण कर सकता है - या काला विग पहन राहुल का - या मफलर पहन केजरी जैसा .... कहीं दिखे तो बताना .... नहीं तो मिलने वाली संभावित किसी गली में धीरे से फुसफुसा भर देना कि "ये देश रहने लायक नहीं" - हो सकता वहीं स्वयं अवतरित हो जाए .... !! धन्यवाद !!

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Friday 19 February 2016

// हार्दिक पटेल राष्ट्रद्रोही - तो हरियाणा में आंदोलन क्या राष्ट्रभक्त चला रहे हैं ?? ..//


गुजरात में हार्दिक पटेल ने पाटीदारों के आरक्षण की अगुवाई करी थी .... आंदोलन किया था .. जो उग्र भी हो गया था - बेकाबू हो गया था .... एवं तब हार्दिक पटेल को राष्ट्रद्रोह में गिरफ्तार कर आंदोलन को दबा दिया गया था .... शायद उचित कार्यवाही के नाम पर उचित कार्यवाही ही रही होगी ....

पर अब आज एक बार फिर हरयाणा में पिछले ३-४ दिन से चल रहा जाट आरक्षण आंदोलन उग्र हो उठा .... रास्ते जाम किये गए - रेलें रोकी गईं - कई जगह आगजनी की गइ - सार्वजनिक संपत्ति को बेदर्दी के साथ नुक्सान पहुंचाया गया .... और एक जनहानि तक हो गई - जिसके बारे में मेरे सूत्र बता रहे हैं कि वो मृत्यु प्राप्त व्यक्ति मुख्यमंत्री खट्टर का रिश्तेदार नहीं था .... 

यहाँ तक कि आप उपद्रवियों या आंदोलनकारियों की हिम्मत देखें कि इस देश की धरती पर सबसे ज्यादा पुण्य स्थान यानि भाजपा के मंत्री के बंगले तक में तोड़फोड़ कर आगजनी कर दी गई ....

और ऐसा आंदोलन पहली बार नहीं हो रहा - भूतकाल में ऐसा कई बार होता रहा है - और हर बार ये ऐसा ही उग्र हो दब जाता है या दबा दिया जाता है - एक बार फिर उठने - उठाने के लिए - उग्र होने के लिए - बेकाबू होने तक ....

यानि ऐसा ही चलता है .... निर्दोष जनता परेशान होती है - होती रहती है - फ़ोकट में पिटती है - लुटती भी है - और मरती भी है .... पर चलता है - चलता आया है - चलता आ रहा है ....

पर आज मैं केवल एक प्रश्न सबके विचाराधीन रखना चाहता हूँ ....

हार्दिक पटेल "राष्ट्रद्रोही" करार दिए गए - तो हरियाणा में आंदोलन क्या "राष्ट्रभक्त" चला रहे हैं ????

किसी को इस प्रश्न का उत्तर पता हो या समझ आन पड़े तो मोदी जी को सूचित करने की कृपा करें - ताकि ऐसे लोगों को या तो कन्हैया के साथ सज़ा दी जा सके - या पद्मश्री - या पद्मभूषण - या पद्मविभूषण !!

और हाँ एक बात और - आप पूरे 'जेएनयू' को बदनाम कर सकते हैं .. पर खबरदार !! सभी वकीलों को नहीं - और ना ही सभी जाटों को .. क्योंकि भाजपा की ऐसी मान्यता हो ही सकती है कि जाट तो ऐसा कार्य कर ही नहीं सकते - जरूर कुछ असामाजिक तत्वों ने ये उपद्रव किया होगा .... जो बख्शे नहीं जाएंगे .. हा !! हा !! .. !! थूः !!

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// कन्हैया को झटका ?? .... क्या बेशर्मी की भी कोई सीमा तय होगी ?? ....//


'जेएनयू' प्रकरण - मामला कन्हैया की गिरफ्तारी का - आरोप देशद्रोह का ....

और आज पटियाला हाउस कोर्ट में निर्मित घटिया स्थितियों के कारण अभूतपूर्व स्थितियों के मद्देनज़र कन्हैया की बेल अपील सीधे सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गई थी जो आज निर्णीत होनी थी .... और आज सुबह जिरह शुरू हुई और और सभी आम देशभक्तों की निगाह तथा उच्चकोटि के संघप्रमाणित टुच्चे देशभक्तों की टिकटिकी निर्णय पर लगी थी ....

और खबर आई कि - उच्चतम न्यायालय ने बेल याचिका को सुनने से इंकार कर दिया है - और दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि आप असाधारण स्थितियों के रहते हुए निचली अदालत के बजाय उच्च न्यायालय में जाएं ....

और बिंदाज़ खुश मोडिया ने ब्रेकिंग न्यूज़ में 'बार्किंग' शुरू कर दी - "कन्हैया को SC से झटका" ....

और मुझे लगा कि वाकई इतना सब कुछ दयनीय निंदनीय सोचनीय और शौचनीय होने के बावजूद भी किसी भी मोटी चमड़ी बेशर्म को तनिक भी झटका महसूस नहीं हुआ ....

जबकि समस्त "मोडिया" को झटका तो तगड़ा है - और वो इसलिए कि - सर्वोच्च न्यायालय ने केवल तकनीकी कारणों से सुनवाई से इंकार किया - और सीधे उच्च न्यायालय में जाने की स्वतंत्रता प्रदान करी .. सर्वोच्च न्यायालय ने ये माना कि सुरक्षा में चूक हुई और कन्हैया और उनके वकीलों को सुरक्षा प्रदान करवाने का आश्वासन दिया - और माना कि पटियाल हाउस कोर्ट में गड़बड़ी हुई - और दिल्ली पुलिस को भी सुरक्षा देने में असफल माना - और यह भी साफ़ किया कि कन्हैया को बेल दिए जाने या ना दिए जाने के बारे में अभी वो कुछ भी निर्णय नहीं दे रहा है .... और अभी कन्हैया की अर्जी लंबित ही रहेगी .... आदि इत्यादि ....

यानि स्पष्ट है कि सर्वोच्च न्यायलय ने इस देश की कानून व्यवस्था और मोदी सरकार को लताड़ा है - जिसे समझदार मान सकते हैं कि - 'झटका' दिया है .... 

इसलिए आज तो मोदी सरकार से प्रश्न करूंगा -  क्या बेशर्मी की भी कोई सीमा तय होगी ??
कहीं ऐसा तो नहीं कि "सबका साथ - सबका "विकास" के बजाय सबका "विनाश" करके दम लोगे ??
क्योंकि सुना था - "विनाशकाले विपरीत बुद्धि" !! .... 

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Thursday 18 February 2016

// गिरफ्तार हुए - जमानत पर छूटे .. वन्दे मातरम !! ....//


दिल्ली में भाजपा के विधायक ओ पी शर्मा परसों मारपीट करते हुए कैमरों में गिरफ्तार हो गए थे - और प्रचारित प्रसारित भी हो गए थे ....

और उसी प्रकरण में आज मजबूरी में दिल्ली पुलिस के मत्थे गिरफ्तार हो गए - ७ घंटे की "पूछ-परख" के बाद .. जी हाँ "पूछ-परख" के बाद .... और गिरफ्तार होने के बाद उन्होनें थाने से ही जमानत ले ली .. जी हाँ ले ली .... और वो आज़ाद हो गए .... और आज़ाद होते ही अपने साथियों से घिरे नज़र आए - जो नारे लगा रहे थे - वन्दे मातरम !! भारत माता की जय !! ओ पी शर्मा संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं ....

और ये सब देख मैं देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गया ....

मुझे लगा ऐसे "देशभक्तों" के लिए हर देशभक्त को कुछ करना ही पड़ेगा .... हमें ये समझना होगा कि "वन्दे मातरम" का नारा लगाने का अधिकार हर व्यक्ति को है - चाहे वो देशभक्त हो या मुजरिम .... और इसलिए कब गौरवान्वित हुआ जाए और कब शर्मिंदा इस पर मनन भी जरूरी है .... !! वन्दे मातरम !!

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// अब तिरंगे से राष्ट्रभक्ति ....//


अभी-अभी समाचार लहराया है कि वीसी की मीटिंग में स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया गया है कि अब हर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में रोज़ाना २०७ फ़ीट ऊँचा तिरंगा लहराना अनिवार्य होगा ....

निर्णय का "स्वागत" करते हुए मेरी प्रतिक्रिया ....

ये २०७ फ़ीट का क्या औचित्य ?? .. यदि मैं चाहूँ कि चूँकि ५६ x ४ = २२४ होता है इसलिए झंडे की ऊंचाई २०७ के बजाय २२४ फ़ीट होना थी - तो क्या मेरी बात को समर्थन मिलेगा ??

और यदि मैं ये कहूँ कि झंडे को लहराते हुए गुंडागर्दी करना भी देशद्रोह माना जाए - जैसा कि कल पटियाला कोर्ट में "कालकोटीय" वकीलों को करते देखा गया था - तो क्या मेरी बात का कोई विरोध करने की हिम्मत करेगा ?? .... है किसी में दम ??

और यदि मैं ये कहूँ कि इस देश की सत्तासीन सरकार के हर सांसद या विधायक को रोज़ाना एक बार तिरंगे को हाथ में लेकर सार्वजनिक तौर पर ये कहना होगा कि - "मैं तिरंगे को साक्षी मानकर शपथ लेता हूँ कि मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगा जो इस देश के हित में ना हो" .... मसलन ऊटपटांग नियम नहीं बनाना - किसी को गाली नहीं देना - कोई भ्रष्टाचार नहीं करना - इत्यादि !! .... तो तब भी क्या हर "मादरेवतन का हितैषी" मेरा समर्थन करेगा ??

मेरी प्रतिक्रिया के बाद मेरी समझाइश ....

राष्ट्रभक्ति सिखाना या उसके सिखाने कि चेष्टा करना स्मृति ईरानी जैसी शख्सियत के बूते का नहीं - और "संघी" सरकार के थोपने की संस्कृति के रहते तो बिलकुल भी संभव नहीं .... मुझे डर है कि मोदी सरकार के प्रति अपनी नाराज़गी को प्रदर्शित करने के चक्कर में कोई देशभक्त इस झंडे लहराने के निर्णय का विरोध कर किसी गुंडई का शिकार ना हो जाए .... इसलिए मेरी सभी मित्रो को समझाइश है कि ऐसे निर्णयों का सीधे सीधे विरोध नहीं करें .... वैसे करें भी तो आपको सलाम .. !! जय हिन्द !!

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// 'गद्दारों' का समर्थन करना 'गद्दारी' .. 'मूर्खों' का समर्थन करना 'मूर्खता' ....//


अभी तक अघोषित निशाना कहीं और था और घोषित निशाने पर बताए जा रहे थे "गद्दार" - केवल "गद्दार" ....

पर अब मामला व्यापक और पारदर्शी कर दिया गया है .. या हो गया है .. एक व्यावसायिक 'साधुवाद' के द्वारा .. क्योंकि रामदेव ने प्रवचन दिया है .. "गद्दारों का समर्थन करना भी गद्दारी है" ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

सही कहा !! .. 'गद्दारों' का समर्थन करना 'गद्दारी' है - ठीक उसी तरह जैसे ....
'भ्रष्टों' का समर्थन करना 'भ्रष्टाचार' है ....
'मुजरिमों' का समर्थन करना 'जुर्म' है ....
'मूर्खों' का समर्थन करना 'मूर्खता' है ....

'कांग्रेस' का समर्थन करना 'बेवकूफी' है .... 
'भाजपा' का समर्थन करना 'अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना' है ....

पर "आप" का समर्थन करना ना 'गद्दारी' है - ना 'मूर्खता' - ना 'भ्रष्टाचार' - ना 'जुर्म' .. और .. ना 'बेवकूफी' - ना 'अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना' ....

और अतिरिक्त प्रतिक्रिया ....

हर गेरू पहननेवाला साधू नहीं होता ....
और हर साधु टुच्चा नहीं होता ....
पर साधु के वेश में धंधा करनेवाला 'टुच्चा' होता है ....
और 'टुच्चों' का समर्थन करने वाला 'महाटुच्चा' होता है ....

ऐसी अनंत कथा को मैं यहीं विराम देता हूँ .. क्योंकि समझदार को इशारा काफी होता है .... और योग करते करते आटा नूडल खाना स्वास्थ के लिए हानिकारक होता है ....

!! जय हिन्द !! !! गद्दार मुर्दाबाद !! !! गद्दारी की ऐसी की तैसी !!

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Wednesday 17 February 2016

// ये उजाले के उल्लू .... और हम बदनसीब ....//


जेएनयू मामले में आज दिन भर की विस्मयकारी घटनाओं के बाद कुछ बातें स्पष्ट हो गई हैं >>

>> भाजपा और भाजपा समर्थित वकील और दिल्ली पुलिस और केंद्र सरकार द्वारा बड़े ही बेशर्मी के साथ माननीय सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की गई है .... वही सर्वोच्च न्यायालय जिसके मान सम्मान में यही नामुराद झकोरे पिछले हफ्ते भर कह रहे थे कि अफज़ल गुरु को सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी की सजा दी थी - और इसलिए अफज़ल गुरु की फांसी का विरोध मतलब इस देश की कानून व्यवस्था का विरोध - यानि "देशद्रोह" !!

>> अपने को देशभक्त बताने वाले बहुत से भाजपाई दरअसल गुंडे हैं ....

>> पिंजरे में बंद "मोदी की मैना" दिल्ली के ढीठ बस्सी गिरफ्तार किये जाने योग्य हैं ....

>> कन्हैया देशद्रोह के दोषी नहीं हैं ....

>> जेएनयू कैंपस में घोर आपत्तिजनक राष्ट्रविरोधी नारे लगाने वाले या तो एबीवीपी के ही मक्कार थे - या मोदी सरकार नकारा है जो अभी तक असल गुनहगार राष्ट्रद्रोहियों को पकड़ने तक में नाकाम रही है ....

>> और केंद्र सरकार के भोंदू नेता उजाले के उल्लू हैं - जिन्हें उजाले में कुछ नहीं दिखता .... और रात में ये उल्लू जैसे ही घूमते हैं - बिना अक्ल ....

>> और हम बदनसीब हैं क्योंकि इतने शानदार देश के इतने अच्छे लोगों को ऐसी निकम्मी सरकार मिली है जिसने इस देश की वर्तमान स्थिति की ऐसी की तैसी कर दी है ....

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// और एक बार फिर ???? .... क्या चाय बनाना भी आती है ?? ....//


और आज अभी एक बार फिर साहब के वकीलों ने दिल्ली में पटियाला कोर्ट के बाहर "राष्ट्रवादी" उत्पात मचा दिया है .... तिरंगे झंडे लहराते हुए .. वन्दे मातरम के जयकारों के बीच .. बड़े ही गर्व के साथ .... और निश्चित ही बड़ी बेशर्मी के साथ ....

एक बार फिर साहब की "मैना" गुंडई पुलिस मूक दर्शक बनी रही ....
एक बार फिर .. कन्हैया समर्थक पीटे गए ....
एक बार फिर .. पत्रकार पीटे गए ....

एक बार फिर .. बेशर्म चुप ही हैं ....

और एक बार फिर .. मोदी चुप ही हैं ....

और इसलिए एक बार फिर .. मेरी मोदी जी को मुफ्त सलाह ....

राजपाट चलाना आपके बस का नहीं .. बल्कि मुझे तो शंका हो रही है की क्या आप चाय बेचने लायक भी हैं या नहीं ?? .. या आपने सही में कभी चाय भी बनाई होगी ??
लगता तो नहीं .... लगता इसलिए नहीं कि चाय बनाना भी एक कला है .... और चाय बनाने में भी इतनी अक्ल तो लगती ही है कि कब कौनसी चीज़ कितनी मात्रा में डालनी है और कितनी देर तपानी है .... पर आप तो इस विधा में भी शून्य ही नज़र आ रहे हैं ....

अतः आपको सलाह है कि पहले चाय बनाना सीख लें - शायद राजपाट चलाना भी सीख जाएं ....

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// ये मुद्दा "तवायफों" का नहीं - ये मुद्दा तो राजा के जुल्मों का ही है ....//


एक किस्सा सा सुना था ....

एक जुल्मी शाना राजा .. राज्य में कई जुल्म .. और शायद इसलिए राज्य में कई मजबूर तवायफें .... पर ज्यादातर तफायफें भी "इज़्ज़तदार" .. ज़ुल्म के विरुद्ध मर्दाना प्रतिकार .... और कुंठित खिसियाए जुल्मी राजा ने "राजाविरोधी" तवायफों को करार दे दिया "राज्यविरोधी" - और दे दिया "राज्यनिकाला" ....

"मजबूर" तवायफें राज्य की बाहरी सीमा में जाने और बसने के लिए मजबूर हो गईं ....

कुछ ही समय में राज्य की "संस्कारी" जनता राज्य की बाहरी सीमा में खिंची चली गई - और वहां गजब की बसाहट हो गई और एक नए "साम्राज्य" की स्थापना ....

ये किस्सा मुझे इस लिए याद हो आया क्योंकि अब "इज़्ज़तदार" "तवायफी" "मजबूर" मुद्दे भी सीमायें लांघ रहे हैं .... हैदराबाद यूनिवर्सिटी से निकल - जेएनयू - और जेएनयू से निकल जादवपुर यूनिवर्सिटी ....

और इसके लिए दोषी है - "जुल्मी शाना राजा" - और कुछ "संस्कारी" जनता ....

इसलिए "आम" जनता को कहना चाहूंगा .... !! सावधान !! .... ये मुद्दा "तवायफों" का नहीं - ये मुद्दा तो राजा के जुल्मों का ही है ....

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Tuesday 16 February 2016

// मोदी जी - "जयचंद" एक हो सकता है - "जयचंदो" का समूह नहीं हो सकता ..//


ये राजद्रोही या राष्ट्रद्रोही या अपनों से ही गद्दारी करने वाले क्या होते हैं कौन होते हैं इसको आसानी से समझने समझाने के लिए लोग इतिहासी हो चुके "जयचंद" को उद्घृत करते रहे हैं - उसे धिक्कारते रहे हैं - उसे भला बुरा कहते रहे हैं - और उसे नफरत की दृष्टि से देखते रहे हैं .....

और इसका ठीक-ठाक कारण भी प्रतीत होता है - क्योंकि इस टुच्चे जयचंद ने शायद गद्दारी करी होगी ....

पर याद रहे ये जयचंद एक व्यक्ति था - केवल एक व्यक्ति .... इसलिए ये कहना कि ये देश जयचंदों से भरा है मूर्खता और कुंठित दिमागी दिव्यांगता के अलावा कुछ हो ही नहीं सकता ....

उपरोक्त बात मैं ज्वलंत जेएनयू प्रकरण के परिप्रेक्ष्य में कहना चाह रहा हूँ .... और परिप्रेक्ष्य ये है कि ....

जेएनयू के छात्र संगठन के अध्यक्ष कन्हैया को दिल्ली की निठल्ली पुलिस "मोदी की मैना" द्वारा देशद्रोह के अपराध में धर-दबोच लिया गया है .... और भाजपाई भक्त उसे जयचंद की संज्ञा दे रहे हैं .... और जो भी कन्हैया के पक्ष में अपनी आवाज़ उठा रहा है - या जो भाजपा-संघ के विरोध में बोल रहा है - वो भी देशद्रोही ही करार दिया जा रहा हा - "जयचंद" ठहराया जा रहा है ....

पर विडम्बना नहीं मज़े की बात देखिये कि अब कन्हैया अकेला नहीं है - उसके समर्थन में जन सैलाब आ गया है - जेएनयू के छात्र शिक्षक कई राजनीतिक पार्टियां कई नेता और कई आमजन .... और समर्थन भी ऐसा कि दिल्ली पुलिस उसे कोर्ट में पेश तक नहीं कर सकी .... और समर्थन ऐसा कि - खुल्लमखुल्ला और अभूतपूर्व ....

"कन्हैया को खुल्लमखुल्ला अभूतपूर्व समर्थन" मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इसके पहले किसी देशद्रोही के आरोपित को इतना खुल्ला और व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं हुआ होगा ....

इसलिए कन्हैया की तुलना जयचंद से करना कायरता और पागलपंती है ....

हाँ कन्हैया की तुलना अब आप ऐसे अनेक क्रांतिकारी और छात्र या यूनियन नेताओं से जरूर कर सकते हैं जो अपनेवालों के लिए आगे आकर लड़े भिड़े खपे निपटे या निपटा गए ....

इसलिए आज फिर मोदी जी को मुफ्त में समझाइश .... 

मोदी जी !! कृपया विदित होवे कि मेरे देश में एक-आध जयचंद तो हो सकते हैं - पर मेरे देश में जयचंदों का समूह हो ही नहीं सकता .... हाँ कुछ बेवकूफों का समूह जरूर नज़र आता है जो हर विरोधी को जयचंद ठहराने का प्रयास करता दिख रहा है ....

इसलिए जयचंद की ऐसी की तैसी - और बेवकूफों की भी !! .. समझे !!

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Monday 15 February 2016

// सावधान !! .. ये "देश की एकता" किसी चिड़िया का नाम नहीं ....//


हमने कई बार "देश की एकता" पर बहुत अच्छा-अच्छा सुना है - और इस पर गर्व किया है - और इसे चाहा है - और इसे सराहा है - और इसकी ज़रुरत महसूस की है .... और इस "एकता" को जिया है .... 

और हमेशा से ये पाया भी था कि इस देश की १०० करोड़ से ऊपर जनता ज्यादातर मुद्दों पर "एक" रही है - और यदि कई मुद्दों या मामलों में वो एक नहीं भी रही है तो उस तथ्य को भी "अनेकता में एकता" कहा गया - माना गया - और उस पर भी गर्व किया गया ....

यानि कई "अनेकताओं" को भी इस देश ने "एकता" के साथ आत्मसात किया ....

पर अब क्या हो गया ??

बड़े खेद का विषय है कि आज तो मुझे ये देश हर छोटी-बड़ी बात पर बंटा-बंटा सा ही लग रहा है ....

फिर चाहे वो कोई भी मुद्दा हो या कोई संस्था हो या पार्टी हो या व्यक्ति हो .... सब कुछ बंट गया सा लगता है .... यहाँ तक कि पाकिस्तान से संबद्ध हर मुद्दे पर भी पूरे देश में एक स्वर एक आवाज़ सुनाई नहीं दे रही है ....

इसलिए प्रश्न उठता है कि ऐसा क्यों ?? .. इसका जवाबदार कौन ??

मेरी प्रतिक्रिया ....

मुझे लगता है कि इसके पीछे वो "असहिष्णुता" ही दोषी है जो सत्तापक्ष और बहुसंख्यकों के द्वारा अतिउत्साह और घमंड में विपक्ष और अल्पसंख्यकों पर थोपी जाने से उपजी है ....

और इसकी जवाबदारी आज के अपरिपक्व नेतृत्व यानि मोदी जी को ही वहन करनी होगी - भले ही वो इसके लिए सीधे-सीधे जवाबदार ना भी हों ....

नहीं तो फिर भक्त मुझे बताएँ कि मैं अपना दुखड़ा किस के पास जाकर रोऊँ ?? ....

किस से ये पूछूँ कि वैलेंटाइन डे पर इतना उग्र विरोध मारपीट के साथ जो कल ही हुआ - वो क्यों हुआ ?? .. और आज बहस केवल जेएनयू मसले पर ही क्यों ?? .... क्या इस देश में वैलेंटाइन डे मना रहे एक युवा और युवती को वो लोग पकड़ कर सरेआम पीट देंगे जिन्हें अपनी अक्ल अव्वल होने का गुमान हो गया है ?? .. और फिर पूरा देश केवल देखेगा और "एक" होकर निडर होकर उनको न्याय दिलाने की बात भी नहीं कहेगा ?? .. और वो पिटे युवा युवती भविष्य में आपको या आपकी सत्ता को या आपकी व्यवस्था को गाली भी नहीं देंगे .. और बस "देश की एकता" को ही ओढ़े रहेंगे ????

क्या साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़ गए अख़लाक़ के परिवार को इस देश को या इस समाज को या हमको आपको धिक्कारने का अधिकार भी नहीं है ?? .. क्यों ये जरूरी है कि वो संतप्त परिवार "देश की एकता" का कम्बल ओढ़े दुबके रहे ?? 

नहीं ऐसा होता नहीं है - ऐसा होगा भी नहीं - ऐसा होना भी नहीं चाहिए .... इसलिए समझाइश देना चाहूँगा जिसे चेतावनी के रूप में ही लेना श्रेयस्कर होगा कि ....

"देश की एकता" तभी तक जब ये स्वतः होगी - सर्वन्याय के सिद्धांत पर आधारित होगी .. अन्यथा ये "एकता" किसी चिड़िया का नाम नहीं जो पकड़ कर अपने बस में की जा सके .... और मुझे लगता है ये बात समझना ही होगी - और नासमझों को समझाना भी होगी .... पर प्यार से .... बड़े प्यार से .... जैसे अभी मैं समझाने का प्रयास कर रहा हूँ .... है ना !!

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Sunday 14 February 2016

// कन्हैया देश का "पहला" देशद्रोही ?? .. क्यों ?? ....//


मित्रो मुझे यह जानकर आश्चर्य हो रहा है कि - देश की आज़ादी से लेकर आज तक किसी भी देशवासी को देशद्रोह के जुर्म में सजा नहीं हुई है ....

और यदि ये जानकारी सही है - तो ये चौकाने वाली है .... चौकाने वाली इसलिए कि यदि जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर लगाए गए आरोप सही हैं तो फिर तो संभावना बनती है कि वो देश का "पहला" सजायाफ्ता देशद्रोही हो जाएगा .... 

पर मुझे फिर ये बात हज़म नहीं हो रही है - और वो इसलिए कि अव्वल तो अभी तक किसी ने उनके आरोपित गुनाह के सबूत सार्वजनिक नहीं किये हैं - और फिर मुझे ये भी नहीं लगता कि उन पर लगे आरोपों से ज्यादा खतरनाक आरोप इसके पूर्व अन्य लोगों पर नहीं लगे थे .... और इसलिए भी कि मुझे नहीं लगता भविष्य में कोइ ऐसी ही हरकत नहीं करेगा - और करके देशद्रोह में सजा पाएगा ....

तो फिर मैं सोच रहा था कि वो कन्हैया कुमार ही "पहला" नागरिक क्यों - जो देशद्रोह में सजा पाएगा ??

और जवाब जो मैं ढूंढ पाया वो यह - कि ऐसा इसलिय क्योंकि देश में "पहली" बार एक चाय बेचनेवाला प्रधानमंत्री जो बना है .... इसलिय बहुत कुछ पहली बार होते दिखना स्वाभाविक ही है .... "पहली" बार कुछ खट्टा कुछ कड़वा - कुछ खराब कुछ बकवास .... आदि !!

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// सावधान !! .. कृपया सूचित होवे - हमारे गृहमंत्री बस सूचित करते रहते हैं ....//


पठानकोट का हमला - गृहमंत्री राजनाथ ने यह सूचित कर दिया था कि उस आतंकवादी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था ....

और आज अभी बैठे-ठाले उन्होंने फिर सूचित कर दिया है कि जेएनयू प्रदर्शन को हाफ़िज़ सईद का समर्थन प्राप्त है ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

गृहमंत्री जी हम सूचित हुए पर कृतार्थ नहीं .... अतः आप भी सूचित होवे कि हमें केवल सूचित करने वाला गृहमंत्री नहीं चाहिए - बल्कि हमें त्वरित उचित कार्यवाही करने वाला गृहमंत्री चाहिए ....

मसलन यदि आपको ये पता लग गया है कि जेएनयू में हुई अत्यंत आपत्तिजनक शर्मनाक घटनाओं और प्रदर्शन के पीछे हाफ़िज़ सईद का समर्थन है तो अब तक आपको ये भी तो पता लग ही गया होगा कि ये कुकृत्य हाफ़िज़ सईद द्वारा किन छात्रों के माध्यम से क्रियान्वित किया गया .... और यकीनन ऐसा प्रदर्शन कोई एक गुनहगार के बलबूते तो हो ही नहीं सकता - बल्कि ऐसा प्रदर्शन तो कम से कम कई दर्जनों छात्रों के द्वारा ही क्रियान्वित होना संभव है ....

इसलिए राजनाथ जी अब आपका और आपके मोदी जी का दायित्व बनता है कि आप शीघ्रातिशीघ्र कन्हैया सहित उन सभी छात्रों के विरूद्ध कानूनन कार्यवाही करें - पर ठोस सबूतों के साथ और विधिसम्मत ....

अन्यथा की स्थिति में अपनी अकर्मण्यता के लिए त्यागपत्र दें - या देश से और कन्हैया से बकवास करने के लिए माफ़ी तो मांग ही लें ....

पुनश्चः मेरा दिमाग कहता है कि कम से कम कन्हैया निश्चित रूप से निर्दोष है और उसने देश विरोधी नारे नहीं लगाए हैं - बल्कि वो एक होनहार दमदार धमाकेदार छात्र नेता है और इस देश का भविष्य .... इसलिए प्रथमदृष्टया उसके विरुद्ध की गई कार्यवाही मुझे अन्यायपूर्ण एवं शर्मनाक लगती है - जो इस सरकार भाजपा और संघ पर भारी पड़ेगी .... इसलिए मेरे दिमाग की ये बात मेरे दिल से .... !! धन्यवाद !!

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// केजरीवाल को नैतिकता और उग्रता के साथ धाँसू लड़ाई लड़ने हेतु बधाई ....//


राजनीति में कई आए और चले गए .... कई पैसा कमा गए - और कई नाम भी ....

पर शायद पहली बार आम राजनीतिज्ञों से अलग एक क्रांतिकारी राजनीति में कूदा और सबको उछाल गया .... और फिर छा गया .... और छाया भी गज़ब सफलता के साथ ....

मुख्यमंत्री दिल्ली को हमेशा दोयम दर्जे का पद माना जाता रहा था .... मसलन महाराष्ट्र या उत्तरप्रदेश जैसे प्रदेश के मुख्यमंत्री को देश की राजनीति में एक अलग विशिष्ठ स्थान प्राप्त था .. और दिल्ली ?? .. वैसे ही जैस गोवा या असम .... यानि छोटा मोटा सा पद ....

पर जब से अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया - ये पद ही धन्य हो गया .... इतना कि कौन आज बात कर रहा है फड़नवीस या अखिलेश की .... बस पूरे देश में एक ही की बात हो रही है और वो है "दिल्ली के केजरीवाल" की ....

और केजरीवाल की इस सफलता के पीछे मैं जो सबसे बड़ा कारण मानता हूँ वो है ....

केजरीवाल की लड़ने-भिड़ने की कला और कौशल - और लड़ने और लड़ते रहने की तत्परता .... वो भी नैतिकता और उग्रता के कमाल के समावेश के साथ ....

और यही कारण रहा कि तमाम बाधाओं के बावजूद केजरीवाल अपना कार्य करने में सफल हुए - और उनके विरोधी - लहू लुहान थके हारे हताश रोते कलपते खिसियाते चिल्लाते परेशान हलाकान से दिखे ....

और विरोधियों के नेता मोदी हमेशा केजरीवाल के हाथों पिटे और पिटते ही दिखे ....

और पिटे भी इतने ज्यादा कि आज दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद देश के प्रधानमंत्री के पद के समतुल्य सा दिखने लगा ....

इसलिए मैं आज पूरी 'आप' पार्टी को दिल्ली सरकार के १ साल पूरा होने के अवसर पर शानदार सफलता के लिए बधाई देने के साथ साथ विशेषतः केजरीवाल जी को नैतिकता और उग्रता के साथ धाँसू लड़ाई लड़ने हेतु बधाई देता हूँ ....

और आशा करता हूँ कि भविष्य में भी केजरीवाल मुद्दों की लड़ाई लड़ते ही रहेंगें .... एक ईमानदार प्यारे लड़ाकू की ही तरह .... और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उन्हें शक्ति एवं सफलता प्रदान कर इस देश की जनता को अनुग्रहित करे .... 

और भक्तों को चुनौती के साथ न्यौता .... तो अब आ जाओ मैदान में .. हिम्मत और नैतिकता हो तो .. हा !! हा !! हा !!

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Saturday 13 February 2016

// बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद .. अनपढ़ क्या जाने कैंपस का मिजाज ....//


मित्रो गौर फरमाएं कि बंदर में ऐसी क्या कमी हो सकती है और अदरक में ऐसा क्या दोष ?? .. कि चंचल चपल बंदर अदरक ना खाए या अत्यंत गुणकारी अदरक बंदर के खाने लायक ना हो .... पर अब कुछ तो होगा जिस आधार पर ये कहावत बनी होगी .... और मुझे लगता है कि ये कहावत किसी बंदर की हरकत के कारण ही प्रचलन में आई होगी - वर्ना ज़मीन में गड़े-गड़े उत्पन्न होने वाली जड़ रुपी अदरक की क्या मजाल .... और संभवतः ये ही हो सकता है कि कभी किसी बंदर को अदरक तीखी तंज़ लग गई हो - जिसके बाद बंदर जमात ने अदरक से तौबा कर ली हो ....

मित्रो आज मैं ये सब इसलिए सोच रहा हूँ कि इस देश की एक यूनिवर्सिटी के कैंपस में कुछ वो घटित हो गया जो तीखा और तंज़ माना जा सकता है .. और ना केवल निंदनीय पर चिंतनीय भी - क्योंकि जेएनयू में राष्ट्रविरोधी नारे लग गए ....

पर उसके बाद इस पूरे प्रकरण को जिस बंदराई माफ़िक़ निपटाने का प्रयास किया जा रहा है - वो कुछ निंदनीय हो या ना हो वह दयनीय होने के कारण चिंतनीय जरूर है .... क्योंकि कुछ लोग कैंपस में हुई इस राष्ट्रविरोधी घटना के बाद बंदरों जैसी उछल कूद पर उतर आये हैं - जैसे ये किसी राजनीतिक उत्सव का कारण हो गया हो .... और ऐसा लगने लगा है कि जैसे किसी ने बंदरों के मुहं में अदरक ठूंस दी हो ....

मुझे लगा कि जिन्हें कैंपस के मिजाज का कोई अनुभव और एहसास नहीं ऐसे अनपढ़ों के नेतृत्व में जिस प्रकार बंदरीय उछल कूद और बयानबाजी हुई है वो भी मूल घटना से कुछ कम चिंतनीय नहीं .... मसलन कल से ही एक स्वराष्ट्रभक्त संघ छत्रित स्वघोषित राष्ट्रभक्त छात्र संगठन एबीवीपी के छात्र जिस तरह प्रदर्शन कर राष्ट्रविरोधी नारों का तन मन धन से विरोध करते हुए कैंपस में अपने सभी विरोधियों को राष्ट्रविरोधी डिग्रियां बांटने का कार्य कर रहे हैं वो भी कुछ उपयुक्त प्रतीत नहीं हो रहा है ....  

इसलिय आज राष्ट्रहित में राष्ट्रविरोधी नारों की भर्त्सना करते हुए चेतावनी स्वरुप कहना चाहता हूँ कि ....

बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद .. अनपढ़ क्या जाने कैंपस का मिजाज ....

पुनश्चः .. मैंने उस सरकारी अनपढ़ का नाम इसलिए नहीं लिखा क्योंकि सभी पढ़े लिखे समझ ही गए होंगे - और भक्तों को इतनी गूढ़ बात समझाने की मैं जरूरत नहीं समझता - क्योंकि आखिर ये बात भी तो अकाट्य सत्य है कि - बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद !!

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Friday 12 February 2016

// यार बसंत पंचमी के दिन भी क्यों फ़ोकट बैठे बैठे मज़े ले रहे हो ??..छिः !! ..//


आज बसंत पंचमी है .... जो सप्ताह के पंचम दिवस पर आन पड़ी है - यानि जुम्मे के दिन ....

मध्यप्रदेश के धार जिले में एक भोजशाला है - इतिहास में जगह पा चुके राजा भोज द्वारा बनाई गई मान्य - वही राजा भोज - गंगू तेली के ज़माने वाले राजा भोज ....

अब पता नहीं क्यों इस भोजशाला पर दावा दो समुदायों का बहुत वर्षों से चलता आ रहा है .... और दावा क्या जनाब जो बिना विवाद हो - सो कह सकते हैं विवाद वर्षों से चल रहा है ....

और विवाद भी कितना पवित्र है - कि धार्मिक भावनाओं से ओत-प्रोत - स्वार्थ से कोसों दूर - और अपने-अपने धर्म के लिए समर्पित ....

इन दो समुदायों में एक समुदाय है हिन्दुओं का जो इसे माँ सरस्वती का मंदिर मानते हुए यहाँ (और वहां ही) पूजा हवन करना चाहते हैं वो भी अनवरत पूरे दिन ....
और दूसरा समुदाय है मुसलमानों का जो यहीं (और वहीं) जुम्मे की नमाज़ अदा करना चाहते हैं ....

और यथार्थ (जिसे अंग्रेजी में 'प्रॉब्लम' कहते हैं) ये है कि ये दोनों चाहत एक साथ पूरी हो नहीं सकतीं .... और यही उस पवित्र विवाद की मासूम सी समस्या है ....

खैर दो समुदायों के दावों के बीच एक महत्वपपूर्ण दावेदार है 'एएसआई' - जो भारत सरकार का एक उपक्रम है और जो इस भोजशाला का कब्जेदार है .... जिसने समझदारी का परिचय देते हुए ना इधर और ना उधर की बात कर बीच का रास्ता निकालते हुए कुछ व्यवस्था दे दी है ....

और हाँ मध्यप्रदेश में एक सरकार भी है .. यकीन मानें कि है .. जो इस नाज़ुक स्थिति से निपटने के लिए पूरा दम लगा पूरा लाव लश्कर लगा अपना "राजधर्म" निर्वहन करने का उचित प्रयास करते दिख रही है .... और इसके फलस्वरूप धार में पूजा शुरू हो गई है (माँ सरस्वती की कृपा से) और दोपहर को नमाज़ भी अदा हो जाएगी (इंशाअल्लाह) ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

माँ सरस्वती ज्ञान की देवी है .... और यदि ईश्वर प्रार्थना स्वीकार करते हैं - तो मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि अब हमारे करोड़ों अरबों रुपये इस व्यवस्था में लग चुके हैं - इसलिए इस बार धार के हिन्दुओं को आज "ज्ञान" दे ही देना ....
और यदि अल्लाह नमाज़ कबूल फरमाते हैं - तो मैं अल्लाह से दुआ मांगता हूँ कि धार के मुसलामानों को भी वो "ज्ञान" अता फरमाएं जिसकी दरकार है ....

और यदि ये ईश्वर और ये अल्लाह एक ही हैं - तो मेरी उस ऊपर वाले से विनम्र शिकायत है ....

यार बसंत पंचमी के दिन भी क्यों फ़ोकट बैठे बैठे हम सबके मज़े ले रहे हो ?? .... और कोई अच्छा काम नहीं है तुम्हारे पास ?? छिः !!

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Thursday 11 February 2016

// एक अनार सौ बीमार .... या .... एक अनार के आगे-पीछे लाखों बीमारू ....//


पुरानी कहावत चली आ रही है कि - एक अनार सौ बीमार .... और इसका मतलब रहा है कि जब उपयोगी आवश्यक चीज़ एक हो और ज़रूरतमंद हों अनेक .... और क्योंकि अनार उपयोगी चीज़ है - बीमारी में स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है - और हर बीमार को इसकी आवश्यकता होती है .... इसलिए कहावत बनी होगी .... एक अनार सौ बीमार ....

पर मुझे लगता है आज के परिप्रेक्ष्य में ये कहावत जरा जम नहीं रही है .... और इसका एक कारण है कि आज की भ्रष्ट राजनीति समाज पर बहुत हावी है .... पुरानी कहावतें चरमरा गई हैं  .... मसलन ....

एक अनार है - अनार पटेल - गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल की बेटी .... और आरोप लगे हैं कि मोदी जी के मुख्यमंत्री और आनंदीबेन पटेल के राजस्व मंत्री रहते सरकार द्वारा अनार पटेल से सम्बद्ध किसी व्यापारिक इकाइयों को गीर फारेस्ट से लगी बड़ी ज़मीन कौड़ियों के भाव दे दी गई थी ....

और इस आरोप का प्रतिकार केवल इतना आया है कि - सब आरोप निराधार - बकवास .... और अनार ने कह दिया कि जिन फर्मों को जमीन दी गई उन फर्मों से उनका कोई लेना देना नहीं - और बस हो गया .... और यदि ये जवाब भी सही मान लें तो इस बात का जवाब तो अब तक नहीं आया कि - किसी को भी जमीन कौड़ियों के भाव क्यों दे दी गई थी ?? ?? ??

और आनंदी बेन अभी तक चुप - और मोदी हमेशा की तरह चुप ....

और पूरी भाजपा भी चुप - बिलकुल बीमारू माफिक चुप .... गूंगी बहरी लुंज पुंज .... 

इसलिए कहता हूँ - "एक अनार के आगे-पीछे लाखों बीमारू" .... भाजपाई बीमारू ....

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// और इसलिए आज कहना ही पड़ेगा कि ये सरकार निकम्मी है ....//


देश की राजधानी दिल्ली में जेएनयू के कुछ छात्रों द्वारा अफज़ल गुरु की फांसी की बरसी के मौके पर भारत विरोधी और यहाँ तक कि पाकिस्तान के समर्थन में घोर आपत्तिजनक नारे लगाए गए ....

और ये सब कैद भी हुआ कैमरों में - और इस पूरे प्रदर्शन के वीडियो भी धड़ल्ले से चले सभी चैनलों पर .... और हद तो तब हो गई जब इस पूरे प्रकरण में टीवी चैनलों पर बहस भी हुई - और कई छात्रों ने भी इन बहसों में भाग लिया - और अपनी हरकतों का बचाव करने का प्रयास किया - और खूब खरी खोटी सुनी - और अपनी पूरी बात बोलने से वंचित भी रहे ....

और भाजपाई प्रवक्ता देशभक्ति से ओतप्रोत हो देशहित में कई सौ डायलॉग मार गए .... और कई टीवी एंकर तो बस पूछो मत - उचक-उचक चिल्ला चिल्ला गला फाड़ गए - ये प्रदर्शित करने के लिए कि वो एक जिम्मेदार नागरिक भी हैं और देशविरोधी कोई गतिविधि बर्दाश्त ही नहीं कर सकते (भ्रष्टाचार को छोड़कर) .... 

पर हुआ क्या ?? अब तक एक गिरफ्तारी नहीं ?? क्यों ?? .... क्या हमारी केंद्र सरकार निकम्मी नहीं निकली ?? .... क्या ये प्रश्न खड़ा नहीं होता कि जो सरकार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की बात करती रही वो अपनी देश की राजधानी में कुछ नापाक छात्रों का मुंह भी ना बंद कर सकी ?? .... क्या सरकार को शर्म नहीं आती ??

और क्या मोडिया जो उन नापाक छात्रों को उचित फटकार लगा गया - क्या सरकार से यह पूछने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाया कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी ?? सरकार दिल्ली में क्या कर रही थी ?? और सरकार जम्मू कश्मीर में क्या कर रही थी ?? .... क्या इन प्रश्नों को भी उचक-उचक नहीं पूछना बनता था ?? ....

क्या पूछना नहीं बनता था कि कुछ दिन पहले ही छात्रों द्वारा जब प्रधानमंत्री मोदी को गालियां दी गई थीं तो उन्हें इसी दिल्ली पुलिस ने क्यों बर्बरता पूर्वक मारा था - और यदि तब मारा था तो अब क्यों नहीं ??

क्या मोडिया के दिव्यांग इस पर बहस नहीं करेंगे कि पाकिस्तान में जब एक विराट कोहली के फैन को भारत का झंडा फहराने का दोषी मानते हुए १० वर्ष की कैद की सजा सुना दी - तो क्या अपने देश के स्वाभिमान की रक्षा करने में कौन श्रेष्ठ रहा - भारत या पाकिस्तान ??  

मुझे लगता है कि इस सरकार को यकीनन शर्म नहीं आती क्योंकि इस सरकार की रीढ़ की हड्डी ही नहीं है - इसलिए ना तो ये सरकार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दे सकी - ना जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी झंडो के लहराने को या पाकिस्तानी समर्थन में नारे लगाने को ही रोक सकी ..... रोकती भी कैसे ?? वहां राजनितिक स्वार्थ के रहते भाजपा को पीडीपी के साथ सरकार बना सत्ता सुख जो प्राप्त करना था ....

इसलिए मुझे लगता है कि ना तो ये सरकार देशहित में कुछ कर पा रही है - ना समाजहित में .. और ना ही सही तरह से राजनीति ही कर पा रही है - या शासन ही चला पा रही है .... और इसलिए आज कहना ही पड़ेगा कि ये सरकार निकम्मी है ....

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Wednesday 10 February 2016

// शत्रु ने लालू को गले लगाया .... पवित्र पापी सदमे में ....//


और आज फिर भक्तों को सदमा देने वाली एक और खबर आ गई ....

बिहार के पटना साहिब संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा मंगलवार को पटना हवाई अड्डे पर लालू के साथ गर्मजोशी के साथ मिले ....

वही लालू जिससे बिहार जीत के जश्न के मौके पर केजरीवाल गले लग मिल लिए थे .... और हार से खिसियाए भाजपाइयों के पेट की गालियां गले गले आ गई थीं .... भाई लोगों ने लालू को भ्रष्टाचार का प्रतीक बता उन्हें राजनीतिक अछूत घोषित कर केजरीवाल को निशाने पर लिया था .... और भक्तों का विलाप जारी था ....

पर जब से कई भाजपाई पवित्र पापियों की तस्वीरें भी लालू या आसाराम के साथ फैलाई गई थीं - और फिर जब से मोदी शरीफ से गले मिले थे - तब से वो विलाप थम गया था .... भक्त कहने लगे थे - ये तो सब चलता है - राजनीति में अब इतना तो जरूरी हो जाता है ....

पर अब शत्रुघ्न सिन्हा भी उसी से मिल लिए जिससे केजरीवाल - यानि लालू से - तो मुझे लगता है भक्तों को सदमा लगा ही होगा .... और मुझे लगता है कि उनको सदमे से अब तब ही निजात मिलेगी जब शत्रुघ्न सिन्हा को पार्टी से निकाला जाएगा .... पर ऐसा हो नहीं सकता - क्योंकि होना होता तो कब का हो गया होता - औकात होती तो डेरिंग डैशिंग डायनामिक नेतृत्व ने शत्रु को कब का निकाल दिया होता - या खामोश तो कर ही दिया होता ....

इसलिए ज्यादा आसान होगा कि पवित्र पापियों द्वारा लालू को ही अब भ्रष्टाचारी के तमगे से मुक्त कर दिया जाए .... और कह दिया जाए कि लालू ने किया ही क्या था - गाय का चारा ही तो खाया था - और गाय हमारी माता - तो लालू ने अपनी माता का ही चारा खाया था ना - हक हलाल का ही खाया था ना - किसी के बाप का तो कुछ नहीं खाया था ....

वाह शत्रु भाई मान गए .... आज तो आपने लालू को गले लगा उन्हें पवित्र बनवा दिया .... इसलिए ही तो लालू ने भी शत्रु की तारीफ में कहा - "कमाल है अकेले लाठी से पूरी भाजपा वाले को खदेड़े हुए हैं" ....

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// किरन बेदी की कुंठित बकवास .... //


आज के दैनिक भास्कर में "आज के ट्वीट" कॉलम में किरन बेदी का एक ट्वीट छपा है ....

"सियाचिन बचाव ऑपरेशन के लिए भारतीय सेना और हमारे जांबाज सैनिक को सलाम I ऐसे हालात में ही हमारी अदम्य भावना और नेतृत्व की असली परीक्षा होती है I" .. 

और मित्रो मैं समझ नहीं पा रहा कि इस पूरे प्रकरण में "नेतृत्व" कहा से घुस पड़ा - और उसने कौन सी परीक्षा दे दी ?? .... मैं यह भी नहीं समझ पा रहा कि इस "अदम्य साहस" की घटना में "अदम्य भावना" की कौन सी परीक्षा हो गई ??

मैं तो सिर्फ यह ही समझ पाया हूँ कि जब व्यक्ति असली ज़िंदगी में कुछ गलत परीक्षाएं दे उन परीक्षाओं में फेल हो जाता है तो वो कुंठित हो जाता है .... और फिर उल जलूल बकवास पटकने लगता है .... वो "साहस" की बातों में भी "भावना" घुसेड़ देता है और फिर "नेतृत्व" के चक्कर में "नेतृत्व"-"नेतृत्व" का जाप करने लगता है ....

वैसे यदि कोई भक्त किरन बेदी की "अदम्य भावना" का कोई और औचित्यपूर्ण अर्थ बताने का "अदम्य साहस" कर सके तो मैं उसका और उसके "नेतृत्व" का स्वागत करूंगा .... 

तो आइये अब मुद्दे की बात पर - आइये हम सब देशवासी ईश्वर से प्रार्थना करें कि हमारे वीर सैनिक हनुमन थप्पा शीघ्र स्वस्थ हों .. !! जय हिन्द !!

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Tuesday 9 February 2016

// मध्यप्रदेश में मद्य हेतु आबकारी नीति - सत्ता के नशे की उल्टी ..//


हमारे मध्यप्रदेश की 'आब' के दर्शन करना हों तो जरा इस प्रदेश की 'मद्य' विषयक 'आबकारी' नीति पर गौर फरमाएं ....

राजनीतिज्ञों को अपवाद मान लें तो मध्यप्रदेश के लोग सामान्यतः होश में रहने वाले लोग हैं - इसलिए दारू का विरोध करते आए हैं ....

पर दारू से सरकार को नंबर १ में बहुत आर्थिक लाभ पहुँचता है .. और नंबर २ में तो मत पूछो !! .. लाभ आर्थिक पेटियों और खोखों का होता हैं .. मसलन इस धंधे में १ पेटी का मतलब १० लाख और १ खोखे का मतलब १ करोड़ ....

और इसलिए इस प्रदेश की आब में बट्टा लगाते हुए इस प्रदेश की जनभावनाओं को ताक में रख आबकारी नीति में 'जनहित' के बजाए 'जनहिट' वाले परिवर्तन होते आए हैं ....

आबकारी नीति में ऐसा ही एक 'जनहिट' परिवर्तन कुछ दिन पहले घोषित हुआ जिसके अनुसार हर व्यक्ति को अपने घर में १०० बोतल शराब रखने का अधिकार दे दिया गया था ....

और ऐसी घोषणा होते ही मेरे एक जाने पहचाने दारुप्रिय राजनीतिक व्यापारी के चेहरे पर आब आ गई - और आ के छा गई .... कहने लगे कि अब तक तो हम 'कारोबार' करते थे - अब हम 'घरबार' का भी ध्यान रख सकेंगे ....

आपको लगेगा कि उस महान व्यक्ति का कुछ ह्रदय परिवर्तन हुआ होगा - पर नहीं - क्योंकि उनके कहने का आशय यह था कि अब तक तो वो उनकी कार में दारू दंगड़ के साथ आइस सोडा नमकीन सबका परमानेंट इंतज़ाम रखते थे जिसे वे 'कारोबार' कह रहे थे - यानि 'कार' में 'बार' .. पर अब वो 'घर' में 'बार' खोल देंगे यानी 'घरबार' ....

पर उसी आबकारी नीति की घोषणा होते ही जमकर जनविरोध भी शुरू हो गया था - और बहस भी चरम पर पहुंच गई थी .... और जनविरोध के दौरान हमारे सीधे-सादे दिखने वाले या सधे-साधे 'मामा' मुख्यमंत्री शिवराज जी के चेहरे की आब भी जाती रही थी ....

बेचारे क्या करें ? राजनीतिक कारणों से और विफलता के कारण मोदी तो कुछ पैसे लत्ते दे नहीं रहे - सारे विकास के कार्य ठप्प से हो चले हैं - फिर सरकार को चलाने और बचाने के लिए पैसे कहाँ से लाएं ?? .. और उधर टुच्चे चंगुओं मंगुओं दारु कुट्टों और 'कारोबारियों' को नंबर २ की कमाई कैसे करवाई जाए जो आगामी चुनावों में भी मोदी लहर के नामे जीत दिला सके .... जीत !! आब के साथ और आबकारी के अर्थलाभ के साथ ....

पर तमाम स्वहित बातों के विरुद्ध 'जनहिट' की बात पर जनाक्रोश के उमड़ते ही हमारे 'मामा' मुख्यमंत्री का नशा भी जल्दी उतर गया - और आबकारी नीति में से १०० बोतल के प्रावधान को विलोपित कर दिया गया .... जिसका मतलब ये हुआ कि अब आम आदमी अपने घर में 'कानूनन' १०० बोतल शराब नहीं रख सकेगा ....

और मैं सोच रहा हूँ कि क्या एक आम आदमी अपने घर में १०० बोतल शराब रखना चाहेगा ?? .. या रखता होगा ?? .. या नई नीति के बाद रखता या रख लेता ?? .... या क्या उसकी १०० बोतल शराब रखने की हैसियत भी है ?? .. या उसे आवश्यकता भी है ?? .. या किसी आम आदमी ने ऐसी कोई वाहियात मांग भी की होगी ????

और क्या मामा के कारोबारी और चहेते और चंगु मंगू को कोई १००० बोतल भी रखने से कभी भी रोक सकेगा ??

तो फिर प्रश्न उठता है कि ये सब क्या हुआ क्यों हुआ ????

मैं बताता हूँ - बिना मद्य बिना नशे मुद्दे की बात ....

नशा बहुत बुरी चीज़ है - और सत्ता का नशा तो बहुत ही बुरा .... और ऐसा नशा करके कई बार सत्ताधीशों को उल्टी करते देखा गया है .. जिसे सत्ता की आब की उल्टी कहते हैं .. जो सत्ता की उल्टी गिनती की शुरूआल भी होती है .... बाकि यदि आप बिन पिए होंगे तो समझ ही गए होंगे .... है ना !!

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