Tuesday 31 March 2015

//// केजरीवाल से उम्मीद बड़ी - पर अधिकार निरंक - वाह रे बुद्धूजीवियों !!....////


इस देश की जनता ने स्वयं कुछ किया हो या ना हो - पर बड़ी मेहनत शिद्दत यतन से दिन रात माथा खपा और खून पसीना बहा बैठे-ठाले ये चाहा था कि इस देश में एक स्वच्छ राजनीति जनम ले .... भ्रष्टाचार रहित पारदर्शी वैकल्पिक ईमानदार अनूठी राजनीति .... जो इस देश का नक्शा बदल दे भाग्य ही बदल दे .... और इस शर्त के साथ कि भले ही हम स्वयं बदलें या ना भी बदलें - मर्ज़ी हमारी !!!! 

और इस महान कार्य के क्रियान्वयन के लिए उन्होंने पूरे देश से एक अकेले अदने जिद्दी जुझारू बीमारू खांसते हुए से केजरीवाल को चुना - जी हाँ #अरविन्द केजरीवाल .... और चुना क्या जनाब - सारी जिम्मेदारी उनके विशालकाय कन्धों पर लाद मारी .... और फिर कुछ लोग कातिलाना हँसी के साथ और कुछ लोग आशा के साथ दूर से टुकुर टुकुर देखने बैठ गए कि अब क्या होता है -  देखें इसकी औकात - ये 'केजरू' या 'केजरीवाल' असंभव को संभव कैसे बनाता है !!!!

पर हाय ! ये क्या !! ये क्या हो गया !!! गजब हो गया !!!! सारे सपने चूर-चूर हो गए ? बर्बाद हो गए ? सारे दावे धाराशायी हो गए ? अब तो भगवान बचाए  इस देश को और इस देश की राजनीति को जो अपने निम्नस्तर तक पहुंच गई - सब ठगा गए - सवा सौ करोड़ देशवासियों की वाट लग गई - हाय सब मर गए रे सब के सब बर्बाद हो गए रे ??

पर क्यों ???? .... जनाब ये सब इसलिए ना कि आपके द्वारा मोर्चे पर लगाए चयनित और चाहित व्यक्ति अरविन्द केजरीवाल ने २-४ अनुपयुक्त या अनचाहे काबिल लोगों को अपनी 'आप' पार्टी से निकाल दिया जो उनके अनुसार उनके और पार्टी के विरुद्ध षड़यंत्र कर रहे थे ? बस ना ???? .... और शायद इस निकालने की प्रक्रिया में गाली गलौज कर दी हाथापाई हो गई अलोकतांत्रिक तरीके अख्तियार कर लिए गए .... और इसलिए सब बर्बाद हो गया रे - अब बचा ही क्या ??

मित्रो मुझे उपरोक्त विश्लेषण के आस पास भटकते मंडराते खिलियाते बड़बड़ाते बुद्धिजीवियों बुद्धूजीवियों  कॉलमनिस्ट रोनिस्ट एंकर टैंकर अत्रकार पत्रकार और 'आप' विरोधियों पर हंसी आ रही है .... और उस जनता से सहानुभूति भी हो रही है जो काफी कुछ बहकावे में आ निराश हो रही है ....

इसलिए अपनी तरफ से प्रयास करते हुए कुछ महत्वपूर्ण संक्षिप्त विवेचना आप के समक्ष रख रहा हूँ .....

मित्रो !!!! आप स्वयं निर्णय करें कि जिस व्यक्ति से आपने पूरे देश की सूरत और सीरत बदलने की उम्मीद लगाई है क्या आप उसे इतना भी अधिकार नहीं देंगे कि वो अपनी मनमर्ज़ी से अपनी कोर टीम चुन सके और अपनी पार्टी से २-४ लोगों को निकाल सके ????

कल्पना करें कि क्या ये उचित होगा कि आप अपने एक सैनिक को वीर रस से सराबोर कर उसमें देशभक्ति का संचार कर उसे पाकिस्तान बॉर्डर पर दुश्मन को मारने के लिए भेजें - पर उसके हाथ में असली बन्दूक ना दे दिवाली का तमंचा थमा दें - और जब वो दुश्मन से लोहा लेने आगे बढ़ रहा हो तो चालाकी से उस तमंचे से टिकली का रोल तक भी निकाल लें - तो क्या होगा ? .... क्या दुश्मन मर जाएगा ?? क्या आपका वो जज़्बे वाला बहादुर सैनिक बच जाएगा ??? क्या देश बच जाएगा ????
उत्तर है .... नहीं - नहीं - सौ बार नहीं ....

इसलिए मेरे मित्रो मेरी आपको समझाइश है कि जरा अकल और तर्क से भी काम लें - और जानें कि ये जितने नामुराद झकोरे 'आप' पार्टी और अरविन्द केजरीवाल की शोकांजलि प्रस्तुत कर रहे हैं कहीं ये वही लोग तो नहीं जिनसे हमें इस देश को बचाना है ?? कहीं ये वही अनगिनत षड्यंत्रकारी तो नहीं जो अपने स्वार्थ या झूठी शान के लिए देश की ऎसी की तैसी तक करने पर तुले हैं ?? .... क्या इनसे छुटकारा पाना आवश्यक नहीं ?? .... अतिआवश्यक है .... इसके लिए हमें कई 'केजरीवालों' का ही सृजन करना होगा !!!!

याद रहे कि भगवान ना करे यदि ये 'अरविन्द' केजरीवाल अक्षम साबित होते हैं या परास्त होत्ते हैं - तब भी देश का उद्धार कोई दूसरा 'केजरीवाल' ही कर सकेगा .... भूषण-यादव मोदी राहुल अंबानी अडानी शाह लालू मुलायम जयललिता मायावती नहीं !!!! ये बात अच्छे से समझ लें तो बेहतर !!!! धन्यवाद !!!!
#AAP

Monday 30 March 2015

//// लड़ाई बुज़दिलों के बस की नहीं - और लड़ाई हमेशा हानिकारक हो ऐसा भी नहीं....////


जब भी दो पक्षों में सार्वजनिक रूप से लड़ाई होती है तो बुद्धिजीवियों या एक वर्ग विशेष की भूमिका भी बड़ी विशिष्ट हो जाती है .... लड़ना नहीं चाहिए - लड़ाई में दोनों का नुक्सान होता है - घर की बात घर में सलटानी चाहिए .... आदि इत्यादि अनादि !!!!

'आप' में भी लड़ाई हुई - और गजब हुई और खुल्लमखुल्ला हुई .... और इसलिए अपेक्षानुसार निंदा भी हुई रोष भी प्रकट हुआ हताशा का इज़हार भी हुआ और मज़ाक भी खूब बना - परउपदेश अनुसार नुक्सान भी हुआ .... और कई लोगों ने तड़प कर या लपक कर यहाँ तक लिख मारा कि - प्रजातंत्र की ह्त्या हो गई - केजरीवाल जीत गए 'आप' हार गई - 'आप' भी अन्य पार्टियों की तरह हो गई - और उसके पतन की शुरुआत हो गई - कार्यकर्ताओं के दिल टूट गए - दिल्लीवासियों की आशाओं की वाट लग गई .... आदि !!!!

मैं मान लेता हूँ कि उपरोक्त सभी बातें सहीं हैं - पर फिर मैं प्रश्न करता हूँ कि जो सत्यानाश हुआ वो तो सत्य है - यानि केजरीवाल भूषण-यादव में झगड़ा हुआ - और नुक्सान हुआ आदि .... पर इस सत्य के परे भी कोई क्यों नहीं जाता ?? .... क्या अब ये जरूरी नहीं कि झगडे के परिणामों को ज़रा बाजू कर इस निर्णय पर भी पहुंचा जाए कि इस झगडे के दोषी केजरीवाल थे या भूषण-यादव थे ?? .... और यह भी सोचा जाए कि यदि केजरीवाल जीत गए और 'आप' हार गई तो क्या बुरा हुआ ?? आप क्या चाहते थे कि केजरीवाल हार जाए और 'आप' जीत जाए ?? क्या केजरीवाल की हार के साथ 'आप' की जीत संभव थी ?? क्या भूषण-यादव की जीत होनी थी - क्या उस जीत में 'आप' की जीत होती ?? आदि !!!!

थोड़ा और दिमाग का दहीं करें और विचार करें - ये भारत पाकिस्तान क्यों लड़ते रहते हैं ?? कितना नुक्सान हो रहा है .... तो क्या कोई हिन्दुस्तानी ये कहता है कि यार भारत की गलती है जबरदस्ती लड़ रहा है - या दोनों की गलती है - दोनों मरेंगे - नहीं ना !! .... हर भारतीय क्या कहता है ?? यही ना कि - पाकिस्तान गलत है - लड़ाकू है - अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहा - निपटा दो साले कमीन को .... और ऐसा कह वह देशभक्ति का परिचत दे देता है - है ना !!!!

यानी अब ये बात तय होती है - कि यदि दो पक्षों में लड़ाई हो ही रही है तो चिल्लाते ही रहना कि "मत लड़ो रे मत लड़ो रे तुम दोनों मरोगे दोनों पछताओगे" .. ये श्रेयस्कर और प्रभावकारी या उचित नहीं है !!!! .... और उचित ये है कि एक सीमा समय के बाद अपने दिल दिमाग का इस्तेमाल कर ये जाना जाए कि लड़ाई कर रहे कौन से पक्ष की गलती है - और फिर गलत पक्ष को ललकारा जाए रोका जाए लताड़ा जाए और सच्चे का साथ दिया जाए ??

मित्रो !! मेरे अनुसार मैंने तो आज तक किसी से गलत व्यवहार किया नहीं और किसी से लड़ने को आतुर हुआ नहीं - पर हाँ जब कोई टुच्चा मुझसे आकर सींग लड़ा ही बैठा तो चिंतन शांति संयम को लात मार उसे ठिकाने लगा कर ही चैन की साँस ली - और अपने इसी स्वभाव के अनुरूप मैंने अब ये चिंतन बंद कर दिया है कि केजरीवाल और भूषण-यादव में कौन सक्षम कौन अक्षम कौन काबिल कौन नालायक किसका योगदान ज्यादा किसका कम आदि .... पर मैं ये सोच रहा हूँ कि रगड़ा कौन कर रहा था और झगड़ा किसने किया और गलती किसकी थी - और बड़ी आसानी से मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि 'आप' के इस रगड़े झगडे और अंततः लड़ाई में मुख्य और अधिक और पहली गलती तो भूषन-यादव की ही थी - और इसलिए जिस तरह से भी केजरीवाल ने लड़ाई लड़ी है और उन्हें ठिकाने लगाया है वो प्रशंसनीय है और राहत देने वाली बात है ....

और भविष्य के लिए मैं चाहूँगा कि कोई लड़ाई न हो - पर यदि हो तो निर्णायक ही हो - रगड़ा नहीं झगड़ा ही हो - गलत पक्ष को फिर ठिकाने लगाना ही होगा - यही लड़ाई के मज़े हैं यही लड़ाई की तासीर है - और यही लड़ाई की मर्यादा भी है !!!! लड़ाई हारने के लिए नहीं जीतने के लिए ही लड़ी जाती है !!!!
लड़ाई बुज़दिलों के बस की नहीं - और लड़ाई हमेशा हानिकारक हो ऐसा भी नहीं - कदापि नहीं !!!!
#AAPWar

Sunday 29 March 2015

//// शायद वो शब्द कुछ हल्के से थे ....////


अभी अभी केजरीवाल द्वारा कल 'आप' की राष्ट्रीय परिषद में दिए गए भाषण को सुना ....

सर्वप्रथम दिल दिमाग को तसल्ली हुई कि केजरीवाल वैसे ही हैं जैसा मेरा आंकलन था - और जैसी मेरी अपेक्षा और आशा थी !!!!

फिर मुझे उनके उमेश वाले स्टिंग की बातें याद हो आई .... और वो शब्द - 'साले' एवं 'कमीने' !!!!
और फिर मुझे एहसास हुआ कि ये शब्द कितने हल्के हैं ....

मुझे ये भी याद हो आया कि ऐसे शब्दों का तो फिल्मों में बहुतायत इस्तेमाल भी हो चुका है - "साला मैं तो साहब बन गया - दिल तो कमीना है जी - कमीने कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा - आदि इत्यादि !!!!

और ये भी याद हो आया कि राजनीतिक भाषणों में तो इससे भारी शब्द जैसे "नपुंसक" या "हरामज़ादे" अभी अभी तो इस्तेमाल हुए थे .... वो भी खुल्ले मंच से !!!!
   
पर इसके साथ-साथ ये भी याद हो आया कि कई सभ्य लोगों द्वारा केजरीवाल की भाषा और उपरोक्त अपशब्दों की निंदा की गई थी - विशेषकर इस परिप्रेक्ष्य में कि केजरीवाल एक मुख्यमंत्री हैं इसलिए ऐसी भाषा .... ????

आज मुझे भी लगता है कि शायद केजरीवाल कुछ अन्य सभ्य मान्य प्रचलित शब्दों का प्रयोग करते तो बेहतर होता - मसलन - दोगले बदमाश उचक्के निर्लज्ज धोखेबाज स्वार्थी नालायक चालाक बेशरम खतरनाक अवांछनीय मौकापरस्त विश्वासघाती विभीषण जयचंद - आदि इत्यादि !!!!

पर चलो ठीक है गुस्से में कभी कभी दिमाग १००% सही काम नहीं करता है - चलता है !!!! जो कुछ हल्का बोला वो भी ठीक ठहराया जा सकता है !!!! नहीं क्या ????
#AAP

Saturday 28 March 2015

//// ना तोड़ेंगे ना छोड़ेंगे - सुधरेंगे सुधारेंगे .... क्यों भाई शर्म बेच खाई क्या ?? ////


आज प्रशांत भूषण - योगेन्द्र यादव - आनंद कुमार - अजीत झा को राष्ट्रीय कार्यकारणी से निकाल दिया गया .... निकलने के बाद इस गुट द्वारा विलाप किया जा रहा है कि - आज लोकतंत्र की हत्या हो गई - हमारे साथ मार पीट की गई - हमें अपनी बात नहीं रखने दी गई - पूरी कार्यवाही असंवैधानिक रही - इत्यादि !!!!
पर इन्तहा देखिये जनाब !! इसके बाद भी डायलॉग दे रहे हैं - "ना तोड़ेंगे ना छोड़ेंगे - सुधरेंगे सुधारेंगे" .... गजब !!!!

उपरोक्त डायलॉग पर मेरे डायलॉग >>>>
> बोल रहे हो ना तोड़ेंगे >> और पार्टी तो टूट ही गई - और आपने ही तोड़ी है - नवाज़ शरीफ ने तो तोड़ी नहीं है - ओबामा को तो पता भी नहीं होगा ....
> बोल रहे हो ना छोड़ेंगे >> और पार्टी ने तो तुम से पिंड छुड़ा ही लिया है - अब तुम्हारी औकात छोड़ने या ना छोड़ने कि बची ही कहाँ है ??
> बोल रहे हो सुधरेंगे >> दिखता तो नहीं - पर ठीक है सुधरना है तो सुधरते रहना - अच्छी बात है - मना कौन करता है - बेदी या बिन्नी या इल्मी ??
> बोल रहे हो सुधारेंगे >> हा ! हा !! हा !!! किसको ? केजरीवाल को ? कैसे ? क्यों ? कब ? और किसके लिए ? क्या सुधारघर खोल लिए हो - या सुधार का कोचिंग इंस्टिट्यूट खोलने वाले हो - कितनों को सुधरोगे - अकेले केजरीवाल को या पूरी 'आप' पार्टी को ? प्यार से समझा के या मार ठोंक के ? और क्या सुधारने के बाद उन्हें ठिकाने भी लगाओगे या उसके बाद सन्यास ले लोगे ? कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम भी 'फेंक' रहे हो ? या मुगालते में हो ? या पगला गए हो ? या कहीं शर्म तो नहीं बेच खाई ना ??

अरे मेरी मानो तो जितना तोड़ लिए हो उसमें संतुष्ट रहो - सम्मान के साथ पार्टी की सदस्यता से भी त्याग पत्र दे पार्टी छोड़ दो - सुधरो या ना सुधरो पर सुधारने की बात भूल जाओ - और मस्त रहो !! खुश रहो !! संपन्न रहो !! दीर्घायु हो !! .... और इन शुभकामनाओं के लिए मुझे धन्यवाद प्रेषित करो .... प्लीज !!!!
और यदि मेरी कोई भी बात दिमाग में ना घुसे तो फिर एक नई पार्टी बना लो .... कस्सम से मज़ा ही आ जाएगा .... १००% 'टंच' या 'टुच्ची' पार्टी .... है ना !!!!

//// क्या भूषण-यादव को स्वयं नहीं निकल जाना चाहिए था ??....////


आज 'आप' पार्टी की राष्ट्रिय परिषद की महत्वपूर्ण और बहुचर्चित मीटिंग चल रही है ....
और सभी लोगों के लिए उत्सुकता का सबसे बड़ा बिंदु था कि - भूषण-यादव को राष्ट्रिय कार्यकारिणी से निकाला जाएगा या नहीं ??

और अभी-अभी परिणाम सामने आ गया - अंततः भूषण-यादव को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया !!!!

ऐसी परिस्थिति में मैं एक बात समक्ष में रखना चाहूँगा ....

कल उमेश वाले स्टिंग में केजरीवाल को भूषण-यादव आदि के लिए अपशब्द तक कहते सबने सुना ....
क्या भूषण-यादव को केवल इसी कारण पार्टी से या तो स्वयं नहीं निकल जाना चाहिए था - या फिर कम से कम ये माँग सार्वजनिक नहीं करनी थी कि केजरीवाल पार्टी छोड़ें ????

एक और बात .... भूषण-यादव ये आरोप लगाते ही रहे हैं कि केजरीवाल तानाशाह हैं और उन्हें ऐसे लोग बर्दाश्त नहीं हैं जो उनकी हाँ में हाँ नहीं मिला सकते .... या बकौल भूषण केजरीवाल ये भी कह चुके थे कि - "मैं ऐसे संगठन में रहा ही नहीं जहाँ मेरी ना चलती हो" .... पर जनाब साथ-साथ ये दोनों महानुभाव ये भी कहते हैं कि - "हमने कभी भी केजरीवाल को हटाने की माँग नहीं की - और आज भी नहीं कर रहे हैं" !!!! .... तो मेरा इन दोनों लात खाए बाहर किये गए दोगले नेताओं को धिक्कार इस बात पर भी है - कि आपने कम से कम केजरीवाल को हटाने की माँग क्यों नहीं की ????

और इसलिए मैं ये प्रश्न भी उठाता हूँ कि भूषण-यादव जी आप अभी तक और आगे भी क्या भुट्टे सेकने के लिए पार्टी में बने थे या बने रहना चाहते थे ?? विरोध के बावजूद भी - शीर्ष नेता की नापसंदगी के बावजूद भी - कार्यकर्ताओं के रोष के बावजूद भी - बिना पूर्ण समर्थन के बावजूद भी - अपनी बेइज़्ज़ती के बावजूद भी - आखिर आप चाहते क्या थे ????

और मित्रो !! भूषण-यादव जैसे अनेक लोगों और केजरीवाल में मैं यही बुनियादी फर्क देखता हूँ .... केजरीवाल अभी तक सबका विरोध खुल्लमखुल्ला करते आए हैं - और एक सीमित विरोध के बाद अपने रास्ते अलग करते आए हैं - भले ही वो अन्ना हों बेदी हों मोदी हों भूषण हों यादव हों या कोई और .... और इसलिए ही वो आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं .... और यदि वो ऐसा ना करते होते तो वो भी लल्लू लचर लाचार नेताओं की बहुत लंबी लाइन के अंतिम छोर पर ही तो खड़े दिखते .... नहीं क्या ??

अतः मैं आज बहुत प्रसन्न हूँ .... इसलिए कि पार्टी से गद्दार दोगलों की आवश्यक स्वागतयोग्य छुट्टी हुई है - केजरीवाल का नैसर्गिक स्वाभाविक उचित स्थापित वर्चस्व और पुख्ता हुआ है - और 'आप' पार्टी यकीनन बहुत मजबूत हुई है !!!!

Friday 27 March 2015

//// मान गए केजरीवाल को .... स्पष्ट दबंग और निडर ....////


जी हाँ !! अभी-अभी एक और स्टिंग आया है - या लाया गया है .... बिहार के किसी उमेश और केजरीवाल के बीच हुई बात का - जिसे उमेश ने ही रिकॉर्ड किया और उमेश ने ही जारी किया .... सॉलिड स्टिंग !!!!

इसमें केजरीवाल बहुत गुस्से में दिख रहे हैं - और प्रो. आनंद कुमार अजीत झा भूषण और यादव के प्रति कुछ अपशब्द कहते सुनाई पड़ रहे हैं - तुम लोग काले दिल वाले हो - ये घटिया किस्म के लोग हैं - दिल्ली चुनाव में पार्टी को हराने का काम किये हो .... और कह रहे हैं तुम लोग मिल कर 'आप' पार्टी चला लो - मैं तो 'आप' पार्टी छोड़ कर निकल जाऊंगा - और ६७ विधायकों के साथ अपनी अलग पार्टी फिर बना लूँगा - इत्यादि ..... और भी अच्छी खरी खोटी बोल रहे थे !!!!

//// वाह क्या डायलॉग था - "मैं ऐसे संगठन में रहा ही नहीं जहाँ मेरी ना चलती हो"....////


प्रशांत भूषण ने आज खुलासा किया कि वो जब भी अरविन्द केजरीवाल को समझाते (पकाते) थे कि तुम में एक बहुत बड़ी कमी है कि तुम किसी की सुनते नहीं हो - तो केजरीवाल ने भूषण को जवाब दिया था ....
// "मैं ऐसे संगठन में रहा ही नहीं जहाँ मेरी ना चलती हो" // ....

वाह क्या डायलॉग मारा था यार - मज़ा आ गया - शोले दीवार मुग़ले आज़म की टक्कर का - धाँसू .... पर लगता है ये डायलाग गलत आदमी के सामने दे मारा - वो नादान डायलॉग का अर्थ और भावार्थ तक नहीं समझा ....  
क्या यार केजरीवाल जी !! आप भी ना अधूरी बात करते हो - पूरी बात करना थी ना - कह देना था कि भूषण जी तुम ऐसे संगठन में क्यों बने हो जहाँ तुम्हारी चलती ना हो ????

खैर जो हुआ सो हुआ - मैं तो भूषण जी को आज भी धन्यवाद देता हूँ कि आज उन्होंने यह सत्य सर्वाजनिक करने का महान कार्य किया - जिससे हमें और पुख्ता हुआ कि अरविन्द केजरीवाल किस मिटटी के बने हैं .... और वे सभी कारण भी ज्ञात हुए कि अब भूषण जी की मिटटी पलीत होना क्यों जरूरी है !!!!

//// बधाई !! अब 'आप' से अच्छी १००% शुद्ध नायाब पार्टी बनने जा रही है....////


'आप' पार्टी में अंतर्कलह चरम पर .... बहुत सारे बयान सामने आ गए हैं - बहुत बहस सुन ली है - बहुत कुछ देख लिया है - बहुत कुछ समझ लिया है - और मुझे स्पष्ट हुआ है कि ....

भूषण-यादव बहुत दिन से असंतुष्ट थे ....
उन्हें कई बार बता दिया गया था कि वे 'आप' पार्टी छोड़ दें ....
उन्होंने ने भी केजरीवाल को बार-बार बता दिया था कि उनमें क्या कमियां हैं ....
उन्होंने ये भी बता दिया था कि 'आप' पार्टी अन्य पार्टियों जैसे ही बहुत निम्नस्तर तक गिर चुकी है....
उन्होंने केजरीवाल द्वारा कांग्रेस से की गई जोड़ तोड़ को तो बिलकुल ही अनैतिक माना था ....
उन्होंने चंदे शराब स्टिंग फर्जी डिग्री प्रकरण आदि पर आतंरिक लोकपाल से जांच की कई बार मांग भी की थी ....
भूषण-यादव दोनों चाहते थे कि पार्टी में पूर्ण पारदर्शिता हो - पूर्ण लोकतंत्र हो - आरटीआई लागू हो - स्वराज की स्थापना हो - कभी किसी एक व्यक्ति की न चले - हर बात पे कार्यकर्ताओं का वोट भी लिया जाए ....
भूषण-यादव दोनों केजरीवाल के कार्य करने के तरीके से कभी भी संतुष्ट नहीं रहे ....
उनके अनुसार केजरीवाल सत्ता और पद के लोभी हैं और वे तानाशाह जैसा व्यवहार करते हैं ....
लेकिन भूषण-यादव ने सभी बातें दिल्ली चुनाव के पहले सार्वजनिक नहीं करके और यहाँ तक कि पारदर्शिता तक को ताक पर रख पार्टी और केजरीवाल पर एहसान किया ....
लेकिन वे पार्टी से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं थे और उन्होंने तय कर लिया था कि वे तो "सुधरेंगे और सुधारेंगे .... ऐसी-तैसी करेंगे कराएंगे ....  
उन्हें कई बार बता दिया गया था कि अरविन्द केजरीवाल उनके साथ काम नहीं करना चाहते हैं ....
उन्हें अब सम्मान के साथ पार्टी से स्वयं इस्तीफ़ा देने के लिए भी कह दिया गया है ....
लेकिन - भूषण-यादव ने इस्तीफ़ा देने से इंकार कर दिया है ....

और उपरोक्त सभी बातों के मद्देनज़र मैं 'आप' पार्टी को सलाह देना चाहता हूँ कि .... जो भूषण-यादव स्वयं सम्मान के साथ पार्टी नहीं छोड़ने को तैयार हैं - उन्हें ससम्मान पार्टी से बाहर कर ही देना श्रेयस्कर होगा !!!!

और भूषण-यादव के समर्थकों को बधाई के साथ सूचना देना चाहूंगा कि अब बहुत शीघ्र ही इस देश में एक सबसे नायाब नैतिक सच्ची पार्टी बनने जा रही है - जो पूर्णतः पारदर्शी और लोकतांत्रिक होगी - जिसमे प्रत्येक बात सभी कार्यकर्ताओं की इच्छानुसार ही तय होगी - और ये पार्टी एक व्यक्ति की सनक पर तो हरगिज़ नहीं चलेगी और इसलिए इस पार्टी के दो संयोजक होंगे - प्रशांत भूषण एवं योगेन्द्र यादव - जो कदापि कदापि अपनी मर्ज़ी से कुछ भी नहीं करेंगे - बस नाम मात्र को नई पार्टी को नेतृत्व और नाम और ऊर्जा देने का काम करेंगे - और इस पार्टी में प्रत्येक कार्यकर्त्ता को अपना कौशल और क्षमता बताने का स्वर्णिम अवसर प्राप्त होता रहेगा - और जब कार्यकर्त्ता चाहेंगे भूषण और यादव को अपदस्थ कर स्वयं पार्टी संयोजक बन सकेंगे - यानि यहाँ तक संभव है कि ३-४ साल बाद बिन्नी-इल्मी संयुक्त रूप से इस पार्टी के संयोजक बन जाएं .... और अन्ना-बेदी संरक्षक !!!!

अतः मेरा भूषण-यादव के सभी समर्थकों से आग्रह है कि वे स्वयं और देश हित में कामना करें कि भूषण-यादव शीघ्र ही 'आप' पार्टी का पिंड छोड़ दें - ताकि 'आप' पार्टी हल्की हो सके और एक नई सुबह की नए सूरज के साथ शुरुआत हो सके !!!!
धन्यवाद !!!!

Thursday 26 March 2015

//// मैच हारे और ये किस्सा खत्म .... अब अगला विषय 'आप' पार्टी ....////


भारत सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार विश्वकप से बाहर हो गया .... मैं भी हर क्रिकेट प्रेमी और भारतीय की तरह निराश हुआ ....पूरे देश में लोग व्यथित और निराश होने के साथ गुस्से में भी दिखे .... कुछ अपने पुराने अटाले वाले टीवी फोड़ अपने गुस्से का इज़हार कर टीवी पर छाप छोड़ गए ....

और सारे टीवी चैनल भी अभी क्रिकेट और इस मैच के बारे में ही प्रसारण कर रहे हैं .... पर बस १-२ घंटे में

तो फिर अब आगे क्या ?? .... अब अगला विषय कौनसा ????
अगला विषय होगा 'आप' पार्टी .... 'आप' पार्टी की अंतर्कलह - केजरीवाल - प्रशांत योगेन्द्र - कार्यकर्ता आदि !!!!

पर इस विषयक मैं उतना उत्सुक नहीं हूँ जितना क्रिकेट मैच को लेकर था .... क्योंकि उत्सुकता इसलिए थी कि मैच हारेंगे या जीतेंगे ??

पर 'आप' पार्टी के विषय में उत्सुकता इसलिए नहीं है क्योंकि अरविन्द केजरीवाल दृढ निश्चय के साथ आगे बढ़ रहे हैं - निडर और बिना झुके - और मुझे पूरा विश्वास है कि जब तक केजरीवाल झुकेंगे नहीं - वो हारेंगे नहीं - और जब तक वो हारेंगे नहीं 'आप' पार्टी और मुझे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं !!!!

और जहाँ तक प्रशांत योगेन्द्र का प्रश्न है .... तो उनके लिए यही कहूँगा कि उनकी ये हसरत या प्रयास कि  केजरीवाल उनके हिसाब से चले ये हास्यास्पद और दुर्भाग्यपूर्ण है - उन्हें स्मरण हो कि उन्होंने केजरीवाल का साथ दिया था क्योंकि शायद उन्होंने केजरीवाल में कुछ अच्छी बात देखी होगी - और यदि आज उनका केजरीवाल पर से विश्वास उठ गया है तो उन्होंने स्वयं केजरीवाल का साथ छोड़ बाहर बैठना चाहिए - और तदोपरांत अपना रास्ता स्वयं तैयार कर इस बार साथ ना देकर स्वयं अन्य लोगों का साथ ले स्वतन्त्र रूप से नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए .... बिलकुल लोकतान्त्रिक तरीके से पूर्ण पारदर्शिता के साथ जैसा कि वो केजरीवाल से अपेक्षा रखते हैं .... है ना !!!!

पर शायद वो ऐसा नहीं कर रहे हैं - और शायद इसीलिए मुझे लगता है की ये दोनों महानुभाव चोखे नहीं हैं - और शायद इसलिए मैं सोचता हूँ कि ऐसे व्यक्ति यदि पार्टी से बाहर जाएंगे तो केजरीवाल और मज़बूत होंगे - यानि 'आप' पार्टी और मज़बूत होगी .... अन्यथा 'आप' पार्टी खत्म हो जाएगी - केजरीवाल विरोधी सड़क पर आ जाएंगे - और अरविन्द केजरीवाल को अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए थोड़ा समय और लगेगा - थोड़ी मेहनत और करनी होगी - जो वो कर ही लेंगे - ऐसा मेरा विश्वास है !!!! धन्यवाद !!!!

Wednesday 25 March 2015

//// "धर्मांतरण" पर राजनाथ सिंह के 'ट्विटर' पर प्रश्न - मेरे उत्तर एवं सलाह....////


२२/०३/१५ को प्रदेश अल्पसंख्यक आयोगों के सम्मलेन के सामने कुछ अहम प्रश्न रखने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने खुद 'ट्विटर' पर उन्हें सार्वजनिक किया .... और इस तरह राजनाथ जी ने #धर्मांतरण पर नई बहस छिड़वा दी ....और लो हम भी छिड़ गए .... अतः राजनाथ जी के द्वारा 'ट्विटर' पर किए गए प्रश्नों के उत्तर निम्नानुसार प्रस्तुत हैं >>>>

प्रश्न क्र.१) : - क्या धर्मांतरण जरूरी है ?
उत्तर : - हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए .... अतः धर्मांतरण हुए बगैर इस स्वतंत्रता का क्रियान्वयन कैसे संभव हो सकेगा ?? .... राजनाथ जी को उनकी भाषा में समझाता हूँ .... यदि कोई राजनीति में है और उसे अपनी पसंद की पार्टी में रहने की स्वतंत्रता है और यदि वह भाजपा छोड़ 'आप' में जाना चाहता है तो वो "पार्टीन्तरण" किए बगैर ऐसा कैसे कर सकेगा ???? .... यानि जिस तरह "पार्टीन्तरण" जरूरी है वैसे ही धर्मांतरण .... है ना !!!!

प्रश्न क्र.२) : - क्या धर्म परिवर्तन कराए बिना समाज सेवा नहीं की जा सकती ?
उत्तर : - हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता है - और हर नेता को अपनी पसंद की पार्टी में रहने की .... अतः राजनाथ बताएं कि किन्ही व्यक्तियों द्वारा जब तक भाजपा और मोदी की जय जयकार ना की जाय क्या तब तक उन व्यक्तियों का कल्याण नहीं किया जा सकता ?? ऐसा नहीं है ना ?? ..... अतः राजनाथ जी समझ लें की जिस तरह जन कल्याण के लिए पार्टी परिवर्तन जरूरी नहीं है वैसे ही समाज सेवा के लिए धर्म परिवर्तन जरूरी नहीं है .... है ना !!!!

प्रश्न क्र.३) : - क्या बिना धर्मांतरण के भारत में सभी धर्म फल-फूल नहीं सकते?
उत्तर : - मेरा प्रतिप्रश्न - क्या "पार्टीन्तरण" या दूसरे की पार्टी में तोड़ फोड़ जोड़ तोड़ किये बगैर भारत में सभी पार्टियां फल फूल नहीं सकतीं ?? .... फल फूल सकती हैं .... जैसे 'आप' पार्टी अपने बल बूते फल फूल रही है और भाजपा "पार्टीन्तरण" करवा कर भी डूब गई है .... अतः राजनाथ जी बिना धर्मांतरण के भी भारत में सभी धर्म फल-फूल सकते हैं - और फलते फूलते रहे हैं .... पर अब यदि किसी को धर्म और धर्मांतरण के नाम पर गंदी राजनीति ही करनी हो तो राजनाथ जी उसका तो कोई इलाज नहीं है - है ना !!!!

प्रश्न क्र.४) : - क्या भारत जैसा देश अपनी जनसँख्या की पहचान (धार्मिक) एवं स्वरुप में बदलाव की इज़ाज़त दे सकता है ?
उत्तर : - यदि भारत में हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता देनी है तो फिर भारत को अपनी जनसँख्या की धार्मिक पहचान एवं स्वरुप में बदलाव की इज़ाज़त देनी ही पड़ेगी - जैसे कि देश की राजनीतिक पहचान और स्वरुप को बदलने के लिए हर वोटर को अपनी पसंद की पार्टी चुनने की इज़ाज़त देनी ही पड़ती है - और बदलाव होता है स्वरुप भी बदलता है - जैसे कि दिल्ली में हुआ ....  राजनाथ जी !! कोई शक कोई तकलीफ ?? नहीं ना !!!!

राजनाथ जी !! यदि उत्तर समझ में ना आए हों तो कृपया मुझसे या अपनी पार्टी से बाहर किसी भी "सेक्युलर" पढ़े लिखे भारतीय से संपर्क करें - आशा है कोई भी आपको और बेहतर समझा पाएगा !!!! और यदि ऐसा ना भी करना चाहें तो बस फिर एक 'ब्रह्म शब्द' का उच्चारण करते रहें "सेक्युलर" और एक 'ब्रह्म वाक्य' का जाप करें - "हर नागरिक को अपनी पसंद के धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता होनी चाहिए - और भारतीय संविधान में ऐसा ही प्रावधान विद्यमान है" .... !!!! धन्यवाद !!!!

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Tuesday 24 March 2015

//// IT ACT की आपत्तिजनक धारा 66-A निरस्त .. इसके अनापत्तिजनक मायने..////


आपत्तिजनक ....
आप आपत्तिजनक बयान देते रहे ....
आप आपत्तिजनक बहुत कुछ करते रहे ....
आप आपत्तिजनक लिखने से हमें रोकते रहे ....
आपत्तिजनक !!!! ....है ना !!!!

हम आपत्तिजनक ना लिख सकते थे ना लिखते थे ....
पर सावधान !! अब से आप कुछ आपत्तीजनक मत कर बैठना ....

यानि .... अब सुने अनापत्तिजनक बात ....

हम तो हमेशा से ही होश में थे ....
अब आप भी ज़रा होश में रहना ....

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// मसरत और मोदी में ज़हीन कौन ??....////


कल था पाकिस्तान दिवस - दिल्ली स्थित पाक दूतावास में जश्न - कई पाक समर्थक और अलगाववादी हस्तियां मौजूद - मोदी सरकार के हुक्म पर भारत सरकार के नुमाइंदे के रूप में केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह भी उस कार्यक्रम में शिरकत करने भेज दिए गए .... और फिर वहां मात्र १० मिनिट रुकने के बाद उल्टे पाँव वापस आ गए .... और फिर खुद-ब-खुद बिना सब्र लगे नाराज़गी और खीज पटकने !!!!

प्रश्न उठता है कि यदि वी.के. सिंह भारत सरकार के नुमाइंदे के रूप में शिरकत करने पहुंचे थे तो अपनी व्यक्तिगत भावनाओं का फूहड़ता के साथ तुरंत ही इज़हार करना क्या वी.के. सिंह के साथ साथ भारत सरकार की हंसी और दयनीयता प्रदर्शित होने का कारण नहीं बनता ????

कृपया ध्यान देवें कि इसी प्रोग्राम में मसरत आलम को भी न्यौता दिया गया था .... पर जनाब आप उनकी सूझबूझ और समझदारी का नमूना देखें - कि वो गए ही नहीं .... और ना जाने के मासूम से कारण पर भी गौर फरमाएं - "मेरी तबियत कुछ नासाज़ सी थी .. बस इसलिए" ....!!!!
वाह क्या बात है - आदाब अर्ज़ है जनाब !!!!

पर इसके उलट जिसे नहीं जाना था वो तो अनमने मन से ही पर तपाक से पहुँच ही गए .... और फिर खुद ही रोने चिल्लाने लगे - स्यापा डालने लगे - विलाप करने लगे - हाय मैं कहाँ आ गया - क्यों आ गया - मुझे क्यों भेजा गया - मैं तो फंस गया - अरे यार मैं तो ड्यूटी पर था .... यानी बेवकूफी और पागलपन का नमूना भी देखें ....
!!!! वाह क्या टुच्ची पटकी है रे - लानत है जनाब !!!!

मित्रो !! अब आप ही बताएं कि मसरत और मोदी में ज़हीन कौन ??

विशेष टीप : आप अपने व्यक्तिगत उदगार खुलकर व्यक्त कर सकते हैं - क्योंकि अभी अभी उच्चतम न्यायलय द्वारा IT ACT  की धारा 66-A को निरस्त कर दिया गया है .... पर ध्यान रहे - मसरत स्टाइल में ना कि वी.के. सिंह स्टाइल में .... !!!! धन्यवाद !!!!

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Monday 23 March 2015

//// अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है ?? .... या बेहतर बहुसंख्यकों को डराना ही नहीं चाहिए ??....////


टीवी में आए ताज़ा समाचार अनुसार दिल्ली में अभी-अभी बीजेपी-आरएसएस समन्वय समिति की बैठक खत्म हुई ....

बताया गया है कि बैठक के बाद आरएसएस के राम माधव ने बयान दिया है कि ....
// अल्पसंख्यकों को डरने की जरूरत नहीं है //....

मेरी त्वरित प्रतिक्रिया ....

कृपया कम से कम नैसर्गिक न्याय के ही मद्देनज़र ये अल्पसंख्यकों पर ही छोड़ दें कि उन्हें डरने की जरूरत है कि नहीं .... क्योंकि मेरे हिसाब से जो कुछ अभी निकट पूर्व में घटित हुआ है, और बहुत ही शर्मनाक बयानबाज़ी हुई है, उस कारण अल्पसंख्यकों का डरना स्वाभाविक है और ये उनका अधिकार भी है !!!!

मेरे अभिमत में तो बीजेपी-आरएसएस यदि अपनी बात करें तो बेहतर .... कहें हम "विश्वास दिलाते हैं कि ऐसी कोई हरकत नहीं पटकेंगे जिससे अल्पसंख्यकों में किसी भी प्रकार के डर पैदा होने की संभावना बने .... और यदि कोई भी भड़काऊ या वाहियात हरकत या बयानबाज़ी भर करेगा तो वो बख्शा नहीं जाएगा !!!!

मुझे पूरा विश्वास है कि यदि अल्पसंख्यकों के साथ ऐसा व्यवहार होगा तो ना केवल वो स्वतः ही नहीं डरेंगे - बल्कि वो निडर प्रसन्न हो आपको गले भी लगाएंगे - और सबके साथ कंधे से कंधा मिला देश को आगे बढ़ाएंगे !!!! तो कुछ ऐसा ही कर के तो देखें .... धन्यवाद !!!!  

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// भगोड़ा - पप्पू - फेंकू .... नामकरण और कर्मों का लेखा-जोखा ....////


बहुत समय हो गया .... मैंने किसी को भी केजरीवाल को उनके नामकरण अनुसार 'एक-४९' या 'भगोड़ा' से संबोधित करते नहीं सुना .... यहाँ तक कि किसी ने उनके मफलर तक का ज़िक्र नहीं किया .... और तो और बची खुची खांसी भी जाती रही .... अतः मफलर खांसी से संबंधित दर्जनों नाम भी विलुप्त हो गए .... और अब तो देख रहा हूँ कि यदि कुछ आदतन बिगड़ी जबान वाले भक्तों को छोड़ दिया जाए जो शायद उन्हें 'केजरू' आदि बोल आह्लादित हो जाते हैं और मन ठंडा कर लेते हैं - अधिकतर लोग उन्हें सम्मान के साथ 'केजरीवाल' के नाम से ही बुलाने लगे हैं - या स्नेह और अपनेपन के साथ 'अरविन्द' के नाम से !!!!

यकीनन ऐसा इसलिए हुआ है कि अरविन्द केजरीवाल ४९ दिन से ज्यादा मुख्यमंत्री रह चुके हैं - भागने की बात तो दूर दमखम से ताल ठोंक के वापसी कर चुके हैं .... मफलर मौसम के अनुसार अपने आप उतर गया है - और खांसी का इलाज करवा लिया गया है !!!! .... और भक्त अपनी आदत से मजबूर और अकल से मजदूर हैं !!!!

पर वहीँ दूसरी ओर 'पप्पू' और 'फेंकू' नाम यथावत चिपके हुए हैं .... चस्पा हैं - चेंटें हैं - चेंपे हैं - चर्चित हैं - चलन में हैं !!!!

यक़ीनन इसलिए कि 'पप्पू' तो पप्पू हैं ही और आजकल मम्मी पर सारा काम छोड़ छुट्टी पर हैं ....

और 'फेंकू' बेलगाम फांकते ही जा रहे हैं - पर कर तो कुछ भी नहीं रहे .... बस जब देखो तब एक बात ही बार बार फांकते रहते हैं - "मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूँ - मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ" .... जैसे कि ये 'विश्वास' कोई मेले ठेले में बिकने वाली चीज़ हो जो मोदी जी सबको दिलवाने निकले हों .... और मज़े की बात तो ये है कि अब तो उन पर यकीनन कोई भी विश्वास करने के लिए तैयार ही नहीं है .... न उनके 'विकास' पर ना उनके 'विश्वास' पर .... यानी 'फेंकू' नाम पूर्णतः चरित्रार्थ हो रहा है !!!!

तो मित्रो ये है अभी तक के नामकरण और कर्मों का लेखा-जोखा !!!! आगे-आगे देखिये होता है क्या ??

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// क्या कहा "मार्तण्ड गुप्ता" ?? .... अगला कौन "नादिर मेँहदी" ??....////


जब से मार्टिन गुप्टिल ने धुआंधार डबल सेंचुरी ठोकी है सुना है तब से कुछ मनचले भक्त साबित करने में लगे हैं कि असल में वो "मार्तण्ड गुप्ता" हैं - और उनकी घर वापसी होनी चाहिए .... छिः !!!!

नरेंद्र मोदी जी सावधान !! आपने तो अभी तक रन बनाने शुरू ही नहीं किये हैं .... कहीं यही मनचले भक्त ये साबित ना करने में लग जाएँ कि आप "नादिर मेँहदी" हैं - और आपकी भी घर वापसी ......

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Sunday 22 March 2015

//// किसान भाइयों सावधान !! .... मोदी के 'मन की बात' जाए भाड़ में - अपनी 'आत्मा की आवाज़' पहले सुनियेगा ....////


अभी-अभी किसानों के नामे मोदी के 'मन की बात' सुनी ....

जैसी कि मैंने आशंका व्यक्त करी थी - मोदी जी ने अपने 'मन की बात' मनमाने ढंग से एकतरफा पेल दी .... और दे दिया "भूमि अधिग्रहण" बिल पर आधे घंटे से ज्यादा का शानदार सरकारी विज्ञापन .... एक शानदार भाषण .... एक शानदार 'ऑडियो प्रेजेंटेशन' .... पर शर्मनाक - एक शर्मनाक पैरवी उस बिल की जिसका पूरा देश विरोध कर रहा है !!!!

और हाँ - मुझे मोदी जी के मन में आज किसानों के प्रति संवेदना तो कतई नहीं दिखी - पर "PPP" की 'पीपनी' बजती जरूर दिखी - वही "PPP" जिसके माध्यम से उद्योगपति अपना धंधा करने की चाहत पाले हुए हैं !!!!

मोदी जी आपको और आपके चहेते उद्योगपतियों को धिक्कार है ....

और किसान भाइयों सावधान !!!! मुझे मोदी जी की आज की बात उनके चहेते उद्योगपतियों के मन की बात और उनकी तरफ से की गई पैरवी ही ज्यादा लगी ....
इसलिए मोदी के 'मन की बात' जाए भाड़ में - अपनी 'आत्मा की आवाज़' पहले सुनियेगा .... और उसे मुखर भी कीजियेगा !!!!
!!!! धन्यवाद !!!!

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// मोदी की मनमानी के पहले मेरे मन की बात ....////


बस कुछ ही देर में मोदी जी किसानों से मन की बात करने वाले हैं ....

और इसके पहले कि मोदी जी एकतरफा मनमानी करें .... मैं भी अपने मन की छोटी सी बात रखना चाहूँगा ....

बस मैं तो केवल इतनी आशा रखता हूँ कि आज मोदी जी "भूमि अधिग्रहण" बिल की वकालत इस माध्यम से ना करें ....

असमय वर्षा के कारण चौपट हो गई फसलों के कारण मोदी जी किसानों को सांत्वना दे सकते हैं - शायद देंगे भी - सांत्वना देने में जाता भी क्या है - इसलिए देनी भी चाहिए .... और हाँ शायद कुछ आश्वासन भी अपेक्षित हैं - पर इसके आगे किसान हित की कोई ठोस योजना की बात हो तो मज़ा आ जाए .... है ना !!!!
तो आइए टीवी पर आकाशवाणी का मज़ा लेते हैं ....
!!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Saturday 21 March 2015

//// अरे मेरे माटी के शेरों !! .... तुम भी तो बौखलाओ - तुम भी तो डरो ....////


सीमापार से आतंकवादी हमले और सीज़ फायर उल्लंघन होने के अजीब कारण बताए जाते रहे हैं .... अजीब भी गरीब भी घिसे भी पिटे भी और शर्मनाक भी और अमान्य भी .... मसलन - शांति वार्ता शुरू की गई थी इसलिए !! शांति वार्ता बंद करी थी इसलिए !! चुनाव थे इसलिए !! स्थिर सरकार आई है इसलिए !! पहले की सरकार कमज़ोर थी इसलिए !! ये सरकार मजबूत है इसलिए !! ये पाकिस्तान कि बौखलाहट का नतीजा है - दुश्मन अब डर गया है - आदि इत्यादि !!!!

अभी अभी कठुआ और सांबा के हमले में भाजपा और पीडीपी और सरकार के प्रवक्ताओं के द्वारा फिर से कहा जा रहा है कि - ये सीमा पार से आतंकवादियों की 'बौखलाहट' और 'डर' का ही परिणाम है ....
और पीडीपी तो यहाँ तक कह रही है की ये तो 'नॉन स्टेट एक्टर' का कुकृत्य है .... यानी इसमें पाक साफ़ पाकिस्तान का तो हाथ ही नहीं है - आदि !!!!

हमेशा की तरह मेरे सारगर्भित टुच्चे प्रश्न >>>>

>> क्या हमने कभी भी ना बौखलाने की कसम खाई है ?? .... आखिर हम भी अकारण ही बौखला क्यों नहीं सकते ??

>> क्या हमें भी डरने का नैसर्गिक अधिकार नहीं हैं ?? आखिर हम कब तक ५६ इंची छाती के साथ निडर बने रहेंगे ??

>> ये 'नॉन स्टेट एक्टर' की फिल्म इतनी कैसे चल जाती है - क्या हमारे पास कोई 'स्टेट एक्टर' नहीं जो धाँसू हीरो की एक्टिंग कर फिल्म को हिट कर सके .... या सभी 'स्टेट एक्टर' विलेन ही हैं जिन्हे देख अब उबकाई आने लगी है .... या फिर गुस्सा आता है ??

>> ये 'नॉन स्टेट एक्टर' आसमान से सीधे जम्मू में ही कैसे उतर जाते हैं ?? और पीडीपी तुरत फुरत इनकी पहचान कैसे कर लेती है ?? सूंघ कर ?? .... क्या जम्मू में नरक से कोई सीधा आसमानी रास्ता आता है ??

अब तो मित्रो सही बात ये है कि मुझे भी डर लग रहा है और मुझे बौखलाहट भी होने लगी है .... और इसलिए ही मैंने अपनी औकात अनुसार कुछ लिख मारा है - आशा है अब आप भी थोड़ा डरेंगे - क्योंकि "डर के आगे जीत है" .... !!!!

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// बलि कब तक ? .... बलिदान कब ??....////


कठुआ में फिर आतंकवादी हमला हो गया - ३ जवान शहीद हो गए .... बेचारा एक अभागा आम नागरिक भी बलि चढ़ गया ....

और अभी-अभी फिर समाचार आया है कि सांबा में भी सेना के कैंप पर आतंकवादी हमला हुआ है - फायरिंग और ऑपरेशन चालू है ....

मेरा मन एक बार फिर विचलित व्यथित हुआ - और इस बार ज्यादा क्योंकि जम्मू-कश्मीर में कुछ बदलाव का दावा किया गया था - वहां एक नायाब अनैतिक प्रयोग किया गया था - भाजपा और पीडीपी के द्वारा जनता के हित के नाम पर अपने अपने हित साधते हुए साझा सरकार बना सत्ता पर काबिज़ हुआ गया था !!!!

और जब से ये भाजपा और पीडीपी की सत्ता आई थी उसके तुरंत बाद ही जो घटनाक्रम हुआ और जारी रहा है वह किसी भी तरह से उस अनैतिक प्रयोग को सही नहीं ठहराता है !!!!

और आज जब ३ जवानों की शहादत हो गई - तब मन में कई प्रश्न खड़े हुए .... क्या ये वहशी करतूत उन्हीं अलगाववादी या आतंकवादियों के द्वारा नहीं की गई है जिसकी वकालत पीडीपी करती आई है ??

पीडीपी से तो कई प्रश्न उठते ही हैं - पर आज मैं मोदी जी से भी कुछ प्रश्न पूछना चाहता हूँ ....

मोदी जी आपने कालांतर में देश और जम्मू-कश्मीर के हित में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की बलि देने की बात कही थी .... और आज मैं आक्षेप लगाता हूँ कि आपने ३ और जवानों की बलि दी है ....

अतः आप ये बलि कब तक देते रहेंगे ??
मोदी जी आप बलिदान कब करेंगे ??
अपना बलिदान - टुच्ची सत्ता का बलिदान !!!!
और यदि बलि ही देनी है तो हर आतंकवादी और अलगाववादी समर्थक की बलि दे दें - बहुत बेहतर होगा !!!!

\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Friday 20 March 2015

//// बिहार नक़ल प्रकरण - शाही के टुच्चे बयान का असर .... नक़ल जारी है ....////


कल बिहार में बोर्ड परीक्षा में खुल्लमखुल्ला नक़ल के समाचार पूरे मीडिया में छाए रहे - और आज सभी अख़बारों की सुर्ख़ियों में भी रहे ....

अस्तु मुझे और शायद सभी को उम्मीद थी कि आज इस पर रोक लगेगी ....

पर आज सुबह से टीवी पर फिर वैसे ही नक़ल के सीन प्रसारित हुए हैं - और निश्चित ही नक़ल जारी है .... और नक़ल ना केवल जारी है - बल्कि आज तो हद्द हो गई - पुलिस बाहर पैसे लेते दिखी - और केंद्र के न केवल बाहर बल्कि अंदर भी अवांछित लोग स्वछंद घूमते दिखे .... बिना किसी खौफ या डर के !!!!

और डर हो भी क्यों जब स्वयं शिक्षा मंत्री पी.के. शाही ने ही टुच्चा सा बयान जो दिया था कि - "नक़ल को रोका नहीं जा सकता" .... और लल्लू लचर लाचार विपक्ष भी तो चुप ही रहा है - यानि पूर्ण मौन स्वीकृति !!!!

मित्रो मैं सोच रहा हूँ कि यदि बिहार के शिक्षा मंत्री ने वो टुच्चा बयान देने के बजाय यदि सामान्य झूठा बयान ही दिया होता तो शायद बेहतर होता .... कह भर देते .... मीडिया के आभारी हैं जो उन्होंने ये कड़वा सच दिखाया है - हम मामले को देख रहे हैं - कैमरे में जो भी दिखे हैं उन सब पर कार्यवाही होगी - किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा - सभी जिम्मेदार अधिकारियों और पुलिस को निलंबित कर दिया जाएगा - सभी परीक्षार्थियों के विरुद्ध भी विधि सम्मत कड़ी कार्यवाही होगी - किसी होनहार बच्चे के साथ खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा - आदि इत्यादि !!!!

यानि यदि टुच्चे ने टुच्चे बयान की बजाय झूठा 'शाही' बयान भर दे दिया होता तो शायद कुछ अच्छा ही होता .... और विपक्षी भी थोड़ा बहुत "गुर्रा" ही दिए होते तो शायद और बेहतर होता !!!!

वाकई शर्मनाक स्थिति है ऐसे टुच्चे नेताओं की - ये 'शाही' कहलाने के तो कत्तई भी हकदार नहीं हैं - इन्हें तो कोई 'पी के' जूते भी मारे तो कोई हरकत नहीं होनी चाहिए !!!! है ना !!!!
!!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Thursday 19 March 2015

//// शिक्षा मंत्री कहिन - नक़ल नहीं रोक सकते .... जूते पड़ेंगे तो कौन रोकेगा ??....////


बिहार में १० वीं बोर्ड की परीक्षा में होती खुल्लमखुल्ला नक़ल के नज़ारे टीवी पर देखे ....
परीक्षा केंद्र के बाहर के नज़ारों में दिखा कि एक ४ मंज़िला भवन में कई युवक जान हथेली पर रख छज्जों पर चढ़े हैं - और ऊपर छत से रस्सियाँ भी लटक रहीं हैं - और नक़ल की अनवरत सप्लाई खिड़कियों के मार्फ़त चालू है - शायद सीन देख फायर ब्रिगेड वाले भी भौंचक रह गए होंगे ....
और परीक्षा केंद्र के अंदर के नज़ारों को भी देखा - क्या शिक्षक क्या परीक्षार्थी और क्या बाहर से नक़ल की सप्लाई करने वाले - सब बेख़ौफ़ अनवरत नक़ल करते कराते साफ़ साफ़ दिखे ....

परीक्षा केंद्र पर जिम्मेदार और ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाले भी सब मौजूद दिखे पर वे भी नकल के ही सहभागी बने दिखे या फिर असहाय से या फिर कर्तव्यविमूढ़ !!!!

क्या कहेंगे ?? शर्मनाक ??

नहीं मित्रो यह शर्मनाक नहीं है - क्योंकि शर्मनाक तो वो है जो मैं आगे बता रहा हूँ ....

बिहार के शिक्षा मंत्री पी.के. शाही जनाब ने कहा है - नक़ल रोकना संभव नहीं - गोलियां नहीं चलवा सकते - नक़ल रोकना केवल सरकार का काम भी नहीं ....

तो मित्रो अब आप फैसला करें कि ज्यादा शर्मनाक नक़ल करने कराने वाले हैं या ऐसे नालायक शिक्षा मंत्री और उनके मातहत अन्य जिम्मेदार अधिकारी शिक्षक पुलिस प्रशासन आदि इत्यादि ????

और हाँ एक बात और जोड़ना चाहूँगा - नक़ल रोकना केवल सरकार का काम नहीं है .... सही मान लेते हैं .... पर ऐसे निकम्मे नालायक मंत्री को यदि जूते पड़ें तो उन जूतों को रोकने का काम कौन करता आया है या कौन करेगा ?? क्या मंत्री महोदय बताएँगे ये 'कानून-व्यवस्था' किस चिड़िया का नाम है ????
मित्रो उपरोक्त प्रश्नों पर भी मनन जरूर करियेगा !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Wednesday 18 March 2015

//// कालाधन ना आना था ना लाना था ना आया ना आएगा .... पर कालेधन पर बिल आ रहा है .... होशियार !! .... ////

कालाधन वापस लाने की बात तो जुमला ही थी और जुमला ही रह जाएगी ....

पर मित्रो अब खबर है कि - कालेधन पर नया कानून लाने की तैयारी है - कानून कड़ा है - इसमें जुर्माने और सजा दोनों का प्रावधान है - बिल को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है - और बिल इसी सत्र में लाया जाएगा ....

वाह क्या बात है !! मज़ा आ गया !! लगभग ९-१० महीने के बाद मोदी सरकार की तारीफ करने का मुझे शायद ये पहला मौका मिला है .... अस्तु बधाई और स्वागत !!!!

मुझे आज ये एहसास हो रहा है कि नेता भले ही कितनी भी बकवास पटक लें, अंततः जनता की आवाज़ दबाव बनाती है - और जिस तरह से जनता ने कालेधन पर आवाज़ बुलंद रखी शायद ये उसका ही असर हो !!!!

एक बात और जोड़ना चाहूंगा कि - बिल के जो प्रावधान बताए जा रहे हैं वो बहुत ही शानदार हैं - और ये कड़े प्रावधान कई उद्योगपतियों नेताओं उच्च नौकरशाहों और गलत धंधों में लिप्त लोगों को निश्चित ही विचलित और असहज करेंगे - और क्योंकि मेरा आंकलन है कि ये सरकार ऐसे कई लोगों से चुनावी चंदा और सहयोग लेकर ही तो सत्ता में आई थी - और तो और कई ऐसे गलत लोग स्वयं भी सत्ता में बने हुए हैं - अतः मैं भी थोड़ा सा आशंकित हूँ कि अंततः यह बिल '१० साल के सश्रम कारावास' और '३००% पेनल्टी' जैसे शानदार कड़े प्रावधानों के साथ ही पास होगा ???? .... मुझे आशंका यह भी है कि विपक्ष भी इसमें कुछ अड़ंगे लगाएगा - और इस बिल का हश्र भी वैसा ही हो सकता है जैसा कि - लोकपाल बिल या महिला आरक्षण बिल आदि का हो चुका है !!!!

अतः चौकन्ना हो 'आवाज़ का दबाव' बनाए रखना होगा !!!! होशियार !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Tuesday 17 March 2015

//// शरद यादव उत्कृष्ट सांसद ?? .. तो निकृष्ट सांसद का स्तर क्या ??....////

दक्षिण भारतीय महिलाओं पर सांसद शरद यादव द्वारा की गई अभद्र टिप्पणी की निंदा होनी थी और हुई है .... और जिस निर्लज्जता और हाव भाव के साथ संसद में वो टिप्पणियां की गई थीं उसके लिए शरद यादव की भर्त्सना होनी चाहिए थी और हुई है !!!!

पर संसद में जब दूसरे दिन भी शरद यादव के द्वारा बिना खेद माफ़ी और लाज के उल्टे ऊटपटांग बातें ही कहीं गई और स्मृति ईरानी के विरुद्ध भी आपत्तिजनक टिप्पणी की गई तो शरद यादव के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही होनी ही चाहिए थी जो नहीं हुई है .... और तो और संसद के बाहर भी शरद यादव द्वारा जिस प्रकार की बकवास पटकी गई उसके लिए तो उनको सबक सिखाया ही जाना था जो अभी तक नहीं सिखाया गया है !!!!

और पूरे घटनाक्रम के बाद एक और महत्वपूर्ण बात हुई है कि  - इस बहाने इस विषय वस्तु के ही परिप्रेक्ष्य में शरद यादव के द्वारा पूर्व में भी की गई बकवास का पुनरावलोकन टीवी पर देखने को मिला - और साथ ही शरद यादव को अपनी भोंडी निर्लज्ज सफाई देते भी सुनने को मिला - जिसमें इस 'वल्गर' नेता को टीवी एंकर राहुल कँवल को ही उल्टे 'वल्गर' कहते तक सुना ....

और मन में कई प्रश्न उठे - कि जब यही शरद यादव ने पूर्व में भी ऐसी ही और इससे भी ज्यादा बकवास पटकी हुई थी तो इन्हें "उत्कृष्ट सांसद" का पुरूस्कार कैसे और क्यों मिला ?? .... और यदि शरद यादव जैसे वाहियात सांसद को उत्कृष्ट माना गया है तो फिर निकृष्ट सांसद का स्तर क्या होगा ??

प्रश्न के उत्तर में तो अभी यही कहा जा सकता है कि - सांसदों का स्तर वाकई बहुत गिर चुका है .... और जब तक एक वाहियात सांसद के विरुद्ध कार्यवाही नहीं होती है तब तक इस निम्नस्तर में किसी भी प्रकार का सुधार अपेक्षित नहीं है !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Monday 16 March 2015

//// आरएसएस ने मंदिर मुद्दा छोड़ा नहीं है .... तो जनता ने छेड़ा भी कहाँ है ??....////


आरएसएस के भैय्याजी जोशी ने कहा है कि - "अयोध्या में भव्य मंदिर बनाने के लिए इस समय आंदोलन नहीं करेंगे| लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसने यह मुद्दा छोड़ दिया है|" ....

बधाई !!!! .... क्योंकि अभी तो केंद्र में मोदी सरकार है जिसे हिंदूवादी घर-वापसी लव-जेहाद ४-५ बच्चे और तथाकथित बातें साम्प्रदायिक लगती हैं - और मोदी एक लौह पुरुष के रूप में उभरे हैं जो ऐसी बातों को बर्दाश्त नहीं करेंगे - और यदि आंदोलन हुआ तो वे ऐसे आंदोलन को कुचल देंगे जो "विकास" में बाधक होता हो - और फिर उस कसम "सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे" का क्या होगा ?!@#$%?

और इसके इतर .... यदि आरएसएस ने ये मंदिर मुद्दा अभी छोड़ा नहीं है - तो अभी जनता ने भी ये मुद्दा छेड़ा ही कहाँ है - अब जिस दिन ये मुद्दा छेड़ा जाता है शायद उस दिन ये मुद्दा छोड़ना भी पड़ सकता है !!!! है ना !!!!

पर निश्चिन्त रहें - मोदी सरकार के रहते इस मुद्दे पर कुछ नहीं होगा - आशा है बेचारे बावले भक्त भी पहली बार मुझसे पूर्णतः सहमत होंगे - प्रत्याशा में धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// सुब्रह्मण्यम स्वामी सिर्फ बकवास करने के लिए बनाए गए मनुष्य हैं....////


सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कह दिया - "मस्जिद और चर्च सिर्फ पूजा करने के लिए बनाई गई इमारते हैं| उन्हें गिराने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए|"

इस पर भाजपा की तरफ से केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा - "यह पार्टी का मत नहीं है| स्वामी ने यदि ऐसा कहा है तो वह निजी हैसियत से कहा होगा|"

इस पर मेरा सारगर्भित संक्षिप्त वक्तव्य ....

"सुब्रह्मण्यम स्वामी सिर्फ बकवास करने के लिए बनाए गए मनुष्य हैं| उन्हें पीटने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए|"
और हाँ !! यह भाजपा का मत नहीं है यह तो मैं निजी हैसियत से कह रहा हूँ|

मित्रो आपका निजी मत क्या कहता है - पीट ही दिया जाए ना !!!! कोई समस्या ????
!!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Sunday 15 March 2015

//// "मोदी इफ़ेक्ट" >> "मोदी फैक्ट" >> "मोदी इन्फ़ेक्शन" .... ////


अभी-अभी सूट वाले भैय्या के द्वारा एक बार फिर ५६ इंची बयान देने की खबर सामने आई है !!!!

मोदी जी ने कहा है .... लोकसभा में राष्ट्रीय जीत का श्रेय "मोदी इफ़ेक्ट" को है - और केजरीवाल एक शहर के नेता हैं ....

सही कहा - एक शहरी नेता से हार गए एक राष्ट्रीय नेता .... और राष्ट्र के सारे नेता जो दिल्ली शहर में पिले पसरे पड़े थे .... क्या कारण हो सकता है ??  आखिर "मोदी इफ़ेक्ट" दिल्ली शहर में काम क्यों नहीं किया ??

मित्रो मैं बताता हूँ .... शायद इसलिए कि पूरे राष्ट्र में "मोदी इफ़ेक्ट" के बाद दिल्ली शहर में "मोदी फैक्ट" का पता चल गया था - और "मोदी इन्फ़ेक्शन" नाम की बीमारी का भी !!!!

और यक़ीनन अब "मोदी इन्फ़ेक्शन" की बीमारी और बढ़कर "नरेंद्र दामोदरदास मोदी इन्फ़ेक्शन" का विकट विकराल रूप ले चुकी है ....

और लगता है इसे "केजरीवाल इफ़ेक्ट" नामक "मेड इन दिल्ली" टीका ही ठीक करेगा .... इस टीके का प्रयोग सफल रहा है और ये टीका अभी दिल्ली शहर में और विकसित हो रहा है .... है ना !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Saturday 14 March 2015

//// "स्टिंग" से शर्मिंदा हुआ मीडिया - आज "जासूसी" में डूब गया ....////


३-४ दिन "स्टिंग-स्टिंग" छाया रहा - खूब मनोरंजन हुआ .... पर अंततः स्टिंग वाले भैय्या पेन ड्राइव सहित गायब हो गए - कीचड-कीचड करने वाले भी तौबा कर गए - और टीवी पर चिल्लाने वालों का तो गला ही बैठ गया .... और जब उल्टे स्टंग हुए भैय्या की ना केवल खांसी ठीक हो गई बल्कि वो तो गाना गाते दिखे - स्वस्थ और प्रसन्न भी .... तो सब पस्त हो गए .... शायद थोड़े शर्मिंदा भी !!!!

और शायद इसलिए आज "स्टिंग" पर सब मौन रहे ....

पर अब टीवी वालों को कुछ तो चलाना था .... सूट वाले भैय्या की विदेश भ्रमण और भाषण की घिसी पिटी रील भी कितनी खींचते - क्या बताते बचपन से रावण के मुरीद थे ?? .... मैच भी जिम्बाब्वे से - बिल्कुल नीरस ....

सो आज एक नई चीज़ चलाई गई - और फिर खींची गई .... "जासूसी" !?!?

पर यार हद्द हो गई - जासूसी भी किस की ?? जो आत्मचिंतन हेतु ज्ञात रूप से अज्ञातवास में है - और इतने दिन से उसके बारे में कोई "स्टिंग" तक नहीं हो पाया .... तो भाई लोगों ने जो पता था वही पता कर मारा - जैसे कि नाम पता ऊंचाई वजन आदि .... और हाँ - "आँखों का रंग" - हाय !!!! कुर्बान जावां !!!!
या मर जावां !!!! या डूब नहीं मरो ????
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Friday 13 March 2015

//// लखवी और मसरत में तो अंतर है भाई ....////


क्यों भाई - लखवी को कैसे छोड़ दिया ? .... ऐसी ज़ुर्रत ? .... होश में रहना - अकल ठिकाने लगा देंगे .... याद है ट्रिगर पर ऊँगली चलती है .... ठाँय . ठाँय . ठाँय !!!!

पर भाई ये मसरत का क्या मामला है - उसे क्यों छोड़ दिया ? .... चुप ! फालतू की बात नहीं - फालतू की तुलना मत करना - वो तो हमारा आतंरिक मामला है - हमारी मजबूरी वाली गलती है !!!!

समझे ? चलो अब चुप रहना - बहुत हो गई .... बोलो ! वन्दे मातरम् !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// "स्टिंग" कहीं और हुआ है - और "डंक" की चुभन कहीं और ही हो रही है ....////


पहले आपसी फूट - और फिर "स्टिंग" .... आजकल 'आप' पार्टी को लेकर मीडिया में चर्चा चरम पर है - टीवी पर भी यही मुद्दा पहले नंबर पर बना हुआ है - सोशल मीडिया और जनता में भी बहुत चर्चा है ....

पर इस बीच मैंने एक विचित्र बात नोट करी है - और बात बड़ी मज़ेदार भी है ....

"स्टिंग" को लेकर 'आपियन्स' बहुत उद्वेलित हैं .... टीवी चैनल्स पर एंकर बहुत बतिया रहे हैं और बहुत मज़े ले रहे हैं - ना ना प्रकार के आरोप और प्रश्न छोड़े जा रहे हैं - चटखारे भी लिए जा रहे हैं .... स्टिंग करने कराने वाले भी टीवी पर छाए हुए हैं - कभी कुछ बोलते हैं कभी कुछ .... 'आप' पार्टी की तरफ से भी अनेक नेता टीवी पर आ कर बयान दे रहे हैं - कभी चिंतित और दुखी दिखते हैं तो कभी निश्चिन्त और प्रसन्न - "स्टिंग" को लेकर कभी प्रतिकार करते हैं तो कभी असहज हो जाते हैं ....

पर जनाब इस सबके बीच ये भाजपाई और कोंग्रेसी कहीं भी मुख्य विपक्षी रोल निभाते नज़र नहीं आए .... किसी ने केजरीवाल का इस्तीफ़ा नहीं माँगा - किसी ने मोर्चा नहीं निकाला - किसी ने चिल्लाचोट नहीं मचाई - कोई नारेबाजी तक नहीं - कोई कटु शब्दों का प्रयोग नहीं .... ये सब तो टीवी पर ऐसे आ कर ऐसी शालीनता से अपनी बात रख रहे हैं जैसे खूंसट सास ससुर के सामने घूंघट ओढ़े बहू बड़े धीरे से बोलती है - जैसे कि .... ये "स्टिंग" केजरीवाल जी ने ही सुझाया था दूसरों को फ़साने के लिए पर बेचारे खुद ही फंस गए - ये 'आप' पार्टी कोई नायाब पार्टी नहीं है बल्कि ये भी हमारे जैसी ही है - शुचिता के तो बस दावे ही दावे हैं - अब इन्हें राजनीति क्या होती है समझ आ रही होगी - नए हैं समझ जाएंगे - आदि इत्यादि !!!!

और ऐसा इसलिए कि ये भाजपाई और कोंग्रेसी वाकई में बहुत शाने हैं .... इन्हें मालूम है कि जिन बातों को लेकर भोली भाली जनता और 'आप' के कार्यकर्त्ता इतने उद्वेलित हो रहे हैं वो सभी बातें खोखली हैं - और शायद जो स्टिंग अभी सामने आये हैं उससे भी १०० गुना स्टिंग इन शाने नेताओं के भी निकट भविष्य में ही सामने आ सकते हैं - और इसलिए जब ऐसा होगा तो बेचारे ये स्वयं क्या करेंगे ????

इसलिए - अब शांति शांत हैं - योगेन्द्र भूषण बिन्नी होते दिख रहे हैं - इल्मी फ़िल्मी हो गए हैं - कई किरण हो गए हैं - विश्वास तो विश्वास में हैं पर कुछ परेशान हैं - कुछ परेशान कर रहे हैं - कुछ रो भी रहे हैं - पर ज्यादा रुला भी रहे हैं - कुछ निकल गए हैं कुछ निकाले गए हैं कुछ निकाले जाएंगे .... कुछ स्टिंग बताने में व्यस्त हैं - कुछ केजरीवाल की आवाज़ को सुन सुन कर उन्हें याद कर रहे हैं - उनके वचनो को सैंकड़ों बार सुन रहे हैं - कुछ अपना खून जला रहे हैं - अस्वस्थ हो रहे हैं .....

पर उधर केजरीवाल स्वास्थ्य लाभ ले रहे है - मस्त हैं - मजे में हैं - मजे ले रहे हैं ....

और उधर भाजपाई कोंग्रेसी चिंतित मायूस और परेशान हैं .... दड़बे में छुपे हैं .... मुझे साफ़ इंगित हो रहा है कि - "स्टिंग" कहीं और हुआ है - और "डंक" की चुभन कहीं और ही हो रही है ....

और मैं प्रसन्न चित्त बेफिक्र लिख रहा हूँ - और लिखता रहूंगा .... राजनीति करवट ले रही है - व्यवस्थाएं बदल रहीं हैं - "स्टिंग" का चलन छा रहा है .... दिल्ली सरकार अपना काम कर रही है - और केजरीवाल पूर्ण आराम लेते हुए भी अपने पथ पर अडिग चलते दिख रहे हैं .... वाह क्या बात है !!!!
!!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Thursday 12 March 2015

//// वो सत्ता का भूखा या भुख्खड़ ? .... तो क्या इनके लिए सत्ता एनीमा ??....////


अब कुछ भूखे रह गए अस्वस्थ कब्ज़ी लोग बकवास कर रहे हैं कि अरविन्द केजरीवाल सत्ता का भूखा है ....

उन कब्ज़ी लोगों से मैं कहना चाहता हूँ कि केजरीवाल सत्ता का भूखा नहीं वो तो भुख्खड़ है - तभी तो ७० में से एक के लिए तो कुछ भी नहीं छोड़ा - और दूसरे के लिय ३ टुकड़े फेंक कर बाक़ी सब खुद डकार गया - भुख्खड़ कहीं का !!!! नहीं क्या ??

पर मित्रो मुझे माफ़ करें !!!!  ऐसे कब्ज़ी लोगों के लिए जो अरविन्द केजरीवाल को सत्ता का भूखा बता रहे हैं मेरा एक स्वाभाविक सा सरल सा प्रश्न भी है कि - क्या वे स्वयं सत्ता के भूखे नहीं तो क्या वे सत्ता के त्यागी हैं या वे सत्ता का एनीमा लगाते हैं ????
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Wednesday 11 March 2015

//// अरविन्द केजरीवाल की हिम्मत और राजनीतिक कौशल्य एवं चातुर्य को मेरा सलाम ....////


अब एक CD भी आ गई है - आरोप भी लग गए हैं - कि अरविन्द केजरीवाल ने कांग्रेस का साथ लेकर या कांग्रेस के ६ विधायकों का साथ लेकर दिल्ली में पुनः सरकार बनाने की कोशिश की थी - या शायद जोड़ तोड़ की बात भी की थी !!!! और ये वही कांग्रेस है जो सौ साल से ज्यादा पुरानी है - और ऐसा भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए किया गया था - वो भाजपा जो जोड़-तोड़ में कांग्रेस से भी आगे निकल चुकी है !!!!

अगर ये आरोप सही हैं तो मैं कहूँगा ....
मान गए केजरीवाल जी आपकी हिम्मत और राजनीतिक कौशल्य एवं चातुर्य को ....
आप बहुत सही जा रहे हैं - मैं तो कल तक आप की तारीफ करता था आपका समर्थन करता था - अब तो मैं आपका कायल हो गया हूँ ....
आपने सही ही कहा था कि आप इन सबको राजनीति करना सिखा देंगे - और शायद आपने ये कर दिखाया - राजनीतिक जोड़-तोड़ के माहिर और उसमें पीएचडी प्राप्त दिग्गज प्रोफेसरों को स्कूल छात्र साबित करते हुए - और उन्हें उनकी भाषा में जवाब देते हुए - और कुछ भी अनैतिक ना करते हुए - जोड़ तोड़ की मात्र बात करते हुए - अपनी चालें बहुत ही चतुरता से चलते हुए - और अपनी ही पार्टी के सभी दिग्गजों के आपके विरोध में रहते हुए भी - उन सभी को गजब 'स्टाइल' में बेअसर करते हुए और उन्हें नाकाम करते हुए - और हाँ फक्कड़ होते हुए भी - जो सफलता आपने हासिल की है वह सचमुच अभूतपूर्व है - अकल्पनीय है - काबिले तारीफ है !!!!

मुझे अब पूरा भरोसा हो गया है कि आज की राजनीति में तो बस आप ही हैं जो कांग्रेस और भाजपा जैसी भ्रष्ट पार्टियों और एक से एक भ्रष्ट गंदे लोगों से लोहा लेते हुए इस देश का भला कर सकने का सामर्थ्य रखते हैं .... बस आवश्यकता ये है कि कभी भी ज्यादा भावुक नहीं हों और अपने मकसद से बिलकुल नहीं भटकें .... विरोधियों द्वारा और उनके द्वारा प्रायोजित निंदा एवं और तो और आपके समर्थकों द्वारा भी यदाकदा की गई तात्कालिक निंदा को दिल से कभी नहीं लीजिएगा - हाँ दिमाग से उसपर ईमानदारी से मनन जरूर करते रहिएगा .... और यदि आपको कभी भी अपनी गलती का एहसास हो तो उस में सुधार भी जरूर करिएगा !!!!

मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो आपको और हिम्मत दे - राजनीतिक चातुर्य दे - और एक दिन आप इस देश की बागडोर अपने हाथों में ले हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलवाएं ....
अनेक शुभकामनाओं के साथ ....
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// कोयला घोटाला .... कालिख कई जगह चिपकी है .... गुनाह आज भी जारी हैं .... सावधान !!....////


और अंततः कोयला घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को न्यायलय द्वारा बतौर आरोपी समन जारी हुआ है ....

दिन-ब-दिन यह सत्य पुष्ट होता चला गया है कि कोयला खदान आवंटन में वृहद घोटाला हुआ था - और यह कोयला घोटाला इतना व्यापक था कि इसमें सभी पार्टियां और प्रभावी नेता और उद्योगपति और बड़े छोटे कई अफसर शामिल थे - पाए गए थे - और आरोपित हुए थे / हैं - और आगे भी और चेहरे निश्चित ही सामने आएँगे .... क्योंकि कालिख तो कई जगह चिपकी हुई है !!!! है ना !!!!

इस विषयक ये भी कहना चाहूँगा कि यदि ये घोटाला आज उजागर होता चला गया है तो इसका श्रेय न्यायालय मीडिया और 'योग संयोग' को ही जाता है .... परन्तु किसी भी नेता को या किसी पार्टी को इसका श्रेय नहीं दिया जा सकता .... बल्कि इसके उलट इस स्पष्ट विदित घोटाले में अब तक हुए विलम्ब का अपश्रेय जरूर इस घोटाले में लिप्त या सम्बद्ध कुछ नेताओं और पार्टियों को ही जाता है !!!!

मित्रो इस विषयक मैं थोड़ा सा इतर आज यह भी कहना चाहूँगा कि कांग्रेस सरकार के हारने का कारण यह था कि भ्रष्टाचार हुआ था - और वह उजागर भी हो चला था - और जनता की समझ में भी आ गया था .... और कांग्रेस के हारने का कारण ही भाजपा के जीतने का कारण हो गया था .... और उसमें मोदी जी के भाषणों की शैली और उनकी वाकपटुता के कारण जनता का जो विश्वास मोदी जी में स्थापित हुआ था वह ही अंततः प्रचंड जीत का कारण बना था .... अस्तु भजपा की मोदी सरकार का जीतने का कारण भाजपा या मोदी का कोई सद्कर्म कदापि नहीं था ....

और इसलिए अब जबकि मोदी सरकार अपने वायदे पर खरी नहीं उत्तर पाई है - मोदी जी की शैली अप्रभावी हो चली है - और मोदी सरकार द्वारा अभी तक ना तो पूर्व भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में प्रभावी कार्यवाही की गई है - ना ही होती दिख रही है - ना ही किसी को जेल भेजा गया है - ना ही भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ही कोई कार्यवाही की गई है - इसलिए मुझे लगता है मोदी सरकार की भी उलटी गिनती चालू है !!!!

विदित हो कि घोटाले तो इस देश में अनवरत होते ही रहे हैं - घोटालों में लोग आरोपित भी होते रहे हैं - और फंसते भी रहे हैं - परन्तु बचते भी तो रहे हैं !! .... पर अब शायद जनता में भी जागरूकता आने के कारण और मीडिया के प्रभावी होने के कारण घोटालों में लोगों का फंस कर फंसते ही चले जाना भी शुरू हुआ है और सजा होना भी शुरू हुआ है .... इसलिए आज जो कुछ हुआ है ये बहुत ही शुभ संकेत हैं - और इसका स्वागत ही होना चाहिए !! आशा है यही कालिख अब चादर को श्वेत रखने में भी मदद करेगी !!!!

लेकिन अंत में इस विषयक मेरे दिल दिमाग की बात भी स्पष्ट कर दूँ कि -  मेरी निजी राय में मनमोहनसिंह गुनहगार तो हैं पर शायद उनके द्वारा किया गया भ्रष्टाचार निजी ना होकर उनकी पार्टी या आकाओं के पक्ष में उनके आकाओं के इशारों या निर्देशों पर ही किया गया होगा ....
और निश्चित ही ऐसे ही गुनाह आज भी जारी हैं .... गुनहगारों की चालाकियां भी और बढ़ गई हैं - और उद्योगपतियों की लिप्तता भी अधिक ही दिख पड़ रही है .... 'खदान आवंटन' और 'भूमि अधिग्रहण' में भिन्नता भी कहाँ अधिक है ??
अतः अब तो हमको और भी सावधान होने और रहने की आवश्यकता है !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Tuesday 10 March 2015

//// आर-पार दर्शित होने पर "पारदर्शिता" ??....////


आप पार्टी में अब सही गलत खुलासे हो रहे हैं - किए या करवाए भी जा रहे हैं ....
और तथाकथित खुलासों के बाद योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण द्वारा पारदर्शिता की दुहाई दी गई है - सच्चाई की जीत की बात कही गई है - और पार्टी नहीं छोड़ने की बात कही गई है - और शाम तक अपना पक्ष सार्वजनिक करने की बात कही गई है - आदि इत्यादि !!!!

ऐसे भारी भरकम वक्तव्यों के बीच - मेरी विवेचना ....

लगता है योगेन्द्र यादव और प्रशांत-शांति भूषण को "आर-पार दर्शित" होने के उपरांत अब बड़ी ही देरी से और सुविधानुसार "पारदर्शिता" की बात याद आई है ....
और मैं प्रश्न करता हूँ कि जब इन महानुभावों को समझ आ ही गया था / है कि "आप पार्टी" या अरविन्द केजरीवाल ऐसे नहीं निकले जैसा की अपेक्षित था या पूर्व से उद्घोषित था - तो वो अब तक इस पार्टी में ऐसे गलत व्यक्ति का साथ देकर और यहाँ तक की उसकी तारीफ़ करते हुए अपना समय क्यूँ बर्बाद करते रहे ????
और यदि उन्होंने अभी तक पार्टी स्वयं छोड़ी नहीं है तो क्या अभी तक उन्हें पारदर्शिता के साथ खुल्लमखुल्ला बगावत नहीं कर देनी चाहिए थी ????

मित्रो मैं साफ़ देख पाता हूँ कि "पारदर्शिता" के नाम पर "ब्लैकमेल" जैसा कुछ करने का प्रयास किया जा रहा है - और इस संबंध में मैं अरविन्द केजरीवाल को सुझाव देना चाहता हूँ और उनसे अपेक्षा रखता हूँ कि - यदि अरविन्द केजरीवाल स्वयं ने कोई गलती नहीं की है तो "पारदर्शिता" की परवाह किये बगैर अपनी दक्षता और सक्षमता के साथ प्रकरण में ठोस निर्णायक कार्यवाही करने से नहीं हिचकें .... और मुझे पूरा भरोसा है कि वे ऐसा ही कुछ करेंगे !!!!

स्पष्ट कर दूँ कि राजनीति में और यहाँ तक कि व्यक्तिगत जीवन में भी कभी कोई १००% पारदर्शिता ना तो अपना सकता है और ना ही अपनाना चाहिए - और जो व्यक्ति मेरी बात से सहमत ना हों वो स्वयं के जीवन में पारदर्शिता का स्तर सबसे पहले टटोल कर देखेंगे तो सब समझ आ जाएगा !!!!

और हाँ जिनको मेरी बात सही नहीं लगी हो उनसे यह भी अनुरोध है कि सबसे पहले तो उन्हें ये कामना और प्रयास करना चाहिए कि या तो योगेन्द्र-प्रशांत-शांति पार्टी से पृथक हों या अरविन्द केजरीवाल .... शायद अब दोनों पक्षों का साथ रहना किसी डॉक्टरी नुस्खे के परिपालन में आवश्यक कदापि नहीं है ....
और मैं समझता हूँ कि यदि योगेन्द्र-प्रशांत-शांति भी अपनी जगह अपने को सही मानते हैं तो उन्हें भी तत्काल 'आप' पार्टी छोड़ 'आप' से बढ़िया पार्टी बना कर अपनी बात साबित करनी चाहिए - एक अच्छी पार्टी से दो अच्छी पार्टियां देश समाज का भला ही करेंगी !!!!

और मित्रो मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि हताशा का तो कोई कारण ही नहीं है - हताशा तो तब होती जब दिल्ली में मोदी-शाह-बेदी-भूषण जीत जाते - ऐसे प्रकरणों से तो पार्टी की और भलाई ही होनी है .... कभी किसी एक-आध व्यक्ति के विरोध से या विलुप्त होने से कभी किसी जीवंत संस्था का काम रुकता नहीं है - बल्कि और उत्कृष्ट होता चलता है .... पर याद रखें संस्था को खड़ा करने में किसी व्यक्ति विशेष का हाथ होना अपरिहार्य है - संस्थाएं हवा में स्वतः खड़ी नहीं होतीं - और केवल अच्छे व्यक्ति ही अच्छी संस्थाओं का सृजन कर पाते हैं - 'लल्लू-लचर-लाचार' नहीं !!!!
!!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Monday 9 March 2015

//// बलि का श्यामा ....////


आज मोदी जी ने लोकसभा में मसरत आलम के जेल से छोड़ने पर उपजे विवाद के संबंध में दिए बयान में कहा कि .... " हम इन विषयों में वो लोग है, जिन्‍होंने इन्‍हीं आदर्शों के लिए श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी को बलि दिया है। और इसलिए कृपा करके हमें देशभक्ति मत सिखाएं। " ....

एक बालक ने सुन मुझ से पूछा कि यह "बलि" तो पुराने जमाने की चीज़ हो गई ना - जब किसी पशु को किसी देवता को प्रसन्न करने या अन्य किसी कुप्रथा हेतु मार दिया जाता था - और जैसे कि ईद के मौके पर बकरे की बलि दी जाती है - और उस बकरे को कहते हैं - //बलि का बकरा// .... है ना ????

मैंने कहा सत्य वचन ....

तो बालक ने पूछा फिर मोदी जी के कहने का क्या मतलब हुआ ????
मैंने कहा .... वो मतलब की बात करते ही कहाँ हैं - पर हाँ जो कहा उसका मतलब तो ये ही निकलता है - //बलि का श्यामा// ....!!!!

और बालक बोला - छिः ये कैसे घिनौने लोग हैं - अनपढ़ अज्ञानी भी - क्या कहना चाहते हैं और क्या अनर्थ कह जाते हैं ????
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// ये दोनों 'लल्लू लचर लाचार' तो नहीं ?? .... अब आगे क्या ??....////


जम्मू कश्मीर में मसरत आलम की रिहाई के मुद्दे पर पूरे देश में आक्रोश व्याप्त हो चुका है और बहस अपने चरम पर है .... और भक्तों ने मुफ़्ती के विरुद्ध देशभक्ति से ओत प्रोत कवितायें तक लिख मारी हैं और थोक में कॉपी पेस्ट जारी है ....

और ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी जी ने लोकसभा में अभी एक बयान दे मारा है कि .... जम्मू कश्मीर की सरकार ने जो कुछ किया - ना ही हमसे पूछ कर किया - और ना ही हमें इसकी कोई जानकारी दी ....
यानि मोदी जी ने एक प्रकार से स्वीकार किया कि उनकी सरकार और उनकी पार्टी और वे स्वयं इस प्रकरण में 'लल्लू लचर लाचार' रहे हैं .... बेचारे !!!! .... ????

पर साथ ही मोदी जी जिस दमखम के साथ ये बोले कि हमें कोई देशभक्ति का पाठ ना सिखाये - मैं आशा करता हूँ कि वे आगे कोई ठोस कार्यवाही जरूर करते दिखेंगे .... जैसे कि पीडीपी की निंदा आदि ....
और यदि कार्यवाही बहुत ही ठोस हुई तो हो सकता है कि पीडीपी को चेतावनी भी जारी कर दी जाए .... आखिर मोदी जी भी बहुत आक्रोश में जो हैं !!!!

और भाजपा द्वारा ये निर्णय भी कर ही लिया जाए कि .... पीडीपी को काबू में रखने और उसे सुधारने के मकसद से और जम्मू कश्मीर की जनता की भलाई के मद्देनज़र वे अभी सरकार से बाहर नहीं आएँगे .... बिलकुल वैसे ही जैसे कि योगेन्द्र यादव ने निर्णय किया है कि अरविन्द केजरीवाल को सुधारने के मकसद से और 'आप' पार्टी के अनेक कार्यकर्ताओं की भलाई के मद्देनज़र वे अभी पार्टी से बाहर नहीं आएंगे .... है ना !!!!

हा ! हा !! हा !!! ..क्या समानता है - योगेन्द्र यादव और मोदी में - 'लल्लू लचर लाचार' ???? - नहीं मित्रो बात तो कुछ और ही है - और कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है .... आगे आगे देखिये होता है क्या .... !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Sunday 8 March 2015

//// मसरत आलम को क्यों छोड़ा ?? .... प्रश्न के एवज़ में और प्रश्न भी तो हैं ....////


प्रश्न पूछा जा रहा है - मसरत आलम को क्यों छोड़ दिया गया ??
इस वाजिब प्रश्न पर मेरी विवेचना ....

क्या मसरत आलम को छोड़ना या ना छोड़ने का विषय "कानून" की परिधि में आता है ?? यदि नहीं तो क्या कानून को बदलने की आवश्यकता तो नहीं ?? और यदि हाँ तो बहस में इस बात का उल्लेख क्यों नहीं आ रहा है कि कानून की किस धारा का उल्लंघन हुआ है - और यह घोर अपराध किसने किया है ??

जितनी बहस मैनें सुनी है उससे मुझे यह ही पता लगा है कि - मसरत आलम एक अलगाववादी व्यक्ति है जो शायद देश विरोधी गलत सलत और भड़काऊ बयान देते रहा है - और जिस पर हिंसा के रूप में पथ्थरबाज़ी का आरोप है - और पत्थरबाजी भी ऐसी कि जिसमें कई निर्दोष मौत के घाट उतरे - पर शायद उसके विरुद्ध आज तक कोई ऍफ़.आई.आर दर्ज नहीं है - वो किसी न्यायलय द्वारा सज़ायाफ्ता नहीं है - और फिर भी वो पिछले ४-५ साल से जेल में बंद था ....

मित्रो मेरा तो सर चकरा गया जब उपरोक्त बातों पर विचार किया -  और मैं सोचता हूँ कि क्या हमारी सरकारें इतनी नकारा या कमज़ोर हैं / थीं कि एक देश विरोधी मुजरिम को मुकम्मल सजा नहीं दे पाईं / पा रही हैं - या इतनी अराजक और ताकतवर हैं / थीं कि किसी को मात्र आरोपों या मान्यता के आधार पर ५ साल जेल में बंद रख सकीं ??

और क्या जम्मू-कश्मीर में यदि मसरत आलम को छोड़ने का अपराध हुआ है तो क्या इसके लिए वहां की सरकार दोषी है या पीडीपी पार्टी ???? और इस अपराध की जवाबदेही किसकी और किसे इसकी सजा मिलेगी ????
और क्या जम्मू कश्मीर में यदि कुछ अच्छा होता है तो क्या इसका श्रेय केवल पीडीपी पार्टी को - बीजेपी को नहीं जाएगा ????

और प्रश्न ये भी कि .... मसरत आलम तो छोड़ दिया गया - पर प्रवीण तोगड़िया योगी आदित्यनाथ साक्षी महाराज जैसे बड़बोलों को अभी तक पकड़ा क्यों नहीं गया ????

अभी बहुत मंथन की आवश्यकता है .... और दिन-ब-दिन मोदी सरकार के लिए प्रश्नों की फेहरिस्त लम्बी ही होती जा रही है ....
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// मैं स्वविवेक से लिखना चाहता हूँ - तो केजरीवाल को स्वविवेक से कार्य करने की छूट क्यों ना हो ....////


मुझे "नरेंद्र दामोदरदास मोदी" - वही सूट वाले भैय्या - बिलकुल भी पसंद नहीं हैं .... उनके दंभ के कारण - उनके हल्के राजनीतिक बयानों के कारण - उनके फेंकने के कारण - और उनके सांप्रदायिक सोच और "आरएसएस वाली हिंदुत्व" की विचारधारा के कारण .... और भले ही मोदी धर्मनिरपेक्षता की लाख बातें करते हों - पर मुझे उन पर विश्वास नहीं होता ....
और इसलिए मैं उनके विरोध में लिखता रहा हूँ ....

और इसलिए मेरे कई मोदी समर्थक मित्र मुझसे हमेशा ये कहते रहे हैं कि - मैं लिखता तो अच्छा हूँ और मुझे लिखते ही रहना चाहिए - पर मुझे मोदी के खिलाफ नहीं मोदी के पक्ष में लिखना चाहिए .... मुझे उनकी सुझाई लाइन पर लिखना चाहिए - मुझे उनके चाहे विषय पर भी लिखना चाहिए ....
और कई बार बहस में मैं उनसे यही कहता हूँ कि भाई !! चाहो तो मुझे पढ़ना बंद कर दो - या आप स्वयं अपनी लाइन और विषय पर मोदी के पक्ष में लिखो .... पर उनकी सुई अटकी रहती है कि - नहीं आप ही लिखो और लिखते रहो पर हमारे हिसाब से मोदी के पक्ष में ही लिखो !!!!

और मित्रों मैं ऐसा ही एक और नज़ारा "आप" की ताज़ा राजनीति में देख रहा हूँ ....

योगेन्द्र यादव एंड कंपनी ये ही तो कह रहे हैं कि - अरविन्द केजरीवाल बहुत अच्छा काम कर रहे है - और उन्हें अच्छा काम करते रहना जारी रखना ही चाहिए और रखना ही होगा - पर वे अपेक्षा कर रहे हैं कि अरविन्द केजरीवाल उनकी इच्छा अनुसार अच्छा कार्य करें जो उन्हें सुहाता हो .... और यदि योगेन्द्र यादव एंड कंपनी से ये अपेक्षा हो कि फिर वो ही अपने विवेक ईमान हैसियत और इच्छानुसार ही स्वतंत्र रूप से अच्छे कार्य क्यूँ नहीं करते - तो शायद वो भी यही कह रहे हैं कि - नहीं यार !! हम तो अरविन्द केजरीवाल को ही समर्थन दिए हैं - और हम उन्हें ही सुधारेंगे - और हम उनसे ही अच्छा कार्य अपनी इच्छानुसार ही करवाएंगे ....

यानि ये लोग तो मोदी समर्थकों जैसे ही गले पड़ते दिख रहे हैं - है ना !!!!

इसलिए मित्रों अब योगेन्द्र यादव एंड कंपनी पर से मेरा भरोसा उठता जा रहा है - अब वो भले ही कितने भी अच्छे और काबिल क्यों ना हों और वे कुछ भी अच्छा मीठा कहें - पर मुझे लगता है कि वे स्वहित में केजरीवाल विरोधी कार्य कर रहे हैं !!!!

पर मुझे भरोसा है कि - जैसे मैं मोदी समर्थक मित्रों के आह्वाहन पर मोदी जी के खिलाफ लिखना बंद नहीं कर सकता - वैसे ही अडिग अरविन्द केजरीवाल भी किसी योगेन्द्र यादव आदि के दबाव में आकर अपनी राह से भटकने वाले नहीं हैं .... और जब तक अरविन्द केजरीवाल की राह सही है - सब कुछ सही है - कई लोग आए और उन्हें छोड़ गए और कई लोगों को उन्होंने छोड़ा - पर वो उपलब्धियां हासिल करते हुए अपने दमखम पर वांछित सहयोग प्राप्त कर आगे बढ़ रहे हैं - और उनके कार्यों के अभी तक अच्छे सामाजिक परिणाम मुझे समक्ष में साफ़ साफ़ दिख रहे हैं - जनता के हित में राजनीतिक परिवेश बदला है - और यही मेरे लिए संतोष का कारण है !!!!

और मित्रो !! अंत में एक और दिल की बात .... मैं किरण बेदी के केजरीवाल विरोध को ज्यादा उपयुक्त पाता हूँ - बजाय योगेन्द्र यादव एंड कंपनी के समर्थन के !!!!
!!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Thursday 5 March 2015

//// निर्भया की डॉक्यूमेंट्री ....बहस जारी है .... क्या आधिकारिक रोक के बावजूद भी इसे इस देश में देखना अपराध नहीं ??....////


अब विवाद गहरा गया है या बड़ा बना दिया गया है - और थोड़ा उलझ भी गया है - बहस जारी है ....

पर इस बीच सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगा दी थी - और बावजूद इसके BBC ने इसे आज प्रसारित कर दिया था - और इसे U-TUBE पर अपलोड भी कर दिया गया था ....

और आज टीवी चैनलों पर बहस के बीच यह भी उजागर और सिद्ध हुआ कि कई पत्रकारों एवं अनेक लोगों ने इसे देखा - और ना केवल देखा पर इसके गुण दोष के बारे में व्यापक चर्चा भी की - और तो और पैनल पर दूसरे लोगों को यहाँ तक कहा कि पहले आप इसे देखें फिर चर्चा करें - आदि इत्यादि !!!!

अतः इस विषयक मेरा प्रश्न है कि ....
क्या इस देश में ऐसी डॉक्यूमेंट्री देखना - जिस पर सरकार द्वारा आधिकारिक रोक लगी हो और जिसे प्रसारित करने के अपराध के लिए प्रसारित करने वाले विदेशियों पर कानूनी कार्यवाही भी शुरू कर दी गई हो - क्या अपने आप में अपराध नहीं ????

और यदि ये अपराध है तो क्या अपराधियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही होनी चाहिए या होगी ??
क्या इस पर भी रोक लगेगी कि कोई भी इस डॉक्यूमेंट्री के कंटेंट्स के बारे में टीवी पर चर्चा ना करे ????

मुझे लगता है कि सरकार इस मुद्दे पर कहीं न कहीं गलत और अप्रासंगिक है !!!!

और मैं साफ़ कर दूँ कि ना तो मैंने ये डॉक्यूमेंट्री देखी है और ना मैं देखने की इच्छा या इरादा रखता हूँ .... पर कुछ सार्थक परिणाम की प्रत्याशा में ही एक बार फिर अपनी बात आपके समक्ष रख रहा हूँ ....

आशा है बहस जारी रहेगी ..... !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// निर्भया की डॉक्यूमेंट्री .... कृपया बहस जारी रखें ....////


बहुत विवाद हो गया है - बहस चरम पर - प्रश्न अनेक ....

बलात्कारी का इंटरव्यू ? वो भी जेल के अंदर ? कैसे लिया ? क्यों लेने दिया गया ? क्या ये गलत नहीं ? इसमें गलत क्या ? नियम क्या कहते हैं ? इंटरव्यू का प्रसारण क्यों नहीं होना चाहिए ? या प्रसारण होने में हर्ज़ क्या ? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता क्यों नहीं ? इंटरव्यू का समाज पर बुरा असर क्यों होगा ? या क्यों नहीं होगा ? बलात्कारी को अभी तक सजा क्यों नहीं ? सरकार क्या कर रही है ? महिला आयोग एवं अन्य संगठन क्या कर रहे हैं ? पुलिस क्या कर रही है ? इंटरव्यू का प्रसारण कैसे हो गया ? क्यों कर दिया गया ? कर ही दिया गया तो अब क्या ? राजनाथ क्या सोचते हैं क्या कहते हैं ? बस्सी क्या कहते हैं ? आप इस बारे में क्या सोचते हैं ? अन्य क्या सोचते हैं ?..?..?..

मित्रो ! मेरे अनुसार इतने सारे प्रश्न विवाद और बहस का मुख्य कारण ये है कि मुद्दा अति संवेदनशील और महत्वपूर्ण है - पर समाधान संतोषजनक नहीं है .... और ऐसा इसलिय कि ऐसे अनेक प्रकरणों में ससमय जिसको जो करना था उसके द्वारा नहीं किया गया है .... और विशेष रूप से सरकार द्वारा अपने दायित्वों का निर्वहन भी नहीं हुआ है !!!!

अतः इस प्रकरण में जो विषय बिन्दु चर्चा में हैं वे हैं - मसलन - जेल नियमों का पालन - मीडिया हेतु आचार संहिता का स्पष्ट निर्धारण - अभिव्यक्ति के अधिकारों का स्पष्ट निर्धारण - पुलसिया विलम्ब हेतु जवाबदेही - एवं न्यायालयीन प्रक्रिया का सरलीकरण एवं शीघ्र निपटारा - आदि !!!!

पर जिस प्रकार की बहस हो रही है वह बहुत आशा जगाती है - और मुझे लगता है कि यदि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर इतनी स्वच्छंदता और उग्रता के साथ सब अपनी बातें और विरोध समक्ष में रखेंगे तो निश्चित ही कुछ सार्थक निकलकर आएगा !!!!

इसी परिप्रेक्ष्य में मैं एक बिंदु मंथन हेतु समक्ष में रखना चाहूँगा .... कि इंटरव्यू के प्रसारण हेतु पक्ष और विपक्ष में बात तो सब कर रहे हैं - पर इसके कारण स्पष्ट नहीं कर रहे हैं - और यह भी स्पष्ट नहीं है कि प्रसारण के विरोध के कारण सामाजिक हैं या कानूनी या फिर राजनीतिक ?? - पर प्रसारण के पक्ष में अभी तक राज्यसभा में जावेद अख्तर द्वारा जो तर्क रखा गया है वह मुझे अकाट्य ही प्रतीत होता है .... यानि इंटरव्यू में जो बलात्कारी द्वारा बलात्कार के कारणों का वर्णन किया है वही वर्णन तो अनेक नेता संसद में एवं अन्यत्र कर चुके हैं - अतः इंटरव्यू प्रसारण को प्रतिबंधित करना है तो पहले उन सभी मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्तियों पर कार्यवाही हो जो ऊटपटांग बोल अभी भी अप्रतिबंधित हैं .... बेलगाम छुट्टे हैं - बेहूदा हैं !!!!

कृपया बहस जारी रखें ..... !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Wednesday 4 March 2015

//// 'आप' में टूट .... खेद - संतोष - आशा ....////


और अंततः योगेन्द्र यादव एवं प्रशांत भूषण 'आप' पार्टी की PAC से पृथक कर दिए गए ....

यह खेद का विषय है क्योंकि ये दोनों ही अच्छे एवं काबिल व्यक्ति हैं !!!!

पर साथ ही यह संतोष का विषय है कि पार्टी में अरविन्द केजरीवाल का अत्यावश्यक और अपरिहार्य वर्चस्व एवं समर्थन बरकरार है !!!!

और मुझे आशा है कि अडिग केजरीवाल पूर्ववत अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु अपने ही अंदाज़ में बेहिचक और अधिक लगन और विश्वास के साथ आगे बढ़ते रहेंगे .... और अपनी क़ाबलियत और ईमानदारी के रहते सफलता भी हासिल कर के रहेंगे !!!!

और मुझे ये आशा भी है कि योगेन्द्र यादव एवं प्रशांत भूषण भी अपनी काबलियत के अनुरूप अपने अपने स्तर पर भी जनता के लिए पूर्ववत अच्छे काम ही करते रहेंगे !!!!

अतः सभी को मेरी शुभकामनाएं !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// क्या अच्छों से कभी अच्छाई छूटती है ??....////


जब बुरे लोग आपस में लड़ते हैं तो उनकी बुराई ही लड़ाई पर हावी रहती है और इसलिए सार्थक परिणाम निकलने की आशा तो क्षीण ही रहती है ....

पर जब अच्छे लोग आपस में लड़ते हैं तो भी उनकी अच्छाई उनसे नहीं छूटती है और इसलिए हमेशा ही सार्थक परिणाम निकलने की आशा बनी रहती है ....

अरविन्द केजरीवाल - योगेन्द्र यादव - और प्रशांत भूषण - तथा पार्टी के अन्य सभी मुख्य साथीगण भी अधिकांशतः अच्छे और बहुत काबिल लोग हैं .... अतः मैं उनकी आपसी लड़ाई से तात्कालिक रूप से अप्रसन्न हूँ - पर दिलो दिमाग से चिंतित बिलकुल भी नहीं - क्योंकि ये सभी अच्छे हैं और ये साथ रह कर या अलग हो कर भी जो करेंगे अंततः अच्छा ही करेंगे - और जब अच्छा ही करेंगे तो फिर अलग ही क्यों होंगे या रहेंगे ??

मित्रों भरोसा रखें और प्रार्थना करें कि इन लड़ते हुए अच्छे लोगों से बस अच्छाई कभी ना छूटे !!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// डरे को डराने में - हारे को हराने में - मरे को मारने में - कैसा पुरुषार्थ ??....////


मोदी जी जब से प्रधानमंत्री बने हैं तब से मैं देख रहा हूँ कि स्वयं मोदी जी भाजपा और उनके सारे प्रवक्ता कभी कांग्रेस की तो कभी पूर्व सरकारों की तो कभी अन्य विपक्षियों की निंदा और उपहास करने में ही लगे पड़े हैं - जब देखो तब वे अपनी गलती छुपाने के लिए दूसरों की गलतियां गिनाने लगते हैं - हमेशा कुतर्क देते मिल जाएंगे कि कांग्रेस को तो कुछ कहने का अधिकार ही नहीं है वो तो पहले अपने गिरेबान में झांके आदि इत्यादि ....

और ताजा उदाहरण राज्यसभा में मोदी जी के भाषण का है .... मोदी जी पूरे समय विपक्षियों पर चुटीले तंज़ कसते कटाक्ष करते और सबका उपहास करते हुए अपने आपको चतुर सिद्ध करते ही दिखे .... पर बेचारे अकल के मारे शायद ये भी नहीं समझ पाए कि इस प्रकार के अहंकार और प्रतिक्रिया की सीमाएं भी तो होती हैं .... और परिणाम ये हुआ कि जब वे एकतरफा भाषण दे सदन से निकल गए तो उनके सभी तीरों से व्यथित सीताराम येचुरी ने वो कर दिया जो परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में "अनुकूल ससमय आवश्यक और सटीक" था - यानि उन्होंने भी मोदी को उनकी ही शैली में जवाब देते हुए अपने एक संशोधन प्रस्ताव पर मतदान करवा एवं पास करवा सरकार को चारों खाने चित्त कर दिया ....
और प्रस्ताव भी क्या - एक ऐसा चुभता सालता सच जो मोदी सरकार की मुख्य विफलता रेखांकित करता है - "उच्च स्तर पर होने वाले भ्रष्टाचार को दूर करने और कालाधन वापस लाने में सरकार असफल रही है" !!!!

उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में मैं भी मोदी जी के लिए एक चुभता तंज़ और चुटीला कटाक्ष प्रस्तुत करना चाहूँगा कि ....

मोदी जी !! डरे को डराने में - हारे को हराने में - मरे को मारने में - कोई पुरुषार्थ नहीं है ....
पुरुषार्थ तो - अराजक को डराने में - बलवान को हराने में - और अहंकार को मारने में है ....
जैसा कि अरविन्द केजरीवाल ने कर दिखाया था ....
"अनुकूल ससमय आवश्यक और सटीक" .... है ना !!!!
!!!! धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

Tuesday 3 March 2015

//// २९ रूपए की सब्सिडाइस्ड कीमत पर भोजन खाना महानता और गर्व की बात या नीचता और शर्मिंदगी की ??....////


मोदी जी ने संसद की कैंटीन में खाना खाया - और निर्धारित २९ रूपए का भुगतान किया .... यह एक प्रकार से सादगी और समभाव की दृष्टि से तो प्रशंसनीय है - पर इस बात को मोदी जी की महानता निरूपित करने का प्रयास किया जा रहा है जो मेरे अभिमत में सही नहीं है !!!!

मित्रों इस विषयक एक अलग दृष्टिकोण के परिप्रेक्ष्य में मैं आप सबके समक्ष कुछ प्रश्न रखना चाहता हूँ >>>>

> क्या मोदी जी ने जो भोजन खाया उसमें सब्सिडी के रूप में जनता के पैसे का योगदान नहीं था ?
> क्या जनता ने सरकार को अनुमति दी थी कि उनके सांसद विधायक जनता के पैसे से महंगा खाना सस्ते में खा लें ?
> ये देश मक्कार VVIP लोगों के हित हिसाब से चलना चाहिए या आम जनता के हित हिसाब से ?
> इस देश में मुफ्त का या सस्ता खाना खाने का पहला अधिकार एक अति गरीब का होना चाहिए या समृद्ध सांसदों विधायकों का या अन्य VVIP का ?
> क्या सांसदों विधायकों को ऊंचा अच्छा वेतन नहीं मिलता ?
> क्या हमारे सांसदों विधायकों को अपने खाने का वास्तविक भुगतान नहीं करना चाहिए ?
> क्या गरीब के पेट पर लात मारकर अपना पेट भरना महानता और गर्व की बात है या नीचता और शर्मिंदगी की ?
> क्या संसद की कैंटीन में सब्सिडी युक्त खाना खाने का एक अवसर मुझे भी दिया जाकर महान बनने का अवसर प्रदान किया जाएगा - जिसके लिए मैं २९ रूपए के विरूद्ध दोगुना ५८ रूपए का भुगतान करने के लिए भी तैयार हूँ ?

मित्रों मेरे प्रश्नों पर यदि आप गौर करेंगे तो आप पाएंगे कि जिस बात को मोदी जी की महानता बताया जा रहा है वास्तव में वह एक शर्मनाक बात है - और मैं मोदी जी को गरीब के पेट पर लात मार सस्ते में खाना खाने के लिए धिक्कारता हूँ ....

साथ में जोड़ना चाहूँगा कि हम सबको भी अपने हक़ हलाल की ही खानी चाहिए हराम की नहीं ....
और यदि सांसदों विधायकों को २९ रूपए में ही भोजन खाना है तो इसके प्रावधानों का निर्धारण उन्हें स्वयं न करते हुए पहले जनता से इसकी स्वीकृति लेनी चाहिए .... आजकल 'TIMES NOW' पर भी 'VVIP CULTURE' के विरुद्ध चैनल द्वारा एक आवश्यक और सराहनीय मुहीम चलाई जा रही है - और मुझे लगता है कि ये मुद्दा भी उसी श्रेणी के अंतर्गत आता है ....

अतः मित्रों हमें मोदी जी द्वारा ग्रहण किये गए २९ रूपए के भोजन और अन्य कई सुविधाओं का लाभ लेने हेतु उनकी एवं समस्त सांसदों और विधायकों की निंदा करनी चाहिए - और विरोध भी !!!!
जागो मित्रों जागो .... धन्यवाद !!!!
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// वर्चस्व अपना अपना ....////


भाजपा में मोदी वर्चस्व स्पष्ट है .... पर लगता है सबको सांप सूंघ गया है - और इसलिए आवश्यक विरोध का स्वर ही नहीं उठ रहा है - या उठने दिया जा रहा है ....

और इधर "आप" में केजरीवाल वर्चस्व स्वाभाविक आवश्यक और स्पष्ट है .... पर लगता है कुछ लोग उलटे सांप सूंघ बैठे हैं -  और अनावश्यक विरोध स्वर उठ रहा है या उठाया जा रहा है या उठवाया जा रहा है ....

और उधर कांग्रेस में सोनिया वर्चस्व स्पष्ट था - राहुल वर्चस्व अस्पष्ट था - प्रियंका वर्चस्व अपेक्षित था - मनमोहन वर्चस्व नहीं था .... पर लगता है सबने क्लोरोफॉर्म सूंघ लिया है - और वर्चस्व को लेकर अभी कोई भी कुछ नहीं बोल रहा है - या कुछ तो भी बोल रहा है ....

ये तो बात हुई "वर्चस्व" के यथास्थिति संबंधित मेरे आंकलन की .... पर अब आगे क्या होगा ?? .... इस विषयक मेरा अनुमान >>>>

>> भाजपा में शीघ्र ही मोदी वर्चस्व समाप्त होना तय ....
>> "आप" में केजरीवाल वर्चस्व सबको चाहे अनचाहे मान्य करना ही होगा ....
>> कांग्रेस में राहुल-प्रियंका वर्चस्व कायम करवा दिया जाएगा ....
\\ब्रह्म प्रकाश दुआ\\

//// "नरम पृथकतावादी" - बनाम - "गरम हिंदुत्व"....हुर्र-हुर्र - गुर्र-गुर्र ....////


भाजपा और पीडीपी ने मिलकर या सही मायने में सींग लड़ाते हुए या टंगड़ी फँसाते हुए लंगोट पकड़ जम्मू-काश्मीर में स्थिरता के नाम पर एक अस्थिर सरकार टाइप की नायाब चीज़ बना मारी है .... जो पिछले पूरे ३ दिन से टिकी हुई है .... और इस टिकाऊपन के लिए मैं मोदी जी को श्रेय देता हूँ .... जिन्होंने शायद तय कर लिया है कि जम्मू की माटी के खातिर वो अपनी बेइज़्ज़ती तक करवाने के लिए तैयार हैं - कई लोग गालियां दे ही रहे हैं तो कुछ और सही - क्या फर्क पड़ता है !!!!

मित्रों मेरी नज़र में ये सरकार राजनीतिक लव-जेहाद का एक जीता जागता उदाहरण है - और इसमें कई लोगों की घर वापसी होना अपेक्षित है - और घर वापसी के पूर्व कुछ लड़ाई होना भी तय है - और ये लड़ाई है - "नरम पृथकतावादी" और "गरम हिंदुत्व" के बीच !!!!

अब गौर फरमाइए >>>>

>> पहले ही दिन - "नरम पृथकतावादी" पीडीपी ने नरमी भरे अंदाज़ में कह दिया कि सफल चुनाव का श्रेय तो पाकिस्तान आतंकवादियों और हुर्रियत को जाता है .... और "गरम हिंदुत्व" बीजेपी गरम हो गयी - हर-हर के बजाय "हुर्र-हुर्र" करने लगी ....

>> दूसरे दिन - "नरम पृथकतावादी" पीडीपी ने नरमी भरे अंदाज़ में अफजल गुरु के अवशेष संबंधित माँग रख दी .... और "गरम हिंदुत्व" बीजेपी सुलग गयी - हुर्र-हुर्र के बाद "गुर्र-गुर्र" करने लगी ....

>> और मित्रों मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले दिनों में ये "नरम" लोग ऐसे ही सुरसुरी छोड़ते रहेंगे - और ये "गरम" लोग सुलगते रहेंगे सिकते रहेंगे भुनते रहेंगे जलते रहेंगे .... और यदि इस प्रक्रिया के दौरान किसी ने "राष्ट्रीय - मिटटी का तेल" इस आग में डाल ही दिया तो फिर भभकने और राख होने में भी क्या देर लगेगी ????

इसलिए अंत में भक्तों से निवेदन करूंगा कि यदि वे चाहते हैं इस अग्नि और तपन व जलन से बचा जाए तो उनको अब अपने किये कराये पर पानी फेर देना चाहिए .... मोदी जी को कह देना चाहिए - बस बहुत हो गया - अब ठंडे ही पड़ जाओ तो बेहतर !!!!
!!!! जय हिन्द !!!!
//ब्रह्म प्रकाश दुआ//