Wednesday 14 May 2014

बहुत से लोगों की उम्मेदवारी निरस्त की जा सकती है - की ही जानी चाहिए और बहुत से उम्मीदवारों और पार्टियों के विरुद्ध भी उनके साक्षात उल्लंघनों के विरुद्ध भी कार्यवाही होनी ही चाहिए .....
पर आज की परिस्थितियों में और हमारे जनतंत्र की अपरिपक्वता के मद्देनज़र ऐसा कुछ भी नहीं होगा .... हमें अभी कुछ वर्ष और इंतज़ार करना होगा ....
http://www.newindianexpress.com/nation/Hiding-Info-can-Disqualify-Candidates/2014/05/14/article2223597.ece
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नमो नमो नमो .... अभी प्रधानमंत्री बने नहीं हैं - और हमें इतनी गन्दी गाली !!! क्यों ???
ऐसे में यदि आप प्रधानमंत्री बन भी गए तो क्या लम्बे समय तक रह भी पाएंगे ???
और यदि रह भी गए तो क्या हमें न्याय दे पाएंगे ???
http://www.abplive.in/india/2014/05/14/article312932.ece/Giriraj-hits-again-says-pro-Pakistan-people-opposing-Modi#.VIbBLtKUeM9
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निष्क्रिय ठूंठ खम्बा क्या बेहतर ना होता ???

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा निम्नस्तर को छूते हुए नकारात्मकता फूहड़ता और घपलेबाजी का जिस नग्नता और ढीढता के साथ प्रदर्शन किया है .... वह मेरे सामने स्पष्ट है ....
मैं एक सिविल इंजीनियर होने के नाते कह सकता हूँ की एक खम्बे का दायित्व बिना झुके बिना हिले डुले अपने ऊपर आये भार का लगातार वहन मात्र करते हुए "निष्क्रिय ठूंठ" बने रहना ही होता है ....
मुझे लगता है यदि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया अपनी सक्रिय भूमिका की अतिरिक्त जवाबदारी ना भी निभाता और मात्र निष्पक्ष तटस्थता भी कायम रख "निष्क्रिय ठूंठ" भी बना रहता तो भी शायद वो अपने को खम्बा कहलाने लायक दंभ भर पाता ....
पर मित्रों अफ़सोस ऐसा नहीं हुआ .... इसलिए अब मीडिया अपने को "ठूंठ" कहलाने लायक भी नहीं बचा ....
इसलिए मैं सोचता हूँ की अब हमें हमारे लोकतंत्र के भवन को टिकाये रखने के लिए सड़ चुके चौथे स्तम्भ को हटा मात्र 3 या 5 खम्बो के हिसाब से नई डिज़ाइन जल्दी ही तैयार कर लेनी चाहिए ....
अन्यथा इन 4 खम्बो पर तो लोकतंत्र की शवयात्रा ही निकल जाएगी ....

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