राम मंदिर का मसला भी तो उच्चतम न्यायालय में लंबित है.. पर जब संघी भाजपाई आदि खुल्लमखुल्ला ये बोलते हैं कि निर्णय जो भी हो मंदिर तो वहीं बनेगा तब उच्चतम न्यायालय की अवमानना नहीं मानी जाती - तब न्यायालय को प्रभावित करना नहीं माना जाता - तब न्यायालय को धमकाया जाना भी नहीं माना जाता..
पर स्थापित संवैधानिक कानूनी प्रावधानों के तहत जब कुछ सांसद उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश के विरुद्ध महाभियोग लाने की विधि-विधान सम्मत प्रक्रिया शुरू करते हैं तो बवाल मच जाता है.. तब ये न्यायालय को धमकाना और प्रभावित करना बताया जाता है.. और ये सब कुछ न्यायाधीशों को और कुछ राजनीतिज्ञों को और भक्तों को चुभ जाता है..
और मैं यही नहीं समझ सका हूँ कि क्या एक न्यायाधीश भगवान से भी बड़ा हो गया जो उसकी निंदा / आलोचना नहीं हो सकती ??.. क्योंकि सदैव पूजे जाने वाले भगवान तक की भी निंदा / आलोचना तो होती ही रही है..
और निंदा से तो कोई अवतार तक नहीं बचा - फिर इंसानों की क्या औकात.. और दाग तो लगते ही रहते हैं और धुलते भी रहते हैं और धूर्तता से धो भी दिए जाते रहे हैं.. मसलन निंदा तो मौनमोहनसिंह की भी हुई और मौनमोदी की भी हो रही है.. और थू-थू तो कांग्रेस की भी हुई और भाजपा की भी हो रही है.. और दागी तो सर्वत्र इफरात में पाए जाते हैं.. जैसे भगवान सर्वत्र कण-कण में पाए जाते हैं - वैसे ही दागी भी सर्वत्र कोने-कोने में पाए जाते हैं..
और फिर इतिहास में झांके तो न्यायालय से निर्णय भी ऐसे-ऐसे अजब-गजब हुए हैं जिससे ये सिद्ध हो जाता है कि न्यायाधीश भी इंसान ही होते हैं - निरे इंसान - खालिस इंसान.. और उनसे भी गलती होना स्वाभाविक है.. और वे गलतियां करते भी रहते हैं - और वे भ्रष्ट भी होते हैं - और हाँ !! दागी भी होते हैं..
हां ये बात अलग है कि मजबूरन ऐसी उचित व्यवस्था बनी हुई है कि न्यायाधीश भ्रष्ट व्यक्ति को सजा दे सकते हैं - पर भ्रष्ट या ईमानदार व्यक्ति भ्रष्ट न्यायाधीश को सजा नहीं दे सकते.. पर हां महाभियोग के मार्फ़त उन्हें अपदस्थ तो किया ही जा सकता है.. और न्याय ना मिलने पर पीड़ितों की चिल्लाचोट तो बनती ही है.. नहीं क्या ??..
इसलिए महाभियोग पर बवाल बेमानी है.. और न्यायाधीशों की निंदा / आलोचना होने पर चिल्लाचोट तो बिलकुल ही बेमानी है..
क्योंकि न्यायाधीश महोदय !!..
पीड़ितों निर्दोषों को न्याय देने में आप लोग पूर्णतः सफल नहीं हो सके हैं .. यकीनन !!..
इसलिए बेहतर होगा कि न्याय व्यवस्था में वांछित सुधार हों और आप न्यायाधीश इस हेतु कार्य करें और इस लक्ष्य को पाने में अपना सहयोग दें.. अन्यथा झूठी शान और इज़्ज़त वालों का और अपराधियों का हश्र तो सदैव बुरा ही हुआ है.. और ये बात आप से बेहतर कोई नहीं जानता - है ना 'मी लार्ड' !!..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
Om Thanvi
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@omthanvi
18h18 hours ago
संदेह से परे नहीं न्यायपालिका ... कुलदीप कुमार का विवेचन -
प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एस. एच. कपाड़िया ने कहा था कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता से भी अधिक महत्वपूर्ण मूल्य उसकी सत्यनिष्ठा है और न्यायपालिका को अपनी स्वतंत्रता और जवाबदेही के बीच... http://epaper.patrika.com/c/28049934
Dhruv Rathee
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@dhruv_rathee
17h17 hours ago
Look what happened just a year after demonetization -
Fake currency is now at an all time high
Suspicious transactions have shown a 480% increase
http://indianexpress.com/article/business/banking-and-finance/huge-jump-in-fake-currency-suspicious-transactions-post-demonetisation-report-5145498/ …
पीएम मोदी पर भड़के मनीष सिसोदिया, कहा- ‘दिल्ली के बच्चो की शिक्षा में अड़चन खड़ी कर आप कौन सी देश भक्ति दिखाना चाहते हैं?’ http://www.jantakareporter.com/hindi/manish-sisodia-blamed-on-pm-modi/181674/ via @Janta Ka Reporter 2.0
ReplyDeleteवरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह को फॉर्च्यून ने विश्व के 50 महानतम नेताओं की सूची में शामिल किया | Live Law Hindi http://hindi.livelaw.in/2018/04/21/5160.html#.WtvepQk7pBY.twitter via @livelawindia
ReplyDeleteDivya Spandana/Ramya
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@divyaspandana
Jan 29
We all make mistakes so does the PM- pic.twitter.com/YZHN3As9UI
देश-विदेश के शिक्षाविदों का PM मोदी को खुला खत, कठुआ-उन्नाव पर चुप्पी साधने पर जताई नाराजगी https://khabar.ndtv.com/news/india/academicians-slam-pm-modi-on-prolonged-silence-in-kathua-and-unnao-rape-cases-1840973 via @NDTVIndia
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