कह सकते हैं कि गरीब के अलावा भी काफी संतप्त और असंतुष्ट लोग आज सड़कों पर उतरे हैं..
पर भक्त अब भी मान कर चल रहे हैं कि मोदी राज में सड़कों पर रौनक बढ़ी है..
और कुछ टुच्चे लोग भक्तों की सोच को सकारात्मक ठहराने के भरपूर प्रयास कर रहे हैं..
और मैं सोच रहा हूँ कि काश सड़कों पर उतरी भीड़ ये समझ सके कि जब बेकाबू हो वो गुस्से में अपने निशाने गलत साधकर अपना या अपनेवालों का ही नुक्सान कर बैठती है तो वो उन टुच्चों की ही मदद कर देती है जिनकी वजह से ही भीड़ सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुई है..
इसलिए मेरा सड़कों पर मजबूरन उतरे लोगों से निवेदन है कि क्यों वो ही हमेशा रोते रहें गुस्से में रहें ??.. और क्यों ना वो भी थोड़ा रौनकी हो टुच्चों के ठिकानों की भी तो रौनक बढ़ाएं.. सब कुछ सड़क पर ही क्यों.. सब कुछ खुल्लमखुल्ला क्यों.. सब कुछ आत्मघाती ही क्यों ??..
वो क्या है ना कि ये ज़माना बदल रहा है.. यहां मातम पर भी रौनक लगाने वालों का बोलबाला हो चला है.. इसलिए अब कम से कम रोना तो बंद करना ही होगा.. अब तो काम रुलाने से ही होगा.. समझे !! इन टुच्चों के सड़कछाप रौनकियों (यानि मेरे ही प्रिय मित्रों) ??..
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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