Monday 9 April 2018

// मुसलमानों के बाद अब निशाने पर दलित क्यों ?? ..//


हिन्दू-मुसलमान श्रीदेवी सलमान और आईपीएल जैसे बकवास हॉट वायरल विषयों के बीच भी "दलित मुद्दा" चल निकला और छाया रहा.. यहाँ तक कि ये मुद्दा अविश्वास प्रस्ताव की लटकी तलवार के नीचे ठप्प नकारा संसद जैसे अभूतपूर्व शर्मनाक मुद्दे को भी पीछे छोड़ ज्वलंत हो गया..

और ये दलित मुद्दा ऐसा ज्वलंत हुआ कि हिंदुत्व के नाम पर साम्प्रदायिकता की राजनीति करने वाली सत्तासीन भाजपा और संघ को बहुत भारी पड़ गया.. इतना भारी कि साज़िशें तक भी रचनी पड़ीं - बचाव की मुद्रा में भी आना पड़ा - और तो और पार्टी में ही मौके की घात लगाए घातकों की ओर से घोर अंतर्विरोध तक का सामना करना पड़ गया..

और ये सब इसलिए कि भाजपा स्पष्ट रूप से दलित राजनीति की आग से खेलती दिखी.. जिसकी चिंगारी लगी आरक्षण संबंधी दिए गए सोचे समझे बयानों से और दलितों पर नियोजित हमलों से - और फिर आग लगी "रामजी" प्रकरण से.. और हवा लगी सुप्रीम कोर्ट से निकलवाए दलित एक्ट में एक संशोधन के निर्णय से..

पर उपरोक्त कारणों के अतरिक्त भी मैं जो सबसे प्रबल कारण मानता हूँ वो ये है कि..

शायद पहली बार अप्रत्याशित रूप से सांप्रदायिक तत्वों को हिन्दू मुसलमान विषय से सफलता नहीं मिली .. और उसका कारण रहा मुसलमानों द्वारा लाख उकसावे के बावजूद गज़ब की सूझबूझ सभ्यता सहजता संवेदनशीलता साहस सहनशीलता और सब्र का परिचय देना और आम हिंदुओं के साथ विश्वास को कायम रखना.. और साथ ही आम हिन्दुओं द्वारा भी अपने आपको भाजपाई बजरंगी विहिप वाले भगवा पट्टेधारी हिन्दुओं से अलग रख मुसलमानों के साथ भाईचारे को और पुख्ता करने के प्रयासों में आगे आकर साम्प्रदायिक शक्तियों का खुलकर विरोध करना..

और इस प्रकार आम हिन्दुओं और मुसलमानों की समझदारी के कारण - भगवा पट्टेधारी हिन्दुओं तथा मुसलमानों को भड़का कर अपनी राजनीति करने वाले अनेक मुस्लिम नेताओं के सारे अरमान पुनः परवान ना चढ़ सके..

और नतीजा ये है कि अब उन्हीं सांप्रदायिक स्वार्थी तत्वों के बीच कुछ दरारें पड़ गई हैं - और भाजपाई बजरंगी विहिप वाले भगवा पट्टेधारी हिन्दुओं ने अब अपना निशाना मुसलामानों से हटाकर दलितों पर साध लिया है..

पर बदलते हुए परिवेश में मुझे लगता है कि ये उनकी एक और बड़ी भूल है क्योंकि अब देश के आम हिन्दू-मुसलमान ही नहीं - पर आम दलित भी और सभी अन्य आम नागरिक भी परिपक़्व हो रहे हैं..

क्योंकि देश का आम नागरिक अब मोदी का रास्ता छोड़ रवीश कुमार के रास्ते चल पड़ा है.. उसे मोदी के मन की बकवास के बजाय रवीश के दिल दिमाग की बेहतरीन बातें समझ पड़ने लगी हैं..

बल्कि सही कहूँ तो रवीश की सारगर्भित बातें अब आम नागरिकों के दिमाग में पैवस्त होने लगी हैं - और भक्तों के दिमाग वाले सर के खाली खांचे में चुभने लगी हैं.. है ना !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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