Sunday 14 October 2018

// सुलग भी रही है - फटी भी पड़ी है.. और कोशिश ये है कि कहीं विस्फोट ना हो जाए.. //


सीज़न और माहौल के अनुकूल आजकल भक्तों को ये अपील करते देखा जा रहा है कि..

दीपावली पर चीन की झालर और पटाखे आदि नहीं खरीदें..
और बढ़ते भावों के बावजूद पेट्रोल डीजल का भंडारण भी नहीं करें..
और पत्रे के बाप या युग पुरुष या अवतारे कल्कि के फ़ोकट ऊँगली भी ना करें..

क्यों ??.. क्योंकि सभी के परिणाम "ज्वलनशील" हैं !!.. ..

और मेरी भक्तों से अपील.. जरा साहेब से भी तो पूछो.. ..

अच्छे दिनों की बात अब क्यों नहीं ??
नोटबंदी कालेधन की बात अब क्यों नहीं ??
५६ इंच की बातें अब क्यों नहीं ??
गौ गाय गंगा की बातें अब क्यों नहीं ??
धारा ३७० और कश्मीरी पंडितों के बारे में बातें अब क्यों नहीं ??
राम मंदिर की बात अब क्यों नहीं ??

एससी/एसटी एक्ट के पक्ष विपक्ष पर बातें अब क्यों नहीं ??
गुजरात से यूपी मप्र बिहार के लोगों के पलायन पर अब तक कोई बात क्यों नहीं ??
राफेल चोरी / भ्रष्टाचार पर अब तक कोई बात क्यों नहीं ??
मी-टू वाले अकबर पर कोई बात क्यों नहीं ??
रुपैय्ये के गिरते मूल्य और और देश की गिरती साख पर बोलते क्यों नहीं ??  
तेल के भावों पर कुछ बोलते क्यों नहीं ??..

मालूम है ऐसा क्यों ??..
क्योंकि अब इन सब बातों के परिणाम भी ना केवल ज्वलनशील होंगे बल्कि "विस्फोटक" भी होंगे..

इसलिए तो मैं ये देख रहा हूँ कि पासे पलट चुके हैं.. किरदार बदल चुके हैं.. गप्पू पप्पू हो गए हैं..
और बड़बोले मौन हो गए हैं.. और उचकते लचकते भक्त एकाएक स्तब्ध और सुन्न हो गए हैं..  

और अब रणनीति ये हो चली है कि.. बस थोड़ा रुको थोड़ा संभलो थोड़ा देखो.. और सुलग रही है तो सुलगने दो.. चिंगारियां और धुंए निकल रहे हैं तो निकलने दो.. पर कोशिश ये करो कि कहीं विस्फोट ना हो जाए..

और मैं सोच रहा था कि अब जब इतनी ही सुलग रही है और इतनी ही फटी पड़ी है तो फिर विस्फोट से इतना भी क्या डरना.. क्योंकि विस्फोट का अंजाम भी तो फटना ही होता है.. .. है ना ??

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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