Monday 8 October 2018

// चोर चैंपियन ऑफ़ "अर्थ" भी है !!.. ऐशो आराम और कैशो हराम में माहिर !!.. //


मेरा दावा है कि जिनकी समझ "साफ़" हो चुकी है - यानि की सफाचट्ट.. उनको साफ़ नज़र आ रहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था साफ़ हो चुकी है.. यहाँ साफ़ बोले तो - सुफैद-सुफैद - बिना किसी कालेधन के धब्बे के - बिना किसी दाग के - पूर्णतः साफ़.. यानि साफ़ सुथरी ??..

और मैं देख रहा हूँ कि आह्लादित भक्तों की समझ और देश की अर्थव्यवस्था अब "साफ़" हो चुकी है.. यहाँ "साफ़" बोले तो सफाचट्ट !!..

और 'मोदियाबिंद' नाम की बीमारी अब इतनी भयावह हो चली है कि भक्तों को तो साहेब में एक अर्थशास्त्री दिखने लगा है.. ऐसा आर्थिक खिलाड़ी जिसने देश में नोटबंदी जैसा खेल खिलवाड़ कर अर्थक्रांति का संचार कर दिया हुआ-हुआ है..

और कई भक्त जिनका आँख नाक कान के ऊपर वाला कटोरा भी "साफ़" यानि सफाचट्ट हो चुका है वो ये भी महसूस करने लगे हैं कि साहेब को "चैंपियंस ऑफ द अर्थ" का अवार्ड संयुक्त राष्ट्र ने इस करतूत के लिए ही दिया है !!..

और वैसे देश की अर्थव्यवस्था की अवस्था के मद्देनज़र मैं भी मानता हूँ कि भक्तों के साहेब चैंपियंस ऑफ़ "अर्थ" तो हैं ही.. नहीं होते तो राफेल तिगुने दाम में खरीद देश की तिजोरी में पलीता नहीं लगाते.. और नीरव और मेहुल भाई और माल्या मालामाल हो देश में माल का बंटवारा कर आज विदेश में ऐश नहीं कर रहे होते..

और तो और साहेब जी इतनी महंगी महंगी चुनावी रैलियां कर फोकटिया चैंपियन थोड़े ही सिद्ध हो रहे हैं.. बल्कि ऐसा करके भी तो वो अपने आपको चैंपियन ऑफ़ "अर्थ" ही सिद्ध कर रहे हैं..

नहीं तो है कोई ऐसा चैंपियन जो ऐशो आराम और कैशो हराम में लाखों करोड़ों फूंक कर भी अपनी पार्टी के लिए अनेक-अनेक सितारा कार्यालय बनवा ले वो भी केवल ४ साल में - जबकि राजस्थान के ग्रामीडों को बिजली माफ़ी का जुमला मात्र देने में इतना समय लगा कि पूरे ५ साल मिलने के बावजूद भी ढाई घंटे कम पड़ गए जो चुनाव आयोग को साहेब का उधार चुकाते हुए देने पड़ गए !!..

और है कोई ऐसा चैंपियन ऑफ "अर्थ" - जो जनता से तेल के नाम पर तबियत से ठगी कर गुजरने के बाद ढैय्ये की फजीहत भरी राहत देते ही पूरी बेशर्मी के साथ रोज़ १०-१५ पैसे वसूली में लग पड़े ??..

यानि आप साफगोई से समझ लें कि चौकीदार केवल कोई मामूली चोर ही नहीं बल्कि देश में 'अर्थ का अनर्थ' कर देने वाला संयुक्त राष्ट्र द्वारा ठप्पित चैंपियन ऑफ़ "अर्थ" भी है..

और भक्तों की समझ और दिमाग से ज्यादा महत्वपूर्ण देश कि अर्थव्यवस्था भी "साफ़" यानि सफाचट्ट ही है !!.. क्योंकि इस सरकार में अब "अर्थ" को चाटने की होड़ सी लगी पड़ी है.. और चौकीदार है कि स्वार्थवश सबको भरपूर चाटने नहीं दे रहा है.. और इसलिए 'जेट-लाइ' यानि जेट की गति से झूठ बोलने पर मजबूर लोगों की तो किडनियां भी बदलवानी पड़ गई हैं.. वो भी जनता के पैसे से.. .. समझे !!..

इति.. 'एंटायर पोलिटिकल साइंस' एवं "साफ़" अर्थशास्त्र' की संयुक्त क्लास समाप्त !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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