परिश्रमी अमित शाह आजकल मध्यप्रदेश की राजनीति को अपने चिरपरिचित तौर तरीकों से दूषित कर अपने हितों में साधने हेतु ढोल ढमाकों के बीच कल भोपाल धमक अपना खर्चीला स्वागत करवा कार्यरत हैं .. ..
और अपने को एक साधारण कार्यकर्त्ता बताने वाले पर वास्तव में पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते अपने हर कार्यकर्त्ता को आदेश निर्देश संदेश देते हुए बोले .. ..
" चाहे जो करो - मुझे चाहिए अबकी बार २०० पार ".. ..
और मैं सोच रहा हूँ - कि पार्टी के कार्यकर्त्ता भी सोच रहे होंगे कि - यार सब कुछ चाहा हुआ कर तो रहे ही हैं - वो भी और हम भी .. करने को अब बचा ही क्या है - बच्चों की जान भी ले लें क्या ?? .. ..
यानि स्थितियां भयावह हैं - क्योंकि बुखार से ग्रसित दिमाग में खलल उबाल पर दिख रहा है .. और बिना दिमाग वालों का तापमान उच्च हो चला है .. और ये वाकई चुनाव जीतने के लिए तो कुछ भी कर सकते हैं और सब कुछ कर देंगे .. ..
और चुनावी परिणामों की कल्पना तो एक तरफ - पर चुनावों के अलावा परिणाम क्या होंगे उसकी कल्पना कर लेना भी बहुत जरूरी है .. ..
मैनें कल्पना कर ली है .. इसलिए मेरा संदेश - कृपया सावधान !!
ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl
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