Wednesday 23 April 2014

"मोदी जी को मेरे सुझाव"

"मोदी जी को मेरे सुझाव" श्रंखला के अंतर्गत .... 
सुझाव क्र.5 - "मोदी-मनमोहन में फर्क-या-समानता?" !!!!!
मोदी जी आप अभी तक सीना चौड़ा कर दबंगता से बातें करते थे ! आपका 'शहज़ादे' और 'मैडम' बोलने का अंदाज़ और फिर लच्छेदार भाषा के साथ-साथ वो ललकार वो डपटना वो चुटकियाँ लेना - और दबंगता उत्साह ऊर्जा के साथ अपनी बातों को रखना .... यही तो आपकी विशेषता रही है !
लेकिन देखते देखते आपको ये क्या हो गया है ?
आपको कोई कुत्ते का भाई बोल देता है - और आप कहते हैं ठीक है कुत्ता वफादार होता है !!!अरे भाई क्या जंगल में सूअर गधे के साले जीजा भतीजे साडू चाचा फूफा सब विलुप्त हो गए हैं क्या ??
आपके ऊपर कोई कीचड उछालता है - तो आप कहते हैं कोई कितना भी उकसाए आप सब सहन करते रहेंगे - आप सारा विष पी लेंगे !!! अरे भाई क्या संतरे-मुसम्बी का जूस पीना मना हो गया है जो विष पीने की बात - वो भी इतने दयनीय भाव भंगिमा से ?
आपसे जब देश के गद्दारों और भ्रष्टाचारियों को सीख सिखाने - दंड देने - बदला लेने - सजा देने आदि की बात करते हैं तो आप बड़े ही निर्विकार भाव से कहते हैं - बदला लेना मेरे नेचर में नहीं है - मैं बदले की कार्यवाही करने में समय बर्बाद करने के पक्ष में नहीं हूँ !! अरे भाई - चोर को चोर कहना > फिर चोर की चोरी पकड़ना > फिर चोरी का माल जप्त करना > फिर चोर को पकड़ चार जूते लगाना > और उसे जेल भेजना ताकि अन्य को भी डर बैठ जाए - आप इसे समय बर्बादी कहते हैं - अपने नेचर के विपरीत बताते हैं ? क्या आपको ये उचित लगता है और शोभा देता है कि रात में घर से निकलो - जोर-जोर से चोर-चोर चिल्लाओ - और फिर घर में घुस्सू जैसे घुस कम्बल ओढ़ सो जाओ ??
मोदी जी यदि आप इस तरह ही दयनीय लाचारी भरा लुंज-पुंज रवैय्या अपनाते रहेंगे तो चुनाव आते आते कहीं लोग ये न पूछने लगें कि .... मोदी और मनमोहन में क्या अंतर हैं ????? (कृपया विदित हो कि भाजपा और कांग्रेस में समानता तो पूर्वे में ही स्थापित हो चुकी है)
मोदी जी मेरा आपको सुझाव है कि आप अपने ५६" के सीने को फुस्स होने देने के बजाय उसमे निरंतर हवा भरने का प्रयास करते रहें - और जरा दम-ख़म से सभी को उपयुक्त जवाब देते हुए अपनी पुरानी निर्मित दबंग छवि को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करें .... इससे आपके अनन्य समर्थकों का हौंसला भी शायद कायम रह जाए !!!

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