Friday 26 May 2017

// मेरे मित्रों में सम्मिलित भक्तों को आज 'तीसरे' पर सहानुभूतिपूर्वक धन्यवाद !! ....//


आज मोदी सरकार का 'तीसरा' है .. और आज लग रहा है जैसे २ वर्ष ३ वर्ष से बहुत बड़े होते हैं .. क्योंकि देखते-देखते दुखते-दुखते ३ साल तो निकल गए पर अभी पूरे २ बोझिल साल और बाकी हैं .. ..

और इस पड़ाव पर मुझे लगता है कि मोदी जी की निंदा और विरोध तो मुझ से कहीं ज्यादा भक्तों को करना चाहिए - क्योंकि 'भक्तों के मन की' तो अब तक एक बात पूरी नहीं हुई है .. ..

मसलन - घर वापसी फेल हो चुकी है - लव-जेहाद हेट-जेहाद बन गया है - राम मंदिर के अता-पता नहीं है - धारा ३७० हटी नहीं है - 'कॉमन सिविल कोड' कोल्ड स्टोरेज में पड़े फ्रिज के अंदर ठंडे बस्ते जा चुका है - ३ तलाक पर स्वयं मुसलमान ही आगे आकर उचित निर्णय लेते दिख रहे हैं - मेहबूबा बुआ रोज़ दुखती नस पर हाथ रख देती है और 'हाय!!' भी नहीं बोलने देती - और सेना पत्थर खाती रह जाती है - माँ गंगा पहले से ज्यादा या पहले जैसे ही प्रदूषित है - गौ रक्षकों पर भी प्रकरण दर्ज हो रहे हैं और गाय भी मारी जा रही है - सेक्युलर का जाप करने वाले खुली गालियां दे रहे हैं - पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है - कालाधन सफ़ेद किया जा चुका है और खाते में आने की सम्भावना निरंक हो चुकी है - नोटबंदी पर क्या होना था और क्या हुआ और आगे क्या होगा किसी को कुछ पता नहीं है - और हिन्दू-हिन्दू-हिन्दू का जाप करने वाले भी कुछ करना तो दूर पर अब तो कह भी नहीं पा रहे हैं - और उत्पात मचाने वाले पट्टाधारियों की रेपुटेशन भी बहुत तेज़ी से गिरने लगी है क्योंकि लोग उन्हें गुंडों का सरगना जैसा मानने लगे हैं - महंगाई में कोई राहत है नहीं - नौकरियों के अते-पते हैं नहीं - और भाजपा कांग्रेस से भी बदतर साबित हो रही है - और मोदी मनमोहन सिंह के पाँव की धूल जैसे लगने लगे हैं .. और मोदी-मोदी-मोदी चिल्लाने वालों के हलक़ अब सूखने लगे हैं और उन्हें "अच्छे दिन" का दावा तो दूर मात्र उच्चारण करने में असहजता महसूस होने लगी है .. और परिणाम है कि लाखों दुखी हैं और दर्जनों बिंदास हैं .. ..

वैसे मेरे कई भक्त मित्र अब मोदी की तारीफ करने में शर्म तो महसूस करने लगे हैं - और तो और थोड़ी-थोड़ी दबी जुबान निंदा भी करने लगे हैं - जैसे बोलने लगे हैं कि यार ये मोदी बोलता बहुत है और इतरा भी बहुत गया है - पर जैसे काम करना था वैसे नहीं कर रहा - नाटक नौटंकी ज्यादा कर रहा है .. ..

पर भक्त मित्र अपनी खिसियाहट पूरी करने के लिए बदले में थोड़ा बहुत पिछले ६० साल का रोना रो देते हैं .. और साथ ही लगे हाथ केजरीवाल के प्रति भी कुछ नकारात्मक बोल देते हैं - नकारात्मक नहीं भी तो सुझाव ही दे पटकते हैं जैसे - केजरीवाल को पंजाब नहीं जाना था - मोदी से सीधी लड़ाई से बचना था - हार के बाद ईवीएम का मुद्दा नहीं उठाना था - कपिल मिश्रा के आरोपों पर इस्तीफ़ा दे देना था - आदि .. और मैं सोचता हूँ कि आखिर भक्त हैं - इतना तो बनता है .. ..

इसलिए मेरे मित्रों में सम्मिलित भक्तों को आज 'तीसरे' पर दिल से सहानुभूतिपूर्वक धन्यवाद !! .. मैं तो इतने में ही अभिभूत हुआ !! कृतार्थ हुआ !! जय हिन्द !!

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