Tuesday 22 May 2018

// रतजगा सुप्रीमकोर्ट केजरीवाल-बनाम-"दिल्ली के वाला" टंटे में सुप्त सुन्न क्यों ??.. //


यकीनन जब दिल्ली देश की राजधानी है तो दिल्ली और दिल्लीवासी अति महत्वपूर्ण तो हुए ही.. और इसलिए दिल्ली से जुड़े सभी मुद्दे या रगड़े-टंटे भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं..

पर अब तो यह बात जगजाहिर है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट भी खुद के चुभते सालते उलझे मामलों में तो जनता के बीच आकर खुद के दुखड़े सुनाने लगता है - या फिर किसी एक व्यक्ति की फांसी के मामले में या किसी एक राज्य में किसी एक पार्टी की सरकार बनने या ना बनने के मामले में अँधेरी रात को भी जग उठ बैठ जाता है..
पर यही सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार के केजरीवाल और केंद्र के "दिल्ली वाले वजूभाईवाला" यानि बोले तो जंग बैजल के बीच के लगातार चले आ रहे रगड़े-टंटों के बीच - दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर लम्म्म्म्म्बे समय से चले आ रहे उलझे उलझाए मामले में सुप्त सुन्न बना बैठा है - ठीक वैसे ही जैसे देश की वो जनता जिसका कोई खुद का सगा जब तक ना मर जाए रोने से भी परहेज़ करती है - और जब कोई खुद का मर जाए तो विलापने दहाड़ने धिक्कारने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती..

और ऐसा क्यूँ है ?? ये मैं बताता हूँ .. इसके केवल तीन मुख्य कारण हैं.. 

पहला कारण : -
इस देश में कानून सबके लिए एक जैसा नहीं है.. और तो और कानून के मायने या कानून के लागू होने या करने में भी अजब गजब विरोधाभास हैं.. और तो और यहां कानून बनाने वाले भी भिन्न-भिन्न तरह से भिनभिनाने वाले भन्नाए लोग हैं जो ना मालुम किस दिन क्या कह दें क्या कर दें क्या लिख दें क्या बना दें क्या पटक दें और क्या बता दें.. 
दूसरा कारण : -
कांग्रेस और भाजपा के चाल चरित्र में कोई अंतर नहीं है.. केवल चेहरे अलग-अलग हैं.. और चेहरे भी असली हैं या मुखौटे हैं इसका भी कोई अता पता नहीं है.. और कई बार तो यही लगता है कि ये 'दो जिस्म एक जान' ही तो हैं..
तीसरा कारण : -
केजरीवाल अलग ही मिटटी के बने हैं और वो १००% सही हैं.. दिल्ली में सभी अधिकार एक चुने हुए मुख्यमंत्री के पास होने चाहिए पर उनसे ये अधिकार सुनियोजित टुच्चे तरीकों से छीने गए हैं - और ऐसा इसलिए क्योंकि हर बंदे और हर उल्लू तक को पता है कि केजरीवाल को अपने अधिकारों का सदुपयोग करना आता है.. या यूँ कहें कि उन्हें उल्लुओं को उलटना आता है..

पर उपरोक्त परिस्थितियों से मैं पूर्णतः निराश नहीं हूँ.. क्योंकि मुझे ऐसी आशा है कि सुप्रीम कोर्ट जैसे ही स्वतंत्र और उन्मुक्त और स्वविवेकी हो जाता है वैसे ही केजरीवाल और दिल्ली और देश को ससमय पूर्ण न्याय मिलने लगेगा !!.. और तब सुप्रीम कोर्ट नहीं बल्कि कई उल्लू रात भर जागेंगे और दिन में तारे गिनेंगे !!.. सुप्रीम कोर्ट नहीं तो ऊपर वाले के न्याय पर तो भरोसा करना ही पड़ेगा !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

No comments:

Post a Comment