Thursday 10 January 2019

// तथाकथित आस्था असंवैधानिक हो.. और संविधान सर्वोपरि.. तो क्या करिएगा ??..//


बात की शुरुआत हुई थी इस जुमले से.. "सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीँ बनाएंगे"..
२५ साल बाद अब जुमला हो गया था.. "मंदिर वहीँ बनाएंगे तारीख नहीं बताएंगे"..

क्यों भाई तारीख क्यों नहीं बताते ??.. तो अब नया जुमला.. "मामला कोर्ट में है"..

तो क्या मंदिर निर्माण कोर्ट के निर्णय अनुसार ??.. "अरे नहीं भई !!.. कोर्ट का निर्णय जो भी आए - मंदिर तो वहीँ बनेगा - और भव्य बनेगा - क्योंकि ये १०० करोड़ हिन्दुओं की आस्था का प्रश्न है"..

यानि ये कोर्ट कानून का विषय नहीं ??.. "नहीं - ये तो केवल आस्था का विषय है - कानून का नहीं" ??..

तो फिर अब तक बना क्यों नहीं ?? या बना क्यों नहीं लेते ??.. "क्योंकि मामला कोर्ट में है और कोर्ट तारीख पे तारीख दे रही है और १०० करोड़ हिन्दुओं की आस्था से खिलवाड़ कर मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय देने में देर कर रही है"..

मित्रों !!.. मतलब मामला अब यहाँ पर अटक गया है कि.. शातिर शानों को ये समझ ही नहीं पड़ रही कि - कहें क्या ?? जवाब क्या दें ?? टिके कहाँ ?? और टेका क्या लगाएं ??..

मेरी प्रतिक्रिया.. ..

और ये उहापोह की स्थिति इसलिए है क्योंकि.. शातिर शानों के अनुसार बताई जा रही १०० करोड़ हिन्दुओं की तथाकथित आस्था शायद संवैधानिक नहीं है.. और संविधान सर्वोपरि मानना भी तो मजबूरी है.. समझे !!..

इसलिए अब अगली तारीख का इंतज़ार करिए.. और तब तक चाहें तो मंदिर निर्माण की तारीख बता दें या फिर अगली तारीख पर अगली तारीख का इंतज़ार करिएगा..

ठीक वैसे ही जैसे लाखों करोड़ों गरीब न्याय पाने की आशा में कोर्टों के चक्कर लगा-लगा खप मर गए और किसी टुच्चे को इसकी तनिक भी परवाह नहीं रही.. यानि लगता है राम जी की कृपा से गरीबों पर अत्याचार करने वालों से बदले में खिलवाड़ हो रहा है.. और मैं प्रसन्न और संतुष्ट हूँ.. आपकी आप जानें !!.. जय श्री राम !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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