Saturday 5 January 2019

// 'फ्रांस्वा की औलादों' से भी तो पूछो.. हमारे 'फन्नेखां' को बेवकूफ क्यों बनाया ??.. ..//


एक परिकल्पना.. .. ..
छोरा था गप्पू टाइप - ना कमाई ना धमाई - निकम्मा नाकार सा - पर लगता स्मार्ट था - बस रोज सज संवर आवारा छैला बन इधर उधर डोलता रहता और हेकड़ी हांकता रहता और गप्पे फांकता रहता - और इसकी टोपी उसके सर और उसकी टोपी इसके सर में निपुण कहीं ना कहीं मुहं मार अपने जेबखर्च का भी इंतज़ाम कर लेता था.. घर वाले उसे प्यार या धिक्कार से 'फन्नेखां' बुलाने लगे थे..
पोता बड़ा हो रहा था - होनहार स्कूल भी जाने लगा था - उसने साईकिल की मांग रखी..
दादा का बाजार जाना हुआ - तो साईकिल के बारे में तफ्तीश कर आए - एक दो दुकानें उन्हें ठीकठाक लगीं उससे भावताव पूछ आए.. और आकर छोरे को पोते के लिए साईकिल खरीद कर लाने को कह दिया..
और फन्नेखां तुरंत बाजार दौड़े और एक साईकिल कसवाने का आर्डर दे आए..
पर जब दादा ने कीमत पूछी तो चकरा गए.. छोरे ने लगभग दो-तीन गुनी कीमत हाँक दी.. दादा परेशान - लगे छोरे को बुरा-भला कहने !!.. पर तभी किसी ने कहा कि पहले जाकर साईकिल दुकान वाले से भी कीमत पूछ के तो आओ - हो सकता है स्टैंड करियर सीटकवर चेनकवर घंटी आदि के पैसे भी अलग से लगे हों - या फिर बेचारे कम अक्ल छोरे को उसने ही बेवकूफ बनाया हो..
पर दादा नहीं गए क्योंकि वे अपने छोरे को भलीभांति जानते थे..

एक तथ्यात्मक सा प्रकरण.. .. ..
हमारे गप्पू टाइप प्रधानसेवक भी विदेश दौड़ गए और होनहार सेना के लिए विमानों का आर्डर तुरत फुरत दे आए .. पर जब ये मालुम पड़ा कि जहाजों की कीमत बहुत ज्यादा तय कर आए तो हल्ला मचा - और सब चोर-चोर चिल्लाने लगे..
पर अब तक भी किसी ने ये विचार तक नहीं किया कि - जहाज बेचने वालों ने बेचारे हमारे प्रधानसेवक को बेवकूफ बनाया हो तो ????..
ऐसा क्यों ??.. कहीं इसलिए तो नहीं कि शायद अब प्रधानसेवक को लोग भलीभांति जान गए हैं ??..

उपरोक्त परिकल्पना और तथ्यात्मक से प्रकरण के मद्देनज़र - हमेशा की तरह मेरा भक्तों के लिए एक सुझाव - वो भी कुछ निष्कर्ष सहित.. ..

कम से कम भक्तों को तो ये टेका लगाना ही चाहिए और सुझाव देना ही चाहिए कि 'फ्रांस्वां की औलादों' से भी तो तफ्तीश होनी चाहिए कि उन्होंने जहाज़ों की कीमत इतनी ज्यादा क्यों लगाईं ??..

या फिर इस निष्कर्ष पर पहुंचा जाए कि - अब भक्त भी भलीभांति जान गए हैं कि "हमारा 'फन्नेखां' चोर है" !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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