Friday 17 August 2018

// तब अटलजी खामोश रह गए थे.. अब आडवाणीजी सीलबंद खामोश !!.. .. काश !!.. ..//


वृहद हिन्दुस्तान जैसे विविधता प्रधान देश के नेता के रूप में शायद अटलजी जैसा राजनेता ही एक महान नेता होने की पदवी का हक़दार हो सकता है.. और अटलजी ने महान नेता होने का सदैव भरपूर परिचय भी दिया..

पर जब लालकृष्ण आडवाणी रामरथ यात्रा निकाल रहे थे तब शायद अटलजी ने अपने राजनैतिक कौशल एवं आत्मा की आवाज़ के अनुरूप उस यात्रा को अपनी सहमति या अपना खुला समर्थन नहीं दिया था एवं अपने आपको उस यात्रा से पृथक ही रखा था..

पर अंततः वो खामोश तो थे ही.. और शायद अटलजी के जैसे कद्दावर राजनेता के लिए मैं पूरी श्रद्धा और माफ़ी के साथ उनकी इस ख़ामोशी को और उस यात्रा का खुला अटल विरोध नहीं करने को भूल या गलती निरूपित करूंगा..

और उस यात्रा के परिणामों के रूप में जब बाबरी मस्जिद विंध्वंस और उसके बाद २००२ के दंगे हुए तब भी तो अटलजी केवल "राजधर्म" की बात बोल कर्तव्यविमूढ़ हो खामोश ही तो रह गए थे.. जिसे भी तो उनकी भूल और गलती ही निरूपित करना होगा..

और आज एक बार फिर गौरतलब है कि.. आज जब अटलजी की पार्टी का ही एक नेता नरेंद्र मोदी उनके ही पद के समकक्ष पहुँच और उन्हें अपना गुरु और पितातुल्य संरक्षक और मार्गदर्शक मानते हुए भी वो तमाम गलतियां या अनुचित काम कर रहा है जो अटलजी के द्वारा स्थापित मापदंडों या मार्गदर्शन के या फिर उसी "राजधर्म" के अनुरूप कदापि नहीं ठहराए जा सकते.. तो आज मार्गदर्शक मंडल में पटक दिए गए एक और कद्दावर राजनेता आडवाणीजी खामोश हैं.. सीलबंद खामोश !!..

और मैं सोच रहा हूँ कि यदि तब अटलजी आडवाणीजी या मोदीजी के क्रियाकलापों पर खामोश ना रहते - और अब आडवाणीजी मोदीजी के क्रियाकलापों पर इस कदर सीलबंद खामोश नहीं रहते - तो क्या होता ??..

या फिर यदि आज भी आडवाणीजी उसी "राजधर्म" का पालन करते हुए अपनी अनअपेक्षित चुप्पी तोड़ दें तो क्या होगा ??.. काश !!..

काश !!.. यदि आडवाणीजी चुप्पी तोड़ दें तो अटलजी जैसा कुछ सम्मान पा जाएंगे.. और ऐसा कर गुजरना उनकी अटलजी के प्रति एक श्रद्धांजलि भी हो जाएगी.. और देश को मोदीजी से मुक्ति दिलाने में एक छोटा सा योगदान भी.. ऐसा मुझे लगता है !!..

स्वर्गीय अटलजी को मेरी श्रद्धांजलि के साथ समर्पित !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

2 comments:

  1. अगर तिरंगा फहराना ही देशभक्ति है तो संघ पंद्रह साल पहले ही देशभक्त हुआ है
    BY सौरभ बाजपेयी ON 15/08/2018 • 1 COMMENT
    http://thewirehindi.com/15834/indian-independence-and-rss/
    आज़ादी के 71 साल: क्या 2002 के पहले तिरंगा भारतीय राष्ट्र का राष्ट्रध्वज नहीं था या फिर आरएसएस खुद अपनी आज की कसौटी पर कहें तो देशभक्त नहीं था?
    ..............(लेखक राष्ट्रीय आंदोलन फ्रंट के संयोजक हैं)


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  2. CMO Kerala

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    @CMOKerala
    Aug 17
    Kerala is facing its worst flood in 100 years. 80 dams opened, 324 lives lost and 223139 people are in about 1500+ relief camps. Your help can rebuild the lives of the affected. Donate to
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