Wednesday 22 August 2018

// बैठे रहो निःशब्द शून्य में.. जनता या फिर भीड़ ही बारी-बारी सबकुछ निपटा देगी.. ..//


इसी देश में एक भीड़ द्वारा सरेआम एक महिला को केवल कुछ गड़बड़ होने के शक़ की बिनाह पर निर्वस्त्र कर घुमा दिया गया..

और इसी देश के प्रधानसेवक अब तक भी निःशब्द ही हैं.. शून्य में ही हैं.. और भीड़ की करतूतों पर तो वो जुमलाकिंग पहले भी निःशब्द ही थे.. शून्य में ही थे !!..

इसलिए शक़ होना लाज़मी है कि प्रधानसेवक बहुत ज्यादा गड़बड़ है भाई.. और उस निर्वस्त्र की गई महिला से तो कुछ ज्यादा ही.. यानि शक़ करना तो पुख्ता बनता है !!..

और इसलिए बस सहमे हुए इंतज़ार है तो ऐसी ही किसी एक और भीड़ का जो उस निर्वस्त्र कर घुमाई गई महिला को न्याय दिलाने के लिए चीरफाड़ कर देने का इरादा और माद्दा रखती हो..

और यकीन मानें.. इसी देश में ऐसी कई भीड़ें मौके की ताड़ में बैठी ही होंगी.. क्योंकि इसी देश में लोकतंत्र की जगह भीड़तंत्र को ही निःशब्द रहते हुए और शून्य में रहते हुए पनपाया उकसाया जो जा रहा है.. नहीं क्या ??..

तो क्या मान लिया जाए कि भीड़ का जवाब भीड़ ही देगी ??..
नहीं.. जरूरी नहीं !!.. भीड़ का जवाब जनता भी दे सकती है.. और जनता और भीड़ में अंतर होता है..

तो बेहतर तो यही होगा कि जनता ससमय पुरज़ोर जवाब दे और प्रतिकार करे और भीड़तंत्र से इस देश को बचा ले.. अन्यथा तो खामोश जनता ही पूर्ण निर्वस्त्र कर दी जाएगी.. फिर चाहे वो महिला हो या पुरुष - गरीब हो या अमीर - हिन्दू हो या मुसलमान - सवर्ण हो या दलित - बुद्धिजीवी हो या भक्त - इंसान हो या निःशब्द नेता.. ..

भीड़ सब कुछ निपटा देगी.. बारी-बारी सबको निपटा देगी.. समझे !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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