Friday 3 August 2018

// NRC मुद्दे पर सरफुटव्वल उधेड़बुन के बीच.. राजनाथ का उधेड़ने योग्य बयान ..//


NRC मुद्दा भी क्या उछला है.. और क्या उछाला गया है.. गजब ही है..

अब ये यूँ इसलिए भी हुआ है कि ये मुद्दा उलझाने के लिए बहुत ही अनुकूल और उलझने के लिए बहुत ही सरल सपाट है..
क्योंकि इस मुद्दे के मोटे-मोटे दो वाजिब से दृढीकोण हैं..

एक दृष्टिकोण है कि - तमाम घुसपैठियों को देश में मत रहने दो.. और ये दृष्टिकोण है राष्ट्रहित में सोचने वालों का.. और क्योंकि ये राष्ट्रहित में सोचने वालों का व्यवहार इतना उद्दंडी हो चला है कि फिर वो आगे पीछे किसी भी प्रकार की विवेचना करने या सुनने के लायक नहीं रह जाते.. और इसलिए ऐसे घुसपैठियों का क्या करें ?? क्या इनका अचार डालें ?? इस बात पर कोई 'दृष्टि' नहीं डालता और ना ही कोई 'कोण' बताता है.. बस उनका तो एक ही कहना है कि घुसपैठिये इस देश में क्यूँ ????.. और जो राष्ट्रहित की बात करने में निपुण भक्त हैं उनका तो यहां तक का कहना है कि फलां धर्म के घुसपैठिए इस देश में क्यों ????.. भारत माता की जय !!..

और दूसरा दृष्टिकोण है कि - आखिर घुसपैठिए भी हैं तो इंसान ही ना !!.. इसलिए सबसे अव्वल बात तो ये हुई कि आप उसे मार काट भी तो नहीं सकते ना !!.. और उसका दुनिया के किसी अन्य देश में प्रत्यर्पण भी तो कोई आसान नहीं ना - क्योंकि फिर उस देश में भी तो उस राष्ट्र के राष्ट्रवादी होंगे ही - जिनका कहना इतना ही तो सरल और सपाट होगा कि ये भारत की भेगत हमारे यहां क्यों ??.. और यदि ये भी स्पष्ट हो जाए कि ये भेगत भारत की नहीं बल्कि मूलतः उनके ही देश की है तो फिर प्रश्न उठेगा कि वो उस देश से निकले निकाले ही क्यों गए थे.. यानि फिर दुष्चक्र शुरू.. इधर उधर के राष्ट्रवादियों का अंतहीन दुष्चक्र - है ना !!..

अब यदि मान लो कि आप इंसानियत को राष्ट्र पर तरजीह दे दें - तो फिर क्या इंसानियत के नाम पर सारी भेगत पाल लें ?? भेगत पालने का ठेका हम ही पालें ?? और जिनकी भेगत है वो बैठे ठाले मजे लेते रहें ??.. क्या ऐसा राष्ट्रहित में हो सकता है ??.. नहीं ना !!..

और यदि राष्ट्र को इंसानियत पर तरजीह दे दें - तो क्या राष्ट्रहित में इंसानियत को दरकिनार कर वहशी हो जाएं ????..

यानि कुल मिलकर बात यूँ हुई कि एक तरफ खाई और दूसरी तरफ भी खाई.. और गड्ढा इधर का भी और उधर का भी खतरनाक जो खाई के मुहाने पर मौजूद.. तो किया क्या जाए ????..

बस इसी उधेड़बुन में था कि मुझे अंतरिम निष्कर्ष पर पहुँचते हुए एक बार फिर उधेड़ने का मौका मिल गया.. और मेरा अंतरिम निष्कर्ष ये निकला है कि इस मुद्दे पर इस मोदी सरकार के हर पहलू और पक्ष का विरोध किया जाए !!..

और वो इसलिए कि अभी-अभी होनीहार गृहमंत्री राजनाथ ने NRC के मुद्दे पर राज्यसभा में कहा है कि.. NRC को लेकर गलत प्रचार किया जा रहा है.. अभी यह फाइनल लिस्ट नहीं है.. कुछ लोग इसे सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.. गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं.. ..

यानि इतनी घातक देर से ऐसा टुच्चा बयान.. कि सौहार्द बिगड़ता रहा - अक्लमंद अक्लफुटव्वल करते रहे और भक्त राष्ट्रहित के नाम का परचम फहराते रहे.. देश जलता लड़ता उलझता कुढ़ता परेशान होता रहा - और सरकार बेवकूफों जैसे एक लिस्ट निकाल कर सो गई जो फाइनल ही नहीं थी ????

यानि सरकार है बेवकूफ गैरजवाबदार गैरजिम्मेदार और राष्ट्र और इंसानियत विरोधी भी.. और इसलिए ये सरकार कुछ अच्छा करेगी - या इस सरकार से कुछ जाने अनजाने अच्छा हो जाएगा - ऐसी कोई संभावनाएं बनती ही नहीं.. शर्तिया !!..

इसलिए जब तक बेवकूफ लोग फाइनल लिस्ट जारी नहीं कर देते तब तक तो इस सरकार के हर निर्णय या पक्ष का विरोध  करना ही श्रेयस्कर होगा !!..

और अंततः मेरी व्यक्तिगत राय इस सरल सपाट मुद्दे पर इंसानियत को तरजीह देते हुए ही होगी.. क्योंकि मेरे लिए राष्ट्र से बढ़कर इंसानियत है.. क्योंकि एक अच्छा राष्ट्र इंसानों से ही तो बनता है .. कोई थोथे राष्ट्रवादियों से थोड़े ही बनता है .. समझे !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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