जो साल-दर-साल और पूरे साल.. ज़ुबान से चटखारे लेते हुए अंडे मुर्गे झींगुर मछलियां बोटियाँ गोश्त आदि दारू के सहारे रुश्क-खुश्क गले से डकारते रहे.. और आज ईद के मौके पर बेचारे बकरों की जान के प्रति उचित तरस और सहानभूति का बखान कर रहे हैं.. और शोकसंदेशों का प्रचार प्रसार करते हुए उसी चटखारी जुबां से आंसू बहा रहे हैं.. मेरे ऐसे सभी मित्रों और देशवासियों को आज बुधवार की बधाई और अनेक शुभकामनाएं !!..
और मेरे अन्य सभी मित्रो को आज ईद की तहेदिल से मुबारकबाद !!.. 🌹🌹
🙏ब्रह्म प्रकाश दुआ 🙏
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