Friday 24 August 2018

// समाज में बिखराव के बाद अस्थियों के ऐसे बिखराव की ही तो आशा की जा सकती है..//


अटलजी की अस्थियों के सैंकड़ों-हज़ारों टुकड़े-टुकड़े कर देश की हर नदी में बहाने के बाद इससे बेहतर या ज्यादा क्या ????..

भक्त जमात के सूत्र बता रहे हैं कि युगपुरुष साहेब के समय अब तो अस्थियां टुकड़े-टुकड़े कर फिर पीस पीसकर हज़ारों-लाखों नाले-नाले बहानी पड़ेंगी.. बेचारे भक्तों के पास अब और कोई बेहतर विकल्प छूटा ही नहीं है..

और मैं सोच रहा हूँ कि बात में दम है.. साहेब किसी से पीछे क्यों रहें ??.. वो भी जब साहेब ने समाज को नालों की महत्ता पर जीते-जी भरपूर ज्ञान पेला.. और नालों के प्रति उनका विशेष लगाव भी किसी से छुपा नहीं रहा..

और शायद ऐसा करने से उन लाखों चाहने वालों को भी फ़ायद होगा जो नाला गैस से लाभान्वित हो रहे होंगे.. क्योंकि यकीनन ऐसा करने से गैस उत्पादन में भी वृद्धि होना तय माना जा सकता है..

और मैं यह भी सोच रहा हूँ कि मैं भी जीते-जी ये मंज़र देख लूँ तो चैन पड़े.. क्योंकि अब देखने को शेष बचा ही क्या है.. समाज में बिखराव के बाद अस्थियों के ऐसे बिखराव को देखने की ही तो आशा की जा सकती है.. है ना !!..

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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