मोदी सरकार के वर्चस्व में रहते जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का आरोप लगा था .... ढाई माह पूर्व ....
और अब जाकर उस पर जेएनयू के प्रशासन ने रुपये १००००/- का जुर्माना लगाया है ....
जेएनयू प्रशासन ने अन्य छात्रों पर भी कुछ जुर्माना लगाया है - और कुछ को रेस्टीकेट भी किया है ....
और इसलिए तय है कि जेएनयू प्रशासन ने ये भी तय पाया ही होगा कि जेएनयू कैंपस में वो देशद्रोही नारे लगे थे जिन्हें भाजपा प्रवक्ता और कुछ अपने आप को देशभक्त कहने वाले बार-बार हर्षोल्लास से दोहराते रहे हैं .... यानि कैंपस में देशद्रोह का जुर्म तो घटित हुआ ही माना गया होगा ....
और इसलिए प्रश्न उठता है कि क्या देशद्रोह की सजा रूपये १००००/- मात्र ????
या फिर क्या देशभक्तों का खून "भारत माता की जय" के नारे लगाने के बाद गरम होने के बजाय ठंडा पड़ गया है ????
और प्रश्न तो यह भी उठता है कि अब तक भी बहुत पहले से उठते प्रश्नों के उत्तर किसी देशभक्त या भक्त के हलक से बाहर टपके क्यों नहीं कि वो देशद्रोही नारे लगाने वाले किस के भक्त थे ?? किस के प्रिय थे ?? .. या किसके बाप थे ?? ....
और ये मोदी सरकार कर क्या रही है ?? या कुछ कर क्यूँ नहीं रही है ?? या कुछ भी कर क्यूँ नहीं पा रही है ?? .... या इस सरकार के डीएनए में आखिर ये गड़बड़ क्या है ??
और इसलिए मुद्दे का प्रश्न तो अब ये है कि इस सरकार या सरकार के मुखिया पर भी रूपए १००००/- का जुर्माना क्यूँ न लगा दिया जाए ?? .. जी हाँ - इस देश के साथ देशद्रोह करने का नियत जुर्माना रूपए १००००/- ????
सोचियेगा ज़रूर .... १०००० बार सोचियेगा .. क्योंकि मामला टुच्चों द्वारा बेशकीमती देश की लगाई गई टुच्ची कीमत का जो है .. है ना !!
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