Tuesday 5 April 2016

// इस देश में यदि कानून का राज नहीं होता तो ???? .. तो ......... //


अव्वल तो मैं सोच रहा हूँ कि क्या इस देश में कानून का राज है ?? ....

और इसी तारतम्य में मैं ये सोच रहा हूँ कि अगर कानून का राज होता तो कई 'उच्चे' लोग 'टुच्चे' क्यों होते और कई 'टुच्चे' इतने 'उच्चे' क्यों होते ?? ....

मसलन यदि कानून का राज होता तो मजाल थी कि कोई चोर 'पद्म' पुरूस्कार प्राप्त कर लेता या 'सम्माननीय' ही कहलाता .... क्योंकि कानून में तो चोर केवल सजा का पात्र होता है - किसी मान सम्मान या पुरूस्कार का तो कदापि नहीं .... और क्या मजाल थी किसी लंगोटिए की कि वो किसी के सर काटने की बात कर छुट्टा घूम पाता ?? .... क्योंकि कानून में तो किसी का सर काटना गुनाह है - और गुनहगार की जगह तो जेल है - पतंजलि लोक नहीं ....

लेकिन फिर मैं यह भी सोचता हूँ कि नहीं - अगर इस देश में कानून का राज नहीं होता तो क्या होता ?? .... और मुझे लगता है कि यदि ऐसा होता तो फिर लंगोटिया लंगोट बंधे घूम नहीं रहा होता .... अभी तक तो लंगोट खींच ली गई होती .... और ये सभी 'उच्चे' 'टुच्चे' मजे मौज नहीं कर रहे होते ....

और इसलिए मुझे लगता है कि इस देश में कानून का राज तो है - पर वो 'उच्चे' 'टुच्चे' लोगों को संरक्षण देने के लिए है - और गरीब को या आमजन को संरक्षण देने की बजाय सजा देने के लिए है ....

स्थितियां बहुत विकट हैं .... और मुझे लगता है हम सबको प्रयास करना होंगे और स्थितियों को उलटना होगा .... यानि अब ये सुनिश्चित करना ही होगा कि कानून 'उच्चे' 'टुच्चे' लोगों को सजा देने और गरीब को या आमजन को संरक्षण देने के लिए उपयोग में लिया जाए - लाया जाए ....

पर क्या ऐसा संभव है ?? ....

मुझे लगता है - संभव है .... पर इसके लिए कुछ 'सरपिटे' 'लंगोटधारी' की लंगोट खींचना भी आवश्यक है - और दिल में एक संशोधित नारा बसाना भी आवश्यक है .... और वो नारा "शेरांवाली माँ" की तर्ज़ पर होगा ....

सभ्य देशवासियों वाली भारत माता की जय !! ....

अन्यथा तो फिर हो सकता है कि ओवैसी का बेहूदा फॉर्मूला ही वृहद रूप में स्वतः ही क्रियान्वित हो जाए कि - "बस १५ मिनिट के लिए पुलिस हटा लो ......" .... सब ठीक हो जाएगा .... ठीक ठाक हो जाएगा .... यानि 'कुछ सर कट जाएंगे' - और कुछ दिमाग सहित ठिकाने लग जाएंगे या ठिकाने लगा दिए जाएंगे .. और निश्चित ही कुछ लंगोटे भी खींच ली जाएंगी ....

और मेरा विश्वास करें ऐसी प्रक्रियाओं को इतिहासकार और बुद्धिजीवी "क्रांति" भी बोलते हैं .... और कुछ निर्दोष पीड़ित इसे "कत्लेआम" भी कहते हैं .... इसलिए सावधान !! भारत माता की जय बोलने-बुलाने वाले मुजरिमों से विशेषकर सावधान !!

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