Friday 11 July 2014

गरीब की पीड़ा - मेरी पीड़ा !!!
पूरा रेल और आम बजट आ गया - गरीबी रेखा से ऊपर सभी लोग बहस में व्यस्त और मस्त हैं ....
और गरीब वीराने में इसलिये सिसकियाँ ले रहा होगा कि वो तकलीफ में है - इसलिए नहीं कि उसको मालूम पड़ गया होगा कि उसके विरुद्ध साज़िश रची जा चुकी है ....
गरीब के रोने की आवाज़ तो बहुत पहले ही दबा दी गयी थी - अब तो शायद सिसकियाँ भी वर्जित कर दी जाएंगी ....
मेरे स्वर्गीय पिताजी कहते थे "जब उसकी लाठी पड़ती है तो आवाज़ नहीं होती" .... मैं अभी तक समझता था - "उसकी" से अभिप्राय "ईश्वर" से है - पर अब सोच रहा हूँ - "उसकी" से अभिप्राय "अत्याचारी" से भी तो हो सकता है ?

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