Wednesday 30 July 2014

कुछ शेर

कुछ शेर सुनाता हूँ मैं जो तुझ से मुखातिब हैं .....
एक क्रन्तिकारी है दिल में ये उस से मुखातिब हैं .....
.
दिल्ली में चुनाव नहीं आखिर क्या है मंज़र
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
नमो - मनो में नहीं निकला कोई अंतर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
चुनाव पहले ज्ञान बांटते अब भूले सब मंतर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
हाथ-सफाई आती है नहीं आता जादूमंतर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
इतरा रहा मदारी और नंगे नाचें बंदर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
मज़हब के आधार पर नहीं चलेगा अंतर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
भाजपा-कांग्रेस और "आप" में है अंतर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
नमो - मनो और केजरीवाल में है अंतर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
डर इतना कि पोस्टर लगाने वाले अंदर
इसलिए - ३ अगस्त ३ बजे जंतर मंतर
.
(ब्रह्म प्रकाश दुआ)

No comments:

Post a Comment