Monday 14 July 2014

कुर्सी से बंधे ये घोड़े .... लाख दर्जे अच्छे हैं ....
उन कुर्सी से चिपके गधों से .... और ....
उन छुट्टे घूम रहे खच्चरों से जो बिना गधों को मालूम पड़े पाकिस्तान तक घूम फिर आते हैं ....

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