Sunday 27 July 2014

ह ! हा !! हुर्रे !!! टिल्ले-लिल्ले !!!! .... मैं तो नास्तिक हूँ !!!!
धर्म के प्रति मेरी चलताऊ सोच निर्णय नहीं कर पा रही है कि आखिर आजकल फैशन और टशन में कौनसा फ़िकरा ज्यादा चलताऊ है ????
" कोई धर्म बुरा नहीं है ..... पर मेरा धर्म सबसे अच्छा है और बाकी तो सब ठीक-ठाक !! "
.................................................या ...............................................
" कोई धर्म अच्छा नहीं है ..... पर मेरा धर्म तो सबसे ऊँचा है और बाकी सब बेकार !! "
वैसे मेरी तार्किक सोच तो कहती है कि आज के परिप्रेक्ष्य में कोई धर्म उपयोगी या लाभदायक या सार्थक नहीं रहा है - क्योंकि सभी धर्मों के टुच्चे ठेकेदार और कच्चे भगत इंसानियत को तार-तार करने में निर्लज्जता के साथ पिले पड़े हैं ....
शायद इसलिए ही मैं सभी धार्मिक लफड़ों से कोसों दूर - सुखी संतुष्ट गौरवान्वित निर्भीक स्वावलम्बी नास्तिक हूँ !!!!

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