Friday 22 March 2019

// होली तो हो ली.. अब "चौकीदार" को धता बता असली मुद्दों पर फिर लौटा जाए.. ..//


कल होली भी हो ली.. मौज मस्ती और ख़ुशी के इज़हार का त्यौहार निकल गया !!..
और जब दिल में ख़ुशी होती है तो दिमाग भी सही काम करता है..

तो आइये इस अवसर पर हम सब हमारे दिमाग का भी सदुपयोग कर लें.. और एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देने के बाद एक दूसरे के दुःख दर्द और समस्याओं का पुनरावलोकन कर लें..

और टटोल लें कि क्या "चौकीदार-चौकीदार" का हल्ला पेल रहे चोर - देश की समस्याओं की जवाबदारी से अपना पल्ला झाड़ चुकने के बाद - अपने आपको सवालों की झड़ी से बचाना तो नहीं चाह रहे ??.. और इसलिए ही असली मुद्दों पर तो मौन हैं और फ़ोकट मुद्दों पर प्रखर !!..

मसलन ये राहुल के द्वारा दिए गए प्रभावी नारे "चौकीदार चोर है" के जवाब में "मैं भी चौकीदार" मुहीम चला रहे हैं.. जबकि गौरतलब हो कि राफेल का मुद्दा कोई 'राहुल-मोदी' का फन फिल्ड ड्रामा नहीं है कि राहुल ने चोर कहा तो आप चौकीदार कह के इतराने मकराने गरियाने लगें..
अतः मोदी को चाहिए था कि देश में अनेक लोगों और संस्थाओं और मीडिया द्वारा भी जो गंभीरतम आरोप उन पर लगाए जा रहे थे/हैं उन सभी आरोपों का संतोषजनक जवाब देते.. और प्रधानमंत्री होने के नाते सीबीआई - रक्षा मंत्रालय - सीएजी आदि पर उठ रहे गंभीर सवालों का भी संजीदा जवाब निकलवा सबके सामने रखवाते..

लेकिन ये कर क्या रहे हैं.. ..
ये कभी सुप्रीम कोर्ट के संकुचित और सीमित अधिकार क्षेत्र - और सीमित सरकारी जानकारी पर प्रथम दृष्टया सहमत होने की मजबूरी में दिए गए एक संकुचित विवश सीमित विवादित निर्णय पर - जो फिर अंतिम ना रहकर अभी फिर से विचाराधीन हो गया है - उसके पीछे छुपकर व्यर्थ प्रतिकार करने की कुचेष्ठा कर रहे हैं..
और कभी एयर स्ट्राइक पर ओछी राजनीति कर सैनिकों की शहादत के पीछे छुप रहे हैं.. तो कभी बेरोज़गारी और गरीबी का माखौल उड़ा रहे हैं.. तो कभी अपनी घोर विकराल वादाखिलाफी पर वंशवाद का या ७० वर्षीय पर्दा डालने आदि का प्रयास कर रहे हैं.. या फिर बस यूँ ही बैठे ठाले पूरी बेशर्मी से नेहरू को कोस रहे हैं.. या फिर संचित अथाह पैसे-लत्ते के बल पर तमाम राजनीतिक और चुनावी हथकंडे अपना रहे हैं..

इसलिए मेरी ऐसी राय है कि होली बीत जाने के बाद हम प्रयास करें कि "चौकीदार-चौकीदार" का उचित योग्य उपहास करते हुए सभी असली मुद्दों को भी जीवंत रखें ताकि देशद्रोही चोर फिर से सर ना उठा सकें !!..
और अब होली बाद फिर से संगीन प्रश्न पूछना शुरू करें - मसलन - "क्यों.. इस बार अपने चुनावी पर्चे में अपनी शैक्षणिक अयोग्यता के बारे में जो लिखना पड़ेगा वो क्या लिखोगे ??".. या.. "बागों में बहार है ??"..
धन्यवाद !!

ब्रह्म प्रकाश दुआ
'मेरे दिमाग की बातें - दिल से':- https://www.facebook.com/bpdua2016/?ref=hl

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