Saturday, 19 March 2016

// ऐसी 'रणनीति' क्यों ?? .. क्योंकि मोदी 'रण' में हारे !! ....//


सामाजिक समरसता तो छिन्न भिन्न हो गई है .... हर जगह टकराव - विद्वेष .. हर विषय में बहस - गाली गलौज - कडुवाहट - नारेबाजी .... और हर मुद्दे पर दादागिरी - झगड़ा टंटा फसाद - ओछी राजनीति - साज़िश - बेशर्मी - और अंतहीन आरोप प्रत्यारोप ....

और ऐसा सब कुछ होने के पीछे मैं सत्तापक्ष की एक सुनियोजित "रणनीति" को देख पा रहा हूँ ....
और यह रणनीति सफलता के साथ क्रियान्वित होती भी दिख रही है .... माहौल लगातार बिगड़ रहा है - और हवा ख़राब हो रही है ....

पर प्रश्न है स्वयं सत्तापक्ष द्वारा ऐसी 'रणनीति' क्यों ??

और उत्तर स्पष्ट है .... क्योंकि मोदी 'रण' में हार चुके हैं - घायल हो चुके हैं - चुकता हो रहे हैं - .... वे ना तो स्वयं कुछ सफलता या वीरता प्रदर्शित कर सके हैं - और ना ही ऐसे किसी सूरमा को रण में उतार सके हैं जो स्वयं बिन घायल हो रणक्षेत्र में सुरसुरी भी फैला पाया हो ....

हाँ !! मोदीजी बस "रणभेरी" जरूर जोर-शोर से बजवाए जा रहे हैं .. पर अब तो तूंती बजाने वालों की सांस भी फूल रही है - और तंतुए अनुपम खेर जैसे खिंच से गए हैं - शंख बजाने वालों के पेट ख़राब हैं और गले बैठ रहे हैं .... और वो "मोदी"-"मोदी" वाले नारे भी ठंडे हो गए हैं .. और "सबका साथ सबका विकास" एक हास्यास्पद जुमला सा लगने लगा है ....

और शायद इसलिए उन्हें अंतिम क्षणों में याद आया है .. "भारत माता की जय" ....

ठीक भी है - एक सच्चा शहीद मरते दम भी यही बोलता है .. "भारत माता की जय" ....

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