Friday 25 March 2016

// ऐसी 'शानदार' जीत से तो तौबा ही भली !! ....//


मुझे समझ नहीं आता कि इस देश की तार्किक शक्ति को क्या हो गया है ?? .. और हम सही का सही और गलत का गलत मूल्यांकन कब करेंगे ?? ....

उपरोक्त व्यथा मैं अभी भारत की बांग्लादेश पर हुई १ रन की जीत पर व्यक्त कर रहा हूँ ....

मैच का समस्त विवरण सभी क्रिकेट प्रेमियों को ज्ञात है - और ज्ञात है कि धोनी द्वारा हार्दिक को आखिरी ओवर सौंपा गया था जिसने मात्र पहली ३ बॉल में ही बेडा गर्क कर दिया था .... और फिर उसके बाद भारत शुद्ध भाग्य से ये रोमांचक मैच जीता - मात्र १ रन से जीता - और मेरा और सबका दिल खुश हो गया - मज़ा आ गया ....

पर जनाब मेरी समझ में ये बात घुस ही नहीं रही है कि इस जीत को कुछ अक़्लमंद "शानदार जीत" कैसे निरुपित कर सकते हैं ?? .. क्योंकि मेरे अभिमत में तो ये जीत भाग्यशाली रोमांचक चमत्कारी अत्यंत महत्वपूर्ण जीत तो थी - पर बांग्लादेश जैसी टीम के विरुद्ध ये जीत 'रद्दी' या 'चिंदी' या 'शर्मनाक' जीत ही मानी जानी चाहिए .... और यदि मैं शुद्ध खेल भावना से सोचूँ - और भक्त मुझे देशद्रोही करार ना दें - तो भारत की ये जीत बांग्लादेश के लिए अत्यंत दुर्भाग्यशाली हार थी .. क्योंकि इस मैच में यदि कोई बेहतर खेला था तो वो बांग्लादेश ही था - और बांग्लादेश ही भारत से ज्यादा जीत का हक़दार था ....

और मेरी बात जिसको सम्पट ना बैठी हो तो वो कल्पना करें कि भारत ये मैच हार जाता तो ?? .. तो अभी तक तो जो दुर्गती अफरीदी और पकिस्तान की हुई है उससे बदतर हालत धोनी और भारत की हो गई होती .... और शायद लोग बीसीसीआइ और डीडीसीए जैसी किर्किटीय संस्थाओं के बारे में उपयुक्त वांछित गालियां दे रहे होते .... और शायद माहौल गर्म हो दीर्घकालीन लाभ के लिए उपयुक्त हो गया होता ....

इसलिए मैं सोच रहा था कि उपरोक्त मापदंड के अनुसार तो - हे भगवन !! हमें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 'शानदार' जीत मत दिलाना - हमें तो 'टुच्ची' 'ओछी' 'शर्मनाक' जीत ५०-१०० रन या ७-८ विकेट वाली ही दिलवाना .... 

कृपया विदित हो कि पूर्व में ऐसी ही एक और 'शानदार' जीत को हम अब भुगत ही रहे हैं - मोदी की 'शानदार' जीत !!

इसलिए ऐसी 'शानदार' जीत से तो तौबा ही भली !!

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