Monday 14 March 2016

// माल्या का "अच्छा समय" - और मोदी के "अच्छे दिन" ....//


पूरे देश में हल्ला है .... भाग गया रे भाग गया - माल्या देश से भाग गया - देश का पैसा लूटकर भाग गया - बैंकों का पैसा खाकर भाग गया .. भगोड़ा भाग गया .. हाय !! माल्या भाग गया .... 

मेरी प्रतिक्रिया ....

क्या माल्या ऐसा अकेला अपराधी था ?? .. क्या ऐसे आर्थिक अपराध में कोई व्यक्ति बिना मिलीभगत अकेला ही ऐसा गजब कर सकता है ?? ..

उपरोक्त प्रश्नों का जवाब है - नहीं ! नहीं !! नहीं !!! ....

इसलिए मेरा ध्यान जाता है कि ये पूरा देश केवल माल्या की तरफ ही ध्यान क्यों लगाए है ?? .. कारण मैं बताता हूँ .... जिनको कुछ करना चाहिए था वो सब माल्या से मिले लगते हैं .. और शायद इसलिए वे चुपचाप मजे से सब कुछ होता देख रहे हैं .. कर कुछ नहीं रहे हैं .... जानबूझकर ....

यानि इतना बड़ा कांड हो गया - और देश में माल्या जैसे ही अन्य सैंकड़ों घोषित अपराधी मौजूद होने की प्रामाणिक सूचना और पुख्ता प्रमाण सार्वजानिक हो चुके हैं - पर अभी तक पूरे देश में एक भी अन्य व्यक्ति की गिरफ्तारी तक नहीं हुई .. ना किसी बैंकर की - ना किसी गारंटर की - ना किसी नेता की - ना किसी अधिकारी की - ना माल्या के अन्य रिश्तेदारों की - ना माल्या के चार्टेड एकाउंटेंट्स की - ना माल्या की कंपनियों के अन्य अधिकारियों की .... 

और "विचित्र किन्तु सत्य" .... जो भक्त और बेवकूफ एक कन्हैया की गिरफ्तारी पर इतने खुश संतुष्ट मदमस्त थे उन्हें भी अभी तक आभास ही नहीं है कि इस देश में कन्हैया के अलावा गिरफ्तारी योग्य कई सैकड़ों टुच्चे हैं लुच्चे हैं लफंगे हैं चोर हैं डकैत हैं - संभ्रांत हैं अमीर हैं रईस हैं - ललित मोदी हैं - डीडीसीए वाले भैय्या हैं - राजस्थान के राजकुमार हैं - गुजरात की राजकुमारी हैं - देशद्रोही हैं - आदि हैं इत्यादि हैं अनादि हैं ....

इसलिए अब हमारे चौकीदार और हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी पर भी प्रश्न उठता है .... क्यों भाई आप तो कहीं नहीं भागे - फिर बैठे बैठे या खड़े खड़े कर क्या रहे हो ?? - बस वही ना जो हम कर रहे हैं - समाचार सुन रहे हो और सूचित हो रहे हो कि "माल्या भाग गया" ....

जरूर मिलीभगत तो है .... और मिलीभगत तो निम्नलिखित तथ्य से भी परिलक्षित होती है ....

माल्या की टैग लाइन थी  >>  "किंग ऑफ़ गुड टाइम्स" ....
मोदी की टैग लाइन थी    >>  "अच्छे दिन आने वाले हैं" ....

दोनों के विचार और स्टाइल और दाढ़ी में भी कितनी समानताएं हैं ना !! ....
और समानता मुझे इसलिए भी लगती है कि .. ना तो 'अच्छा समय' आया है ना ही 'अच्छे दिन' ....

बस फर्क है तो यह कि एक भाग गया है और दूसरे ने भगा दिया है या भाग जाने दिया है ....

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