Wednesday 16 March 2016

// अख्तर साहेब को मोहल्ले का एक नेता इतना विचलित क्यूँ कर गया ?? ....//


कल जावेद अख्तर द्वारा राज्यसभा में दिए भाषण के बारे में सुना ....

शायद वो अपने आपको कई नेताओं से ऊपर और उत्कृष्ट मान ये बोले कि - ओवैसी जैसे एक मोहल्ले के नेता अपने आपको राष्ट्रीय नेता समझते हुए ऊटपटांग बयानी कर रहे हैं और कह रहे हैं कि मैं "भारत माता की जय नहीं बोलूंगा" .... और उन्होंने ओवैसी की उस दलील का भी मखौल उड़ाया कि यदि संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि "भारत माता की जय" बोलना जरूरी है तो संविधान में ये भी कहाँ लिखा है कि अचकन पहनना जरूरी है या टोपी पहनना जरूरी है ....

मेरी प्रतिक्रिया ....

सर्वप्रथम तो मैंने इस बात का संज्ञान लिया कि जावेद अख्तर ने ओवैसी पर छोटा मोटा निशाना साधने के अलावा शायद बड़ा निशाना सरकार और धार्मिक कट्टरवादी संस्थाओं पर भी साधा .. पर शायद वो अंश अनसुने कर दिए गए .... क्यों कर दिए गए ?? .... क्योंकि इस देश में फिरकापरस्त ताकतें ताकतवर हैं - बस इसलिए .... और शायद सरकार में अतिवादी और कट्टरवादी कई शक्तियां हैं जो सहूलियत अनुसार मोडिया चैनलों के मार्फ़त अपनी घृणित मंशाओं के अनुरूप काम कर रही हैं ....

पर यदि मैं ओवैसी संबंधित उनकी प्रतिक्रिया पर अपनी प्रतिक्रिया दूँ तो मैं सर्वप्रथम कहना चाहूँगा कि - श्रीमान अख्तर साहब यदि ओवैसी जो ४ बार हैदराबाद से लोकसभा सीट जीतकर सांसद बने रहे हैं - और एक पार्टी के अध्यक्ष भी हैं - उन्हें आप एक मोहल्ले के नेता कहते हैं तो माफ़ करें आप उस लायक भी नहीं थे कि आप वो कहते जो कुछ आप एक बिन चुनाव लड़े राज्यसभा सांसद की हैसियत प्राप्त होने के कारण कह सके और कह गए .... यानि इस मापदंड से तो आपकी ओवैसी के सामने हैसियत बहुत बौनी है .... और इस मापदंड अनुसार तो भाजपा में भी तो सभी मोहल्लों के ही नेता तो हैं - राष्ट्रीय नेता तो कोई नहीं .. जैसे मोदी जी वाराणसी मोहल्ले के नेता - और जेटली स्मृति "बिनमोहल्ले के नेता" .... है ना !!

जहां तक संविधान में "भारत माता की जय" बोलने या अचकन पहनने या टोपी पहनने के बारे में कुछ नहीं लिखा होने की बात है - तो मैं आपकी बात में आपकी तर्ज़ में जोड़ना चाहूंगा कि संविधान में बकवास करने की बात भी कहाँ लिखी है .... पर कई लोग कई बकवास कर रहे हैं कि नहीं ?? .. और इस देश का हर व्यक्ति भी कहाँ अचकन पहने या टोपी पहने घूम रहा है ??

मेरी बेतुकी बात का मतलब है कि कई लोग संवैधानिक स्वतंत्रता के अनुरूप धोती पेंट निक्कर पगड़ी साफा पहन के भी तो घूम ही रहे हैं ना ?? .... और अख्तर साहब आप भी तो लेडीज गाऊन जैसा कुरता पहन ही राज्यसभा में बोल रहे थे ना ?? .. आप ने भी तो अचकन टोपी नहीं पहनी हुई थी ना ?? .. तो फिर आप "भारत माता की जय" वाली बात से इतने विचलित क्यों हो गए ?? 

जावेद अख्तर साहब - आप बोल गए - पर शायद ओवैसी आप पर बहुत भारी पड़ गए .... मालूम है क्यूँ ?? .. इसलिए कि आपके भाषण के बाद ओवैसी ने क्या बोला मालूम है ?? .. जी हाँ वो बोले .... "जय हिन्द" ....

इसलिए मेरा ऐसा मानना है कि जावेद साहब आप बोले और बहुत अच्छा बोले और सही बोले .... पर अब क्या आप "भारत माता की जय" के स्थान पर उस मोहल्ले के नेता ओवैसी के द्वारा "जय हिन्द" बोलने पर अपनी प्रतिक्रिया दे पाएंगे ?? .... क्या आप पुनः विचलित नहीं हुए ?? .... या पुनः विचलित होंगें ?? .... क्या आप बता पाएंगे कि ओवैसी के द्वारा "जय हिन्द" बोलना उचित था अथवा नहीं ?? .... और क्या आप भी तीन बार बोलेंगे - "जय हिन्द" - "जय हिन्द" - "जय हिन्द" .... या फिर नहीं बोलेंगे ?? .... नहीं बोलेंगे तो क्यों ?? .... और यदि नहीं बोलेंगे तो फिर ओवैसी और आप में क्या फर्क ????

तो अख्तर साहब मेरा आपको सुझाव है - ठंडी सांस लें और अपने घर के किसी कक्ष में केवल तीन बार बोलें .... "जय हिन्द" - "जय हिन्द" - "जय हिन्द" .... कस्सम से आपको बहुत आत्मिक शांति मिलेगी .... अल्लाह आपकी खैर करे !! .... आशा है क्योंकि आप स्वयं लेखक हैं तो जानते होंगे कि भाव ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं और "शब्द" तो उन भावों को अभिव्यक्त करने के मात्र साधन - और इसलिए आप मेरे शब्दों के तुच्छ होने के बावजूद मेरे भाव समझ ही गए होंगे .... शुक्रिया !!

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