Friday 18 March 2016

// विकट प्रश्न - क्या मोदी 'वही टोपी' पहन "जय हिन्द" बोलेंगे ?? ....//


आजकल भागवत-ओवैसी के प्रयासों की बदौलत "भारत माता की जय" - और जावेद अख्तर के डायलॉग की बदौलत "टोपी" - चर्चा में हैं ....

और मुझे याद हो आया कि एक बार की बात है - एक थे नरेंद्र मोदी जिन्होंने एक मुसलमान के हाथों टोपी पहनने से इंकार कर दिया था .... वही नरेंद्र मोदी आज हमारे प्रधानमंत्री हैं .... और सहूलियत अनुसार ऐसा मान्य कर लिया गया है कि - टोपी पहनना या नहीं पहनना किसी की भी "मन की मर्ज़ी" की बात हो सकती है .... फिर भले ही टोपी पहनने या ना पहनने के लिए संविधान में बाबा साहेब कुछ लिखे हों या लिखना भूल गए हों - या जावेद अख्तर साहेब संविधान पढ़े हों या ना पढ़े हों ....

पर अब ओवैसी और वारिस पठान ने "भारत माता की जय" बोलने से इंकार कर दिया .... और चूँकि वारिस पठान को तो महाराष्ट्र विधानसभा से इसी कारण निलंबित भी कर दिया गया है इसलिए ऐसा मान्य किया जा रहा सिद्ध होता है कि इस मामले में "मन की मर्ज़ी" नहीं चलेगी ....

ऐसा विरोधाभास क्यों ?? .. उत्तर एक ही हो सकता है .. "मन की मर्ज़ी" !!

और इसलिए मैं ये सोच रहा हूँ कि क्या - नरेंद्र मोदी मेरी या किसी अन्य की "मन की मर्ज़ी" अनुसार वही टोपी पहन "जय हिन्द" बोलेंगे ????

प्रश्न बहुत विकट है - पर यदि इसका उत्तर आ जाए तो भारतमाता कि किरपा और कसम से देश का भला हो सकता है .... क्योंकि शायद उत्तर आने के बाद इस देश में असली मुद्दों पर भी बात शुरू हो सके .... जैसे कि - आखिर ये सरकार कर क्या रही है ?? .. क्या कोई भारतियों की जय की बात भी करेगा ?? .. क्या कोई गरीब की जय की बात भी करेगा ?? ....

अन्यथा की स्थिति में तो फुर्सती मुद्दा ये भी बन सकता है कि टोपी पहनने के क्या फायदे और क्या नुकसान .. क्या हेलमेट भी एक प्रकार की टोपी .. क्या किसी को टोपी पहनाना उचित .. क्या टोपी नहीं पहनना देशद्रोह या पहन लेना देशभक्ति ???? .. लगे रहो मुन्ना भाई और मोदी भाई - लगे रहो !! 

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