Saturday 5 March 2016

// मुझे लगता है उम्र सबकी बढ़ रही है पर कुछ लोगों की समझ घट रही है ....//


कुछ दिन पहले नरेंद्र मोदी ने संसद में कुछ ऐसा कह दिया जो अव्वल तो सत्य नहीं - अपितु उपयुक्त भी नहीं ....

ना मालूम कहाँ की खुन्नस दिमाग में घुसेड़े कह दिए जिसका आशय था कि - "कुछ लोगों की उम्र बढ़ती है - समझ नहीं" ....

अब आप इनकी अक्ल देखें और तरस खाएं जो अव्वल तो कह रहे हैं कि "कुछ लोगों की उम्र बढ़ती है" - जबकि सत्य तो ये है कि उम्र तो सबकी बढ़ती है - और वो भी एक समान .... मसलम यदि मोदी जी पिछले ४० साल में ४० साल वृद्ध हुए तो शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी भी तो ४० साल ही वृद्ध हुए ....

और दुसरे ऐसा कुछ कहना जिसका ये अभिप्राय निकल सके कि शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी की समझदारी बढ़ी ही नहीं तो ये तो उपयुक्त भी नहीं .... क्योंकि मान भी लो कि मोदी जी अनुसार जितनी समझदारी स्मृति ईरानी की बढ़ी हो उतनी शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी की नहीं भी बढ़ी हो तो भी क्या ऐसा संसद में कह देना क्या शोभा देता है ??

और वो भी जब - जबकि संसद में कई युवा सांसद भी बैठे थे - जिनकी समझदारी से भरे वक्तव्यों के आगे मोदी जी स्वयं उनुत्तरित से दिखे .... मसलन अब मोदी से ज्यादा समझदार राहुल गांधी ने मात्र ३ शब्दों में मोदी जी को उद्वेलित और अनुत्तरित कर दिया .... जैसे कि "फेयर एंड लवली" .... बस ३ शब्द .... और मोदीजी ९० मिनिट बोल के भी कुछ ना बोल सके .... ना कुछ 'फेयर' ना ही 'लवली' .... और राहुल के सामने ही घुटने टेक अपने पूर्वजों को भुला ससम्मान याद करते रहे राजीव इंदिरा नेहरू जी को ....

और संसद के अंदर ही नहीं - संसद के बाहर भी अब एक और नायक ने दस्तक दे दी है - और वो नायक है एक युवा "कन्हैया" जो यकीनन अपने आपको मोदी से अधिक समझदार साबित करता है .... ये वो कन्हैया है जिसने जेल से रिहा होने के २४ घंटे में ही मोदीजी की चूलें हिला दी हैं - क्योंकि इनकी मातृपितर संस्था के बुजुर्गों ने जिनकी भी समझदारी उनकी उम्र के साथ बढ़ी ही होगी - उनमें से एक ने कन्हैया को "चूहा" कहा - और दुसरे ने इस लड़ाई को "सुर-असुर" की लड़ाई बता डाला .... यानि इनके तो आकाओं के दिमाग तक झंझोड़ डाले गए हैं जो यह तक तय नहीं कर पा रहे हैं कि ये कन्हैया चूहा है या सुर या असुर .... और ये है वही कन्हैया जिसे मोदी सरकार ने देशद्रोही सिद्ध करने का कुत्सित प्रयास किया था - पर हुआ क्या ? - "सत्यमेव जयते" .... स्मृति और मोदी वाल सत्यमेव जयते नहीं - अपितु इस देश के सच्चे दिलों वाला "सत्यमेव जयते" .... कन्हैया वाला "सत्यमेव जयते" .... मेरा "सत्यमेव जयते" .... 

इसलिए मेरा मोदी जी को एक बार फिर मुफ्त का सुझाव है कि - शत्रुघ्न या कीर्ति आज़ाद या आडवाणी जी जैसे वरिष्ठ लोगों की समझदारी पर प्रश्नचिन्ह लगाकर फ़ोकट में राहुल गांधी को अपनी ऐसी तगड़ी खिल्ली उड़ाने का मौका ना दें .... और अपनी सीमित समझदारी का उपयोग करते हुए अपने पद की मर्यादा का ध्यान रखें ....

और हाँ ३ विशेष सुझाव ....
१) छात्रों से पंगा ना लें ....
२) "कन्हैया" से तो सपने में भी पंगा ना लें - अन्यथा वो आपकी नींद ही हर लेगा ....
३) "कन्हैया" की जुबान काटने कटवाने का ख्याल भी दिमाग में मत लाना .... अन्यथा अभी तो तुम केवल बहरे हो - फिर शायद बोलने से भी वंचित हो जाओगे - गूंगे हो जाओगे .... दिव्यांग में कोई दम नहीं शुद्ध विकलांग हो जाओगे .... समझे ??

सारांश : मुझे लगता है उम्र सबकी बढ़ रही है पर कुछ लोगों की समझ घट रही है ....

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